Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर - Page 11 - SexBaba
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Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर

निशा का माथा घूम जाता हैं. वो समझ जाती हैं कि बात कुछ और हैं. फिर कार्यक्रम शुरू हो जाता हैं और करीब 7 बजे तक चलता हैं. राहुल का शपथ ग्रहण होता हैं और फिर एसीपी की पदवी उसे दी जाती हैं और साथ में वीरता और ईमानदारी का मेडल भी मिलता हैं. राहुल तो आज राधिका के वहाँ नहीं जा सकता था क्यों कि आज रात में डिन्नर का भी प्रोग्राम था. वो सीधा निशा के पास आता हैं और आकर उससे कहता हैं.

राहुल- निशा थॅंक्स जो तुम यहाँ पर आई. मगर राधिका नहीं आई इसका मुझे दुख हैं. तुम एक काम करो अगर थोड़ा फ्री हो तो जाते वक़्त राधिका के घर चली जाना उसका तबीयात में अगर सुधार नही हुआ होगा तो मैं ख़ान को बोलकर राधिका को हॉस्पिटल भेजवा दूँगा. जैसे हो मुझे फोन करके बताना.

निशा- ठीक हैं राहुल मैं ज़रूर जाउन्गि.

और इतना कहकर निशा वहाँ से निकल पड़ती हैं. आज निशा के मन में हज़ार सवाल उठ रहे थे. उसका दिल बार बार इस बात को नहीं मान रहा था कि राधिका ने ऐसा क्यों किया. वो तो राहुल से बे-इंतेहाः प्यार करती हैं. उसे तो सबसे ज़्यादा खुश होना चाहिए. मगर क्या वजह हैं जो वो यहाँ पर नहीं आई. क्या हैं इसके पीछे

निशा ऑटो करके थोड़ी देर में राधिका के घर पहुँच जाती हैं. शाम के करीब 7:30 बज रहे थे. वो डोरबेल बजती हैं. राधिका अभी भी नशे की हालत में बे-सुध बिस्तेर पर पड़ी हुई थी. जब 3 बार निशा बेल बजाती हैं तब जाकर राधिका को होश आता हैं. और वो उठती हैं और अपना मूह धोकर दरवाजा खोलने चली जाती हैं. नशे की हालत में उसके पाँव डगमगा रहे थे.

जैसे ही वो दरवाजा खोलती हैं सामने निशा को देखकर राधिका चौंक जाती हैं.

राधिका- निशा.....त....तुम.???

निशा जब राधिका की हालत देखती हैं तो उसके पाँव तले ज़मीन खिसक जाती हैं.

निशा- ये तुमने अपनी क्या हालत बना रखी हैं राधिका. और तुमने तो शराब पी रखी हैं. ओह माइ गॉड. आइ कॅन'ट बिलीव. और इतना कहकर निशा राधिका को सहारा देकर उसे उसके बेडरूम में ले आती हैं.

राधिका- बता ना निशा कैसे आना हुआ. राहुल की पार्टी ठीक रही ना. अरे आने से पहले कम से कम एक फोन तो कर दिया होता.

निशा का गुस्सा सातवे आसमान पर था उसे बिल्कुल बर्दास्त नहीं होता और वो कसकर एक जोरदार थप्पड़ राधिका के गाल पर जड़ देती हैं. राधिका के आँख से आँसू छलक पड़ते हैं. राधिका अपने गाल पर हाथ रखकर अपना सिर नीचे झुका लेती हैं.

निशा- और कितना नीचे गिरगी तू राधिका. बदल तो तुम बहुत पहले ही चुकी हो. मगर इतना बदल जाओगी मैने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. कल तक जो राधिका अच्छे बुरे में फ़र्क समझती थी आज तुमने उस राधिका को मार डाला हैं. क्या मैं पूछ सकती हूँ कि राहुल के इतना बुलाने पर भी तुमने वहाँ जाना ज़रूरी क्यों नही समझा. क्या मैं पूछ सकती हूँ कि तुमने शराब को हाथ क्यों लगाया. क्या मैं पूछ सकती हूँ कि आख़िर तुम अपने आप को किस बात की सज़ा दे रही हो. मुझे इसका जवाब चाहिए.

राधिका चुप चाप गम्सम सी रहती हैं मगर कोई जवाब नही देती. तभी राहुल का फोन आता हैं. निशा फोन रेसीव करती हैं.

राहुल- कैसी हैं मेरी राधिका. अगर तुम उसके पास हो तो मुझे उससे बात करवाओ.

निशा एक नज़र राधिका को देखती हैं फिर बोलती हैं- राहुल मैं इस वक़्त राधिका के पास ही हूँ. वो बिल्कुल ठीक हैं. घबराने की कोई बात नहीं है. अभी दवाई ली हैं और आब वो सो रही हैं. तुम्हारे पार्टी का क्या हुआ.??

राहुल- ठीक हैं निशा वेरी वेरी थॅंक्स तुमने मेरी टेन्षन ख़तम कर दी. चलो मैं कल राधिका से मिल लूँगा. और अभी गेस्ट्स आए हुए हैं. पार्टी देर रात तक चलेगी. तुम भी अपने घर चली जाना. इतना कहकर राहुल फोन रख देता हैं.

फिर निशा एक कॉल अपने घर पर करती हैं और अपने मम्मी को बता देती हैं कि वो आज रात घर नहीं आएगी. वो आज राधिका के पास रुकेगी उसकी तबीयत खराब हैं. उसकी मम्मी भी उसको पर्मिशन दे देती हैं और निशा फोन रख देती हैं.

राधिका एक नज़र निशा को देखती हैं फिर अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं.

राधिका- तुमने झूट क्यों बोला राहुल से. राधिका सवालियों नज़र से निशा की ओर देखते हुए बोली.

निशा- तो ये बता देती कि तुम इस वक़्त शराब के नशे में हो. और तुमने शराब पी रखी हैं. अगर ये बात राहुल को पता लगती तो जानती हो उसके दिल पर क्या बितति. मुझे समझ नही आ रहा तुम ऐसा क्यों कर रही हो.
 
थोड़ी देर तक राधिका खामोश रहती हैं तो निशा भी बाथरूम में चली जाती हैं तभी कृष्णा भी घर आ जाता हैं. मेन डोर खुला हुआ था इस लिए वो सीधा घर के अंदर आता हैं और राधिका के पास जाकर उसके बाजू में बैठ जाता हैं. फिर वो राधिका के कंधे पर अपना हाथ रखकर उसे बड़े प्यार से देखता हैं. कृष्णा ये बात नहीं जानता था कि इस वक़्त निशा भी उसके घर में मौजूद हैं.

कृष्णा- आज भी तुमने शराब पी रखी हैं. राधिका क्या मैं तेरी शराब पीने की वजह जान सकता हूँ.

राधिका मंन हो मंन माना रही थी कि उसके भैया कोई ऐसी वैसी हरकत ना करे जिससे निशा को पता चल जाए. वो जैसे ही निशा के बारे में कुछ बोलने के लिए अपना मूह खोलती हैं वैसे ही कृष्णा अपने होंठ राधिका के होंठो पर रख देता हैं. ये राधिका की बदक़िस्मती ही थी कि कृष्णा अपना होंठ राधिका के लिप्स पर रखकर उसे चूसने लगता हैं तभी निशा भी कमरे में आ जाती हैं. निशा के कदमों की आहट सुनकर कृष्णा चौक कर राधिका से दूर हट जाता हैं मगर निशा सब कुछ अपनी आँखों से देख चुकी थी. कृष्णा निशा को अपने आँखों के सामने देखकर वो झट से घर के बाहर निकल जाता हैं.

मगर राधिका के दिल में निशा के प्रति दोस्ती का डर बैठ जाता हैं. वो अब जानती थी कि आब निशा उसपर बरस पड़ेगी. जो वो बात छुपाना चाहती थी अब वो निशा के सामने खुल चुकी थी.

निशा- तो ये वजह हैं. मैं भी कितनी बेवकूफ़ हूँ इतना भी नही समझ सकी कि तू ये सब अपने भैया के लिए ही तो कर रही हैं. मैं ठीक कह रही हूँ ना.

राधिका- मुझे माफ़ कर दे निशा. सारा कसूर मेरा हैं. इसमें मेरे भैया का कोई दोष नहीं. मैं ही बहक गयी थी.

निशा- शरम आती हैं राधिका मुझे तुझ पर. जिस भाई बेहन के रिशे को लोग पूजते हैं. उसको पवित्रता की मिसाल देते हैं. तूने उन्ही रिश्तों की धज्जियाँ उड़ा दी और तो और तुमने उन पवित्र रिश्तों को कलंकित भी कर दिया. समझ में नही आता कि मैं तुझसे क्या कहु. और इतना कहते कहते निशा के आँखों से आँसू आ जाते हैं......

राधिका फिर आगे बढ़कर निशा के बहते आँसू को पोछती हैं- हाथ मत लगा मुझे अब मेरा तेरे से कोई वास्ता नहीं. मैं जा रही हूँ हमेशा हमेशा के लिए तेरी ज़िंदगी से दूर. ये समझ लेना कि निशा कभी तेरी ज़िंदगी में आई ही नही थी. मैं अब तेरे लिए मर चुकी हूँ और तू अब मेरे लिए. हां और एक बात अच्छा होगा कि तू राहुल को सब कुछ सच सच बता देना शायद वो तेरी नादानी को माफ़ कर दे. इतना बोलकर निशा कमरे से निकलने लगती हैं.

राधिका- रुक जा निशा. भगवान के लिए मत जा मुझे ऐसे छोड़ कर. मेरी ग़लती की इतनी बड़ी सज़ा मत दे मुझे . इससे अच्छा तो तू मुझे कहीं से ज़हर लाकर दे दे. मैं तो खुद जीना नहीं चाहती. अगर तू एक भी कदम आगे बढ़ाई तो मैं सच में अपनी जान दे दूँगी. राधिका वही रखा ब्लेड उठा लेती हैं और जैसे ही वो अपने हाथों की नस पर रखती हैं निशा का एक और ज़ोर का थप्पड़ उसकी गालों पर पड़ता हैं और ब्लेड उसकी हाथों से छूट कर नीचे गिर जाता हैं.

निशा ज़ोर से चिल्लाते हुए- तू क्या समझती हैं कि तुझे ही सिर्फ़ जान देना आता हैं. ये काम मैं भी कर सकती हूँ मगर मरने से किसी भी प्राब्लम का सल्यूशन नहीं निकलता.

इस वक़्त दोनो की आँखों में आँसू थे. निशा आगे बढ़कर राधिका को अपने सीने से लगा लेती हैं और एक हाथ बढ़कार उसकी आँखों से बहते आँसू पोछ देती हैं.

निशा- ठीक हैं मैं कहीं नही जाउन्गि मगर तुझे फिर से पहले वाली राधिका बनना होगा. बोल तू मेरे लिए इतना कर सकती हैं.

राधिका भी निशा के सीने लग जाती हैं और फुट फुट कर रोने लगती हैं.......

दोनो की आँखें नम थी. ना राधिका कुछ बोल पा रही थी और ना ही निशा. थोड़ी देर तक वो दोनो ऐसे ही गुम्सुम रहते हैं. फिर राधिका उठकर किचन की ओर जाने लगती हैं. राधिका को ऐसे जाते देखकर निशा बोलती हैं

निशा- कहाँ जा रहीं हैं राधिका.

राधिका- आज क्या भूका रहने का इरादा हैं. मैं तेरे लिए खाना बनाने जा रही हूँ.

निशा- तू ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रही हैं और तू मेरे लिए खाना बनाएगी. चल तू आराम कर मैं आज बना देती हूँ.
 
फिर निशा राधिका को बिस्तेर पर सुला देती हैं और जाकर किचन में खाना बनाने लगती हैं. थोड़े देर में कृष्णा भी आ जाता हैं. वो चुप चाप अपने कमरे में बैठा रहता हैं. उसकी हिम्मत नहीं होती की वो निशा का सामना भी करे. थोड़ी देर में निशा खाना रेडी करके कृष्णा को खाना खाने के लिए बोलती हैं. वो भी चुप चाप खाना खाने बैठ जाता हैं. वही निशा भी आकर बैठ जाती हैं.

निशा को सामने बैठा देखकर कृष्णा की दिल की धड़कन बढ़ जाती हैं और वो चुप चाप अपनी गर्देन झुका कर खाना खाने लगता हैं.

निशा- भैया आपसे एक बात कहनी थी मुझे. अगर आप बुरा ना मानो तो.....................

कृष्णा निशा की तरफ़ सवालियों नज़र से देखने लगता हैं फिर हां में इशारा करता हैं.

निशा- राधिका ने शराब पीना कब से शुरू किया. और इन सब के पीछे उसकी क्या मजबूरी हैं. वो क्यों ऐसा कर रही हैं. और मैं जानती हूँ कि राधिका ने आपसे जिस्मानी संभंध भी कायम कर लिया हैं . क्या हैं इसके पीछे वजह जो वो अपने भाई के साथ.......मुझे सारे सवालों का जवाब चाहिए. अभी इसी वक़्त. निशा कृष्णा की आँखों में देखकर बोली.

कृष्णा कुछ पल खामोश रहता हैं मगर वो भी अब जान चुका था कि निशा से अब कोई भी बात छुपाने से फ़ायदा नहीं हैं.

कृष्णा- बात कुछ दिन पहले की हैं एक दिन राधिका के पास एक अननोन नंबर से कॉल आया. और कृष्णा धीरे धीरे निशा को वो सारी बातें बता देता हैं जब वो एक रंडी के साथ राधिका द्वारा रंगे हाथों पकड़ा गया था. जो कुछ भी बातें थी वो सब कृष्णा निशा के सामने एक एक कर खुली किताब की तरह रख देता हैं. निशा भी कुछ देर यूँ ही खामोश रहती हैं .

निशा- आपने ये ठीक नहीं किया. दुनिया की कोई भी औरत ये कभी बर्दास्त नही कर सकती कि उसका भाई या पिता किसी रंडी के साथ ऐसी अवस्था में मिले.शायद यही वजह हैं कि राधिका को गहरा धक्का लगा. आपने तो ना सिर्फ़ उसके विश्वास को तोड़ा हैं बल्कि उसकी आत्मसामान को भी ठेस पहुँचाई हैं. वो इसी सदमे की वजह से उसने शराब को अपनाया हैं. आज राधिका की हालत के ज़िम्मेदार आप हैं. मगर राधिका ने इतना सब कुछ होने की वजह से भी आपके साथ जिस्मानी रिस्ता क्यों कायम किया. क्या आपको इसकी वजह मालूम हैं.

कृष्णा- नहीं मैने भी कई बार उससे पूछने की कोशिश की मगर उसने मुझे कुछ नहीं बताया.

निशा के सामने हज़ारों सवाल खड़े हो गये थे. कौन थी वो औरत जिसने राधिका के पास फोन करके उसे अपने ही भैया की करतूत को उसके सामने दिखाया. इसका मतलब वो जो कोई भी हैं वो हर पल राधिका पर नज़र लगाए बैठी हुई हैं. आख़िर उसे ये सब करने से क्या हासिल होगा. कहीं ये कोई साजिश तो नही रची जा रही राधिका के खिलाफ. हे भागवान ये सब करने के पीछे पता नहीं कहीं किसी की कोई गहरी चाल तो नहीं. ये भी तो हो सकता हैं कि वो औरत सिफ्र मोहरा हो और उसके पीछे कोई और हो.

निशा का अंदाज़ा काफ़ी हद तक सही था मगर सिर्फ़ अंदाज़ लगाने से किसी भी प्राब्लम की जड़ तक नहीं पहुँचा जाता. थोड़ी देर में निशा भी खाना खा लेती हैं और राधिका को भी खाना देती हैं. राधिका खाना खाकर तुरंत सो जाती हैं. नशे की वजह से उसे कुछ भी होश नहीं रहता . निशा भी राधिका की बगल में लेट जाती हैं और बहुत देर तक वो इन सब सवालों के जवाब ढूँडने में लगी रहती हैं. मगर उसे कुछ समझ नहीं आता. फिर थोड़ी देर के बाद वो भी सो जाती हैं.

सुबेह जब राधिका की आँख खुलती हैं तो निशा भी उसके बाजू में सोई रहती हैं. वो झट से उठती हैं और जाकर फ्रेश होती हैं. थोड़े देर में निशा भी उठ जाती हैं. थोड़ी देर में वो नाश्ता करती हैं और फिर निशा अपने घर के लिए निकल पड़ती हैं. कृष्णा भी एक कमरे में चुप चाप बैठा रहता हैं और कुछ सोचता रहता हैं. कृष्णा को ऐसे गहरे विचारों में खोया देखकर राधिका उसके पास जाती हैं और जाकर उसके लिप्स को चूम लेती हैं.

राधिका- गुड मॉर्निंग भैया. क्या बात हैं आज आप बड़े गुम्सुम से लग रहे हैं. निशा ने कहीं आपसे कुछ कहा तो नहीं.

कृष्णा- नहीं राधिका ऐसी कोई बात नहीं हैं. बस ऐसे ही.

राधिका- तो क्या मैं जान सकती हूँ कि आपके चेहरे पर उदासी की वजह. आपको इतना सीरीयस मैने कभी नहीं देखा.

कृष्णा- राधिका मुझे लगता हैं अब जो हमारे बीच हो रहा हैं वो ठीक नही हैं.शायद हम अपनी हद भूल गये हैं.

राधिका- आपको क्यों ऐसा लगने लगा. आब सब कुछ करने के बाद पछताना कैसा. जो हो रहा हैं वो होने दो. अब मुझे किसी भी चीज़ से कोई ऐतराज़ नहीं हैं. आपकी खुशी में मेरी खुशी हैं. और मैं तो यही चाहती हूँ कि मेरे भैया जैसे रहे वो खुश रहें.

कृष्णा- मुझे लगता हैं कि तू मुझसे कुछ छुपा रही हैं. राधिका तुझे मेरी कसम सच सच बता क्या मेरे से जिस्मानी रिस्ता बनाने के पीछे तेरी कौन सी वजह हैं. मैं सच जानना चाहता हूँ.

राधिका थोड़े देर चुप रहती हैं - मैं आपको फिलहाल अभी नहीं बता सकती मगर यकीन मानिए भैया वक़्त आने पर आपको पता चल जाएगा. इतना बोलकर राधिका किचन में चली जाती हैं...
 
वक़्त के हाथों मजबूर--30

थोड़ी देर के बाद कृष्णा भी अपने काम पर चला जाता हैं. राधिका बहुत देर तक इसी सोच में रहती हैं कि आज जो भी हो वो अपना नाजायाज़ रिश्ता (अपने भैया के साथ) को अब राहुल को बता देगी. चाहे अंजाम जो भी हो. तभी राहुल का फोन आता हैं.

राहुल- मैं आभी तुम्हारे घर पर तुम्हें लेने आ रहा हूँ. तैयार रहना. बस इतना बोलकर राहुल फोन रख देता हैं और राधिका चाह कर भी कुछ नहीं बोल पाती. वो तो राहुल से दूरी बनाना चाहती थी मगर इश्क़ के रोग का कोई इलाज़ नहीं. एक तरफ राधिका राहुल से दूरी बनाना चाहती थी वही दूसरी तरफ हर पल उसे राहुल का इंतेज़ार रहता था.

थोड़ी देर में राहुल भी आ जाता हैं और राधिका भी फ्रेश होकर तैयार रहती हैं. अंदर आते ही राहुल राधिका को अपनी गोद में उठा लेता हैं और अपना लिप्स राधिका के लिप्स पर रख कर उसे बड़े प्यार से चूसने लगता हैं. जवाब में राधिका भी अपनी आँखें बंद कर के राहुल का पूरा साथ देती हैं.

राधिका- ओ.ह ....मिस्टर. आशिक़ अब तो मुझे नीचे उतारो. या यूँही ही मुझे अपनी गोद में उठाए रहोगे.

राहुल- यार तुम तो पहले से भारी हो गयी हो. पिछली बार उठाया था तो तुम्हारा वजन कम था. बोलो ना क्या खाती हो. मैं भी अपना वजन बढ़ाउंगा. साला पोलीस की नौकरी जब से जाय्न की हैं सब चीज़ तो बढ़ गया मगर वजन घट गया. राहुल मुस्कुराते हुए बोला.

राधिका- हरी सब्ज़ी खाया करो और साथ में दूध पिया करो. देख लेना कुछ दिन में तुम्हारा वजन भी बढ़ जाएगा और ताक़त भी.

राहुल- हरी सब्ज़ियाँ तो मैं खा लूँगा पर दूध का इंतज़ाम कहाँ से करूँगा. मैं तो शुद्ध दूध पीता हूँ.

राधिका- अरे इस सहर में कितने सारे डेरी फार्म हैं. वहाँ से किसी के यहाँ से मंगवा लेना.

राहुल- मैं उस दूध की बात थोड़ी ना कर रहा हूँ. मैं तो तुम्हारे दूध की बात कर रहा हूँ. अपना दूध मुझे डेली पिलाया करो. देख लेना मैं एकदम हेल्ती हो जाउन्गा. राहुल मुस्कुरा कर बोला.

राधिका शरम से अपनी नज़रें झुका लेती हैं और उसका चेहरा शरम से लाल हो जाता है.

राधिका- सच में राहुल तुम बहुत बे-शरम हो गये हो. तुम्हें तो हर वक़्त ये सब बातें ही सुझति रहती हैं.

राहुल- अरे भाई बीवी से शरमाउंगा तो कैसे काम चलेगा. आदमी शादी इसलिए ही तो करता हैं कि वो जल्द से जल्द बे-शरम बने. नहीं तो ज़िंदगी भर अपने आप को नंगा देखने में भी शरमाएगा. और शादी के बाद तो आदत सी हो जाती हैं बिना कपड़ों के रहने की. सच कहा ना.

राधिका- तुम नहीं सुधरोगे. वैसे आज क्या प्लान हैं.

राहुल- तुम्हारी तबीयात तो अब ठीक हैं ना. फिर चलो आज तुम्हें एक जगह ले चलता हूँ. और राहुल राधिका को अपने कार में बैठा कर निकल जाता हैं. थोड़ी देर के बाद राहुल एक जगह अपनी कार पार्क करता हैं. राधिका की नज़र सामने बने होटेल पर पड़ती हैं तो वो अस्चर्य से राहुल की ओर देखने लगती हैं. होटेल ले-कपरिकूस. ये वही होटेल था जब राधिका प्रशांत को सबक सिखाने के लिए उसे यहाँ पर लाई थी. मगर राहुल उसे इतने महँगे होटेल में ले जाएगा उसने कभी सोचा नहीं था.

राहुल- तुम यहाँ पहले भी आ चुकी हो. आओ आज मेरे साथ चलकर इस आलीशान होटेल में खाना खाते हैं. राधिका राहुल के साथ होटेल में एंटर होती हैं और वही पुराना वेटर उसे वहाँ पर दिखाई देता हैं. वेटर एक नज़र राधिका को देखता हैं फिर राहुल को बड़े गौर से देखने लगता हैं. राहुल और राधिका जाकर एक सीट पर बैठ जाते हैं. थोड़े देर में वही वेटर राधिका के पास आता हैं और उसके कान के पास धीरे से बोलता हैं-- क्या मेडम आज भी आप इस बकरे को फँसा कर लाई हैं. क्या इसकी भी ऐसी ही सेवा करनी हैं जैसे की पिछली बार की थी.
 
राधिका- आप जो समझ रहे हैं वैसा कुछ नहीं हैं. और वैसे भी ये एसीपी हैं. और ये मेरे होने वाले पति हैं. राधिका मुस्कुराते हुए बोली.

इतना सुनकर वेटर वहाँ से चला जाता हैं और दूसरा वेटर आकर ऑर्डर लेता हैं. राहुल मेमो राधिका को थमा देता हैं.

राहुल- जो दिल में आए वो ऑर्डर करो. आज मैं तुम्हारी पसंद का खाना खाउन्गा.

राधिका- सोच लो राहुल कहीं पिछली बार वाले लड़के की तरह तुम्हें भी महँगा ना पड़ जाए.

राहुल- अरे लोग तो प्यार में जान तक दे देते हैं. मैं तुम्हारे लिए बर्तन भी नहीं सॉफ कर सकता.

राधिका राहुल के जवाब से झेप जाती हैं और चुप चाप मेनू को देखने लगती हैं. फिर थोड़ी देर में वेटर आता हैं और ऑर्डर ले जाता हैं.

राहुल- मैं तुमसे एक बहुत ज़रूरी बात करना चाहता हूँ.

राधिका एक नज़र राहुल को देखते हुए- क्या बात हैं राहुल???

राहुल- हम अगले महीने शादी कर रहे हैं. मैने पंडितजी से मुहूरत भी निकलवा लिया हैं. 21 जून को पंडित जी ने डेट फिक्स किया हैं. और तुम्हारी मेरी कुंडली भी मिल गयी हैं. बस शादी के कार्ड्स एक दो दिन में मिल जाएँगे.

राधिका- राहुल इतनी जल्दी क्या है शादी की. मुझे थोड़ा और वक़्त चाहिए. मैं अभी इन सब चीज़ों के लिए तैयार नहीं हूँ.

राधिका के मूह से ऐसा जवाब सुनकेर राहुल हैरत से राधिका को देखने लगता हैं- क्या जान तुम खुश नही हो. मैं तो समझा था कि तुम ये खबर सुनकर खुशी से फूली नहीं समाओगी. आख़िर किस बात के लिए तुम तैयार नहीं हो. जो सब पति पत्नी के बीच होता हैं वो सब कुछ तो हमारे बीच हो चुका हैं. बस मैं उन रिश्तों को नाम दे रहा हूँ. और तुम्हारे भैया भी तो हमारी शादी के लिए राज़ी हैं. फिर क्या वजह हैं.

राधिका- वो सब तो ठीक हैं राहुल पर प्लीज़ मुझे थोड़ा और वक़्त चाहिए. मैं तुम्हारे फ़ैसले से बहुत खुस हूँ.

राहुल- ठीक हैं तो मैं पंडित जी से बात करके शादी की तारीख आगे बढ़वा देता हूँ.

राधिका- नहीं राहुल ऐसा करने की कोई ज़रूरत नहीं हैं. फिर ठीक हैं जैसे तुम्हें अच्छा लगे. मुझे कोई ऐतराज़ नहीं हैं. तुम जब बोलॉगे मैं तुमसे शादी करने के लिए तैयार हूँ.

राहुल खुशी से झूम उठता हैं. फिर वो दोनो खाना कहते हैं और राहुल पेमेंट करके राधिका को अपनी कार में जाने को कहता हैं. थोड़ी देर के बाद राहुल राधिका को अपने घर ले जाता हैं और सीधा उसे अपने बेडरूम में ले जाता हैं.

राहुल- अपने कपड़े उतारो. मुझे आज कल तुम इन कपड़ों में बिल्कुल अच्छी नहीं लगती. राहुल मुस्कुराते हुए बोला.

राधिका- कुछ तो शरम करो. दिन ब दिन तुम्हारी बे-शर्मी बढ़ती जा रही हैं.

राहुल राधिका के करीब आता हैं और कसकर अपने दोनो हाथों से राधिका के बूब्स मसल देता हैं और अपना लिप्स राधिका के लिप्स पर रखकर उसे चूसने लगता हैं.

राहुल- मैं अपने प्रमोशन का गिफ्ट ही तो माँग रहा हूँ. बस एक बार उतार दो ना अपने सारे कपड़े.

राधिका- अच्छा गिफ्ट का शौक भी हैं और गिफ्ट खोलने से डरते भी हो. अगर यही तुम्हारा गिफ्ट हैं तो खुद ही आकर अपना गिफ्ट खोल लो. दूसरे का तोहफा कोई दूसरा नहीं खोलता. राधिका धीरे से मुस्कुराते हुए बोली. राहुल राधिका की बात समझ जाता हैं और झट से राधिका के पास आकर उसे अपने सीने से लगा लेता हैं और अपना होंठ राधिका के होंठ पर रखकर उसे धीरे धीरे चूसने लगता हैं...................................
 
राहुल- जो हुकुम साहिबा. और राहुल राधिका के पीछे जाकर अपने दोनो कठोर हाथों से राधिका के बूब्स को कसकर मसल्ने लगता हैं. राधिका के मूह से सिसकारी निकल जाती हैं. फिर राहुल अपना होंठ राधिका के पीठ पर रखकर उसकी गर्देन तक अपना जीभ फिराता हैं. राधिका को अब बर्दास्त के बाहर हो जाता हैं और वो तुरंत राहुल के सीने से लिपट जाती हैं. फिर राहुल एक एक कर राधिका के कपड़े उतारना शुरू करता हैं. पहले सूट फिर लॅगी. कुछ देर में राधिका बस ब्रा और पैंटी में राहुल के सामने खड़ी थी. वो फिर अपना हाथ राधिका के पीठ के पीछे ले जाता हैं और उसके ब्रा के स्ट्रॅप्स को खोल देता हैं और दूसरे हाथ नीचे लेजा कर उसकी पैंटी भी उसके बदन से अलग कर देता हैं.

अब राधिका राहुल के सामने पूरी नंगी अवस्था में खड़ी थी. राहुल बड़े गौर से राधिका के बदन को देखने लगता हैं.

राधिका- ऐसे क्या देख रहे हो राहुल.मुझे शरम आती हैं. कभी मुझे ऐसे नहीं देखा क्या.

राहुल- सच कहूँ राधिका जब तुम मेरी बीवी बन जाओगी तब तुम्हें मेरे घर में बिना कपड़ों के रखूँगा. जैसे अभी हो. तुम ऐसा ही नंगी अच्छी लगती हो. मैं सुबेह शाम बस तुम्हारे इस सुंदर रूप का दीदार करूँगा.

राहुल राधिका के करीब आता हैं और अपना जीभ राधिका के निपल्स पर रखकर उसे बारी बारी से चूसने लगता हैं. राधिका पूरी तरह से गरम हो चुकी थी. वो भी अपना हाथ राहुल के सिर पर रखकर उसे सहलाती हैं. फिर राहुल नीचे आता हैं और राधिका की चूत पर अपना मूह रखकर उसके क्लीस्टोरील्स को अपने दाँतों से कुरेदने लगता हैं. जवाब में राधिका भी अपनी दोनो टाँगें फैला कर राहुल का पूरा समर्थन करती हैं. उसकी चूत से भी पानी बह रहा था और धीरे धीरे वो भी अपने ऑर्गॅनिसम के करीब पहुँच रही थी. ऐसे ही करीब 10 मिनिट तक राहुल राधिका की चूत पर अपनी जीभ फिराता हैं और राधिका का सब्र टूट जाता हैं और वो झरने लगती हैं. दिन ब दिन राधिका के अंदर उसके बदन की आग बढ़ती ही जा रही थी.

राहुल भी उठता हैं और राधिका को अपनी गोद में उठाकर बिस्तेर पर सुला देता हैं फिर अपने भी पूरे कपड़े निकाल कर अपना लंड राधिका के मूह के सामने रख देता हैं. राधिका भी अपनी जीभ आगे बढ़ाकर राहुल का लंड को अपने मूह में लेती हैं और धीरे धीरे चूसना शुरू करती हैं.

राधिका- राहुल आज तुम अपना लंड पूरा मेरे मूह में डालकर चोदो ना. देख लेना तुम्हें बहुत मज़ा आएगा.

राहुल तो कब से यही चाहता था मगर वो थोड़ा राधिका से झीजकता था कि कहीं राधिका को ये सब अच्छा ना लगे. और अगले ही पल वो धीरे धीरे अपने लंड पर दबाव डालना शुरू करता हैं और धीरे धीरे राधिका के मूह में राहुल का लंड अंदर जाने लगता हैं. राधिका को भी इसी तरह का सेक्स में मज़ा आता था. वो तो हमेशा से यही चाहती थी कि राहुल उसको बुरी तरह से रगड़े. मगर राहुल राधिका को कोई तकलीफ़ नहीं पहुँचना चाहता था. धीरे धीरे राहुल अपना पूरा लंड राधिका के मूह में डाल देता हैं और एक दम धीरे धीरे आगे पीछे करने लगता हैं. कुछ देर में राहुल अपना पूरा लंड राधिका के हलक तक पहुँचाने में सफल हो जाता हैं. राधिका को उतनी तकलीफ़ नही होती जितनी उसे अपने भैया का लंड को अपने मूह में लेने से हुई थी. राहुल का लंड राधिका के हलक में था और वो उसी पोज़िशन में कुछ देर तक अपना लंड रहने देता हैं.

राधिका की भी तकलीफ़ बढ़ने लगती हैं मगर वो राहुल को अपना लंड बाहर नहीं निकालने देती. राहुल का भी सब्र टूट जाता हैं और वो राधिका के गले में ही अपना कम निकाल देता हैं.और राधिका राहुल का पूरा कम अपने गले के नीचे उतार देती हैं. राहुल हैरत से राधिका के इस वाइल्ड सेक्स को देखने लगता हैं.

राहुल- कमाल का लंड चुसती हो राधिका तुम तो. और कहाँ से सीखा तुमने ये सब. तुम तो कोई प्रोफेशनल रंडी की तरह लंड चुसती हो.

राधिका घूर कर राहुल को देखती हैं- जाओ मैं तुमसे बात नहीं करती.

राहुल- तुम तो बात बात पर बुरा मान जाती हो. मैं तो बस तुम्हारी तारीफ ही तो कर रहा था.

राधिका- अच्छा अच्छा ज़्यादा मक्खन मत लगाओ. अब मेरी आग को भी ठंडा करो. फिर राधिका थोड़ी देर तक राहुल का लंड चुस्ती हैं और उसके टिट्स भी अपने जीभ से चाटती हैं. राहुल का लंड फिर से खड़ा हो जाता हैं और अब वो राधिका की चूत पर अपना लंड का सुपाडा रखकर एक झटके में पूरा लंड अंदर पेल देता हैं. राधिका के मूह से ऊऔच........... की एक आवाज़ आती हैं और फिर सिसकारी धीरे धीरे बढ़ने लगती हैं. राहुल फिर पूरी गति से अपना लंड राधिका की चूत में अंदर बाहर करता हैं और करीब 15 मिनिट में वो राधिका की चूत में अपना कम डाल देता हैं. राधिका भी झर जाती हैं और वही राहुल के सीने पर अपना सिर रखकर लेट जाती हैं. दोनो की साँसें एक दम तेज़ चल रही थी. थोड़ी देर के बाद राहुल भी अपने कपड़े पहन लेता हैं और राधिका भी तैयार हो जाती हैं.

राहुल- तुम खुश तो हो ना राधिका मेरे साथ.

राधिका बड़े गौर से राहुल के चेहरे की ओर देखने लगती हैं फिर उसके सीने से लिपट जाती हैं और अपने लब राहुल के लब पर रखकर चूम लेती है- मैं बहुत खुस हूँ राहुल मगर मुझे तुमसे कुछ बात करनी हैं. समझ में नही आता कि कैसे कहूँ.

राहुल- बोल ना जान भला ऐसी कौन सी बात हैं.
 
राधिका इसी अस्मन्झस में थी कि वो राहुल को सारी बातें बता दे मगर उसके अंदर थोड़ी भी हिम्मत नही थी कि वो राहुल के सामने सच कह सके. लाख कोशिशों के बावजूद वो कुछ नहीं बोल पाती.

राहुल- ऐसी क्या बात हैं जान जो तुम मुझसे कह नहीं पा रही हो. सब ठीक तो हैं ना.

राधिका- हां राहुल मैं तो ये कह रही थी कि कृष्णा भैया भी मुझे बहुत प्यार करते हैं और वो मेरे बगैर नहीं रह पाएँगे. ......

राहुल- अरे यार तुम तो इतनी छोटी सी बात से तुम परेशान हो. कोई बात नहीं ये तो हर भाई बेहन के बीच में ऐसा प्यार रहता हैं. और तुम इसी सहर में तो रहोगी मेरे साथ. जब भी तुम्हें अपनी भैया की याद आए तुम चली जाना उनसे मिलने. अब तो खुश हो ना.

राधिका तो चाहती थी कि वो कृष्णा और उसके बीच नज़ायज़ रिश्ते को बताए मगर राधिका चाह कर भी कुछ नहीं बोल पाती. वो भी भाग्य के भरोसे अपनी किस्मेत पर छोड़ देती हैं.

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वक़्त अपनी रफ़्तार से गुजर रहा था और इधेर बिहारी भी पार्वती को उपर पहुँचने का प्लान पूरा कर चुका था बस इंतेज़ार था उसे सही वक़्त का. और वो वक़्त बहुत जल्द आने वाला था. बिहारी ने एक ऐसा चक्रव्यूह रचा था जिसको भेद पाना अच्छे अच्छे इंसान के बस में नहीं था. इस चक्रव्यूह में ना जाने बिहारी ने कितनी ज़िंदीगियों को दाँव पर लगा दिया था. पर जो भी आगे होने वाला था ये ना ही पार्वती के लिए अच्छा था और ना ही राधिका के लिए

पार्वती भी डाइवोर्स के पेपर्स अपने वकील द्वारा बनवा ली थी. इंतेज़ार था तो बस उसपर बिहारी और पार्वती के साइन का. पार्वती ने कुछ ऐसी दलीले पेश किया था जिसके वजह से उसका पलड़ा भारी था और बिहारी का सपना जो पार्वती के हाथों दौलत पाने का था उसपर जल्दी ही पानी फिरने वाला था. और बिहारी ये नहीं चाहता था कि उसके हाथों वो दौलत निकले.

उधेर राधिका भी दिन में राहुल के साथ सेक्स करती और रात में अपने भैया का बिस्तेर गरम करती. वो अब धीरे धीरे सेक्स की अडिक्ट होती जा रही थी. धीरे धीरे उसका शराब पीना भी बढ़ने लगा. और सिगरेट की तो कोई गिनती नहीं थी. वक़्त बीत रहा था.

एक शाम.............शाम के 7 बज रहे थे. हल्का अंधेरा छाने लगा था. और मौसम भी खराब था. तेज़्ज़ हवायें चल रही थी. पार्वती को कल किसी भी हालत में डाइवोर्स चाहिए था इस वजह से वो वकील से मिलने उसके पास अपनी कार से जा रही थी. और उधेर राधिका भी निशा के घर गयी हुई थी. वो भी उस वक़्त अपने घर को लौट रही थी. बीच में रास्ता पूरा सुनसान था. चारों तरफ घने पेड़ थे. ना कोई गाड़ी आ जा रही थी और ना ही कोई आदमी दिखाई दे रहा था. वैसे राधिका तो इस रास्ते से कम ही जाती थी मगर आज वो ऑलरेडी बहुत लेट थी तो उसने सोचा चलो शॉर्टकट रास्ता अपनाया जाए. और वो ये सोचकर उस रास्ते से अपने घर की ओर चल देती हैं.

उधेर पार्वती जब उसी रास्ते से गुजरती हैं तो बीच सड़क पर एक आदमी सोया रहता हैं. वो घबराकर अपनी कार रोक देती हैं और नीचे उतरकर उस शक्श के पास जाती हैं. हिम्मत तो उसे भी नहीं हो रही थी मगर सोचने वाली बात ये थी कि इस समय ये आदमी बीच सड़क पर क्यों सोया हुआ हैं. कहीं कोई आक्सिडेंट तो नहीं हो गया. पार्वती अपने थिरकते कदमों से उस शक्श के पास जाती हैं और उसके पीठ पर अपना हाथ रखकर उसे उठाती हैं. मगर उस आदमी में कोई हलचल नहीं होती. डर तो उसे बहुत लग रहा था मगर वो करे भी तो क्या करे.

तभी पीछे से किसी के कदमों की आवाज़ सुनाई देती हैं. पार्वती झट से पीछे मुड़ती है तभी उसके पीछे एक नकाबपोश खड़ा रहता हैं हाथों में चाकू लिए. ये नज़ारा देखकर पार्वती के होश उड़ जाते हैं. इसी पहले कि पार्वती कुछ हरकत करती जो ज़मीन पर सोया हुआ नकाबपोश उसके पीछे खड़ा हो जाता हैं और एक धरधार चाकू से पार्वती के पीठ पर चाकू घोप देता हैं. पार्वती की दर्द भरी चीख निकल पड़ती हैं. पार्वती पीछे मुड़ती तब तब सामने वाला नकाबपोश उसके पेट में दूसरा चाकू घोप देता हैं. पार्वती की फिर एक दर्दनाक चीखें निकल पड़ती हैं. फिर एक साथ दोनो नकाबपोश आगे पीछे से एक एक चाकू उसके पीठ और पेट पर मार देते हैं. पार्वती वहीं ज़मीन पर गिर पड़ती हैं उसके शरीर से खून बहने लगता हैं और आँखें बंद होने लगती हैं.
 
इसी पहले कि वो दोनो नकाबपोश पार्वती पर और चाकू से वार करते वहाँ पर राधिका पहुँच जाती हैं और जब उसकी नज़र उन दोनो नकाबपोषों पर पड़ती हैं तब तब वो दोनो भाग जाते हैं. पार्वती की आखरी साँसें चल रही थी. राधिका फ़ौरन पार्वती के पास जाती हैं और जाकर उसे अपने गोद में सुला लेती हैं.....

राधिका- आप कौन हैं और आप पर ये किसने हमला किया.

पार्वती- देखो...... बेटी.. मेरे पास समय.....बहुत कम हैं.....मैं बचूंगी नहीं....ये मेरे.........पति के आदमी .....थे.. उसने ही ...मुझे मरवाया हैं...........

राधिका- कौन हैं आपके पति. उसका क्या नाम हैं. बताइए.

पार्वती- बिहारी नाम है.............उसका. वो ... इस ...सहर का.....एमलए हैं. और...मैं उसकी पत्नी हूँ. मगर............ मेरा उससे ....डाइवोर्स होने.....वाला था.. ...मैं उसका ...राज़ जानती हूँ ..... इस वज़ह से वो ........मुझे मरवाना......चाहता हैं....

राधिका- कौन सा राज़??? मैं जानती हूँ उसे बहुत ही कमीना इंसान हैं वो तो.

पार्वती- इस ....सहर में.......ड्रग्स और......रंडी का धंधा .......हो रहा ............है..उसके पीछे........मेरे पति...का हाथ हैं..........और उसका साथ भी हैं.............वो भी .................उससे मिला हुआ हैं...........और वो एक मासूम .........लड़की की ज़िंदगी का................सौदा करना चाहते हैं..........तुम ये सब .पोलीस को बता...देना बेटी.........बस .......अओर मुझे......कुछ नहीं चाहिए......

राधिका इससे पहले कि पार्वती के सवलों का जवाब दे पाती पार्वती अपनी आँखें बंद कर चुकी थी. उसका शरीर ठंडा पड़ गया था. राधिका के भी कपड़े खून से सने हुए थे. वो भी इस वक़्त बहुत डरी हुई थी. वो तुरंत राहुल के पास फोन करती हैं और शॉर्ट में पूरी बात बताती हैं. राहुल करीब 1/2 घंटे में वहाँ पहुचता हैं और राधिका तुरंत भागते हुए राहुल के सीने से लिपट जाती हैं. वो इतनी डरी हुई थी कि उसकी आवाज़ भी सही ढंग से नहीं निकल पा रही थी. राहुल भी उसे अपने सीने से लगा लेता हैं और साथ आए कॉन्स्टेबल्स को पार्वती की डेड बॉडी को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजवा देता है.

राधिका भी इस वक़्त कोई बयान देने की हालत में नही थी और राहुल उसे अकेला अपने घर नहीं छोड़ना चाहता था. वो राधिका को लेकर अपने घर की ओर चल देता हैं. राहुल के मन में हज़ार तारह के सवाल उठ रहे थे मगर वो चाह कर भी इस वक़्त राधिका से कुछ नहीं पूछ सकता था. ये तो आने वाला वक़्त ही बता सकता था कि राहुल बिहारी की खरतर्नाक चाल को समझ पाता हैं या नहीं.
 
राहुल- तुम सब एक एक चीज़ की अच्छी तरह से तलाशी लो. देखो कुछ काम की चीज़ मिलती हैं क्या. और इस कार को भी अपने अंडर में ले लो. अगर कुछ पता चलता हैं तो मुझे फ़ौरन इनफॉर्म करना. मैं राधिका को लेकर अपने घर जा रहा हूँ. और राहुल वहाँ से अपने घर के लिए निकल जाता हैं.

राधिका अभी भी सदमे में थी. वो चुप चाप राहुल के सीने से चिपकी हुई थी.

राहुल- जान पहले अपने कपड़े चेंज कर लो. देखो तुम्हारे कपड़े पर पूरा खून लगा हुआ हैं.
राधिका- मुझे बहुत डर लग रहा हैं राहुल.

राहुल- चिंता मत करो तुम मेरे साथ हो कुछ नहीं होगा. फिर राधिका बाथरूम में जाकर अपने कपड़े चेंज करके आती हैं. फिर थोड़ी देर में रामू काका भी खाना रेडी कर देते हैं और दोनो खाना खाते हैं.

राहुल- एक काम करो अपने भैया को इनफॉर्म कर दो कि तुम आज अपने घर नहीं आ पाओगी.

राधिका फिर अपने भैया के पास फोन लगाती हैं और काफ़ी देर के बाद कृष्णा फोन उठाता हैं...

राधिका इससे पहले की कुछ बोलती कृष्णा बोल पड़ता हैं- राधिका आज मैं कुछ काम से बाहर हूँ आज मैं घर नहीं आ पाउन्गा. तुम अपना ख्याल रखना. राधिका भी कुछ नहीं कहती और फोन रख देती हैं.

राहुल- तुमने कुछ बताया क्यों नहीं अपने भैया को.

राधिका- वो आज रात घर नहीं आएँगे. कह रहे थे कि कुछ ज़रूरी काम से बाहर हूँ. इस लिए मैने सोचा क्यों बेवजह उनको परेशान करू.

राहुल- ठीक हैं थोड़ा रिलॅक्स हो जाओ और जो कुछ भी हुआ था वहाँ पर सारी बातें मुझे बताओ.

राधिका थोड़े देर में सारी घटनायें राहुल को बता देती हैं. राहुल भी गहरी विचार में डूब जाता हैं.

....................................................

वहाँ से दूर बिहारी के प्राइवेट गेस्ट हाउस में.........

बिहारी- चलो अच्छा हुआ तुम लोगों ने अपना काम सही ढंग से किया. बेचारी पार्वती को इस दुनिया से विदा करवा कर. भगवान उसकी आत्मा को शांति दे. लाओ वो तलाक़ के पेपर्स मुझे दो.

दोनो शक्श एक दूसरे का मूह देखते हैं फिर एक बोल पड़ता हैं.--- तलाक़ के काग़ज़ात तो हमारे पास नहीं हैं. हम पार्वती पर हमला कर ही रहे थे तभी एक लड़की वहाँ पर आ गयी और हमे वहाँ से भागना पड़ा. सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि हम वो काग़ज़ात नही ले पाए...

बिहारी- ओह शिट!!! ये तुमलोगों ने क्या किया. अब तक तो पोलीस भी वहाँ पर आ चुकी होगी और जल्दी ही वो तलाक़ के पेपर्स पोलीस के क़ब्ज़े में होंगे. और उन पेपर्स के ज़रिए वो मुझ तक भी पहुँच जाएँगे. जानते हो ना मैने तुमलोगों को ये काम के लिए 10 लाख रूपई दिए थे. अब जल्दी से यहाँ से निकलो पोलीस कभी भी मेरे पास आ सकती हैं पूछताक्ष के लिए. और मुझे पोलीस के हर सवाल का जवाब भी तो देना हैं.

दोनो शक्श वहाँ से निकल जाते हैं और बिहारी वहाँ से अपने बंगले पर आ जाता हैं. वो पोलीस के हर सवाल का जवाब ढूँढने में लगा हुआ था. बिहारी का शक़ एक दम सही था. पोलीस को डाइवोर्स के पेपर्स हाथ लग चुके थे.

थोड़ी देर के बाद ख़ान राहुल के घर जाता हैं.

ख़ान- सर तालशी के दौरान हमे कार से डाइवोर्स के पेपर्स मिले हैं. और इस पेपर के हिसाब से वो औरत का नाम पार्वती हैं और वो बिहारी की पत्नी हैं. और वो बिहारी से डाइवोर्स चाहती थी. सारा पेपर्स तैयार थे बस उन्दोनो के साइन इस पेपर पर बाकी थे. और ये आइ-कार्ड भी बरामद हुआ हैं. इसपर नाम अड्रेस सब कुछ नोट हैं.

राहुल को ख़ान के बातों पर विश्वास नहीं होता और वो डाइवोर्स के पेपर्स लेकर देखने लगता हैं.- इसका मतलब बिहारी ने जान बूझ कर पार्वती का मर्डर करवाया हैं. राधिका के बयान के हिसाब से वो उसका राज़ जान गयी थी और इस वजह से वो उससे तलाक़ चाहती थी. बिहारी ने अपनी काली करतूतो को छुपाने के लिए ऐसा किया होगा. अब देखता हूँ वो कमीना मेरे हाथों से कैसे बचता हैं. ये केस हमारे लिए बहुत इंपॉर्टेंट हैं और मैं चाहता हूँ कि इस केस की अच्छी तरह से इक्वायरी हो. जितनी जल्दी हम इस केस को सॉल्व कर देंगे उतनी जल्दी बिहारी जैल की सलाखों के पीछे होगा.

ख़ान- ऐसा ही होगा सर. पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट आ जाने के बाद हम बिहारी से पूछताक्ष करेंगे.

राहुल- ठीक हैं ख़ान और कोई नयी न्यूज़ मिलती हैं तो मुझे इनफॉर्म करो. और ख़ान वहाँ से चला जाता हैं.

राहुल- मरते वक़्त पार्वती ने तुमसे और भी कुछ कहा था क्या राधिका. कहीं उसने किसी की तरफ इशारा तो नहीं किया था.

राधिका - हां वो कह रही थी कि एक मासूम लड़की की ज़िंदगी बर्बाद करना चाहते हैं वो लोग. पता नहीं कौन हैं वो लड़की मैं पूछने वाली थी मगर तब तक............

राधिका ये नहीं जानती थी कि वो मासूम लड़की और कोई नहीं बल्कि वो खुद हैं.

राहुल- ठीक हैं तुम सो जाओ मुझे थोड़ा इस केस की स्टडी करनी हैं.

राधिका भी वही राहुल के बेडरूम में सो जाती हैं........................................
 
दूसरे दिन सुबेह राधिका उठती हैं और राहुल उसे उसके घर छोड़ देता हैं. घर पर कोई नहीं था. वो लॉक खोलती हैं और जाकर खाना बनाने लगती हैं. राहुल भी ख़ान को लेकर बिहारी के घर चल देता हैं..

बिहारी- आओ आओ एसीपी साहेब मैं जानता था कि आप ज़रूर आओगे.

राहुल- कल रात को आपकी पत्नी पार्वती का बड़ी बेरहमी से मर्डर हो गया. और ताज्जुब की बात तो ये हैं कि आपको मालूम होते हुए भी आप पोलीस स्टेशन नहीं आयें उसको देखने के लिए. मैं इसकी वजह जान सकता हूँ.

बिहारी- मेरा अब उससे कोई रिस्ता नही हैं. और वैसे भी मेरा उससे तलाक़ होने वाला था. नफ़रत करती थी वो मुझसे. उसे शक था कि मेरा किसी और से नज़ायज़ संबंध हैं. इस वजह से वो मुझसे तलाक़ चाहती थी.

राहुल- तुम्हारा नज़ायज़ संबंध था या वो तुम्हारा राज़ जान गयी थी कि तुम ड्रग और रंडियों का धंधा करते हो. राहुल के ऐसे सवाल से बिहारी के चेहरे का रंग उतर जाता हैं.



बिहारी- देखो आसीपी साहेब आप ऐसे मुझ पर इल्ज़ाम नहीं लगा सकते. अगर आपको लगता हैं कि मैने ही अपनी पत्नी को मरवाया हैं तो आपके पास इस बात का क्या सबूत हैं. पहले सबूत पेश करो फिर मुझसे बात करना.

राहुल- मैं जानता था कि तू सबूत माँगेगा. तुझे सबूत चाहिए ना ये देख मैं लाया हूँ और राहुल डाइवोर्स के पेपर्स बिहारी को थमा देता हैं. बिहारी बड़े गौर से वो पेपर्स देखने लगता हैं.

बिहारी- ये तो डाइवोर्स के पेपर्स हैं. इससे मेरा पार्वती के खून का क्या संबंध. देखो एसीपी साहेब क़ानून सबूत माँगता हैं और तुम ये सोचते हो कि इन डाइवोर्स के पेपर्स से तुम ये साबित कर दोगे कि पार्वती को मैने मरवाया हैं तो ये तुम्हारी भूल हैं. हां अगर कोई गवाह मेरे खिलाफ हो तो तुम्हारी बात में दम हो सकता हैं.

राहुल- तू क्या सोचता हैं कि गुनाह करके तू इतनी आसानी से बच जाएगा. चिंता मत कर मेरे पास तेरे खिलाफ गवाह भी मौजूद हैं. और उस गवाह ने खुद पार्वती का अपनी आँखों के सामने कतल होते देखा हैं. बस कुछ दिन और इस महल में ऐश कर ले फिर बाकी ज़िंदगी तो तुझे जैल के सलाखों के पीछे ही गुजारनी हैं.

बिहारी की बोलती लगभग बंद हो गयी थी. वो भी कुछ बोलता नहीं बस चुप चाप खड़ा रहता हैं.

राहुल- हां एक बात तो मैं बताना भूल गया. पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट आ चुकी हैं और जिससे ये बात साबित होती हैं कि जिन दो लोगों ने पार्वती का मर्डर किया था वो कोई पेसेवर कातिल नहीं थे. उन्होने जिस अंदाज़ में पार्वती पर हमला किया था अगर कोई कांट्रॅक्ट किल्लर होता तो वो ये काम बड़ी आसानी से कर चुका होता और उसके लिए 4 बार वार करने की ज़रूरत नहीं थी. उसका एक वार ही काफ़ी था पार्वती को मारने के लिए. पर जो कोई भी है वो ज़्यादा दिन तक क़ानून की नज़रो से छुप नहीं सकता. और जिस दिन वो दोनो पकड़े गये समझ लेना तू भी नहीं बचेगा.

राहुल- हां और एक बात पोलीस स्टेशन आकर अपनी पत्नी की डेड बॉडी को ले जाना. और इज़्ज़त से उसका अंतिम संसकार कर देना. अरे वो तेरी अर्धन्गि थी यानी आधा अंग.. तो तेरा पूरा फ़र्ज़ बनता हैं कि तू उसका अंतिम संस्कार करे. अगर तू नहीं आया तो कोई बात नहीं इससे मेरा शक तुझपर और गहरा हो जाएगा और मज़बूरन हमे पार्वती की बॉडी को मुंसीपार्टी वालों को भेजवाना पड़ेगा. बाकी तू खुद समझदार हैं.

और इतना बोलकर राहुल कमरे से बाहर निकल जाता हैं. बिहारी के चेहरे का रंग पूरा गायब हो चुका था. चेहरे पर पसीना इस बात का संकेत था कि बिहारी की हालत खराब हो चुकी हैं. उसका गला डर की वजह से सूख गया था. वो वहीं सोफे पर धम से गिर जाता हैं..

अंदर इस वक़्त विजय भी था. वो छुप कर राहुल और बिहारी की बातें सुन रहा था. फट तो उसकी भी गयी थी मगर वो बिहारी पर अपना डर जाहिर नहीं करना चाहता था. राहुल के जाने के बाद वो बिहारी के पास आता हैं..

विजय- लगता हैं बिहारी हमने पार्वती को मरवाकर बहुत बड़ी ग़लती की. अब तो ये एसीपी हमारे पीछे हाथ धो कर पड़ गया हैं. कुछ सोच बिहारी वरना हम दोनो के बहुत बुरे दिन आने वाले हैं.

बिहारी- डर तो मुझे भी बहुत लग रहा हैं. साला ये ज़रूर मेरा बॅंड बजा देगा अगर मैने जल्दी ही कुछ ना किया तो. फिलहाल तो मैं जा रहा हूँ पोलीस स्टेशन पार्वती की डेड बॉडी को लेने फिर उसका अंतिम संस्कार करूँगा. तू एक काम कर वो दोनो को बुला कर पूछ कि वो दोनो उस लड़की को जानते हैं क्या. अगर नहीं जानते तो फिर मुझे 24 घंटे के अंदर उस लड़की का नाम पता कहाँ रहती हैं सब कुछ उसके बारे में जानकारी चाहिए. और जैसे ही उसके बारे में पता लगे उस साली को भी इस दुनिया से उठवा दो. आगे मैं संभाल लूँगा..

फिर बिहारी पोलीस स्टेशन चला जाता हैं और जाकर पार्वती की डेड बॉडी का अंतिम संस्कार करता हैं. रोना तो उसे आ नहीं रहा था फिर भी अपने इन मगरमच्छ आँसुओ को सब लोगो पर जाहिर कर रहा था कि पार्वती के खोने का उसे बड़ा दुख हैं...

..................................................

उधेर कृष्णा भी करीब 9 बजे घर आता हैं. राधिका भी फ्रेश होती हैं और नाश्ता बनाने लगती हैं. कृष्णा के हाथ में एक काले रंग का बॅग था. वो उसे चुप चाप अपने रूम में ले जाता हैं और अपने अलमारी में रख देता हैं.

राधिका- ये आपके हाथ में कैसा बॅग हैं भैया.

कृष्णा चौंकते हुए- ये...........मेरे दोस्त का हैं. वो मुझे दे कर गया था कह रहा था एक दो दिन में ले लूँगा. इसमें उसके कुछ कपड़े वगेरह हैं.

राधिका- ठीक हैं आप फ्रेश हो जाइए मैं नाश्ता लगा देती हूँ. थोड़ी देर में कृष्णा फ्रेश होकर आता हैं और राधिका के करीब जाकर बैठ जाता हैं..

कृष्णा- मुझे तुझसे एक बहुत ज़रूरी बात करनी हैं. कृष्णा राधिका की आँखों में देखकर बोला.

राधिका- क्या बात हैं भैया आप आज बहुत परेशान लग रहे हैं. कुछ हुआ क्या और कल रात आप कहाँ थे घर भी नहीं आयें.

कृष्णा राधिका के सवाल से एक दम हड़बड़ा जाता हैं- कल मेरे दोस्त की बीवी अस्पताल में अड्मिट थी. तो वही चला गया था उसके पास. उसके जिद्द की वजह से मुझे वहीं रुकना पड़ा.

राधिका कृष्णा के सीने से लग जाती हैं- आप मुझसे कुछ छुपा तो नहीं रहे ना भैया. पता नहीं क्यों पर मुझे आज कल कुछ घबराहट सी हमेशा महसूस होती हैं. फिर राधिका भी कृष्णा को पार्वती वाला कांड पूरा बता देती हैं.

कृष्णा- तुझे इन सब लफडों में नहीं पड़ना चाहिए. चाहे कुछ भी हो जाए तू गवाही नहीं देगी. और ना उस बिहारी के खिलाफ जाएगी. जानती हैं ना वो कितना कमीना इंसान हैं. वो कुछ भी कर सकता हैं.

राधिका- आप फिकर ना करे भैया राहुल मेरे साथ हैं और वो मुझे हर ख़तरे से बचायेगा. मुझे अपने राहुल पर पूरा भरोसा हैं.

कृष्णा- मैने जो एक बार बोल दिया कि तू गवाही नहीं देगी तो नहीं देगी.. ये मेरा आखरी फ़ैसला हैं. और राहुल तुझे कहाँ कहाँ बचायेगा. हर समय तो वो तेरे साथ नहीं रह सकता ना और ना ही मैं तेरे साथ हर वक़्त मौजूद रह सकता हूँ. और मैं यही चाहता हूँ कि तू इन सब मामलों में नहीं पड़ेगी.
 
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