desiaks
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नजमा ने सोच रखा था कि दूसरे दिन जब पापा और भाईजान आ जाएँगे तो वो सब के सामने ही अगली सुबह (मॉर्निंग) नानिजान के घर जाने की बात करके पापा से जाने की इजाज़ात ले गी, पापा के हां करदेने के बाद मम्मी मना नही करें गी. दूसरे दिन जब पापा और भाईजान घर
आ गये तो एक ऐसी खबर ले कर आए थे कि नानिजान के घर जाने की बात करने का प्रोग्राम धरा का धरा रह गया.
खाने के बाद रोजाना की तरह टीवी लाउंज मे बैठ कर चाए (टी) पीते हुए पापा ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देख कर कहा, “शहाब टीवी बंद कर दो क्योंकि मैं तुम लोगों को एक बहुत बड़ी खुश-खबरी की खबर सुनाने वाला हूँ, सुनो गे तो सब के सब हैरत और खुशी से उछल
पड़ोगे.”
मैं हैरानगी और तजस्सुस के साथ जल्दी से टीवी को ऑफ कर दिया, इसी वक़्त मम्मी बोलने लगी, “आख़िर ऐसी क्या ख़ास खबर है अब जल्दी से सुना भी दें.”
“मैने फ़ैसला कर लिया है कि अब फ़ौरन रहीम और करीम की शादी कर दूँगा, सिर्फ़ उन दोनो की ही नही बल्कि नजमा की भी,” पापा ने सब की तरफ मुस्कुराते हुए देख कर कहा.
यह एक ऐसी धमाके वाली खबर थी कि मेरा, मम्मी का और नजमा का मुँह खुला का खुला रह गया. हम सोच भी नही सकते थे कि एकदम और अचानक पापा इस क़िस्म की बात करें गे, मैने अपने दोनो भाई की तरफ देखा तो उनके चेहरे पर हैरानगी की जगह मुस्कुराहट थी. इसका मतलब बिल्कुल सॉफ था कि उन्हें इस बात का पता पहले ही से था. मैं तो छोटा था क्या बोलता मगर मम्मी बोलने लगी, “क्क्कया कहा
आपने, श..श..शादी, म्म्मगर क्क्कब और किस-से.” पापा की इस अचानक बात ने मम्मी को इतना हैरान कर दिया था कि वो हैरत के मारे ठीक से बोल भी नही पा रही थी.
पापा मम्मी को देखते हुए कहने लगे. “मुझे मालूम था कि यह खबर सुन कर तुम्हारा क्या हाल होगा. सोचा था कि तुम लोगों को यह खबर पहले ही सुना दूं, मगर इसलिए नही सुनाया कि बात कच्ची पक्की थी और यह यक़ीन नही था कि रिश्ता होगा भी या नही, आज जब सफ्दर भाई से खोल कर पूरी बात हो गई है तो यह बात तुम लोगों को बता रहा हूँ और हां मैने सफ्दर भाई को यह कह दिया है कि हमारी तरफ से
यह रिश्ता उसी वक्त होगा जब रज़िया यानी तुम भी पसंद करो गी अब इस रिश्ते का फ़ैसला तुम ने करना है, तुम्हारी मर्ज़ी के बगैर मैं यह रिश्ता नही करूँगा, वैसे मुझे और इन दोनो को यह रिश्ता पसंद है.”
मम्मी थोड़ी देर तो चुप रही और शायद पापा की इस बात ने कि “रिश्ता उनकी मर्ज़ी के बगैर नही होगा” उन्हें अपनी एहमियत का भी अहसास दिला दिया था, वो पापा को देखते हुए बोलने लगें, “आप बच्चों के दुश्मन तो नही हैं जो उनके लिए कोई खराब रिश्ता करेंगे. अब यह तो बता दें कि सफ्दर भाई ने दोनो के रिश्ते की बात कहाँ की है, वो कौन है, उनका खानदान कैसा है और उनकी ज़ात क्या है.”
“अरे सफ्दर किसी और के लिए नही बल्कि अपनी दोनो लड़कियों के लिए रहीम और करीम को पसंद किया है, और तुम तो जानती ही हो कि सफ्दर की दोनो लड़कियाँ खूबसूरत तो हैं ही साथ पढ़ी लिखी और नमाज़`रोज की पाबंद मज़हबी लड़कियाँ हैं. उन्हें देख कर कोई भी यक़ीन नही करे गा कि वो दोनो अमेरिकन सिटिज़न भी हो सकती हैं.” पापा ने मम्मी की बात का जवाब दिया.
आ गये तो एक ऐसी खबर ले कर आए थे कि नानिजान के घर जाने की बात करने का प्रोग्राम धरा का धरा रह गया.
खाने के बाद रोजाना की तरह टीवी लाउंज मे बैठ कर चाए (टी) पीते हुए पापा ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देख कर कहा, “शहाब टीवी बंद कर दो क्योंकि मैं तुम लोगों को एक बहुत बड़ी खुश-खबरी की खबर सुनाने वाला हूँ, सुनो गे तो सब के सब हैरत और खुशी से उछल
पड़ोगे.”
मैं हैरानगी और तजस्सुस के साथ जल्दी से टीवी को ऑफ कर दिया, इसी वक़्त मम्मी बोलने लगी, “आख़िर ऐसी क्या ख़ास खबर है अब जल्दी से सुना भी दें.”
“मैने फ़ैसला कर लिया है कि अब फ़ौरन रहीम और करीम की शादी कर दूँगा, सिर्फ़ उन दोनो की ही नही बल्कि नजमा की भी,” पापा ने सब की तरफ मुस्कुराते हुए देख कर कहा.
यह एक ऐसी धमाके वाली खबर थी कि मेरा, मम्मी का और नजमा का मुँह खुला का खुला रह गया. हम सोच भी नही सकते थे कि एकदम और अचानक पापा इस क़िस्म की बात करें गे, मैने अपने दोनो भाई की तरफ देखा तो उनके चेहरे पर हैरानगी की जगह मुस्कुराहट थी. इसका मतलब बिल्कुल सॉफ था कि उन्हें इस बात का पता पहले ही से था. मैं तो छोटा था क्या बोलता मगर मम्मी बोलने लगी, “क्क्कया कहा
आपने, श..श..शादी, म्म्मगर क्क्कब और किस-से.” पापा की इस अचानक बात ने मम्मी को इतना हैरान कर दिया था कि वो हैरत के मारे ठीक से बोल भी नही पा रही थी.
पापा मम्मी को देखते हुए कहने लगे. “मुझे मालूम था कि यह खबर सुन कर तुम्हारा क्या हाल होगा. सोचा था कि तुम लोगों को यह खबर पहले ही सुना दूं, मगर इसलिए नही सुनाया कि बात कच्ची पक्की थी और यह यक़ीन नही था कि रिश्ता होगा भी या नही, आज जब सफ्दर भाई से खोल कर पूरी बात हो गई है तो यह बात तुम लोगों को बता रहा हूँ और हां मैने सफ्दर भाई को यह कह दिया है कि हमारी तरफ से
यह रिश्ता उसी वक्त होगा जब रज़िया यानी तुम भी पसंद करो गी अब इस रिश्ते का फ़ैसला तुम ने करना है, तुम्हारी मर्ज़ी के बगैर मैं यह रिश्ता नही करूँगा, वैसे मुझे और इन दोनो को यह रिश्ता पसंद है.”
मम्मी थोड़ी देर तो चुप रही और शायद पापा की इस बात ने कि “रिश्ता उनकी मर्ज़ी के बगैर नही होगा” उन्हें अपनी एहमियत का भी अहसास दिला दिया था, वो पापा को देखते हुए बोलने लगें, “आप बच्चों के दुश्मन तो नही हैं जो उनके लिए कोई खराब रिश्ता करेंगे. अब यह तो बता दें कि सफ्दर भाई ने दोनो के रिश्ते की बात कहाँ की है, वो कौन है, उनका खानदान कैसा है और उनकी ज़ात क्या है.”
“अरे सफ्दर किसी और के लिए नही बल्कि अपनी दोनो लड़कियों के लिए रहीम और करीम को पसंद किया है, और तुम तो जानती ही हो कि सफ्दर की दोनो लड़कियाँ खूबसूरत तो हैं ही साथ पढ़ी लिखी और नमाज़`रोज की पाबंद मज़हबी लड़कियाँ हैं. उन्हें देख कर कोई भी यक़ीन नही करे गा कि वो दोनो अमेरिकन सिटिज़न भी हो सकती हैं.” पापा ने मम्मी की बात का जवाब दिया.