desiaks
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मेरी पिछली कुछ कहानियो आपने पढ़ा की कैसे मेरी ज़िन्दगी में एक बड़ा बदलाव आया और मेरे पति अशोक और मैं कुछ ग्रुप सेक्स के इवेंट में गए और क्या क्या मजेदार अनुभव लिए। मेरे पति इस बदलाव से खुश थे क्यों की उनको अलग अलग औरतो को चोदने का शौक था और अब मेरी इजाजत से वो यह सब काम मेरे सामने कर सकते थे।
मेरे लिए ये सब थोड़ा अजीब था क्यों की पति पत्नी का रिश्ता एक भरोसे और समर्पण का होता हैं और अब हम किसी और के साथ यह सब काम कर रहे थे। मगर मैं भी अब बेशरम होकर इन सब चीजों में घुस चुकी थी ।
बस एक यही दुआ थी की मेरे पुराने काण्ड खुलकर मेरे पति सामने ना आये, क्यों की मैं अभी भी मेरे पति की नजरो में एक शर्मीली छुईमुई थी। हम जो चाहे वही हो यह जरुरी नहीं। मेरा इतिहास एक बार फिर मुझे एक झलक दिखाने वाला था। फुर्सत के लम्हो में मेरे पति ने मुझसे इसी बारे में बात कर रहे थे।
अशोक: “प्रतिमा, सेक्स के मजे हमने खूब ले लिए. अब तुम भी थोड़ा कम्फ़र्टेबल होने लगी हो। हमें अब किसी एक कपल के साथ भी पार्टनर बदल कर मजे करना चाहिए”
मैं: “अब तुमने यह सोचा हैं तो इसका मतलब तुमने वो कपल पहले ही ढूंढ लिया होगा ! ”
अशोक: “हां, मेरा क्रश हैं वो। मुझे बहुत पसंद हैं वो लड़की और एक बार उसको चोदने की बहुत इच्छा हैं। ”
मैं: “कौन हैं वो लड़की ?”
अशोक: “एक ही तो लड़की हैं, जिसकी पीछे से चाल देखकर हर कोई दीवाना हो जाये। चलते वक़्त उसके कूल्हे जो मटकते हैं। तुम समझ गयी ना मैं किसकी बात कर रहा हूँ?”
मैं: “ओह नो, तुम कही उसकी बात तो नहीं कर रहे !”
अशोक: “तुम समझ गयी !”
मैं: “आई होप कि मैं गलत समझ रही हूँ। तुम्ही बताओ, मैं नहीं बताउंगी”
आपने मेरी पिछली एक कहानी “होली के रंग, कर गए दंग” पढ़ी होगी, अगर नहीं तो पहले उसे जरूर पढ़े ताकि आपको नितिन और पूजा की कहानी पता चल सके। संक्षेप में कहु तो होली के दिन नितिन मेरे घर आया, और अकेली देख उसने मुझे कहाँ कहाँ नहीं छुआ और अंत में मेरा फायदा उठाने की कोशिश भी की।
फिर नितिन ने मुझे एक कहानी सुनाई थी की मेरे पति अशोक और उसकी बीवी पूजा के बीच कोई चक्कर चालू हैं, और मुझे यह कहानी सुनाकर बहका फुसला दिया और फिर मुझे चोदने के भरपूर मजे लिए थे।
हालांकि बाद में, मैं यह पता नहीं कर पायी कि क्या सच में पूजा और अशोक के बीच कभी कुछ हुआ था। अभी तक ये मेरे लिए राज ही था और अभी अशोक मुझसे कह रहा था कि वो पूजा को पहली बार चोदना चाहता हैं।
अब मैं इसका क्या मतलब निकालू! उस दिन नितिन ने जो कुछ कहा था वो सब झूठ था या फिर शायद अशोक मुझसे अभी झूठ बोल रहा हैं !
अब भले ही अशोक झूठ कह रहा हो या नहीं, मगर यदि हम नितिन और पूजा के साथ पार्टनर बदल कर चोदेंगे तो हो सकता हैं कि मेरे और नितिन के बीच होली के दिन जो हुआ उसका राज बाहर आ जाए।
मैं यह होने नहीं देना चाहती थी। मैं किसी भी कीमत पर शर्मिंदा नहीं होना चाहती थी। उस होली के दिन मेरे और नितिन के बीच जो भी हुआ मेरी आँखों के सामने घूमने लगा था
मैं: “देखो अशोक, मैंने हमारे पहले ग्रुप सेक्स के बाद ही कह दिया था कि मैं अब तुम्हारे किसी दोस्त साथ पार्टनर बदल नहीं चुदुँगी”
अशोक: “मगर उसके बाद तो हम चिराग – चित्रा के साथ एक बार और ग्रुप सेक्स इवेंट में जा चुके हैं”
मैं: “चित्रा मेरी अच्छी सहेली हैं तो उसके साथ एडजस्ट हो जाता हैं”
अशोक: “पूजा भी तो तुम्हारी सहेली हैं!”
मैं: “हां कभी थी, पर अब मिलना नहीं हो पाता। पहले वो हमारी पडोसी थी, मैं उसके साथ स्वीमिंग सिखने जाती थी तो हम अच्छी सहेलिया थी। पर जब से इस नए घर में आये हैं और मैंने स्वीमिंग जाना बंद किया हैं तब से पूजा से इतना मिलना नहीं हो पाता हैं”
अशोक: “बहाना मत मारो, सहेली तो हमेशा सहेली रहेगी। प्लीज यार, मान जाओ, एक बार सिर्फ एक बार पूजा की उस मटकती गांड को देखना हैं ”
मैं: “तुम तो ऐसे बोल रहे हो जैसे तुमने उसकी गांड कभी देखी ही नहीं हो”
मैं चाहती थी कि अगर अशोक और पूजा के बीच कुछ भी हैं तो अशोक खुलकर बता दे।
अशोक: “तुम स्वीमिंग पूल की बात कर रही हो ना? पर उस वक़्त उसने स्वीमिंग के कपडे पहने थे, आधी गांड ही देख पाया था, मुझे पूरी नंगी गांड देखनी हैं। सच पूछो तो साड़ी में लिपटी उसकी ढकी हुयी गांड देखकर मैं दीवाना हो ही गया था पर फिर उस दिन तुम्हे स्वीमिंग पूल पर लेने आया था तब बिकिनी में पूजा की गांड देख मैं पूरा दीवाना हो गया”
अशोक ने अभी भी यह स्वीकार नहीं किया कि उसके और पूजा के बीच कभी कुछ हुआ हो। वो जिस तरह अपनी तड़प दिखा रहा था उस से यही लग रहा था कि उसने कभी पूजा को नंगा देखा ही नहीं था।
मैं: “पूजा की गांड तुम्हे इतनी पसंद आयी, तुम्हारी खुद की बीवी की (यानी मेरी) गांड की तारीफ़ तो कभी की नहीं !”
अशोक: “अरे तुम्हारी गांड तो दुनिया में सबसे अच्छी हैं”
मैं: “तो फिर पूजा की क्यू चाहिए?”
अशोक: “यार, वो चलते हुए जिस तरह गांड मटकाती हैं, वैसा कोई नहीं कर सकता। बस एक बार चोदना हैं। ”
मेरे लिए ये सब थोड़ा अजीब था क्यों की पति पत्नी का रिश्ता एक भरोसे और समर्पण का होता हैं और अब हम किसी और के साथ यह सब काम कर रहे थे। मगर मैं भी अब बेशरम होकर इन सब चीजों में घुस चुकी थी ।
बस एक यही दुआ थी की मेरे पुराने काण्ड खुलकर मेरे पति सामने ना आये, क्यों की मैं अभी भी मेरे पति की नजरो में एक शर्मीली छुईमुई थी। हम जो चाहे वही हो यह जरुरी नहीं। मेरा इतिहास एक बार फिर मुझे एक झलक दिखाने वाला था। फुर्सत के लम्हो में मेरे पति ने मुझसे इसी बारे में बात कर रहे थे।
अशोक: “प्रतिमा, सेक्स के मजे हमने खूब ले लिए. अब तुम भी थोड़ा कम्फ़र्टेबल होने लगी हो। हमें अब किसी एक कपल के साथ भी पार्टनर बदल कर मजे करना चाहिए”
मैं: “अब तुमने यह सोचा हैं तो इसका मतलब तुमने वो कपल पहले ही ढूंढ लिया होगा ! ”
अशोक: “हां, मेरा क्रश हैं वो। मुझे बहुत पसंद हैं वो लड़की और एक बार उसको चोदने की बहुत इच्छा हैं। ”
मैं: “कौन हैं वो लड़की ?”
अशोक: “एक ही तो लड़की हैं, जिसकी पीछे से चाल देखकर हर कोई दीवाना हो जाये। चलते वक़्त उसके कूल्हे जो मटकते हैं। तुम समझ गयी ना मैं किसकी बात कर रहा हूँ?”
मैं: “ओह नो, तुम कही उसकी बात तो नहीं कर रहे !”
अशोक: “तुम समझ गयी !”
मैं: “आई होप कि मैं गलत समझ रही हूँ। तुम्ही बताओ, मैं नहीं बताउंगी”
आपने मेरी पिछली एक कहानी “होली के रंग, कर गए दंग” पढ़ी होगी, अगर नहीं तो पहले उसे जरूर पढ़े ताकि आपको नितिन और पूजा की कहानी पता चल सके। संक्षेप में कहु तो होली के दिन नितिन मेरे घर आया, और अकेली देख उसने मुझे कहाँ कहाँ नहीं छुआ और अंत में मेरा फायदा उठाने की कोशिश भी की।
फिर नितिन ने मुझे एक कहानी सुनाई थी की मेरे पति अशोक और उसकी बीवी पूजा के बीच कोई चक्कर चालू हैं, और मुझे यह कहानी सुनाकर बहका फुसला दिया और फिर मुझे चोदने के भरपूर मजे लिए थे।
हालांकि बाद में, मैं यह पता नहीं कर पायी कि क्या सच में पूजा और अशोक के बीच कभी कुछ हुआ था। अभी तक ये मेरे लिए राज ही था और अभी अशोक मुझसे कह रहा था कि वो पूजा को पहली बार चोदना चाहता हैं।
अब मैं इसका क्या मतलब निकालू! उस दिन नितिन ने जो कुछ कहा था वो सब झूठ था या फिर शायद अशोक मुझसे अभी झूठ बोल रहा हैं !
अब भले ही अशोक झूठ कह रहा हो या नहीं, मगर यदि हम नितिन और पूजा के साथ पार्टनर बदल कर चोदेंगे तो हो सकता हैं कि मेरे और नितिन के बीच होली के दिन जो हुआ उसका राज बाहर आ जाए।
मैं यह होने नहीं देना चाहती थी। मैं किसी भी कीमत पर शर्मिंदा नहीं होना चाहती थी। उस होली के दिन मेरे और नितिन के बीच जो भी हुआ मेरी आँखों के सामने घूमने लगा था
मैं: “देखो अशोक, मैंने हमारे पहले ग्रुप सेक्स के बाद ही कह दिया था कि मैं अब तुम्हारे किसी दोस्त साथ पार्टनर बदल नहीं चुदुँगी”
अशोक: “मगर उसके बाद तो हम चिराग – चित्रा के साथ एक बार और ग्रुप सेक्स इवेंट में जा चुके हैं”
मैं: “चित्रा मेरी अच्छी सहेली हैं तो उसके साथ एडजस्ट हो जाता हैं”
अशोक: “पूजा भी तो तुम्हारी सहेली हैं!”
मैं: “हां कभी थी, पर अब मिलना नहीं हो पाता। पहले वो हमारी पडोसी थी, मैं उसके साथ स्वीमिंग सिखने जाती थी तो हम अच्छी सहेलिया थी। पर जब से इस नए घर में आये हैं और मैंने स्वीमिंग जाना बंद किया हैं तब से पूजा से इतना मिलना नहीं हो पाता हैं”
अशोक: “बहाना मत मारो, सहेली तो हमेशा सहेली रहेगी। प्लीज यार, मान जाओ, एक बार सिर्फ एक बार पूजा की उस मटकती गांड को देखना हैं ”
मैं: “तुम तो ऐसे बोल रहे हो जैसे तुमने उसकी गांड कभी देखी ही नहीं हो”
मैं चाहती थी कि अगर अशोक और पूजा के बीच कुछ भी हैं तो अशोक खुलकर बता दे।
अशोक: “तुम स्वीमिंग पूल की बात कर रही हो ना? पर उस वक़्त उसने स्वीमिंग के कपडे पहने थे, आधी गांड ही देख पाया था, मुझे पूरी नंगी गांड देखनी हैं। सच पूछो तो साड़ी में लिपटी उसकी ढकी हुयी गांड देखकर मैं दीवाना हो ही गया था पर फिर उस दिन तुम्हे स्वीमिंग पूल पर लेने आया था तब बिकिनी में पूजा की गांड देख मैं पूरा दीवाना हो गया”
अशोक ने अभी भी यह स्वीकार नहीं किया कि उसके और पूजा के बीच कभी कुछ हुआ हो। वो जिस तरह अपनी तड़प दिखा रहा था उस से यही लग रहा था कि उसने कभी पूजा को नंगा देखा ही नहीं था।
मैं: “पूजा की गांड तुम्हे इतनी पसंद आयी, तुम्हारी खुद की बीवी की (यानी मेरी) गांड की तारीफ़ तो कभी की नहीं !”
अशोक: “अरे तुम्हारी गांड तो दुनिया में सबसे अच्छी हैं”
मैं: “तो फिर पूजा की क्यू चाहिए?”
अशोक: “यार, वो चलते हुए जिस तरह गांड मटकाती हैं, वैसा कोई नहीं कर सकता। बस एक बार चोदना हैं। ”