Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो - Page 8 - SexBaba
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Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो

UPDATE-75. (FINAL UPDATE)

मामुन : अययई बडी व्हातसस्स अप्प? कैसा हे तुऊउ?

देवश : अर्र…ई भी मेरे यार मेरी जानन्न तू सुना बस कैसा चल रहा है सब?

मामुन : चुप साले जबसे आया हो वएक बार भी फ़ॉएं नहीं किया तूने? ऐसा थोड़ी ना चलता है

देवश : भी मांफ कर दे कहूँ तो सॉरी पर प्लीज़ मेरी नादानी को मांफ़्क आर दे

मामुन : मांफ तो हम तब ही करेंगे जब आप यहां आएँगे म्ृर

देवश : भाई वो दरअसल!

मामुन : देख देख तूने नौकरी चोद दी है मुझे पता लग गया इतना पराया कर दिया मुझे तूने कोई प्राब्लम तो नहीं है ना पैसों की

देवश : भाई ज़मीदार के पोते है पैसों की कभी कमी हुई है भला

मामुन : ये हुई ना बात चल अच्छा हुआ अब तुझसे मुझसे डर नहीं लगेगा हाहाहा अच्छा भाई तुझे फोन करने का था की इस हफ्ते तू आजा मिलने देख ना मत करियो बहुत आस से फोन किया है यहां मैं काफी बोर हो रहा हूँ तू आएगा तो दिल बह लेगी

देवश : भाई लेकिन (कैसे कहता की अब मैं रोज़ से शादी को बेक़रार था लेकिन ना जाने क्या आया मैंने मुस्कुराकर हाँ कह दिया)

मामुन : ये हुई ना बात चल तू आजा पूरा खाने का इंतजाम करूँगा मैं वैसे सुनकर दुख हुआ की दिव्या!

देवश : भैया जाने दो प्लीज़

मामुन : ई आम सॉरी चल तू बस ये समझ की तेरा अपना अब भी ज़िंदा है कोई तू बस आजा मैं तेरा इंतजार कर रहा हूँ

देवश : ठीक है भाई

मामुन : ना रुकेगा कोई नहीं लेकिन भाई से मिल तो ले

देवश : अच्छा ठीक है बाबा आता हूँ

मामुन : यआःाहह चल फोन रख ओके बयी

मामुन ने फोन कट कर दिया….खैर ये भी ठीक ही था की एक बार मामुन से मिल लू ताकि गीले शिकवे सब दूर हो जाए…कैसे उसे काहु की मैं रोज़ से शादी करने वाला हूँ अब जैसे तैसे रोज़ से शादी करके मैं यहां से अब जाना ही चाहता था…जब इतना होप लेकर बुला र्हाः आई तो तहेरना कैसा?

देवश धीरे धीरे कवर्ड के पास गया और ऊसने मुस्कुराकर वो कवर्ड खोला जिसके अंदर एक गुण रखी थी….देवश ने उसे हाथ में लेकर बस मुस्कराए हुए अज़ीब निगाहों से देखा…”कभी कभी बदला अधूरा रही जाता है”…….देवश की मुस्कान एक पल के लिए कठोर सी हो गयी और ऊस्की निगाह फिर वही काला साया के रूप के भट्टी बदले की आग में जल उठी
रात के करीब 12 बज चुके थे….कुत्तों की हावव हावव आवाज़ को सुनकर एकबार बेचैनी से कमिशनर साहेब उठ बैठे….ऊन्होने एक नज़र अपनी बीवी की ओर की…जो घोड़े बेचके सो रही है…”अफ कितना बुरा सपना था काला साया ने तो मुझे मर ही डाला था”…..कमिशनर अपने भयंकर सपने को व्यतीत करते हुए बबदबड़ाया…ऊसने उठके झड़ से गिलास में डालकर एक गिलास पानी लिया और फिर धीमी साँस छोढ़ते हुए उठा…

“इतने बारे घर में इतनी सेक्यूरिटी है सबसे पहली बात घुसेगा कैसे हां हां हां हां”…….कमिशनर अपनी बुद्धि की तारीफ करते हुए तहाका लगाकर हंसा…”आज लगता है नींद नहीं आएगी अफ एक गिलास पी ही लेता हूँ”…..कॉँमससिओनेर धीरे धीरे अपने रूम से बाहर निकलकर सीडियो से नीचे उतरा…पास ही बने शराब की अलमारी से एक बोतल निकलकर वही पास के कुर्सी पे बैठकर टेबल पे रखकर गिलास में डालने लगा…”हां अच्छा हुआ वॉ मादरचोद खलनायक भी उम्म्म”….अपने गले में घोंटते हुए एक ही बार में जम खाली कर दी…दूसरा पेग बनाते हुए कमिशनर ने अभी आधी शराब पी ही थी की सामने खड़े ऊस शॅक्स को देखकर उसके हाथ से गिलास चुत के फर्श पे ही बिखर गया

कमिशनर : क्क्क..क्कहालननायक्ककक त..तूमम्म?

खलनायक : हाँ मैंन जिसके गान्ड के पीछे तू बहुत दीनो से पड़ा हुआ था बारे ही परवाचन सुनता है ना न्यूज मेंन अब बोल

कमिशनर : आररी रूपाल्ल्ल जीवँनन् आररी आई वातचममंणन्न् अरे कहाँ म्मररर गये सब के सब्बब? (कमिशनर डर के मारें चिल्ला उठा लेकिन कोई नहीं आया)

खलनायक : मुझे क्या इतना चूतिया समझा है की मैं ऐसे ही तेरे घर में घुस जाऊंगा उठ के देख उठ के देखह देखह (कॉँमससिओनेर भुआकलते हुए भागा बाहर की ओर बाहर का दरवाजा बंद था और बाहर के सारें सेक्यूरिटी मानो जैसे बेहोशी मुद्रा में परे थे) वैसे भी तेरी बीवी पे मुँह पे भी सेम स्प्रे छिड़का है अगर उसके ऊपर 10 आदमी भी चढ़ जाए ना हाहाहा तो उसे सुबह तक कुछ पता नहीं चलेगा

कमिशनर : से..हत्त अप्प द..एखू में..मैंन त..उंहें चोदूंगा नहीं यू आर..ए में..एससिंग डब्ल्यू.इतह आ पुलिस कोँमिससिओंनेर

खलनायक : हां हां हां हां जिसकी पेंट गीली है और जो अपने सामने कोई भी खतरनाक गुंडे को देखकर हल्का जाता है कॉँमससिओनेर उसे कहते है हां हां हां हां साले बेटीचोड़ तू भी बहुत बड़ा चोद लगता हे लेकिन तूने जो किया ना ऊस्की भरपाई तो तुझे दूँगा ही

खलनायक धीरे धीरे कोँमिससिओएंर के आगे आने लगा कमिशनर के पास कोई हत्यार नहीं था वो बस भौक्ला रहा था…भौक्लते भौक्लते उसके आँख इतने बारेह उए की वो ज़ोर से चिल्लाया और उसका जिस्म अकड़ने लगा….अपने सामने एक राक्षस जैसे मुखहोते को करीब आते देख जिसके हाथों में चाकू उसका दिल का दौरा बढ़ने लगा वो अपने कलेजे को पकड़ा वही गिरके छटपटाने लगा….खलनायक बस चुपचाप वैसे ही खड़ा रहा…कुछ देर बाद कमिशनर का बदन तहेर गया…खलनायक जनता था ऊस्की साँसें तांचुकी है

खलनायक : हां हां हां हां चलो आज पहली बार कोई मेरे खौफ से मारा है अगर ज़िंदा बचता तो बेदर्दी मौत मरता

अगले दिन कलकत्ता की एक पौष इलाके पे बने फ्लैट के अंदर देवश अड्रेस पूछते हुए आया….दरवाजा अपने आप खुल गया सामने मामुन सिगरेट पी रहा था उसका धुंआ छोढ़ते ही उसे कमरे में देवश आते दिखा “आए मेरे यार तू आ ही गया वाहह”……मामुन ने देवश से गले मिलकर उसके कंधे पे हाथ रखकर उसका स्वागत किया

देवश : क्या भाई तू तो बेहद अमीर हो गया ये सब क्या है? लगता है जैसे दावत रख है तूने मेरे लिए

मामुन : भाई आए और दावत ना रखू चल बैठ आज पहली बार आया है तू मेरे ग़रीबखाने चल एक एक पेग हो जाए

देवश : नहीं नहीं मैं पीता नहीं

मामुन : अच्छा ठीक है पर मैं तो इस जश्न्ञ में पिऊंगा (मामुन ने एक पेग बनाया और पीने लगा)

देवश चुपचाप मुस्कुराकर मामुन की ओर देखकर चारों ओर देखने लगा “वैसे काफी पैसेवला हो गया है तू?”….देवश ने तंग पे तंग रखते हुए कहा….मामुन बस पागलों की तरह हंस रहा था “भैईई सब खुदा की मर्जी है जिस आदमी के जिंदगी में पैसा ना हो वो कर भी क्या सकता था? और आज लौंडिया है पैसा है शौरहट है दौलत है”…….मामुन के आंखों में जैसे दुख के आँसू थे

देवश : हो भी क्यों ना? जो लोगों के दिल में दहशत फैलाए उसे तो सब खुदा ही मानेंगे ना मिस्टर खलनायक (चौका देने वाली थी ये बात मामुन कुछ देर तक गंभीर होकर देवश की शकल देखने लगा फिर मुस्कराया)

देवश : असल में तेरी चोरी पकड़ी गई है साले मुझे यकीन नहीं होता मेरा भाई खलनायक और मैं ही एक सूपरहीरो वाहह क्या फॅमिली है गंदा तो हमारा खून था ही जो कभी क्सिी के आँसुयो की कदर ना कर सका क्या बिगाड़ा था मैंने तेरा? जो तूने मुझसे इतना बड़ा बदला

मामुन : बदला बादडला में फूटत (मामुन ने एक ही झटके में टेबल पे साज़े सभी खाने को टेबल सहित उल्टा के फ़ेक दिया) अरे मैंने किसका क्या बिगाड़ा था? जो मुझे ये दिन देखना पारा एक दिन था जब रोती के लिए डर डर भीख माँगता था…तेरी वो दादी जिससे मेरे परिवार वालो ने अपना हक़ माँगा ऊसने मुझे मेरी मां सहित जॅलील करके भागाया मेरा बाप जो खुद एक नसेडी था ऊसने मुझे क्या दिया….भाई तुझे सब दिया और मुझे कुछ नहीं कुछ भी नहीं

देवश बस सुनता गया….”बचपन में ही मां को कैन्सर हो गया अपनी दादी से पैसे माँगे तो चाचा और चाची ने दादी सहित मुझे भगा दिया….फिर बापू का बढ़ता कर्ज़्ज़्ज़ कौन जी सकता है यार कौन? मां का दो साल में ही देहांत हो गया…बाप ने अपनी आदत नहीं छोढ़ी डर मैं भीख माँगता रहा दरवाजे दरवाजे पैसे की भीख माँगी…लेकिन दिल था की एक बहुत बड़ा आदमी बनूंगा और मैं बना भी खलनायक बना भी”…….मामुन की आंखें इस तरह अध्याना करने लगी जैसे ऊस्की सारी घटना उसके आंखों केसांने हो

“एक आदमी मिला एक दिन बोला मेरे बार में काम करेगा…मैं छोटा था मैंने हाँ कह दिया….असल में वो एक दूर्गस स्मगलिंग का धंधा करता था…धीरे धीरे मैं उसका अज़ीज़ बन गया उसके सारे पैटरे सीख लिए….और वो मेरे हाथ से सप्लाइ करवाने लगा ड्रग्स बंगाल से ब्ड तक ब्ड से मुंबई तक…हमारा कारोबार अच्छा चला…मैंने उसे साफ कहा की मैं पैसों के लिए कुछ भी कर सकता हूँ..चाहे किसी का खून भी एक जूननून था दिल में एक बड़ा जुनून एक दिन पुलिस ने पकड़ लिया 8 महीन के लिए जेल में डाल दिया…वापिस निकाला फिर कॉंटॅक्ट किया उसी आदमी से तब्टलाक़ मैं खुद बिज़्नेस संभालने लगा…और धीरे धीरे ब्ड में रहना शुरू कर दिया…यहां से मेरे काले धंधों का अच्छा कारोबार चलने लगा पैसा होने लगा…लौंडिया शौरहट सब होने लगा लेकिन जान का खतरा तो था ही…धीरे धीरे इसकी आदत पढ़ गयी और मैंने खुद के चेहरे को एक नाक़ा ब्सी ढक लिया जिस दुनिया में मुझे शैतान का नाम दिया गया था बुरा कहा जाता था वही नाम मैंने रखा…खलनायक्क इस तरह खलनायक बनकेना जाने कितनों की सुपारी ली कितने खून बहाए कितना दूर्गस बैचा कितनों की ज़िंदगया उज़ादी कितनों का घर उजड़ा लेकिन पैसा पैसाआ हर ओर से पैसा यही तो चाहिए एक मज़बूर को”……..मामुन की दास्तान सुनते सुनते मैं चुपचाप उसके हाथों में रखी ऊस खलनायक के मुखहोते को घूर्र रहा था

देवश : हम लेकिन तू बच्चा कैसे पिछली रात को? तू तो
मामुन : हां हां हां हां (तहाका लगाकर मामुन हंसा) अगर मेरा भाई एक शातिर खिलाड़ी हो सकता है काला साया तो मैं एक शातिर मुज़रिम क्यों नहीं? बेक उप प्लान बारे से बारे डॉन के पास रहता है…जल्दी से पिछली रास्ते से पानी में जब कूड़ा तो वहां मेरा बिसात पहले से ही बिछा हुआ था मुझे डूबना अच्छा आता है क्योंकि बहुत बार ड्रग्स जो पानी में गिरे है पुलिस की निगाहों से बचाने के लिए समंदर के अंदर तक छुपाया है…वैसे ही एक बहुत मैंने 20 में अंदर छुपाई थी…मौके पे फरार होने के लिए और उसी पल मैं कलकत्ता में प्रवेश कर गया
देवश : वाहह रे वाह फॅब्युलस डॉन बनना कोई तुझसे सीखे पर ये तेरी मज़बूरी नहीं थी तेरा शीतन बनने की दास्तान थी
मामुन : भाई जो भी बोल आज इस लाइन में बहुत पैसा है
देवश : रंडी के लाइन में भी पैसा है तो क्या अपनी गान्ड में लंड डालवौ और चुका बन जाओ वैसे भी तू हियिरा बन जा सरकार की तरफ से मुफ्त में!
मामुन : टेरी मां की चुत (देवश हस्सा मामुन के लाल लाल जलते आंखों को देख बस वो भी गंभीर हुआ)
देवश : आबे तू विक्टिम लगता है यार कोई डॉन नहीं मानता हूँ मज़बूरी इंसान को तबाह कर देती है पर तू खुद एक तबाह इंसान है कहीं भी तू जाए तुझे सरकार गोली मर देगी क्या मिलेगा ये सब करके? मुझे तो सुकून है तू मुझसे जलता है ना ये ले कागज़ पे लिखवाड़े तेरे नाम सबकुछ कर देता हूँ
मामुन : अरे भीख नहीं च्चाईए मुझे मना हम एक ही कश्ती के दो राही है पर तुझे सब मिला पर मुझे नहीं लेकिन अब तू बचेगा भी नहीं तूने वैसे ही आधे से ज्यादा मेरा प्लान बर्बाद कर दिया मेरी रोज़ को मुझसे छीन लिया
देवश : हां हां हां चाहे दौलत छीन के ले लेकिन याद रख प्यार पाया जाता है छीना नहीं

मामुन : शट अप्प यू रास्कल (मामुन ने गोली मेरे छाती पे रख दी मैं चुपचाप खड़ा रहा अचानक एक्ज़ोर्दार पीपे का प्रहार मेरे सर पे हुआ मैं बस वैसे ही त्तिहक के गिर पड़ा….जो पीछे खड़ा था उसे देखते ही मैं चौंक उठा ये कोई और नहीं मामुन का भाई कबीर था)
 
मामुन एकदम से तहाका लगकर हस्सने लगा “दास्तान तो सच्ची थी पर किरदार कोई और था तुझे क्या लगता है? की मैं खलनायक हूँ इतना बड़ा गान्डू समझा है मुझे जो अपना राज़ खुद ही बता दम…असली खलनायक तो ये है”……..मामुन ने अपने भाई के गले मिलते हुए बोला दोनों एक दूसरे से यूँ गले मिलते देख मैं दर्द से काँपते हुए उठने की कोशिश करने लगा कबीर मामुन का भाई जिसे आजतक मामुन ने छुपाएं रखा था

कबीर : हां हां हां कैसा है भाई मेरे? वाहह आज ऐसे सिचुयेशन में मिलना होगा सोचा नहीं था…मामुन बहुत अच्छा काम किया है तूने मेरे दुश्मन को मेरे ही घर लाके…दरअसल मामुन मेरा बिज़्नेस पार्ट्नर है शान्त्राज की चाल मैं चलता हूँ अंजाम ये उसे देता है खलनायक मैं बनता हूँ नाम ये लेता है समझा नहीं चल मैं समझता हूँ अबतक जो तूने सुना वो दास्तान इसकी नहीं मेरी थी….ये बेचारा तो हालत का मज़बूर था लेकिन जब खलनायक मैं बना तो इसे भी अपना अज़ीज़ बना लिया क्यों भाई?

मामुन : हाँ भाई

कबीर : वरना तू आ रहा है और मैं तेरे सामने आ जाओ ये जानते हुए की तू मुझे मारने के लिए पूरी तैयारी करके आएगा हां हः हां नो वे चल अब मैं तुझे सुनता हूँ आगे की दास्तान….मेरा भाई डर डर की ठोकरे कहा रहा था जब उसे पता चला की मैं एक शातिर डॉन बन गया हूँ खलनायक तो ऊसने मुझे हेल्प की…शातिर ऐसे नहीं बना मामुन की गर्लफ्रेंड क्या नाम था उसका

मामुन : चाँदनी भैईई

कबीर : हाँ चाँदनी ब्ड के सुपेरिटेंडेंट की बेटी जिसे जाल में इसने फंसाया मुझे बहुत पसंद थी मैं पुलिस की निगाहों में अबतक आया ही नहीं था पर साला दिल ये दिल एक दिन उसे इन्हीं हाथों से पकड़कर उसी के बिस्तर पे रेप किया मामुन बहुत कफा था मुझसे बहुत ज्यादा..लेकिन इसने भाई का फर्ज निभाया और हमने मिलकर ऊस्की नंगी लाश उसके बाप के सामने (दोनों भाई तहाका लगाकर हस्सने लगे मैं चुपचाप गिरा हुआ था)

कबीर : पूरा पुलिस फोर्स के जैसे आगे लगा दी हो गान्ड में हमारे पीछे पारह गये…इधर मेरी भी ताक़त दुगुनी होती गयी दुबई ओमान सौदी बांग्लादेश मुंबई सब जगह अपना ही बोलबाला होने लगा….और इधर मां जिसने हमें पाला मेरे बाप ने दूसरी शादी करके जिसे हामरे घर लाया जिसे ये भी पता ना इूसका बेटा कितना सफर्ड करके आज एक शख्सियत बना मेरा तो खून खौल गया और मैंने क्या किया पता हां? ऊस कुतिया को ब्लैकमेल किया अपनी ही सौतेली मां को पहले उसे ज़लील करने के लिए उसका बाय्फ्रेंड बनाया फिर उससे खलनायक बनकर फहईरौती माँगी और उसे पाते पे बुलाया और फिर उसके साथ मिलकर चोदा छोड़ी किया साली गान्ड बहुत टाइट थी….बाप को ये बात पता चल गयी और फिर हमने क्या किया पता है दोनों ने मिलकर ऊसको भी मर दिया हमारी सौतेली मां हम दोनों की रांड़ बन गयी हाहहाहा और एक दिन एक शीक की ऊसपे नज़र पड़ी और उसे भी हमने बैच दिया पहले तो बहुत नखरे कर रही थी फिर उसे इंजेक्शन लगा दिया उसके बाद इस तरह हमारी दास्तान चल पड़ी

देवश : आ..हह सोचा नहीं था की कभी इतने बार एमरडारचोड़ो से पाला पड़ेगा तुम जैसा दाज्जल अगर दुनिया में कोई होगा तो वो तुम दोनों ही होंगे लेकिन फिक्र नोट तुम लोग ये सोचक मुझे मरोगे की अब मैं पोलिसेवाल नहीं रहा तो ग़लतफहमी आहह (देवश ने उठते हुए मुस्कराया)

और ऊसने काला साया वाली चल चल दी अपने जुटे में रखकर ऊस पैकेट को जिसे ऊसने अपने हाथों में गिरे गिरे ही ले लिया था फौरन दोनों के ऊपर फैका हड़बड़ाहट में मामुन ने गोली चला दी जो सीधे पैकेट पे लगी और बढ़म्म से एक धुंआ फैल गया….देवश तब्टलाक़ अपनी भाई किक मामुन के छाती पे उतारके उसे गिरा चुका था…कबीर ख़ास्ते हुए पागलों की तरह अंधाधुंध पीपे मारें जा रहा था “मदारचोड़ड़ मेरे भाई को छोड्धह”…….मामुन कुछ का आर नहीं पा रहा था बस चीख और चिल्ला रहा था..

देवश ने उसके हाथों को बेदर्दी से माधोड़के तोड़ दिया…मामुन ज़ोर से चिल्ला उठा…पास रखी बोतल को देवश ने उठाकर उसके कनपाती पे दे मारा बोतल टूट गयी और मामुन के सर से खून निकालने लगा देवश ने मामुन के गर्दन को क़ास्सके जकड़ा और उसके पेंट पे ही जितनी बार होसका टूटी काँच की बोतल घुसेड़ दी…मामुन चीखता चिलाता रहा पर कबीर धुए की बदौलत अँधा हो गया था…कुछ देर बाद जब धुंआ हटा तो चीखते चिलाते कबीर ने सामने एक लाश देखी मामुन मर चुका था उसके पेंट गहराई तक कटा हुआ था चारों ओर खून ही खून

कबीर : हरामिी मदारचोद्द्दद्ड (कबीर का गुस्सा सातनवे आसमान पे चढ़ गया वो आग बाबूला होकर पागलों की तरह सोफा और टेबल को इधर उधर फैक्ने लगा)

तब्टलाक़ देवश बाथरूम में घुस चुका था और ऊसने अपनी गुण रेलोअडक आर ली…कबीर ने अपनी गुण निकाल ली और चारों ओर देवश को खोजने लगा “कमीने बाहर निकलल्ल्ल आज तुझहहे नहीं चोदूंगा”……अपने से खों भरे मामुन के लगे खून को हाथों से पोंछते हुए गुण किसी तरह देवश ने उठाया और दीवार से झाँका…कबीर ने फौरन फाइरिंग शुरू कर दी…दीवार में छेद हो गया देवश भागते हुए हेमां के पीछे चला गया ऊसने भी फाइरिंग शुरू कर दी….कबीर वैसे ही गिर पड़ा दोनों में से कोई हार नहीं मना….गोली से चारों ओर धुंआ धुंआ होने लगा

जब दोनों की गोली खाली हो गयी..तो फौरन कबीर ने गुण फ़ैक्हके देवश पे छलाँग लाग दी…देवश फौरन कबीर से हातपाई करने लगा…कबीर को जैसे खून सवार था ऊसने उसे फौरन पकड़कर दीवार पे दे मारा…देवश का आएना से सर टकरा गया वो धंस खाके गिर पड़ा….कबीर ने फौरन पास रखी तार देवश के गले पे लगाकर फसनी चाही…पा देवश ऊसपे घुसा और लात मरता रहा…कुछ देर में ही कबीर के सर पे पास रखकर वैसे का प्रहार हुआ और वो गिर पड़ा उसके माथे से खून बहाने लगा…देवश लंगदाते हुए बाहर निकल आया

कबीर ओसॉके ऊपर बैग की तरह झपटा..देवश ने फौरन उसके सर को पकड़ा और दोनों सोफे पे से गिरते हुए सीधे टेबल को ऊपर जा गिरे…टेबल टूट गया और दोनों घायल होकर इधर उधर गिर परे…देवश लंगदाते हुए फिर उठा…कबीर ने उसके दोनों आंखों में उंगली धस्सा दी…देवश ज़ोर से चिल्लाके सीडियो पे जा गिरा…कबीर ने तब्टलाक़ टीवी को उठाकर देवश पे मारना चाहा देवश सीडी से हाथ गया टीवी टूट गयी…देवश और कबीर दोनों ही खून खत्तर हो चुके थे….फार्महाउस जैसी जगह पे घर था दूर दूर तक कोई नहीं जैसे समझ आए की आख़िर मसला क्या है?

कबीर ने देवश को उठाया और सीधे दूसरी ओर पटक दिया…देवश बेहोश हो गया…कबीर इधर उधर भौक्लके गुण ढूंढ़ने लगा…ऊसने मामुन के गुण को उठा लिया और रोते हुए मामुन के चेहरे पे हाथ रखकर उसके माथे को चूमा मामुन की लाश वैसे ही पड़ी हुई थी…कबीर उठके चारों ओर देखने लगा “देवस्शह देवस्शह”…….पागलों की तरह कबीर इधर उधर खोजने लगा…लेकिन देवश वहां से गायब हो चुका था…कबीर को डर सताया और ऊसने बाहर की कुण्डी लगा दी..साथ ही साथ टूटी खिड़कियां और दरवाजे भी…ऊसने टीवी ऑन किया और फुल साउंड पे लगा दिया ताकि बाहर किसी को पता ना चल पाए की यहां क्या हो रहा है?

कबीर धीरे धीरे लंगदाते हुए पास रखी पीपे को उठाकर इधर उधर देवश को खोजने लगा “बाहर निकल्ल्ल मैंनी कहा बाहररर नियकल्ल्ल मदारचदोद्ड साली मेरे आदमियों को मर दिया मेरी महबूबा को मुझसे छीन लिया आहह आजज्ज तुझहही मैं ज़िदनान है छोढ़ूनाग तुझसे तेरा सबकुच छीन लूँगा मेरे भैईई को मारा तुन्नी हारांज़ाडी मेरी बाहियीई को”……कबीर चिल्लाता हुआ दहढ़ रहा था

अचानक वो पर्दे की तरफ जाने लगा..जैसे जैसे वो पर्दे के पास गया ऊसने एक ही झटके में परदा हटाया वहां कुछ नहीं था हवा से परदा हिल रहा था पूरे घर में खामोशी चाय थी सिर्फ़ टीवी की आवाज़ दूसरे कमरे से आ रही थी…इतने मेंन्न्न् कबीर एकदम से हड़बड़ाया और वो सीधे स्टोर रूम के दरवाजे से टकराते हुए उसके सामानो पे जा गिरा…”उग्गघ उहह आह”….ऊस्की आवाज़ घूंत्त चुकी थी सामने उसके ही मुखहोते को पहना खलनायक उसे मुस्कुराकर देख रहा था…कबीर मुँह से खून उगलता रहा उसके पेंट से आर पार एक चुरा हो चुका त हां….खलनायक ने उसे सख्त हाथों से खींचा कबीर ने उसका हाथ पकड़ना चाहा पर खलनायक ने उसे क़ास्सके एक बार और ज़ोर से खींचके निकाल डियाकबीर साँस खिंचता हुआ ऊस मुखहोते के तरफ हाथ बढ़ता है जिसे खलनायक पकड़ लेता है

“जिंदगी में एक आहेसन करना की दोबारा मिर जिंदगी में कभी मत आना अलविदा भी”…..खलनायक अपना मुखहोटा उठ आर फ़ैक्हता है देवोःस सामने खड़ा होता है और साथ ही उसका चुरा फिर कबीर के पेंट के अंदर धंस जाता है…कबीर की आंखें थे जाती है और वो मुस्कुराकर वैसे ही पत्थर बन जाता है

कुछ देर बाद लाहुलुहन लंगड़ते हुए देवश सुकून भर एअंडाज़ में मुस्कुराता है और कबीर की तरफ देखता है…कबीर के नास्स को छूते ही पता चलता है वो मारा जा चुका है चारों ओर सामान बिखरा पर है मामुन की एक जगह लस्शह पड़ी है “आख़िरकार खलनायक का अंत उसी के हाथों को चुका था”…..वो एक बार कमिशनर को खलने क्का मुखहोते पहनकर मर चुका त और उसका मुखहोटा कमिशनर के घर चोद आया था ताकि पुलिसवालो को लगे की खलनायक ने ही कमिशनर को मारा और इस देश से फरार हो गया

देवश बाथरूम में जाकर नहा लेता है और अपने आपको ठीक करते हुए एक बार दोनों लाशों की ओर देखता है कबीर के जगह पे पट्टी थी जहां उसे कल रात गोली लगी थी….देवश जानके खुश होता है खलनायक सच में ही मारा जा चुका है….देवश फोन करता है रोज़ को “हाँ रोज़ आहह से शादी की डेट फिक्स हो चुकी है हाँ तुम तैयार हो जाना प्लान चेंज हो गया है हम मेक्सिको जा रहे है हाँ बस जो कहा उसे सुन लो चुपचाप ओके में जान लव यू”……देवश मुस्कुराता है और खलनायक के मुखहोते को लेकर एक बार दोनों लाशों को देखता है फिर अपने कपड़े को बदलके घर से निकल जाता है….क्सिी को शक भी नहीं होता

देवश अपनी जीप स्टार्ट करता है और वहां से निकल जाता है….जल्द ही न्यूज सुनाने को मिलती है एक घर में दिन दहाड़े बेरहेमी से मौत कौन आया था कौन गया किसी को मालमूं नहीं? दो भाइयों की मौत जिनके बारे में पता चलता है की वो बांग्लादेश से है….कमिशनर का भी रात गये खून हुआ था सबूत में खलनायक का मुखहोटा मिलता है पुलिस को आख़िर खलनायक कौन था? ऊस्की मारने की वजह तो सामने आई ही थी की पुलिस उसके पीछे है और एनकाउंटर के आर्डर खुद कमिशनर ने दिए थे लेकिन खलनाया क्के मुखहोते के पीछे किसका चेहरा था ये आजतक ना तो पब्लिक और ना पुलिस ना जान पाए और ये भी शातिर गन्मन मुज़रिमो के लिस्ट में जुड़ चुका था

उधर काला साया फिर गुमनाम हो गया….ना जाने कहा चला गया लोग बस उसे अपना भगवान मानते थे रोज़ भी गायब थी पर कोई ये नहीं जनता था 2 साल बाद…मेक्सिको के समंदर पे पंचियो की आवाज़ को सुन लहरो को देखते हुए बहुत चलते देवश अपनी पत्नी रोज़ को बाहों में लिए बस अपने आनेवाली जिंदगी के बार्िएन में सोच रहा था …किस किस तरह जिंदगी ने ऐसा मोड़ लिया?….वो बस खुश था की आज उसका बदला यक़ीनन पूरी तरीके पूरा हो चुका था

THE END
 
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