desiaks
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UPDATE-75. (FINAL UPDATE)
मामुन : अययई बडी व्हातसस्स अप्प? कैसा हे तुऊउ?
देवश : अर्र…ई भी मेरे यार मेरी जानन्न तू सुना बस कैसा चल रहा है सब?
मामुन : चुप साले जबसे आया हो वएक बार भी फ़ॉएं नहीं किया तूने? ऐसा थोड़ी ना चलता है
देवश : भी मांफ कर दे कहूँ तो सॉरी पर प्लीज़ मेरी नादानी को मांफ़्क आर दे
मामुन : मांफ तो हम तब ही करेंगे जब आप यहां आएँगे म्ृर
देवश : भाई वो दरअसल!
मामुन : देख देख तूने नौकरी चोद दी है मुझे पता लग गया इतना पराया कर दिया मुझे तूने कोई प्राब्लम तो नहीं है ना पैसों की
देवश : भाई ज़मीदार के पोते है पैसों की कभी कमी हुई है भला
मामुन : ये हुई ना बात चल अच्छा हुआ अब तुझसे मुझसे डर नहीं लगेगा हाहाहा अच्छा भाई तुझे फोन करने का था की इस हफ्ते तू आजा मिलने देख ना मत करियो बहुत आस से फोन किया है यहां मैं काफी बोर हो रहा हूँ तू आएगा तो दिल बह लेगी
देवश : भाई लेकिन (कैसे कहता की अब मैं रोज़ से शादी को बेक़रार था लेकिन ना जाने क्या आया मैंने मुस्कुराकर हाँ कह दिया)
मामुन : ये हुई ना बात चल तू आजा पूरा खाने का इंतजाम करूँगा मैं वैसे सुनकर दुख हुआ की दिव्या!
देवश : भैया जाने दो प्लीज़
मामुन : ई आम सॉरी चल तू बस ये समझ की तेरा अपना अब भी ज़िंदा है कोई तू बस आजा मैं तेरा इंतजार कर रहा हूँ
देवश : ठीक है भाई
मामुन : ना रुकेगा कोई नहीं लेकिन भाई से मिल तो ले
देवश : अच्छा ठीक है बाबा आता हूँ
मामुन : यआःाहह चल फोन रख ओके बयी
मामुन ने फोन कट कर दिया….खैर ये भी ठीक ही था की एक बार मामुन से मिल लू ताकि गीले शिकवे सब दूर हो जाए…कैसे उसे काहु की मैं रोज़ से शादी करने वाला हूँ अब जैसे तैसे रोज़ से शादी करके मैं यहां से अब जाना ही चाहता था…जब इतना होप लेकर बुला र्हाः आई तो तहेरना कैसा?
देवश धीरे धीरे कवर्ड के पास गया और ऊसने मुस्कुराकर वो कवर्ड खोला जिसके अंदर एक गुण रखी थी….देवश ने उसे हाथ में लेकर बस मुस्कराए हुए अज़ीब निगाहों से देखा…”कभी कभी बदला अधूरा रही जाता है”…….देवश की मुस्कान एक पल के लिए कठोर सी हो गयी और ऊस्की निगाह फिर वही काला साया के रूप के भट्टी बदले की आग में जल उठी
रात के करीब 12 बज चुके थे….कुत्तों की हावव हावव आवाज़ को सुनकर एकबार बेचैनी से कमिशनर साहेब उठ बैठे….ऊन्होने एक नज़र अपनी बीवी की ओर की…जो घोड़े बेचके सो रही है…”अफ कितना बुरा सपना था काला साया ने तो मुझे मर ही डाला था”…..कमिशनर अपने भयंकर सपने को व्यतीत करते हुए बबदबड़ाया…ऊसने उठके झड़ से गिलास में डालकर एक गिलास पानी लिया और फिर धीमी साँस छोढ़ते हुए उठा…
“इतने बारे घर में इतनी सेक्यूरिटी है सबसे पहली बात घुसेगा कैसे हां हां हां हां”…….कमिशनर अपनी बुद्धि की तारीफ करते हुए तहाका लगाकर हंसा…”आज लगता है नींद नहीं आएगी अफ एक गिलास पी ही लेता हूँ”…..कॉँमससिओनेर धीरे धीरे अपने रूम से बाहर निकलकर सीडियो से नीचे उतरा…पास ही बने शराब की अलमारी से एक बोतल निकलकर वही पास के कुर्सी पे बैठकर टेबल पे रखकर गिलास में डालने लगा…”हां अच्छा हुआ वॉ मादरचोद खलनायक भी उम्म्म”….अपने गले में घोंटते हुए एक ही बार में जम खाली कर दी…दूसरा पेग बनाते हुए कमिशनर ने अभी आधी शराब पी ही थी की सामने खड़े ऊस शॅक्स को देखकर उसके हाथ से गिलास चुत के फर्श पे ही बिखर गया
कमिशनर : क्क्क..क्कहालननायक्ककक त..तूमम्म?
खलनायक : हाँ मैंन जिसके गान्ड के पीछे तू बहुत दीनो से पड़ा हुआ था बारे ही परवाचन सुनता है ना न्यूज मेंन अब बोल
कमिशनर : आररी रूपाल्ल्ल जीवँनन् आररी आई वातचममंणन्न् अरे कहाँ म्मररर गये सब के सब्बब? (कमिशनर डर के मारें चिल्ला उठा लेकिन कोई नहीं आया)
खलनायक : मुझे क्या इतना चूतिया समझा है की मैं ऐसे ही तेरे घर में घुस जाऊंगा उठ के देख उठ के देखह देखह (कॉँमससिओनेर भुआकलते हुए भागा बाहर की ओर बाहर का दरवाजा बंद था और बाहर के सारें सेक्यूरिटी मानो जैसे बेहोशी मुद्रा में परे थे) वैसे भी तेरी बीवी पे मुँह पे भी सेम स्प्रे छिड़का है अगर उसके ऊपर 10 आदमी भी चढ़ जाए ना हाहाहा तो उसे सुबह तक कुछ पता नहीं चलेगा
कमिशनर : से..हत्त अप्प द..एखू में..मैंन त..उंहें चोदूंगा नहीं यू आर..ए में..एससिंग डब्ल्यू.इतह आ पुलिस कोँमिससिओंनेर
खलनायक : हां हां हां हां जिसकी पेंट गीली है और जो अपने सामने कोई भी खतरनाक गुंडे को देखकर हल्का जाता है कॉँमससिओनेर उसे कहते है हां हां हां हां साले बेटीचोड़ तू भी बहुत बड़ा चोद लगता हे लेकिन तूने जो किया ना ऊस्की भरपाई तो तुझे दूँगा ही
खलनायक धीरे धीरे कोँमिससिओएंर के आगे आने लगा कमिशनर के पास कोई हत्यार नहीं था वो बस भौक्ला रहा था…भौक्लते भौक्लते उसके आँख इतने बारेह उए की वो ज़ोर से चिल्लाया और उसका जिस्म अकड़ने लगा….अपने सामने एक राक्षस जैसे मुखहोते को करीब आते देख जिसके हाथों में चाकू उसका दिल का दौरा बढ़ने लगा वो अपने कलेजे को पकड़ा वही गिरके छटपटाने लगा….खलनायक बस चुपचाप वैसे ही खड़ा रहा…कुछ देर बाद कमिशनर का बदन तहेर गया…खलनायक जनता था ऊस्की साँसें तांचुकी है
खलनायक : हां हां हां हां चलो आज पहली बार कोई मेरे खौफ से मारा है अगर ज़िंदा बचता तो बेदर्दी मौत मरता
अगले दिन कलकत्ता की एक पौष इलाके पे बने फ्लैट के अंदर देवश अड्रेस पूछते हुए आया….दरवाजा अपने आप खुल गया सामने मामुन सिगरेट पी रहा था उसका धुंआ छोढ़ते ही उसे कमरे में देवश आते दिखा “आए मेरे यार तू आ ही गया वाहह”……मामुन ने देवश से गले मिलकर उसके कंधे पे हाथ रखकर उसका स्वागत किया
देवश : क्या भाई तू तो बेहद अमीर हो गया ये सब क्या है? लगता है जैसे दावत रख है तूने मेरे लिए
मामुन : भाई आए और दावत ना रखू चल बैठ आज पहली बार आया है तू मेरे ग़रीबखाने चल एक एक पेग हो जाए
देवश : नहीं नहीं मैं पीता नहीं
मामुन : अच्छा ठीक है पर मैं तो इस जश्न्ञ में पिऊंगा (मामुन ने एक पेग बनाया और पीने लगा)
देवश चुपचाप मुस्कुराकर मामुन की ओर देखकर चारों ओर देखने लगा “वैसे काफी पैसेवला हो गया है तू?”….देवश ने तंग पे तंग रखते हुए कहा….मामुन बस पागलों की तरह हंस रहा था “भैईई सब खुदा की मर्जी है जिस आदमी के जिंदगी में पैसा ना हो वो कर भी क्या सकता था? और आज लौंडिया है पैसा है शौरहट है दौलत है”…….मामुन के आंखों में जैसे दुख के आँसू थे
देवश : हो भी क्यों ना? जो लोगों के दिल में दहशत फैलाए उसे तो सब खुदा ही मानेंगे ना मिस्टर खलनायक (चौका देने वाली थी ये बात मामुन कुछ देर तक गंभीर होकर देवश की शकल देखने लगा फिर मुस्कराया)
देवश : असल में तेरी चोरी पकड़ी गई है साले मुझे यकीन नहीं होता मेरा भाई खलनायक और मैं ही एक सूपरहीरो वाहह क्या फॅमिली है गंदा तो हमारा खून था ही जो कभी क्सिी के आँसुयो की कदर ना कर सका क्या बिगाड़ा था मैंने तेरा? जो तूने मुझसे इतना बड़ा बदला
मामुन : बदला बादडला में फूटत (मामुन ने एक ही झटके में टेबल पे साज़े सभी खाने को टेबल सहित उल्टा के फ़ेक दिया) अरे मैंने किसका क्या बिगाड़ा था? जो मुझे ये दिन देखना पारा एक दिन था जब रोती के लिए डर डर भीख माँगता था…तेरी वो दादी जिससे मेरे परिवार वालो ने अपना हक़ माँगा ऊसने मुझे मेरी मां सहित जॅलील करके भागाया मेरा बाप जो खुद एक नसेडी था ऊसने मुझे क्या दिया….भाई तुझे सब दिया और मुझे कुछ नहीं कुछ भी नहीं
देवश बस सुनता गया….”बचपन में ही मां को कैन्सर हो गया अपनी दादी से पैसे माँगे तो चाचा और चाची ने दादी सहित मुझे भगा दिया….फिर बापू का बढ़ता कर्ज़्ज़्ज़ कौन जी सकता है यार कौन? मां का दो साल में ही देहांत हो गया…बाप ने अपनी आदत नहीं छोढ़ी डर मैं भीख माँगता रहा दरवाजे दरवाजे पैसे की भीख माँगी…लेकिन दिल था की एक बहुत बड़ा आदमी बनूंगा और मैं बना भी खलनायक बना भी”…….मामुन की आंखें इस तरह अध्याना करने लगी जैसे ऊस्की सारी घटना उसके आंखों केसांने हो
“एक आदमी मिला एक दिन बोला मेरे बार में काम करेगा…मैं छोटा था मैंने हाँ कह दिया….असल में वो एक दूर्गस स्मगलिंग का धंधा करता था…धीरे धीरे मैं उसका अज़ीज़ बन गया उसके सारे पैटरे सीख लिए….और वो मेरे हाथ से सप्लाइ करवाने लगा ड्रग्स बंगाल से ब्ड तक ब्ड से मुंबई तक…हमारा कारोबार अच्छा चला…मैंने उसे साफ कहा की मैं पैसों के लिए कुछ भी कर सकता हूँ..चाहे किसी का खून भी एक जूननून था दिल में एक बड़ा जुनून एक दिन पुलिस ने पकड़ लिया 8 महीन के लिए जेल में डाल दिया…वापिस निकाला फिर कॉंटॅक्ट किया उसी आदमी से तब्टलाक़ मैं खुद बिज़्नेस संभालने लगा…और धीरे धीरे ब्ड में रहना शुरू कर दिया…यहां से मेरे काले धंधों का अच्छा कारोबार चलने लगा पैसा होने लगा…लौंडिया शौरहट सब होने लगा लेकिन जान का खतरा तो था ही…धीरे धीरे इसकी आदत पढ़ गयी और मैंने खुद के चेहरे को एक नाक़ा ब्सी ढक लिया जिस दुनिया में मुझे शैतान का नाम दिया गया था बुरा कहा जाता था वही नाम मैंने रखा…खलनायक्क इस तरह खलनायक बनकेना जाने कितनों की सुपारी ली कितने खून बहाए कितना दूर्गस बैचा कितनों की ज़िंदगया उज़ादी कितनों का घर उजड़ा लेकिन पैसा पैसाआ हर ओर से पैसा यही तो चाहिए एक मज़बूर को”……..मामुन की दास्तान सुनते सुनते मैं चुपचाप उसके हाथों में रखी ऊस खलनायक के मुखहोते को घूर्र रहा था
देवश : हम लेकिन तू बच्चा कैसे पिछली रात को? तू तो
मामुन : हां हां हां हां (तहाका लगाकर मामुन हंसा) अगर मेरा भाई एक शातिर खिलाड़ी हो सकता है काला साया तो मैं एक शातिर मुज़रिम क्यों नहीं? बेक उप प्लान बारे से बारे डॉन के पास रहता है…जल्दी से पिछली रास्ते से पानी में जब कूड़ा तो वहां मेरा बिसात पहले से ही बिछा हुआ था मुझे डूबना अच्छा आता है क्योंकि बहुत बार ड्रग्स जो पानी में गिरे है पुलिस की निगाहों से बचाने के लिए समंदर के अंदर तक छुपाया है…वैसे ही एक बहुत मैंने 20 में अंदर छुपाई थी…मौके पे फरार होने के लिए और उसी पल मैं कलकत्ता में प्रवेश कर गया
देवश : वाहह रे वाह फॅब्युलस डॉन बनना कोई तुझसे सीखे पर ये तेरी मज़बूरी नहीं थी तेरा शीतन बनने की दास्तान थी
मामुन : भाई जो भी बोल आज इस लाइन में बहुत पैसा है
देवश : रंडी के लाइन में भी पैसा है तो क्या अपनी गान्ड में लंड डालवौ और चुका बन जाओ वैसे भी तू हियिरा बन जा सरकार की तरफ से मुफ्त में!
मामुन : टेरी मां की चुत (देवश हस्सा मामुन के लाल लाल जलते आंखों को देख बस वो भी गंभीर हुआ)
देवश : आबे तू विक्टिम लगता है यार कोई डॉन नहीं मानता हूँ मज़बूरी इंसान को तबाह कर देती है पर तू खुद एक तबाह इंसान है कहीं भी तू जाए तुझे सरकार गोली मर देगी क्या मिलेगा ये सब करके? मुझे तो सुकून है तू मुझसे जलता है ना ये ले कागज़ पे लिखवाड़े तेरे नाम सबकुछ कर देता हूँ
मामुन : अरे भीख नहीं च्चाईए मुझे मना हम एक ही कश्ती के दो राही है पर तुझे सब मिला पर मुझे नहीं लेकिन अब तू बचेगा भी नहीं तूने वैसे ही आधे से ज्यादा मेरा प्लान बर्बाद कर दिया मेरी रोज़ को मुझसे छीन लिया
देवश : हां हां हां चाहे दौलत छीन के ले लेकिन याद रख प्यार पाया जाता है छीना नहीं
मामुन : शट अप्प यू रास्कल (मामुन ने गोली मेरे छाती पे रख दी मैं चुपचाप खड़ा रहा अचानक एक्ज़ोर्दार पीपे का प्रहार मेरे सर पे हुआ मैं बस वैसे ही त्तिहक के गिर पड़ा….जो पीछे खड़ा था उसे देखते ही मैं चौंक उठा ये कोई और नहीं मामुन का भाई कबीर था)
मामुन : अययई बडी व्हातसस्स अप्प? कैसा हे तुऊउ?
देवश : अर्र…ई भी मेरे यार मेरी जानन्न तू सुना बस कैसा चल रहा है सब?
मामुन : चुप साले जबसे आया हो वएक बार भी फ़ॉएं नहीं किया तूने? ऐसा थोड़ी ना चलता है
देवश : भी मांफ कर दे कहूँ तो सॉरी पर प्लीज़ मेरी नादानी को मांफ़्क आर दे
मामुन : मांफ तो हम तब ही करेंगे जब आप यहां आएँगे म्ृर
देवश : भाई वो दरअसल!
मामुन : देख देख तूने नौकरी चोद दी है मुझे पता लग गया इतना पराया कर दिया मुझे तूने कोई प्राब्लम तो नहीं है ना पैसों की
देवश : भाई ज़मीदार के पोते है पैसों की कभी कमी हुई है भला
मामुन : ये हुई ना बात चल अच्छा हुआ अब तुझसे मुझसे डर नहीं लगेगा हाहाहा अच्छा भाई तुझे फोन करने का था की इस हफ्ते तू आजा मिलने देख ना मत करियो बहुत आस से फोन किया है यहां मैं काफी बोर हो रहा हूँ तू आएगा तो दिल बह लेगी
देवश : भाई लेकिन (कैसे कहता की अब मैं रोज़ से शादी को बेक़रार था लेकिन ना जाने क्या आया मैंने मुस्कुराकर हाँ कह दिया)
मामुन : ये हुई ना बात चल तू आजा पूरा खाने का इंतजाम करूँगा मैं वैसे सुनकर दुख हुआ की दिव्या!
देवश : भैया जाने दो प्लीज़
मामुन : ई आम सॉरी चल तू बस ये समझ की तेरा अपना अब भी ज़िंदा है कोई तू बस आजा मैं तेरा इंतजार कर रहा हूँ
देवश : ठीक है भाई
मामुन : ना रुकेगा कोई नहीं लेकिन भाई से मिल तो ले
देवश : अच्छा ठीक है बाबा आता हूँ
मामुन : यआःाहह चल फोन रख ओके बयी
मामुन ने फोन कट कर दिया….खैर ये भी ठीक ही था की एक बार मामुन से मिल लू ताकि गीले शिकवे सब दूर हो जाए…कैसे उसे काहु की मैं रोज़ से शादी करने वाला हूँ अब जैसे तैसे रोज़ से शादी करके मैं यहां से अब जाना ही चाहता था…जब इतना होप लेकर बुला र्हाः आई तो तहेरना कैसा?
देवश धीरे धीरे कवर्ड के पास गया और ऊसने मुस्कुराकर वो कवर्ड खोला जिसके अंदर एक गुण रखी थी….देवश ने उसे हाथ में लेकर बस मुस्कराए हुए अज़ीब निगाहों से देखा…”कभी कभी बदला अधूरा रही जाता है”…….देवश की मुस्कान एक पल के लिए कठोर सी हो गयी और ऊस्की निगाह फिर वही काला साया के रूप के भट्टी बदले की आग में जल उठी
रात के करीब 12 बज चुके थे….कुत्तों की हावव हावव आवाज़ को सुनकर एकबार बेचैनी से कमिशनर साहेब उठ बैठे….ऊन्होने एक नज़र अपनी बीवी की ओर की…जो घोड़े बेचके सो रही है…”अफ कितना बुरा सपना था काला साया ने तो मुझे मर ही डाला था”…..कमिशनर अपने भयंकर सपने को व्यतीत करते हुए बबदबड़ाया…ऊसने उठके झड़ से गिलास में डालकर एक गिलास पानी लिया और फिर धीमी साँस छोढ़ते हुए उठा…
“इतने बारे घर में इतनी सेक्यूरिटी है सबसे पहली बात घुसेगा कैसे हां हां हां हां”…….कमिशनर अपनी बुद्धि की तारीफ करते हुए तहाका लगाकर हंसा…”आज लगता है नींद नहीं आएगी अफ एक गिलास पी ही लेता हूँ”…..कॉँमससिओनेर धीरे धीरे अपने रूम से बाहर निकलकर सीडियो से नीचे उतरा…पास ही बने शराब की अलमारी से एक बोतल निकलकर वही पास के कुर्सी पे बैठकर टेबल पे रखकर गिलास में डालने लगा…”हां अच्छा हुआ वॉ मादरचोद खलनायक भी उम्म्म”….अपने गले में घोंटते हुए एक ही बार में जम खाली कर दी…दूसरा पेग बनाते हुए कमिशनर ने अभी आधी शराब पी ही थी की सामने खड़े ऊस शॅक्स को देखकर उसके हाथ से गिलास चुत के फर्श पे ही बिखर गया
कमिशनर : क्क्क..क्कहालननायक्ककक त..तूमम्म?
खलनायक : हाँ मैंन जिसके गान्ड के पीछे तू बहुत दीनो से पड़ा हुआ था बारे ही परवाचन सुनता है ना न्यूज मेंन अब बोल
कमिशनर : आररी रूपाल्ल्ल जीवँनन् आररी आई वातचममंणन्न् अरे कहाँ म्मररर गये सब के सब्बब? (कमिशनर डर के मारें चिल्ला उठा लेकिन कोई नहीं आया)
खलनायक : मुझे क्या इतना चूतिया समझा है की मैं ऐसे ही तेरे घर में घुस जाऊंगा उठ के देख उठ के देखह देखह (कॉँमससिओनेर भुआकलते हुए भागा बाहर की ओर बाहर का दरवाजा बंद था और बाहर के सारें सेक्यूरिटी मानो जैसे बेहोशी मुद्रा में परे थे) वैसे भी तेरी बीवी पे मुँह पे भी सेम स्प्रे छिड़का है अगर उसके ऊपर 10 आदमी भी चढ़ जाए ना हाहाहा तो उसे सुबह तक कुछ पता नहीं चलेगा
कमिशनर : से..हत्त अप्प द..एखू में..मैंन त..उंहें चोदूंगा नहीं यू आर..ए में..एससिंग डब्ल्यू.इतह आ पुलिस कोँमिससिओंनेर
खलनायक : हां हां हां हां जिसकी पेंट गीली है और जो अपने सामने कोई भी खतरनाक गुंडे को देखकर हल्का जाता है कॉँमससिओनेर उसे कहते है हां हां हां हां साले बेटीचोड़ तू भी बहुत बड़ा चोद लगता हे लेकिन तूने जो किया ना ऊस्की भरपाई तो तुझे दूँगा ही
खलनायक धीरे धीरे कोँमिससिओएंर के आगे आने लगा कमिशनर के पास कोई हत्यार नहीं था वो बस भौक्ला रहा था…भौक्लते भौक्लते उसके आँख इतने बारेह उए की वो ज़ोर से चिल्लाया और उसका जिस्म अकड़ने लगा….अपने सामने एक राक्षस जैसे मुखहोते को करीब आते देख जिसके हाथों में चाकू उसका दिल का दौरा बढ़ने लगा वो अपने कलेजे को पकड़ा वही गिरके छटपटाने लगा….खलनायक बस चुपचाप वैसे ही खड़ा रहा…कुछ देर बाद कमिशनर का बदन तहेर गया…खलनायक जनता था ऊस्की साँसें तांचुकी है
खलनायक : हां हां हां हां चलो आज पहली बार कोई मेरे खौफ से मारा है अगर ज़िंदा बचता तो बेदर्दी मौत मरता
अगले दिन कलकत्ता की एक पौष इलाके पे बने फ्लैट के अंदर देवश अड्रेस पूछते हुए आया….दरवाजा अपने आप खुल गया सामने मामुन सिगरेट पी रहा था उसका धुंआ छोढ़ते ही उसे कमरे में देवश आते दिखा “आए मेरे यार तू आ ही गया वाहह”……मामुन ने देवश से गले मिलकर उसके कंधे पे हाथ रखकर उसका स्वागत किया
देवश : क्या भाई तू तो बेहद अमीर हो गया ये सब क्या है? लगता है जैसे दावत रख है तूने मेरे लिए
मामुन : भाई आए और दावत ना रखू चल बैठ आज पहली बार आया है तू मेरे ग़रीबखाने चल एक एक पेग हो जाए
देवश : नहीं नहीं मैं पीता नहीं
मामुन : अच्छा ठीक है पर मैं तो इस जश्न्ञ में पिऊंगा (मामुन ने एक पेग बनाया और पीने लगा)
देवश चुपचाप मुस्कुराकर मामुन की ओर देखकर चारों ओर देखने लगा “वैसे काफी पैसेवला हो गया है तू?”….देवश ने तंग पे तंग रखते हुए कहा….मामुन बस पागलों की तरह हंस रहा था “भैईई सब खुदा की मर्जी है जिस आदमी के जिंदगी में पैसा ना हो वो कर भी क्या सकता था? और आज लौंडिया है पैसा है शौरहट है दौलत है”…….मामुन के आंखों में जैसे दुख के आँसू थे
देवश : हो भी क्यों ना? जो लोगों के दिल में दहशत फैलाए उसे तो सब खुदा ही मानेंगे ना मिस्टर खलनायक (चौका देने वाली थी ये बात मामुन कुछ देर तक गंभीर होकर देवश की शकल देखने लगा फिर मुस्कराया)
देवश : असल में तेरी चोरी पकड़ी गई है साले मुझे यकीन नहीं होता मेरा भाई खलनायक और मैं ही एक सूपरहीरो वाहह क्या फॅमिली है गंदा तो हमारा खून था ही जो कभी क्सिी के आँसुयो की कदर ना कर सका क्या बिगाड़ा था मैंने तेरा? जो तूने मुझसे इतना बड़ा बदला
मामुन : बदला बादडला में फूटत (मामुन ने एक ही झटके में टेबल पे साज़े सभी खाने को टेबल सहित उल्टा के फ़ेक दिया) अरे मैंने किसका क्या बिगाड़ा था? जो मुझे ये दिन देखना पारा एक दिन था जब रोती के लिए डर डर भीख माँगता था…तेरी वो दादी जिससे मेरे परिवार वालो ने अपना हक़ माँगा ऊसने मुझे मेरी मां सहित जॅलील करके भागाया मेरा बाप जो खुद एक नसेडी था ऊसने मुझे क्या दिया….भाई तुझे सब दिया और मुझे कुछ नहीं कुछ भी नहीं
देवश बस सुनता गया….”बचपन में ही मां को कैन्सर हो गया अपनी दादी से पैसे माँगे तो चाचा और चाची ने दादी सहित मुझे भगा दिया….फिर बापू का बढ़ता कर्ज़्ज़्ज़ कौन जी सकता है यार कौन? मां का दो साल में ही देहांत हो गया…बाप ने अपनी आदत नहीं छोढ़ी डर मैं भीख माँगता रहा दरवाजे दरवाजे पैसे की भीख माँगी…लेकिन दिल था की एक बहुत बड़ा आदमी बनूंगा और मैं बना भी खलनायक बना भी”…….मामुन की आंखें इस तरह अध्याना करने लगी जैसे ऊस्की सारी घटना उसके आंखों केसांने हो
“एक आदमी मिला एक दिन बोला मेरे बार में काम करेगा…मैं छोटा था मैंने हाँ कह दिया….असल में वो एक दूर्गस स्मगलिंग का धंधा करता था…धीरे धीरे मैं उसका अज़ीज़ बन गया उसके सारे पैटरे सीख लिए….और वो मेरे हाथ से सप्लाइ करवाने लगा ड्रग्स बंगाल से ब्ड तक ब्ड से मुंबई तक…हमारा कारोबार अच्छा चला…मैंने उसे साफ कहा की मैं पैसों के लिए कुछ भी कर सकता हूँ..चाहे किसी का खून भी एक जूननून था दिल में एक बड़ा जुनून एक दिन पुलिस ने पकड़ लिया 8 महीन के लिए जेल में डाल दिया…वापिस निकाला फिर कॉंटॅक्ट किया उसी आदमी से तब्टलाक़ मैं खुद बिज़्नेस संभालने लगा…और धीरे धीरे ब्ड में रहना शुरू कर दिया…यहां से मेरे काले धंधों का अच्छा कारोबार चलने लगा पैसा होने लगा…लौंडिया शौरहट सब होने लगा लेकिन जान का खतरा तो था ही…धीरे धीरे इसकी आदत पढ़ गयी और मैंने खुद के चेहरे को एक नाक़ा ब्सी ढक लिया जिस दुनिया में मुझे शैतान का नाम दिया गया था बुरा कहा जाता था वही नाम मैंने रखा…खलनायक्क इस तरह खलनायक बनकेना जाने कितनों की सुपारी ली कितने खून बहाए कितना दूर्गस बैचा कितनों की ज़िंदगया उज़ादी कितनों का घर उजड़ा लेकिन पैसा पैसाआ हर ओर से पैसा यही तो चाहिए एक मज़बूर को”……..मामुन की दास्तान सुनते सुनते मैं चुपचाप उसके हाथों में रखी ऊस खलनायक के मुखहोते को घूर्र रहा था
देवश : हम लेकिन तू बच्चा कैसे पिछली रात को? तू तो
मामुन : हां हां हां हां (तहाका लगाकर मामुन हंसा) अगर मेरा भाई एक शातिर खिलाड़ी हो सकता है काला साया तो मैं एक शातिर मुज़रिम क्यों नहीं? बेक उप प्लान बारे से बारे डॉन के पास रहता है…जल्दी से पिछली रास्ते से पानी में जब कूड़ा तो वहां मेरा बिसात पहले से ही बिछा हुआ था मुझे डूबना अच्छा आता है क्योंकि बहुत बार ड्रग्स जो पानी में गिरे है पुलिस की निगाहों से बचाने के लिए समंदर के अंदर तक छुपाया है…वैसे ही एक बहुत मैंने 20 में अंदर छुपाई थी…मौके पे फरार होने के लिए और उसी पल मैं कलकत्ता में प्रवेश कर गया
देवश : वाहह रे वाह फॅब्युलस डॉन बनना कोई तुझसे सीखे पर ये तेरी मज़बूरी नहीं थी तेरा शीतन बनने की दास्तान थी
मामुन : भाई जो भी बोल आज इस लाइन में बहुत पैसा है
देवश : रंडी के लाइन में भी पैसा है तो क्या अपनी गान्ड में लंड डालवौ और चुका बन जाओ वैसे भी तू हियिरा बन जा सरकार की तरफ से मुफ्त में!
मामुन : टेरी मां की चुत (देवश हस्सा मामुन के लाल लाल जलते आंखों को देख बस वो भी गंभीर हुआ)
देवश : आबे तू विक्टिम लगता है यार कोई डॉन नहीं मानता हूँ मज़बूरी इंसान को तबाह कर देती है पर तू खुद एक तबाह इंसान है कहीं भी तू जाए तुझे सरकार गोली मर देगी क्या मिलेगा ये सब करके? मुझे तो सुकून है तू मुझसे जलता है ना ये ले कागज़ पे लिखवाड़े तेरे नाम सबकुछ कर देता हूँ
मामुन : अरे भीख नहीं च्चाईए मुझे मना हम एक ही कश्ती के दो राही है पर तुझे सब मिला पर मुझे नहीं लेकिन अब तू बचेगा भी नहीं तूने वैसे ही आधे से ज्यादा मेरा प्लान बर्बाद कर दिया मेरी रोज़ को मुझसे छीन लिया
देवश : हां हां हां चाहे दौलत छीन के ले लेकिन याद रख प्यार पाया जाता है छीना नहीं
मामुन : शट अप्प यू रास्कल (मामुन ने गोली मेरे छाती पे रख दी मैं चुपचाप खड़ा रहा अचानक एक्ज़ोर्दार पीपे का प्रहार मेरे सर पे हुआ मैं बस वैसे ही त्तिहक के गिर पड़ा….जो पीछे खड़ा था उसे देखते ही मैं चौंक उठा ये कोई और नहीं मामुन का भाई कबीर था)