antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स - Page 2 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स

[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]सिचुयेशन ऐसी है कि आराधना के ठीक सामने उसके डॅडी यानी पंकज खड़ा है और आराधना के ठीक पीछे सिमरन खड़ी है. ब्लाउस के बटन टूटने से आराधना के बूब्स बस ब्लॅक ब्रा मे रह जाते है. एक जवान लड़की जो अपने गले से नीचे भी कभी किसी को नही देखने देती, एक जवान लड़की जो पूरी कोशिश करती है कि फुल स्लीव कपड़े पहने, एक जवान लड़की जिसने अपने हुस्न को सब की नज़रो से बचा कर रखा हुआ था, आज वो ओपन हो गया वो भी अपने डॅडी के सामने. साड़ी का पल्लू अभी भी उपर था लेकिन ब्लाउस खुल चुका था, ब्लॅक ब्रा मे उसके वाइट हार्ड बूब्स बेहद ही ज़्यादा खूबसूरत दिख रहे थे. उसके बटन टूटने से हॉल मे एकदम सन्नाटा हो जाता है जैसे पिन ड्रॉप साइलेन्स. बड़ी मुश्किल से और शरमाते हुए आराधना अपने दोनो हाथ अपने बूब्स पे रख कर उन्हे कवर करती है पंकज का मूँह खुला का खुला रह गया. उसको ज़रा सा भी आइडिया नही था कि मासूम सी कपड़ो मे धकि रहने वाली काली एक सेक्स बॉम्ब बन चुकी है.

आराधना को कुच्छ समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे, वो शरम के मारे ज़मीन मे गढ़े जा रही थी. दूसरी तरफ उसने राहत की साँस भी ली क्यूंकी ब्लाउस कुच्छ ज़्यादा ही टाइट था. उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसे आज आज़ादी मिल गयी हो.

जैसे ही सब होश मे आते है, आराधना घूम जाती है और उसकी पीठ अब पंकज की तरफ है आंड फेस सिमरन की तरफ. पंकज को अब उसके ब्लाउस की बस स्ट्रिप नज़र आ रही है और उसकी नंगी पीठ. उसका पेटिकोट उसके हिप्स से बस थोड़ा ही उपर बँधा हुआ था तो उसके ब्लाउस और पेटिकोट मे बीच की खाली नंगी जगह का पंकज दीदार बखूबी कर रहा था. जैसे ही आराधना घूमती है, वो इशारे मे सिमरन से पूछती है कि वो क्या करे. सिमरन उसे इशारा करती है कि सिचुयेशन सही नही है और तू उपर भाग जा. आराधना शरमा के उपर जाने लगती है, वो ज़्यादा तेज नही चल सकती है क्यूंकी उसे ये डर है कि कहीं पेटिकोट मे भी कुच्छ ना हो जाए. पंकज की निगाहे बस उसके मटकते हुए चुतडो पर ही जमी हुई है, जाते जाते आराधना पीछे मुड़कर देखती है और पंकज को अपने चुतडो को घूरते हुए पाती है. लेकिन पंकज मस्त है और उसे अहसास नही है कि उसकी जवान बेटी उसको देख रही है. थोड़ी ही देर मे उपर अपने रूम मे पहुँच जाती है. सिमरन इस सन्नाटे को तोड़ती है.

सिमरन -" उन्ह, उन्ह" वो जैसे गले मे खराश हो ऐसा रिएक्ट करती है. इससे पंकज का ध्यान वापिस सिमरन की ओर आता है.

पंकज -" काफ़ी अच्छी लग रही थी". पंकज ने ऐसा रिएक्ट किया जैसे सब नॉर्मल है

सिमरन-" इसे अच्छी नही, डॅम सेक्सी कहते है अंकल. अब भी आप कहोगे कि वो बच्ची है. उसकी बॉडी मे अब कुच्छ ऐसा नही जो बच्चो की मे होता है."

पंकज -" वो तो तुम सही कह रही हो लेकिन अभी भी मेरा ध्यान तुम्हारी ही तरफ है". ये कहते हुए पंकज सिमरन की तरफ बढ़ने लगता है, सिमरन उसे अंगूठा दिखाते हुए घर से बाहर भाग जाती है. पंकज का हैडेक बहुत बढ़ चुका है, उसे कुच्छ समझ नही आ रहा है.
आराधना उपर अपने रूम मे पहुँचती है और अंदर आते ही अपना गेट लॉक करती है. वो अपने साड़ी के पल्लू को अपने कंधे से हटा कर नीचे गिराती है, अपने हॉट आंड सेक्सी बूब्स का क्लीवेज़ देख कर वो खुद सन्न है. मिरर मे अपने आप को देखते हुए वो शरमा रही है. मिरर मे देखते देखते हुए अपना ब्लाउस उतारती है, अभी नीचे सारी और पेटिकोट ही था लेकिन उपर बस ब्रा. वो धीरे धीरे साड़ी को खोलना शुरू करती है. इसके बाद वो पेटिकोट की निट खोलने के लिए अपने हाथ नीचे ले जाती है, अपनी नाभि पर अपने हाथ लगने से ही वो मदहोश सी हो रही है. पेटिकोट की नाट खोलने के बाद भी उसे नीचे उतारने मे बहुत मेहनत लगी वो भी हिप्स पर से, पेटिकोट ऐसे उतर रहा था जैसे कोई फिटिंग की जीन्स हो. अब आराधना बस पैंटी और ब्रा मे है. आज पहली बार ऐसा हुआ है कि बाथरूम से बाहर आराधना ब्रा और पैंटी मे है. वो घूम घूम कर अपने आप को मिरर मे देख रही है, साइड पोज़ मे अपने बाहर निकले स्लॉपी हिप्स को देखती है. उसके चेहरे से मुस्कान जाने का नाम नही ले रही है.

लेकिन सिमरन अपने मकसद मे कामयाब हो चुकी थी वो बस पंकज को असली आराधना दिखाना चाहती थी बल्कि वो आराधना नही जो कपड़ो मे धकि रहती है. पंकज पागलो की तरह खोया हुआ है, सिमरन उसकी अंतर आत्मा को भड़का चुकी थी, वो अभी भी बॉक्सर शॉर्ट मे ही था उसके उपर टी-शर्ट पहन लेता है. सोफे पे बैठ कर वो सोचने लगता है कि कैसे सिमरन उसकी तरफ बढ़ी थी और उसकी सकिंग करनी स्टार्ट कर दी थी. ये सोचते ही उसके अंग अंग मे एनर्जी आ गयी, लंड सूपर हार्ड हो गया और उसके शॉर्ट मे से बाहर निकलने को तैयार हो रहा था. आदमी की भूख जैसे जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे वैसे बढ़ती जाती है. वो भी इस सोच मे पड़ गया था कि ये क्या हो रहा है लाइफ मे, स्मृति उसको कुच्छ करने नही देती है और वो है कि चूत के बिना नही रहा जा रहा है. थोड़ा स्ट्रेस को मिटाने के लिए सोफे पे पड़ा सिगरेट बॉक्स उठाता है और एक सिगेरेट सुलगा लेता है. स्मोकिंग करते करते और धुँआ हवा मे उड़ाते उड़ाते उसे फिर से सिमरन का ख्याल आता है. " क्यू ना आराधना से सिमरन का मोबाइल नंबर लिया जाए" पंकज के माइंड मे ये ख्याल आता है. और उसके कदम उपर की तरफ बढ़ने लगते है.

उपर पहुँच कर वो आराधना के रूम का डोर नॉक करता है. आराधना रूम के अंदर ये सोचती है कि शायद प्रीति आई होगी और टवल लपेट कर गेट खोलती है. सामने उसके डॅडी खड़े थे, शॉर्ट और टी-शर्ट पहने हुए. स्मोकिंग करने के अंदाज़ से ही लग रहा था कि वो काफ़ी टेन्स है, लेकिन फिर भी वो एक सेक्सी पर्सनॅलिटी का मालिक था दोनो की नज़रे मिलती है, पंकज पहले बार अपनी जवान बेटी के नंगे शोल्डर्स, और नंगी टांगे देखता है क्यूंकी टवल बस उसको थाइस तक कवर कर रहा था. बिना कुच्छ बोले आराधना घूमती है और धीरे धीरे रूम के अंदर जाने लगती है, जैसे पंकज को अपने पीछे इन्वाइट कर रही हो. उसके सिल्की हेर उसके हिप्स तक आ रहे थे, उन्ही को देखता देखता पंकज उसके रूम मे एंटर हो जाता है. चलते चलते आराधना पीछे देखती है और पंकज की तरफ एक स्माइल देती है. थोड़ा आगे बढ़ कर आराधना बेड के कोने पे बैठ जाती है, उसके बहुत ही करीब पंकज बेत जाता है.
आराधना( नज़रे झुकाए हुए और शरमाते हुए). - " तो कैसी लगी आज मे आपको". उसकी आवाज़ मे कंपन थी.

पंकज -" मुझे सच मे पता नही था कि मेरी बेटी इतनी बड़ी हो चुकी है." पंकज ने एक झटके मे बोल दिया.

आराधना- "धात". शरमाते हुए एक हाथ अपने डॅड के पाँव पे मारती है. आराधना फिर से बोलती है.

आराधना -" लेकिन अचानक ये सर्प्राइज़ कैसे दिया और इसमे सिमरन को क्यू शामिल किया."

पंकज -" ऐसे ही बेटी, आज तक मेने अपने बच्ची को कभी कोई गिफ्ट नही दिया तो सोचा अब की बार दे दू.". ये बात पंकज ने बहुत रोमॅंटिक अंदाज़ मे सिगेरेट का कश लेते हुई कही, और सारा स्मोक ठीक आराधना के चेहरे पर गया. स्मोकिंग से इतनी नफ़रत करने वाली आराधना आज इस स्मोक से भी नही घबराई बल्कि पंकज के इस मर्दाना स्टाइल से वो थोड़ी और इंप्रेस सी लगी. स्ट्रेट हेअर, डार्क लिपस्टिक और बॉडी पे बस टवल, आराधना आज कुच्छ अलग ही बिजली गिरा रही थी.

आराधना -" मुझे आपका गिफ्ट बड़ा पसंद आया लेकिन आपको मेरे बारे मे इतना कैसे पता चला." आराधना ने शरमाते हुए कहा.

पंकज -" तुम्हारे बारे मे क्या पता चला".

आराधना -"यही कि कैसे कपड़े मुझे फिट आएँगे".

पंकज -"मे समझ नही पा रहा कि क्या बोलना चाहती हो".

आराधना -" आपको मेरा साइज़ कैसे पता चला". आराधना ने क्लियर शब्दो मे पंकज की आँखो मे आँखे डालते हुए कहा.

पंकज - " साइज़ कौन सा साइज़". पंकज ने अंजान बनते हुए कहा.

आराधना -" डॅडी यू आर सो नॉटी, आपको सब पता है मे कौन से साइज़ की बात कर रही हू".

पंकज -" नही मुझे सच मे नही पता". पंकज ने भी अंजान बनते हुए कहा.

आराधना -" आप बताते है या नही". आराधना ने उसे फिंगर दिखाते हुए कहा.

पंकज -" मे बताऊ क्या जब मुझे पता ही नही कि तुम कौन से साइज़ की बात कर रही हो". तभी आराधना गुस्से मे खड़ी होती है और बेड से थोड़ा डिस्टेन्स बनाती है, टवल पे दोनो हाथ लगाती है और एक झटके से...... उसे खोल देती है.

आराधना -" ये साइज़ कैसे पता चले?"आराधना का इशारा अपनी ब्रा से बाहर आते हुए बूब्स की तरफ था. पंकज का मूँह खुला का खुला रह गया, आराधना ने उसे अपना टवल ओपन करके अपनी बॉडी ब्रा और पैंटी मे दिखा दी. पंकज को तो जैसे काटो तो खून नही. बाहर निकले हुए बूब्स, सपाट पेट, गहरी नाभि, चिकनी टांगे- जितनी भी तारीफ की जाए उतनी कम है. आराधना ये सब दिखाने के बाद टवल को वापिस लपेट लेती है. पंकज वापिस होश मे आते हुए -

पंकज - "तुम्हारा साइज़ तो कोई भी देख कर ही पता कर ले". पंकज ने फिर से रोमॅंटिक अंदाज़ मे सिगेरेट के कश लगाते हुए कहा.
[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]आराधना -" लेकिन पापा मे तो हमेशा पूरे कपड़े पहन के रहती हू फिर कैसे आपने मेरा..." आराधना ने नज़रे झुका कर शरमाते हुए पुछा. पंकज रूम के चारी तरफ नज़रे फेलाता है जैसे वो कुच्छ ढूंड रहा हो. तभी उसे एक छोटा खरबूजा दिखाई देता है वॉर्डरोब के साइड मे, स्मृति ने आराधना को खाने के लिए दिया था. पंकज उसे उठाता है और उसे बेड पर रखता है, और एक बारीक सी चादर उठा कर उसके उपर डाल देता है.

पंकज-" देखो इस खरबूजे को क्या ये ढक गया". आराधना इस बात का मतलब समझते ही शरम से लाल हो जाती है और धात कह कर बाथरूम मे भाग जाती है.

पंकज -" आराधना इतनी जल्दी क्या है, फ्रेश बाद मे हो जाना".

आराधना-" आज आप बहुत नॉटी मूड मे है, हम बाद मे बात करेंगे". आराधना ने बाथरूम के अंदर से ही कहा.
पंकज -" अरे, यू आर सो स्वीट गर्ल. लगता है मेरे खरबूजे वाले मज़ाक से तुम बुरा मान गयी हो".

आराधना -" बुरा नही बल्कि आपने मुझे अच्छे तरीके से सच्चाई बता दी है, मुझे ही ग़लत लगता था कि पूरे कपड़े पहन ने से ......" आराधना बीच मे ही चुप हो जाती है

पंकज -" पूरे कपड़े पहन से क्या"

आराधना -" कुच्छ नही, आप जाओ यहाँ से". आराधना ने शरमाते हुए कहा

पंकज -"डोंट अफ्रेड ऑफ मी माइ डियर. आइ आम युवर डॅड आंड युवर बेस्ट फ्रेंड. बताओ मुझे कि पूरे कपड़े पहन से क्या?"

आराधना -" आपको पता तो है कि मे क्या कहना चाह रही हू".

पंकज -" मुझे नही पता सच मे"

आराधना -" मुझे लगता था कि पूरे कपड़े पहनने से मेरी बॉडी का कोई आइडिया नही लगा सकता लेकिन मे ग़लत थी. आपको तो मेरे बारे मे सब कुच्छ और सही सही पता है".

पंकज -" हा हा हा हा. चलो देर आए दुरुस्त आए. अब तो तुम्हे यंग लड़कियो की तरह कपड़े पहनने चाहिए आँटी की तरह नही".

आराधना -" तो यानी जैसे कपड़े आपने लाकर दिए वैसे पहन ने चाहिए मुझे". आराधना ने मज़ा लेते हुए कहा

पंकज -" एग्ज़ॅक्ट्ली, इसमे बुराई क्या है. सिमरन को देखो वो भी तो यंग लड़की है".

आराधना -" ताकि अबकी बार कहीं बाहर बटन टूट जाए".

पंकज -" स्वीटी ग़लती मेरे गिफ्ट किए हुए ब्लाउस की नही बल्कि ...." पंकज बीच मे ही चुप हो जाता है

आराधना -" बल्कि क्या". वो बहुत धीमी आवाज़ मे बाथरूम के अंदर से ही पूछती है

पंकज -" ग़लती ब्लाउस की नही बल्कि तुम्हारे फुल जवान बूब्स की है, जो उसमे समा ही नही पाए पूरी कोशिश के बावजूद". ये बात बोलते ही दोनो तरफ पिन ड्रॉप साइलेन्स था. काफ़ी देर तक कोई नही बोला. आराधना का शरम के मारे बुरा हाल था, वो बोले तो क्या बोले. पंकज ही उस साइलेन्स को तोड़ता है.

पंकज -" अरे बेटा मे तो भूल ही गया, मुझे सिमरन का मोबाइल नंबर चाहिए था".

आराधना -" क्यूँ आपको उससे क्या काम है".

पंकज -" नही वो ऐसे ही, तुम्हारी फ्रेंड है ना कभी कोई ज़रूरत हो तो बात कर लूँगा". आराधना उसे नंबर बता देती है.

पंकज -" ओके, अब मे नीचे जा रहा हू"

आराधना -"ओक"

पंकज -" चला जाउ"

आराधना -" हाँ जाइए ना".

पंकज -" पक्का चला जाउ". तभी फिर से बाथरूम का गेट खुलता है और टवल लपेटे आराधना फिर से बाहर निकलती है. पंकज का हाथ पकड़ कर वो उसे अपने बेड रूम के बाहर ले जाती है, और उसे बाहर छोड़ते ही गेट बंद कर लेती है. गेट बंद करने के टाइम उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी.

स्मृति बाजार से सामान लेकर घर लौट आती है और आते ही किचन मे पहुँच जाती है. उसने पिंक सूट आंड सलवार पहना हुआ था, बाहर की गर्मी से उसकी बॉडी पसीने मे भीग गयी थी जिससे उसकी पिंक ब्रा विज़िबल थी. घर मे एंट्री होते ही पंकज और उसकी निगाहे मिल जाती है लेकिन पंकज उसे इग्नोर कर देता है क्यूंकी उसका काम सिमरन कर चुकी थी, और वैसे भी उसका ध्यान आराधना के टवल खोलने वाले सीन पर था स्मृति के किचन मे चली जाती है.
थोड़ी देर बाद कुशल जाग जाता है और नीचे आकर सोफे पे अपने डॅड के साथ बैठ जाता है.

कुशल -" मोम चाइ मिलेगी". वो वहॉं से चिल्लाता हुआ बोलता है.

स्मृति -" नही मिलेगी". उसके इस जवाब से पंकज को हँसी आ जाती और इससे कुशल को गुस्सा आ जाता है और वो किचन की ओर चल देता है. किचन मे घुसते ही वो पॉट उठाता है और गॅस पे रख देता है.

कुशल -" मे खुद बना लूँगा चाइ". वो गुस्से मे अपनी मम्मी से बोलता है. और लाइटर ढूँडने लगता है, लाइटर मिलने पर वो गॅस को जलाने की कोशिश करता है लेकिन गॅस नही जलती. ये देख कर स्मृति को हँसी आ रही है. कुशल और ज़्यादा जी जान से लाइटर को क्लिक करने लगता है. अब कुशल का चेहरा स्मृति की ओर था और तभी गॅस जल जाती है. "आआओउुुुउउ" कुशल चिल्ला कर पड़ता है क्यूंकी उसकी एक फिंगर गॅस मे जल जाती है. ये देखार स्मृति भाग कर कुशल की तरफ जाती है और उसका हाथ पकड़ कर देखती है, वो खींच कर उसके हाथ वॉश बेसिन मे पानी नीचे ले आती है.

स्मृति एक मा है जिसे अपने बेटे के हाथ जलने पर दूख हो रहा है. वो वॉश बेसिन मे उसकी फिंगर्स पे पानी डालते डालते उसे डाँट लगाती है.

स्मृति -" कभी तेरे पापा ने भी चाइ बनाई है जो तू बना लेगा. इतने स्किल्ड होते तुम लोग तो बात ही क्या थी". और वॉश बेसिन से हाथ हटाने के बाद कुशल अपना हाथ खुद देखता है, उसकी फिंगर्स पे बर्निंग साइन्स थे.

कुशल -" ओह, फक्क". ऑटोमॅटिकली इसके मूँह से अपनी जले हुए निशान देख कर निकल जाता है. स्मृति ये बात सुन कर शॉक हो जाती है.

स्मृति -" क्या कहा तूने अभी?". स्मृति ने उसे गुस्से मे आँखे दिखाते हुए पुछा

कुशल -" ओह..ह लक्क, माइ बॅड लक आक्च्युयली". कुशल ने बात पलटने की कोशिश की.

स्मृति -" मुझे पागल समझता है तू, तो अब स्कूल मे ये गंदी चीज़े सीखने लगा है" स्मृति ने उसके कान पकड़ते हुए कहा

कुशल-" मोम वो खुद ब खुद निकल गया मूँह से. पता नही कैसे". कुशल ने भोला बनते हुए कहा

स्मृति -" ज़्यादा इंग्लीश सिख गया है तू लगता है". स्मृति अबकी बार थोड़ा लाइट हो गयी थी और थोड़ा सा मुस्कुराते हुए कहा

कुशल -" ठीक है मोम, मे हिन्दी ही सीख लेता हू". कुशल ने नॉटी स्टाइल मे कहा. स्मृति नॉर्मल हो चुकी थी लेकिन जब उसे समझ आया कि कुशल क्या कहना चाहता है तो वो फिर से कुशल के पीछे भागी और कुशल भाग कर अपने डॅडी के पास आ जाता है.

स्मृति -" आपको आइडिया भी है कि ये कितना बिगड़ गया है". स्मृति ने पंकज की तरफ देखते हुए कहा

पंकज -"कितना?"

स्मृति -" गंदी गंदी बाते निकालता है मूँह से"

पंकज -" क्या कह दिया मेरे भोले बेटे ने". पंकज कुशल के सर मे हाथ घुमाता हुआ बोलता है

स्मृति -" हा हा हा हा, भोला और ये. आपका बेटा है ना".

पंकज -" किसी और का भी हो तो लेकिन है तो भोला है ही बेचारा". पंकज ने नॉटी स्टाइल मे कहा. स्मृति गुस्से मे पाँव पटकती हुई किचन मे भाग जाती है. थोड़ी देर बाद स्मृति चाइ लाती है दोनो के लिए, उसे पीकर कुशल उपर चला जाता है. किसी बहाने से पंकज घर से बाहर निकलता है और सिमरन को फोन मिलाता है. सिमरन कॉल पिक करती है.

सिमरन - हेलो

पंकज - हाई सिमरन, हाउ आर यू?
सिमरन - आइ आम ओके, हू ईज़ दिस?

पंकज - क्या मेरी आवाज़ भी भूल गयी हो. आइ आम पंकज, आराधना'स फादर.

सिमरन - ओककक अंकल. सॉरी आइ आम इन वॉशरूम, तो आवाज़ क्लियर नही थी.

पंकज - क्या कर रही हो वॉशरूम मे.

सिमरन - टीवी देख रही हू. सिमरन ने मजाकिया अंदाज़ मे कहा.

पंकज - यू आर आ नॉटी गर्ल.

सिमरन - आप क्वेस्चन ही ऐसे पुच्छ रहे है. वॉशरूम मे गर्ल्स क्या करती है, नही पता तो आराधना से पुछ लो वो बता देगी. बाइ दा वे, आइ वाज़ पेयिंग आंड नाउ आइ आम गोयिंग आउट.

पंकज - ओके ओके. और सूनाओ क्या चल रहा है.

सिमरन - कुच्छ खास नही आप बताइए कि क्या चल रहा है.

पंकज - बस याद आ रही थी तुम्हारी. आज तुमने जो ब्रेकफास्ट मुझे कराया वो मे कैसे भूल सकता हू.

सिमरन - हा हा हा हा. वैसे आदमी मस्त है आप.

पंकज - लड़की तुम भी कमाल हो. चलो कभी प्लान बनाओ ना लंच या डिन्नर का.

सिमरन - अंकल ब्रेकफास्ट का ही जमाना है आज कल. लंच ऑर डिन्नर नो गारंटी.

पंकज - ऐसा ना बोलो यार. ब्रेकफास्ट अधूरा है अगर लंच या डिन्नर ना हो तो.

सिमरन - हा हा हा हा. अंकल मुझे बस ब्रेकफास्ट करना ही आता है. इसके अलावा मुझे कुच्छ नही आता.

पंकज - कौन मा के पेट से सीख कर आता है. जहाँ एक बार लंच किया तुमने वहाँ एक्सपर्ट बन जाओगी.

सिमरन - वेरी फन्नी. हे हे हे हे

पंकज - वैसे जान ना चाहता हू कि क्या आज तक तुमने लंच किया है कि नही. या आज तक बिना लंच के ही गुज़ारा चल रहा है.

सिमरन - अंकल मेरी ओपन नेस से हो सकता है कि सबको लगे कि मे लंच कर चुकी हू लेकिन सच मे आज तक बस ब्रेकफास्ट से ही गुज़ारा चल रहा है. ब्रेकफास्ट भी खुद ही करना पड़ता है.

सिमरन का इशारा मास्टरबेशन की तरफ था.

पंकज - सो सॅड. क्या कोई ऐसा मिला नही जो तुम्हे लंच करा सके.

सिमरन - अंकल मिला तो है लेकिन कभी लंच करने के लिए सूटेबल प्लेस नही मिला. और वैसे भी मेरी फ्रेंड आराधना बिल्कुल कॉपरेट नही करती.

पंकज - हा हा हा हा. अपनी मा पे गयी एक दम, एक दम स्ट्रिक्ट.

सिमरन - तो स्मृति आंटी को तो आप सही से ब्रेकफास्ट और डिन्नर कराते होंगे. हे हे हे हे

पंकज - याद नही लास्ट टाइम कब कराया था. आज कल पता नही स्मृति को ब्रेकफास्ट से क्या परहेज हो गया है.

सिमरन - कहीं लंच कहीं और तो नही चल रहा है आंटी का. हा हा हा हा

पंकज - हर किसी की अपनी लाइफ है. लंच करना तो मे भी कहीं और चाहता हू लेकिन बात नही बन पा रही.

सिमरन - सब्र का फल मीठा होता है अंकल. तो थोड़ा सब्र रखिए.

पंकज - तो ठीक है बेटा. हम इंतेज़ार करेंगे.

सिमरन - ओके अंकल. अब मे इजाज़त चाहती हू. बाइ, टेक केर आंड सेक्सी ड्रीम्स. ओह्ह्ह आइ मीन स्वीट ड्रीम्स.

पंकज - ओके स्वीटी, गुड नाइट आंड स्वीट ड्रीम्स.
कॉल डिसकनेक्ट हो जाता है. और पंकज दोबारा घर मे आ जाता है. किचन मे जाकर रेफ्रिजरेटर से एक बियर निकालता है और हॉल मे आकर पीने लगता है. उसके माइंड से सिमरन निकल ही नही थी, रह रह कर उसके हाथ अपने लंड पर पहुँच रहे थे.

आज सॅटर्डे नाइट है. कुशल अपने रूम मे है और बोर हो रहा है, वो नीचे आता है और अपने डॅड को बियर पीते हुए देखता है. उसने आज तक कभी स्मोकिंग या ड्रिंकिंग नही की है लेकिन उस के दिल मे हमेशा क्वेस्चन्स रहते थे कि लोग अक्सर ये सब क्यू करते है. आज उसके दिल मे ये क्वेस्चन के जवाब जान ने की इच्छा थी. वो किचन मे जाता है जहाँ स्मृति खाना बनाने की तैयारी कर रही थी.

कुशल -" मोम आज बहुत गर्मी है". कुशल बात स्टार्ट करता है

स्मृति -" हाँ है तो, वो माथे से पसीने हटाते हुए बोलती है".

कुशल -" मोम मेरा फ्रेंड मोहित बोलता है गर्मी मे बियर बहुत हेल्पफुल रहती है". ये बात सुन कर स्मृति काम रोक कर उसकी तरफ देखती है.

स्मृति -" तो मोहित ही है जो तुझे वो सब बोलना सिखाता है".

कुशल -" वो बोलना? क्या बोलना मोम?"

स्मृति - " ज़्यादा स्मार्ट मत बन, वो जो तू अभी फक बोल रहा था". स्मृति ने उसे डाँट लगाते हुए कहा

कुशल -" तो बोला तो आपने भी मोम अभी".

स्मृति -" चल ज़्यादा बाते मत बना और भाग यहाँ से".

कुशल -" मोम एक बियर दो ना फ्रीज से". स्मृति उसकी तरफ देखती है, वो पसीने मे नहाई हुई थी, उसके चेहरे पर भी पसीने की बूंदे थी. दुपट्टा उसने कमर से बाँधा हुआ था, काम करने के लिए.

स्मृति -" तुझे नही मिलेगी".

कुशल -" आप नही दोगि तो कौन देगा मुझे मोम". स्मृति इस बात का डबल मीनिंग सोच कर हँसने लगती है.

कुशल -" हंस क्यूँ रही है आप मोम"

स्मृति -" मेने कहा ना कि तुझे बियर नही मिलेगी".

कुशल -" मोम आप भी तो पीती हो, फिर मुझे क्यूँ मना कर रही हो".

स्मृति - "आइ आम ऐन अडल्ट. मे पी सकती हू".

कुशल -" तो क्या मे अडल्ट नही?".

स्मृति-" नो"

कुशल -" तो आप कहाँ से अडल्ट है".

स्मृति - " मे एक मॅरीड लेडी हू, मेरे तीन बच्चे है. क्या इतना काफ़ी नही है अडल्ट होने के लिए".

कुशल-" मोम क्यू पागल बना रही हो. आप मोम है तो इससे अडल्ट होने का क्या लिंक है. आपकी शादी हो गयी तो आप मोम है, अगर मेरी हो गयी होती तो मेरे भी बच्चे हो गये होते". इस बात को सुन कर स्मृति की फिर से हँसी छूट जाती है.

स्मृति " अच्छा तो तू इतना बड़ा हो गया है कि तुझे बच्चे कैसे होते है ये पता चल गया है".

कुशल -" मोम वाकई मे मेरा बड़ा हो गया है".

स्मृति - " क्या? क्या कहाँ तूने अभी". स्मृति काम छोड़ कर उससे पूछती है.

कुशल -" मोम मेने कहा क़ी वाकई मे मे बड़ा हो गया हू". कुशल ने बात पलट दी.

स्मृति -" मुझे पागल समझता है". स्मृति उसके कान पकड़ते हुए बोलती है.

कुशल -" मोम आपने क्या सुना वैसे".

स्मृति -" ज़्यादा स्मार्ट मत बन".

कुशल -" तो दे दो ना अब". कुशल उसकी आँखो मे देखते हुए बोलता है. उसकी इस बात से स्मृति घबरा जाती है, और उसका कान छोड़ कर दूसरी तरफ घूम कर पूछती है

स्मृति -" क्या?". ये बात वो बहुत लो वाय्स मे पूछती है
कुशल -"बच्चा. ओह सॉरी आइ मीन बियर. आपने भी दिमाग़ को हिला दिया है".

स्मृति -" बस एक मिलेगी. बोल अगर ओके है तो".

कुशल -" मोम यू अरे ग्रेट". और भाग कर वो अपनी मोम को हग कर लेता है और उनके गाल पर एक किस कर देता है.

स्मृति - " और कुच्छ खा भी लियो इसके साथ, नही तो नुकसान करेगी." स्मृति उसे फ्रीज से निकाल कर एक बियर दे देती है और वो उसे लेकर उपर जाने लगता है.

स्टेर्स पे ही उसकी मुलाकात प्रीति से हो जाती है जो कि नीचे जा रही थी. उसकी हाथ मे बियर की बॉटल देख कर प्रीति उससे पूछती है

प्रीति -" ते क्या पीने की प्लॅनिंग कर रहा है."

कुशल -" तेरा दूध, आइ मीन तेरा खून. तू भी पीएगी". ये बात बोलते बोलते कुशल लगभग सारी सीढ़ियाँ क्रॉस कर चुका है और प्रीति नीचे वाली सीढ़ियों पे रह जाती है. प्रीति उसकी ये बात सुनकर उसके पीछे भागती है. " मेरा खून पिएगा". ये कहते हुए वो उसके पीछे भागती है. कुशल भाग कर अपने रूम मे घुस जाता है और डोर के साइड मे खड़ा हो जाता है. प्रीति जैसे ही गुस्से मे भाग कर आती है, कुशल उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लेता है. " धड़क्क्क" की आवाज़ के साथ दोनो के सीने आपस मे टकरा जाते है और कुशल प्रीति को कस कर पकड़ लेता है. कुशल एक मजबूत शरीर वाला लड़का था और प्रीति एक चुलबुली लड़की.
[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]इस टाइम दोनो के सीने आपस मे मिले हुए थे और कुशल ने प्रीति को कमर पर से कर पकड़ रखा था. सीना दबने से प्रीति के बूब्स और उपर की तरफ आ गये थे. वैसे भी प्रीति भाग कर आई थी जिस वजह से उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी प्रीति अपने आप को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी.

प्रीति - "छोड़ मुझे, मेरा खून पिएगा". प्रीति उसकी आँखो मे देखती हुई और उसकी चेस्ट मे आराम से मुक्का मारते हुए बोलती है

कुशल -" पिला दे, कम नही होगा कसम से". प्रीति उसकी बात सुनकर शरम से लाल हो जाती है और अपना विरोध कम करते हुए साइड मे देखती है. अब भी वो दोनो उसी पोज़िशन मे है

प्रीति -" क्या पीने की बात कर रहा है". प्रीति लो वाय्स मे साइड मे देखे हुए बोलती है

कुशल -" खून के सिवाय ऐसा तो कुच्छ दिखाई नही देता जो पीने के लायक है". कुशल ये बात उसके बूब्स की तरफ देखता हुआ बोलता है

प्रीति ( शरमाते हुए)-" क्यू क्या कमी है बाकी चीज़ो मे". प्रीति उसकी आँखो मे देखती हुई बोलती है. तभी प्रीति उससे एक झटके के साथ अलग हो जाती है. उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी, वो थोड़ी घबराई हुई भी थी. उसके बूब्स उसकी सांसो के साथ उपर नीचे हो रहे थे.

प्रीति ( दूसरी तरफ मूँह फिराते हुए) - " ये क्या कर रहा है". उसके चेहरे पे एक मुस्कान थी. दर असल प्रीति के इतने करीब आ जाने से कुशल का लंड विकराल रूप मे आने लगा था और फाइनली उसके बूब्स को देख कर उसका लंड प्रीति के पेट पर वाइब्रेशन करने लगा था.

कुशल -" क्या हुआ प्रीति?" कुशल ने भोला बनते हुए कहा

प्रीति -"तो तू मुझे इस नज़र से देखता है". प्रीति ने दूसरी तरफ मूँह रखते हुए ही कहा.

कुशल -" क्या बात कर रही है, किस नज़र से देखता हू मे तुझे".

प्रीति -" ज़्यादा बन मत, ये मेरे पेट पे क्या चुभ रहा था? पता नही है तुझे?".

कुशल -" चुभ तो कुच्छ मेरे सीने भी रहा था. लेकिन क्या मेने कहा कि तू मुझे किस नज़र से देखती है. लेकिन वैसे क्या चुभ गया तेरे पेट मे."

प्रीति घूमती है ये देखने के लिए की आख़िर उसके पेट मे क्या चुभ रहा था. जैसे ही वो घूमती है, एक और झटका. कुशल का लंड उसके शॉर्ट मे टेंट की तरह तना हुआ था, ऐसा लग रहा था जैसे कि उसने कोई नकली रोड लगा ली हो शॉर्ट मे. " ओह माइ गॉड". प्रीति के मूँह से खुद ब खुद निकल जाता है.

प्रीति की तो जैसे साँसे ही रुक जाती है. वो दूसरी तरफ मूँह करके तेज तेज साँसे लेने लगती है. कुशल दूर खड़ा हुआ ही उससे पूछता है.

कुशल -" क्या हुआ प्रीति, क्यूँ इतना डर रही है".

प्रीति ( निगाहे नीचे किए हुए) - " तुझे क्या हुआ है, नॉर्मल तो है तू".

कुशल -" ये कैसी बहकी बहकी बाते कर रही है. ऐसा क्या देख लिया तूने".

प्रीति -" इसे क्या हुआ है?". वो दूसरी तरफ देखते हुए उसके लंड की ओर इशारा करती है.

कुशल -" ओह ये, ये तो शायद मुझे पेशाब आ रहा है". कुशल ने हंसते हुए कहा.

प्रीति -" तो जा कर के आना, खड़ा क्यो है". प्रीति का चेहरा बिल्कुल लाल हो चुका था, थोड़ा थोड़ा पसीना भी आ रहा था.

कुशल -" ओह मेरी प्यारी बहना, इससे डर गयी. ऐसे डरेगी तो हम तेरी शादी कैसे करेंगे". ये कहते हुए कुशल उसके ठीक पीछे आकर खड़ा हो जाता है और पीछे से प्रीति को हग कर लेता है. प्रीति एक दम सकपका जाती है लेकिन ऐसे शो करती है जैसे वो नॉर्मल है. कुशल का लंड अब ठीक उसकी गान्ड के उपर था.

प्रीति -" मुझे नही करनी शादी वादी. ये को बेकार के काम है". उसकी गान्ड पर धीरे धीरे कुशल के लंड का दवाब बढ़ता जा रहा था.

कुशल -" तो ज़िंदगी भर कली ही बनी रहेगी, फूल नही बन ना है तुझे?". कुशल अपने फेस को प्रीति के कान के पास ले जाकर ये बात बोलता है. प्रीति की आँखे बंद हो चुकी थी और दिल की धड़कने बढ़ चुकी थी.

प्रीति -" वो... वो भाई.... मुझे कुच्छ चुभ रहा है".

कुशल -" तुझे कुच्छ ग़लतफहमी है, कुच्छ नही ऐसा चुभने वाला". ये बात सुनकर प्रीति धीरे धीरे हाथ पीछे ले जाती है. और उसके होश उड़ जाते है जैसे ही उसका हाथ कुशल के लंड पर पहुँचता है. आगे से टच करने से उसे पूरा अहसास नही होता तो वो अपने हाथ को पीछे तक ले जाती है.

कुशल -" कैसा लगा?". कुशल का ये क्वेस्चन प्रीति को अंदर तक झकझोड़ देता है.

प्रीति -" क्या?"
कुशल -" वही, जहाँ तेरा हाथ है". और प्रीति उसकी ये बात सुनकर अपना हाथ हटा लेती है.

प्रीति -" मेरा हाथ... मेरा हाथ तो कहीं भी नही है". प्रीति ने बनते हुए कहा. लंड के टच से वो अंदर तक पिघलती जा रही थी. एक कुँवारी और जवान लड़की के लिए इतना काफ़ी होता है. वो पूरी कोशिश कर रही थी कि कुशल को ये दिखाए कि वो नॉर्मल है लेकिन उसकी हालत खराब होती जा रही थी. कुशल अपने एक हाथ से प्रीति को हग करके रखता है और दूसरे हाथ से अपने शॉर्ट और अंडरवेर को नीचे कर देता है. अब उसका लंड एक दम नंगा था लेकिन प्रीति उसे नही देख सकती थी. वो अब नंगा ही प्रीति की गान्ड पर चुभ रहा था. कुशल अब अपने एक हाथ से प्रीति का एक हाथ पकड़ता है और फिर उसे ले जाकर अपने लंड पर रख देता है. प्रीति का हाथ जैसे ही नंगे लंड को टच करता है, वो पागल जैसी हो जाती है और एक झटके से कुशल से अलग हो जाती है.

प्रीति की हालत शब्दो मे बयान नही की जा सकती. एक जवान लड़की ने आज उसे टच कर ही लिया जिसकी उसे सबसे ज़्यादा ख्वाहिश होती है. उसका सीना उपर नीचे हो रहा है, उसकी पीठ अभी भी कुशल की तरफ है लेकिन उन दोनो के बीच मे कुच्छ डिस्टेन्स है. उसके दिल मे लखो सवाल थे कि मेरा सगा भाई ऐसा क्यू पेश आ रहा है और दूसरी तरफ उसके दिल मे एग्ज़ाइट्मेंट था.

दोनो आपस मे कुच्छ बाते नही कर रहे है और दोनो की ही हालत बेहद खराब है. प्रीति को भी अहसास होने लगा है कि उसकी पैंटी मे कुच्छ लिक्विड आ रहा है. कुशल की निगाहे अब भी प्रीति की मोटी मोटी गान्ड पर है जिसे देख कर उसका लंड और भी हार्ड होता जा रहा है. प्रीति वहीं खड़े खड़े उसे तीर्छि निगाहो से देखती है, कुशल उसकी तरफ एक कदम बढ़ाता. प्रीति ये देख कर आँखे बंद कर लेती है, उसका दिल धड़क रहा है कि अब क्या होने जा रहा है. कुशल ठीक उसके पीछे आकर खड़ा हो जाता है, प्रीति अपने शोल्डर्स के करीब उसकी सांसो को फील कर रही है. कुशल अपने हाथ को बढ़ा कर प्रीति की टी-शर्ट मे डाल देता है और उसके नंगे पेट को टच करता है. धीरे धीरे उसका हाथ उसकी नाभि पेर पहुँच जाता है.


" आआआहह............. प्रीति के मूँह से एक जबरदस्त सिसरी निकल जाती है.
[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]इस सिसकारी ने कुशल को सारे जवाब दे दिए कि प्रीति कि क्या हालत है. उसका पेट ऐसे काँप रहा है जैसे उसको एलेक्ट्रिक करेंट लगा हो, नाभि ऐसे हिल रही है जैसे पेट मे मछ्ली कूद रही हो.

कुशल अपने होंठ प्रीति की गर्दन पर फिराना शुरू करता है.

प्रीति - " आअहह....... कुशल.... क्याअ कर रहा है." प्रीति की आँखे बंद हो चुकी है और जैसे जैसे कुशल अपने होंठ उसकी गर्दन के आस पास घुमा रहा है, वैसे वैसे उसकी गर्दन भी घूम रही है. कुशल पीछे से प्रीति से बुरी तरह से चिपक चुका है, उसका विशाल लंड प्रीति की जीन्स को फाड़ कर अंदर घुस जाने के लिए तैयार हो रहा था. कुशल का एक हाथ अभी भी प्रीति के पेट पर ही घूम रहा है. कितना सॉफ्ट था उसका बदन, ये बस कुशल ही समझ पा रहा था. कुशल का हाथ उपर की तरफ बढ़ रहा था, बूब्स के, उसके अनटच बूब्स की तरफ. तभी एक झटके के साथ प्रीति उसके हाथ पर अपना हाथ मारती है और उसे उपर बढ़ने ने रोकने लगती है. प्रीति की साँसे बेकाबू हो रही थी, ये एक ऐसी फीलिंग थी जिस से वो अंजान थी. एक कुँवारी लड़की का बदन एक मोम की तरह होता है, थोड़ा गर्मी के करीब आते ही पिघलने लगता है और आज तो वो आग मे ही बैठी थी.

कुशल -" मेरा हाथ क्यू रोका प्रीति?". कुशल अभी भी उसकी गर्दन पे ही किस कर रहा था, और कभी उसके शोल्डर्स पे भी किस कर रहा था

प्रीति( तेज सांसो के साथ)-" जीसस्स....जिस जगह तू बढ़ रहा है वो तेरे लिए नही है...... आआहहुउऊउउ.....". प्रीति का इशारा अपने बूब्स की तरफ था, उसका चेहरा लाल पड़ चुका था.

कुशल ( अभी भी उसके शोल्डर और गर्दन पे किस करते हुए)-" तो क्या मुझे नीचे की तरफ बढ़ना चाहिए, तेरी चूत.....". प्रीति उसे बीच मे ही रोकते हुए बोलती है.

प्रीति -"ओह्ह्ह्ह, ये कैसी बात कर... रहा है. यू अरे ए डर्टी बोययय्यी...". प्रीति अब भी सिसक रही थी. कुशल का हाथ अब नीचे की तरफ बढ़ने लगा था. प्रीति के बूब्स उपर नीचे ऐसे हो रहे थे जैसे कोई बार बार बेलून मे हवा भर रहा हो और निकाल रहा हो. कुशल का हाथ अब उसकी नाभि से होता हुआ फिर से उसकी जीन्स तक पहुँचता है. जीन्स काफ़ी टाइट थी, जिसमे हाथ नही जा पा रहा था, कुशल पूरी कोशिश कर रहा था कि हाथ अंदर चला जाए लेकिन नही जा रहा था. तभी, वो हुआ जो कुशल ने सोचा भी नही था. प्रीति अपनी साँस अंदर खींचती है जिस से उसका पेट अंदर की तरफ हो जाता है, जीन्स थोड़ा लूज होती है और कुशल का हाथ सीधा अंदर उसकी पैंटी तक.

" कुशालल्ल्ल्ल..... प्लीज़..... प्लीज़ रुक जा". प्रीति आँख बंद किए उससे रिक्वेस्ट करते हुए बोलती है. कुशल अपना हाथ बढ़ाता जा रहा था, अब उसका हाथ सीधा उसकी पैंटी मे और सीधा उसकी वर्जिन, कुँवारी छोटी सी चूत पे पहुँच जाता है. कुशल इस बात को देख कर हैरान नही था कि उसकी पुसी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. वो इस गीलेपन मे ही अपनी एक उंगली अंदर घुसा देता है.

"आआअहह......" प्रीति के मूँह से एक और सिसकारी निकलती है.

" मुझे....मुझे पैन्न्न्न्न हो रहा है, फिंगर बाहर निकाल". प्रीति ने कहा

" मेरी जान एक फिंगर से ये हाल है, तो जब मेरा विशाल लंड....." कुशल बोलता है लेकिन प्रीति उसे चुप करा देती है.

" ओह, कुशल ऐसा नही होगा, तू इतना डर्टी कैसे हो गयाआआ". प्रीति आँखे अभी बंद थी लेकिन अब कुशल ने अपनी एक फिंगर को धीरे धीरे उसकी पुसी मे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था. प्रीति की हालत और भी खराब होते जा रही थी, अब प्रीति अपने सीधे हाथ को हरकत मे लाते हुए पीछे ले जाने लगती है वो भी स्लो मोशन मे. धीरे धीरे उसका हाथ फिर से कुशल के लंड पर पहुँचता है. प्रीति अपने हाथ से उसे आगे से टच करती है, प्रीति का फेस सामने की तरफ है जिस वजह से वो देख नही सकती थी उसके लंड को इसीलिए उसने पहले पीछे हाथ ले जाकर उसके लंड को आगे से छुआ. उस पर प्रीति के गोरे और सॉफ्ट हाथ लगते ही उसका लंड बेहद गुस्से मे आ गया और जैसे ही उसमे जोश आया उसे फील करके प्रीति फिर से घबरा गयी.

" इसे किययाया हो रहा है". प्रीति का इशारा कुशल के लंड की तरफ था

" तुझ जैसी सेक्सी लड़की का आज भोग लगाने की तैयारी कर रहा है ये शेर". कुशल ने ये बात कहते हुए कुच्छ ज़्यादा ही अंदर तक अपनी फिंगर घुसा दी प्रीति की पुसी मे.

" कुशल व्हाट आर यू डूयिंग, आइ आम युवर सिस्टर यार". प्रीति ने थोड़ा गुस्सा होते हुए कहा लेकिन कुशल बहुत हॅपी था क्यूंकी प्रीति ने उसे ग्रीन सिग्नल दिया कि फिंगर चलाता रह लेकिन आराम से
प्रीति फिर से उसके शेर को चेक करने लगती है, अपनी मुट्ठी मे उसे भरना चाहा लेकिन नाकाम. उसकी लंबाई चेक करने के लिए हाथ और पीछे ले जाती लेकिन हाथ और पीछे और पीछे जाता गया और फाइनली प्रीति की फिंगर्स कुशल के पेट को टच करती है जहाँ पे उसके लंड का एंड था.

" ओह्ह्ह, कुशल क्या ख़ाता है तुउुउउ..., ऐसा साइज़......... तेरी वाइफ तो गयी काम से ". प्रीति ने कुशल से कहा

" डार्लिंग, आज कुँवारी हो तो बड़ा लग रहा है. एक महीने बाद देखना, ऐसे खा जाया करोगी और पता भी नही चलेगा". कुशल ने रिप्लाइ किया

" यू आर आ वेरी डर्टी बॉय कुशल, मुझे कुच्छ खाने का शोक नहियीईई है......". प्रीति ने थोड़ा सा स्माइल करते हुए कहा.

अब कुशल अपना हाथ प्रीति की चूत से हटा लेता है और उसे बाहर निकालने की कोशिश करने लगता है. प्रीति इस सिचुयेशन को देख कर अपनी आँखे खोलती है और पीछे मूँह करके आँखो ही आँखो मे इशारे से पूछती कि क्या हुआ. कुशल बिना कुछ जवाब दिए अपने दोनो हाथ आज़ाद करता है, और प्रीति के दोनो शोल्डर्स पकड़ कर अपनी ओर घुमाता है. अब वो दोनो आमने सामने है, सामने आते ही प्रीति अपनी आँखे खोलती है और तभी " आाआईयईईईईईईई" जैसे ही प्रीति की निगाह कुशल के लंड पे पड़ती है और मूँह से चीख निकल जाती है. तुरंत कुशल अपना एक हाथ प्रीति के मूँह पे रखता है और कहता है कि क्या हुआ.

" ये, ये कितना खौफनाक है". प्रीति ने अपनी निगाहे दूसरी तरफ करते हुए कहा

" माइ डियर सिस्टर इसीलिए इसे लंड कहते है, ये डिफरेंट साइज़स मे अवेलबल होता है. यू आर सो लकी कि तुम्हे फुल ऑप्षन मिला है". कुशल ने प्रीति का चेहरा फिर से अपनी तरफ करते हुए कहा.

" छ्हि, कैसी गंदी गंदी बाते करते हो तुम कुशल. कहाँ सीखी तुमने ये बाते, और भला मे इसे क्यू आक्सेप्ट करू". प्रीति मे फिर से बनावटी गुस्से मे कहा
" लड़को वाला लंड और लड़को वाली बाते एक लड़के के पास ही होगी ना, और तू इसे इसीलिए आक्सेप्ट करेगी क्यूंकी तेरी सेक्सी बॉडी इसे डिज़र्व करती है. सच बोल रहा हू कि लकी है तू, नही तो एक से एक सेक्सी लड़की आज भी 5 या 6 इंच से गुज़ारा चला रही है". कुशल ने फिर से उसे रिप्लाइ किया. अब प्रीति का चेहरा कुशल के दोनो हाथो मे है, कुशल की निगाहे उसके गुलाबी होंठो पर है. दोनो की नज़रे मिलती है और जैसे इशारो मे कुशल पूछता है कि तेरे होंठो का रस पीना चाहता हू. जवाब देने की बजाय प्रीति अपनी दोनो आँखे बंद कर लेती है और बिना कुच्छ कहे ही कुशल को रिप्लाइ मिल जाता है. कुशल अपने चेहरे को आगे बढ़ाता है और अपने दोनो लिप्स प्रीति के लिप्स पर रख देता है. दोनो के लिप्स आपस मे मिलते ही जैसे बिजली कडकने लगी हो, मिनिट के पता नही कौन से हिस्से मे प्रीति की सारी लिपस्टिक कुशल हटा चुका था. प्रीति ने भी अपने होठ हिलाने शुरू शुरू कर दिए थे, वो भी कुशल का साथ दे रही थी. इसी दौरान कुशल अपने दोनो हाथ नीचे ले जाकर उसकी टी-शर्ट को नीचे से पकड़ता है और उसे उपर उठाने लगता है लेकिन अपने दोनो हाथो से प्रीति उसे रोकती है. कुशल काफ़ी कोशिश करता है लेकिन प्रीति नही मानती. तभी प्रीति लिप्स को अलग करती है, और कुशल से कहती है.

प्रीति -" कुशल, इस से आगे मे नही जा सकती. वैसे भी हम दोनो आज बहुत आगे बढ़ चुके है." प्रीति कुशल से थोड़ा दूर होते हुए बोलती है.

कुशल प्रीति की ओर बढ़ता है और फिर से उसके चेहरे को पकड़ कर अपने होंठ उसके होंठ से लगा देता है. इस बात प्रीति ने थोड़ी कोशिश की अलग होने की लेकिन नाकाम रही. कुशल अपना एक हाथ प्रीति के राइट बूब पर टी-शर्ट के उपर से ही रख देता है. "ओह, लिट्ल सिस यू गॉट वेरी सेक्सी बूब्स". कुशल अपने मन मे सोचता है. प्रीति उसका हाथ हटाना चाहती थी लेकिन कुशल नही माना और धीरे धीरे उसके बूब्स को प्रेस करता रहा. थोड़ी देर बाद प्रीति का विरोध भी कम हो गया. अभी तक वो दोनो एक दूसरे के होठों का रस चूसने मे बिज़ी थे. इसके बाद कुशल अपना हाथ उपर की बजाय टी-शर्ट के अंदर घुसा देता है. प्रीति के होंठ कुशल के होंठो से जुड़े हुए है तो वो खुल कर विरोध भी नही कर पाई. टी-शर्ट के अंदर हाथ ले जाकर कुशल उसकी टाइट ब्रा के अंदर अपना हाथ घुसा देता है और अपना पंजा ठीक उसके राइट सेक्सी बूब्स पर टिका देता है.

ये पहला चान्स था जब प्रीति के बूब्स को किसी बॉय ने टच किया था. वो पागल हो चुकी थी, उसकी साँसे और तेज हो गयी थी. कुशल के लिप्स को अब वो बहुत जान लगा कर चूस रही थी. कुशल ने फिर से एक बार ट्राइ किया कि वो उसकी ट- शर्ट उतार सके, वो अपने दोनो हाथो से उसकी टी-शर्ट पकड़ता है और उपर की ओर उठा देता है.

इस बात कुशल का प्लान कामयाब हुआ. प्रीति आँख बंद किए हुए लीप लॉक को हटाती है और अपने दोनो हाथ उपर कर देती है जिस से कुशल टी-शर्ट को उतार सके. और एक झटके मे प्रीति बस ब्लॅक ब्रा मे रह जाती है. टी- शर्ट हटते ही प्रीति भाग कर कुशल के सीने से चिपक जाती है अपने आप को छुपाने के लिए.

उसके पेट मे अब कुशल का लंड चुभ रहा था लेकिन वो विरोध नही कर रही थी. अब प्रीति कुशल के सीने मे समाई हुई थी, कुशल ने इस मौके का फ़ायदा उठा कर, एक झटके के साथ प्रीति की ब्रा का हुक भी खोल दिया. और उसे उतारने की कोशिश करने लगा. प्रीति एक बार को सीने से अलग होती है और दोनो हाथ सामने की तरफ कर देती है.

क्या नज़ारा था. आज तक कुशल ने बस सोचा था कि प्रीति के बूब्स कैसे है लेकिन आज वो उसके सामने थे, एक दम वाइट आंड एक दम सुडोल. इससे बेस्ट बूब्स शायद ही किसी फिल्मी हेरोयिन के हो. कुशल इस मौके को नही खोना चाहता था और एक झटके मे उसने अपना मूँह प्रीति के बूब्स पर रख दिया.

" आअहह, लव...... मी........ कुशल, लव मी मोर......." उसकी जीभ का अहसास अपने बूब्स पे पड़ते ही जैसे प्रीति पिघल गयी. उसकी आँखे बंद हो गयी और वो अपने दोनो हाथ कुशल के सर मे फिरा रही थी. एक बूब को कुशल चूस रहा था आंड दूसरे हाथ से प्रीति की जीन्स का बटन खोल रहा था.

" आइ लव........ यू कुशल.................... आअहह, ओह". प्रीति की हालत बेहद खराब कर दी थी कुशल ने. वो अब तक उसकी जीन्स का बटन खोल चुका था आंड उसकी ज़िप भी. वो अपने एक हाथ से कोशिश करने लगा कि उसकी जीन उतार पाए लेकिन वो उसके चुतडो पर बहुत टाइट फँसी हुई थी. प्रीति इसी सिचुयेशन मे दोनो हाथ कुशल के सर से हटाती है और अपनी जीन्स पर ले जाकर उसे नीचे करने लगती है. कुशल इसी सिचुयेशन मे उसे पीछे सरकाता हुआ बेड पे ले जाकर गिरा देता है और खुद सीधा खड़ा होकर अपनी टी-शर्ट उतरता है आंड उसके बाद इन्नर वेर भी. अब कुशल बिल्कुल नंगा है लेकिन बेड पे पड़ी हुई प्रीति की आँखे बंद है और वो उसे देख नही सकती. 

प्रीति अपने पाँव के सहारे से अपनी जीन्स को अलग कर देती है. प्रीति के शरीर पर अब बस एक ब्लॅक ट्रॅन्स्परेंट पैंटी है. कुशल आगे बढ़कर दोनो हाथो से उसकी पैंटी को पकड़ता है और एक झटके के साथ उसे उसकी बॉडी से अलग कर देता है. प्रीति शरम मे मारे अपनी दोनो टांगे जोड़ लेती है.

कुशल घुटनो के बल फ्लोर पर बैठा है, प्रीति की दोनो टांगे पकड़ता है और धीरे से उन्हे फेला देता है.

कुशल की तो जैसे लॉटरी लग गयी हो. एक छोटी सी कुँवारी चूत उसके सामने थी, वो टाइम ना वेस्ट करते हुए अपना मूँह सीधा उसकी चूत पर लगा देता है. और अपनी जीभ को अंदर घुसाने की कोशिश करने लगता है.

प्रीति के लिए एक्सपीरियेन्स बिल्कुल नया था. वो आज सातवे आसमान पर थी, इतना शारीरिक सूख मिलने के बाद कोई लड़की अपने आप को नही रोक पाती. पूरा रूम प्रीति की सिसकारियो से गूँज रहा था, लेकिन कुशल भी पूरी मेहनत के साथ लगा हुआ था. उसकी चूत से जैसे पानी की नादिया बह रही हो ऐसा महॉल था.

" ऊऊहह, आअहह......, किस मी मोर........., आआहह. कुशल डू इट प्लीज़........., फक मी टुडे.........,, प्रीति पता नही क्या क्या बोले जा रही थी.

" आअहह, आअहह..... ओह, और अंदरररर.......... प्रीति का इशारा कुशल की जीभ की तरफ था जो प्रीति की छोटी सी चूत के अंदर घुसने की कोशिशी कर रही थी.

आआआआअहह ब्रो........ आइ..........म ......कुम्मींगगगग................और ठीक इसके दो मिनिट बाद प्रीति अपना पूरा पानी कुशल के मूँह मे छोड़ देती है. उसकी चूत का मूँह बार बार खुल रहा था और बंद हो रहा था. आज प्रीति बहुत मस्त हो गयी थी. कुशल अब भी उसकी चूत को चाटे जा रहा था. प्रीति अपने दोनो हाथो से इशारा करती है कि उसका काम हो गया है.
" कुशल...... मेरा हो गया है......, प्लीज़ अब रुक जा". प्रीति ने लेटे लेटे कहा. कुशल एक विजयी मुस्कान के साथ खड़ा हो जाता है. प्रीति बेड शीट से अपने को ढकने की कोशिश करती है.

कुशल -" मेरी जान, आज पता चला कि जवानी की आग कैसी होती है". कुशल प्रीति की तरफ देखते हुए बोला

प्रीति -" दिख रही है कि जवानी की आग कैसी होती है". प्रीति कुशल के विशाल लंड की ओर देखते हुए बोली.

कुशल -" तो अब इसे भी शांत कर दो ना".

प्रीति -" क्या करना होगा मुझे?"

कुशल -" सकिंग"
[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]
प्रीति-" क्याआ? कुशल मे अभी इतनी बड़ी भी नही हू कि सकिंग कर पाउ. इसे देख ये कितना बड़ा है, मुझे नही लगता कि इसे सक कर पाउन्गि. तेरा मास्टरबेशन करने की कोशिश कर सकती हू". प्रीति ने कुशल को समझाते हुए कहा

कुशल -" मेरी लिट्ल सिस्टर, तुम चुदने के लिए रेडी हो चुकी हो. अगर इसे मूँह मे नही ले पओगि तो चूत मे कैसे लोगि."

प्रीति -" कुशल मुझे ये गंदी लॅंग्वेज बिल्कुल पसंद नही". प्रीति उसे फिंगर दिखाती हुई बोलती है

कुशल -" सिस, अभी तुम्हारी चूत का पानी निकाला है तभी मेरी लॅंग्वेज गंदी लग रही है. थोड़ी देर बाद देखना मुझपे फिर से प्यार आने लगेगा." ये बात सुनकर प्रीति के चेहरे पर एक स्माइल आ जाती है. अब धीरे धीरे कुशल अपने खड़े हुए लंड के साथ प्रीति की तरफ बढ़ता है. प्रीति करीब आते ही उसके लंड को दोनो हाथो मे पकड़ लेती है.

कुशल -" यार मेने तेरे लिए इतनी मेहनत की तो क्या तू नही कर सकती." ये बात सुनते ही प्रीति अपनी बेड शीट हटा देती है और स्टाइल मे खड़े होकर कुशल के लंड के सामने बैठ जाती है और अपने होठ उस पर रख देती है.

" ओह, सेक्शययययी.... कुशल प्रीति के इस अंदाज़ पे फिदा हो गया. प्रीति अपना मूँह खोल कर उसका सुपाडा अपने मूँह मे लेना चाहती थी लेकिन परेशानी हो रही थी. वो कुशल की आँखो मे देखती है और कुशल जैसे उसे आँखो से ही रिक्वेस्ट करता है कि प्लीज़ कर दे ना आज सकिंग.

प्रीति स्टाइल मे अपने बालो को पीछे करती है और अपना मूँह पूरा खोल कर कुशल के लंड को अपने मूँह मे ले लेती है. उसके मूँह मे बस अभी उसका सुपाडा ही गया था.

कुशल के एग्ज़ाइट्मेंट का कोई ठिकाना नही था. वो अपना मूँह आसमान मे किए हुए मस्त था. प्रीति उसके लंड को धीरे धीरे और अंदर ले रही थी और अपने हाथो से उसकी बॉल्स को खिला रही थी. जब भी कुशल नीचे देखता, उसे 19 साल की जवान प्रीति वो भी नंगी अवस्था मे अपना लंड चूस्ते हुए दिखाई देती.

" उ र्र्र्र्र्ररर ग्रेअतत्त,,,,,,, प्रीतीईईईईईई, ऊऊहह. ऐसे हीईीई" कुशल बॅड बड़ाये जा रहा था.

प्रीति अपनी स्पीड बढ़ा चुकी थी, उसके मूँह मे अभी भी बस आधा ही लंड था. उसके सॉफ्ट लिप्स, कुशल के हार्ड लंड को पूरी जान से चूस रहे थे.

" प्रीतीिई, ईईइ लव यू.............. ओह, आइ........एम............" और एक तेज पिचकारी प्रीति के गले से टकरा गयी. प्रीति ने कोशिश की लंड को निकालने की लेकिन जैसे वो उसके मूँह मे फँसा हुआ था.

जैसे ही वो प्रीति की मूँह से बाहर आया, प्रीति सीधा बाथरूम मे भाग गयी और खांसने लगी.

कुशल बहुत रिलॅक्स था. उसने आज जन्नत की सेर कर ली थी. उसे यकीन नही हो रहा था कि प्रीति जैसी सेक्सी गर्ल उसके साथ न्यूड कंडीशन मे है. प्रीति बाथरूम के अंदर अपने आप को रिलॅक्स कर रही थी. और थोड़ी देर बाद वो कुशल का टवल लपेट कर बाहर आती है. दोनो की नज़रे मिलती है, प्रीति एक अच्छी सी स्माइल देती है उसे.

वो कुशल के ड्रेसिंग टेबल के सामने आकर अपने हेर कोंब करने लगती है. कुशल उसकी बॅक पर मज़ाक मे एक चपत लगाता है. प्रीति उसे नॉटी स्माइल के साथ देखती है. कुशल अब वॉशरूम के अंदर जाता है और गेट बंद कर लेता है.

वो बहुत हॅपी है कि आज रात उसका सपना पूरा होने जा रहा है. ये सोच कर ही उसके लंड मे फिर से एनर्जी आती जा रही है. वो फ्रेश होकर बाहर निकलता है लेकिन ये क्या. प्रीति रूम मे नही है और नही उसके कपड़े. कुशल पागलो की तरह उसे देखता है लेकिन वो दिखाई नही देती.

कुशल कपड़े पहन कर बाहर आता है और प्रीति के रूम के बाहर आकर देखता है कि रूम अंदर से लॉक है. कुशल उसके डोर को नॉक करता है.

प्रीति - (स्माइल करते हुए) " कौन है"

कुशल -" ओपन दा डोर प्रीति".

प्रीति -" आज सारे डोर ओपन कर दिए लेकिन अब ये डोर ओपन नही होगा". वो रूम के अंदर से ही हंस हंस कर बोल रही थी.

कुशल -" लेकिन अभी तो, अभी तो....."

प्रीति -" अभी तो क्या?"

कुशल -" अभी तो बहुत कुच्छ बाकी है"
[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]प्रीति -" अभी क्या बाकी है, मुझे लगा कि तेरा एंडिंग पॉइंट हुआ था जो अभी भी मुझे अपने मूँह मे फील हो रहा है". प्रीति ने अपने रूम के अंदर से ही स्लो वाय्स मे कहा

कुशल -" हाँ वो तो हुआ लेकिन अभी...."

प्रीति -" अभी क्या????"

कुशल -" अभी वो तो नही हुआ ना जो होना चाहिए इस सब के बाद यानी......... सेक्स."

प्रीति -" कुशल हम जवान है, मे भी जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी हू. जोश मे आकर सब हो गया लकिन इससे आयेज कुच्छ नही होगा और प्लीज़ मुझे फोर्स मत कर."

कुशल -" तो इतना कुच्छ भी क्यू किया, क्यू मेरे जज़्बात का मज़ाक उड़ा रही है. अगर कुच्छ करना ही नही था तो ये सब किया ही क्यू". कुशल ने गुस्सा होते हुए कहा

प्रीति -" मेने कहा ना की जवानी के जोश मे ग़लती हो जाती है जो और जो मुझसे भी हो गयी. और वैसे भी जितना हुआ उतना तो चलता है."

कुशल -" वाह वाह, खुद की जो मर्ज़ी वो किया अब जो मेरे मर्ज़ी है उसमे नखरे. बन तो ऐसे रही है जैसे हमेशा अपनी चूत को सील पॅक ही रखेगी".

प्रीति -"तूने फिर से ते गंदी लॅंग्वेज शुरू कर दी ना. तू भी जानता है और मे भी कि कुँवारा कोई नही रहता. दिल हर किसी का करता है, सो मेरा भी करता है. तू अपनी किसी गर्ल फ्रेंड के साथ कर, उपर वाला जब मेरा बॉय फ्रेंड भेजेगा तो मे उसके साथ अपनी बॉडी शेर करूँगी."

कुशल -" मेरी कोई गर्ल फ्रेंड नही है"

प्रीति - " तो बन जाएगी, अभी बूढ़ा नही हुआ है तू. मे विटनेस हू कि तू जवान है और तेरी बॉडी का हर पार्ट जवान है. हे हे हे हे" प्रीति हंसते हुए कहती है. प्रीति जैसे जैसे हंस रही थी वैसे वैसे कुशल का गुस्सा बढ़ता जा रहा था.

कुशल - " तो तू ढूंड ले अपना बॉय फ्रेंड. अब अगर तू खुद भी चाहेगी तो भी कुच्छ नही करूँगा. चलाती रह हाथ से काम. मे जा रहा हू"

प्रीति -" शुक्रिया कुशल, अगर कभी मे अपना होश खो भी दू तो अब तू कुच्छ नही करेगा. मुझे खुशी है, और अब प्लीज़ चला जा. मेरा नहाने का मूड है. कपड़े तो पहने है नही तो टाइम भी बच जाएगा." प्रीति उसे और छेड़ते हुए बोलती है.

कुशल उसके डोर से हट जाता है और अपने रूम की ओर जाकर खड़ा हो जाता है. अपने रूम मे एंट्री लेते ही उसकी नज़रे प्रीति की पैंटी पर पड़ती है जिसे प्रीति उसके रूम मे ही भूल गयी थी. उस पैंटी को देख कर कुशल की हालत और खराब हो जाती है और उसका लंड ज़ोर मारने लगता है. उसको अभी भी किस्मत पे यकीन नही हो रहा था कि अभी चन्द मिनिट पहले प्रीति उसकी बाहों मे थी और अब उससे दूर है
" ग़लती मेरी ही है, सारा ड्रामा छोड़ कर पहले चोद ही देना चाहिए था." कुशल अपने आप से कहता है. कुशल सारा सीन सोच सोच कर पागल होने लगता है, उसको अभी भी यकीन नही हो रहा था कि उसने प्रीति के जवान और नंगे बदन का दीदार किया है.

कुशल अपने ख्यालो मे खोया हुआ है और अपने हाथो से ही अपने लंड को खिला रहा है. तभी डोर ओपन होने की आवाज़ आती है, वो तुरंत समझ जाता है कि ये तो प्रीति का डोर है. उसका एग्ज़ाइट्मेंट आसमान पर पहुँच जाता है. वो अपने रूम से बाहर आता है.

प्रीति अपने रूम के गेट पर खड़ी हुई थी. कुशल उसके रूप को देख कर शॉक्ड हो जाता है, प्रीति ने एक बेहद शॉर्ट शिफ्फॉन ड्रेस पहनी है जो उसकी पुसी से बस थोड़ा सा नीचे है. अक्सर वो इस ड्रेस को लेगिंग के साथ पहनती थी लेकिन आज ड्रेस के नीचे कोई बॉटम नही था, सिर्फ़ उसकी पिंक पैंटी की मामूली झलक मिल रही थी. गीले और खुले बाल और जुवैसी लिप्स, एक सेक्सी गॉडेस लग रही थी वो. कुशल को तो जैसे कुच्छ समझ ही नही आ रहा था कि आज किस्मत ये क्या खेल कर रही है. प्रीति अपने रूम के डोर पर खड़े होकर कुशल को देख रही है और कुशल प्रीति को. कुशल प्रीति की नंगी टाँगो को देख कर पागल सा होता जा रहा है.

प्रीति अब अपने कदम टाय्लेट की तरफ बढ़ाती है जो उसी गॅलरी मे है, उसके एक हाथ मे कोई और कपड़ा भी है जो फोल्ड करके उसने पकड़ा हुआ था. उसकी चाल अभी ऐसी थी जैसे कोई सेक्सी मॉडेल रॅंप पर चल रही हो. प्रीति की निगाहे कुशल से मिली हुई है, और कुशल खड़ा हुआ बस उसे देख रहा है. प्रीति टाय्लेट के गेट पर पहुँचती है और टाय्लेट के अंदर जाती है और फिर से घूमती है. कुशल की तरफ 10 सेकेंड के लिए वो देखती ही रहती है. कुशल और उसके बीच की दूरी बस 10 कदम होगी.

प्रीति बिना गेट बंद किए अपने दोनो हाथ अपनी पैंटी पे ले जाती है.... और नीचे झुक कर एक स्लो मोशन स्टाइल मे पैंटी नीचे करने लगती है. नीचे करते हुए प्रीति की निगाहे बस कुशल पर ही है और एक सेक्सी कातिल मुस्कान भी. पैंटी नीचे करने के बाद वो फिर से सीधी खड़ी होती है और वो करती है जिसकी कुशल को उम्मीद भी नही थी. कुशल के सामने ही अपनी ड्रेस को उपर करती है और नीचे बैठ जाती है.

छ्ह्हीयीईयी......... एक जोरदार साउंड के साथ वो खुले दरवाजे मे ही कुशल के सामने पेशाब करने लगती है. कुशल अब पागल हो चुका है, उसने अपने कदम बढ़ाने शुरू किए और जैसे ही प्रीति से दो कदम की दूरी पर वो पहुँचा. "धदाम " और गेट बंद. कुशल को ऐसे लगा जैसे आज पता नही कितनी बार उसकी इज़्ज़त का रेप होगा
कुशल -" ये क्या नया ड्रामा है तेरा, गेट खोल". कुशल ने बाथरूम का गेट नॉक करते हुए कहा

प्रीति -" क्यू मुझे पेशाब करना अलाउ नही है, हे हे हे हे". प्रीति ने मज़ाक करते हुए कहा

कुशल -" क्या अब से पहले भी ऐसे ही अपनी चुल खोल कर पेशाब करती थी तू".

प्रीति -" हा हा हा हा, ऐसे नही करती थी लेकिन अब तू तो देख ही चुका है तो तुझसे क्या शरमाना. लेकिन तू क्यो टेन्षन ले रहा है, तूने तो प्रॉमिस कर ही लिया है कि अगर मे कुच्छ कहूँगी भी तो तू कुच्छ नही करेगा".

कुशल -" मेने कहा गेट खोल, मुझे पता है कि तू भी चाहती है मेरे लंड को लेना. नखरे मत दिखा नही तो ज़बरदस्ती चोद दूँगा तुझे". कुशल का गुस्सा बढ़ता जा रहा था

प्रीति -" ये गंदी लॅंग्वेज और ये धमकियाँ अपनी बीवी को दियो. ये मेरी लाइफ है और मे अपनी मर्ज़ी से जीना चाहती हू". इतने मे ऐसी आहट होती है जैसे को नीचे से उपर आ रहा हो, और कुशल की हालत खराब हो जाती है.

" क्या हुआ गॅलरी मे क्यू घूम रहा है". ये पंकज की आवाज़ थी जो स्टेर्स से उपर आ रहा था

"वो... वो डॅडी.... मुझे टाय्लेट जाना है लेकिन इसमे वो प्रीति घुस गयी है" कुशल ने अपने आप को बचाते हुए कहा.

पंकज-" तो बेटा अगर ज़्यादा परेशानी है तो नीचे के टाय्लेट मे चला जा". कुशल को उसकी बात मान नी पड़ती है क्यूंकी वो नही चाहता था कि उसे शक हो जाए और मरे मन से नीचे जाने लगता है.

" आज साली किस्मत ही खराब है नही तो डॅडी तो उपर आते भी नही है". कुशल अपने मन मे कहता है नीचे जाते हुए.

कुशल नीचे की ओर जाता है और पंकज आराधना के रूम मे एंटर करता है. कुशल जैसे ही नीचे पहुँचता है उसे फर्स्ट फ्लोर टाय्लेट के गेट खुलने की आवाज़ आती है " ऑश शिट" उसके मूँह से खुद ब खुद ये बात निकल जाती है. प्रीति टाय्लेट का गेट खोल कर बाहर देखती है और मैदान सॉफ देख कर अपने रूम मे भाग जाती है.

पंकज आराधना के रूम मे एंटर होता है. आराधना चादर ओढ़े सो रही है. पंकज उसके बेड के कॉर्नर मे जाकर बैठ जाता है और प्यार से उसके सर मे हाथ फिराने लगता है. आराधना की आँखे खुलती है और वो चोंक कर एक दम बैठ जाती है. " डॅडी, आआप". आराधना चोंक कर पूछती है.
[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]पंकज -" आरू, नीचे बोर हो रहा था तो सोचा कि क्यू ना आज उपर घूम आउ और अपने बच्चो के देख आउ. अक्सर मे उपर आता नही हू ना, वैसे भी कल सनडे है तो सोचा की घूम आउ".

आराधना -" ये तो आपने बहुत अच्छा किया डॅडी". आराधना अपने आप को और जगाती हुई बोलती है और उठ कर वॉश रूम की ओर जाने लगती है अपना चेहरा वॉश करने के लिए. उसने ट्राउज़र और टी-शर्ट पहनी हुई है.

पंकज -" रूम को काफ़ी क्लीन रखती हो तुम". पंकज रूम के चारो ओर देखते हुए बोलता है. इतने मे आराधना वॉशरूम मे घुस चुकी थी और बिना गेट बंद किए अपना फेस वॉश करने लगती है. उसके बाद फेस को टवल से क्लीन करते करते वो बाहर आती है

आराधना -" पापा, लड़किया हमेशा सफाई पसंद करती है और बाय्स..पूछो मत बस, एक बार कुशल का रूम देखोगे तो हैरान हो जाओगे"

पंकज -" हा हा हा हा. तो कुशल का रूम डर्टी है. क्या करे लड़को के पास टाइम ही नही होता". पंकज ने स्माइल करते हुए कहा

आराधना -" क्या? लड़को के पास टाइम नही होता और गर्ल्स फ्री रहती है. कमाल है डॅडी आप भी. मेरी तारीफ करने की बजाय कुशल को फेवर कर रहे हो". आराधना ने बनावटी गुस्से मे कहा

पंकज -" तारीफ तो आज मे तुम्हारी बहुत कर चुका हू". पंकज का इशारा साड़ी वाले इन्सिडेंट की तरफ था. ये सुनकर सिमरन शरमा जाती है.

आराधना -" मोम सो गयी क्या?" आराधना बात टालते हुए बोलती है

पंकज -" आज कल तुम्हारी मोम के पास टाइम ही कहाँ है मेरे लिए. उसके पास जाता हू तो पता नही क्यू दूर भाग जाती है". पंकज ने स्माइल करते हुए कहा. अब आराधना बेड के सामने चेर पर, टाँग पर टाँग रख कर बैठ जाती है.

आराधना -" तो आप ही मम्मी को परेशान करते होंगे तभी तो आपके पास से भागती है". आराधना ने हंसते हुए कहा

पंकज -" शादी के बाद तो पति का फ़र्ज़ है परेशान करना". पंकज ने बहुत लो वाय्स मे कहा

आराधना -" क्या कहा".

पंकज -" कुच्छ नही, मे तो बस ये कह रहा था कि तुम अपनी मम्मी का फेवर क्यू कर रही हो. तुम्हारी फ्रेंड सिमरन ही अच्छी है जो मेरा फेवर करती है. वो तो मज़ाक मे कह भी रही थी अंकल कहीं आंटी को कोई और तो नही मिल गया". पंकज ने ऐसे ही कह दिया

आराधना -" आप सिमरन की बात ना सुना करे. उसके विचार हमारे घर से नही मिलते हाँ लेकिन दिल की अच्छी लड़की है"
पंकज -" हाँ उसके दो बड़े बड़े दिल बहुत अच्छे है." पंकज ने फिर से साइड मे मूँह करके बहुत लो वाय्स मे कहा

आराधना -" क्या कहा आपने अभी "

पंकज -" कुच्छ नही, मे तो बस ये कह रहा था कि वाकई मे अच्छी लड़की है तुम्हारी फ्रेंड."

आराधना -" ज़्यादा अच्छी भी नही है डॅडी. पता है उसका एक बॉय फ्रेंड भी है". आराधना ने उसे ऐसे बताया जैसे कोई सीक्रेट बता रही हो

पंकज -" सच मे". पंकज ने ऐसे रिक्ट किया जैसे कुच्छ जानता ही नही

आराधना -" हाँ डॅडी, और पता है वो उससे अकेले मे भी मिलती है". आराधना की आँखे बड़ी बड़ी हो रही थी ये बताते हुए. वो ऐसे बता रही है जैसे पता नही कितना बड़ा सीक्रेट बता रही है

पंकज -" अकेले मे यानी कहाँ". पंकज ऐसा रिक्ट कर रहा है जैसे कुच्छ समझ ही नही पा रहा

आराधना -" पता है डॅडी, वो ऐसी जगह मिलती है बॉय फ्रेंड से जैसे किसी के घर या फ्लॅट मे". आराधना उसे बहुत सीरीयस होते हुए बताती है लेकिन ये नही बताती कि कल सिमरन उनके ही घर पर अपने बॉय फ्रेंड को लाने वाली है.

पंकज -" अच्छा, ऐसा करती है वो. वो तो बहुत खराब लड़की है". पंकज ने भी उसकी बात का समर्थन करते हुए कहा

आराधना -" वो तो डॅडी स्मोकिंग, ड्रिंकिंग सब करती है. लड़कियो वाली कोई बात नही है उसमे." आराधना ने कॅरी ऑन रहते हुए कहा

पंकज -" लेकिन उसके लिप्स को देख कर नही लगता कि वो स्मोकिंग करती है. एक दम पिंक लिप्स है उसके." पंकज आराधना का रिक्षन देखना चाहता था

आराधना -" ढेर सारी लिपस्टिक पोत के रखती है अपने होंठो पे. तभी तो पिंक लगते है". आराधना ने भी थोड़ा और ज़ोर देते हुए कहा

पंकज -" लेकिन कहीं तुझे मे भी तो बुरा नही लगता क्यूंकी स्मोकिंग तो मे भी करता हू". पंकज ने फिर से उसका रिक्षन जान ने के लिए ये बात कही

आराधना -" डॅडी स्मोकिंग करना तो बना ही मर्दो के लिए है. आप तो डॅशिंग लगते हो लेकिन सिमरन पे मुझे बहुत गुस्सा आता है जब वो स्मोकिंग करती है लेकिन वो अपने आप को फिल्मी हेरोयिन से कम नही समझती".

पंकज -" आज कल तो बेटी हर दूसरी लड़की स्मोकिंग करती नज़र आती है लेकिन शुक्र है कि हमारी बेटी इन सब चीज़ो से दूर है". ये बात कहते हुए पंकज उठता है और जाकर आराधना के प्यार से गाल खींच देता है

आराधना -" डॅडी मे हमेशा घर का ख्याल रखूँगी और कोई ऐसा काम नही करूँगी जो मेरे मा बाप को अच्छा ना लगे". पंकज उसकी इस बात से बहुत इंप्रेस हुआ और उसकी सर पर हाथ फिराता हुआ बाहर जाने लगता है.

आराधना -" अरे डॅडी, कहाँ चले. बैठो ना थोड़ी देर और." आराधना चेर से खड़े होते पंकज से बोलती है

पंकज -"नही बेटा अब रात बहुत हो गयी है, अब मुझे चलना चाहिए". ये कहते हुए पंकज बाहर जाने लगता है. बाहर जाते हुए पंकज ये सोचता है कि क्यू ना प्रीति और कुशल से भी मिलता चलु और उन्हे अच्छा लगेगा. और वो बाहर निकलते हुए आराधना को इशारे मे बताता है कि वो प्रीति के रूम की तरफ जा रहा है.
पंकज प्रीति के रूम की तरफ चल देता है. प्रीति के रूम के बाहर आकर वो गेट को नॉक करता है.

" तू आ गया फिर, चाहे तू कितनी भी ट्राइ कर ले मे नही दूँगी तुझे". प्रीति का गेट अंदर से बंद था और उसे ये लगा कि शायद कुशल गेट नॉक कर रहा है इसलिए उसने ऐसा बोला.

" क्या नही देगी बेटा क्या हो गया". पंकज गेट के बाहर से ही बोलता है और गेट को फिर आए नॉक करता है.

ऊऊहह, फक्क्क डॅडी... प्रीति अपने मन मे बोलती है. दर असल वो बहुत घबरा गयी थी.

" वो...वो डॅडी कुशल बहुत परेशान करता रहता है. ज़रा रुकिये मे चेंज कर रही हू और अभी गेट खोलती हू." प्रीति की स्पीड ऐसे हो गयी थी जैसे कोई एलेक्ट्रिक मशीन. वो तुरंत पूरे कपड़े पहनती और गेट खोलती है. गेट खोलते ही वो पंकज को हेलो डॅडी बोल कर ग्रीट करती है. पंकज उसके रूम मे अंदर की ओर जाते हुए बोलता है -

पंकज -" कैसे परेशान कर रहा है ये नालयक कुशल. क्या माँग रहा है तुझसे".

प्रीति - वो वो डॅडी..... मेरा वीडियो गेम." प्रीति को कुच्छ समझ नही आता तो वो ऐसे ही बोल देती है

पंकज -" बेहद नालयक हो गया है ये कुशल. वो तेरा वीडियो गेम क्यू माँग रहा है जब उसको भी मेने दिलाया हुआ है. कुशल कुशल" वो दो तेज आवाज़ लगाता है कुशल को बुलाने के लिए. कुशल जैसे ही ये आवाज़ नीचे सुनता है उसे तो ऐसे लगता है जैसे भूचाल आ गया हो.

" कहीं प्रीति ने मेरी शिकायत डॅडी से तो नही कर दी". कुशल अपने मन मे सोचता हुआ उपर भागता है. उसे आशा थी कि डॅडी आराधना दीदी के रूम मे होंगे लेकिन जैसे ही वो उधर आता है तो देखता है आराधना दीदी तो अपने रूम मे अकेली है. उसके पाँव तले से ज़मीन खिसक जाती है. उसको कदम रुक जाते है, उसको ऐसा लगा जैसे किस्मत ने क्या खेल खेल दिया उसके साथ. " हे उपरवाले आज बचा ले, अपनी बीवी की भी चूत नही मारूँगा मे". कुशल उपरवाले से हाथ जोड़ कर प्राथना करता है. इतने मे एक बार फिर से आवाज़ आती है कुशल. ये आवाज़ उसके डॅडी की ही थी जो प्रीति के रूम से आ रही थी.

कुशल धीरे धीरे कदम बढ़ाता हुआ आगे पहुँचता है. उसके चेहरे पे पसीने आ चुके थे. और प्रीति के रूम के बाहर जाकर खड़ा हो जाता है, अंदर उसके डॅडी और प्रीति थे. डॅडी आगे के साइड खड़े थे और प्रीति उनके पीछे यानी कि पंकज की पीठ थी प्रीति की तरफ.

" जी डॅडी". कुशल मरी हुई आवाज़ मे बोलता है.

पंकज -" क्यू परेशान कर रखा है तूने प्रीति को". पंकज की ये बात सुनते ही तो कुशल का तो जैसे किसी लड़की ने रेप कर दिया हो ऐसी सिचुयेशन हो जाती है. प्रीति की भी हालत खराब थी कि कहीं कुशल कुच्छ और समझ के कुच्छ बोल ना दे

कुशल -" मेने... मेने क्या किया".
पंकज -" तो जब प्रीति अपनी कोई चीज़ नही देना चाहती तो तू क्यू ज़बरदस्ती माँगता रहता है". ये बात सुन कर कुशल का चेहरा शरम से गढ़ जाता है. उसको ऐसा लगा कि जैसे जिंदगी मे कोई भूचाल आ गया हो.

" और डॅडी मेने कई बार मना किया है कि मे अपना वीडियो गेम नही दूँगी". कुशल इससे पहले कुच्छ बोले, प्रीति ने हिंट दे दिया कि वीडियो गेम की बात चल रही है. " वीडियो गेम???" कुशल सोचने पे मजबूर हो जाता है और जैसे कि उसे सब समझ आता है वो खुशी से पागल हो जाता है.

" डॅडी, वीडियो गेम, ऑश वीडियो गेम. हाँ मे इसके पीछे पड़ा रहता हू कि दे मुझे क्यूंकी प्रीति का वीडियो गेम मुझे सबसे अच्छा लगता है". कुशल प्रीति की तरफ देखते हुए बोलता है. वो सारी सिचुयेशन समझ चुका था. जब वो ये बात बोलता है कि उसे प्रीति का वीडियो गेम सबसे अच्छा लगता है तो ये सुनकर प्रीति को ऐसे लगा जैसे वो ही मिस वर्ल्ड है.

पंकज -" लेकिन तुझे भी तो दिलाया है ना मेने वीडियो गेम".

कुशल -" पता नही क्यू मुझे डॅडी प्रीति का ही अच्छा लगता है. बस एक बार लूँगा फिर दोबारा ज़िद नही करूँगा डॅडी". कुशल ने बनावटी अंदाज़ मे प्रीति की तरफ देखते हुए कहा

पंकज -" ठीक है तो, प्रीति एक बार दे देने मे कोई बुराई नही है". पंकज प्रीति की तरफ देखते हुए बोलता है. इस बात का मतलब समझ कर

प्रीति -" डॅडी मुझे पूरा यकीन है कि एक बार अगर इसे अपना वीडियो गेम दिया तो मेरा गेम दोबारा खेलने के लायक नही रहेगा." प्रीति ने नॉटी स्टाइल मे कुशल की ओर देखते हुए कहा. इससे पहले कि पंकज कुच्छ बोलता, कुशल ही बोल पड़ता है

कुशल -" डॅडी मे प्रॉमिस करता हू कि बहुत प्यार से खेलूँगा. इसके वीडियो गेम पे खरॉच तक नही आने दूँगा. बिल्कुल अपना गेम समझ कर ही खेलूँगा".

पंकज -" ठीक है, ठीक है. अब बहुत हुआ, प्रीति जब तेरा दिल करे एक बार अपना वीडियो गेम कुशल को दे दियो". पंकज प्रीति को ऑर्डर देता हुआ बोलता है.

प्रीति कुशल की तरफ शार्प आइज़ से देखती है और पूछती है " बस एक बार हाँ???" ये बात सुनकर को तो जैसे कुशल की लॉटरी लग गयी हो. वो अपने डॅडी के फ़ैसले से बहुत हॅपी था और आइ लव यू डॅडी कह कर अपने डॅडी से चिपक जाता है.

पंकज -" और दोनो लड़ा कम करो, अब बड़े हो गये हो, ठीक है". कुशल और प्रीति दोनो जी डॅडी कह कर बात मान लेते है. अब पंकज बाहर जाने लगता है, लेकिन कुशल का बाहर जाने का इरादा नही था. प्रीति मौके का फ़ायदा उठाते हुए बोलती है कि चल कुशल अब तू भी सोने जा क्यूंकी मुझे भी नींद आ रही है. पंकज भी जाते जाते कुशल से बोलता है कि जाकर सो जा अब कल सनडे है शॉपिंग करने चलेंगे.
[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]कुशल बाहर जाना चाहता तो नही है लेकिन अपने डॅडी के सामने उसे बाहर आना पड़ जाता है. कुशल के बाहर आते ही प्रीति अपना गेट बंद कर लेती है.

पंकज स्टेर्स की तरफ बढ़ता है, उसका चेहरा आराधना के रूम के की ओर है. आराधना भी फाइनल सोने की तैयारी कर रही थी, इसलिए नाइट गाउन पहन चुकी थी. हालाँकि नाइट गाउन पूरी बॉडी का था लेकिन मेटीरियल बहुत ही थिन था, पंकज स्टेर्स की तरफ बढ़ रहा है और आराधना अपने रूम के गेट पर खड़ी है उसे बंद करने के लिए लेकिन अपने डॅडी को जाते हुए देख कर रुक जाती है. दोनो की नज़रे मिली हुई है, पंकज की निगाहे उपर से नीचे तक जाती है, आराधना अपनी जगह से हील नही रही है और कंटिन्यू स्माइल किए जा रही है. धीरे धीरे पंकज स्टेर्स पर पहुँच जाता है और नीचे चला जाता है. आराधना भी अपना गेट बंद कर लेती है. वो बिस्तर पर लेट जाती है लेकिन उसे नींद नही आ रही है. वो अपना टीवी ऑन करती है, काफ़ी चॅनेल चेंज करती है लेकिन फिर एक जगह रोक देती है क्यूंकी मूवी अमिताभ बच्चन की है जो कि उसका फेवोवरिट आक्टर है. लेकिन मिड नाइट मूवी "निशब्द " आ रही थी.

वो मूवी मे खोई हुई है तभी उसके मोबाइल की बेल बजती है. वो एक दम चोंक जाती है, जैसे किसी सपने से जागी हो. मन मे सोचती है कि इतनी रात को किसका फोन हो सकता है. मोबाइल उठाती है और देखती है कि फोन सिमरन का है. वो फोन पिक करती है.

आराधना-" हाई सिमरन, इतनी रात को क्यू परेशान कर रही है"

सिमरन -" मेरी जान मुझे यकीन था कि तू जाग रही होगी. और क्या कर रही है?"

आराधना -" कुच्छ नही यार मूवी देख रही हू"

सिमरन -" कौन सी मूवी चल रही है इतनी रात मे. पॉर्न है क्या"

आराधना -" अपने जैसा समझ रखा है क्या, मे अमिताभ जी की मूवी निशब्द देख रही हू".

सिमरन -" ओई मेरी जान क्या मूवी है, इतनी रात को ये मूवी कैसे पसंद आ गयी तुझे. अमित जी के चुम्मे वाली"

आराधना -" मुझे नही पता इसमे क्या है क्यूंकी मेने तो अभी शुरू की है. तू बता कि क्या बात है, फोन क्यू किया है".

सिमरन -" मेरी जान तो कल का प्रोग्राम पक्का है ना तुम्हारी शॉपिंग का. मे अपने बॉय फ्रेंड से प्रॉमिस कर चुकी हू".

आराधना -" क्यूँ इतना उतावली हो रही बॉय फ्रेंड से मिलने के लिए. वैसे हम सब कल जा रहे है और तू आ सकती है"

सिमरन -" लव्ली, थॅंक यू सो मच आरू. यू आर माइ बेस्ट फ्रेंड. चल कीप डूयिंग मास्टरबेशन, हे हे हे हे. बाइ"

आराधना -" क्या कहा तूने अभी"

सिमरन -" मेने कहा बाइ"

आराधना -" नही उससे पहले"

सिमरन -" उससे पहले मेने क्या कहा"

आराधना -" तूने कुछ मास्टरबेशन के लिए कहा ना"

सिमरन -" ओह्ह्ह मास्टरबेशन, कर ले अगर दिल है तो. वैसे भी अमित जी की सेक्सी मूवी चल रही है".

आराधना -"मे ऐसी लड़की नही हू, समझी".

सिमरन -" कैसी लड़की नही है? यार कभी तो ट्रॅक पर रहा कर. मे करती हू मास्टरबेशन और डेली करती हू. तो क्या इससे मे खराब लड़की हो गयी. सब करते है, तू नही करती इसीलिए गुस्से मे रहती है. अपनी इस बॉडी पे रहम कर, मास्टरबेशन एक नॅचुरल चीज़ है जो तेरी मा और मेरी मा ने भी किया होगा" सिमरन ने आज थोड़ा स्ट्रिक्ट होते हुए कहा
आराधना -" देख तू मा बाप तक ना पहुँचा कर".

सिमरन -" मे तो बस मा तक पहुँची थी, बाप के मास्टरबेशन के बारे मे क्या पता". सिमरन ने हंसते हुए कहा

आराधना -" सिमरन, ऐसी बाते करते हुए तुझे शरम नही आती. "

सिमरन -" यार क्यू अपना ब्लड प्रेशर बढ़ा रही है, मस्त रहा कर. और फिर कह रही यही कि अपनी बॉडी पे रहम कर, इसे और कुच्छ तो नसीब नही होने देगी तू कम से कम एक बात मास्टरबेट कर लिया कर. चल अब रखती हू, बाइ"

आराधना -" बाइ" और फोन कट जाता है.

आराधना के कानो मे सिमरन का एक एक शब्द गूँज रहा था. वो आज तक अंजान थी कि ये मास्टरबेशन फील क्या चीज़ होती है. ये बात उसके दिमाग़ पे हावी होती जा रही थी, इतने मे अमिताभ का किस्सिंग सीन आ जाता है. एक जवान लड़की अपने फादर के उमर के आदमी को यूँ लीप किस करते हुए देख कर आराधना का अंग अंग भड़क जाता है.

उसका चेहरा लाल पड़ जाता है और बॉडी मे जैसे ब्लड बहुत तेज स्पीड से दौड़ने लगता है. वो नही समझ पा रही थी कि आख़िर ये क्या हो रहा है.

उसका आँखे बंद हो जाती है और हाथ धीरे धीरे नीचे की तरफ जाने लगता है. उसने अपनी चूत को कभी किसी और तरीके से टच नही किया था. बहुत धीरे धीरे वो अपने नाइट गाउन को उपर करती है. उसके दिमाग़ मे लाखो सवाल चल रहे थे कि क्या ये सही है. लेकिन फिर उसके माइंड मे सिमरन के शब्द भी गूंजते है कि हर कोई करता है और हर लड़की करती है. वो दुविधा मे थी लेकिन अब रोका नही जा सकता था क्यूंकी उसकी बॉडी उसके कंट्रोल से बाहर हो रही थी.
नाइट गाउन को उपर करके वो अपने दोनो हाथ अपनी पैंटी पे ले जाती है. और दोनो हाथो से नीचे करने लगती है, उसे ऐसा फील हो रहा है जैसे कोई लड़का नीचे कर रहा हो उसकी पैंटी. वो एग्ज़ाइटेड भी है और उसे शरम भी आ रही है. धीरे धीरे अपने सीधे हाथ को वो अपनी पुसी पे ले जाती है और पहले टच मे ही. "आहह...... उसकी आँखे बंद हो चुकी थी और वो अब जैसे धरती पे नही थी. अपनी गोरी गोरी एक फिंगर को अपनी पुसी मे थोड़ा सा अंदर घुसाती है. "ओह......." वो ऐसे इमॅजिन कर रही है जैसे ये फिंगर उसकी नही बल्कि किसी मर्द की हो. उसकी फिंगर जैसे ही अपनी पुसी मे जाती है, पुसी लिक्विड से भीग जाती है. आज आराधना के अंदर का बीस्ट जाग रहा था, वो अपनी फिंगर को अपनी पुसी से हटाती है और अपने मूँह के पास ले जाकर उस फिंगर को चूसने लगती है. वो एक इमॅजिनरी वर्ल्ड मे थी जहाँ वो फील कर रही थी कि उसकी चूत मे कोई फिंगर डाल कर उसे खुद चूस रहा हो. उसकी बॉडी की ऐसी हालत हो रही थी जैसे जल बिन मछ्ली. चूत से पानी बहने लगा था. उसको जैसे बहुत गर्मी लगने लगी थी और बदन पसीने मे भीगने लगा था. वो फिर से अपना हाथ नीचे ले जाती है, और फिंगर से एक फिंगर अंदर आंड ज़्यादा अंदर " फक......... मी.......," आराधना के होंठो से खुद ब खुद निकल गया, वो आज जैसा फील कर रही थी वैसे कभी नही किया. उसको खुद यकीन नही हो रहा था कि उसके मूँह से आज ऐसे एरॉटिक शब्द निकल रहे है. उसने अपनी फिंगर की स्पीड बढ़ा दी थी, उसका मूँह आसमान की तरफ खुल चुका था और बाल बिस्तर मे फेल गये थे. आराधना की धीमी धीमी सिसकारियो से रूम गूँज रहा था " ओह, आआअहह, नो........." फिंगर अंदर बाहर और अंदर बाहर. अब आराधना का उल्टा हाथ ऑटोमॅटिकली अपने बूब्स पे पहुँच जाता है. दूसरी तरफ फिंगर अपनी फुल स्पीड पे थी, आराधना अपने बूब्स को पागलो की तरह प्रेस करने लगती है. उसके इमॅजिनरी वर्ल्ड मे कोई मर्द है जो उसके साथ खेल रहा है. " ऐसे ही...., प्यार करो मुझे...... आराधना के मूँह से खुद ही शब्द निकल रहे थे. उसकी बंद आँखो की इमॅजिनेशन से वो और ज़्यादा एग्ज़ाइटेड होती जा रही थी. फिंगर अंदर और ज़्यादा अंदर होती जा रही थी, तभी वो अपनी दूसरी फिंगर भी ट्राइ करती है. " औचह.........." उसे पेन हुआ और वो जैसे मन ही मन कहती है कि प्लीज़ आराम से, एक प्योर् सील पॅक चूत की मालकिन थी वो. अब वो एक ही फिंगर से लगी हुई थी, उसकी उत्तेजना फुल पीक पे थी. वो मर्द उसकी बॉडी को बुरी तरह रोंदे जा रहा था, उसकी इमॅजिनरी दुनिया उसको और एग्ज़ाइटेड कर रही थी. उसको खुद भी पता था कि उसके साथ कौन है उसकी ख्यालो की दुनिया मे. " आहह........ ओह.......... और उसकी बॉडी बुरी तरह अकड़ जाती है , पहली बार आराधना को अपने एंडिंग पॉइंट का अहसास हुआ था. जैसे ही उसका एंडिंग पॉइंट हुआ , उसको वो चेहरा दिखाई दे गया जो सपनो की दुनिया मे उसकी चुदाई कर रहा था और जो उसे इतना एग्ज़ाइटेड कर रहा था. वो चेहरा देखते ही उसकी आँखे एक दम खुल जाती है और हड़बड़ा कर वो अपनी नाइटी नीचे करती है और स्लोली स्लोली अपनी पैंटी उपर करती है.... आख़िर ये किसका चेहरा था....

दोस्तो आप लोग ही सोचो आराधना किसके ख्यालो मे मस्त हो रही थी
[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large].पता नही कौन था उसकी ख्यालो क़ी दुनिया मे जो उसके बदन के साथ खेल रहा था, पता नही कौन था जो ख्वाबो मे उसके कुंवारे भड़कते यौवन की आग बुझा रहा था, कौन था जो खवाबो मे उसके कोमल बदन को रोन्द रहा था. वो जो भी था लेकिन उसने आराधना को चोंका दिया था, एक तरफ वो एग्ज़ाइटेड थी कि आज वो मास्टरबेट करने मे सक्सेस्फुल हो गयी और उसने वो सूख देख लिया जिससे वो अंजान थी. उसके चेहरे की ग्लो बता रही थी के उसने बहुत एंजाय किया, चेहरा चमक उठा था. चेहरे की शाइनिंग देखते ही बनती थी, पहला मास्टरबेशन कुच्छ ऐसा ही अहसास है जैसे किसी इंडिविजुयल ने अंतरिक्ष मे कोई रॉकेट उड़ा दिया हो. उसको अहसास हो गया था कि फर्स्ट टाइम सेक्स कितना पेनफुल हो सकता है क्यूंकी मास्टरबेशन के दौरान उसकी पुसी मे उसकी दूसरी फिंगर एंट्री नही ले पाई.

आराधना उठती है और वॉशरूम मे जाकर अपने हाथ हो धोने लगती है. तभी उसकी नज़रे सामने वाले मिरर पे पड़ती है, अपनी नज़रो से खुद नज़रे मिलते ही वो शरमा जाती है. फिर से मिरर मे चारो और घूम घूम कर अपने आप को देखती है, वो थोड़ा सा मॅक्सी को उठाती है और फिर नीचे कर देती है. और फाइनली बिस्तर मे आकर शांति से सो जाती है. वो एक ऐसी चैन की नींद थी जिसे वो ही समझ सकती थी. जवानी मे ये बदन वैसे ही नही सोने देता है जब तक की इसकी भूख ना मिटाई जाए.

............................................................................................

सनडे मॉर्निंग, सबसे पहले स्मृति उठ गयी है. आज ईव्निंग मे उन्हे शॉपिंग के लिए जाना है लेकिन अभी मॉर्निंग मे स्मृति ने उठ कर घर के ग्राउंड फ्लोर को क्लीन करना शुरू कर दिया. सफाई करते करते वो मीठी मीठी आवाज़ मे सॉंग गुनगुनाती रहती है. सफाई के दौरान अपने स्मार्टफॉन को चेक करती है, जिससे पे करीब 1 घंटे पहले ही उस ट्रिपल ऐक्स_लाइयन के नोटिफिकेशन्स आए हुए थे. " क्या ये सोता भी है या नही". स्मृति अपने मन मे बॅड बड़ाती है. और फोन को साइड मे रख कर फिर से सफाई मे लग जाती है. ठीक 10 मिनिट बाद फिर से एक नोटिफिकेशन आता है, नोटिफिकेशन साउंड को सुनकर वो भाग कर फोन के पास आती है लेकिन इस बार ये एरटेल की तरफ से स्मस था. वो अपने माथे पे हाथ मारती है कि क्या हर टाइम यही लगता है कि वो लाइयन ही परेशान कर रहा होगा. और फोन को रखने ही वाली थी कि फिर से एक नोटिफिकेशन दिखाई दिया, उसने तुरंत देखा और ये लाइयन का ही था.

लाइयन - यू देअर?

लाइयन - हेलो, एनी ब्यूटिफुल लेडी ईज़ देअर?

स्मृति - क्या बात है बताओ. क्या रात को सोते नही हो क्या?

लाइयन - सो क्या जब मेरे फ्रेंड्स के पास मेरे लिए टाइम ही नही है.

स्मृति - ओह्ह्ह तो इतने गम है तुम्हारी लाइफ मे. वैसे कौन दोस्त है जिसके पास तुम्हारे लिए टाइम है.

लाइयन - है एक बहुत ब्यूटिफुल आंड स्वीट लेडी. अपने घर मे ही बिज़ी रहती है, दोस्त चाहे भाड़ मे उसे किसी का ध्यान नही है.

स्मृति समझ गयी थी कि लाइयन का इशारा खुद उसी की तरफ था.

स्मृति - ऐसा भी हो सकता है कि उस ब्यूटिफुल लेडी पे और भी रेस्पॉन्सिबिलिटीस हो. और उसे टाइम ना मिल पाता हो, क्यू?

लाइयन - क्या हमारी ही इतनी बुरी किस्मत है कि हमे दोस्त भी वो मिली जो सबसे ज़्यादा रेस्पॉन्सिबल है सबके लिए बस अपने दोस्त के लिए ही नही.

स्मृति - हा हा हा हा हा

लाइयन - मेरा दोस्त स्माइल करता है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है.

स्मृति उसकी बात पढ़ कर शरमा सी जाती है.

स्मृति - लेकिन दोस्त ने इतनी बाते बनानी कहाँ से सीखी?

लाइयन - किस्मत सीखा देती है स्मृति जी. कौन सा हम मा के पेट से सीख कर आते है
.स्मृति - तुम्हारी बाते तो बस उपर वाला जाने. खैर और बताओ अब क्या कर रहे हो.

लाइयन - कपड़े उतार रहा हू.

स्मृति - तुम फिर से शुरू हो गये.

लाइयन - स्मृति जी अगर मे सच भी बोलू तो आपको लगता है मे शुरू हो गया. पता नही आपको तो मे ही सबसे बुरा लगता हू.

स्मृति - तो सुबह के 9 बजे है और तुमने मुझसे चाटिंग शुरू कर दी, पहले नहा ही लेते ना. किसने ज़बरदस्ती करी है.

लाइयन - वो स्मृति जी मे नहाने के लिए नही बल्कि सोने के लिए कपड़े उतार रहा था.

स्मृति - हा हा हा हा. फिर से सो रहे हो. गुड, सो जाओ.

लाइयन - फिर से नही, दर असल मे रात को सो ही नही पाया. इसीलिए अब सो रहा हू, अगर रात को सो गया होता तो अब नही सोता.

स्मृति - ठीक है अब चाटिंग बाद मे करना. कपड़े उतारो और सो जाओ, वैसे भी रात को मज़दूरी करी है बेचारे ने.

लाइयन - एक ही कपड़ा था बॉडी पे वो मे उतार चुका हू. और रात को मज़दूरी नही मेहनत करनी पड़ गयी थी स्मृति जी, जो मे पूरी मेहनत से करता हू.

स्मृति उसकी एक कपड़े वाली बात सुनकर शॉक्ड रह जाती है. उसके मन मे ये ख्याल आ रहा था कि क्या अब इसने कुच्छ नही पहना है. लेकिन शरम की वजह से वो पुछ नही सकती थी. चाटिंग करते करते कुच्छ दिन हो भी गये थे तो वो और धमकिया देना नही चाहती थी उसे.

स्मृति - ऐसी क्या मेहनत कर दी इस नालयक ने. पहाड़ तोड़ दिया क्या कहीं?

लाइयन - नही स्मृति जी, कल रात एक पार्टी मे गया था. वहाँ आप की जैसी एक भाभी से मुलाकात हो गयी और पूरी रात उसी के साथ मेहनत करने मे गुजर गयी.

लाइयन ने ये बात लिख तो दी लेकिन इस बात से स्मृति का पारा सातवे आसमान पे पहुँच गया.

स्मृति - यू ईडियट, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई उसको मेरा जैसे कहने की. कई बार मुझे लगता है कि उन्मेच्योर लड़का है लेकिन दिल का सॉफ है लेकिन तुम एक बेहद गंदे लड़के हो.

स्मृति का चेहरा गुस्से मे लाल हो चुका था.

लाइयन - स्मृति जी, क्या आप अपना सारा गुस्सा मेरे लिए ही बचा कर रखती है. मेरे कहने का मतलब था कि वो भाभी आप की तरह बेहद सुंदर और अट्रॅक्टिव लग रही थी. मेरा इमॅजिनेशन ऐसा था जैसे मे आपसे ही मिल रहा हू.

अपनी तारीफ सुन कर स्मृति थोड़ा रिलॅक्स हुई और अपने आप पर इतराती है.

स्मृति - ओके. तो घुमा फिरा कर बात मत किया करो. एनी वे लेकिन उसने तुमसे मेहनत कैसे कराई?

लाइयन - क्या स्मृति जी, कहीं आप दोबारा गुस्सा ना हो जाना लेकिन आप मेरी दोस्त है तो आपसे तो मे दिल की बात शेर कर ही लेता हू. आक्च्युयली कल एक फ्रेंड की बर्तडे पार्टी मे गया था. काफ़ी कलर्फुल पार्टी थी.

स्मृति- ह्म्*म्म्मम......
लाइयन - बिल्कुल आपके जैसी एक भाभी उस पार्टी की जान थी. ब्लॅक कलर की लोंग पार्टी ड्रेस मे वो एक अप्सरा लग रही थी. ड्रेस भी बॅकलेस थी तो उसकी नेक से लेकर कमर तक बॉडी का पूरा दीदार हो रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था जैसी स्मृति जी ही उतर कर इस पार्टी मे आ गयीं हो. क्या बला की खूबसूरत थी वो. अगर मॅरीड ना होती तो कसम से शादी का पहला प्रपोज़ल मे ही देता. वो बात अलग है कि हम जैसे ग़रीबो के नसीब मे आप जैसे यानी उस भाभी जैसी खूबसूरती नही होती.

स्मृति इनडाइरेक्ट्ली अपनी तारीफ सुनकर पागल हुए जा रही थी. लाइयन भी मँझे हुए खिलाड़ियो की तरह पेश आ रहा था.

स्मृति - ह्म्*म्म.........

लाइयन - फिर क्या स्मृति जी, अपने हज़्बेंड के साथ खड़े होकर ड्रिंक ले रही थी लेकिन निगाहे चारो और ज़्यादा उजाला फेला रही थी. जैसे ही उसकी निगाहे मुझसे मिली, आदत से मजबूर हमारी एक आँख दब गयी उसकी तरफ.

स्मृति - कितने जूते पड़े फिर. मेरी जैसी शरीफ लेडी के साथ बद तमीज़ी करोगे तो जूते ही पड़ेंगे.

स्मृति भी ऐसे पेश आने लगी थी जैसे वो खुद फील कर रही हो कि सब कुच्छ उसके साथ ही हो रहा हो.

लाइयन- बचपन से आदत है जी, खूबसूरत माल को देखते ही आँख खुद दब जाती है. ड्रिंक करते हुए जब उसने मुझे आँख मारते हुए देखा तो उसे यकीन नही हुआ यानी वो श्योर नही थी. तिरछी निगाहो से उसने फिर देखा तो फिर से एक बार आँख दबा दी.

स्मृति खूबसूरत माल जैसे शब्द सुनकर और हॅपी हो रही थी लेकिन लाइयन को दिखा नही रही थी.

स्मृति - अच्छा....

लाइयन - उसके मूँह से एक हल्की सी स्माइल निकली और उस स्माइल पे तो मे मर मिटा. आख़िर वो मुझे अपने बेस्ट फ्रेंड जैसी लग रही थी यानी आपके जैसी.

स्मृति - ज़्यादा मक्खन मत लगाओ और आगे बताओ.

लाइयन - बस नैन मिलते रहे और जितनी बार भी मिले, हमारे नैन तो अपना कमाल दिखाते ही रहे. जब खूबसूरत आपके जितनी तो एक दो बार फ्लाइयिंग किस भी दे दी.

स्मृति - अगर मे होती तो कस के थप्पड़ जमाती.

लाइयन - आपके जैसी ब्यूटिफुल, स्वीट, हॉट, सेक्सी बॉम्ब मुझे थप्पड़ मारे तो जिंदगी भर ख़ाता रहू कसम से.

स्मृति - खैर बाते बनाने मे तो तुम्हारा कोई जवाब नही है अब आगे बताओ.

लाइयन - फिर क्या था मेने इशारे मे उससे उसका फोन नंबर माँगा लेकिन उसने चारो तरफ देख कर और सही मौके पे मुझे स्माइल करते हुए मना कर दिया.

स्मृति - गुड लेडी....

लाइयन - प्लीज़ मुझे गालियाँ मत देना लेकिन उसकी खूबसूरती से पागल हो चुका था मे. वो अकेले चलते वहाँ पहुँच गयी जहाँ डीजे स्टेज लगा हुआ था. चलने मे जो बात थी क्या बताऊ, उसके ,,,,, ऐसे मटक रहे थे जिससे सॉफ पता चल रहा था कि कितनी गदराई हुई बॉडी की मालकिन है.

स्मृति - गुड बॉय, अच्छा है कि सॉफ सॉफ नही लिखा.

लाइयन - आप बताएए ना कि चलते हुए क्या मटक रहे थे.

स्मृति - हप!!!! आगे बताओ
[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]लाइयन - तो मुझे ही बताना पड़ेगा कि क्या मटक रहे थे क्यूंकी मेरी खूबसूरत दोस्त को नही समझ आया.

स्मृति - चलते हुए उसके हिप्स मटक रहे थे. अब खुश!! वैसे तुम्हारी जान कारी के लिए बता दू कि ये नॅचुरल है, कोई लेडी आप जान के ऐसा नही करती.

लाइयन - क्या आपके साथ कभी किसी पार्टी मे ऐसा हुआ है क्या?

स्मृति - जान ना ले लू उसकी जो ऐसा कर दे. तुम आगे बताओ

लाइयन - वो धीरे धीरे चल कर वहाँ पहुँच गयी जहाँ डीजे स्टेज था. दूसरी तरफ मे भी धीरे धीरे चला और डीजे स्टेज की दूसरी साइड खड़ा हो गया. अब वो और मे आमने सामने था और बीच मे डीजे स्टेज था.

स्मृति - ओके..

लाइयन - जैसे जैसे मौका मिलता मे उसे कोई ना कोई इशारा कर देता. फोन नंबर दोबारा माँगा तो उसने मना कर दिया, फ्लाइयिंग किस दी तो हंस के टाल दिया. इशारे मे उसे ये बताया कि तेरी बॉडी नही आग की भट्टी है जिसमे कोई भी जल जाए और वो धीमे धीमे स्माइल करती रही. फिर एक बार मेने उसे अपने थंब और फिंगर को गोल करके, उसके बीच मे उंगली डाल कर इशारा किया. 

स्मृति - ओह माइ गॉड. क्या अब भी वो हँसती रही, उसने दो थप्पड़ नही जड़े तुम्हारे.

लाइयन - तो यानी आपको पता है कि वो इशारा किस चीज़ का होता है?

स्मृति - ज़्यादा स्मार्ट मत बनो. आगे बताओ.

स्मृति समझ गयी थी कि लाइयन ने उसकी बात पकड़ ली है.

लाइयन - थप्पड़ तो नही लेकिन धीरे धीरे वो मेरी तरफ चल कर आने लगी. सच कह रहा हू स्मृति जी मेरी तो फट गयी कि बेटा आज तो गया.

स्मृति - हा हा हा हा हा हा. गुड

लाइयन - वो धीरे धीरे चल कर मेरे तरफ आने लगी. मेरी तो साँसे ही अटक गयी थी, समझ आ गया था कि खूबसूरती बस धोका देती है.

स्मृति - गुड, ऐसा काम करोगे तो धोका ही मिलेगा.

लाइयन - वो आकर मेरे सामने खड़े हुए आदमी के पास आकर रुक गयी. उस आदमी की पीठ मेरी तरफ थी, और बोली के मे टाय्लेट जा रही हू. ये बात दर असल अपने हज़्बेंड को बोल रही थी जो मेरे सामने ही खड़ा था. मेरी जान मे जान आई और मेने एक बार और हिम्मत करके इशारे मे पुछ लिया कि इस पार्टी हॉल मे टाय्लेट कहाँ है. इस इशारे के टाइम उसका हज़्बेंड मुझे नही देख सकता था क्यूंकी उसकी पीठ मेरी तरफ थी.

स्मृति - फिर??

लाइयन - फिर क्या था, वो स्टाइल मे आगे बढ़ी और अपने हज़्बेंड को हग किया. अब उसका फेस मेरी साइड था और अपने हज़्बेंड के शोल्डर पे रखा हुआ था. और धीरे से अपने हज़्बेंड के कानो मे बोला कि हनी टाय्लेट सेकेंड फ्लोर पर है. ये बोलते हुए उसकी सेक्सी आइज़ मेरी साइड थी. मे समझ गया कि ये हिंट मुझे ही दिया गया है. मे ये भी समझ गया कि इस पार्टी हॉल से वो अच्छी तरह से वाकिफ़ है.

स्मृति - ओह्ह नो. शी वाज़ आ बिच.

लाइयन - वो जो भी थी लेकिन कसम से थी जबरदस्त. सच बता रहा हू कि अभी भी सोच रहा हू तो मेरा बाबू आसमान छुने की कोशिश कर रहा है.

स्मृति को भी काफ़ी टाइम हो गया था हज़्बेंड के साथ सेक्स किए हुए. ये एरॉटिक सिचुयेशन उसके चेहरे को और लाल कर रही थी.

स्मृति - बाबू?? ये क्या है?

लाइयन - समझिए ना स्मृति जी. बाबू यानी मेरा लंड.

लाइयन ने भी तुरंत मौके को देख कर टाइप कर दिया. स्मृति को पता था क़ी वो बिना कुच्छ पहने चॅट कर रहा है. इसीलिए उसकी एक फुल पिक्चर स्मृति के माइंड मे घूम गयी.

स्मृति - रहोगे जाहिल ही. अगर चॅट करनी है तो अंडरवेर पहनो और उसके बाद ऐसी बात ना करना.

लाइयन- लेकिन स्मृति जी...

स्मृति - लेकिन क्या?

लाइयन- आप तो मॅरीड है. डेली लंड को देखती ही होंगी, जब ये खड़ा होता है तो अंडरवेर मे कैसे समाएगा. वैसे भी मे फ्रेंची पहनता हू.

स्मृति ये ऐसी बाते सुन कर पता नही क्यू परेशान हुए जा रही थी. लाइयन की इस बात से उसे ये भी याद आ गया था कि वाकई मे उसे अपने हज़्बेंड से मिले हुए कुच्छ दिन ही गये थे. लाइयन की ये गंदी लॅंग्वेज उसके माइंड पे हावी हुए जा रही थी लेकिन वो शो नही कर रही थी.

स्मृति - बेशर्मी की भी हद होती है. अभी ट्राउज़र पहनो या कुच्छ भी पहनो और तभी चॅट करना. क्या तुम्हारे घर मे कोई मा या बहन नही है अगर कोई तुम्हे बिना कपड़ो के देख ले तो.

लाइयन - जी मेडम लो पहन लेता हू. लेकिन आपकी जान कारी के लिए बता दू कि मेरे घर मे मा बहन सब है लेकिन सब अपनी अपनी लाइफ मे मस्त है और सब अपने अपने रूम मे है. रही बात देखने की तो मे खुद जाकर तो दिखा नही रहा हू, अगर वो खुद ही देख ले तो उनकी अच्छी किस्मत से मे क्यू जलु.

स्मृति मन मे सोच रही थी कि ये कोई बेहद नालयक लड़का है. लेकिन दूसरी तरफ उससे चाटिंग करने की स्मृति को आदत भी पड़ गयी थी. वो रिलॅक्स थी क्यूंकी उसे ऐसा लगता था कि चाटिंग ही तो है. कुच्छ देर तक लाइयन का कोई रिप्लाइ नही था क्यूंकी शायद वो ट्राउज़र पहन रहा था या पहन ने का बहाना कर रहा था.

लाइयन - आइ आम बॅक...

स्मृति - ओके. अब बताओ अपनी उस बिच भाभी के बारे मे.

लाइयन - अगर कुच्छ नही सुन ना तो मत सुनो लेकिन मेरी उस भाभी के बारे मे कुच्छ मत कहो स्मृति जी.

स्मृति - ओह्ह हो. तो इतना लव हो गया है उस भाभी से.

लाइयन - लव की बात नही है. दर असल उसमे मुझे आपकी छवि दिखाई देती है और कोई आपके बारे मे कुच्छ बोले तो उसकी मा....

स्मृति को ये बात सुनकर अच्छा भी लगा और गुस्सा भी आया क्यूंकी उसने फिर से गंदी लॅंग्वेज यूज़ करने की कोशिश की. लेकिन स्मृति ने अब उसकी इन हर्कतो को इग्नोर करना शुरू कर दिया था ये स्पच कर कि है ही गँवार.

स्मृति - ओके ओके. सॉरी, चलो आगे बताओ.

लाइयन - सभी लोग पार्टी के लिए ग्राउंड मे थे. वो भाभी धीरे धीरे बिल्डिंग के लिए अंदर जाने लगी. लोंग ड्रेस को उसने अपने हाथो से पकड़ा हुआ था और थोड़ा सा ज़मीन से बचाती हुई चल रही थी, धीरे धीरे सबकी नज़रो से बचते हुए मे भी पीछे चल दिया.

स्मृति - ह्म्*म्म्ममम.......

लाइयन - वो मेरे आगे थी और उसकी नंगी पीठ ठीक मेरी आँखो के सामने थी. उसने पीछे मूड कर मुझे देखा और एक स्माइल दी. कसम से मुझे ऐसा लग रहा था जैसे स्मृति जी मेरे सामने हो. मे भी पागलो की तरह पीछे चला जा रहा था.

स्मृति भी ना चाहते हुए ऐसे मुकाम पर आ गयी थी जहाँ लाइयन मे उसको ऐसा फील करना शुरू कर दिया था कि वहाँ कोई भाभी नही बल्कि स्मृति खुद ही थी. स्मृति के कान गरम हो चुके थे, आँखे मॉर्निंग टाइम मे ही लाल हो रही थी. बड़ी मुश्किल से वो अपने को संभाले हुए थी.

स्मृति - ह्म्*म्म्मम.....

लाइयन - वो धीरे धीरे बिल्डिंग की तरफ बढ़ती जा रही थी. मुझे लगता है कि उसकी गान्ड आप के जितनी ही सेक्सी होगी जिसपे मेरी निगाह पूरी लगी हुई थी. सच बोल रहा हू मे उसे ऐसे देख रहा था जैसे स्मृति को देख रहा हू. मेरा लंड खड़ा होने लगा था.

वो गंदी पे गंदी लॅंग्वेज यूज़ किए जा रहा था लेकिन आज स्मृति उसे नही रोक पा रही थी बल्कि चाटिंग मे पूरा सपोर्ट कर रही थी.

स्मृति - फिर???

लाइयन - उसने बिल्डिंग मे एंट्री ली और स्टेर्स लेकर उपर चली गयी. धीरे धीरे मे बिल्डिंग मे पहुँचा और मुझे सीढ़ियाँ दिखाई दी लेकिन स्मृति दिखाई नही दी. ओह्ह सॉरी भाभी दिखाई नही दी.

स्मृति की साँसे तेज होती जा रही थी. उसे ऐसा लग रहा था जैसे लाइयन उसी की तरफ बढ़ रहा हो.

स्मृति - फिर??

लाइयन - मे फर्स्ट फ्लोर पे पहुँचा और उसके बाद सेकेंड फ्लोर पे. लेकिन वो मुझे दिखाई नही दे रही थी. मे उसे पागलो की तरह ढूंड रहा था जैसे कोई पागल प्रेमी अपनी लैला को ढूंड रहा हो.

स्मृति - ओके... मिली या नही?

लाइयन - टाय्लेट मे ढूँढा, ईवन लॅडीस टाय्लेट मे भी ढूँढा लेकिन नही मिली. बिल्डिंग मे कोई नही था, चारो तरफ भाग भाग कर पागल हो रहा था. तभी मुझे उस बिल्डिंग की किचन मे से आवाज़ कुच्छ आवाज़ आई.

स्मृति -फिर??

लाइयन - किचन मे जैसे ही मे पहुँचा. मे रिलेक्स हो गया, वो वोही थी. बड्रे रेफ्रिजरेटर से पानी की बॉटल निकाल कर पी रही थी. वो अपने बाल खोल चुकी थी. स्मृति जी ऐसे लग रही थी जैसे सेक्स की देवी हो.

स्मृति की हालत और खराब हुए जा रही थी.

स्मृति - फिर क्या हुआ???

लाइयन - उसकी और मेरी आँखे मिली, पता नही क्यू मुझे फिर से ऐसा लगा जैसे मेरे सामने स्मृति खड़ी हो. मेने उससे पुछा पानी मिलेगा? वो घूम गयी और फिर से पीठ मेरे सामने थी. मे धीरे धीरे उसकी तरफ बढ़ा. उसकी मस्त मोटी मोटी गान्ड मुझे इन्वाइट कर रही थी. मे उसके बहुत करीब पहुँच गया.

स्मृति - यार बहुत स्लो टाइप करते हो. जल्दी जल्दी लिखो ना.
स्मृति भी आज उतावली हो रही थी ये जान ने के लिए कि आख़िर क्या हुआ.

लाइयन - अब मे कोई रोमॅंटिक हीरो तो था नही जो टाइम लगाता. जाकर उसकी पीठ पे दोनो हाथ रख दिए, उसकी दोनो आँखे बंद हो गयी. मे समझ गया कि लोहा गरम है. मेने अपने दोनो होठ उसकी गर्दन पे टिका दिए. क्या खुसबु आ रही थी उसके बदन से. उसको गर्दन पे किस करते करते मेने अपने दोनो हाथ उसकी ड्रेस मे घुसा दिए और उसकी चुचियों को पकड़ लिया. क्या चुचियाँ थी उसकी शायद बिल्कुल आपके जैसी साइज़ 38 डी से कम नही होगा.

स्मृति तो खो चुकी थी. उसने आज तक ऐसी चाटिंग नही करी थी.

स्मृति - जी नही, मेरा साइज़ 38 डी नही है.

लाइयन - जो भी आपका साइज़ है लेकिन उसकी चुचियो को मे यही सोच कर दबा रहा था कि वो आपकी ही है.

स्मृति - लेकिन क्यू सोच रहे थे कि वो मे हू?

लाइयन - इससे मेरे लंड मे और ताक़त आ जाती है जैसे कि अभी भी ट्राउज़र से भी बाहर निकलने को तैयार हो रहा है.

स्मृति - हा हा हा हा. तो कोई ले आओ ना जो इसे शांत कर दे.

लाइयन - कभी ना कभी आएगी ही वो. मुझे अपने प्यार पे पूरा भरोसा है.

धीरे धीरे मे भी उसके पीछे पीछे चल दिया. वो सेकेंड फ्लोर के एक कॉर्नर मे मूड गयी और थोड़ा दूर चलते ही एक रूम के अंदर चली गयी. मेरी फट तो रही थी लेकिन हिम्मत करके मे भी अंदर चला गया. वो मेरी तरफ पीठ करके खड़ी थी. मेरे अंदर घुसते ही वो अपने दोनो हाथ पीछे ले गयी और अपने ड्रेस की नाट खोली और ड्रेस एक दम नीचे. अब वो बस अपनी पैंटी मे थी. क्या नज़ारा था स्मृति जी, इतनी सुंदर लेडी आज बस मेरे सामने पैंटी मे थी. लड़को के लिए तो किसी लड़की की पैंटी ही देखना काफ़ी होता है यहाँ तो पैंटी मे एक खूबसूरत बदन भी था.

स्मृति - ज़्यादा पैंटी देखने का शोक है तो घर मे देख लिया करो. किसी ना किसी की दिख ही जाएगी.

स्मृति ने उसका मज़ाक उड़ते हुए कहा.

लाइयन - हर किसी की पैंटी का कलर, साइज़ , ब्रांड सब पता है मुझे.

लाइयन ने भी बेशर्मी से जवाब दिया.

स्मृति - तुम तो हो ही निकम्मे. आगे बताओ.

लाइयन - मेने आगे एक कदम ही बढ़ाया था कि वो उसी पोज़िशन मे धीमे से बोली कि क्लोज़ दा डोर. उसके ये बोलते ही मुझे समझ आ गया कि मुझे थप्पड़ क्यू पड़ा था. मेने गेट बंद करा और आगे बढ़ा, ऐसे लग रहा था जैसे आग की तरफ बढ़ रहा हू. आगे बढ़कर मेने उसे जैसे ही बाँहो मे लिया उसके मूँह से आअहह निकल गयी. मे समझ गया कि वो प्यासी है. और मुझसे बेहतर उसकी प्यास भुजाने वाला भला कौन होता.

स्मृति को पढ़ते हुए भी डर लग रहा था कि पता नही अब क्या होगा. इमॅजिनेशन इस उस दुनिया मे ट्रिपल ऐक्स_लाइयन उसे डाल चुका था जिसमे उसे यही लग रहा था कि सब कुच्छ उसी के साथ हो रहा है.

स्मृति - फिर क्या हुआ?

लाइयन - क्या मुझे तुम्हारी, सॉरी उस भाभी की प्याअ बुझा देनी चाहिए?

स्मृति - शायद वो प्यासी है ही नही.

स्मृति का इशारा अपनी तरफ था.

लाइयन - क्या अपने हुश्न की वो दो बूँद अपने आशिक के उपर नही गिरा सकती. क्या वो यही चाहेगी कि उसका आशिक पैदा हो और मर जाए बिना उसे पाए ही.

स्मृति - देखो मेरी मजबूरी समझो.

स्मृति ने जैसे ही टाइप करके भेजा उसे अपनी ग़लती का अहसास हो गया कि उसने क्या टाइप कर दिया.

स्मृति - मेरा मतलब है कि अपनी उस भाभी की मजबूरी समझो. 


स्मृति ने जैसे ही टाइप करके भेजा उसे अपनी ग़लती का अहसास हो गया कि उसने क्या टाइप कर दिया.

स्मृति - मेरा मतलब है कि अपनी उस भाभी की मजबूरी समझो.

जैसे जैसे स्मृति कन्फ्यूज़ हो रही थी, वैसे वैसे लाइयन को अहसास हो रहा था कि उसका जादू चल रहा है.

लाइयन - खैर छोड़ो, आगे बताऊ?

स्मृति - हाँ बताओ

लाइयन - उसके नंगे बदन को पकड़े हुए मेने उसके कानो मे किस करते हुए पुछा की आए हुष्ण की ज्वालामुखी तेरा नाम क्या है. पता है उसने क्या जवाब दिया?

स्मृति - क्या?

लाइयन - उसने बोला कि मेरा नाम स्मृति है.

स्मृति - तुम झूठ बोल रहे हो. ये नाम तुम जान बुझ कर बता रहे हो.

लाइयन - उसने मुझे यही नाम बताया अब अगर आप कहो तो मे अपनी तरफ से बदल देता हू.

स्मृति - ये अहसान करना ज़रूरी नही है. आगे बको

लाइयन - स्मृति के कंधो को पकड़ मेने अपनी तरफ घुमाया, उसका गुलाब जैसा चेहरा मेरे सामने था और गुलाबी होठ भी. मेने अपने दोनो होंठ उसके गुलाबी होंठो पे रख दिए. उसकी दोनो चुचियाँ मेरे सीने मे गढ़ रही थी. स्मृति ने मेरे शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए थे. स्मृति मेरे साथ ऐसे पेश आ रही थी जैसे मुझे खा जाएगी. मेरी शर्ट उतार दी उसने.

लाइयन का इशारा स्मृति की तरफ था.
स्मृति - उसे क्या वो भाभी समझा है. वो कभी नही आएगी. लेकिन तुम आगे बताओ.

स्मृति को अपनी चूत की मूव्मेंट पता चल रही थी. सच तो ये है कि उसकी चूत सुबह सुबह ही गीली हो गयी थी.

लाइयन - फिर उसके लेफ्ट बूब्स पर से मेने हाथ हटाया और उसकी ड्रेस की नेक पर बनी नाट को खोलने लगा मे. स्मृति जी उसने वो ज़रा जिससे मुझे और लगने लगा कि वाकई मे वो आपके जैसी है. वो घूमी और कस के एक थप्पड़ दिया मेरे गाल पे.
[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
Back
Top