desiaks
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अब मैं और रितेश एक-दूसरे की जरूरत बन गये थे, मुझे जब खुजली होती तो मैं अपनी खुजली मिटाने उसके घर पहुँच जाती और जब उसको मेरी चूत चाहिये होती तो वो मेरे घर आ जाता। हम दोनों के माँ-बाप भी हम दोनों की शादी के लिये तैयार हो गये थे और हमारे सेमेस्टर कम्पलीट होने की राह देख रहे थे। अब तक हम दोनों एक दूसरे के घर के सभी सदस्य से अच्छी तरह से परिचित हो चुके थे। रितेश के घर में उसकी माँ ही एक महिला के रूप में थी, बाकी सभी मर्द थे। मेरे होने वाले ससुर जो एक रिटायर आर्मी मैन थे और काफी लम्बे चौड़े थे। बाकी रितेश से छोटे उसके दो भाई, एक बहन जिसकी शादी हो चुकी थी और उसका आदमी भी एक पुलिस वाला था और वो भी एक बलिष्ठ जिस्म का मालिक था और शादी से पहले ही मुझसे वो खुल कर हँसी मजाक करता था। मतलब कि वलगर... और उसकी इस वलगर हँसी मजाक का जवाब भी मैं उसी तरह दिया करती थी।
खैर इसी तरह हमने अपने सेमेस्टर को कम्पलीट कर लिये और एक अच्छी कम्पनी ने कैंपस इन्टरव्यू में हम दोनों को सेलेक्ट भी कर लिया था और इत्तेफाक से हमारी जॉब भी हमारे शहर में हो गई थी, इस कारण हम लोगों को शहर भी नहीं छोड़ना पड़ा। करीब छः महीने की जॉब के बाद हमारे परिवार वालों ने हमारी शादी कर दी। जिसमें टोनी और मीना भी शामिल होकर हम लोगों को हमारे नये जीवन शुरू करने की बधाई दी। शादी में एक बात जो मैंने नोटिस की कि रितेश के जीजा जिनका नाम "अमित" था वो मेरे आगे-पीछे घूम रहे थे, रितेश को रह रह कर चिढ़ा रहे थे और मुझे किसी न किसी बहाने टच करने की कोशिश कर रहे थे। खैर शादी के झंझटों से निपटने के बाद वो रात भी आई जिसका मैं अपने कुँवारेपन से इन्तजार कर रही थी।
मैं सज संवर कर अपने कमरे मैं बैठी हुई थी और अपने पिया का इंतजार कर रही थी कि अमित कमरे में आ गया और रितेश को लगभग मेरे उपर धकेलते हुए
बोला- लो सँभालो अपने मियाँ को... अगर मेरी जरूरत हो तो बताना। जाने से पहले रितेश को आँख मार कर
बोले- साले साहब दूध पीने में कोताही मत करना नहीं तो मजा खराब हो जायेगा!
और फिर मुझे बोले- तुम भी मेरे साले को दूध अच्छी तरह से पिलाना... अगर बच गया तो मैं आकर पी जाऊँगा।
शायद अमित की यह बात सुनकर रितेश थोड़ा झिझक गया और अमित को थोड़ा सा धकियाते हुए
बोला- जीजा, अब जाओ ना!
अमित ने एक बार फिर रितेश को आँख मारी और कमरे से बाहर चला गया। रितेश ने कमरे को बन्द कर लिया। रितेश के पास बैठते ही मैं हल्के गुस्से के साथ
बोली- यार, तुम्हारा जीजा मुझे सही आदमी नहीं लगा। पूरी शादी में वो मुझे टच करने की लगातार कोशिश करता रहा और अब ये द्विअर्थी बाते कि दूध अच्छी तरह से पिलाना नहीं तो मैं पी जाऊँगा।
रितेश हंसा और मेरी चूची को कस कर दबाते हुए
बोला- ठीक ही तो कह रहा था... देखो अपनी चूची को, कितनी बड़ी और मस्त हो गई है, कोई भी इसको पीने के लिये मचलेगा ही ना!
जब रितेश ने ऐसी बात बोली तो मैं भी उसे चिढ़ाने की गरज से
बोली- फिर दूध पूरा ही पी लेना, नहीं तो तुम्हारे जीजा को पिला दूँगी।
रितेश - 'मुझे कोई ऐतराज नहीं... पर कोई मुझे अपना दूध पिलायेगी तो फिर तुम क्या करोगी?'
उसकी इस बात को सुनकर मैंने बड़े प्यार से रितेश को चूमा और बोली- जब कोई मेरा दूध पी सकता है और तुम्हें ऐतराज नहीं तो फिर कोई तुम्हें अपना दूध पिलाये तो मुझे भी ऐतराज नहीं।
हम लोगों ने एक दूसरे को वचन दिया कि हम दोनों कभी भी किसी से कोई बात नहीं छिपायेंगे। बात करते-करते कब हम दोनों के कपड़े हमारे जिस्म से गायब हो गये पता ही नहीं चला, हम बिल्कुल नंगे हो चुके थे। रितेश का हाथ मेरी चूत को सहला रहा था और मेरे हाथ में रितेश का लंड था। मेरी चूत हल्की सी गीली हो चुकी थी। रितेश ने मुझे बाँहों में जकड़ रखा था और मेरी पीठ को और चूतड़ को सहला रहा था। सुहागरात से पहले मैं रितेश से कई बार चुद चुकी थी, लेकिन आज रितेश के बाँहों में मुझे एक अलग सा आनन्द मिल रहा था और मैं अपनी आँखें मूंदे हुए केवल रितेश के बालों को सहला रही थी। रितेश मुझसे क्या कह रहा था, मुझे कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा था, मुझे आज अपनी चुदी हुई चूत एक बार फिर से कुंवारी नजर आ रही थी। तभी रितेश मेरे कान में बोला- आकांक्षा... मेरी जान, आज तुम्हें तुम्हारा वादा पूरा करना है। आज तुम्हारी गांड चुदने वाली है।
मैंने भी बहुत ही नशीली आवाज में कहा- जानू, ये गांड ही क्या, मैं तो तब भी पूरी तुम्हारी थी और आज भी तुम्हारी हूँ। तुम एक हजार बार मेरी गांड मार लो, मैं उफ भी नहीं करूँगी। बस उदघाटन मेरी चूत से ही करना।
खैर इसी तरह हमने अपने सेमेस्टर को कम्पलीट कर लिये और एक अच्छी कम्पनी ने कैंपस इन्टरव्यू में हम दोनों को सेलेक्ट भी कर लिया था और इत्तेफाक से हमारी जॉब भी हमारे शहर में हो गई थी, इस कारण हम लोगों को शहर भी नहीं छोड़ना पड़ा। करीब छः महीने की जॉब के बाद हमारे परिवार वालों ने हमारी शादी कर दी। जिसमें टोनी और मीना भी शामिल होकर हम लोगों को हमारे नये जीवन शुरू करने की बधाई दी। शादी में एक बात जो मैंने नोटिस की कि रितेश के जीजा जिनका नाम "अमित" था वो मेरे आगे-पीछे घूम रहे थे, रितेश को रह रह कर चिढ़ा रहे थे और मुझे किसी न किसी बहाने टच करने की कोशिश कर रहे थे। खैर शादी के झंझटों से निपटने के बाद वो रात भी आई जिसका मैं अपने कुँवारेपन से इन्तजार कर रही थी।
मैं सज संवर कर अपने कमरे मैं बैठी हुई थी और अपने पिया का इंतजार कर रही थी कि अमित कमरे में आ गया और रितेश को लगभग मेरे उपर धकेलते हुए
बोला- लो सँभालो अपने मियाँ को... अगर मेरी जरूरत हो तो बताना। जाने से पहले रितेश को आँख मार कर
बोले- साले साहब दूध पीने में कोताही मत करना नहीं तो मजा खराब हो जायेगा!
और फिर मुझे बोले- तुम भी मेरे साले को दूध अच्छी तरह से पिलाना... अगर बच गया तो मैं आकर पी जाऊँगा।
शायद अमित की यह बात सुनकर रितेश थोड़ा झिझक गया और अमित को थोड़ा सा धकियाते हुए
बोला- जीजा, अब जाओ ना!
अमित ने एक बार फिर रितेश को आँख मारी और कमरे से बाहर चला गया। रितेश ने कमरे को बन्द कर लिया। रितेश के पास बैठते ही मैं हल्के गुस्से के साथ
बोली- यार, तुम्हारा जीजा मुझे सही आदमी नहीं लगा। पूरी शादी में वो मुझे टच करने की लगातार कोशिश करता रहा और अब ये द्विअर्थी बाते कि दूध अच्छी तरह से पिलाना नहीं तो मैं पी जाऊँगा।
रितेश हंसा और मेरी चूची को कस कर दबाते हुए
बोला- ठीक ही तो कह रहा था... देखो अपनी चूची को, कितनी बड़ी और मस्त हो गई है, कोई भी इसको पीने के लिये मचलेगा ही ना!
जब रितेश ने ऐसी बात बोली तो मैं भी उसे चिढ़ाने की गरज से
बोली- फिर दूध पूरा ही पी लेना, नहीं तो तुम्हारे जीजा को पिला दूँगी।
रितेश - 'मुझे कोई ऐतराज नहीं... पर कोई मुझे अपना दूध पिलायेगी तो फिर तुम क्या करोगी?'
उसकी इस बात को सुनकर मैंने बड़े प्यार से रितेश को चूमा और बोली- जब कोई मेरा दूध पी सकता है और तुम्हें ऐतराज नहीं तो फिर कोई तुम्हें अपना दूध पिलाये तो मुझे भी ऐतराज नहीं।
हम लोगों ने एक दूसरे को वचन दिया कि हम दोनों कभी भी किसी से कोई बात नहीं छिपायेंगे। बात करते-करते कब हम दोनों के कपड़े हमारे जिस्म से गायब हो गये पता ही नहीं चला, हम बिल्कुल नंगे हो चुके थे। रितेश का हाथ मेरी चूत को सहला रहा था और मेरे हाथ में रितेश का लंड था। मेरी चूत हल्की सी गीली हो चुकी थी। रितेश ने मुझे बाँहों में जकड़ रखा था और मेरी पीठ को और चूतड़ को सहला रहा था। सुहागरात से पहले मैं रितेश से कई बार चुद चुकी थी, लेकिन आज रितेश के बाँहों में मुझे एक अलग सा आनन्द मिल रहा था और मैं अपनी आँखें मूंदे हुए केवल रितेश के बालों को सहला रही थी। रितेश मुझसे क्या कह रहा था, मुझे कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा था, मुझे आज अपनी चुदी हुई चूत एक बार फिर से कुंवारी नजर आ रही थी। तभी रितेश मेरे कान में बोला- आकांक्षा... मेरी जान, आज तुम्हें तुम्हारा वादा पूरा करना है। आज तुम्हारी गांड चुदने वाली है।
मैंने भी बहुत ही नशीली आवाज में कहा- जानू, ये गांड ही क्या, मैं तो तब भी पूरी तुम्हारी थी और आज भी तुम्हारी हूँ। तुम एक हजार बार मेरी गांड मार लो, मैं उफ भी नहीं करूँगी। बस उदघाटन मेरी चूत से ही करना।