hotaks444
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बहन की इच्छा
"कैसा लगा, दीदी?"
"बिल'कुल अच्च्छा!! "
"ऐसा सुख पहेले कभी मिला था तुम्हें?"
"कभी भी नही!.. कुच्छ अलग ही भावनाएँ थी.. पह'ली बार मेने ऐसा अनुभाव किया है."
"जीजू ने तुम्हें कभी ऐसा आनंद नही दिया? मेने किया वैसे उन्होने कभी नही किया, दीदी??"
"नही रे, सागर!. उन्होने कभी ऐसे नही किया. उन्हे तो शायद ये बात मालूम भी नही होंगी."
"और तुम्हें, दीदी? तुम्हें मालूम था ये तरीका?"
"मालूम यानी. मेने सुना था के ऐसे भी मूँ'ह से चूस'कर कामसुख लिया जाता है इस दूनीया में."
"फिर तुम्हें कभी लगा नही के जीजू को बता के उनसे ऐसे करवाए?"
"कभी कभी 'इच्छा' होती थी. लेकिन उन'को ये पसंद नही आएगा ये मालूम था इस'लिए उन्हे नही कहा."
"तो फिर अब तुम्हारी 'इच्छा' पूरी हो गई ना, दीदी?"
"हां ! हां !. पूरी हो गई. और मैं तृप्त भी हो गई. कहाँ सीखा तुम'ने ये सब? बहुत ही 'छुपे रुस्तमा' निकले तुम!"
"कैसा लगा, दीदी?"
"बिल'कुल अच्च्छा!! "
"ऐसा सुख पहेले कभी मिला था तुम्हें?"
"कभी भी नही!.. कुच्छ अलग ही भावनाएँ थी.. पह'ली बार मेने ऐसा अनुभाव किया है."
"जीजू ने तुम्हें कभी ऐसा आनंद नही दिया? मेने किया वैसे उन्होने कभी नही किया, दीदी??"
"नही रे, सागर!. उन्होने कभी ऐसे नही किया. उन्हे तो शायद ये बात मालूम भी नही होंगी."
"और तुम्हें, दीदी? तुम्हें मालूम था ये तरीका?"
"मालूम यानी. मेने सुना था के ऐसे भी मूँ'ह से चूस'कर कामसुख लिया जाता है इस दूनीया में."
"फिर तुम्हें कभी लगा नही के जीजू को बता के उनसे ऐसे करवाए?"
"कभी कभी 'इच्छा' होती थी. लेकिन उन'को ये पसंद नही आएगा ये मालूम था इस'लिए उन्हे नही कहा."
"तो फिर अब तुम्हारी 'इच्छा' पूरी हो गई ना, दीदी?"
"हां ! हां !. पूरी हो गई. और मैं तृप्त भी हो गई. कहाँ सीखा तुम'ने ये सब? बहुत ही 'छुपे रुस्तमा' निकले तुम!"