desiaks
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जीजाजी: "ज़िन्दगी बर्बाद नहीं कि, बल्कि उसकी गोद आबाद कर दि। क्या बताऊ तुम्हे, निरु को चोदने में क्या नशा है। खैर तुम्हे तो पता ही होगा। अब मैं चाहे जब निरु को चोदने के मजे ले सकता हूँ। वो अब एडजस्ट हो चुकी हैं"
प्रशांत: "मैं आपकी वाइफ ऋतू दीदी को बता दूंगा"
जीजाजी : "फिर से वोहि गलती! तुम्हारी बात का विश्वास कौन करेगा?"
नीरु से बात करने की हिम्मत नहीं थी। मैं अपने घर आ गया पर परेशान ही रहा। भले ही मैं पहले गलत था, पर निरु को भी अपने जीजाजी से नहीं चुदवाना चाहिए था। फिर सोचा निरु की सिचुएशन ही ऐसी थी की वो क्या करती? मैंने खुद भी तो निरु की बड़ी बहन ऋतू दीदी को एक बार बिना कारण चोद चुका था।
मैने सोच लिया की मैं निरु को अब और ज्यादा जीजाजी का शिकार नहीं बनने दूंगा। शायद ऋतू दीदी मेरी बात समझ जाए। उनको फ़ोन पर अच्छे से समझा ना पाऊं इसलिए खुद जाकर उनसे बात करनी चाहिए। मै पहुँच गया ऋतू दीदी के घर के बाहर। थोडा दूर ही रहा और इंतज़ार करता रहा। लगभग २-३ घन्टे के इंतज़ार के बाद मुझे ऋतू दीदी अपने घर से बाहर अकेले आते दिखि।
मै जल्दी से उनकी तरफ बढा। मगर मैं वहाँ पहुचता तभी गेट से निरु भी बाहर आई और ऋतू दीदी की बगल में जा खड़ी हुयी। मै तब तक उनके करीब आ चुका था इसलिए अब मुझे जो भी बोलना था दोनों के सामने बोलना था।
प्रशांत: "ऋतू दीदि, मैं जो कह रहा हूँ वो ध्यान से सुनिये। जीजाजी की नीयत निरु के लिए खराब हैं और मुझे उन्होंने खुद बताया हैं"
ऋतू दीदी और निरु मेरी तरफ गौर से देख कर आश्चर्य कर रहे थे की मैं अचानक वहाँ कैसे आ गया और क्या बोल रहा हूँ।
प्रशांत: "जीजाजी ने निरु की खराब मानसिक हालात का फायदा उठाय और उसके साथ गलत काम कर लिया हैं"
ऋतू दीदी: "क्या बोल रहे हो प्रशांत!"
प्रशांत: "निरु के पेट में जो बच्चा हैं वो भी जीजाजी का हैं, उन्होंने खुद मुझे बताया है। आपको यक़ीन न आये तो टेस्ट करवा लीजिये"
नीरु: "ऋतू दीदी आप चलो, इस प्रशांत का दिमाग खराब हो गया हैं"
प्रशांत: "मैं तो तुम्हे जीजाजी के चँगुल से बचाना चाहता हूँ। वो तुम्हारा फायदा उठा रहे हैं निरु"
नीरु: "तुम्हारी इनफार्मेशन के लिए बता दु की मेरे पेट में तुम्हारा ही बच्चा है, मैंने कभी एबॉर्शन करवाया ही नहीं था"
प्रशांत: "क्या!!! तो जीजाजी ने मुझसे झूठ क्यों बोला?"
नीरु: "झूठ जीजाजी ने नहीं, तुमने बोला है। अब तो उनका पीछा छोड़ दो, कब तक झूठ बोलोगे और उनको बदनाम करोगे?"
ऋतू दीदी: "निरु सही कह रही है। उसने एबॉर्शन नहीं करवाया था और वो इस बच्चे को तुम दोनों के प्यार की निशानी के तौर पर रखना चाहती थी"
अब मेरी बोलति बंद हो गयी। निरु अपनी ऋतू दीदी को खींच कर ले गयी और मैं वहाँ ठगा सा खड़ा रह गया। मुझे समझ नहीं आ रहा था की जीजाजी ने एक बार फिर मुझे यह झूठ क्यों बोला की उन्होंने निरु को चोद कर प्रेग्नेंट कर दिया था। मै अपने घर लौट आया। यह पहेली मुझे समझ नहीं आ रही थी। यह सब जानने के लिए मैंने जीजाजी को फ़ोन लगाया।
प्रशांत: "आपने मुझसे झूठ क्यों बोला की आपने निरु को प्रेग्नेंट कर दिया हैं!"
जीजाजी: "मुझे पता था तू फिर से मेरे घर वालों को बताने की कोशिश करेगा इसलिए तुझको निरु की नजरो में और ज्यादा गिराने के लिए मैंने यह झूठ बोला। जितना निरु तुझको भूलेगी उतना मेरे करीब आएगी"
प्रशांत: "तो आप मेरे साथ खेल रहे थे! आपने जो स्टोरी बतायी की आपने कैसे निरु को नँगा करके चोदा था वो भी झूठ था!"
जीजाजी: "कोशिश तो की थी पर निरु इतनी आसानी से फसने वाली मछली नहीं है। फिर स्टेशन पर तुमको देखा तो अपनी एक और चाल चल दी"
मैने फ़ोन काट दिया और अपनी एक और बेवकूफी पर गुस्सा आया। मैं एक बार फिर से जीजाजी की चाल का शिकार बना था। उनकी शुरू से यही कोशिश थी की वो मुझे निरु से दूर कर पाए। शाम को मुझे ऋतू दीदी का कॉल आया और मुझे आश्चर्य हुआ। मैंने फ़ोन उठया।
प्रशांत: "मैं आपकी वाइफ ऋतू दीदी को बता दूंगा"
जीजाजी : "फिर से वोहि गलती! तुम्हारी बात का विश्वास कौन करेगा?"
नीरु से बात करने की हिम्मत नहीं थी। मैं अपने घर आ गया पर परेशान ही रहा। भले ही मैं पहले गलत था, पर निरु को भी अपने जीजाजी से नहीं चुदवाना चाहिए था। फिर सोचा निरु की सिचुएशन ही ऐसी थी की वो क्या करती? मैंने खुद भी तो निरु की बड़ी बहन ऋतू दीदी को एक बार बिना कारण चोद चुका था।
मैने सोच लिया की मैं निरु को अब और ज्यादा जीजाजी का शिकार नहीं बनने दूंगा। शायद ऋतू दीदी मेरी बात समझ जाए। उनको फ़ोन पर अच्छे से समझा ना पाऊं इसलिए खुद जाकर उनसे बात करनी चाहिए। मै पहुँच गया ऋतू दीदी के घर के बाहर। थोडा दूर ही रहा और इंतज़ार करता रहा। लगभग २-३ घन्टे के इंतज़ार के बाद मुझे ऋतू दीदी अपने घर से बाहर अकेले आते दिखि।
मै जल्दी से उनकी तरफ बढा। मगर मैं वहाँ पहुचता तभी गेट से निरु भी बाहर आई और ऋतू दीदी की बगल में जा खड़ी हुयी। मै तब तक उनके करीब आ चुका था इसलिए अब मुझे जो भी बोलना था दोनों के सामने बोलना था।
प्रशांत: "ऋतू दीदि, मैं जो कह रहा हूँ वो ध्यान से सुनिये। जीजाजी की नीयत निरु के लिए खराब हैं और मुझे उन्होंने खुद बताया हैं"
ऋतू दीदी और निरु मेरी तरफ गौर से देख कर आश्चर्य कर रहे थे की मैं अचानक वहाँ कैसे आ गया और क्या बोल रहा हूँ।
प्रशांत: "जीजाजी ने निरु की खराब मानसिक हालात का फायदा उठाय और उसके साथ गलत काम कर लिया हैं"
ऋतू दीदी: "क्या बोल रहे हो प्रशांत!"
प्रशांत: "निरु के पेट में जो बच्चा हैं वो भी जीजाजी का हैं, उन्होंने खुद मुझे बताया है। आपको यक़ीन न आये तो टेस्ट करवा लीजिये"
नीरु: "ऋतू दीदी आप चलो, इस प्रशांत का दिमाग खराब हो गया हैं"
प्रशांत: "मैं तो तुम्हे जीजाजी के चँगुल से बचाना चाहता हूँ। वो तुम्हारा फायदा उठा रहे हैं निरु"
नीरु: "तुम्हारी इनफार्मेशन के लिए बता दु की मेरे पेट में तुम्हारा ही बच्चा है, मैंने कभी एबॉर्शन करवाया ही नहीं था"
प्रशांत: "क्या!!! तो जीजाजी ने मुझसे झूठ क्यों बोला?"
नीरु: "झूठ जीजाजी ने नहीं, तुमने बोला है। अब तो उनका पीछा छोड़ दो, कब तक झूठ बोलोगे और उनको बदनाम करोगे?"
ऋतू दीदी: "निरु सही कह रही है। उसने एबॉर्शन नहीं करवाया था और वो इस बच्चे को तुम दोनों के प्यार की निशानी के तौर पर रखना चाहती थी"
अब मेरी बोलति बंद हो गयी। निरु अपनी ऋतू दीदी को खींच कर ले गयी और मैं वहाँ ठगा सा खड़ा रह गया। मुझे समझ नहीं आ रहा था की जीजाजी ने एक बार फिर मुझे यह झूठ क्यों बोला की उन्होंने निरु को चोद कर प्रेग्नेंट कर दिया था। मै अपने घर लौट आया। यह पहेली मुझे समझ नहीं आ रही थी। यह सब जानने के लिए मैंने जीजाजी को फ़ोन लगाया।
प्रशांत: "आपने मुझसे झूठ क्यों बोला की आपने निरु को प्रेग्नेंट कर दिया हैं!"
जीजाजी: "मुझे पता था तू फिर से मेरे घर वालों को बताने की कोशिश करेगा इसलिए तुझको निरु की नजरो में और ज्यादा गिराने के लिए मैंने यह झूठ बोला। जितना निरु तुझको भूलेगी उतना मेरे करीब आएगी"
प्रशांत: "तो आप मेरे साथ खेल रहे थे! आपने जो स्टोरी बतायी की आपने कैसे निरु को नँगा करके चोदा था वो भी झूठ था!"
जीजाजी: "कोशिश तो की थी पर निरु इतनी आसानी से फसने वाली मछली नहीं है। फिर स्टेशन पर तुमको देखा तो अपनी एक और चाल चल दी"
मैने फ़ोन काट दिया और अपनी एक और बेवकूफी पर गुस्सा आया। मैं एक बार फिर से जीजाजी की चाल का शिकार बना था। उनकी शुरू से यही कोशिश थी की वो मुझे निरु से दूर कर पाए। शाम को मुझे ऋतू दीदी का कॉल आया और मुझे आश्चर्य हुआ। मैंने फ़ोन उठया।