hotaks444
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राज रिया के बारे मे सोचने लगा, उसे पता था कि उसे देखते ही वो
किसी भूकि शेरनी की तरह उस पर टूट पड़ेगी, पर उसकी रोमा का क्या
होगा, क्या फिर से जय उसके साथ वैसा ही व्यवहार करेगा?
"हां शायद किसी दिन हम आ जाएँ." राज ने कहा.
रोमा सोकर उठ चुकी थी, वो किचन से गुज़री तो उसने राज को फोन
पर बात करते हुए देखा, राज की उसपर नज़र पड़ी तो उसने माउत
पीस पर हाथ रखते हुए कहा, "जय है."
रोमा ने सिर्फ़ नज़रें झपकर हां कहा और आगे बढ़ कर राज की
कमर मे हाथ डाल उसे अपनी बाहों मे भर लिया. राज ने फोन को थोड़ा
इस तरह कर दिया कि दोनो बात चीत सुन सके.
"राज रिया की सहेली रानी कुछ दिनो के लिए बाहर जा रही है, तो
क्यों ना तुम दोनो कुछ दिनो के लिए हमारे पास आ जाओ." जय ने कहा.
"मुझे पता नही जय, शायद रोमा इतनी जल्दी तुमसे मिलना नही
चाहे." राज ने कहा.
पर तभी रोमा की मुस्कुराहट ने राज को चौंका दिया.
दूसरी तरफ जय थोडा हिचकिचाया, "हां में समझ सकता हूँ."
"एक मिनिट रूको शायद में उसे किसी तरह तैयार कर लूँ," राज ने
रोमा के चेहरे की तरफ देखते हुए कहा."
रोमा ने तभी अपना हाथ राज की शॉर्ट्स के उपर से उसके खड़े लंड पर
रखा और मुस्कुराने लगी. वो धीरे धीरे उसके लंड को मसल्ने
लगी.
जब उसका लंड खड़ा होने लगा तो रोमा घुटनो के बल उसके सामने
नीचे बैठ गयी. राज ने अपने आपको किथ्चेन के काउंटर से टिका
दिया और खिड़की का परदा थोड़ा हटा दिया जहाँ से उसकी मा बाहर
लॉन मे दिखाई दे रही थी.
"राज तुम मेरी बात सुन रहो ना?" दूसरी तरफ से जय ने कहा.
"हां में सोच रहा था की अपनी बेहन को तुम दोनो के पास आने के
लिए किस तरह तैयार करूँ." राज ने अपनी शॉर्ट की ज़िप खोलते हुए
कहा.
अपने खड़े लंड को काबू मे रखना और साथ ही जय के साथ फोन पर
बात करना , राज को बड़ी तकलीफ़ हो रही थी. रोमा ने उसकी शॉर्ट्स के
अंदर से उसकी अंडरवेर मे हाथ डाला और उसके खड़े लंड को बाहर
निकाल लिया. वो अपन नाज़ुक उंगलियों को उसके लंड पर फिराने लगी साथ
ही उसकी गोलियों को भी सहला रही थी.
तभी रोमा अपनी जीब उसके लंड के सूपदे पर रख फिराने लगी, एक
अजीब सी सनसनी राज के शरीर मे दौड़ गयी.
"क्या में रिया से कह दूँ कि तुम आ रहे हो? जय ने खुशी भरे
स्वर मे कहा, वो राज से दूर नही रह सकता था आख़िर वो बचपन के
दोस्त थे और करीब करीब हर समय साथ ही रहते आए थे.
उसके लंड पर फिरती रोमा की जीब उसे बात नही करने दे रही थी, एक
अजीब गुदगुदी मची हुई थी उसके बदन मे फिर भी किसी तरह उसने
कहा, "हाँ जय तुम रिया से कह दो कि में इस साप्ताह के आख़िर मे आ
रहा हूँ और कोशिश करके रोमा को भी साथ मे लेकर आउन्गा."
राज का जवाब सुनकर उसके भी मन मे खुशी मच गयी, वो भी रिया के
साथ को तरस रही थी, एक खुशी भरी मुस्कुराहट आ गयी उसके
होठों पर.
राज की मन मे डर बसा हुआ था कि अगर उसकी मा ने इस तरह रोमा को
उसके सामने घुटनो के बल बैठ उसके लंड को चूस्ते देख लिया तो क्या
होगा, पर इन सब सोचों के बावजूद उत्तेजना उसके बदन मे भरती जा
रही थी.
उसने फ़ोन को रख दिया और अपना पूरा ध्यान अपनी बेहन की तरफ कर
लिया जो अब उसके लंड को अपनी जीब से उपर से नीचे तक चाट रही
थी.
राज ने अपना हाथ रोमा के सिर पर रखा और अपनी उंगलिया उसके बालों
मे फिराने लगा, रोमा ने भी अपने मुँह को खोल उसके खड़े लंड को
अंदर ले लिया और चूसने लगी. थोड़ी ही देर मे उसके लंड से वीर्य
की बूंदे निकलने लगी जिसे रोमा बड़े प्यार से चाट रही थी और
साथ ही अपने मुँह को उपर नीचे कर उसके लंड को चूस रही थी.
राज का लंड अपनी चरम सीमा पर था वो पूरी तरह तन कर किसी
पिस्टन की तरह रोमा के मुँह के अंदर बाहर हो रहा था कि तभी
दोनो को घर के मेन दरवाज़े के खुलने की आवाज़ सुनाई दी. पल भर
के लिए दोनो की साँसे रुक गयी, उन्हे लगा कि उनकी मा अभी यहाँ आ
जाएगी. पर उत्तेजना डर पर भारी थी.
"तुम्हे अच्छा लग रहा है ना?" राज ने जोरों से आने लंड को उसके मुँह
मे अंदर बाहर करते हुए पूछा.
रोमा ने कोई जवाब नही दिया और और जोरों से उसके लंड को चूसने
लगी. वो अपने मुँह को पूरा खोल उसके लंड को अपने गले तक लेकर
चूस रही थी.
तभी दोनो ने आनी मा की आहट खुद के कमरे की ओर बढ़ती सुनाई
दी तो जैसे दोनो के जान मे जान आ गयी.
राज अब और जोरों से उसके सिर को पकड़ अपने लंड से उसके मुँह को
चोद रहा था . रोमा भी दोनो हाथो से लंड को मसल्ते हुए चूस
रही थी. इतने मे राज का शरीर आकड़ा और उसके लंड ने वीर्य की
पिचकारी रोमा के मुँह मे छोड़ दी. रोमा भी उसके लंड को पूरी तरह
मुँह मे ले उसके वीर्य को पीने लगी.
राज ने अपना लंड उसके मुँह से निकाला और अपने कपड़े ठीक कर रोमा के
साथ बाहर हॉल मे आ गया जहाँ उसकी मा डिन्निंग टेबल पर नाश्ता
लगा रही थी.
* * * * * * * * * *
राज की समझ मे नही आ रहा था कि मम्मी से गाड़ी की चाबी कैसे
माँगे वो. वो गाड़ी से जय और रिया से मिलने जाना चाहता था. लेकिन
जब उसने अपनी मम्मी को बताया कि वो रोमा को साथ ले कॉलेज जा रहा
है अपनी आगे की पढ़ाई के लिए तो हंसते हंसते उनकी मम्मी ने गाड़ी
की चाबी दे दी.
शुक्रवार की शाम जब रोमा कॉलेज से वापस आई तो दोनो गाड़ी मे
बैठ जय और रिया से मिलने चल पड़े.
रास्ते मे राज ने अपनी छोटी बेहन रोमा से कहा, "क्या बात है इतनी
नर्वस क्यों हो? एक हफ्ते पहले तक तो डर नाम की चीज़ नही थी
तुम्हारे अंदर और आज क्या हो गया?"
गाड़ी की पॅसेंजर सीट पर बैठी रोमा चुप चुप सोचती रही, "पता
नही राज क्यों उस दिन के बाद आज भी मुझे जय से डर लग रहा है
लेकिन रिया के साथ मुझे अच्छा लगता है." आख़िर उसने जवाब
दिया, "हां तुम ये कह सकते हो कि जय के डर से ज़्यादा मुझे रिया का
साथ अच्छा लगता है."
राज रोमा की ओर देख कर मुस्कुरा दिया, "उस रात के बाद तुम दोनो
काफ़ी करीब आ गये हो है ना?" राज ने कहा.
रोमा ने घूर कर अपने भाई को देखा, "हम दोनो, वो तुम दोनो ही
ज़्यादा करीब आ गये थे जब तुम दोनो हम सब को छोड़ अंधेरे मे
भाग गये थे." रोमा को शायद आज भी ये दुख था कि अगर वो और
रिया उसे छोड़ कर ना गये होते तो जय की हिम्मत नही होती उसके साथ
वैसा सब कुछ करने की.
उस दिन को याद कर रोमा के अंदर का गुस्सा बाहर आने लगा. उसने
गुस्से मुँह फेर लिया और खिड़की के बाहर देखने लगी.
राज ने उसे मनाने के लीहाज़ से अपना हाथ उसके कंधों पर रखा तो
उसने उसके हाथ को झटक दिया, राज समझ गया कि उसकी प्यारी बेहन
इस समय गुस्से मे है. पर रिया के घर तक पहुचते पहुँचते उसने
उसे किसी तरह मना ही लिया.
रिया के मकान पर पहुँच जब राज ने दरवाज़े की घंटी बजाई तो
रिया ने ही दरवाज़ा खोला, राज की नज़रें जय को ढूँढने लगी.
"जय को ढूंड रहे हो? वो यहाँ नही है. तुम्हे विश्वास नही होगा
राज, जय ने नौकरी कर ली है."रिया ने उन्हे अंदर आने को कहते
हुए कहा.
"जय और नौकरी?" राज और रोमा दोनो हैरानी से रिया को देखने लगे.
"हन विश्वास नही हो रहा ना," रिया ने दरवाज़ा अंदर से बंद करते
हुए कहा, "उसे अचानक मेरी सहेली रानी से प्यार हो गया है. दोनो
रोज़ रात को साथ साथ बाहर जाते है और जय की हर रात मुझसे
ज़्यादा रानी के बिस्तर मे उसके साथ गुज़रती है."
रिया की बात सुनकर राज और रोमा एक दूसरे की शकल देखने लगे
जैसे की उन्हे विश्वास नही था कि जो रिया कह रही है वो सच है.
"अब भोले बनने की कोशिश मत करो," रिया ने दोनो से कहा, "में
जानती हूँ कि तुम दोनो एक दूसरे से बहोत प्यार करते हो. जब में
राज से बात करती हूँ तो मेने रोमा की आँखों मे मेरे लिए जलन
देखी है लेकिन वो अलग बात है. में ये भी मानती हूँ कि में और
जय दो चार बार साथ साथ सो चुके है लेकिन तुम दोनो की कहानी ही
कुछ अलग है. मेरा तो एक ही विश्वास है कि अगर प्यार है तो प्यार
को मानना चाहिए उसे पाना चाहिए."
रिया उन्हे अपना घर दीखाने लगी, राज रानी ने ही जय को मजबूर
किया कि वो कोई नौकरी कर ले."
"रानी ने?' राज ने पूछा.
"हां रानी ने, वो डोमिनोज़ मे पिज़्ज़ा डेलिवरी का काम करती है. उसके
बहोत ज़िद करने पर जय ने नौकरी कर ली और आज वो नाइट शिफ्ट कर
रहा है जिससे कि कल का दिन वो तुम दोनो के साथ गुज़ार सके." रिया
ने कहा, "लेकिन एक बात में कहूँगी कि वो तुम दोनो को बहोत मिस
करता है."
तीनो सोफे पर बैठ कर बातें करने लगे. रिया दाईं तरफ बैठी
थी, राज बाई तरफ और रोमा बीच मे. रोमा और रिया आपस मे
बाते कर रहे थे और राज की आँखे रिया की दिखाई देती
चुचियों पर टिकी थी.
रिया ने एक सफेद रंग की डेनिम की शॉर्ट्स पहन रखी थी और उसके
उपर हल्के गुलाबी रंग का स्लीव लेस ब्लाउस. उसने बीच के सिर्फ़ दो
बटन बंद कर रखे थे जिससे उसकी चुचियाँ सॉफ दिखाई दे रही
थी.
क्रमशः..................
किसी भूकि शेरनी की तरह उस पर टूट पड़ेगी, पर उसकी रोमा का क्या
होगा, क्या फिर से जय उसके साथ वैसा ही व्यवहार करेगा?
"हां शायद किसी दिन हम आ जाएँ." राज ने कहा.
रोमा सोकर उठ चुकी थी, वो किचन से गुज़री तो उसने राज को फोन
पर बात करते हुए देखा, राज की उसपर नज़र पड़ी तो उसने माउत
पीस पर हाथ रखते हुए कहा, "जय है."
रोमा ने सिर्फ़ नज़रें झपकर हां कहा और आगे बढ़ कर राज की
कमर मे हाथ डाल उसे अपनी बाहों मे भर लिया. राज ने फोन को थोड़ा
इस तरह कर दिया कि दोनो बात चीत सुन सके.
"राज रिया की सहेली रानी कुछ दिनो के लिए बाहर जा रही है, तो
क्यों ना तुम दोनो कुछ दिनो के लिए हमारे पास आ जाओ." जय ने कहा.
"मुझे पता नही जय, शायद रोमा इतनी जल्दी तुमसे मिलना नही
चाहे." राज ने कहा.
पर तभी रोमा की मुस्कुराहट ने राज को चौंका दिया.
दूसरी तरफ जय थोडा हिचकिचाया, "हां में समझ सकता हूँ."
"एक मिनिट रूको शायद में उसे किसी तरह तैयार कर लूँ," राज ने
रोमा के चेहरे की तरफ देखते हुए कहा."
रोमा ने तभी अपना हाथ राज की शॉर्ट्स के उपर से उसके खड़े लंड पर
रखा और मुस्कुराने लगी. वो धीरे धीरे उसके लंड को मसल्ने
लगी.
जब उसका लंड खड़ा होने लगा तो रोमा घुटनो के बल उसके सामने
नीचे बैठ गयी. राज ने अपने आपको किथ्चेन के काउंटर से टिका
दिया और खिड़की का परदा थोड़ा हटा दिया जहाँ से उसकी मा बाहर
लॉन मे दिखाई दे रही थी.
"राज तुम मेरी बात सुन रहो ना?" दूसरी तरफ से जय ने कहा.
"हां में सोच रहा था की अपनी बेहन को तुम दोनो के पास आने के
लिए किस तरह तैयार करूँ." राज ने अपनी शॉर्ट की ज़िप खोलते हुए
कहा.
अपने खड़े लंड को काबू मे रखना और साथ ही जय के साथ फोन पर
बात करना , राज को बड़ी तकलीफ़ हो रही थी. रोमा ने उसकी शॉर्ट्स के
अंदर से उसकी अंडरवेर मे हाथ डाला और उसके खड़े लंड को बाहर
निकाल लिया. वो अपन नाज़ुक उंगलियों को उसके लंड पर फिराने लगी साथ
ही उसकी गोलियों को भी सहला रही थी.
तभी रोमा अपनी जीब उसके लंड के सूपदे पर रख फिराने लगी, एक
अजीब सी सनसनी राज के शरीर मे दौड़ गयी.
"क्या में रिया से कह दूँ कि तुम आ रहे हो? जय ने खुशी भरे
स्वर मे कहा, वो राज से दूर नही रह सकता था आख़िर वो बचपन के
दोस्त थे और करीब करीब हर समय साथ ही रहते आए थे.
उसके लंड पर फिरती रोमा की जीब उसे बात नही करने दे रही थी, एक
अजीब गुदगुदी मची हुई थी उसके बदन मे फिर भी किसी तरह उसने
कहा, "हाँ जय तुम रिया से कह दो कि में इस साप्ताह के आख़िर मे आ
रहा हूँ और कोशिश करके रोमा को भी साथ मे लेकर आउन्गा."
राज का जवाब सुनकर उसके भी मन मे खुशी मच गयी, वो भी रिया के
साथ को तरस रही थी, एक खुशी भरी मुस्कुराहट आ गयी उसके
होठों पर.
राज की मन मे डर बसा हुआ था कि अगर उसकी मा ने इस तरह रोमा को
उसके सामने घुटनो के बल बैठ उसके लंड को चूस्ते देख लिया तो क्या
होगा, पर इन सब सोचों के बावजूद उत्तेजना उसके बदन मे भरती जा
रही थी.
उसने फ़ोन को रख दिया और अपना पूरा ध्यान अपनी बेहन की तरफ कर
लिया जो अब उसके लंड को अपनी जीब से उपर से नीचे तक चाट रही
थी.
राज ने अपना हाथ रोमा के सिर पर रखा और अपनी उंगलिया उसके बालों
मे फिराने लगा, रोमा ने भी अपने मुँह को खोल उसके खड़े लंड को
अंदर ले लिया और चूसने लगी. थोड़ी ही देर मे उसके लंड से वीर्य
की बूंदे निकलने लगी जिसे रोमा बड़े प्यार से चाट रही थी और
साथ ही अपने मुँह को उपर नीचे कर उसके लंड को चूस रही थी.
राज का लंड अपनी चरम सीमा पर था वो पूरी तरह तन कर किसी
पिस्टन की तरह रोमा के मुँह के अंदर बाहर हो रहा था कि तभी
दोनो को घर के मेन दरवाज़े के खुलने की आवाज़ सुनाई दी. पल भर
के लिए दोनो की साँसे रुक गयी, उन्हे लगा कि उनकी मा अभी यहाँ आ
जाएगी. पर उत्तेजना डर पर भारी थी.
"तुम्हे अच्छा लग रहा है ना?" राज ने जोरों से आने लंड को उसके मुँह
मे अंदर बाहर करते हुए पूछा.
रोमा ने कोई जवाब नही दिया और और जोरों से उसके लंड को चूसने
लगी. वो अपने मुँह को पूरा खोल उसके लंड को अपने गले तक लेकर
चूस रही थी.
तभी दोनो ने आनी मा की आहट खुद के कमरे की ओर बढ़ती सुनाई
दी तो जैसे दोनो के जान मे जान आ गयी.
राज अब और जोरों से उसके सिर को पकड़ अपने लंड से उसके मुँह को
चोद रहा था . रोमा भी दोनो हाथो से लंड को मसल्ते हुए चूस
रही थी. इतने मे राज का शरीर आकड़ा और उसके लंड ने वीर्य की
पिचकारी रोमा के मुँह मे छोड़ दी. रोमा भी उसके लंड को पूरी तरह
मुँह मे ले उसके वीर्य को पीने लगी.
राज ने अपना लंड उसके मुँह से निकाला और अपने कपड़े ठीक कर रोमा के
साथ बाहर हॉल मे आ गया जहाँ उसकी मा डिन्निंग टेबल पर नाश्ता
लगा रही थी.
* * * * * * * * * *
राज की समझ मे नही आ रहा था कि मम्मी से गाड़ी की चाबी कैसे
माँगे वो. वो गाड़ी से जय और रिया से मिलने जाना चाहता था. लेकिन
जब उसने अपनी मम्मी को बताया कि वो रोमा को साथ ले कॉलेज जा रहा
है अपनी आगे की पढ़ाई के लिए तो हंसते हंसते उनकी मम्मी ने गाड़ी
की चाबी दे दी.
शुक्रवार की शाम जब रोमा कॉलेज से वापस आई तो दोनो गाड़ी मे
बैठ जय और रिया से मिलने चल पड़े.
रास्ते मे राज ने अपनी छोटी बेहन रोमा से कहा, "क्या बात है इतनी
नर्वस क्यों हो? एक हफ्ते पहले तक तो डर नाम की चीज़ नही थी
तुम्हारे अंदर और आज क्या हो गया?"
गाड़ी की पॅसेंजर सीट पर बैठी रोमा चुप चुप सोचती रही, "पता
नही राज क्यों उस दिन के बाद आज भी मुझे जय से डर लग रहा है
लेकिन रिया के साथ मुझे अच्छा लगता है." आख़िर उसने जवाब
दिया, "हां तुम ये कह सकते हो कि जय के डर से ज़्यादा मुझे रिया का
साथ अच्छा लगता है."
राज रोमा की ओर देख कर मुस्कुरा दिया, "उस रात के बाद तुम दोनो
काफ़ी करीब आ गये हो है ना?" राज ने कहा.
रोमा ने घूर कर अपने भाई को देखा, "हम दोनो, वो तुम दोनो ही
ज़्यादा करीब आ गये थे जब तुम दोनो हम सब को छोड़ अंधेरे मे
भाग गये थे." रोमा को शायद आज भी ये दुख था कि अगर वो और
रिया उसे छोड़ कर ना गये होते तो जय की हिम्मत नही होती उसके साथ
वैसा सब कुछ करने की.
उस दिन को याद कर रोमा के अंदर का गुस्सा बाहर आने लगा. उसने
गुस्से मुँह फेर लिया और खिड़की के बाहर देखने लगी.
राज ने उसे मनाने के लीहाज़ से अपना हाथ उसके कंधों पर रखा तो
उसने उसके हाथ को झटक दिया, राज समझ गया कि उसकी प्यारी बेहन
इस समय गुस्से मे है. पर रिया के घर तक पहुचते पहुँचते उसने
उसे किसी तरह मना ही लिया.
रिया के मकान पर पहुँच जब राज ने दरवाज़े की घंटी बजाई तो
रिया ने ही दरवाज़ा खोला, राज की नज़रें जय को ढूँढने लगी.
"जय को ढूंड रहे हो? वो यहाँ नही है. तुम्हे विश्वास नही होगा
राज, जय ने नौकरी कर ली है."रिया ने उन्हे अंदर आने को कहते
हुए कहा.
"जय और नौकरी?" राज और रोमा दोनो हैरानी से रिया को देखने लगे.
"हन विश्वास नही हो रहा ना," रिया ने दरवाज़ा अंदर से बंद करते
हुए कहा, "उसे अचानक मेरी सहेली रानी से प्यार हो गया है. दोनो
रोज़ रात को साथ साथ बाहर जाते है और जय की हर रात मुझसे
ज़्यादा रानी के बिस्तर मे उसके साथ गुज़रती है."
रिया की बात सुनकर राज और रोमा एक दूसरे की शकल देखने लगे
जैसे की उन्हे विश्वास नही था कि जो रिया कह रही है वो सच है.
"अब भोले बनने की कोशिश मत करो," रिया ने दोनो से कहा, "में
जानती हूँ कि तुम दोनो एक दूसरे से बहोत प्यार करते हो. जब में
राज से बात करती हूँ तो मेने रोमा की आँखों मे मेरे लिए जलन
देखी है लेकिन वो अलग बात है. में ये भी मानती हूँ कि में और
जय दो चार बार साथ साथ सो चुके है लेकिन तुम दोनो की कहानी ही
कुछ अलग है. मेरा तो एक ही विश्वास है कि अगर प्यार है तो प्यार
को मानना चाहिए उसे पाना चाहिए."
रिया उन्हे अपना घर दीखाने लगी, राज रानी ने ही जय को मजबूर
किया कि वो कोई नौकरी कर ले."
"रानी ने?' राज ने पूछा.
"हां रानी ने, वो डोमिनोज़ मे पिज़्ज़ा डेलिवरी का काम करती है. उसके
बहोत ज़िद करने पर जय ने नौकरी कर ली और आज वो नाइट शिफ्ट कर
रहा है जिससे कि कल का दिन वो तुम दोनो के साथ गुज़ार सके." रिया
ने कहा, "लेकिन एक बात में कहूँगी कि वो तुम दोनो को बहोत मिस
करता है."
तीनो सोफे पर बैठ कर बातें करने लगे. रिया दाईं तरफ बैठी
थी, राज बाई तरफ और रोमा बीच मे. रोमा और रिया आपस मे
बाते कर रहे थे और राज की आँखे रिया की दिखाई देती
चुचियों पर टिकी थी.
रिया ने एक सफेद रंग की डेनिम की शॉर्ट्स पहन रखी थी और उसके
उपर हल्के गुलाबी रंग का स्लीव लेस ब्लाउस. उसने बीच के सिर्फ़ दो
बटन बंद कर रखे थे जिससे उसकी चुचियाँ सॉफ दिखाई दे रही
थी.
क्रमशः..................