hotaks444
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"रिया और विनोद एक दूसरे से चिपक कर डॅन्स कर रहे थे. "तुम
बहोत ही सुन्दर हो" विनोद ने रिया को अपने से और चिपकाते हुए कहा.
"हन्णन्न् तुम भी कुछ कम हॅंडसम नही हो." रिया ने अपने आपको उसकी
बाहों मे देते हुए कहा.
रिया तो आज कुछ मस्ती करने के मूड मे थी.. उसने अपने बदन के
सामने की हिस्से को विनोद के बदन से रगड़ते हुए डॅन्स करने लगी.
विनोद ने उसे अपनी बाहों मे भींचते हुए अपने होंठ उउस्के होठों पर
रख दिए... रिया ने भी उसका साथ दिया और उसके होठों को चूमने
लगी. विनोद ने अपनी जीब उसके मुँह मे डाल दी जिसे रिया मस्ती मे
चूसने लगी. एक तो शराब का नशा उपर से ऐसा रोमॅंटिक महॉल...
थोड़ी ही देर मे रिया की चूत गीली हो गयी.
विनोद रिया को बाहों मे लिए डॅन्स फ्लोर के एकदम कोने मे लेकर आ
गया जहाँ रोशनी थोड़ी कम थी और हॉल मे बैठे लोगों की नज़रों
से बचा भी जा सकता था. विनोद उसके पूरे बदन को अपने से
चिपकाए धीरे सहला रहा था साथ ही उसके नाज़ुक हिस्सों को भींच
भी रहा था.
रिया गर्माती जा रही थी... "विनोद मुझे खुशी है कि आज तुम
मुझे मिल गये." रिया ने उसके कान मे धीरे से कहा.
"तुम तो मेरी वो खूबसूरत जान हो जिसे में ढूंड रहा था," विनोद
ने उसे अपने से ओर सताते हुए कहा, "और हमे तो मिलना ही था.. ये
हमारा मुंक़ादर जो है."
विनोद की बातें सुन रिया का दिल पिघल गया और एक बार तो उसे लगने
लगा की शायद राज वो इंसान नही है पर शायद इतनी जल्दी फ़ैसले
पर नही आना चाहिए.. दुनिया बहोत बड़ी है.. क्या पता नसीब मे
क्या लिखा है.
"हमे यहाँ से कोई नही देख सकता... क्या में तुम्हारे साथ कुछ
शैतानी कर सकता हूँ.?" विनोद ने पूछा.
वैसे तो रिया शैतानियों की आदि थी.. बिना पूछे तो कई बार कई
लोगों ने उसके साथ शैतानी की थी लेकिन ये पहला शक्श था जो
शैतानी करने की इज्जाजत माँग रहा था.
"में तो कब से इस बात का इंतेज़ार कर रही थी कि तुम कोई शैतानी
करो," रिया ने उसके होठों को चूमते हुए कहा.
दोनो संगीत की धीमी धुन पर धीरे धीरे नाच रहे थे. विनोद
ने रिया के शर्ट के आगे के दो बटन को खोल दिया जिससे हाथ आराम
से अंदर जा सके. रिया ने अंदर कोई ब्रा नही पहनी हुई थी.
विनोद ने अपना हाथ उसकी शर्ट मे डाला और उसकी कठोर चुचि को
मुट्ठी मे भर भींचने लगा. रिया उसके कान के नज़दीक धीमे से
सिसक पड़ी.
"थोड़ा ज़ोर से भींचो ना... मुझे अछा लगता है." कहकर रिया ने
उसकी कानो की लौ को दाँतों से काट लिया.
"मुझे बरसों से तुम्हारी जैसी ही लड़की की तलाश थी." कहकर विनोद
ने उसके निपल को पकड़ा और सहलाने लगा. रिया ने महसूस की विनोद का
लंड पॅंट के अंदर तनता जा रहा है.. और वो अपने तने लंड को
रिया की जांघों पर रगड़ रहा था......
रिया के दिल की धड़कने तेज होने लगी.
रिया अपने दाएँ हाथ उसके छोड़े कंधों और छाती पर फिराने लगी...
फिर हाथ को नीचे ले जाकर उसने पॅंट के उपर से उसके खड़े लंड को
पकड़ लिया. विनोद का लंड उसकी हथेली मे और मोटा और लंबा हो रहा
था... विनोद ने अपनी टांग तो रिया की टाँगो के बीच मे रखा और
घुटने को उसकी चूत को घिसने लगा........ रिया अपनी चूत को उसके
घूटने के उपर रगड़ते हुए नाच रही थी.
बहोत ही सुन्दर हो" विनोद ने रिया को अपने से और चिपकाते हुए कहा.
"हन्णन्न् तुम भी कुछ कम हॅंडसम नही हो." रिया ने अपने आपको उसकी
बाहों मे देते हुए कहा.
रिया तो आज कुछ मस्ती करने के मूड मे थी.. उसने अपने बदन के
सामने की हिस्से को विनोद के बदन से रगड़ते हुए डॅन्स करने लगी.
विनोद ने उसे अपनी बाहों मे भींचते हुए अपने होंठ उउस्के होठों पर
रख दिए... रिया ने भी उसका साथ दिया और उसके होठों को चूमने
लगी. विनोद ने अपनी जीब उसके मुँह मे डाल दी जिसे रिया मस्ती मे
चूसने लगी. एक तो शराब का नशा उपर से ऐसा रोमॅंटिक महॉल...
थोड़ी ही देर मे रिया की चूत गीली हो गयी.
विनोद रिया को बाहों मे लिए डॅन्स फ्लोर के एकदम कोने मे लेकर आ
गया जहाँ रोशनी थोड़ी कम थी और हॉल मे बैठे लोगों की नज़रों
से बचा भी जा सकता था. विनोद उसके पूरे बदन को अपने से
चिपकाए धीरे सहला रहा था साथ ही उसके नाज़ुक हिस्सों को भींच
भी रहा था.
रिया गर्माती जा रही थी... "विनोद मुझे खुशी है कि आज तुम
मुझे मिल गये." रिया ने उसके कान मे धीरे से कहा.
"तुम तो मेरी वो खूबसूरत जान हो जिसे में ढूंड रहा था," विनोद
ने उसे अपने से ओर सताते हुए कहा, "और हमे तो मिलना ही था.. ये
हमारा मुंक़ादर जो है."
विनोद की बातें सुन रिया का दिल पिघल गया और एक बार तो उसे लगने
लगा की शायद राज वो इंसान नही है पर शायद इतनी जल्दी फ़ैसले
पर नही आना चाहिए.. दुनिया बहोत बड़ी है.. क्या पता नसीब मे
क्या लिखा है.
"हमे यहाँ से कोई नही देख सकता... क्या में तुम्हारे साथ कुछ
शैतानी कर सकता हूँ.?" विनोद ने पूछा.
वैसे तो रिया शैतानियों की आदि थी.. बिना पूछे तो कई बार कई
लोगों ने उसके साथ शैतानी की थी लेकिन ये पहला शक्श था जो
शैतानी करने की इज्जाजत माँग रहा था.
"में तो कब से इस बात का इंतेज़ार कर रही थी कि तुम कोई शैतानी
करो," रिया ने उसके होठों को चूमते हुए कहा.
दोनो संगीत की धीमी धुन पर धीरे धीरे नाच रहे थे. विनोद
ने रिया के शर्ट के आगे के दो बटन को खोल दिया जिससे हाथ आराम
से अंदर जा सके. रिया ने अंदर कोई ब्रा नही पहनी हुई थी.
विनोद ने अपना हाथ उसकी शर्ट मे डाला और उसकी कठोर चुचि को
मुट्ठी मे भर भींचने लगा. रिया उसके कान के नज़दीक धीमे से
सिसक पड़ी.
"थोड़ा ज़ोर से भींचो ना... मुझे अछा लगता है." कहकर रिया ने
उसकी कानो की लौ को दाँतों से काट लिया.
"मुझे बरसों से तुम्हारी जैसी ही लड़की की तलाश थी." कहकर विनोद
ने उसके निपल को पकड़ा और सहलाने लगा. रिया ने महसूस की विनोद का
लंड पॅंट के अंदर तनता जा रहा है.. और वो अपने तने लंड को
रिया की जांघों पर रगड़ रहा था......
रिया के दिल की धड़कने तेज होने लगी.
रिया अपने दाएँ हाथ उसके छोड़े कंधों और छाती पर फिराने लगी...
फिर हाथ को नीचे ले जाकर उसने पॅंट के उपर से उसके खड़े लंड को
पकड़ लिया. विनोद का लंड उसकी हथेली मे और मोटा और लंबा हो रहा
था... विनोद ने अपनी टांग तो रिया की टाँगो के बीच मे रखा और
घुटने को उसकी चूत को घिसने लगा........ रिया अपनी चूत को उसके
घूटने के उपर रगड़ते हुए नाच रही थी.