hotaks444
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नीचे आकर बीना ने सबसे पहले बिहारी का कमरा चेक किया लेकिन वो वहाँ नहीं मिला.
बीना:साला, गया होगा लौंडिया चोदने. यह सारी इस साले की ही ग़लती के कारण हुआ है. उस दिन इसे बोला भी था कि आशना किसी भी तरह अपने कमरे से बाहर ना निकलने पाए लेकिन साला शराब के नशे में पता नहीं कहाँ पड़ा रहा और आशना को सब पता चल गया.
इस छोटी सी ग़लती (जो उन में से किसी से भी नहीं हुई थी)के कारण बीना को अब सारा प्लान बदलना था.
उसे लगा कि आशना उसके साथ कोई गेम खेल रही है, आशना द्वारा वीरेंदर को शादी के लिए हां कर देने वाली बात बीना के गले से नहीं उतर रही थी, क्यूंकी आशना तो अच्छे से जानती थी कि वीरेंदर उसका भाई है. तो इसका सॉफ मतलब है कि वो जान बूझ कर वही सब कर रही है जो मैने उस से करने के लिए कहा. वो शायद हमारा मकसद जानना चाहती है.लेकिन मिस आशना, तुम मुझे समझने में पहले भी ग़लती कर बैठी और अब भी ग़लती कर रही हो. मैं ऐसा चक्कर चलाउन्गी कि तुम इस घर से तो जाओगी ही जाओगी, अपने हिस्से की प्रॉपर्टी से भी हाथ धो बैठोगी और उसके बाद वीरेंदर को अपने जिस्म के नशे की लत लगाकर भिकारी से भी बदतर हालत कर दूँगी.
बाहर आकर पहले तो बीना का दिल किया कि बिहारी से मिला जाए लेकिन इस वक्त पीछे जाना भी ख़तरे से भरा था. अगर रागिनी को पता लग गया कि मैं इस वक्त बिहारी से मिलने आई हूँ तो उसे भी हम पर शक हो सकता है. बीना को बिहारी की मूर्खता पर काफ़ी गुस्सा आ रहा था और वो गुस्से में कोई ग़लत कदम उठाकर अपना बना बनाया खेल बिगाड़ना नहीं चाहती थी. वो जानती थी कि बिहारी उसे सुबह फोन करने ही वाला है तो वो उसी वक्त उसे सारा प्लान भी समझा देगी और आगे से चौकन्ना होने के लिए भी बोल देगी.
फडफडाती हुई चूत और गरम दिमाग़ लेकर बीना मेन गेट से बाहर निकली और गाड़ी स्टार्ट करके अपने घर की तरफ चल दी. हॉस्पिटल से वो यह बोल कर निकल आई थी कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है, इस लिए आज रात वो नहीं आएगी. वो घर जाकर आराम से अगले प्लान के बारे में सोचना चाहती थी क्यूंकी कल सुबह से उसे एक नये प्लान पर अमल करना था.
अगली सुबह शर्मा निवास मे बस रही चार ज़िंदगियों के लिए कुछ ख़ास अच्छी नहीं थी. बिहारी सुबह 5:00 बजे ही अपने कमरे मे आ चुका था, काफ़ी थका होने के कारण रह रह कर उसकी आँखों के आगे अंधेरा छा रहा था. रात भर रागिनी की चूत और गान्ड चोदने के बाद उसमे इतनी हिम्मत भी नहीं बची थी कि वो अपने या घर वालों के लिए चाइ भी बना सके. बिस्तर पर गिरते हे गहरी नींद ने उसे दबोच लिया. रात भर की चुदाई के बावजूद असंतुष्ट रागिनी का मन भी उदास था, बिहारी को तो उसने पूरा चूस लिया था मगर उसकी चूत मैं अभी भी काफ़ी पानी था बहाने के लिए. चूत की खुजली को अपनी जांघे रगड़ कर मिटाने की नाकाम कोशिश करती हुई वो भी नींद की आगोश में चली गई.
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इधर वीरेंदर भी रात तो बीना के साथ आने वाले समय को सोच कर काफ़ी देर से सोया और अब वो ऐसी बेहोशी मे था कि आशना कब से उसका दरवाज़ा पीट रही थी, उसे पता ही ना लगा. आशना ने वीरेंदर का मोबाइल नंबर. डाइयल किया. वीरेंदर ने तकिये के पास रखा फोन उठाया और बंद आँखों से ही बोला: हेलो....
आशना: यह क्या हो रहा है, इतनी देर तक मेरे सपने देख रहे हो?????
वीरेंदर(नींद मैं):तुम करने ही कहाँ देती हो कुछ, इस लिए नींद में ही अरमान पूरे कर लेता हूँ.
आशना: आप सपनों में ही अरमान पूरे करने लायक लगते हो, देखो बाहर कितना सुहावना मौसम है और आप अभी तक तकिये को जकड सोए हुए हो.
वीरेंदर ने एक दम से तकिया को दूर फैंका और हड़बड़ा कर उठ कर बैठ गया.
वीरेंदर: तुम, तुम्हे कैसे पता चला.
आशना खिलखिलाकर हंस पड़ी और बोली: जनाब, आपको मुझ से ज़्यादा कॉन समझ सकता है????
वीरेंदर के दिमाग़ मे एक दम से रात वाली बात घूम गई. वो अपने आप को दोषी मानते हुए अपनी ही नज़रों मे गिर गया. उसे अपने आप से भी नफ़रत होने लगी. आशना जैसी प्यार करने वाली लड़की को धोखा देकर वो प्यार नाम को मिट्टी में मिला रहा था. हालाँकि प्यार से उसका भरोसा उठ गया था. लेकिन आशना ने उसके मन में प्यार फिर से जगाया था और वो उसे ही धोखा देने चला था. वीरेंदर को अपने आप से भी घिंन आने लगी.
आशना: हेल्लूऊओ मिस्टर. फिर से सो गये क्या????
वीरेंदर: आशना तुम अपने रूम में चलो मैं फ्रेश होकर आधे घंटे मे वहीं आता हूँ.
आशना(सेक्सी आवाज़ मैं): खोलो ना.
वीरेंदर को एक दम झटका लगा.
आशना: मैं तुम्हे यह बताने आई थी कि जब तक तुम पूरी तरह ठीक नहीं हो जाते तब तक मैं शोरुम में बैठूँगी.
वीरेंदर ने झट से दरवाज़ा खोला और सामने खड़ी आशना को देख कर ठिठक गया. पंजाबी सूट सलवार मे वो एक दम पंजाबन लग रही थी. क्रीम कलर की कमीज़ जो कि उसके घुटनो तक थी और नीचे लाल रंग की तंग पाज़ामी मे वो एक दम छोटी सी गुड़िया लग रही थी. क्रीम कलर की ही बेस लिए लाल फूलों वाली चुन्नी उसके सीने पर पड़ी हुई उसके यौवन को और निखार रही थी.
आशना: क्या हुआ???कभी लड़की नहीं देखी क्या???
वीरेंदर: लड़की तो देखी है पर ज़मीन पर अप्सरा पहली बार देख रहा हूँ.
आशना: अच्छा अब मस्का बंद, मैं ऑफीस जा रही हूँ, मैने नाश्ता कर लिया है और आपके लिए भी बना दिया है. जल्दी से फ्रेश होकर नाश्ता कर लीजिए और काका को भी बोल दीजिएगा, शायद वो भी अभी तक सो रहे हैं.
वीरेंदर: काका अभी तक सो रहे हैं????
आशना: शायद, वो किचन मे तो दिखे नहीं, हो सकता है कि तबीयत ठीक ना हो.
वीरेंदर: चलो फ्रेश होकर उनका भी हॉल जान लूँगा और ज़रूरत पड़ी तो उन्हे दवाई दिलवाकर में ऑफीस हो आउन्गा.
आशना: तो फिर आते वक्त दोपहर को मेरे लिए खाना लेकर ऑफीस आ जाना.
वीरेंदर: ओये मेडम आप कहीं नहीं जा रही, आपको पता भी है कि ऑफीस मैं क्या क्या काम होता है और हम मे से किसी को भी ऑफीस जाने की ज़रूरत नहीं है. मेरा सेक्रेटरी मुझे शाम को सारी डीटेल्स मैल कर देगा, मैं खुद ही देख लूँगा.
आशना: मैं मानती हूँ कि आपको बिज़्नेस मे किसी पेर भी भरोसा नहीं है, अगर मैने पैसों की कुछ गड़बड़ कर भी दी तो इसी घर में आएँगे ना, अब तो इसी घर में ही रहना है.
वीरेंदर: सच.
आशना यह बोल कर एक दम शरमा गई, उसने यह सब अचानक ही बोल दिया.
वीरेंदर: ठीक है मेम साहिब, आप ऑफीस चलिए, आपका ड्राइवर दोपहर को आपके लिए खाना लेकर आ जाएगा. आशना वहाँ खड़ी रहकर बात को बढ़ाना नहीं चाहती थी, वो झट से सीडीयो के पास पहुँची और वीरेंदर को हाथ हिलाकर बाइ बोला.
वीरेंदर: सुबह सुबह मुँह मीठा नहीं करवाओगी.
आशना: मुँह से बास आ रही है और जनाब मुँह मीठा करने का खवाब ले रहे हैं और यह कह कर तेज़ी से सीडीयाँ उतरने लगी.तभी आशना को याद आया कि रात को ही उसके पीरियड्स शुरू हो चुके हैं, वो एक दम से रुक गई और धीरे धीरे सीडीयाँ उतरने लगी.
वीरेंदर: बड़ी अजीब लड़की हो, पहले कुछ सीडीयाँ तेज़ी से उतरी और अब धीरे धीरे उतर रही हो, दिमाग़ तो ठीक है ना तुम्हारा.
आशना: आप नहीं समझोगी "लोफर" जी.
वीरेंदर: और कुछ तो पता नहीं लेकिन तुमको तो अभी तक नहीं समझ पाया.
बीना:साला, गया होगा लौंडिया चोदने. यह सारी इस साले की ही ग़लती के कारण हुआ है. उस दिन इसे बोला भी था कि आशना किसी भी तरह अपने कमरे से बाहर ना निकलने पाए लेकिन साला शराब के नशे में पता नहीं कहाँ पड़ा रहा और आशना को सब पता चल गया.
इस छोटी सी ग़लती (जो उन में से किसी से भी नहीं हुई थी)के कारण बीना को अब सारा प्लान बदलना था.
उसे लगा कि आशना उसके साथ कोई गेम खेल रही है, आशना द्वारा वीरेंदर को शादी के लिए हां कर देने वाली बात बीना के गले से नहीं उतर रही थी, क्यूंकी आशना तो अच्छे से जानती थी कि वीरेंदर उसका भाई है. तो इसका सॉफ मतलब है कि वो जान बूझ कर वही सब कर रही है जो मैने उस से करने के लिए कहा. वो शायद हमारा मकसद जानना चाहती है.लेकिन मिस आशना, तुम मुझे समझने में पहले भी ग़लती कर बैठी और अब भी ग़लती कर रही हो. मैं ऐसा चक्कर चलाउन्गी कि तुम इस घर से तो जाओगी ही जाओगी, अपने हिस्से की प्रॉपर्टी से भी हाथ धो बैठोगी और उसके बाद वीरेंदर को अपने जिस्म के नशे की लत लगाकर भिकारी से भी बदतर हालत कर दूँगी.
बाहर आकर पहले तो बीना का दिल किया कि बिहारी से मिला जाए लेकिन इस वक्त पीछे जाना भी ख़तरे से भरा था. अगर रागिनी को पता लग गया कि मैं इस वक्त बिहारी से मिलने आई हूँ तो उसे भी हम पर शक हो सकता है. बीना को बिहारी की मूर्खता पर काफ़ी गुस्सा आ रहा था और वो गुस्से में कोई ग़लत कदम उठाकर अपना बना बनाया खेल बिगाड़ना नहीं चाहती थी. वो जानती थी कि बिहारी उसे सुबह फोन करने ही वाला है तो वो उसी वक्त उसे सारा प्लान भी समझा देगी और आगे से चौकन्ना होने के लिए भी बोल देगी.
फडफडाती हुई चूत और गरम दिमाग़ लेकर बीना मेन गेट से बाहर निकली और गाड़ी स्टार्ट करके अपने घर की तरफ चल दी. हॉस्पिटल से वो यह बोल कर निकल आई थी कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है, इस लिए आज रात वो नहीं आएगी. वो घर जाकर आराम से अगले प्लान के बारे में सोचना चाहती थी क्यूंकी कल सुबह से उसे एक नये प्लान पर अमल करना था.
अगली सुबह शर्मा निवास मे बस रही चार ज़िंदगियों के लिए कुछ ख़ास अच्छी नहीं थी. बिहारी सुबह 5:00 बजे ही अपने कमरे मे आ चुका था, काफ़ी थका होने के कारण रह रह कर उसकी आँखों के आगे अंधेरा छा रहा था. रात भर रागिनी की चूत और गान्ड चोदने के बाद उसमे इतनी हिम्मत भी नहीं बची थी कि वो अपने या घर वालों के लिए चाइ भी बना सके. बिस्तर पर गिरते हे गहरी नींद ने उसे दबोच लिया. रात भर की चुदाई के बावजूद असंतुष्ट रागिनी का मन भी उदास था, बिहारी को तो उसने पूरा चूस लिया था मगर उसकी चूत मैं अभी भी काफ़ी पानी था बहाने के लिए. चूत की खुजली को अपनी जांघे रगड़ कर मिटाने की नाकाम कोशिश करती हुई वो भी नींद की आगोश में चली गई.
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इधर वीरेंदर भी रात तो बीना के साथ आने वाले समय को सोच कर काफ़ी देर से सोया और अब वो ऐसी बेहोशी मे था कि आशना कब से उसका दरवाज़ा पीट रही थी, उसे पता ही ना लगा. आशना ने वीरेंदर का मोबाइल नंबर. डाइयल किया. वीरेंदर ने तकिये के पास रखा फोन उठाया और बंद आँखों से ही बोला: हेलो....
आशना: यह क्या हो रहा है, इतनी देर तक मेरे सपने देख रहे हो?????
वीरेंदर(नींद मैं):तुम करने ही कहाँ देती हो कुछ, इस लिए नींद में ही अरमान पूरे कर लेता हूँ.
आशना: आप सपनों में ही अरमान पूरे करने लायक लगते हो, देखो बाहर कितना सुहावना मौसम है और आप अभी तक तकिये को जकड सोए हुए हो.
वीरेंदर ने एक दम से तकिया को दूर फैंका और हड़बड़ा कर उठ कर बैठ गया.
वीरेंदर: तुम, तुम्हे कैसे पता चला.
आशना खिलखिलाकर हंस पड़ी और बोली: जनाब, आपको मुझ से ज़्यादा कॉन समझ सकता है????
वीरेंदर के दिमाग़ मे एक दम से रात वाली बात घूम गई. वो अपने आप को दोषी मानते हुए अपनी ही नज़रों मे गिर गया. उसे अपने आप से भी नफ़रत होने लगी. आशना जैसी प्यार करने वाली लड़की को धोखा देकर वो प्यार नाम को मिट्टी में मिला रहा था. हालाँकि प्यार से उसका भरोसा उठ गया था. लेकिन आशना ने उसके मन में प्यार फिर से जगाया था और वो उसे ही धोखा देने चला था. वीरेंदर को अपने आप से भी घिंन आने लगी.
आशना: हेल्लूऊओ मिस्टर. फिर से सो गये क्या????
वीरेंदर: आशना तुम अपने रूम में चलो मैं फ्रेश होकर आधे घंटे मे वहीं आता हूँ.
आशना(सेक्सी आवाज़ मैं): खोलो ना.
वीरेंदर को एक दम झटका लगा.
आशना: मैं तुम्हे यह बताने आई थी कि जब तक तुम पूरी तरह ठीक नहीं हो जाते तब तक मैं शोरुम में बैठूँगी.
वीरेंदर ने झट से दरवाज़ा खोला और सामने खड़ी आशना को देख कर ठिठक गया. पंजाबी सूट सलवार मे वो एक दम पंजाबन लग रही थी. क्रीम कलर की कमीज़ जो कि उसके घुटनो तक थी और नीचे लाल रंग की तंग पाज़ामी मे वो एक दम छोटी सी गुड़िया लग रही थी. क्रीम कलर की ही बेस लिए लाल फूलों वाली चुन्नी उसके सीने पर पड़ी हुई उसके यौवन को और निखार रही थी.
आशना: क्या हुआ???कभी लड़की नहीं देखी क्या???
वीरेंदर: लड़की तो देखी है पर ज़मीन पर अप्सरा पहली बार देख रहा हूँ.
आशना: अच्छा अब मस्का बंद, मैं ऑफीस जा रही हूँ, मैने नाश्ता कर लिया है और आपके लिए भी बना दिया है. जल्दी से फ्रेश होकर नाश्ता कर लीजिए और काका को भी बोल दीजिएगा, शायद वो भी अभी तक सो रहे हैं.
वीरेंदर: काका अभी तक सो रहे हैं????
आशना: शायद, वो किचन मे तो दिखे नहीं, हो सकता है कि तबीयत ठीक ना हो.
वीरेंदर: चलो फ्रेश होकर उनका भी हॉल जान लूँगा और ज़रूरत पड़ी तो उन्हे दवाई दिलवाकर में ऑफीस हो आउन्गा.
आशना: तो फिर आते वक्त दोपहर को मेरे लिए खाना लेकर ऑफीस आ जाना.
वीरेंदर: ओये मेडम आप कहीं नहीं जा रही, आपको पता भी है कि ऑफीस मैं क्या क्या काम होता है और हम मे से किसी को भी ऑफीस जाने की ज़रूरत नहीं है. मेरा सेक्रेटरी मुझे शाम को सारी डीटेल्स मैल कर देगा, मैं खुद ही देख लूँगा.
आशना: मैं मानती हूँ कि आपको बिज़्नेस मे किसी पेर भी भरोसा नहीं है, अगर मैने पैसों की कुछ गड़बड़ कर भी दी तो इसी घर में आएँगे ना, अब तो इसी घर में ही रहना है.
वीरेंदर: सच.
आशना यह बोल कर एक दम शरमा गई, उसने यह सब अचानक ही बोल दिया.
वीरेंदर: ठीक है मेम साहिब, आप ऑफीस चलिए, आपका ड्राइवर दोपहर को आपके लिए खाना लेकर आ जाएगा. आशना वहाँ खड़ी रहकर बात को बढ़ाना नहीं चाहती थी, वो झट से सीडीयो के पास पहुँची और वीरेंदर को हाथ हिलाकर बाइ बोला.
वीरेंदर: सुबह सुबह मुँह मीठा नहीं करवाओगी.
आशना: मुँह से बास आ रही है और जनाब मुँह मीठा करने का खवाब ले रहे हैं और यह कह कर तेज़ी से सीडीयाँ उतरने लगी.तभी आशना को याद आया कि रात को ही उसके पीरियड्स शुरू हो चुके हैं, वो एक दम से रुक गई और धीरे धीरे सीडीयाँ उतरने लगी.
वीरेंदर: बड़ी अजीब लड़की हो, पहले कुछ सीडीयाँ तेज़ी से उतरी और अब धीरे धीरे उतर रही हो, दिमाग़ तो ठीक है ना तुम्हारा.
आशना: आप नहीं समझोगी "लोफर" जी.
वीरेंदर: और कुछ तो पता नहीं लेकिन तुमको तो अभी तक नहीं समझ पाया.