hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
रागिनी: बट दिस डील ईज़ ओन्ली फॉर यू सर. चाचू को कानो कान खबर नहीं होनी चाहिए.
वीरेंदर: ओह रागिनी, एक दिन मे ही तुमने मेरा दिल जीत लिया है.
रागिनी: बस दिल ही?????
वीरेंदर ठहाका मार के हंसा और बोला " और बताओ क्या चाहिए?"
रागिनी: सब कुछ.
यह सुनते ही वीरेंदर रागिनी की तरफ देखता रहा. रागिनी और वीरेंदर की आँखें मिली और दोनो एक दूसरे को काफ़ी देर तक देखते रहे.रागिनी ने शरमा कर नज़रें झुकाई और बोली "मुझे बहुत भूख लगी है".
वीरेंदर हड़बड़ा गया और गाड़ी गियर मे डाल कर आगे बढ़ गया. वीरेंदर के दिल-ओ-दिमाग़ मे काफ़ी उथल पुथल मच चुकी थी. वो रागिनी को एक अच्छे दोस्त की तरह मान रहा था मगर उसे रागिनी की आँखूं मे उस से कहीं ज़्यादा उम्मीद नज़र आ रही थी. वीरेंदर की आँखों मे बार बार आशना का चेहरा घूम रहा था. उसे लग रहा था कि वो आशना को धोखा दे रहा है. लेकिन उसका दिल कह रहा था कि यह हेल्ती फ्लर्ट है. बिज़्नेस को बढ़ाने के लिए उसे यह सब मॅनेज करना पड़ेगा. शायद इसी की कमी के कारण वो केपर एलेक्ट्रॉनिक से पिछड़ रहा था. वीरेंदर ने अपने दिमाग़ से सवालो को झटका और बोला: क्या खाओगी????
रागिनी: जो आप खिलाएँगे.
रागिनी और वीरेंदर ने लंच किया और फिर ऑफीस आकर डील के लिए डॉक्युमेंट्स तैयार करने मे जुट गये. अगले दिन के लिए मोहित को कोर्ट की फॉरमॅलिटीस पूरी करने के लिए कह कर वीरेंदर और रागिनी शाम को घर पहुँचे तो आशना ने वीरेंदर का ज़ोर शोर से स्वागत किया. आशना काफ़ी खुश थी कि टेंडर वीरेंदर को मिल गया है. रागिनी अपने कमरे मे जाकर सो गई और वीरेंदर भी थोड़ी देर अपने कमरे मे आराम करने के बाद आशना के रूम मे आ गया.
वीरेंदर: आशना, बोलो कहाँ चलें डिन्नर करने????
आशना: घर पर ही एंजाय करते हैं. रात को कहाँ जाएँगे.
वीरेंदर: आज तो ट्रीट बनती है. टेंडर मिला है, आख़िर इस खुशी मे मुँह तो मीठा होना ही चाहिए.
आशना, वीरेंदर का मतलब समझ कर शरमा दी. आशना: तो जनाब को मुँह मीठा करने की ज़्यादा पड़ी है, मेरी ट्रीट की नहीं.
वीरेंदर: तुम मेरा मुँह मीठा करवा दो तो मैं तुम्हे ट्रीट करवा देता हूँ.
आशना: हटो लोफर कहीं के. ज़्यादा मीठा खाने से दाँत खराब भी हो जाते हैं.
वीरेंदर: तो चलो, दाँत नहीं लगाता, होंठो से ही चूस लूँगा.
आशना बुरी तरह झेंप गई.
वीरेंदर: सोच लो, यहीं पेर मुँह मीठा करवाना है या गाड़ी में.
आशना: आप तैयार हो जाइए, मैं तैयार होकर आपको आपके रूम मे ही मिलती हूँ.
वीरेंदर: यह मेरे सवाल का जवाब नहीं है.
आशना: अरे इस बार मुँह मीठा मैने करवाना है तो मेरी मर्ज़ी मैं कहीं भी करवाऊ. अपने रिक्वेस्ट डाल दी है, देखते हैं कि कब हमारा मूड करता है.
वीरेंदर: मूड की तो ऐसी की तैसी और यह कहकर वीरेंदर आशना पर झपटा.
आशना:वीरेंदर, छोड़ो मुझे, दिस ईज़ नोट फेर.
वीरेंदर: एवरयतिंग ईज़ फेयर इन लव आंड ......
आशना: आंड?????
वीरेंदर: लव.
आशना: तो इस तरह से प्यार जताते हैं अपनी गर्लफ्रेंड के साथ. आप ने तो बेचारी को डरा ही दिया. अब उसे सोचना पड़ेगा के उसके लिए यह लोफर ठीक भी रहेगा या नहीं.
वीरेंदर(आशना की बाज़ू छोड़ते हुए): तो क्या सोचा मेरी गर्लफ्रेंड ने???
आशना: आँखें बंद करो.
वीरेंदर ने आँखें बंद कर दी. थोड़ी देर कुछ ना हुआ.
वीरेंदर: आँखें खोल दूं. लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.
वीरेंदर: मैं आँखें खोलने वाला हूँ.
तभी आशना की हँसने की आवाज़ आई. वीरेंदर ने झट से आँखें खोली. आशना अपने हाथ मैं कपड़े लिए वॉशरूम के दरवाज़े पर खड़ी थी.
आशना: बड़े आए ज़बरदस्ती करने वाले. अब तो अपनी मर्ज़ी से ही मुँह मीठा करवाउन्गा और यह कहकर आशना वॉशरूम मे घुस गई और दरवाज़ा लॉक कर दिया.
वीरेंदर(मन मे): पोपट बना गई यह लड़की तेरा तो बच्चे. भाग ले यहाँ से और जल्दी से तैयार हो जा.
वीरेंदर अपने रूम मे आ गया और तैयार होकर अपने रूम मे ही बैठ गया. थोड़ी देर बाद आशना वीरेंदर के रूम के दरवाज़े पर आई और बोली: अगर जनाब का मूड हो तो चलें और यह कहकर वो सीडीयो की तरफ भागी. वीरेंदर भी कमरे का दरवाज़ा बंद करके नीचे आ गया.
वीरेंदर: बिहारी काका, हम बाहर जा रहे हैं. आप और रागिनी डिन्नर कर लीजिएगा, हम लेट हो जाएँगे.
बिहारी: जी अच्छा.
आशना हाल से बाहर निकली और वीरेंदर उसके पीछे जैसे ही बाहर निकलने को हुआ उसकी नज़र रागिनी के रूम की तरफ पड़ी. रागिनी एक लोंग वाइट स्कर्ट और रेड टॉप मे दरवाज़े पर खड़ी वीरेंदर की तरफ देख रही थी. दोनो की नज़रें मिली और वीरेंदर के कदम वहीं रुक गये. रागिनी बहुत ही कामुक नज़रों से वीरेंदर को देख रही थी. उसके टॉप के उपेर के दो बटन खुले थे जिस से उसकी गहरी क्लीवेज वीरेंदर को सॉफ नज़र आ रही थी. वीरेंदर की रगों मे खून का संचार तेज़ होने लगा.
इस से पहले कि वो कोई रिक्षन करता, बाहर से आशना की आवाज़ आई " वीरेंदर जल्दी आइए ना". वीरेंदर ने रागिनी की तरफ देखा और उसे इशारे से कहा कि " शी वाज़ लुकिंग हॉट". रागिनी के चेहरे पर एक स्माइल आ गई और उसने वीरेंदर को बाइ का इशारा किया. वीरेंदर बाहर की तरफ बढ़ा तो आशना कार स्टार्ट कर चुकी थी. वीरेंदर आशना के साथ वाली सीट पर बैठ गेया और दोनो बाहर की तरफ चल दिए.
बिहारी अपने कमरे से बाहर निकला, वो बिल्कुल नंगा था. बिहारी: वाह रे नारी, तेरा कोई अंत नहीं. साला एक ही दिन मे लट्टू बना लिया तूने उसे.
रागिनी: मेरे कारण इसे टेंडर जो मिला है तो मेरा दीवाना क्यूँ नहीं बनेगा यह उल्लू.
बिहारी: वो सब तो ठीक है लेकिन कल अगर मेजर ने तुम्हारे सामने कोई ऐसा वैसा प्रस्ताव रखा तो???
रागिनी: तो क्या, वीरेंदर का विश्वास जीतने के लिए कुछ भी कर जाउन्गी. एक बार उसे मुझ पर अंधविश्वास हो जाए तो देखना फिर प्रॉपर्टी के पेपर्स ज़्यादा दूर नहीं रह जाएँगे.
बिहारी: तो क्या तुम उस बुड्ढे मेजर से चुदवा भी लोगि, वीरेंदर पर यकीन बनाने के लिए.
रागिनी: उस बुड्ढे को तो मैं अपने जलवे दिखाकर ही झाड़ दूँगी. सला कब तक टीकेगा मेरे आगे.
बिहारी: अगर वो ऐसे ना माना तो.
रागिनी: तो क्या, लंड चूसना तो अपने सीखा ही दिया है मुझे. तब तक उसका लंड मुँह से नहीं निकालूंगी जब तक साला दम ना तोड़ दे.
बिहारी: तो तू उस बुड्ढे का लंड चूसेगी???
रागिनी: उस बुड्ढे का भी और अगर ज़रूरत पड़ी तो वीरेंदर का भी लेकिन फिकर मत करो, चुदवाउन्गी सिर्फ़ तुमसे.
यह कहकर रागिन ने अपनी स्कर्ट उतारी और बिस्तर पर लाइट कर अपनी टाँगे खोल दी. बिहारी, रागिनी की खुली टाँगो के बीच बैठा और उसकी तपती चूत पर अपने होंठ रख दिए. रागिनी आ कर उठी.
वीरेंदर: ओह रागिनी, एक दिन मे ही तुमने मेरा दिल जीत लिया है.
रागिनी: बस दिल ही?????
वीरेंदर ठहाका मार के हंसा और बोला " और बताओ क्या चाहिए?"
रागिनी: सब कुछ.
यह सुनते ही वीरेंदर रागिनी की तरफ देखता रहा. रागिनी और वीरेंदर की आँखें मिली और दोनो एक दूसरे को काफ़ी देर तक देखते रहे.रागिनी ने शरमा कर नज़रें झुकाई और बोली "मुझे बहुत भूख लगी है".
वीरेंदर हड़बड़ा गया और गाड़ी गियर मे डाल कर आगे बढ़ गया. वीरेंदर के दिल-ओ-दिमाग़ मे काफ़ी उथल पुथल मच चुकी थी. वो रागिनी को एक अच्छे दोस्त की तरह मान रहा था मगर उसे रागिनी की आँखूं मे उस से कहीं ज़्यादा उम्मीद नज़र आ रही थी. वीरेंदर की आँखों मे बार बार आशना का चेहरा घूम रहा था. उसे लग रहा था कि वो आशना को धोखा दे रहा है. लेकिन उसका दिल कह रहा था कि यह हेल्ती फ्लर्ट है. बिज़्नेस को बढ़ाने के लिए उसे यह सब मॅनेज करना पड़ेगा. शायद इसी की कमी के कारण वो केपर एलेक्ट्रॉनिक से पिछड़ रहा था. वीरेंदर ने अपने दिमाग़ से सवालो को झटका और बोला: क्या खाओगी????
रागिनी: जो आप खिलाएँगे.
रागिनी और वीरेंदर ने लंच किया और फिर ऑफीस आकर डील के लिए डॉक्युमेंट्स तैयार करने मे जुट गये. अगले दिन के लिए मोहित को कोर्ट की फॉरमॅलिटीस पूरी करने के लिए कह कर वीरेंदर और रागिनी शाम को घर पहुँचे तो आशना ने वीरेंदर का ज़ोर शोर से स्वागत किया. आशना काफ़ी खुश थी कि टेंडर वीरेंदर को मिल गया है. रागिनी अपने कमरे मे जाकर सो गई और वीरेंदर भी थोड़ी देर अपने कमरे मे आराम करने के बाद आशना के रूम मे आ गया.
वीरेंदर: आशना, बोलो कहाँ चलें डिन्नर करने????
आशना: घर पर ही एंजाय करते हैं. रात को कहाँ जाएँगे.
वीरेंदर: आज तो ट्रीट बनती है. टेंडर मिला है, आख़िर इस खुशी मे मुँह तो मीठा होना ही चाहिए.
आशना, वीरेंदर का मतलब समझ कर शरमा दी. आशना: तो जनाब को मुँह मीठा करने की ज़्यादा पड़ी है, मेरी ट्रीट की नहीं.
वीरेंदर: तुम मेरा मुँह मीठा करवा दो तो मैं तुम्हे ट्रीट करवा देता हूँ.
आशना: हटो लोफर कहीं के. ज़्यादा मीठा खाने से दाँत खराब भी हो जाते हैं.
वीरेंदर: तो चलो, दाँत नहीं लगाता, होंठो से ही चूस लूँगा.
आशना बुरी तरह झेंप गई.
वीरेंदर: सोच लो, यहीं पेर मुँह मीठा करवाना है या गाड़ी में.
आशना: आप तैयार हो जाइए, मैं तैयार होकर आपको आपके रूम मे ही मिलती हूँ.
वीरेंदर: यह मेरे सवाल का जवाब नहीं है.
आशना: अरे इस बार मुँह मीठा मैने करवाना है तो मेरी मर्ज़ी मैं कहीं भी करवाऊ. अपने रिक्वेस्ट डाल दी है, देखते हैं कि कब हमारा मूड करता है.
वीरेंदर: मूड की तो ऐसी की तैसी और यह कहकर वीरेंदर आशना पर झपटा.
आशना:वीरेंदर, छोड़ो मुझे, दिस ईज़ नोट फेर.
वीरेंदर: एवरयतिंग ईज़ फेयर इन लव आंड ......
आशना: आंड?????
वीरेंदर: लव.
आशना: तो इस तरह से प्यार जताते हैं अपनी गर्लफ्रेंड के साथ. आप ने तो बेचारी को डरा ही दिया. अब उसे सोचना पड़ेगा के उसके लिए यह लोफर ठीक भी रहेगा या नहीं.
वीरेंदर(आशना की बाज़ू छोड़ते हुए): तो क्या सोचा मेरी गर्लफ्रेंड ने???
आशना: आँखें बंद करो.
वीरेंदर ने आँखें बंद कर दी. थोड़ी देर कुछ ना हुआ.
वीरेंदर: आँखें खोल दूं. लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.
वीरेंदर: मैं आँखें खोलने वाला हूँ.
तभी आशना की हँसने की आवाज़ आई. वीरेंदर ने झट से आँखें खोली. आशना अपने हाथ मैं कपड़े लिए वॉशरूम के दरवाज़े पर खड़ी थी.
आशना: बड़े आए ज़बरदस्ती करने वाले. अब तो अपनी मर्ज़ी से ही मुँह मीठा करवाउन्गा और यह कहकर आशना वॉशरूम मे घुस गई और दरवाज़ा लॉक कर दिया.
वीरेंदर(मन मे): पोपट बना गई यह लड़की तेरा तो बच्चे. भाग ले यहाँ से और जल्दी से तैयार हो जा.
वीरेंदर अपने रूम मे आ गया और तैयार होकर अपने रूम मे ही बैठ गया. थोड़ी देर बाद आशना वीरेंदर के रूम के दरवाज़े पर आई और बोली: अगर जनाब का मूड हो तो चलें और यह कहकर वो सीडीयो की तरफ भागी. वीरेंदर भी कमरे का दरवाज़ा बंद करके नीचे आ गया.
वीरेंदर: बिहारी काका, हम बाहर जा रहे हैं. आप और रागिनी डिन्नर कर लीजिएगा, हम लेट हो जाएँगे.
बिहारी: जी अच्छा.
आशना हाल से बाहर निकली और वीरेंदर उसके पीछे जैसे ही बाहर निकलने को हुआ उसकी नज़र रागिनी के रूम की तरफ पड़ी. रागिनी एक लोंग वाइट स्कर्ट और रेड टॉप मे दरवाज़े पर खड़ी वीरेंदर की तरफ देख रही थी. दोनो की नज़रें मिली और वीरेंदर के कदम वहीं रुक गये. रागिनी बहुत ही कामुक नज़रों से वीरेंदर को देख रही थी. उसके टॉप के उपेर के दो बटन खुले थे जिस से उसकी गहरी क्लीवेज वीरेंदर को सॉफ नज़र आ रही थी. वीरेंदर की रगों मे खून का संचार तेज़ होने लगा.
इस से पहले कि वो कोई रिक्षन करता, बाहर से आशना की आवाज़ आई " वीरेंदर जल्दी आइए ना". वीरेंदर ने रागिनी की तरफ देखा और उसे इशारे से कहा कि " शी वाज़ लुकिंग हॉट". रागिनी के चेहरे पर एक स्माइल आ गई और उसने वीरेंदर को बाइ का इशारा किया. वीरेंदर बाहर की तरफ बढ़ा तो आशना कार स्टार्ट कर चुकी थी. वीरेंदर आशना के साथ वाली सीट पर बैठ गेया और दोनो बाहर की तरफ चल दिए.
बिहारी अपने कमरे से बाहर निकला, वो बिल्कुल नंगा था. बिहारी: वाह रे नारी, तेरा कोई अंत नहीं. साला एक ही दिन मे लट्टू बना लिया तूने उसे.
रागिनी: मेरे कारण इसे टेंडर जो मिला है तो मेरा दीवाना क्यूँ नहीं बनेगा यह उल्लू.
बिहारी: वो सब तो ठीक है लेकिन कल अगर मेजर ने तुम्हारे सामने कोई ऐसा वैसा प्रस्ताव रखा तो???
रागिनी: तो क्या, वीरेंदर का विश्वास जीतने के लिए कुछ भी कर जाउन्गी. एक बार उसे मुझ पर अंधविश्वास हो जाए तो देखना फिर प्रॉपर्टी के पेपर्स ज़्यादा दूर नहीं रह जाएँगे.
बिहारी: तो क्या तुम उस बुड्ढे मेजर से चुदवा भी लोगि, वीरेंदर पर यकीन बनाने के लिए.
रागिनी: उस बुड्ढे को तो मैं अपने जलवे दिखाकर ही झाड़ दूँगी. सला कब तक टीकेगा मेरे आगे.
बिहारी: अगर वो ऐसे ना माना तो.
रागिनी: तो क्या, लंड चूसना तो अपने सीखा ही दिया है मुझे. तब तक उसका लंड मुँह से नहीं निकालूंगी जब तक साला दम ना तोड़ दे.
बिहारी: तो तू उस बुड्ढे का लंड चूसेगी???
रागिनी: उस बुड्ढे का भी और अगर ज़रूरत पड़ी तो वीरेंदर का भी लेकिन फिकर मत करो, चुदवाउन्गी सिर्फ़ तुमसे.
यह कहकर रागिन ने अपनी स्कर्ट उतारी और बिस्तर पर लाइट कर अपनी टाँगे खोल दी. बिहारी, रागिनी की खुली टाँगो के बीच बैठा और उसकी तपती चूत पर अपने होंठ रख दिए. रागिनी आ कर उठी.