bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी - Page 15 - SexBaba
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bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी

नीचे आकर बीना ने सबसे पहले बिहारी का कमरा चेक किया लेकिन वो वहाँ नहीं मिला. 

बीना:साला, गया होगा लौंडिया चोदने. यह सारी इस साले की ही ग़लती के कारण हुआ है. उस दिन इसे बोला भी था कि आशना किसी भी तरह अपने कमरे से बाहर ना निकलने पाए लेकिन साला शराब के नशे में पता नहीं कहाँ पड़ा रहा और आशना को सब पता चल गया. 

इस छोटी सी ग़लती (जो उन में से किसी से भी नहीं हुई थी)के कारण बीना को अब सारा प्लान बदलना था. 

उसे लगा कि आशना उसके साथ कोई गेम खेल रही है, आशना द्वारा वीरेंदर को शादी के लिए हां कर देने वाली बात बीना के गले से नहीं उतर रही थी, क्यूंकी आशना तो अच्छे से जानती थी कि वीरेंदर उसका भाई है. तो इसका सॉफ मतलब है कि वो जान बूझ कर वही सब कर रही है जो मैने उस से करने के लिए कहा. वो शायद हमारा मकसद जानना चाहती है.लेकिन मिस आशना, तुम मुझे समझने में पहले भी ग़लती कर बैठी और अब भी ग़लती कर रही हो. मैं ऐसा चक्कर चलाउन्गी कि तुम इस घर से तो जाओगी ही जाओगी, अपने हिस्से की प्रॉपर्टी से भी हाथ धो बैठोगी और उसके बाद वीरेंदर को अपने जिस्म के नशे की लत लगाकर भिकारी से भी बदतर हालत कर दूँगी.

बाहर आकर पहले तो बीना का दिल किया कि बिहारी से मिला जाए लेकिन इस वक्त पीछे जाना भी ख़तरे से भरा था. अगर रागिनी को पता लग गया कि मैं इस वक्त बिहारी से मिलने आई हूँ तो उसे भी हम पर शक हो सकता है. बीना को बिहारी की मूर्खता पर काफ़ी गुस्सा आ रहा था और वो गुस्से में कोई ग़लत कदम उठाकर अपना बना बनाया खेल बिगाड़ना नहीं चाहती थी. वो जानती थी कि बिहारी उसे सुबह फोन करने ही वाला है तो वो उसी वक्त उसे सारा प्लान भी समझा देगी और आगे से चौकन्ना होने के लिए भी बोल देगी.


फडफडाती हुई चूत और गरम दिमाग़ लेकर बीना मेन गेट से बाहर निकली और गाड़ी स्टार्ट करके अपने घर की तरफ चल दी. हॉस्पिटल से वो यह बोल कर निकल आई थी कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है, इस लिए आज रात वो नहीं आएगी. वो घर जाकर आराम से अगले प्लान के बारे में सोचना चाहती थी क्यूंकी कल सुबह से उसे एक नये प्लान पर अमल करना था.


अगली सुबह शर्मा निवास मे बस रही चार ज़िंदगियों के लिए कुछ ख़ास अच्छी नहीं थी. बिहारी सुबह 5:00 बजे ही अपने कमरे मे आ चुका था, काफ़ी थका होने के कारण रह रह कर उसकी आँखों के आगे अंधेरा छा रहा था. रात भर रागिनी की चूत और गान्ड चोदने के बाद उसमे इतनी हिम्मत भी नहीं बची थी कि वो अपने या घर वालों के लिए चाइ भी बना सके. बिस्तर पर गिरते हे गहरी नींद ने उसे दबोच लिया. रात भर की चुदाई के बावजूद असंतुष्ट रागिनी का मन भी उदास था, बिहारी को तो उसने पूरा चूस लिया था मगर उसकी चूत मैं अभी भी काफ़ी पानी था बहाने के लिए. चूत की खुजली को अपनी जांघे रगड़ कर मिटाने की नाकाम कोशिश करती हुई वो भी नींद की आगोश में चली गई.
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इधर वीरेंदर भी रात तो बीना के साथ आने वाले समय को सोच कर काफ़ी देर से सोया और अब वो ऐसी बेहोशी मे था कि आशना कब से उसका दरवाज़ा पीट रही थी, उसे पता ही ना लगा. आशना ने वीरेंदर का मोबाइल नंबर. डाइयल किया. वीरेंदर ने तकिये के पास रखा फोन उठाया और बंद आँखों से ही बोला: हेलो....

आशना: यह क्या हो रहा है, इतनी देर तक मेरे सपने देख रहे हो?????

वीरेंदर(नींद मैं):तुम करने ही कहाँ देती हो कुछ, इस लिए नींद में ही अरमान पूरे कर लेता हूँ. 

आशना: आप सपनों में ही अरमान पूरे करने लायक लगते हो, देखो बाहर कितना सुहावना मौसम है और आप अभी तक तकिये को जकड सोए हुए हो. 

वीरेंदर ने एक दम से तकिया को दूर फैंका और हड़बड़ा कर उठ कर बैठ गया.

वीरेंदर: तुम, तुम्हे कैसे पता चला. 

आशना खिलखिलाकर हंस पड़ी और बोली: जनाब, आपको मुझ से ज़्यादा कॉन समझ सकता है????

वीरेंदर के दिमाग़ मे एक दम से रात वाली बात घूम गई. वो अपने आप को दोषी मानते हुए अपनी ही नज़रों मे गिर गया. उसे अपने आप से भी नफ़रत होने लगी. आशना जैसी प्यार करने वाली लड़की को धोखा देकर वो प्यार नाम को मिट्टी में मिला रहा था. हालाँकि प्यार से उसका भरोसा उठ गया था. लेकिन आशना ने उसके मन में प्यार फिर से जगाया था और वो उसे ही धोखा देने चला था. वीरेंदर को अपने आप से भी घिंन आने लगी. 

आशना: हेल्लूऊओ मिस्टर. फिर से सो गये क्या????

वीरेंदर: आशना तुम अपने रूम में चलो मैं फ्रेश होकर आधे घंटे मे वहीं आता हूँ. 

आशना(सेक्सी आवाज़ मैं): खोलो ना. 

वीरेंदर को एक दम झटका लगा.

आशना: मैं तुम्हे यह बताने आई थी कि जब तक तुम पूरी तरह ठीक नहीं हो जाते तब तक मैं शोरुम में बैठूँगी. 

वीरेंदर ने झट से दरवाज़ा खोला और सामने खड़ी आशना को देख कर ठिठक गया. पंजाबी सूट सलवार मे वो एक दम पंजाबन लग रही थी. क्रीम कलर की कमीज़ जो कि उसके घुटनो तक थी और नीचे लाल रंग की तंग पाज़ामी मे वो एक दम छोटी सी गुड़िया लग रही थी. क्रीम कलर की ही बेस लिए लाल फूलों वाली चुन्नी उसके सीने पर पड़ी हुई उसके यौवन को और निखार रही थी. 

आशना: क्या हुआ???कभी लड़की नहीं देखी क्या???

वीरेंदर: लड़की तो देखी है पर ज़मीन पर अप्सरा पहली बार देख रहा हूँ. 

आशना: अच्छा अब मस्का बंद, मैं ऑफीस जा रही हूँ, मैने नाश्ता कर लिया है और आपके लिए भी बना दिया है. जल्दी से फ्रेश होकर नाश्ता कर लीजिए और काका को भी बोल दीजिएगा, शायद वो भी अभी तक सो रहे हैं. 

वीरेंदर: काका अभी तक सो रहे हैं????

आशना: शायद, वो किचन मे तो दिखे नहीं, हो सकता है कि तबीयत ठीक ना हो. 

वीरेंदर: चलो फ्रेश होकर उनका भी हॉल जान लूँगा और ज़रूरत पड़ी तो उन्हे दवाई दिलवाकर में ऑफीस हो आउन्गा. 

आशना: तो फिर आते वक्त दोपहर को मेरे लिए खाना लेकर ऑफीस आ जाना. 

वीरेंदर: ओये मेडम आप कहीं नहीं जा रही, आपको पता भी है कि ऑफीस मैं क्या क्या काम होता है और हम मे से किसी को भी ऑफीस जाने की ज़रूरत नहीं है. मेरा सेक्रेटरी मुझे शाम को सारी डीटेल्स मैल कर देगा, मैं खुद ही देख लूँगा.

आशना: मैं मानती हूँ कि आपको बिज़्नेस मे किसी पेर भी भरोसा नहीं है, अगर मैने पैसों की कुछ गड़बड़ कर भी दी तो इसी घर में आएँगे ना, अब तो इसी घर में ही रहना है. 

वीरेंदर: सच. 

आशना यह बोल कर एक दम शरमा गई, उसने यह सब अचानक ही बोल दिया. 

वीरेंदर: ठीक है मेम साहिब, आप ऑफीस चलिए, आपका ड्राइवर दोपहर को आपके लिए खाना लेकर आ जाएगा. आशना वहाँ खड़ी रहकर बात को बढ़ाना नहीं चाहती थी, वो झट से सीडीयो के पास पहुँची और वीरेंदर को हाथ हिलाकर बाइ बोला.

वीरेंदर: सुबह सुबह मुँह मीठा नहीं करवाओगी. 

आशना: मुँह से बास आ रही है और जनाब मुँह मीठा करने का खवाब ले रहे हैं और यह कह कर तेज़ी से सीडीयाँ उतरने लगी.तभी आशना को याद आया कि रात को ही उसके पीरियड्स शुरू हो चुके हैं, वो एक दम से रुक गई और धीरे धीरे सीडीयाँ उतरने लगी. 

वीरेंदर: बड़ी अजीब लड़की हो, पहले कुछ सीडीयाँ तेज़ी से उतरी और अब धीरे धीरे उतर रही हो, दिमाग़ तो ठीक है ना तुम्हारा.

आशना: आप नहीं समझोगी "लोफर" जी. 

वीरेंदर: और कुछ तो पता नहीं लेकिन तुमको तो अभी तक नहीं समझ पाया. 
 
आशना जैसे ही नीचे पहुँची, वीरेंदर ने आवाज़ लगाई: आशना एक मिनट रूको. आशना ने पीछे मुड़कर उपेर की तरफ देखा और इशारे से पूछा कि "क्या". वीरेंदर: एक मिनट ठहरो और यह कह कर वीरेंदर अपने रूम मे चला गया. अपनी जॅकेट से घड़ी की चाबी निकाली कर अपने ट्राउज़र की जेब मे डाली और बाहर आ गया. 

आशना: क्या हुआ???? जल्दी बोलो, मुझे लेट हो रहा है. 

वीरेंदर सीडीयाँ उतर कर नीचे आ गया. आशना के बिल्कुल पास आकर वीरेंदर बोला: आशना सच बताओ तुमने नाश्ता कर लिया या नहीं. 

आशना:आप भी ना, मेरा टाइम वेस्ट करने पर तुले हुए हो. बाबा नाश्ता कर लिया है और आपके लिए बना कर रख भी दिया है. 

वीरेंदर: तो इसका मतलब आज तुमने फास्ट नहीं रखा है????

आशना: फास्ट, क्यूँ आज क्या है?????

वीरेंदर: आज मंडे है. 

आशना: तो???

वीरेंदर: आशना एक बात बोलूं, बुरा तो नहीं मनोगी??? यह कहते हुए वीरेंदर आशना के एकदम पास आ गया था.

आशना ने धड़कते दिल से बोला: पूछिए. 

आशना की आँखें बंद होने लगी थी. 

वीरेंदर: आशना: मेरे ट्राउज़र मैं तुम्हारे लिए कुछ है. 

आशना ने एक दम से आँखें खोलकर वीरेंदर की तरफ देखा लेकिन वीरेंदर का सीरीयस चेहरा देख कर उसकी आँखें अपने आप झुक गई. 

वीरेंदर: तुम खुद निकालोगी या मैं निकालु???? 

आशना की आँखें एक दम बंद हो गई और होंठ काँपने लगे. उसका शरीर गरम होने लगा. 

वीरेंदर: जवाब दो. 

आशना: वीरेंदर प्लीज़ मुझे जाने दो. 

वीरेंदर: उसके लिए तो तुम्हे मेरे ट्राउज़र मे क्या है वो तो देखना ही पड़ेगा.

आशना(काँपते होंठों से): प्लीज़ वीरेंदर. 

वीरेंदर तो चलो मैं ही निकला देता हूँ तुम्हारे लिए. आशना ने एक दम से अपने चेहरे पेर हाथ रख लिए और दूसरी तरफ मूड गई. 


वीरेंदर: इस तरफ देखो आशना. आशना ने "ना" मे गर्दन हिलाई. 

वीरेंदर: अरे देखो तो, एक बार देख लोगि तो खुश हो जाओगी, यह तुम्हारे लिए ही है. 

आशना: वीरेंदर, आप मेरी जान लेकर ही रहेंगे आज, जाओ मैं आप से कट्टी. 

वीरेंदर: देखो मैं तुम्हे इतना प्यारा गिफ्ट दे रहा हूँ और तुम मुँह दूसरी तरफ करके खड़ी हो गई. 

आशना: मुझे नहीं लेना यह गिफ्ट, आप अपने पास ही रखो. 

वीरेंदर: लेकिन यह मैने तुम्हारे लिए ही खरीदा है. 

यह सुनते ही आशना ने फॉरन पलट कर देखा तो वो शरम से गढ़ गई. वीरेंदर उसे घड़ी की चाबी दे रहा था. 

आशना: यह गिफ्ट????

वीरेंदर: क्यूँ तुम्हे कुछ और चाहिए क्या????

आशना(आँखों में झूठा गुस्सा भरकर): जी नहीं, और मुझे यह गिफ्ट भी नहीं चाहिए. 

वीरेंदर: ले लो वरना मैं दूसरा गिफ्ट भी अभी दे दूँगा. 

आशना ने झटके से वीरेंदर से चाबी को छीना और बाहर की तरफ भागी. 

वीरेंदर: नयी गाड़ी की ख़ुसी मे मुँह मीठा नहीं करवाओगी. 

आशना: अब जूते ही खिलाउन्गी, मुँह मीठा उसी से हो जाएगा आपका. 

वीरेंदर(दिल पर हाथ रखकर): हाई, हम तो वो भी खाने को तैयार है, आप प्यार से खिलाएँ तो सही. 

आशना घर से बाहर निकली तो वीरेंदर भी उसके पीछे पीछे बाहर आ गया. 

आशना: आपने नहाना नहीं है क्या, या मेरे साथ ही ऑफीस जाना है???

वीरेंदर: आप हां तो करें, हम तो तैयार बैठे हैं.

आशना: जी नहीं, आप फ्रेश होकर नाश्ता कर लीजिए और दोपहर को टाइम पर आ जाइए. 

वीरेंदर: गाड़ी ध्यान से चलाना, आज तो तुम्हारा फास्ट भी नहीं है. 

आशना: रोज़ गाड़ी से जाउन्गी तो मैं तो मोटी हो जाउन्गी. 

वीरेंदर: चलेगा, मगर बस दो ही जगह वेट पुट ऑन करना. 

आशना: युयूयुयूवयू लोफर. 

वीरेंदर: ओके बाबा जाता हूँ, इतना प्यार क्यूँ दिखा रही हो. 

यह कह कर वीरेंदर अंदर चला गया और आशना भी मुस्कुराती हुई गाड़ी निकाल कर ऑफीस की तरफ चल दी.

वीरेंदर अंदर आते ही अपने कमरे में घुस गया और नहा धोकर फ्रेश होकेर 10:30 बजे तक तैयार होकर नीचे आ गया. बिहारी तब तक उठ गया था. 

वीरेंदर: क्या हुआ काका, तबीयत तो ठीक है???

बिहारी: जी मालिक, बस थोड़ा चक्कर आ रहे थे तो उठने का मन नही कर रहा था. 

वीरेंदर: चलिए नाश्ता करके डॉक्टर को दिखा देते हैं. 

बिहारी: इसकी कोई ज़रूरत नहीं है बाबू जी, बस थोड़ी कमज़ोरी है और इस उम्र मे तो यह सब लगा ही रहता है. 

वीरेंदर: ठीक है, आप नाश्ता गरम करके दे दीजिए, मुझे कहीं बाहर जाना है.

बिहारी: नाश्ता आशना बिटिया ने बनाया????

वीरेंदर: हां काका और वो तो नाश्ता करके ऑफीस भी जा चुकी है. 

बिहारी: चलो अच्छा है, जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते, तब तक वो ही थोड़ी देर ऑफीस का काम संभाल लें. बहुत प्यारी बिटिया है मालिक, भगवान उसे बुरी नज़र से बचाए. 

वीरेंदर: काका मेरी बुरी नज़र तो उस पर पड़ ही गई है और बहुत जल्दी वो इस घर की बहू भी बनने वाली है.

बिहारी: सच,यह तो अपने मेरे मन की बात बोल दी बाबू जी. 

बिहारी ने वीरेंदर को नाश्ता दिया और वीरेंदर ने नाश्ता करते करते बिहारी से कहा "काका, ज़रा टीवी ऑन कर दीजिए, बड़े दिन हो गये न्यूज़ सुने या पेपर पड़े हुए". 

बिहारी ने टीवी ऑन किया और न्यूज़ चेनल लगा दिया. न्यूज़ मैं कुछ ख़ास नहीं था बस इधर उधर की बेकार की बातें. 

वीरेंदर: नाश्ता करते करते चॅनेल्स बदलता रहा और एक लोकल न्यूज़ चॅनेल पर फ्लश हो आरही न्यूज़ को पढ़कर वो एक दम चौंक गया. "बीती रात, नशे की हालत मे ".................. हॉस्पिटल' की माशूर डॉक्टर. बीना का कार एक्सीडेंट मे निधन".
 
खबर पढ़ कर वीरेंदर के हाथ से नाश्ते की प्लेट गिर गई. प्लेट गिरने की आवाज़ से बिहारी दौड़ता हुआ किचन से बाहर आया और बोला: क्या हुआ मालिक????

वीरेंदर: डॉक्टर. बीना का रात को आक्सिडेंट हो गया था काका और उनकी डेथ हो गई है. 

बिहारी (एक दम चौंक कर): हे भगवान, यह क्या हो गया???लेकिन कल रात को तो जब यहाँ आई थी तब तो बिल्कुल ठीक थी. इसका मतलब यहाँ से जाने के बाद यह हादसा हुआ. हां उस वक्त उन्होने बहुत शराब पी रखी थी. मैने उन्हे कहा था कि "आप हाल में बैठें मैं छोटे मालिक को बुलाकर लाता हूँ", लेकिन उन्होने मेरी एक ना सुनी और सीधा आपके कमरे में चली गई. 

वीरेंदर: हाँ वो आई थी मेरे पास मेरा चेकप करने मगर उस वक्त मैं काफ़ी थका था तो मैने उन्हे उसी वक्त वापिस भेज दिया था यह कहकर कि मैं सुबह हॉस्पिटल आकर ही अपना चेकप करवा लूँगा. 

बिहारी: मालिक यह बात आप किसी से मत कहना, सिर्फ़ हम दोनो में ही रहेगी यह बात, वरना पोलीस हमसे हज़ारों सवाल करेगी. 

वीरेंदर: शायद तुम सही कह रहे हो काका. काका आप घर का ख़याल रखना मैं बीना जी के घर जा रहा हूँ.

वीरेंदर तेज़ी से बाहर की ओर निकल गया और गाड़ी लेकर बीना के घर की तरफ चल दिया. 

बिहारी(मुस्कुराते हुए): मुझे बहुत दुख है बाबू जी कि मैने आपसे एक चूत छीन ली ,मगर मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि आपके लिए अपनी बीवी की कमसिन चूत का इंतज़ाम ज़रूर करूँगा. अगर मैं बीना की गाड़ी की ब्रेक फैल नहीं करता तो वो शायद तेरे लोड्‍े पेर तो चढ़ ही चुकी थी, मेरे सिर पर भी चढ़ जाती. बेचारी इस धोखे मे मारी गई कि मेरे पास सिर्फ़ लोड्‍ा है, दिमाग़ नहीं. भगवान उसकी आत्मा को लंबीईईईईईई सी शांति दे.


उधर रास्ते में ही वीरेंदर ने आशना को बीना की खबर दी तो आशना को भी झटका लगा. आशना के लिए अब सिचुयेशन संभालना बहुत मुश्किल था क्यूंकी वीरेंदर तो यही जानता था कि आशना डॉक्टर. बीना की सहेली की बेटी है. 

वीरेंदर: आशना तुम ऑफीस मे ही रूको मैं तुम्हे लेने आ रहा हूँ. 

आशना कुछ ना बोल सकी. आशना जानती थी कि अगर वीरेंदर उसे वहाँ ले जाता है तो उसका झूठ पकड़ा जाएगा. डॉक्टर. अभय और बीना के रिश्तेदार उसे पहचानने से सॉफ इनकार कर देंगे.वीरेंदर जैसे ही शो रूम के बाहर पहुँचा, उसने हॉर्न दबाया. आशना मे बाहर जाने की हिम्मत नहीं थी. वीरेंदर ने फिर से हॉर्न दबाया. आशना को इस बार बाहर जाना पड़ा. आशना जैसे ही बाहर निकली, वीरेंदर उसे देखते ही बोला: अरे यह क्या हालत बना ली है तुमने आशना, धीरज रखो, यह सब भगवान के हाथ है. आशना का चेहरा अपने झूठ पकड़े जाने के डर से उतर गया था. 

आशना, झट से गाड़ी में बैठी और बोली: वीरेंदर, आप मुझे घर में छोड़ दो, मैं वहाँ जाकर इस सिचुयेशन को फेस नहीं कर सकती. 

वीरेंदर ने हैरानी से उसकी तरफ देखा. 

आशना: वीरेंदर, डॉक्टर. बीना बेशक मेरी मोम की बहुत अच्छी सहेली थी और मैने भी उन्हे अपनी मोम की तरह ही समझा मगर उनके हज़्बेंड डॉक्टर. अभय ने मुझसे हमेशा घृणा ही की है और हमेशा मुझे यही जताया है कि मुझे पल पोस कर उन्होने बहुत बड़ा एहसान किया है. मेरा रिश्ता सिर्फ़ डॉक्टर. बीना तक ही था, अब जब वो ही नहीं रही तो उस घर मे मेरा जाना बेकार है.

यह बोल कर आशना खामोश हो गई. उसके पास बोलने को कुछ और था भी नहीं. इतनी बात भी उसके दिमाग़ में आ गई यही गनीमत थी. वरना वो तो डर के मारे काँपने लगी थी. 

वीरेंदर: लेकिन डॉक्टर. बीना के साथ तो तुम बचपन से रही हो तो फिर क्या बचपन से तुम अंकल, मेरा मतलब डॉक्टर. अभय की नफ़रत का शिकार रही हो????

आशना: नहीं ऐसा नहीं है, डॉक्टर. बीना ने आपको मेरे बारे में सब कुछ नहीं बताया था.

वीरेंदर: क्या मतलब????

आशना: डॉक्टर. बीना ने आपको उस वक्त उतना ही बताया था जितना आपके लिए ज़रूरी था. 

वीरेंदर: तो मैं तुम्हारे बारे में सब जानना चाहता हूँ आशना, वीरेंदर ने यह बात बड़ी गंभीरता से कही. 

आशना ने वीरेंदर की आँखों में देखा और फिर चेहरा सामने की तरफ करके बोलना शुरू किया. 

आशना:माँ-बाबूजी के गुज़र जाने के बाद मैं कुछ दिन तो डॉक्टर. बीना के घर मे ही रही मगर पता नहीं क्यूँ डॉक्टर. अभय को मेरा उनके घर एन रुकना गवारा नहीं था. शायद वो कंप्लीट प्राइवसी चाहते थे क्यूंकी उस वक्त उनकी शादी को कुछ ही समय हुआ था. यह बात मैं उस वक्त समझ नहीं पाई और गुस्से मे आकर मैने डॉक्टर. बीना को मेरी अड्मिशन एक बोरडिंग स्कूल में करवाने के लिए बोला. बहुत दुखी मन से उन्होने मेरी अड्मिशन बोरडिंग स्कूल में करवा दी और फिर अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद मैने मेडिकल कॉलेज जाय्न कर लिया. माँ- बाबूजी की मौत के बाद मेरी सारी ज़िंदगी उनके द्वारा जमा किए हुए पैसो से और उनके द्वारा किए हुए इन्षुरेन्सस से चलती रही. डॉक्टर. बीना ने भी मेरी काफ़ी मदद की मगर मैं दोबारा उस घर में ना जा सकी जिस घर मे बचपन में मुझे नफ़रत भरी बातें सुनने को मिली.
 
आशना की कहानी सुनने के बाद वीरेंदर की आँखें भर आई, उसे अचानक अपनी चचेरी बेहन आशना की याद आ गई. उसने खुद भी तो उसके साथ ऐसा ही सलूक किया था, इसी लिए वो दोबारा कभी मुड़कर वापिस "शर्मा निवास" में नहीं आई. 

वीरेंदर: आज मैं समझ सकता हूँ कि मैने अपनी बेहन आशना के साथ कितना बड़ा ज़ुल्म किया है. उस नाज़ुक घड़ी में अगर मैने उसे संभाला होता तो वो आज मेरे पास होती. 

आशना(महॉल को हल्का बनाने के लिए): अगर वो यहाँ होती तो फिर मैं आपकी ज़िंदगी मे नहीं होती.

वीरेंदर(चौंक कर): मतलब???

आशना: अगर वो आशना आपकी ज़िंदगी में आ जाती तो अब तक तो आपकी शादी किसी से करवा ही चुकी होती तो फिर मेरा नंबर. कहाँ लगता. 

वीरेंदर(मुस्कुराते हुए): अरे हां, वो तो है. मेरी भगवान से यही दुआ है कि वो यहाँ भी रहे खुश रहे और उसपर कभी कोई आँच ना आए. 

आशना की आँखें भर आई. 

आशना: अब आप डॉक्टर. बीना के घर जाइए लेकिन पहले मुझे घर में छोड़ दीजिए, अब ऑफीस में मन नहीं लगेगा.

वीरेंदर: क्यूँ??? बस इतने से ही तक गई????

आशना: धीरे धीरे आदत डाल लूँगी और वैसे भी आप तो साथ होंगे नहीं तो अकेली बोर हो जाउन्गी. 

वीरेंदर: यह ठीक है, जब पास आता हूँ तो बोलती हो हमेशा पीछे पड़े रहते हो और जब थोड़ी देर ना मिलूं तो मेरे बिना कहीं दिल भी नहीं लगता. 

यह सुनकर आशना शरमा गई. वीरेंदर ने घड़ी स्टार्ट की और अपने मेनेज़र को फोन करके बोल दिया कि शोरुम के ध्यान रखे, वो थोड़ी देर में ऑफीस आ जाएगा.आशना को घर छोड़ने के बाद वीरेंदर डॉक्टर. बीना के घर पहुँचा जहाँ मातम छाया हुआ था. वहाँ जाकर उसे पता चला कि बीना की गाड़ी के ब्रेक फैल हो गये थे.खबर मिलते ही डॉक्टर. अभय भी सुबह की फ्लाइट से देल्ही पहुँच गये थे और फिर पूरी विधि-विधान से डॉक्टर. बीना का अंतिम संस्कार कर दिया गया. धीरे धीरे सारे लोग अपने घर की तरफ चल दिए और पीछे बस वीरेंदर और अभय के कुछ नज़दीकी रिश्तेदार रह गये. वीरेंदर ने अभय के सामने शौक जताया और फिर वो भी वहाँ से निकला गया. उसके दिल में एक बात की खुशी थी कि किसी को यह खबर नहीं थी कि बीना रात को उस से मिलने उसके घर आई थी, वरना उस से तरह तरह के स्वाल पूछे जाते और वो किसी पचदे मे फसना नहीं चाहता था.


क्रिमेशन ग्राउंड से वीरेंदर सीधा ऑफीस पहुँचा, तब तक 3:00 बज चुके थे. ऑफीस पहुँच कर वीरेंदर ने पिछले दिनो की हुई सारी डेलिवरीस और स्टॉक की फाइल्स चेक की. उसे महसूस हुआ कि पिछले दिनो इर्रेग्युलर रहने से ग्रोथ रेट थोड़ा डिक्लाइन हुआ है. उसके मेनेज़र ने उसे एक आर्मी टेंडर के बारे में बताया और उनके साथ होने वाली कल की मीटिंग की भी जानकारी दी. वीरेंदर ने उसे जल्द से जल्द कोटेशन्स बनाने के लिए बोला. इस बार वो किसी भी तरह से टेंडर अपने हाथ मे लेना चाहता था.वीरेंदर ने बिज़्नेस को फिर से रेग्युलर्ली संभालने का डिसिशन लिया और अपने साथ आशना को भी उसमे इन्वॉल्व करने की सोची.वो अभी फाइल्स चेक कर ही रहा था कि उसके कॅबिन का डोर नॉक हुआ. 

वीरेंदर: कम इन.

दरवाज़ा खुला और एक बहुत ही खुश्बू दार हवा का झोंका वीरेंदर के नथुनो से टकराया. वीरेंदर ने फाइल से नज़र हटाकर सामने वाले की तरफ देखा तो उसका मुँह खुला ही रह गया. 

सामने वाली लड़की उसके सामने रखी कुर्सी पेर बैठ गई और बोली: मुँह बंद कर लीजिए, अभी खाना प्लेट्स में डाला नहीं है. वीरेंदर के सामने आशना एक कातिलाना रूप लेकर बैठी हुई थी. आशना के खुले बाल पीठ के पीछे लहरा रहे थे. इस वक्त आशना एक हल्की ब्राउन रंग की लिपस्टिक लगाए, कानो में लंबे से इयररिंग्स, एक बेहद टाइट "टाइगर स्किन" स्लीव्ले टॉप और नीचे ब्लॅक कलर की स्ट्रिचबल कॅप्री जो कि आशना के घुटनों के बिल्कुल नीचे तक थी पहन कर आई थी.आशना इस ड्रेस मे बहुत ही हॉट लग रही थी.

वीरेंदर, अभी भी आशना को देखे जा रहा था. 

आशना: यह आपको हो क्या जाता है??

वीरेंदर: क्या????

आशना: क्या ऐसे देखा जाता है किसी लड़की को????

वीरेंदर: एक मिनट रूको और तेज़ी से बढ़कर कॅबिन का डोर बंद कर दिया. 

आशना वीरेंदर की तरफ घबरा कर देखती है. 

वीरेंदर(आशना के पास आकर): हां, दिखाओ अब. 

आशना(शर्म से लाल होते हुए): क्या?????

वीरेंदर: दिखाओ तो क्या क्या है मेरे लिए. 

आशना(अपनी जगह से उठते हुए): यह, यह, आप क्या बोल रहे हैं. 

वीरेंदर: क्यूँ???? क्या ग़लत बोल रहा हूँ???

आशना: मैं जा रही हूँ वीरेंदर, आप खाना खा लीजिए. 

वीरेंदर:चली जाओ लेकिन एक बार बस एक बार मुझे दिखा दो आशना कि खाने में क्या लाई हो, मुझे बहुत ज़ोर से भूख लगी है. 

आशना ने वीरेंदर की तरफ चौंक कर देखा तो वीरेंदर के चेहरे पर हसी देख कर आशना वीरेंदर से लिपट गई और बोली " मुझे सताने में आपको बड़ा मज़ा आता है, लोफर कहीं के".

वीरेंदर ने भी अपनी बाहों का हार आशना की कमर में डाल कर उसे कस लिया और बोला:अभी तो सिर्फ़ सता ही रहा हूँ, एक बार शादी हो जाए तो फिर देखो क्या क्या करता हूँ. 

आशना(वीरेंदर को पीछे धकेलते हुए): शादी के ख्वाब बाद में लेना, पहले लंच ले लो, देखो कितना लेट हो गया आज. 

वीरेंदर: तुमने लंच किया???

आशना: दोनो के लिए लाई हूँ ना, दोनो यहीं करेंगे. 

वीरेंदर: देखो आशना पहली बात तो यह कि तुम अपनी डाइयेट बिल्कुल सही टाइम पर लोगि. ऐसा नहीं कि मैं कभी टूर पेर होऊ तो तुम उतने दिन खाना ही ना खाओ. 

आशना: अब जनाब को अकेले टूर पर जाने भी कॉन देगा. 

वीरेंदर: ओ तेरी, इसका मतलब, शादी के बाद कुछ दिन अकेले रहने की आज़ादी भी ख़तम. 

आशना: वाह, बड़ी जल्दी समझ गये. 

वीरेंदर: चलो मंज़ूर है, आपके लिए तो कुछ भी कर सकते हैं. 

आशना: और दूसरी?????

वीरेंदर: क्या मतलब????

आशना: अपने अभी एक ही बात बताई, आप तो शायद एक से ज़्यादा हिदायते देने वाले थे. 

वीरेंदर: ओह यआः. 

दूसरी बात यह कि तुम खाने में क्रीम, बटर और मिल्क ज़रूर लिया करो. 

आशना: लेकिन इन सब मे तो बहुत फॅट होता है. 

वीरेंदर: तभी तो. देखो तुम्हारी बॉडी फॅट को बहुत ही सही जगह अड्जस्ट करती है. 
 
आशना जब तक यह बात समझ पाती, वीरेंदर उठकर कॅबिन के साथ अटॅच वॉशरूम की तरफ चल दिया और बोला "हॅंड वॉश करके आता हूँ". आशना को जैसे ही बात समझ मे आई वो शरम से पानी पानी हो गई. 

आशना(दिल में): लफंगा कहीं का, दूसरे मर्दो से बिल्कुल अलग मगर शौक बिल्कुल बाकी मर्दो जैसे ही. 

आशना ने मुस्कुराते हुए खाना लगाया और फिर दोनो ने मिलकर लंच किया. 

आशना: वीरेंदर, मैं अपनी वाली गाड़ी ले जा रही हूँ, मैं अभी टॅक्सी में आई थी. 

वीरेंदर: इतनी हॉट बनकर टॅक्सी मे घुमोगी तो टॅक्सी वाले तो आपस में ही लड़ मरेंगे. 

आशना: लेकिन मैने तो पहले से ही एक ड्रेस पसंद कर लिया है. 

वीरेंदर: मेम साहिब, शाम को जल्दी आ जाउन्गा, रात का खाना भी जल्दी बना लेना. जल्दी से डिन्नर करके फिर रात को........... इस से पहले के वीरेंदर अपनी लाइन पूरी करता, आशना ने लंच बॉक्स लिया और कॅबिन से बाहर निकल गई. 

वीरेंदर: हाई यार यह लड़की पूरी बात क्यूँ नहीं सुनती.
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वहीं रागिनी पूरा दिन पीछे सर्वेंट क्वॉर्टर्स में छुपी रही. बिहारी एक बार भी वहाँ नहीं गया. रागिनी का दिल बार बार घबरा रहा था. 

रागिनी: विराट ने तो कहा था कि वीरेंदर से बात करके वो मुझे घर मे ही एक कमरा दिला देगा लेकिन सुबह से ही विराट की कोई खबर नहीं, कहीं विराट किसी मुसीबत मे तो नहीं.

हुआ यह था कि जब बीना की मौत की खबर सुनकर वीरेंदर घर से बाहर निकला ठीक उसी वक्त बिहारी भी घर से निकल के बीना के हॉस्पिटल पहुँचा. उस वक्त वहाँ का सारा स्टाफ बीना के घर मे था. बिहारी के पास बीना के कॅबिन की एक चाबी थी. उस चाबी से कॅबिन का दरवाज़ा खोल कर आगे बिहारी को पता था कि कॉन सा समान कहाँ रखा है जिसकी अब उसे ज़रूरत है. बिहारी ने आशना के सारे डॅयेक्यूमेंट्स और सारी आइडेंटिटीस का एक बॅग वहाँ से उठाया और धीरे से अलमारी बंद करके अलमारी की चाबी अपनी जगाह रख दी और फिर कॅबिन लॉक करके वापिस घर की तरफ आ गया. 

बिहारी जैसे ही घर पहुँचा, उसके कुछ मिनट्स बाद ही वीरेंदर भी आशना को घर छोड़ कर बीना के घर की तरफ चल दिया. बिहारी ने बड़ी सफाई से और बड़ी चालाकी से अपना काम कर दिया था. उसके बाद बिहारी ने आशना को लंच बनाने मे मदद की और उसी दौरान बिहारी ने आशना को बताया कि उसके मौसेरे भाई की बेटी अपनी पढ़ाई पूरी करके देल्ही में नौकरी ढूँडने आने वाली है और शाम तक वो देल्ही पहुँच जाएगी. वो देल्ही जैसे बड़े शहर मे बिल्कुल नई है तो क्या वो उसे कुछ दिन यहीं बुला ले, जब तक वो किसी अच्छी जगह नौकरी ना ढूंड ले. आशना ने काका को आश्वासन दिया कि आप शाम को उसे यहीं घर पर ले आयें, मैं वीरेंदर को मना लूँगी.


शाम को वीरेंदर 6:00 बजे ही घर वापिस आ गया.

आशना: बड़ी जल्दी आ गये आप. 

वीरेंदर: इस वक्त तक तो हमेशा ही आ जाता हूँ. 

आशना: ओके, तो आप बैठिए मैं चाइ लेकर आती हूँ. 

वीरेंदर: अरे वाह, तुम तो बीवी होने के सारे कर्तव्य निभा रही हो, बस एक को छोड़ कर. 

आशना वीरेंदर की इस बात से शरमा दी और किचन की तरफ चल दी. 

वीरेंदर(थोड़ी उँची आवाज़ में):सोच रहा हूँ कि आज रात से मैं भी पति होने के फ़र्ज़ निभाना शुरू कर दूं. आशना के शरीर में एक सिरहन दौड़ गई यह सुनकर और उसने पीछे मूड कर वीरेंदर को बिहारी के कमरे की तरफ इशारा करते हुए चुप रहने का इशारा किया. वीरेंदर ने धीरे से होंठ हिलाकर सॉरी कहा और अपने कान पकड़ लिए.

कमरे में बैठे हुए बिहारी के कानो में जब यह आवाज़ पड़ी तो उसके लंड ने एक झटका लिया. 

बिहारी(मन में): वीरेंदर बाबू, इस चूत को इतनी जल्दी तुमसे नहीं चुदने दूँगा, सबसे पहले तो यह लोड्‍ा रागिनी की चूत में जाएगा और फिर रागिनी तुम्हे अपना गुलाम बनाएगी. उसके बाद आशना की सच्चाई तुम्हारे सामने लाउन्गा और फिर जब तुम आशना को धक्के देकर घर से बाहर निकालोगे, तब मैं उसे इसी घर में चोरी से शरण देकर उसके शरीर में सेक्स भरकर इतना मदहोश कर दूँगा कि वो अपनी मर्ज़ी से अपनी इज़्ज़त मुझसे लुटवाएगी और मैं उसे अपने बच्चों की माँ बनाउन्गा, यह मेरा वादा है अपने आप से. बीना की कुर्बानी को मैं व्यर्थ नहीं जाने दूँगा. तुम्हारी प्रॉपर्टी तो मैं किसी भी कीमत पर पा ही लूँगा, मगर आशना जैसे माल को तो हरगिज़ नहीं चुदने दूँगा तुम्हारे लोड्‍े से. उसकी सारी सीलो पर सिर्फ़ मेरे लोड्‍े का हक है.


चाइ पीते पीते, वीरेंदर ने पूछा: बिहारी काका ठीक तो है???

आशना: हां, लेकिन बीना जी की मौत की खबर सुनकर वो काफ़ी परेशान हैं. सुबह से खोए खोए हैं. 

वीरेंदर: हां, बीना आंटी का इतना आना जाना जो था इस घर में तो बिहारी काका से भी काफ़ी घुल मिल गई थी. 

आशना: हां याद आया, वो बिहारी काका के मौसेरे भाई की बेटी आज शाम को देल्ही आने वाली है अपनी पढ़ाई पूरी करके. वो देल्ही में जॉब के सिलसिले में आने वाली है.

मैने तो काका को कह दिया कि, जब तक उसे कोई अच्छी सी जॉब ना मिल जाए, वो यहीं रह सकती है, आप क्या कहता हैं???

वीरेंदर: वाह, तुमने अपना फ़ैसला भी सुना दिया और मेरी राय भी माँग रही हो. 

आशना: अब हमारा इतना फ़र्ज़ तो बनता ही है उनकी फॅमिली के लिए. 

वीरेंदर: कितने बजे आने वाली है वो????

आशना(उँची आवाज़ में): काका, ज़रा हाल में आना. 

बिहारी जो कि दरवाज़े पर खड़ा उनकी बातें ही सुन रहा था, दौड़ता हुआ कमरे से बाहर आया और बोला: जी बिटिया.

आशना: काका, आपकी भतीजी आने वाली है ना, कब तक पहुँचेगी????

बिहारी: बिटिया 7:30 बजे ट्रेन देल्ही पहुँच जाएगी. 

आशना: क्या???? अरे 6:30 तो हो गये हैं, आप जल्दी से जाकर उसे यही ले आइए और नीचे ही किसी कमरे में उसका समान रखवा दें. अब वो यहीं हमारे साथ रहेगी. 

बिहारी: बहुत अच्छा बिटिया, मैं आपका यह एहसान ज़िंदगी भर नहीं भूलूंगा. 

आशना: अरे काका कैसी बातें करते हो, यह घर आपका भी तो है. आप जल्दी से जाकर उसे ले आइए, मैं खाना तैयार कर लूँगी. 

वीरेंदर: आइए काका, मैं आपको स्टेशन तक छोड़ दूँगा और थोड़ी देर डॉक्टूर. अभय के साथ वक्त भी बिता लूँगा, बेचारे वो काफ़ी अकेले महसूस कर रहे होंगे. 

बिहारी: मालिक आप चले जाइए, मैं टॅक्सी से चला जाउन्गा, वैसे भी अभी एक घंटा है, जल्दी पहुँच कर क्या करूँगा. 

वीरेंदर: तो ठीक है, जैसा कि आशना ने कहा है, आप उसका अपने साथ वाले कमरे मे ही रुकने का प्रबंध कर लें और यह कहकर वीरेंदर चला गया. जाते हुए वीरेंदर आशना को बता गया कि वो रात को 9:00 से पहले आ जाएगा और साथ ही डिन्नर करेंगे. 


बिहारी: बिटिया तुमने मुझपर जो एहसान किया है, तुम सोच भी नहीं सकती कि मुझे कितनी खुशी है. 

आशना: अच्छा काका रहने दीजिए यह सब और चलिए मैं आपको वो कमरा दुरुस्त करने मे मदद करती हूँ. दोनो ने मिलकर कमरे को झाड़ा और अच्छी तरह से सॉफ करके उसे रहने के लिए तैयार कर दिया. 

आशना: काका: अब आप जल्दी से जाइए और उसे लेकर आ जाइए, मैं खाना बना लेती हूँ. 
 
बिहारी घर से बाहर निकला और गेट के पास पहुँच कर पीछे मुड़कर देखा तो हवेली का दरवाज़ा बंद था. बिहारी मुड़कर तेज़ी से पीछे की ओर आ गया. पीछे पहुँच कर जैसे ही बिहारी ने दरवाज़ा खटखटाया, रागिनी ने एकदम से दरवाज़ा खोल कर बिहारी को गले लगा लिया. 

बिहारी: अरे अरे इतना प्यार, क्या बात है? 

रागिनी: जानते हो सारा दिन आपका इंतज़ार करते करते कितना परेशान हो गई थी. 

बिहारी:अरे बात ही कुछ ऐसी थी कि तुम्हे बताने की हिम्मत ही नहीं हो रही थी, इस लिए दिन को आ नहीं पाया. 

रागिनी: क्या बात है विराट, क्या वीरेंदर ने मना कर दिया?????

बिहारी: अरे वो तो झट से मान गया जब उस चुड़ेल आशना ने उसे तुम्हे यहीं रखने के लिए कहा. उसकी बात थोड़े ही टाल सकता था वो. 

रागिनी: बहुत जल्द, बहुत जल्द यह सब उलट दूँगी और फिर वो मेरे इशारों पर नाचेगा. 

बिहारी: उसी दिन का ही तो इंतज़ार है अब. 

रागिनी: तो फिर ऐसी क्या बात थी कि आप सारा दिन मुझे मिलने ही नहीं आए.

बिहायर: वो बात दरअसल ऐसी थी कि............


रागिनी: विराट प्लीज़ बताइए ना क्या बात है????

बिहायर: वो , कल रात डॉक्टर. बीना की कार एक्सीडेंट मे मौत हो गई. 

रागिनी(चीख कर):क्या?????

यह सुनते ही रागिनी की आँखें छलक आई.

बिहारी ने उसे संभालते हुए कहा: सम्भालो अपने आप को रागिनी, यह वक्त होश खोने का नहीं है बल्कि बहुत सावधानी से कदम रखने का है. रागिनी बिहारी से चिपक कर बिलख बिलख कर रोने लगी. बिहारी ने उसे कुछ देर रोने दिया.

फिर जब रागिनी थोड़ा शांत होने लगी तो बिहारी बोला: देखो रागिनी, बीना का एक्सीडेंट हुआ नहीं बल्कि जान बूझ कर करवाया गया था. 

रागिनी(चौंक कर, तेज़ आवाज़ मैं पूछती है): क्या????????. 

बिहारी: देखो रागिनी, कल रात को जब मैं तुम्हारे पास आ रहा था तो मैने बीना जी को घर मे आते हुए देखा था. 

मैं जानता था कि बीना और वीरेंदर दोनो कुछ दिन से मिले नहीं है तो ज़रूर वीरेंदर ने ही उसे अपनी प्यास भुजाने के लिए बुलाया होगा. 

रागिनी(रोती आवाज़ मे): लेकिन आपने तो मुझे कहा था कि आप मुझे उनके रिश्ते का सबूत देंगे तो फिर अपने मुझे उस वक्त क्यूँ नहीं बताया कि बीना जी यहाँ आई हैं. 

बिहारी: देखो रागिनी मैं नहीं चाहता था कि बीना की करतूत अपनी आँखों से देख कर तुम्हारे दिल को ठेस पहुँचे. वो चाहे जितनी भी घटिया औरत हो, मगर तुमने तो उसे एक माँ का दर्ज़ा दिया था तो कैसे एक बेटी अपनी माँ जैसी औरत की नीच हर्कतो को बर्दाश्त करती. 

रागिनी ने बिहारी को अपने साथ और कस लिया. अब तक वो बिल्कुल संभाल चुकी थी. 

रागिनी: तो फिर आपको कैसे लगा कि उनका अक्सीडेंट करवाया गया है. 

बिहारी: बीना की पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट से पता लगा है कि जिस वक्त आक्सीडेंट हुआ उस वक्त वो बहुत ही ज़्यादा नशे मे थी. 

रागिनी: क्या?????? लेकिन बीना जी तो शराब पीती ही नहीं. 

बिहारी: यह बात मैं भी अच्छी तरह से जानता हूँ कि वो चाहे कितनी हे नीच औरत क्यूँ ना हो मगर उसने कभी भी शराब को हाथ नहीं लगाया. 

रागिनी: तो इसका मतलब कल रात को यहाँ आने के बाद बीना जी को वीरेंदर ने शराब पिलाई, दोनो ने एक दूसरे के जिस्म की आग को ठंडा किया और फिर जब बीना जी यहाँ से गई तो रास्ते मैं उनका अक्सीडेंट हो गया. 

बिहारी: मुझे भी यही लगता है क्यूंकी जब मैने देखा कि वीरेंदर यह बात सबसे छिपा रहा है कि कल रात को बीना उस से मिलने आई थी तो मुझे शक हुआ कि कहीं बीना का अक्सीडेंट कोई सोची समझी चाल ना हो. 

रागिनी: लेकिन ऐसा क्यूँ करेगा वो????

बिहारी:मुझे सिर्फ़ शक है, हो सकता है ऐसा ना हो मगर मुझे लगता है कि आशना और वीरेंदर ने मिलकर बीना को मरवाया है. मैं किसी भी तरह इस सच का पता लगा कर ही रहूँगा. 

रागिनी: विराट, मैं हर कदम मे आप के साथ हूँ और अगर यह बात साबित हो गई कि बीना जी की मौत एक हादसा नहीं थी तो मैं उनकी मौत के ज़िम्मेदार को सलाखो के पीछे डाल कर ही दम लूँगी.

बिहारी: इस सच को जानने के लिए तुम्हे वीरेंदर और आशना के बीच दीवार बनना होगा और वीरेंदर का भरोसा जीतना होगा. 

रागिनी: वो तो मैं किसी भी कीमत पेर करके ही रहूंगी, आख़िर मुझे आपको आपका हक भी तो दिलवाना है. 

बिहारी ने रागिनी को अपने साथ ज़ोर से बींच लिया और बोला "आइ लव यू रागी". 

रागिनी: आइ लव यू टू विराट.

रात के करीब 8:30 बजे बिहारी और रागिनी घर के मेन दरवाज़े पर पहुँचे. बिहारी ने बेल बजाई तो आशना ने दरवाज़ा खोला. आशना ने देखा कि बिहारी काका के साथ एक 18-19 साल की बहुत ही खूबसूरत सी लड़की सिंपल से सूट सलवार में खड़ी है. रागिनी ने एक लंबी सी चोटी कर रखी थी. इस वक्त रागिनी अपने प्लान के मुताबिक बिल्कुल एक अनमॅरीड लड़की की तरह लग रही थी. उसकी बाहों में चूड़ा नहीं था और ना ही माथे पर सिंदूर. उसने बस एक छोटी सी बिंदी और हल्के गुलाबी रंग की लिपस्टिक लगाई थी. रागिनी के इस रूप को देख कर कोई भी नहीं कह सकता था कि वो शादी शुदा है.
वहीं आशना को देख कर रागिनी के मन मे ईर्ष्या के भाव आने लगे. उसके सामने के बेहद ही खूबसूरत और सेक्सी लड़की खड़ी थी. उसके टाइट टॉप और लूस लोवर मे उसके अंग का हर कटाव उभर कर दिख रहा था. आशना का गोरा रंग गुलाबी पन लिए हुए उसे एक अलग ही सोन्दर्य प्रदान कर रहा था. उसके खुले लंबे बाल उसकी कमर से नीचे तक झूल रहे थे और उसके चेहरे पर एक अलग ही तरह की रौनक थी. आशना की हाइट भी रागिनी से कोई 6-7" ज़्यादा थी जो कि उसे और भी आकर्षक बना रही थी.

बिहारी: बिटिया, यह मेरे बड़े भाई की बेटी रागिनी है.

आशना: आइए काका, आओ रागिनी, वेलकम टू 'शर्मा निवास". 

रागिनी(मन में):मैं तो आ गई मगर तू बहुत जल्द यहाँ से जानती वाली है रांड़. 

आशना: काका, आप रागिनी का समान इसके कमरे मे रखवा दीजिए और रागिनी तुम जल्दी से फ्रेश हो जाओ. वीरेंदर भी आने ही वेल होंगे. डिन्नर टेबल पर ही बाकी की बातें करेंगे. 

रागिनी के दिल को धक्का लगा जब आशना ने उसके सामने विराट को काका कहकर संबोधित किया और एक मालकिन की तरह उसे हुकुम दिया कि समान उठाकर अंदर रख दो. रागिनी जानती थी कि उसे अब ऐसी बातों की आदत डालनी पड़ेगी क्यूंकी अपने मकसद मे कामयाब होने के लिए उसके लिए बहुत ज़रूरी था कि आशना या वीरेंदर में से कोई भी उसके चेहरे के भावों को ना समझ पाए. रागिनी ने अपने चेहरे पर झूठी मुस्कान लाते हुए कहा: शुक्रिया मालकिन. 

आशना: अरे यार तुम मेरी हमउमर हो. अगर तुम मुझे दीदी कहकर बुलाओ तो मुझे कहीं ज़्यादा अच्छा लगेगा. 

रागिनी(दिल में ज़हर भरते हुए): जी दीदी. 
 
आशना किचन की तरफ चल दी और बिहारी और रागिनी, रागिनी के कमरे मे चल दिए. रागिनी का समान रखकर बिहारी भी किचन में आ गया और आशना की मदद करने लगा. 

आशना: काका, मैने खाना तैयार कर दिया है. जैसे ही वीरेंदर आयें, आप खाना लगा दीजिएगा. 

बिहारी: जी बिटिया. 

आशना: काका आज हम चारों इकट्ठा बैठ कर खाना खाएँगे. 

बिहारी: लेकिन बिटिया हम कैसे आप के साथ...........

आशना: काका, क्या आप इस घर के मेंबर नहीं हैं क्या, या हम ने आपको कभी अलग समझा है????

बिहारी: नहीं बिटिया, ऐसी बात बिल्कुल भी नहीं है. भगवान आपको हमेशा सलामत रखे. 

आशना उपर अपने कमरे मे चली गई. कुछ देर बाद वीरेंदर भी घर पर आ गया. सबने मिलकर खाना खाया और फिर सब लोग धीरे धीरे अपने कमरों की तरफ बढ़ गये. आशना ने अपने कमरे मे घुसते ही दरवाज़ा लॉक कर दिया, आज दिन भर वीरेंदर से छेड़खानी मे उसका पॅड काफ़ी गंदा हो गया था. उसने अंदर आते ही अपना पॅड चेंज किया. तभी दरवाज़े पर वीरेंदर ने नॉक किया लेकिन आशना ने कोई रेस्पॉन्स नहीं दिया. वीरेंदर थोड़ी देर दरवाज़ा खटखटाकर चल दिया. उसे लगा कि आशना डॉक्टर. बीना की मौत से काफ़ी दुखी है, इस लिए शायद वो अकेला रहना चाहती है. वो भी अपने कमरे मे आ गया. 

रात को करीब 11:00 बजे बिहारी रागिनी के कमरे में घुसा और एक बार फिर से 'शर्मा निवास" के एक और कमरे में चुदाई का नगा नाच चला. करीब 3:00 बजे बिहारी अपने कमरे में आ गया. रागिनी चाहती थी कि विराट अभी कुछ देर और उसके साथ रुके लेकिन वो यह भी जानती थी कि आने वाली सुबह विराट को फिर से सारे घर का काम संभालना है तो उसने भी ज़्यादा ज़ोर भी नहीं दिया.

सुबह सुबह सबने अपनी दिन चर्या के हिसाब से नित्य कर्म निपटाए और फिर सबने मिलकर नाश्ता किया. 

(नाश्ते की टेबल पर) आशना: वीरेंदर, मैं शोरुम जा रही हूँ आप आज का दिन आराम कर लें. 

वीरेंदर: नहीं आशना, आज एक टेंडर के सिलसिले में एक मीटिंग है तो मेरा जाना ज़रूरी है. तुम चाहो तो मेरे साथ चल सकती हो. 

आशना, वीरेंदर से अभी 2-3 दिन और दूर ही रहना चाहती थी. वो जानती थी कि अगर वो वीरेंदर के साथ चली गई तो वो दिन भर उसे छेड़ता रहेगा और एग्ज़ाइट्मेंट के कारण पीरियड्स मे एक्सेस ब्लीडिंग से वो शर्मिंदा नहीं होना चाहती थी. 

आशना: तो ठीक है आप चले जाइए, आज मैं घर की सॉफ सफाई करवा देती हूँ.

वीरेंदर: काका, आप सभी नौकरों को बुलाकर आशना की मदद से घर की सफाई करवा दीजिए मैं रागिनी को ड्रॉप कर दूँगा. 

बिहारी: लेकिन रागिनी को आप कहाँ ड्रॉप करेंगे, इसे तो अभी नौकरी की तलाश करनी है. 

वीरेंदर(रागिनी की तरफ देखते हुए): तो इसका मतलब तुम अभी जॉब ढूँढ रही हो. 

रागिनी: जी. 

वीरेंदर: मुझे लगा के शायद तुम ऑलरेडी जॉब करती हो और तुम्हारी कंपनी ने तुम्हे देल्ही में ट्रान्स्फर कर दिया है. 

आशना: तो क्या हुआ वीरेंदर, आप के तो यहाँ पर काफ़ी कॉंटॅक्ट्स हैं. आइ होप कि रागिनी को ज़्यादा दिन नौकरी की तलाश नहीं करनी पड़ेगी.

वीरेंदर: रागिनी, तुम किस तरह की जॉब में इंट्रेस्टेड हो???

मेरा मतलब, तुम तो बिल्कुल फ्रेश हो, तो तुम्हारी कोई प्राइटी है या कोई भी जॉब चलेगी. 

रागिनी: कोई भी चलेगी, बस मैं ज़्यादा देर तक आप लोगों पर बोझ बने नहीं रहना चाहती. 

आशना: रागिनी खबरदार, अगर तुमने दोबारा कभी ऐसा सोचा भी. इस घर पर तुम्हारा भी उतना ही हक है जितना कि मेरा या किसी का भी. 

रागिनी(मन मे): और वीरेंदर पर भी?????

रागिनी: जी दीदी, मुझे माफ़ कर दें. 

वीरेंदर: रागिनी एक काम करो, जब तक तुम्हे कोई अच्छी सी जॉब नहीं मिल जाती तब तक तुम मेरे शोरूम मे ही सेलेज़्गर्ल की जॉब कर लो. ज़्यादा बड़ा काम नहीं है, लेकिन पे अच्छी मिलेगी. 

रागिनी की आँखों मे चमक आ गई और बिहारी भी दिल ही दिल मे खुश हो गया. उसके लिए तो सबसे बड़ी खुशी की बात थी कि ऑफीस मे रागिनी, वीरेंदर को अपने जलवों से फसा लेगी और यहाँ वो सारा दिन आशना के साथ घर मे ही रख उसके साथ मस्ती करेगा. 

नाश्ता करने के बाद रागिनी तैयार होने अपने कमरे मे चली गई और बिहारी भी बर्तन उठाकर किचन की ओर चल दिया.वीरेंदर और आशना वीरेंदर के कमरे की तरफ चल दिए और जैसे ही वो वीरेंदर के कमरे मे पहुँचे, बिहारी दबे पावं रागिनी के कमरे में घुस गया. 

रागिनी: क्यों कैसी रही विराट????

बिहारी: अरे मुझे तो यकीन ही नहीं जो रहा कि वीरेंदर ने खुद तुम्हे उसके शोरुम मैं काम करने को कहा. 

रागिनी: आगे आगे देखते जाओ कि क्या होता है. बस कुछ ही दिन की बात है, उसके बाद जैसा मैं कहूँगी, वीरेंदर वैसे ही मेरे इशारों पर नाचेगा. 

बिहारी: आज पहला दिन है तो कोई सेक्सी सी ड्रेस पहन लो और अपना काम आज से ही शुरू कर दो. 

रागिनी: वोही सोच रही हूँ के क्या पहनु. 

बिहारी: वो लाइट ग्रीन वाली जीन्स और ग्रे टॉप पहन लो आज. 

रागिनी: अरे वो तो काफ़ी टाइट है. 

बिहारी: तो वीरेंदर का भी तो टाइट करना पड़ेगा ना उसे फसाने के लिए. 

रागिनी: लेकिन उसके टॉप का गला तो बहुत ही गहरा है, कहीं उन्हे पहले दिन से ही शक ना हो जाए मेरी नियत पर. 

बिहारी: अरे तो घर से निकलते वक्त उपेर से एक जॅकेट डाल लो और जब ऑफीस पहुँचो तो उसे उतार कर वीरेंदर को झलक दिखाती रहना. 

रागिनी: यह ठीक रहेगा. 

बिहारी: आज के दिन ब्रा मत पहनना. 

रागिनी: वो तो वैसे भी उस टॉप के साथ पहन नहीं सकती. पहनुँगी तो उसके स्ट्रॅप्स बाहर ही दिखेंगे. 
 
बिहारी किचन मे आकर बर्तन सॉफ करने लगा. थोड़ी देर बाद वीरेंदर सीडीयाँ उतर कर नीचे आया. 

वीरेंदर: रागिनी, जल्दी से बाहर आ जाओ, कहीं पहले ही दिन देर ना हो जाए. 

रागिनी फाटक से बाहर निकली तो आशना और वीरेंदर उसे देख कर हैरान रह गये. कहाँ वो ढीला ढाला सूट पहने एक साधारण सी दिखने वाली लड़की और कहाँ अब एक हॉट ड्रेस में एक सेक्सी लड़की. एक बार तो उसे देखकर आशना के दिल मे भी ख़तरे की घंटी बजी लेकिन अगले ही पल उसने अपने दिमाग़ को झटका और दिल में बोली " आइ ट्रस्ट माइ लव". वीरेंदर ने भी चोर नज़रों से रागिनी को देखा और मन ही मन उसे देख कर उसकी तारीफ भी की. रागिनी इस ड्रेस मे सच मैं ही बहुत हॉट दिख रही थी.

वीरेंदर घड़ी निकल कर जैसे ही गेट के पास पहुँचा, रागिनी उसका वहीं इंतज़ार कर रही थी. रागिनी ने बाहर आते ही अपनी जॅकेट की ज़िप आधी खोल दी थी जिस से उसकी गहरी क्लीवेज सॉफ नज़र आने लगी. वीरेंदर ने रागिनी के पास ब्रेक लगाई और रागिनी ने फॉरन डोर खोल दिया. वीरेंदर और रागिनी की नज़रें मिली और दोनो एक दूसरे को देख कर मुस्कुराए. रागिनी ने जैसे ही गाड़ी मे चढ़ने के लिए अपने अगले शरीर को झुकाया, उसके उन्नत उभार की झलक वीरेंदर की आँखों के आगे आ गई. वीरेंदर ने झट से अपना चेहरा आगे की तरफ कर दिया. लेकिन इस से पहले रागिनी देख चुकी थी कि वीरेंदर उसके हुस्न के पहला वार से ही हडबडा गया है. 

वीरेंदर की सांस एक दम तेज़ चलने लगी और उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा. रागिनी ने गाड़ी मे बैठ कर सीट बेल्ट बाँधी जिस से उसका क्लीवेज और बाहर की तरफ उभर आया. 

रागिनी: सर चलें. 

वीरेंदर ने उसकी तरफ देखा तो उसकी हालत औट खराब हो गई. सीट बेल्ट के प्रेशर से ऐसा लग रहा था कि रागिनी के कबूतर बाहर निकलने के लिए मचल रहे हो. रागिनी वीरेंदर की हालत देख कर मन ही मन मुस्कुरा रही थी. 

रागिनी: सर चलिए वरना लेट हो जाउन्गी पहले ही दिन. कहीं बॉस मुझसे नाराज़ ना हो जाएँ. 

वीरेंदर ने फीकी सी हँसी से यह जताने की कोशिश की कि वो नॉर्मल है और गाड़ी दौड़ा दी. रास्ते भर वीरेंदर रागिनी के छलकते यौवन को चोर नज़रों से निहारता रहा और रागिनी भी गरम होती रही. उसे इस वक्त विराट की सख़्त ज़रूरत थी लेकिन वो जानती थी कि अपने मंसूबे की कामयाबी के लिए अब उसे ज़्यादा से ज़्यादा वक्त वीरेंदर के साथ ही गुज़ारना है. 

रास्ते मे रागिनी बोली: सर मैं सोच रही हूँ कि क्या मैं सेल्स गर्ल की ड्यूटी कर पाउन्गी. 

वीरेंदर अचानक अपने ख़यालो से बाहर आया और चौंक कर बोला: क्यूँ????

रागिनी: देखिए आपका इतना बड़ा शोरुम है तो ज़ाहिर सी बात है कि वहाँ तो कस्टमर्स की आवा-जाहि तो लगी ही रहती होगी और मेरे पास तो सेल्स का कोई एक्सपीरियेन्स भी नहीं है. मुझे लगता है कि मेरे कारण आपके कस्टमर्स नाराज़ ना हो जाएँ अगर उन्हे सही गाइड्लाइन ना मिल पाई. 

वीरेंदर: तो फिर तुम ही बताओ के तुम्हे कॉन सा काम दिया जाए. 

रागिनी: मैं कंप्यूटर्स में एक्सपर्ट हूँ, अपने घर में भी भैया और पापा के बिज़्नेस का सारा हिसाब मैं ही कंप्यूटर में फीड करती थी. क्यूँ ना आप मुझे डेस्क जॉब दे दें.

वीरेंदर: लेकिन उसके लिए तो मेरे पास ऑलरेडी एक आकाउंटेंट और एक कंप्यूटर ऑपरेटर है. 

रागिनी: प्लीज़ सर आप मुझे अपनी पर्सनल सेक्रेटरी ही बना लें, मैं पूरे जी जान से आपका हर काम करूँगी और आपको कभी शिकायत का मोका नहीं दूँगी. यह बात रागिनी ने अपने उभारों को आगे की तरफ तान कर कहा.

वीरेंदर: चलो, ऑफीस पहुँच कर कुछ सोच कर बताता हूँ कि तुम्हे क्या काम दिया जाए. 

रागिनी दिल ही दिल मैं खुश थी कि वीरेंदर ने उसे मना नहीं किया बल्कि सोचने का टाइम माँगा. रागिनी आगे सारे रास्ते खामोश बैठी रही. वो वीरेंदर को जताना चाहती थी कि उसे अपनी जॉब को लेकर बहुत चिंता है. ऑफीस पहुँच कर वीरेंदर सीधा अपने कॅबिन मे चला गया. वीरेंदर के पीछे पीछे उसका मेनेज़र भी वीरेंदर के कॅबिन में आ गया.

मेनेज़र: सर, आज आपकी 11:30 बजे मीटिंग है होटेल "ब्लू एंजल" में. 

वीरेंदर: हाँ, मुझे याद है. क्या सारी कोटेशन्स तैयार हो चुकी हैं???

मेनेज़र: सर सारी कोटेशन्स तैयार करके इस पेन ड्राइव मे डाल दी हैं. आप एक बार चेक कर लें तो मैं इन्हे फाइनल कर दूं. वीरेंदर ने पेनड्राइव अपने लॅपटॉप से कनेक्ट की और स्क्रीन की तरफ देखने लगा. 

उसका मेनेज़र अभी भी उसके सामने खड़ा था. तभी वीरेंदर के कॅबिन का डोर नॉक हुआ. वीरेंदर ने चौंक कर दरवाज़े की तरफ देखा और बोला "अरे रागिनी, आओ ना अंदर आओ, तुम्हे नॉक करने की कोई ज़रूरत नहीं है, आओ बैठो. मेनेज़र ने पीछे हटकर रागिनी को बैठने की जगह दी. इस वक्त रागिनी ने अपने जॅकेट की ज़िप पूरी चढ़ा कर रखी थी.

वीरेंदर ने एक बार रागिनी को देखा और फिर बोला: मिस्टर. मोहित (मेनेज़र), कोटेशन्स को आप फाइनल कर दीजिए और जितना हो सके कोटेशन्स मे रेट कम दिखाइए, इस बार यह टेंडर मैं किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहता. 

मोहित: यस सर, मोहित ने वीरेंदर से पेन ड्राइव ली और बाहर जाने को मुड़ा ही था कि वीरेंदर बोला: मिस्टर. मोहित, यह मिस रागिनी हैं, आज से मेरी पर्सनल सेक्रेटरी. इनका डेस्क मेरे कॅबिन में उस तरफ लगवा दीजिए. एक कोने की तरफ इशारा करके वीरेंदर ने मोहित से कहा. 

मोहित को कन्फ्यूज़ देखकर वीरेंदर बोला: अरे मोहित साहब, आप हैरान मत हो, यह मेरी दूर की रिश्तेदार है और पढ़ाई पूरी करके बिज़्नेस का कुछ एक्सपीरियेन्स लेना चाहती है. इस लिए मैं इसे अपने साथ यहाँ ले आया. 

मोहित: नो, नो सर, नो प्राब्लम. इट्स ऑल राइट.

इन सब बातों के दौरान रागिनी बड़े प्यार से वीरेंदर को देख रही थी. मोहित के कॅबिन से बाहर जाते ही रागिनी अपनी सीट से उठी और वीरेंदर के पास जाकर उसका हाथ पकड़ कर बोली, थॅंक्स सर, थॅंक यू सो मच. आप नहीं जानते कि मेरे दिल से कितना बड़ा बोझ हट गया है. वीरेंदर ने अपना हाथ रागिनी के हाथ से छुड़ाया और बोला "इट्स ओके रागिनी". 

रागिनी: नो सर, आप नहीं जानते कि आपने मेरे लिए क्या किया है. मैं आपको कभी किसी भी शिकायत का मोका नहीं दूँगी और हमेशा आपका ख़याल रखूँगी. मोहित जी के सामने आपने मेरे लिए झूठ बोला कि मैं आपकी रिश्तेदार हूँ, आप समाज नहीं सकते कि आप के लिए मेरे दिल में क्या जगह बन गई. आप जब चाहे, जैसे चाहे मैं आप के लिए हाज़िर हो जाउन्गी. 

वीरेंदर(हल्का सा मुस्कुराते हुए): सोच लो. 

रागिनी: अब कुछ नहीं सोचना. 

वीरेंदर: तो चलो मेरे साथ. 

आशना: कहाँ????

वीरेंदर: मैने होटेल मैं एक रूम बुक करवाया है, वहीं चलते हैं. 

रागिनी: जीिइई????

वीरेंदर: हाहहहहाहा, अभी तो बड़ी बड़ी फैंक रही थी और अब क्या हो गया????? 

रागिनी: जी वो मैं..... 

वीरेंदर: अरे होटेल में टेंडर के सिलसिले में एक मीटिंग है, वहीं एक रूम बुक किया है मीटिंग के लिए. तुम भी मेरे साथ चलो और मुझे हेल्प करो. 

रागिनी(शरमाने का नाटक करते हुए):ओह, तो यह बात है. मैं तो डर ही गई थी.

वीरेंदर: क्यूँ तुम्हे क्या लगा????

रागिनी: धत्त,,,, आप भी ना सर,कितना मज़ाक करते हैं. शाम को घर जाकर आशना दीदी को बताउन्गी. 

वीरेंदर: देखो रागिनी ऑफीस की बातें घर में नहीं और घर की बातें ऑफीस मैं नहीं. ईज़ दट क्लियर?????

रागिनी(ख़ुसी से): यस सर.
 
11:30 बजे वीरेंदर, रागिनी और मोहित होटेल में एक छोटे से कान्फरेन्स रूम में बैठे हुए टेंडर के बारे में डिसकस कर रहे थे. 

वीरेंदर: मोहित अगर यह टेंडर हमें मिल गया तो अगले 3 सालों मे हम कम से कम 7 करोड़ इस टेंडर से बचा ही लेंगे.

मोहित: सर, वो सब तो ठीक है, लेकिन पिछली बार भी मेजर ने हमारी कोटेशन्स ठुकरा दी थी जबकि सबसे कम रेट्स हमारी कोटेशन में था. 

वीरेंदर: अरे तुम नहीं जानते इन आर्मी ऑफिसर्स को. पिछला टेंडर भी हमे ही मिला होता अगर "केपर एलेक्ट्रॉनिक्स"के मलिक ने बीच में टाँग ना अड़ाई होती. 

मोहित: सर वो तो इस बार भी टेंडर के पीछे हाथ धोकर पड़ा है और मुझे पूरा यकीन है कि वो इस बार भी यह टेंडर हासिल करने के लिए कोई ना कोई तो हथकंडा ज़रूर अपनाएगा. 

वीरेंदर: तुम इतने यकीन से कैसे कह सकते हो. 

मोहित, वीरेंदर के पास जाकर उसके कान मैं बोलता है "सर, मिस्टर. केपर ने पिछली बार भी मेजर को अपनी असिस्टेंट ऑफर की थी और मुझे पूरा यकीन है कि इस बार भी वो कोई ऐसा ही हथकंडा अपनाएगा. आप तो जानते ही हैं इन ऑफिसर्स को, लड़कियाँ इनकी सबसे बड़ी कमज़ोरी होती है". यह बात कहकर मोहित अपनी सीट पर जाकर बैठ गया. वीरेंदर के चेहरे पर चिंता की लकीरें सॉफ देखी जा सकती थी. रागिनी ने भी सॉफ महसूस किया कि वीरेंदर, मोहित की बात सुनकर परेशान हो उठा है लेकिन उसे यह पता ना लगा कि वीरेंदर आख़िर किस बात को लेकर इतना परेशान है.

इस से पहले कि वो वीरेंदर से कुछ पूछ पाती, रूम में एक के बाद एक कयि लोग एंटर होने लगे. वीरेंदर और मोहित ने सबसे हाथ मिलाया. उन में से सारे लोग टेंडर्स की होड में आए थे. वीरेंदर ने देखा कि केपर के साथ उसका मेनेज़र और उसकी असिस्टेंट भी आई है. 

वीरेंदर: मिस्टर. केपर, बस आपकी कमी थी, आप आ गये. बेस्ट ऑफ लक फॉर दा टेंडर. 

मिस्टर. केपर(रागिनी की तरफ देख कर): मिस्टर. शर्मा, लगता है आप ने इस बार टेंडर हथियाने का पूरा बंदोबस्त करके रखा है. चलो अच्छा है कि आपको भी टेंडर्स लेने के लिए किसी सहारे की ज़रूरत पड़ी वरना आप तो सारा बिज़्नेस अकेले दम पर ही चलाकर छोटी सी उम्र में ही हम से काफ़ी आगे निकल गये हैं. 

रागिनी को केपर की बात कोई ज़्यादा समझ में नहीं आई मगर उसकी नज़रों को पढ़कर उसे सिचुयेशन का थोड़ा बहुत अंदाज़ा हो गया. उसने केपर के साथ आई लड़की पर नज़र डाली. वो कोई 27- 28 साल की औरत थी. लेकिन उसके पहनावे से ऐसा लगता था कि वो अपनी उम्र छुपाने की कोशिश कर रही हो. घुटनो तक पहनी येल्लो स्कर्ट और उपेर वाइट टॉप उसके शरीर से ऐसे जुड़े थे जैसे उसके सांस लेते ही यह कपड़े फट जायें. उस लड़की के हिप्स और बूब्स काफ़ी भारी थे मगर उसकी यह शोभा उसके थुलथुले पेट के कारण कम हो रही थी. कानो मे गोल और बड़ी बड़ी बालियां, होंठों पर डार्क रेड लिपस्टिक और खुले बाल उसे बिल्कुल एक स्लट लुक दे रहे थे.

रागिनी अभी सारी सिचुयेशन को समझ ही रही थी कि कमरे का दरवाज़ा खुला और एक 50-55 साल का बहुत ही रौबदार आदमी आर्मी की यूनिफॉर्म मे कमरे मे दाखिल हुआ. उसके पीछे दो बॉडीगार्ड्स भी थे. उसे देख कर सभी ने उठकर उसका अभिवादन किया. मेजर पांडे ने इशारे से सबको बैठने को कहा और सबने अपनी अपनी सीट ले ली.


उसके बाद सबने अपने अपने कोटेशन्स मेजर के सामने रखे. मेजर पांडे ने सारी कोटेशन्स पर नज़र डाली और आख़िर में दो कोटेशन्स अपने पास रखकर कहा "शर्मा एलेक्ट्रॉनिक वर्ल्ड" और "केपर एलेक्ट्रॉनिक" की कोटेशन्स सबसे ज़्यादा अट्रॅक्टिव हैं. दोनो कंपनीज़ के रेप्रेज़ेंटेटिव्स यहीं रुकें बाकी के सारे लोग यहाँ से जा सकते हैं. मेजर की रौबदार आवाज़ सुनकर बाकी सभी लोग बिना किसी आवाज़ के कान्फरेन्स रूम से बाहर निकल गये. अब कमरे में मेजर पांडे, उनके दो बॉडीगार्ड्स के अलावा सिर्फ़ 6 लोग बचे थे. मेजर पांडे ने अपने बॉडी गार्ड्स को बाहर जाने का इशारा किया. वो दोनो सल्यूट करके बाहर निकल गये.

कमरे में कुछ देर खामोशी छाई रही.कुछ देर के बाद मेजर पांडे ने बोलना शुरू किया :जेंटल मॅन आंड लॅडीस, आप दोनो की ही कोटेशन्स काफ़ी अट्रॅक्टिव हैं लेकिन यह टेंडर तो किसी एक को ही मिलेगा. 

केपर: सर हम यह प्रॉजेक्ट स्टिप्युलेटेड टाइम से भी कम समय में कर देंगे, आप हम पर भरोसा कर सकते हैं. पिछला प्रॉजेक्ट भी हमने विदिन टाइम कंप्लीट कर दिया था. 

मेजर ने केपर की तरफ घूर कर देखा और बोला: मेरी बात अभी ख़तम नहीं हुई है मिस्टर. केपर, लेट मी फिनिश फर्स्ट. देन यू विल गेट दा टाइम टू प्रेज़ेंट युवर अचीव्मेंट्स. 

केपर(शर्मिंदा होकर): सॉरी सर. 

मेजर पांडे: पिछले टेंडर के दौरान एक बात जो हम ऑफिसर्स को पता चली थी वो यह थी कि कुछ कंपनीज़ ने अपनी फीमेल असिस्टेंट्स का सहारा लिया था उस टेंडर को हासिल करने के लिए. सबसे पहले तो मैं यह बात क्लियर कर देना चाहता हूँ कि मुझे इस तरह के किसी भी ऑफर से सख़्त नफ़रत है. 

केपर के माथे पर पसीना आने लगा था. 

मेजर पांडे: मैं एक इज़्ज़तदार आदमी हूँ और चाहता हूँ कि इस करार में जो भी फाइनल हो, वो सिर्फ़ मेरे और टेंडर होल्डर के बीच रहे. ईज़ था क्लियर??? 

वीरेंदर: यस सर और हमे खुशी होगी आपके साथ काम करने में.

मेजर ने पहले वीरेंदर की तरफ देखा, फिर मोहित की तरफ और फिर रागिनी की तरफ देख कर बोला "मुझे भी". 

रूम में बैठे सभी लोगों ने मेजर की तरफ चौंक कर देखा तो मेजर बोला: दा टेंडर गोज़ टू "शर्मा एलेक्ट्रॉनिक वर्ल्ड" दिस टाइम आंड आइ लव टू वर्क वित दा फर्म. 

यह सारी बात बोलते हुए मेजर रागिनी की तरफ ही देखता रहा.वीरेंदर को कुछ अटपटा सा लगा मगर रागिनी के चेहरे पर कोई शिकन ना देख कर वो भी खामोश रहा.

मेजर, वीरेंदर से हाथ मिलाकर चला गेया तो केपर ने वीरेंदर को अलग बुला कर पूछा " मिस्टर वीरेंदर, आपके साथ यह लड़की आपकी असिस्टेंट है क्या????" 

वीरेंदर: हां, मेरी दूर की रिश्तेदार है, आज ही जाय्न किया है. 

केपर: यह लड़की आप के लिए बहुत लकी है मिस्टर. शर्मा. यूँ समझ लो कि आज आपको टेंडर इस लड़की के कारण ही मिला है और मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ कि यह मेजर ज़रूर कमसिन लड़कियों का शौकीन है. 

इस से पहले कि वीरेंदर कोई जवाब देता, केपर और उसके साथी भी कमरे से बाहर निकल गये. 

मोहित: कोंग्रथस सर, टेंडर हमे मिल गया. बस कुछ डॉक्युमेंटरी फ्रॉमॅलिटीस के बाद यह 100% हमारा हो जाएगा.
 
वीरेंदर हैरान सा होकर केपर की बात का मतलब निकालने मे लगा था. मोहित सारी फाइल्स लेकर जैसे ही कमरे से बाहर निकला. रागिनी, वीरेंदर के पास जाकर उसे मुबारकबाद देती है और बोलती है: कोंग्रथस सर, सात करोड़ मुबारक हो. 

वीरेंदर: लेकिन.................. 

रागिनी ने अपने होंठो पर उंगली रखकर वीरेंदर को खामोश रहने का इशारा किया और कहा " आइ नो केपर ने आपसे क्या कहा".

रागिनी पलट कर रूम से बाहर जाने लगी तो वीरेंदर ने उसे आवाज़ लगाई. रागिनी के कदम एक दम ठिठक कर रुक गये. 

वीरेंदर: अगर सच मैं ऐसा है तो मुझे यह टेंडर नहीं चाहिए. 

रागिनी के दिल को वीरेंदर की यह बात छू गई. रागिनी बिना किसी जवाब के बाहर निकल गई. वीरेंदर ने अपना लॅपटॉप उठाया और होटेल से बाहर निकला. रागिनी पार्किंग मे गाड़ी के पास खड़ी वीरेंदर का इंतज़ार कर रही थी. 

वीरेंदर: मोहित, तुम ऑफीस पहुँचो, हम घर से लंच करके पहुँचते हैं. 

वीरेंदर ने गाड़ी अनलॉक की और ड्राइवर सीट पर बैठ गेया. रागिनी भी वीरेंदर के साथ वाली सीट पर बैठ गई. रागिनी के दिल मे वीरेंदर के लिए एकदम से बहुत ही रेस्पेक्ट पैदा हो गई थी लेकिन तभी उसे विराट और अपने मकसद का ख़याल आया तो उसने अपने दिमाग़ से सारे ख़यालों को झटका और बोली: सर, टेंडर मिलने की खुशी मैं तो आज पार्टी बनती है. 

वीरेंदर(परेशान सा): क्या तुम जानती हो कि यह टेंडर हमे क्यूँ मिला है?????

रागिनी: क्यूंकी मेजर पांडे जानते हैं कि आप एक काबिल इंसान हैं और उन्हे पूरा यकीन है कि आप उन्हे निराश नहीं करेंगे. आप मिस्टर. केपर की बातों पर ध्यान मत दीजिए, वो आपका बिज़्नेस राइवल है. वो आपका ध्यान हटाकर शायद कोई नयी चाल चलना चाहता है. आप बस जल्दी से मेजर पांडे के साथ सारी फॉरमॅलिटीस पूरी कर लीजिए. 

वीरेंदर ने गाड़ी स्टार्ट की और बोला: तो बोलो कहाँ चलें. 

रागिनी: जहाँ आप ले चलें, आप मेरे बॉस हैं और मैं आपके साथ कहीं भी चल सकती हूँ. मुझे आप पर पूरा यकीन है. 

वीरेंदर, रागिनी से काफ़ी इंप्रेस हो चुका था. 
वीरेंदर: तो चलो, आज तुम्हे दिल्ली के सबसे बड़े होटेल मे लंच करवाता हूँ. 

रागिनी: लेट'स गो देन.

वहीं 'शर्मा निवास" मे बिहारी ने बाकी नौकरों के साथ मिलकर घर की सफाई शुरू कर दी थी. पूरे शर्मा निवास और बाहर के लॉन्स की सॉफ सफाई के लिए कुछ 10 लोग थे जिन मैं 4 नौकरानियाँ थी. घर की सफाई के लिए नौकरानिया और बाहर की सफाई के लिए नौकर अपने अपने काम मे व्यस्त हो गये. करीब 1:30 बजे तक सारा घर सॉफ हो चुका था. आशना ने अपना और वीरेंदर का कमरा सॉफ कर दिया था. वीरेंदर द्वारा दिए हुए सारे एलेक्ट्रॉनिक आइटम्स आशना ने अपने कमरे में सज़ा दिए थे. 1:30 बजे तक सारे लोग घर की सफाई करके जा चुके थे. आशना ने वीरेंदर को फोन किया. वीरेंदर ने फोन पिक किया.

आशना: वीरेंदर, लंच तयार है. आप घर पर आ रहे हैं या मैं लंच लेकर ऑफीस आ जाउ. 

वीरेंदर: आशना, वो आज की मीटिंग जस्ट अभी ख़तम हुई है. टेंडर हमे मिल गया है तो इस खुशी मे मैं ऑफीस के स्टाफ को छोटी सी पार्टी दे रहा हूँ, तुम लंच कर लो, मैं उनके साथ ही कर लूँगा. 

आशना: कोंग्रथस फॉर दा टेंडर हॅंडसम. 

वीरेंदर: शाम को जल्दी आता हूँ, फिर हम कहीं बाहर डिन्नर के लिए चलेंगे. 

आशना: बाइ, टके केयर. एंजाय.

रागिनी: आपने आशना दीदी से झूठ क्यूँ बोला कि आप सारे स्टाफ को पार्टी दे रहे हैं. 

वीरेंदर: उसे अगर यह बताता कि सिर्फ़ तुम मेरे साथ हो तो शायद उसे अजीब लगता. 

रागिनी: थॅंक यू सो मच सर. 

वीरेंदर: फॉर व्हाट??

रागिनी: फॉर लंच. 

वीरेंदर: थॅंक्स यू टू. 

रागिनी: फॉर व्चॉट???

वीरेंदर : फॉर दा टेंडर. 

कुछ देर गाड़ी मैं खामोशी छाई रही. 

खामोशी को रागिनी ने तोड़ा और बोली: सर, क्या अभी भी रिस्क फॅक्टर है, मेरा मतलब क्या अभी भी टेंडर हमारे हाथ से जा सकता है????.

वीरेंदर: जब तक डॉक्युमेंट्स साइन नहीं हो जाते, तब तक कोई भरोसा नहीं. 

रागिनी: आप बस डॉक्युमेंट्स रेडी करवाईए, बाकी का काम मैं देख लूँगी. 

तभी वीरेंदर का फोन बजा. वीरेंदर ने गाड़ी साइड पर रोककर फोन पिक किया. 

वीरेंदर: हेलो मेजर पांडे, हाउ आर यू????

मेजर पांडे: आइ आम फाइन शर्मा साहब, बस आप जल्दी से डॉक्युमेंट्स तैयार करवा लीजिए. कुछ लीगल फॉरमॅलिटीस के बाद आधी पेमेंट आपकी फर्म के नाम ट्रान्स्फर कर दी जाएगी जिस से आप काम शुरू कर सकते हैं और बाकी की पेमेंट काम होने के बाद आपको मिल जाएगी. 

वीरेंदर: जी बस कल दोपहर तक सारे डॉक्युमेंट्स रेडी हो जाएँगे. 

मेजर पांडे: हमे इंतज़ार रहेगा आपसे रिश्ता जोड़ने में. 

वीरेंदर: कल दोपहर को एक मीटिंग रख लेते हैं, बाकी सब वहीं पर डिसकस हो जाएगा. 

पांडे: यह बढ़िया रहेगा, आप कल दोपहर को अपनी सेक्रेटरी के साथ मेरे बंगलो पर ही आ जायें, वहीं पेर एक छोटी सी पार्टी भी हो जाएगी और काम की बात भी कर लेंगे. 

वीरेंदर: सर, मैं तो आ जाउन्गा लेकिन मेरी सेक्रेटरी शायद ना आ पाए. 

पांडे(रौबदार आवाज़ मैं): देखिए मिस्टर. शर्मा, मैं आपसे रिक्वेस्ट नहीं कर रहा, यह मेरा ऑर्डर है. सेक्रेटरी को ले आइए और टेंडर के डॉक्युमेंट्स पर सिग्नेचर ले जाइए. डील पसंद आए तो कल दोपहर 1:00 बजे मैं आपका इंतज़ार करूँगा वरना केपर अभी भी लाइन मे है. यह कह कर पांडे ने फोन काट दिया. 

वीरेंदर के चेहरे पर चिंता की लकीरें सॉफ उभर आई थी. 

रागिनी: आप चिंता ना करें, मैं साथ चलूंगी. 

वीरेंदर: पागल मत बनो, तुम जानती हो उसकी क्या डिमॅंड होगी????

रागिनी: आइ नो, ट्रस्ट मी, ही विल डेफनेट्ली साइन दा डॉक्युमेंट्स . 

वीरेंदर: बट......

रागिनी: डॉन'ट वरी, ही ईज़ टू ओल्ड टू हॅंडल मी.

वीरेंदर: आर यू स्योर, यू वाना गो वित मी ????????

रागिनी: आब्सोल्यूट्ली, इन आ प्राइवेट सेक्टर, यू हॅव टू कॉंप्रमाइज़ लिट्ल बिट. 

वीरेंदर: यू आर अमेज़िंग्ली बोल्ड रागिनी. 
 
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