hotaks444
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बिहारी ने उसे सारी बात बताई तो रागिनी मुस्कुराइ और बोली "अब देखना थोड़ी ही देर में वीरेंदर मेरे कमरे में होगा".
बिहारी: लेकिन, नींद की गोलियाँ मैने आशना को खिलाई और घोड़े बेच कर साला वीरेंदर सो रहा है, मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा.
रागिनी(कुछ याद करते हुए): कहीं आपने नींद की गोलियाँ मटन की कटोरी में तो नहीं डाली थी.
बिहारी: क्या??? हां, मेरा मतलब तुम्हे कैसे पता????
रागिनी: हो गया सत्यानाश. आपके जाने के बाद तो मटन की कटोरी तो उन दोनो ने एक्सचेंज कर ली थी.
बिहारी ने जब यह सुना तो धडाम से सोफे पेर बैठ गया.
रागिनी: क्या हुआ????
बिहारी: होना क्या है, अब तो वो सुबह ही उठेगा. अब हो गया आज की रात का सत्यानाश.
रागिनी(बिहारी के चेहरे पेर उंगली फिराते हुए): अभी रात ख़तम कहाँ हुई है, अभी तो यह भी मेरी तरह जवान है और मेरा पति मेरे साथ है.
बिहारी(मन में): इस से अच्छा तो यह होता कि साली नींद की गोलियाँ इसे ही दे देता. अब यहाँ यह चूत की आग से भड़क रही है और वहाँ आशना की चूत भी लार टपका रही होगी.
बिहारी: आज की रात हम कुछ नहीं कर पाएँगे, आशना अभी तक जागी हुई है. कहीं उसे शक ना हो जाए.
रागिनी: उसे कैसे पता चलेगा कि आप मेरे कमरे मैं हो.
बिहारी: नींद तो उसे भी नहीं आएगी आज की रात, मैं जानता हूँ. आख़िर वीरेंदर ने उसे आज की रात फिर से तड़प्ता जो छोड़ दिया.
रागिनी, बिहारी का हाथ पकेड़ते हुए उसे बेड पर ले जाती है और बोलती है: अगर उसने नीचे आकर हमे देख भी लिया तो आप उसे पकड़ कर यहीं चोद देना, मैं बिल्कुल बुरा नहीं मानूँगी.
बिहारी ने रागिनी को गले से लगा लिया और बोला: ऐसी बातें मत कर पगली, मुझे कुछ हो जाता है.
रागिनी: मैं समझ सकती हूँ विराट. वीरेंदर के साथ आज ऑफीस में मुझे भी कुछ अलग ही रोमांच हुआ था.
बिहारी: अगर आज वीरेंदर यहाँ आ जाता तो क्या तुम भी उस से चुदवा लेती.
रागिनी ने बिहारी को कस कर भींच लिया और शरमा कर धीरे से हां मे गर्दन हिलाई. बिहारी के हाथ एक दम से रागिनी के नितंबों पर चले गये और वो उन्हे मसल्ने लगा.
रागिनी: आह विराट, मेरी प्यास भुजा दो, प्लीज़ मैं बहुत प्यासी हूँ.
बिहारी: जानता हूँ रागिनी कि तुम बहुत प्यासी हो और उपर आशना भी इस वक्त काफ़ी प्यासी होगी.
रागिनी: तो मुझे आशना समझ कर चोद ले बिहारी.
इतना सुनते ही बिहारी के लंड ने एक हुंकार भरी और उसके लंड मैं तनाव आने लगा.
रागिनी: चोद दो अपनी आशना को काका, बहुत तड़प रही है इसकी चूत.
बिहारी: हां आशना, मैं तुम्हे ज़रूर चोदुन्गा, आज सारी रात तुम्हारी चूत और गान्ड बजाउन्गा, तू चिंता ना कर.
रागिनी(खुशी से बिहारी की आँखो में देखते हुए): सच काका?????
बिहारी: हां आशना सच, आज तेरी प्यास जी भर कर भुजा दूँगा मैं.
दोनो के कपड़े उनके जिस्मों से कब जुदा हुए और कब बिहारी ने अपना फनफनाता हुआ लोड्ा रागिनी की गरम चूत मे पेला उन्हे पता ही नहीं चला. कमरे मे एक दम से तूफान आ गया. रागिनी दो बार झड चुकी थी लेकिन बिहारी बिना रुके रागिनी को लगातार चोदे जा रहा था.
जिस वक्त बिहारी और रागिनी कमरे मैं धुआँधार चुदाई कर रहे थे, ठीक उसी वक्त एक साया किचन से निकल कर हाल में दाखिल हुआ. दबे पावं पहले तो वो सीडीयों की तरफ बढ़ा लेकिन फिर रागिनी के कमरे से आती थप थप की आवाज़ सुनकर वो साया उस कमरे की तरफ चल पड़ा. रागिनी के कमरे का दरवाज़ा अभी भी खुला हुआ था और वो साया ठीक दरवाज़े के पास खड़ा होकर अंदर का नज़ारा देखने लगा. काफ़ी देर तक वो साया बिना किसी हरकत के वहीं खड़ा रहा.
तभी रागिनी की नज़र दरवाज़े की तरफ पड़ी और वो एक दम चौंक गई.
रागिनी: आआहह, विराट कोई है, पीछे कोई है.
इस से पहले के बिहारी पीछे देखता, वो साया तेज़ी से पीछे की ओर हुआ और कहीं गायब हो गया. बिहारी ने पहले रागिनी की तरफ देखा, फिर दरवाज़े की तरफ देखा और फिर दोबारा से रागिनी की तरफ.
बिहारी: कोई नहीं है रागी, तुम्हारा वहम है और यह कहकर उसने फिर से धक्के लगाने शुरू कर दिए.
रागिनी: आह, विराट एक मिनट रूको तो सही, सच मैं कोई था दरवाज़े पर.
बिहारी गुस्से से रागिनी के उपर से उठा और बोला: साली तेरा हो गया तो अब बहाने बनाती है.
रागिनी: नहीं विराट, सच में कोई था वहाँ पर.
बिहारी: ज़्यादा नाटक मत कर. अब वीरेंदर का लोड्ा पसंद आ गया है तो मेरे लोड्े से चुदने में मज़ा नहीं आ रहा तो बहाने बनाती है.
इतना सुनते ही रागिनी की आँखो मे नमी उतर आई.
रागिनी: प्लीज़ विराट ऐसा मत कहिए. यह सब मैं आप के लिए ही तो कर रही हूँ.
बिहारी: चुप कर साली, मेरे लिए नहीं बल्कि तू यह सब अपनी चूत की खुजली मिटाने के लिए कर रही है. मैने तो सिर्फ़ तुझे वीरेंदर को फ़साकर प्रॉपर्टी के काग़ज़ बदलवाने के लिए बोला था मगर तूने तो दो दिन में ही उसका लोड्ा भी चूस लिया और आज अगर वो ग़लती से नींद की गोलियाँ ना खा गया होता तो अब तक तो उसे अपनी चूत में निगल भी गयी होती.
बिहारी: लेकिन, नींद की गोलियाँ मैने आशना को खिलाई और घोड़े बेच कर साला वीरेंदर सो रहा है, मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा.
रागिनी(कुछ याद करते हुए): कहीं आपने नींद की गोलियाँ मटन की कटोरी में तो नहीं डाली थी.
बिहारी: क्या??? हां, मेरा मतलब तुम्हे कैसे पता????
रागिनी: हो गया सत्यानाश. आपके जाने के बाद तो मटन की कटोरी तो उन दोनो ने एक्सचेंज कर ली थी.
बिहारी ने जब यह सुना तो धडाम से सोफे पेर बैठ गया.
रागिनी: क्या हुआ????
बिहारी: होना क्या है, अब तो वो सुबह ही उठेगा. अब हो गया आज की रात का सत्यानाश.
रागिनी(बिहारी के चेहरे पेर उंगली फिराते हुए): अभी रात ख़तम कहाँ हुई है, अभी तो यह भी मेरी तरह जवान है और मेरा पति मेरे साथ है.
बिहारी(मन में): इस से अच्छा तो यह होता कि साली नींद की गोलियाँ इसे ही दे देता. अब यहाँ यह चूत की आग से भड़क रही है और वहाँ आशना की चूत भी लार टपका रही होगी.
बिहारी: आज की रात हम कुछ नहीं कर पाएँगे, आशना अभी तक जागी हुई है. कहीं उसे शक ना हो जाए.
रागिनी: उसे कैसे पता चलेगा कि आप मेरे कमरे मैं हो.
बिहारी: नींद तो उसे भी नहीं आएगी आज की रात, मैं जानता हूँ. आख़िर वीरेंदर ने उसे आज की रात फिर से तड़प्ता जो छोड़ दिया.
रागिनी, बिहारी का हाथ पकेड़ते हुए उसे बेड पर ले जाती है और बोलती है: अगर उसने नीचे आकर हमे देख भी लिया तो आप उसे पकड़ कर यहीं चोद देना, मैं बिल्कुल बुरा नहीं मानूँगी.
बिहारी ने रागिनी को गले से लगा लिया और बोला: ऐसी बातें मत कर पगली, मुझे कुछ हो जाता है.
रागिनी: मैं समझ सकती हूँ विराट. वीरेंदर के साथ आज ऑफीस में मुझे भी कुछ अलग ही रोमांच हुआ था.
बिहारी: अगर आज वीरेंदर यहाँ आ जाता तो क्या तुम भी उस से चुदवा लेती.
रागिनी ने बिहारी को कस कर भींच लिया और शरमा कर धीरे से हां मे गर्दन हिलाई. बिहारी के हाथ एक दम से रागिनी के नितंबों पर चले गये और वो उन्हे मसल्ने लगा.
रागिनी: आह विराट, मेरी प्यास भुजा दो, प्लीज़ मैं बहुत प्यासी हूँ.
बिहारी: जानता हूँ रागिनी कि तुम बहुत प्यासी हो और उपर आशना भी इस वक्त काफ़ी प्यासी होगी.
रागिनी: तो मुझे आशना समझ कर चोद ले बिहारी.
इतना सुनते ही बिहारी के लंड ने एक हुंकार भरी और उसके लंड मैं तनाव आने लगा.
रागिनी: चोद दो अपनी आशना को काका, बहुत तड़प रही है इसकी चूत.
बिहारी: हां आशना, मैं तुम्हे ज़रूर चोदुन्गा, आज सारी रात तुम्हारी चूत और गान्ड बजाउन्गा, तू चिंता ना कर.
रागिनी(खुशी से बिहारी की आँखो में देखते हुए): सच काका?????
बिहारी: हां आशना सच, आज तेरी प्यास जी भर कर भुजा दूँगा मैं.
दोनो के कपड़े उनके जिस्मों से कब जुदा हुए और कब बिहारी ने अपना फनफनाता हुआ लोड्ा रागिनी की गरम चूत मे पेला उन्हे पता ही नहीं चला. कमरे मे एक दम से तूफान आ गया. रागिनी दो बार झड चुकी थी लेकिन बिहारी बिना रुके रागिनी को लगातार चोदे जा रहा था.
जिस वक्त बिहारी और रागिनी कमरे मैं धुआँधार चुदाई कर रहे थे, ठीक उसी वक्त एक साया किचन से निकल कर हाल में दाखिल हुआ. दबे पावं पहले तो वो सीडीयों की तरफ बढ़ा लेकिन फिर रागिनी के कमरे से आती थप थप की आवाज़ सुनकर वो साया उस कमरे की तरफ चल पड़ा. रागिनी के कमरे का दरवाज़ा अभी भी खुला हुआ था और वो साया ठीक दरवाज़े के पास खड़ा होकर अंदर का नज़ारा देखने लगा. काफ़ी देर तक वो साया बिना किसी हरकत के वहीं खड़ा रहा.
तभी रागिनी की नज़र दरवाज़े की तरफ पड़ी और वो एक दम चौंक गई.
रागिनी: आआहह, विराट कोई है, पीछे कोई है.
इस से पहले के बिहारी पीछे देखता, वो साया तेज़ी से पीछे की ओर हुआ और कहीं गायब हो गया. बिहारी ने पहले रागिनी की तरफ देखा, फिर दरवाज़े की तरफ देखा और फिर दोबारा से रागिनी की तरफ.
बिहारी: कोई नहीं है रागी, तुम्हारा वहम है और यह कहकर उसने फिर से धक्के लगाने शुरू कर दिए.
रागिनी: आह, विराट एक मिनट रूको तो सही, सच मैं कोई था दरवाज़े पर.
बिहारी गुस्से से रागिनी के उपर से उठा और बोला: साली तेरा हो गया तो अब बहाने बनाती है.
रागिनी: नहीं विराट, सच में कोई था वहाँ पर.
बिहारी: ज़्यादा नाटक मत कर. अब वीरेंदर का लोड्ा पसंद आ गया है तो मेरे लोड्े से चुदने में मज़ा नहीं आ रहा तो बहाने बनाती है.
इतना सुनते ही रागिनी की आँखो मे नमी उतर आई.
रागिनी: प्लीज़ विराट ऐसा मत कहिए. यह सब मैं आप के लिए ही तो कर रही हूँ.
बिहारी: चुप कर साली, मेरे लिए नहीं बल्कि तू यह सब अपनी चूत की खुजली मिटाने के लिए कर रही है. मैने तो सिर्फ़ तुझे वीरेंदर को फ़साकर प्रॉपर्टी के काग़ज़ बदलवाने के लिए बोला था मगर तूने तो दो दिन में ही उसका लोड्ा भी चूस लिया और आज अगर वो ग़लती से नींद की गोलियाँ ना खा गया होता तो अब तक तो उसे अपनी चूत में निगल भी गयी होती.