hotaks444
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आशना परेशान थी कि यह बात कैसे कन्फर्म हो कि बीना और वीरेंदर के बीच अभी तक कोई जिस्मानी संभंध बना है या नहीं. आशना ने फिर से बिहारी को ही इस बारे मे चालाकी से पूछने का डिसाइड किया. वो समझती थी कि बिहारी एक बहुत ही सीधा साधा वफ़ादार नौकर है और वो उसकी मदद ज़रूर करेगा. अपने मन मैं बीना को गुनहगार मानकर, वीरेंदर को बेनेफिट ऑफ डाउट देकर और बिहारी की मदद लेने की सोच कर आशना काफ़ी देर तक सोचती रही कि अब उसका अगला कदम क्या होगा.
काफ़ी देर तक सोचते रहने के बाद उसने तय कर लिया कि उसे क्या करना है और फिर वो वीरेंदर के कॅबिन मे आ गई. वीरेंदर चैन की नींद सो रहा था. वीरेंदर के चेहरे पर दाढ़ी उभर आई थी. लेकिन इस अवस्था मे भी वो काफ़ी इनोसेंट लग रहा था.
आशना(मन मे सोचते हुए): वीरेंदर, आपको नहीं पता कि बीना का साथ देकर आप एक बहुत बड़ी साजिश मे फस रहे हैं. लेकिन अब मैं आ गई हूँ तो अब सब संभाल लूँगी, चाहे इसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े. मैं आपको हर वो सुख दूँगी जो बीना अभी तक आपको देती आई या सिर्फ़ देने का वादा किया है. मैं आपसे प्यार करती हूँ वीरेंदर और मैं यह भी जानती हूँ कि आप भी मुझ से प्यार करते हो.
आशना ने सारी रात कुर्सी पर बैठ कर काटी. सुबह जब वीरेंदर जागा तो आशना कुर्सी बैठी बैठी सोई गई थी. उसका मासूम चेहरा देख कर सॉफ पता लगता था कि वो काफ़ी थकि हुई है. वीरेंदर आशना के मासूम चेहरे मे खो गया और अपने आप से बोला: आशना मैं बहुत शर्मिंदा हूँ कि मेरी ज़िंदगी मे तुम्हारे आने के बावजूद भी मैं बीना से दूर जा ना सका. मैं जानता हूँ कि तुम्हारे लिए मुझे माफ़ करना बहुत मुश्किल है मगर तुम शायद मेरी हालत शायद जानती नही हो. मैं कभी कभी बिल्कुल जानवर बन जाता हूँ और उस वक्त मेरे सामने कोई भी औरत आ जाए तो मैं अपने आप को रोक नहीं पाता. मुझे नहीं पता कि मुझे क्या हो जाता है लेकिन मैं चाहता हूँ कि जब भी मेरी ऐसी हालत तो तो तुम मेरे साथ हो ताकि मैं बहक ना जाउ. तुम मेरे साथ रहोगी तो मैं जानता हूँ तुम मुझे संभाल लोगि.
वीरेंदर ने देखा कि चेयर के सामने वाले टेबल पर आशना का मोबाइल पड़ा है, वीरेंदर ने धीरे से मोबाइल को उठाया और उस मोबाइल से अपना नंबर. डाइयल किया. फिर अपनी जगह पर आकर उसने आशना के नंबर. पर मेसेज किया और खुद सोने का बहाना करने लगा.
मेसेज टोन बजने से आशना की नींद टूटी. आशना ने मेसेज खोलकर देखा तो हैरान रह गई(आशना के पास अब तक वीरेंदर का नंबर. नहीं था). मेसेज मे लिखा था "थॅंक्स आशना". आशना ने गौर से नंबर. देखा लेकिन यह नंबर. उसने पहली कभी नहीं देखा था. वो हैरान रह गई कि किसी ने उसे उसके नाम से मेसेज किया और थॅंक्स भी कहा लेकिन किसने??? तभी वीरेंदर पर उसकी नज़र पड़ी तो वीरेंदर मुस्कुराते हुए उसे देख रहा था. इस से पहले के वो कुछ समझ पति, उसकी मेसेज टोन फिर से बजी. आशना ने फॉरन मेसेज खोला तो लिखा था "देल्ही चल कर तो मेरे साथ ही बेड पर सोना है, आख़िर कब तक दूर रहोगी". मेसेज पढ़ते ही आशना ने वीरेंदर की तरफ देखा और बड़ी अदा से कमर पर हाथ रखकर कहा "जा जा" और यह कह कर आशना बाहर निकल आई और दो कप चाइ लेकर आ गई. करीब 10:00 बजे दोनो हाथ मुँह धोकर फ्रेश हो चुके थे. डॉक्टर. ने आख़िरी बार वीरेंदर का चेकप किया और उसे डिसचार्ज कर दिया. जाते जाते डॉक्टर. ने आशना को हिदायत दी कि ध्यान रहे कि वीरेंदर अब अपफ़्रोडियासिक की डोज ना ले, नहीं तो परिणाम बहुत ख़तरनाक हो सकते हैं. डॉक्टर. ने उसे दवाइयों के बारे मे समझा दिया और कहा कि 7 दिन के बाद दवाइयाँ खिलाना बंद कर देना. डॉक्टर. ने वीरेंदर के लिए लिक्विड डाइयेट पर ज़ोर दिया जिस से उसके ब्लड की थिकनेस मे कमी आए.
आशना: डॉक्टर. क्या वीरेंदर के ब्लड की थिकनेस बिल्कुल ठीक हो सकती है.
डॉक्टर.: ऑफ कोर्स हो सकती है बस आप दोनो जल्दी से शादी कर लें, उसके बाद सब ठीक हो जाएगा.
डॉक्टर. का जवाब सुनकर आशना झेंप गई. डॉक्टर.: इट'स ओके बेटा शरमाने की ज़रूरत नहीं है बस याद रहे कि यह कोई बीमारी नहीं है और शादी के बाद तो यह डिसॉर्डर भी दूर हो जाएगा.
दोपहर करीब 11:30 बजे दोनो मोनू के होटेल पर पहुँचे और उन्होने बर्तन मोनू के पिता जी को दे दिए और वहीं पर लंच भी कर लिया. वीरेंदर ने होटेल मे जाकर अपना बॅग लिया और पेमेंट कर दी.मौसम काफ़ी खराब था. दोपहर के टाइम भी ऐसा लग रहा था कि शाम के का समय है. आशना ने प्रिया के साथ फोन पर बात की और उसे देल्ही आने का इन्विटेशन देकर दोनो टॅक्सी लेकर एरपोर्ट की तरफ चल दिए. एरपोर्ट पहुँच कर उन्हे पता चला कि खराब मौसम के कारण फ्लाइट कॅन्सल कर दी गई है और नेक्स्ट फ्लाइट की सभी टिकेट्स बुक हैं.
आशना: अब हम घर कैसे पहुँचेंगे????
वीरेंदर: क्या आज घर जाना ज़रूरी है.
आशना: मतलब????
वीरेंदर: मैं तो कहता हूँ कि आज हम किसी होटेल मे रुक जाते है, तुम भी आराम कर लो. हम कल सुबह की फ्लाइट से निकल जाएँगे.
आशना: जी नहीं, मुझे आपके साथ होटेल में नहीं रुकना.
वीरेंदर: यार तुम तो मेरे पीछे ही पड़ गई. मैं तो कह रहा हूँ कि तुम अलग कमरे मे और मैं अलग कमरे मे रुकेंगे और तुम हो कि मेरे साथ ही रुकना चाहती हो.
आशना, वीरेंदर की बात सुनकर मुस्कुरा दी और बोली: अगर ऐसा है तो आइडिया बुरा नहीं है. वहाँ जाकर मैं थोड़ी देर रेस्ट भी कर लूँगी और शाम को फ्रेश होकर तुम मुझे थोड़ी देर बॅंगलॉर घुमा भी लेना.
वीरेंदर: अए मिस, मैं भला आपको क्यूँ घुमाने क्यूँ ले जाउ???
आशना(भोले पन से): नहीं घूमाओगे????
वीरेंदर: हए, इतने प्यार से बोलोगि तो मैं तो तुम्हे उठाकर सारी दुनिया घुमा लाउ, बॅंगलॉर क्या चीज़ है.
आशना: रहने दो, रहने दो, मुझे उठाना तुम्हारे बस मे नहीं, बहुत मोटी हूँ मैं.
वीरेंदर: वो तो है, पर बिल्कुल सही जगह से शरीर ने भारी पन लिया है.
आशना: यू..... शेम्लेस, जाओ मैं तुमसे बात नहीं करती.
वीरेंदर: चलो जान छूटी. कम से कम मुझे शांति तो मिलेगी और यह कह कर वीरेंदर टॅक्सी स्टॅंड की तरफ मूड गया.
आशना, वीरेंदर के पीछे पीछे चलते हुए: शांति तो मैं तुम्हारी अब भंग करूँगी, तुमने मुझे समझ क्या रखा है.
काफ़ी देर तक सोचते रहने के बाद उसने तय कर लिया कि उसे क्या करना है और फिर वो वीरेंदर के कॅबिन मे आ गई. वीरेंदर चैन की नींद सो रहा था. वीरेंदर के चेहरे पर दाढ़ी उभर आई थी. लेकिन इस अवस्था मे भी वो काफ़ी इनोसेंट लग रहा था.
आशना(मन मे सोचते हुए): वीरेंदर, आपको नहीं पता कि बीना का साथ देकर आप एक बहुत बड़ी साजिश मे फस रहे हैं. लेकिन अब मैं आ गई हूँ तो अब सब संभाल लूँगी, चाहे इसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े. मैं आपको हर वो सुख दूँगी जो बीना अभी तक आपको देती आई या सिर्फ़ देने का वादा किया है. मैं आपसे प्यार करती हूँ वीरेंदर और मैं यह भी जानती हूँ कि आप भी मुझ से प्यार करते हो.
आशना ने सारी रात कुर्सी पर बैठ कर काटी. सुबह जब वीरेंदर जागा तो आशना कुर्सी बैठी बैठी सोई गई थी. उसका मासूम चेहरा देख कर सॉफ पता लगता था कि वो काफ़ी थकि हुई है. वीरेंदर आशना के मासूम चेहरे मे खो गया और अपने आप से बोला: आशना मैं बहुत शर्मिंदा हूँ कि मेरी ज़िंदगी मे तुम्हारे आने के बावजूद भी मैं बीना से दूर जा ना सका. मैं जानता हूँ कि तुम्हारे लिए मुझे माफ़ करना बहुत मुश्किल है मगर तुम शायद मेरी हालत शायद जानती नही हो. मैं कभी कभी बिल्कुल जानवर बन जाता हूँ और उस वक्त मेरे सामने कोई भी औरत आ जाए तो मैं अपने आप को रोक नहीं पाता. मुझे नहीं पता कि मुझे क्या हो जाता है लेकिन मैं चाहता हूँ कि जब भी मेरी ऐसी हालत तो तो तुम मेरे साथ हो ताकि मैं बहक ना जाउ. तुम मेरे साथ रहोगी तो मैं जानता हूँ तुम मुझे संभाल लोगि.
वीरेंदर ने देखा कि चेयर के सामने वाले टेबल पर आशना का मोबाइल पड़ा है, वीरेंदर ने धीरे से मोबाइल को उठाया और उस मोबाइल से अपना नंबर. डाइयल किया. फिर अपनी जगह पर आकर उसने आशना के नंबर. पर मेसेज किया और खुद सोने का बहाना करने लगा.
मेसेज टोन बजने से आशना की नींद टूटी. आशना ने मेसेज खोलकर देखा तो हैरान रह गई(आशना के पास अब तक वीरेंदर का नंबर. नहीं था). मेसेज मे लिखा था "थॅंक्स आशना". आशना ने गौर से नंबर. देखा लेकिन यह नंबर. उसने पहली कभी नहीं देखा था. वो हैरान रह गई कि किसी ने उसे उसके नाम से मेसेज किया और थॅंक्स भी कहा लेकिन किसने??? तभी वीरेंदर पर उसकी नज़र पड़ी तो वीरेंदर मुस्कुराते हुए उसे देख रहा था. इस से पहले के वो कुछ समझ पति, उसकी मेसेज टोन फिर से बजी. आशना ने फॉरन मेसेज खोला तो लिखा था "देल्ही चल कर तो मेरे साथ ही बेड पर सोना है, आख़िर कब तक दूर रहोगी". मेसेज पढ़ते ही आशना ने वीरेंदर की तरफ देखा और बड़ी अदा से कमर पर हाथ रखकर कहा "जा जा" और यह कह कर आशना बाहर निकल आई और दो कप चाइ लेकर आ गई. करीब 10:00 बजे दोनो हाथ मुँह धोकर फ्रेश हो चुके थे. डॉक्टर. ने आख़िरी बार वीरेंदर का चेकप किया और उसे डिसचार्ज कर दिया. जाते जाते डॉक्टर. ने आशना को हिदायत दी कि ध्यान रहे कि वीरेंदर अब अपफ़्रोडियासिक की डोज ना ले, नहीं तो परिणाम बहुत ख़तरनाक हो सकते हैं. डॉक्टर. ने उसे दवाइयों के बारे मे समझा दिया और कहा कि 7 दिन के बाद दवाइयाँ खिलाना बंद कर देना. डॉक्टर. ने वीरेंदर के लिए लिक्विड डाइयेट पर ज़ोर दिया जिस से उसके ब्लड की थिकनेस मे कमी आए.
आशना: डॉक्टर. क्या वीरेंदर के ब्लड की थिकनेस बिल्कुल ठीक हो सकती है.
डॉक्टर.: ऑफ कोर्स हो सकती है बस आप दोनो जल्दी से शादी कर लें, उसके बाद सब ठीक हो जाएगा.
डॉक्टर. का जवाब सुनकर आशना झेंप गई. डॉक्टर.: इट'स ओके बेटा शरमाने की ज़रूरत नहीं है बस याद रहे कि यह कोई बीमारी नहीं है और शादी के बाद तो यह डिसॉर्डर भी दूर हो जाएगा.
दोपहर करीब 11:30 बजे दोनो मोनू के होटेल पर पहुँचे और उन्होने बर्तन मोनू के पिता जी को दे दिए और वहीं पर लंच भी कर लिया. वीरेंदर ने होटेल मे जाकर अपना बॅग लिया और पेमेंट कर दी.मौसम काफ़ी खराब था. दोपहर के टाइम भी ऐसा लग रहा था कि शाम के का समय है. आशना ने प्रिया के साथ फोन पर बात की और उसे देल्ही आने का इन्विटेशन देकर दोनो टॅक्सी लेकर एरपोर्ट की तरफ चल दिए. एरपोर्ट पहुँच कर उन्हे पता चला कि खराब मौसम के कारण फ्लाइट कॅन्सल कर दी गई है और नेक्स्ट फ्लाइट की सभी टिकेट्स बुक हैं.
आशना: अब हम घर कैसे पहुँचेंगे????
वीरेंदर: क्या आज घर जाना ज़रूरी है.
आशना: मतलब????
वीरेंदर: मैं तो कहता हूँ कि आज हम किसी होटेल मे रुक जाते है, तुम भी आराम कर लो. हम कल सुबह की फ्लाइट से निकल जाएँगे.
आशना: जी नहीं, मुझे आपके साथ होटेल में नहीं रुकना.
वीरेंदर: यार तुम तो मेरे पीछे ही पड़ गई. मैं तो कह रहा हूँ कि तुम अलग कमरे मे और मैं अलग कमरे मे रुकेंगे और तुम हो कि मेरे साथ ही रुकना चाहती हो.
आशना, वीरेंदर की बात सुनकर मुस्कुरा दी और बोली: अगर ऐसा है तो आइडिया बुरा नहीं है. वहाँ जाकर मैं थोड़ी देर रेस्ट भी कर लूँगी और शाम को फ्रेश होकर तुम मुझे थोड़ी देर बॅंगलॉर घुमा भी लेना.
वीरेंदर: अए मिस, मैं भला आपको क्यूँ घुमाने क्यूँ ले जाउ???
आशना(भोले पन से): नहीं घूमाओगे????
वीरेंदर: हए, इतने प्यार से बोलोगि तो मैं तो तुम्हे उठाकर सारी दुनिया घुमा लाउ, बॅंगलॉर क्या चीज़ है.
आशना: रहने दो, रहने दो, मुझे उठाना तुम्हारे बस मे नहीं, बहुत मोटी हूँ मैं.
वीरेंदर: वो तो है, पर बिल्कुल सही जगह से शरीर ने भारी पन लिया है.
आशना: यू..... शेम्लेस, जाओ मैं तुमसे बात नहीं करती.
वीरेंदर: चलो जान छूटी. कम से कम मुझे शांति तो मिलेगी और यह कह कर वीरेंदर टॅक्सी स्टॅंड की तरफ मूड गया.
आशना, वीरेंदर के पीछे पीछे चलते हुए: शांति तो मैं तुम्हारी अब भंग करूँगी, तुमने मुझे समझ क्या रखा है.