hotaks444
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रागिनी: दीदी, आपके तो पहले ही मुझ पर बहुत एहसान हैं. एक और एहसान करके आपने मुझे अपनी ही नज़रों मे गिरने से बचा लिया. ज़िंदगी में शायद ही मैं कभी अपने आप से नज़रें मिला सकूँ लेकिन आपने मुझे दुनिया के सामने शर्मिंदा होने से बचा लिया है.
आशना: तो फिर हमें कल से ही सारी तैयारियाँ शुरू कर देनी चाहिए. वीरेंदर, बड़ा भाई होने के नाते तुम्हारा कन्यादान करेगा. 11 नवंबर. के दिन इस घर से एक लड़की जाएगी और एक लड़की हमेशा के लिए इस घर मे आएगी.
रागिनी हैरानी से आशना की तरफ देखने लगी.
आशना: सोच रही हूँ कि अब मैं भी वीरेंदर के साथ शादी कर ही लून वरना पता नहीं लोग हमारे बारे में क्या क्या बातें करेंगे. इसी बहाने तुम्हे एक भाभी और तुम्हारे भैया को एक बीवी मिल जाएगी.
आशना की बात सुनते ही रागिनी के होंठों पर एक स्माइल आ गयी और दोनो खिलखिलाकर हंस पड़ी.
बेहोशी के इंजेक्षन के कारण बिहारी को सुबह काफ़ी देर तक होश नहीं आया. मेंटली डिस्टर्ब्ड तो वो पहले से ही था उसपर बेहोशी के दो दो इंजेक्षन्स ने उसे अगले दिन भी जकड रखा था. वीरेंदर घर से निकल चुका था.
आशना: रागिनी, बिहारी को तुम जगाओगी या मैं जगा दूं?
रागिनी: अगर मैं जगाने गयी तो शायद वो फिर कभी उठ ही ना पाए. अच्छा होगा कि अगर आप ही उसे जगा दें.
आशना, बिहारी के कमरे मे गयी तो वो हैरान रह गयी. बिहारी अपने बिस्तर पर नहीं था. आशना का दिल ज़ोरों से धड़कने लगा. आशना ने झट से मोबाइल जेब से निकाला और वीरेंदर का नंबर. डाइयल किया ही था कि उसकी नज़र अपने सामने लगे मिरर पर पड़ी.
अपने पीछे पड़े सोफे की बगल मे बिहारी को छुपे हुए देख कर आशना एक दम घबरा गयी. आशना ने झट से पीछे मुड़कर बिहारी को देखा. जैसे ही दोनो की नज़रें मिली, बिहारी का जिस्म काँपने लगा. ज़ुबान थरथराने लगी.
बिहारी: म.....मा.......मत मार...मारो मुझे. म.....मैने कुछ नहीं किया.
आशना ने बिहारी की तरफ कदम आगे बढ़ाया तो बिहारी की आँखों मे खोफ़ उतर आया. वो एक दम चिल्लाने लगा.
बिहारी: त.....तुम ज़िंदा नहीं हो सकती. त..तू....तुम्हे मैने अपने हाथों से मारा था. त....तू.....तुम रागिनी नहीं हो.
आशना: काका होश मे आओ, मैं आशना हूँ रागिनी नहीं.
बिहारी: न...नहीं तुम रागिनी हो, तुम रूप बदल कर आई हो. तुम रागिनी का भूत हो. तुम जानती हो कि मैं आशना को कभी कोई नुकसान नहीं पहुन्चाउन्गा इसी लिए तुम आशना के रूप मे आई हो.
आशना: काका, क्या हो गया है आपको.
बिहारी: चुप का साली, तुझे क्या लगा मैं तुझे पहचान नहीं पाउन्गा, देख अपने चेहरे की तरफ. आशना के कपड़े पहन लेने से क्या तू आशना बन जाएगी.
आशना ने मुड़कर अपने चेहरे की तरफ देखा और फिर दोबारा बिहारी की तरफ देखा.
आशना: काका, मैं आशना ही हूँ.
बिहारी: द.....दे.....देख तेरा चहरा बदल रहा है. तू...तू बीना बन गयी, देख आईने मे तेरा चहरा कैसे बदल रहा है.
आशना ने एक बार फिर से आईने में अपने आप को देखा लेकिन उसे अपने चेहरे में कुछ भी फरक नज़र नहीं आया.
बिहारी बुरी तरह से मेंटली डिस्टर्ब्ड हो चुका था.
आशना: काका, मैं आपकेलिए नाश्ता लाती हूँ, आप फ्रेश हो जाइए.
यह कहकर आशना उसके रूम से बाहर आ गयी. अपने रूम में जाकर उसके रागिनी को सारी बात बताई और फिर वीरेंदर को भी फोन पर सारी बात बता दी. उनका प्लान बहुत जल्द असर दिखा रहा था. जिस मकसद से उन्होने बिहारी के खिलाफ चाल चली थी वो कामयाब होती नज़र आ रही थी. वीरेंदर ने उन्हे समझा दिया कि अब आगे क्या करना है.
रागिनी को यही बताया गया था कि बिहारी को पागल बनाकर वो उसे उसके चंगुल से आसानी से छुड़ा सकते हैं क्यूंकी एक बार कोर्ट ने बिहारी को पागल करार दे दिया तो उसे बिहारी से आसानी से तलाक़ मिल जाएगा और फिर वो मोहित के साथ मिलकर नयी ज़िंदगी शुरू कर सकती है. वैसे भी बिहारी के पापों का घड़ा भर चुका था, अब उसका अंत करने मे ही भलाई थी. पाप का अंत भी हो जाए और किसी को नुकसान भी ना हो ऐसा प्लान करना बहुत ज़रूरी था और अब तक का उनका प्लान सफल होता हुआ नज़र आ रहा था.
आशना: तो फिर हमें कल से ही सारी तैयारियाँ शुरू कर देनी चाहिए. वीरेंदर, बड़ा भाई होने के नाते तुम्हारा कन्यादान करेगा. 11 नवंबर. के दिन इस घर से एक लड़की जाएगी और एक लड़की हमेशा के लिए इस घर मे आएगी.
रागिनी हैरानी से आशना की तरफ देखने लगी.
आशना: सोच रही हूँ कि अब मैं भी वीरेंदर के साथ शादी कर ही लून वरना पता नहीं लोग हमारे बारे में क्या क्या बातें करेंगे. इसी बहाने तुम्हे एक भाभी और तुम्हारे भैया को एक बीवी मिल जाएगी.
आशना की बात सुनते ही रागिनी के होंठों पर एक स्माइल आ गयी और दोनो खिलखिलाकर हंस पड़ी.
बेहोशी के इंजेक्षन के कारण बिहारी को सुबह काफ़ी देर तक होश नहीं आया. मेंटली डिस्टर्ब्ड तो वो पहले से ही था उसपर बेहोशी के दो दो इंजेक्षन्स ने उसे अगले दिन भी जकड रखा था. वीरेंदर घर से निकल चुका था.
आशना: रागिनी, बिहारी को तुम जगाओगी या मैं जगा दूं?
रागिनी: अगर मैं जगाने गयी तो शायद वो फिर कभी उठ ही ना पाए. अच्छा होगा कि अगर आप ही उसे जगा दें.
आशना, बिहारी के कमरे मे गयी तो वो हैरान रह गयी. बिहारी अपने बिस्तर पर नहीं था. आशना का दिल ज़ोरों से धड़कने लगा. आशना ने झट से मोबाइल जेब से निकाला और वीरेंदर का नंबर. डाइयल किया ही था कि उसकी नज़र अपने सामने लगे मिरर पर पड़ी.
अपने पीछे पड़े सोफे की बगल मे बिहारी को छुपे हुए देख कर आशना एक दम घबरा गयी. आशना ने झट से पीछे मुड़कर बिहारी को देखा. जैसे ही दोनो की नज़रें मिली, बिहारी का जिस्म काँपने लगा. ज़ुबान थरथराने लगी.
बिहारी: म.....मा.......मत मार...मारो मुझे. म.....मैने कुछ नहीं किया.
आशना ने बिहारी की तरफ कदम आगे बढ़ाया तो बिहारी की आँखों मे खोफ़ उतर आया. वो एक दम चिल्लाने लगा.
बिहारी: त.....तुम ज़िंदा नहीं हो सकती. त..तू....तुम्हे मैने अपने हाथों से मारा था. त....तू.....तुम रागिनी नहीं हो.
आशना: काका होश मे आओ, मैं आशना हूँ रागिनी नहीं.
बिहारी: न...नहीं तुम रागिनी हो, तुम रूप बदल कर आई हो. तुम रागिनी का भूत हो. तुम जानती हो कि मैं आशना को कभी कोई नुकसान नहीं पहुन्चाउन्गा इसी लिए तुम आशना के रूप मे आई हो.
आशना: काका, क्या हो गया है आपको.
बिहारी: चुप का साली, तुझे क्या लगा मैं तुझे पहचान नहीं पाउन्गा, देख अपने चेहरे की तरफ. आशना के कपड़े पहन लेने से क्या तू आशना बन जाएगी.
आशना ने मुड़कर अपने चेहरे की तरफ देखा और फिर दोबारा बिहारी की तरफ देखा.
आशना: काका, मैं आशना ही हूँ.
बिहारी: द.....दे.....देख तेरा चहरा बदल रहा है. तू...तू बीना बन गयी, देख आईने मे तेरा चहरा कैसे बदल रहा है.
आशना ने एक बार फिर से आईने में अपने आप को देखा लेकिन उसे अपने चेहरे में कुछ भी फरक नज़र नहीं आया.
बिहारी बुरी तरह से मेंटली डिस्टर्ब्ड हो चुका था.
आशना: काका, मैं आपकेलिए नाश्ता लाती हूँ, आप फ्रेश हो जाइए.
यह कहकर आशना उसके रूम से बाहर आ गयी. अपने रूम में जाकर उसके रागिनी को सारी बात बताई और फिर वीरेंदर को भी फोन पर सारी बात बता दी. उनका प्लान बहुत जल्द असर दिखा रहा था. जिस मकसद से उन्होने बिहारी के खिलाफ चाल चली थी वो कामयाब होती नज़र आ रही थी. वीरेंदर ने उन्हे समझा दिया कि अब आगे क्या करना है.
रागिनी को यही बताया गया था कि बिहारी को पागल बनाकर वो उसे उसके चंगुल से आसानी से छुड़ा सकते हैं क्यूंकी एक बार कोर्ट ने बिहारी को पागल करार दे दिया तो उसे बिहारी से आसानी से तलाक़ मिल जाएगा और फिर वो मोहित के साथ मिलकर नयी ज़िंदगी शुरू कर सकती है. वैसे भी बिहारी के पापों का घड़ा भर चुका था, अब उसका अंत करने मे ही भलाई थी. पाप का अंत भी हो जाए और किसी को नुकसान भी ना हो ऐसा प्लान करना बहुत ज़रूरी था और अब तक का उनका प्लान सफल होता हुआ नज़र आ रहा था.