hotaks444
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करीब एक घंटे बाद ही वहाँ एक स्कॉर्पियो खड़ी थी, जब असलम ने उन दोनो से चलने को कहा तो उन्होने उनके साथ आने से मना कर दिया,
फिर असलम ने उसे अपने ऑफीस का अड्रेस लिख कर दे दिया.. कल आकर मिलने का वादा लेकर वो दोनो वहाँ से निकल गये..
उन दोनो के जाने के 15 मिनिट बाद ही वो वॅन शहर की ओर जा रही थी, अब उस पर बाक़ायदा नंबर प्लेट थी…
कुच्छ देर बाद वो दोनो बंटी-बबली एक 3 स्टार होटेल के रूम में थे, और एक ही पलंग पर एक दूसरे की तरफ पीठ करके सो रहे थे…!
सुबह जब लड़के की आँख खुली तो उसने देखा कि पास सोई उसकी साथी लड़की की एक टाँग उसके उपर पड़ी थी, और एक हाथ उसके पेट पर था…
यह देख कर उसके चेहरे पर एक मीठी सी मुस्कान आगयि, और उसने धीरे से उसका हाथ और पैर अपने उपर से हटाए, और फ्रेश होने बाथ रूम में घुस गया…
बाहर आकर उसने दो चाय ऑर्डर की, जब चाय आगयि… तब उसने अपना एक हाथ उसके कंधे पर रख कर उसे सीधा किया और उसके माथे पर एक चुंबन लेकर उसे जगाया…
अरे उठो ! सुवह हो गयी, चाय पी लो…वो नींद में ही कुन्मुनाई, और उसका हाथ पकड़ कर अपने सीने में भींच लिया…
उसने फिर से आवाज़ दी और अपना हाथ खींचने लगा… वो उसके हाथ को और कस्ति हुई नींद में बड़बड़ाई…उउन्न्ं…सोने दो ना…भाई…
वो – उठो देखो कितना दिन निकल आया है, 9 बज गये… हमें असल्म के यहाँ भी जाना है…
कुच्छ देर की कोशिश के बाद वो उठ कर बैठ गयी, और उसने कहा – गुड मॉर्निंग भैया, और आगे उचक कर उसने उस युवक के गाल पर किस कर लिया…
चाय पीते हुए वो बोली – आप अकेले चले जाना, मे उस हराम्जादे की शक्ल भी नही देखना चाहती… अब तो मे सीधे उस कुत्ते के मूह पर थूकने ही जाउन्गि..
यह कहते -2 उसका सुंदर सा चेहरा लाल भभुका हो गया था, जिसे देख कर उस युवक ने फिर उसे और कुच्छ नही कहा…
उसके बाद वो दोनो तैयार हुए, और होटेल से बाहर आगये, अब वो युवक, वो रात वाला जोसेफ नही था… उसका हुलिया एक दम बदला हुआ था…
बाहर आकर वो दोनो अलग – अलग दिशाओं में निकल पड़े…
............................
मे अपने ऑफीस में बैठा आज का न्यूज़ पेपर देख रहा था जिसमें रात वाली घटना पूरे विस्तार के साथ छपी थी,
यहाँ तक कि कैसे दो गुण्डों को एक बिना नंबर की मारुति वॅन बचा कर ले गयी, उस वॅन को तलाश करने की कोशिश जारी है…
खबर पढ़ कर मेरे चेहरे पर स्माइल आगयि, और न्यूज़ पेपर सोफे पर फेंक कर अपने काम में लग गया..…!
शाम तक मे कोर्ट के कामों में उलझा रहा, इस बीच घर से निशा का फोन भी आया, भाभी से भी बात हुई…
उन्होने कई दिनो से घर ना आने का कारण पुछा तो मेने काम की व्यसतता बता कर उन्हें समझा दिया…
घर पर बातें करके मेने अभी फोन रखा ही था, कि वो फिरसे बजने लगा, देखा तो गुप्ता जी का लॅंड लाइन नंबर था,
कॉल रिसीव करते ही कानों में खुशी की आवाज़ सुनाई दी, मेने उसकी आवाज़ सुनते ही कहा – हां खुशी, बोलो कैसे फोन किया…!
खुशी – भैया, आप अभी क्या कर रहे हो..?
मे – क्यों कोई काम था ? मे अपने ऑफीस में ही हूँ, बस काम ख़तम करके निकलने की तैयारी में ही था, कि तुम्हारा फोन आगया…
वो – आप ऑफीस से सीधे यहीं आ जाओ, मे यहाँ अकेली हूँ मम्मी भैया के साथ किसी फंक्षन में गयी हैं, पापा का आने-जाने का कोई ठिकाना नही है…
मे – अरे तो तुम भी अपनी किसी फ्रेंड के पास चली जाओ,
वो – अब ज़्यादा बहाने मत बनाओ, और जल्दी आओ, वरना मे वहाँ आ जाउन्गि…
मेने हँसते हुए कहा – ठीक है आता हूँ, मेरे खाने का इंतेज़ाम करके रखना..
शाम को 7 बजे मेने अपना बॅग उठाया, ऑफीस बंद करवाया, और गुप्ता जी के बंगले की तरफ चल दिया…
गुप्ता जी के बंगले पर पहुँचते ही, खुशी मुझे हॉल में ही मिल गयी, मुझे देखते ही उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने कमरे में खींच कर ले गयी…!
जाते ही उसने गेट लॉक किया और मुझसे लिपट गयी, मेने उसके कंधे पकड़कर अलग किया और कहा – अरे मेरी बेबी डॉल सबर तो कर…!
वो मुझसे अलग होते हुए बोली – आपने जो वादा किया था, उस हिसाब से अब हमारे पास समय भी है और मौका भी, अब आपका कोई एक्सक्यूस नही चलेगा…
मेने उसके बेड पर बैठकर उसे अपनी गोद में बिठा लिया और हँसते हुए कहा – हां.. हां ठीक है मे कॉन्सा मना कर रहा हूँ, पर मुझे एक बात का जबाब देगी…
वो बोली – क्या..?
मे – तुम एक कमसिन नव यौवना, जवानी की दहलीज़ पर अभी-अभी कदम रखी हो, चाहोगी तो हज़ारों लड़के मिल सकते हैं, फिर तुम मेरे जैसे शादी शुदा इंशान के साथ ही ये सब क्यों करना चाहती हो…?
वो – क्योंकि मुझे आपसे ज़्यादा कोई हॅंडसम, और केरिंग मर्द नही मिला अभी तक…, अब मे आपको एक और बात बताना चाहती हूँ…!
मेने उसकी मोटी-मोटी मखमल जैसी चिकनी जांघे जो उसके छोटे से शॉर्ट के बाहर नंगी थी उन्हें सहलाते हुए पुछा – क्या..?
खुशी के मुलायम, थोड़े भारी गुदगूदे नितंबों के नीचे दबे मेरे लौडे ने अपना सर उठा लिया था, पॅंट के अंदर से ही उसने उसकी गान्ड के नीचे हलचल मचा रखी थी…
उसे फील करते ही, खुशी मदहोश होने लगी, और उसने मेरा एक हाथ अपनी जाँघ से उठाकर अपनी गदर कलमी आम जैसी चुचि पर रखकर दबाते हुए कहा –
उस दिन मेने मम्मी से सारे दिन कोई बात नही की, जब भी वो मेरे सामने पड़ती, मे मूह फेर्कर निकल जाती, वो मुझसे बात करना चाहती थी…
रात को जब मे अपने कमरे में पढ़ रही थी, तब वो मेरे कमरे में आई, मेने उन्हें अनदेखा कर दिया और अपनी पढ़ाई में लगी रही…
वो मेरे ठीक सामने आकर अपने घुटने टेक कर बेड पर बैठ गयी, और अपने दोनो हाथ से कानों को पकड़ कर बोली – खुशी बेटा एक बार मेरी तरफ देख तो सही.
उनकी आवाज़ में एक ममतामयी करुणा थी, जिसे मेने पहली बार सुना था, सो तुरंत मेने उनकी तरफ देखा…
मम्मी की आँखों में आँसू थे, उन्हीं आँसुओं भरी आँखों से वो अपने कान पकड़े हुए बोली – खुशी, मेरी गुड़िया मुझे माफ़ कर्दे…
तेरी माँ बहुत बुरी है… अपने बच्चों से किस तरह बर्ताव करती है…, पर तूने कभी ये सोचा कि मे ऐसी क्यों हूँ..?
मुझे आज अपनी मम्मी में माँ की ममता नज़र आई, जो अपनी बेटी के नाराज़ होने पर तड़प उठी थी…
मेने फ़ौरन उनके हाथ पकड़ कर उनके कानों से हटाए और उनके कलेजे से लग कर फफक पड़ी, हम दोनो माँ-बेटी बहुत देर तक रोते रहे फिर मेने उन्हें शांत करते हुए कहा-
मे आपसे नाराज़ नही हूँ मम्मी, हां थोड़ी दुखी ज़रूर थी, कि मेरी माँ ने बिना कुच्छ सोचे समझे अपनी बेटी को इतना गिरा हुआ समझ लिया,
मम्मी सुबक्ते हुए बोली – नही मेरी बच्ची, मेने तुझे गिरा हुआ नही समझा, बल्कि वो सब मेरे कम्बख़्त स्वाभाव बस मेरे मूह से निकल गया…
तू तो जानती है, घर की ज़िम्मेदारियाँ संभालते-2 कब मेरा स्वभाव चिड़चिड़ा हो गया, मुझे खुद पता नही चला, कोई समझाने वाला था नही, तेरे पापा ने घर की तरफ कभी ध्यान नही दिया…
तुम दोनो बच्चे पढ़ाई में लग गये, मे अपने दुख-सुख किसके साथ बाँटति..?
इन नौकरों के बीच रहकर अपनी मन मर्ज़ी चलती रही, और वही मेरी आदत बनती चली गयी…!
लेकिन आज जब तुम सब लोग मुझे अकेला छोड़ कर चले गये, तब मेने अंकुश से माफी माँगी, और उसकी बातों ने मुझे रियलाइज़ कराया…
मे उसके कंधे से लगकर खूब रोई, मेरा सारा गुस्सा, कुंठा, और घमंड मेरे आँसुओं के द्वारा बह गया, तब मुझे रियलाइज़ हुआ कि मे क्या से क्या बनती जा रही हूँ…!
फिर असलम ने उसे अपने ऑफीस का अड्रेस लिख कर दे दिया.. कल आकर मिलने का वादा लेकर वो दोनो वहाँ से निकल गये..
उन दोनो के जाने के 15 मिनिट बाद ही वो वॅन शहर की ओर जा रही थी, अब उस पर बाक़ायदा नंबर प्लेट थी…
कुच्छ देर बाद वो दोनो बंटी-बबली एक 3 स्टार होटेल के रूम में थे, और एक ही पलंग पर एक दूसरे की तरफ पीठ करके सो रहे थे…!
सुबह जब लड़के की आँख खुली तो उसने देखा कि पास सोई उसकी साथी लड़की की एक टाँग उसके उपर पड़ी थी, और एक हाथ उसके पेट पर था…
यह देख कर उसके चेहरे पर एक मीठी सी मुस्कान आगयि, और उसने धीरे से उसका हाथ और पैर अपने उपर से हटाए, और फ्रेश होने बाथ रूम में घुस गया…
बाहर आकर उसने दो चाय ऑर्डर की, जब चाय आगयि… तब उसने अपना एक हाथ उसके कंधे पर रख कर उसे सीधा किया और उसके माथे पर एक चुंबन लेकर उसे जगाया…
अरे उठो ! सुवह हो गयी, चाय पी लो…वो नींद में ही कुन्मुनाई, और उसका हाथ पकड़ कर अपने सीने में भींच लिया…
उसने फिर से आवाज़ दी और अपना हाथ खींचने लगा… वो उसके हाथ को और कस्ति हुई नींद में बड़बड़ाई…उउन्न्ं…सोने दो ना…भाई…
वो – उठो देखो कितना दिन निकल आया है, 9 बज गये… हमें असल्म के यहाँ भी जाना है…
कुच्छ देर की कोशिश के बाद वो उठ कर बैठ गयी, और उसने कहा – गुड मॉर्निंग भैया, और आगे उचक कर उसने उस युवक के गाल पर किस कर लिया…
चाय पीते हुए वो बोली – आप अकेले चले जाना, मे उस हराम्जादे की शक्ल भी नही देखना चाहती… अब तो मे सीधे उस कुत्ते के मूह पर थूकने ही जाउन्गि..
यह कहते -2 उसका सुंदर सा चेहरा लाल भभुका हो गया था, जिसे देख कर उस युवक ने फिर उसे और कुच्छ नही कहा…
उसके बाद वो दोनो तैयार हुए, और होटेल से बाहर आगये, अब वो युवक, वो रात वाला जोसेफ नही था… उसका हुलिया एक दम बदला हुआ था…
बाहर आकर वो दोनो अलग – अलग दिशाओं में निकल पड़े…
............................
मे अपने ऑफीस में बैठा आज का न्यूज़ पेपर देख रहा था जिसमें रात वाली घटना पूरे विस्तार के साथ छपी थी,
यहाँ तक कि कैसे दो गुण्डों को एक बिना नंबर की मारुति वॅन बचा कर ले गयी, उस वॅन को तलाश करने की कोशिश जारी है…
खबर पढ़ कर मेरे चेहरे पर स्माइल आगयि, और न्यूज़ पेपर सोफे पर फेंक कर अपने काम में लग गया..…!
शाम तक मे कोर्ट के कामों में उलझा रहा, इस बीच घर से निशा का फोन भी आया, भाभी से भी बात हुई…
उन्होने कई दिनो से घर ना आने का कारण पुछा तो मेने काम की व्यसतता बता कर उन्हें समझा दिया…
घर पर बातें करके मेने अभी फोन रखा ही था, कि वो फिरसे बजने लगा, देखा तो गुप्ता जी का लॅंड लाइन नंबर था,
कॉल रिसीव करते ही कानों में खुशी की आवाज़ सुनाई दी, मेने उसकी आवाज़ सुनते ही कहा – हां खुशी, बोलो कैसे फोन किया…!
खुशी – भैया, आप अभी क्या कर रहे हो..?
मे – क्यों कोई काम था ? मे अपने ऑफीस में ही हूँ, बस काम ख़तम करके निकलने की तैयारी में ही था, कि तुम्हारा फोन आगया…
वो – आप ऑफीस से सीधे यहीं आ जाओ, मे यहाँ अकेली हूँ मम्मी भैया के साथ किसी फंक्षन में गयी हैं, पापा का आने-जाने का कोई ठिकाना नही है…
मे – अरे तो तुम भी अपनी किसी फ्रेंड के पास चली जाओ,
वो – अब ज़्यादा बहाने मत बनाओ, और जल्दी आओ, वरना मे वहाँ आ जाउन्गि…
मेने हँसते हुए कहा – ठीक है आता हूँ, मेरे खाने का इंतेज़ाम करके रखना..
शाम को 7 बजे मेने अपना बॅग उठाया, ऑफीस बंद करवाया, और गुप्ता जी के बंगले की तरफ चल दिया…
गुप्ता जी के बंगले पर पहुँचते ही, खुशी मुझे हॉल में ही मिल गयी, मुझे देखते ही उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने कमरे में खींच कर ले गयी…!
जाते ही उसने गेट लॉक किया और मुझसे लिपट गयी, मेने उसके कंधे पकड़कर अलग किया और कहा – अरे मेरी बेबी डॉल सबर तो कर…!
वो मुझसे अलग होते हुए बोली – आपने जो वादा किया था, उस हिसाब से अब हमारे पास समय भी है और मौका भी, अब आपका कोई एक्सक्यूस नही चलेगा…
मेने उसके बेड पर बैठकर उसे अपनी गोद में बिठा लिया और हँसते हुए कहा – हां.. हां ठीक है मे कॉन्सा मना कर रहा हूँ, पर मुझे एक बात का जबाब देगी…
वो बोली – क्या..?
मे – तुम एक कमसिन नव यौवना, जवानी की दहलीज़ पर अभी-अभी कदम रखी हो, चाहोगी तो हज़ारों लड़के मिल सकते हैं, फिर तुम मेरे जैसे शादी शुदा इंशान के साथ ही ये सब क्यों करना चाहती हो…?
वो – क्योंकि मुझे आपसे ज़्यादा कोई हॅंडसम, और केरिंग मर्द नही मिला अभी तक…, अब मे आपको एक और बात बताना चाहती हूँ…!
मेने उसकी मोटी-मोटी मखमल जैसी चिकनी जांघे जो उसके छोटे से शॉर्ट के बाहर नंगी थी उन्हें सहलाते हुए पुछा – क्या..?
खुशी के मुलायम, थोड़े भारी गुदगूदे नितंबों के नीचे दबे मेरे लौडे ने अपना सर उठा लिया था, पॅंट के अंदर से ही उसने उसकी गान्ड के नीचे हलचल मचा रखी थी…
उसे फील करते ही, खुशी मदहोश होने लगी, और उसने मेरा एक हाथ अपनी जाँघ से उठाकर अपनी गदर कलमी आम जैसी चुचि पर रखकर दबाते हुए कहा –
उस दिन मेने मम्मी से सारे दिन कोई बात नही की, जब भी वो मेरे सामने पड़ती, मे मूह फेर्कर निकल जाती, वो मुझसे बात करना चाहती थी…
रात को जब मे अपने कमरे में पढ़ रही थी, तब वो मेरे कमरे में आई, मेने उन्हें अनदेखा कर दिया और अपनी पढ़ाई में लगी रही…
वो मेरे ठीक सामने आकर अपने घुटने टेक कर बेड पर बैठ गयी, और अपने दोनो हाथ से कानों को पकड़ कर बोली – खुशी बेटा एक बार मेरी तरफ देख तो सही.
उनकी आवाज़ में एक ममतामयी करुणा थी, जिसे मेने पहली बार सुना था, सो तुरंत मेने उनकी तरफ देखा…
मम्मी की आँखों में आँसू थे, उन्हीं आँसुओं भरी आँखों से वो अपने कान पकड़े हुए बोली – खुशी, मेरी गुड़िया मुझे माफ़ कर्दे…
तेरी माँ बहुत बुरी है… अपने बच्चों से किस तरह बर्ताव करती है…, पर तूने कभी ये सोचा कि मे ऐसी क्यों हूँ..?
मुझे आज अपनी मम्मी में माँ की ममता नज़र आई, जो अपनी बेटी के नाराज़ होने पर तड़प उठी थी…
मेने फ़ौरन उनके हाथ पकड़ कर उनके कानों से हटाए और उनके कलेजे से लग कर फफक पड़ी, हम दोनो माँ-बेटी बहुत देर तक रोते रहे फिर मेने उन्हें शांत करते हुए कहा-
मे आपसे नाराज़ नही हूँ मम्मी, हां थोड़ी दुखी ज़रूर थी, कि मेरी माँ ने बिना कुच्छ सोचे समझे अपनी बेटी को इतना गिरा हुआ समझ लिया,
मम्मी सुबक्ते हुए बोली – नही मेरी बच्ची, मेने तुझे गिरा हुआ नही समझा, बल्कि वो सब मेरे कम्बख़्त स्वाभाव बस मेरे मूह से निकल गया…
तू तो जानती है, घर की ज़िम्मेदारियाँ संभालते-2 कब मेरा स्वभाव चिड़चिड़ा हो गया, मुझे खुद पता नही चला, कोई समझाने वाला था नही, तेरे पापा ने घर की तरफ कभी ध्यान नही दिया…
तुम दोनो बच्चे पढ़ाई में लग गये, मे अपने दुख-सुख किसके साथ बाँटति..?
इन नौकरों के बीच रहकर अपनी मन मर्ज़ी चलती रही, और वही मेरी आदत बनती चली गयी…!
लेकिन आज जब तुम सब लोग मुझे अकेला छोड़ कर चले गये, तब मेने अंकुश से माफी माँगी, और उसकी बातों ने मुझे रियलाइज़ कराया…
मे उसके कंधे से लगकर खूब रोई, मेरा सारा गुस्सा, कुंठा, और घमंड मेरे आँसुओं के द्वारा बह गया, तब मुझे रियलाइज़ हुआ कि मे क्या से क्या बनती जा रही हूँ…!