hotaks444
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तीसरे दिन नाश्ते के समय से ही निशा की हालत खराब सी होने लगी.., मे नाश्ता लेकर उसके पास ही था, नीलू भाभी निशा को नाश्ता कराकर भाभी के साथ किचन में थी..,
निशा के चेहरे पर पीड़ा के भाव देख कर मेने पुछा – क्या हुआ निशु.., ठीक तो हो..?
उसने अपने पेट पर हाथ फेरते हुए कहा – पता नही कुछ ज़्यादा ही भारीपन सा होने लगा है.., हल्का-हल्का पेन भी हो रहा है..,
मेने फ़ौरन भाभी को आवाज़ दी, उनके आते ही मेने कहा – लगता है भाभी निशा को हॉस्पिटल ले जाना पड़ेगा.., आप थोड़ा देखो मे वीना को फोन करता हूँ, वो मेडिवॅन भिजवा देगी..,
1 घंटे के बाद डॉक्टर वीना खुद आंब्युलेन्स लेकर आ गयी.., भाभी ने घर की ज़िम्मेदारी रखते हुए नीलू भाभी को हमारे साथ भेज दिया..,
भाभी का घर पर रहना ज़रूरी था, छोटा बच्चा, रूचि स्कूल में थी, भैया शाम तक आते.., बाबूजी को इत्तला करके हम लोग निकल गये..,
रास्ते में ही मेने प्राची को भी फोन कर दिया, जो हमारे हॉस्पिटल पहुँचने से पहले ही वहाँ पहुँच गयी..,
निशा को एक स्पेशल बर्ड में शिफ्ट कर दिया, जाते ही वीना ने पेनकिलर मिलाकर बोटेल लगा दी..,
1 घंटे के अंदर ही निशा ने एक प्यारी सी गुड़िया को जन्म दिया.., घर में लक्ष्मी पाकर मेरी खुशी का ठिकाना नही नही था..,
मेने फ़ौरन भाभी को भी बता दिया, वो भी बहुत खुश हुई.., निशा के सामान्य होते ही मे उसके पास गया.., वो थोड़ी कमजोर और बुझी-बुझी सी लगी..
मेने उसका माथा चूमकर उसके बगल में बैठकर उसका हाथ अपने हाथ में लेकर बोला – क्या हुआ निशा, कुछ प्राब्लम है…!
निशा ने बुझे से स्वर में कहा – सॉरी राजे, मे आपकी इच्छाओं पर खरी नही उतरी.., आपको बेटा नही दे पाई..!
मेने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा – तुमसे किसने कहा कि मे बेटा चाहता था..?
वो अपने खुसक होठों पर जीभ फेरते हुए बहुत ही धीमे स्वर में बोली – नही वो मेने सोचा आपके अबतक के सभी अंश के रूप में बेटे ही हुए तो…शायद अपने लिए भी आपने यही सोचा होगा…!
मेने उसके गाल पर किस करके कहा – नही निशु.., सच मानो मे बिल्कुल नही चाहता था कि हमारे बेटा हो, भगवान से मन ही मन यही कामना करता रहा कि हे भगवान, मुझे एक लक्ष्मी का रूप दे दे.., और देखो उसने मेरी सुन ली.., क्या तुम बेटा चाहती थी..,
निशा – नही, मेने तो कुछ चाहा ही नही, बस सोचती थी, कि अब तक के देखते हुए कहीं बेटा ही ना हो.., वैसे एक तरह से अच्छा ही हुआ, वरना आप अपने उन बेटों को वो प्यार नही दे पाते.., ये कहते हुए निशा के चेहरे पर एक फीकी सी मुस्कान तैर गयी..,
मेने उसके होठ छूकर कहा – ओह निशु.., हमारे विचार कितने मिलते हैं.., तुमने तो मेरे दिल की बात कह दी.., थॅंक यू जान, मुझे लक्ष्मी के रूप में बेटी देने के लिए..!
इतने में प्राची के साथ वहाँ डॉक्टर. वीना आगयि, और वो निशा का चेक-अप करने लगी, सब कुछ नॉर्मल ही था..,
शाम का खाना हमारे लिए प्राची ही बनाकर ले आई थी, मेने नीलू भाभी को बोला कि अगर वो चाहें तो प्राची के साथ उसके बंगले पर जा सकती हैं.., लेकिन वो नही मानी..!
खाना खिलाकर और कुछ देर रुक कर प्राची अपने घर चली गयी.., चूँकि हमें डॉक्टर. वीना ने ये प्राइवेट रूम दिया था.., जिसमें एक एक्सट्रा पलंग और विज़िटर्स के लिए एक छोटा सा सोफा भी पड़ा हुआ था…!
नीलू भाभी बच्ची की देखभाल में लगी थी, तब तक में डॉक्टर. वीना के साथ उसके कॅबिन की तरफ चला गया.., वो इस समय मरीजों को देखकर जस्ट रिलॅक्स ही हुई थी…!
मुझे देख कर उसकी सारी थकान दूर हो गयी, मुझे सोफे पर बैठने का इशारा करते हुए वो खुद भी अपनी चेर से उठकर वहीं आगयि…!
मेरे सोफे पर बैठते ही वो आकर मेरी गोद में बैठ गयी.., कुछ देर तक हम दोनो आपस में थोड़ी बहुत छेड़-छाड़ करते रहे.., चुसम-चुसाई की…!
डॉक्टर. वीना की मखमली गान्ड के नीचे दबा मेरा नाग पॅंट के अंदर फुफ्कारने लगा..,
मेने वीना की मस्त मस्त रूई जैसी सॉफ्ट सॉफ्ट गोलाईयों को दबाते हुए पुच्छ – कुछ मन है अभी..?
वीना इतराते हुए बोली – मुझे पता है नीचे तुम्हारा मूसल चूत में जाने के लिए मचल रहा है.., सच कहूँ तो मेरा भी बहुत मन है.. लेकिन अभी इसके लिए समय नही है..,
घर निकलने के लिए मेरे हज़्बेंड मेरा वेट कर रहे होंगे, ऐसा ना कि वो यहीं आ धमके.., इतना कहकर वो मेरी गोद से उठने लगी…!
मेने उसे एक लंबा सा गुड नाइट किस किया और निशा के पास चला आया….!
निशा दवाओं के असर में गहरी नींद में सो चुकी थी, नीलू भाभी एक नाइट गाउन में झुक कर बच्ची के डाइपर चेंज कर रही थी, जो शायद उसने पेशाब से गीले कर दिए थे…!
खुले गले के गाउन से उनकी दूध जैसी गोल-गोल सुडौल गोलाइयाँ काफ़ी अंदर तक दिख रही थी, अंदर घुसते ही मेरी नज़र जैसे ही उनपर पड़ी, बस वहीं की होकर रह गयी…!
उनके भरे-भरे सुन्दर सुडौल वक्ष देख कर मेरे मूह से एक साथ निकल पड़ा…वाउ !
मेरी आवाज़ सुनकर उन्होने पहले मेरी तरफ देखा, फिर मेरी नज़रों का पीछा करते हुए जैसे ही उन्हें पता चला कि मेरी नज़र उनके जान मारु जोबन पर है, जिन्हें देखकर मेरे मूह से वाउ निकला है, वो मन ही मन खुश हो उठी…!
मेरी कामुक नज़र के एहसास से उनके निपल कड़क हो उठे, जो बिना ब्रा के सॉफ्ट कपड़े के गाउन में आगे से कंचे के माफिक दिखने लगे…!
सीधे होकर एक मनमोहक मुस्कान के साथ उन्होने अपने गाउन को ठीक करने के बहाने उसे पहले और आगे को किया.., इस वजह से वो थोड़ा और ज़्यादा दिखाई दे गये फिर उसे गले की तरफ खींचकर पट बंद कर लिए…!
फिर जैसे ही उन्होने दोबारा मेरे उपर ध्यान दिया.., पाजामे में मेरा तंबू अभी भी ज्यों का त्यों बना हुआ था जो डॉक्टर. वीना के साथ टीज़िंग करने के दौरान बन चुका था..!
थोड़ी बहुत रास्ते में उसके सेंसेक्श में जो गिरावट आई भी थी वो फिरसे कमरे के सीन को देखकर उतने ही लेवेल की हो गयी…!
मेरे उठे हुए पाजामे को देखकर नीलू भाभी चुदासी हो उठी.., एक बार उन्होने निशा की तरफ देखा, जो बहुत ही गहरी नींद में सोई हुई थी…!
फिरसे नज़र घूमाकर उन्होने मेरे तंबू पर गढ़ा दी.., और भारी से स्वर में बोली – जीजा जी अब गेट लॉक करके अंदर नही आएँगे.., सोना नही है क्या..? बहुत रात हो गयी…!
कमरे में एक 4एक्स6’ का एक एक्सट्रा बेड भी था.., मे गेट लॉक करके सोफे की तरफ बढ़ता हुआ बोला – हां क्यों नही.., अब तो सोना ही है.., आप बेड पर सो जाओ मे इस सोफे पर लेट जाता हूँ…!
नीलू – आपकी लंबाई के हिसाब से सोफा कुछ छोटा नही है..? घंटा-दो घंटा की बात हो तो कैसे भी काट सकते हैं, लेकिन पूरी रात कैसे निकलेगी..?
मे – अरे कोई बात नही.., एक दो रात कैसे भी काट सकते हैं, फैल फूटकर घर में तो रोज़ ही सोते हैं.., आप मेरी चिंता मत करो.., मे कर लूँगा मॅनेज..!
नीलू – नही.., अगर सोना है तो मे सो जाती हूँ सोफे पर, आप पलंग पर ही लेट जाओ…., ये कहते हुए वो भी सोफे की तरफ आने लगी…!
मे – अरे आप खम्खा क्यों परेशान होती हैं.., मे कर लूँगा मॅनेज…!
निशा के चेहरे पर पीड़ा के भाव देख कर मेने पुछा – क्या हुआ निशु.., ठीक तो हो..?
उसने अपने पेट पर हाथ फेरते हुए कहा – पता नही कुछ ज़्यादा ही भारीपन सा होने लगा है.., हल्का-हल्का पेन भी हो रहा है..,
मेने फ़ौरन भाभी को आवाज़ दी, उनके आते ही मेने कहा – लगता है भाभी निशा को हॉस्पिटल ले जाना पड़ेगा.., आप थोड़ा देखो मे वीना को फोन करता हूँ, वो मेडिवॅन भिजवा देगी..,
1 घंटे के बाद डॉक्टर वीना खुद आंब्युलेन्स लेकर आ गयी.., भाभी ने घर की ज़िम्मेदारी रखते हुए नीलू भाभी को हमारे साथ भेज दिया..,
भाभी का घर पर रहना ज़रूरी था, छोटा बच्चा, रूचि स्कूल में थी, भैया शाम तक आते.., बाबूजी को इत्तला करके हम लोग निकल गये..,
रास्ते में ही मेने प्राची को भी फोन कर दिया, जो हमारे हॉस्पिटल पहुँचने से पहले ही वहाँ पहुँच गयी..,
निशा को एक स्पेशल बर्ड में शिफ्ट कर दिया, जाते ही वीना ने पेनकिलर मिलाकर बोटेल लगा दी..,
1 घंटे के अंदर ही निशा ने एक प्यारी सी गुड़िया को जन्म दिया.., घर में लक्ष्मी पाकर मेरी खुशी का ठिकाना नही नही था..,
मेने फ़ौरन भाभी को भी बता दिया, वो भी बहुत खुश हुई.., निशा के सामान्य होते ही मे उसके पास गया.., वो थोड़ी कमजोर और बुझी-बुझी सी लगी..
मेने उसका माथा चूमकर उसके बगल में बैठकर उसका हाथ अपने हाथ में लेकर बोला – क्या हुआ निशा, कुछ प्राब्लम है…!
निशा ने बुझे से स्वर में कहा – सॉरी राजे, मे आपकी इच्छाओं पर खरी नही उतरी.., आपको बेटा नही दे पाई..!
मेने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा – तुमसे किसने कहा कि मे बेटा चाहता था..?
वो अपने खुसक होठों पर जीभ फेरते हुए बहुत ही धीमे स्वर में बोली – नही वो मेने सोचा आपके अबतक के सभी अंश के रूप में बेटे ही हुए तो…शायद अपने लिए भी आपने यही सोचा होगा…!
मेने उसके गाल पर किस करके कहा – नही निशु.., सच मानो मे बिल्कुल नही चाहता था कि हमारे बेटा हो, भगवान से मन ही मन यही कामना करता रहा कि हे भगवान, मुझे एक लक्ष्मी का रूप दे दे.., और देखो उसने मेरी सुन ली.., क्या तुम बेटा चाहती थी..,
निशा – नही, मेने तो कुछ चाहा ही नही, बस सोचती थी, कि अब तक के देखते हुए कहीं बेटा ही ना हो.., वैसे एक तरह से अच्छा ही हुआ, वरना आप अपने उन बेटों को वो प्यार नही दे पाते.., ये कहते हुए निशा के चेहरे पर एक फीकी सी मुस्कान तैर गयी..,
मेने उसके होठ छूकर कहा – ओह निशु.., हमारे विचार कितने मिलते हैं.., तुमने तो मेरे दिल की बात कह दी.., थॅंक यू जान, मुझे लक्ष्मी के रूप में बेटी देने के लिए..!
इतने में प्राची के साथ वहाँ डॉक्टर. वीना आगयि, और वो निशा का चेक-अप करने लगी, सब कुछ नॉर्मल ही था..,
शाम का खाना हमारे लिए प्राची ही बनाकर ले आई थी, मेने नीलू भाभी को बोला कि अगर वो चाहें तो प्राची के साथ उसके बंगले पर जा सकती हैं.., लेकिन वो नही मानी..!
खाना खिलाकर और कुछ देर रुक कर प्राची अपने घर चली गयी.., चूँकि हमें डॉक्टर. वीना ने ये प्राइवेट रूम दिया था.., जिसमें एक एक्सट्रा पलंग और विज़िटर्स के लिए एक छोटा सा सोफा भी पड़ा हुआ था…!
नीलू भाभी बच्ची की देखभाल में लगी थी, तब तक में डॉक्टर. वीना के साथ उसके कॅबिन की तरफ चला गया.., वो इस समय मरीजों को देखकर जस्ट रिलॅक्स ही हुई थी…!
मुझे देख कर उसकी सारी थकान दूर हो गयी, मुझे सोफे पर बैठने का इशारा करते हुए वो खुद भी अपनी चेर से उठकर वहीं आगयि…!
मेरे सोफे पर बैठते ही वो आकर मेरी गोद में बैठ गयी.., कुछ देर तक हम दोनो आपस में थोड़ी बहुत छेड़-छाड़ करते रहे.., चुसम-चुसाई की…!
डॉक्टर. वीना की मखमली गान्ड के नीचे दबा मेरा नाग पॅंट के अंदर फुफ्कारने लगा..,
मेने वीना की मस्त मस्त रूई जैसी सॉफ्ट सॉफ्ट गोलाईयों को दबाते हुए पुच्छ – कुछ मन है अभी..?
वीना इतराते हुए बोली – मुझे पता है नीचे तुम्हारा मूसल चूत में जाने के लिए मचल रहा है.., सच कहूँ तो मेरा भी बहुत मन है.. लेकिन अभी इसके लिए समय नही है..,
घर निकलने के लिए मेरे हज़्बेंड मेरा वेट कर रहे होंगे, ऐसा ना कि वो यहीं आ धमके.., इतना कहकर वो मेरी गोद से उठने लगी…!
मेने उसे एक लंबा सा गुड नाइट किस किया और निशा के पास चला आया….!
निशा दवाओं के असर में गहरी नींद में सो चुकी थी, नीलू भाभी एक नाइट गाउन में झुक कर बच्ची के डाइपर चेंज कर रही थी, जो शायद उसने पेशाब से गीले कर दिए थे…!
खुले गले के गाउन से उनकी दूध जैसी गोल-गोल सुडौल गोलाइयाँ काफ़ी अंदर तक दिख रही थी, अंदर घुसते ही मेरी नज़र जैसे ही उनपर पड़ी, बस वहीं की होकर रह गयी…!
उनके भरे-भरे सुन्दर सुडौल वक्ष देख कर मेरे मूह से एक साथ निकल पड़ा…वाउ !
मेरी आवाज़ सुनकर उन्होने पहले मेरी तरफ देखा, फिर मेरी नज़रों का पीछा करते हुए जैसे ही उन्हें पता चला कि मेरी नज़र उनके जान मारु जोबन पर है, जिन्हें देखकर मेरे मूह से वाउ निकला है, वो मन ही मन खुश हो उठी…!
मेरी कामुक नज़र के एहसास से उनके निपल कड़क हो उठे, जो बिना ब्रा के सॉफ्ट कपड़े के गाउन में आगे से कंचे के माफिक दिखने लगे…!
सीधे होकर एक मनमोहक मुस्कान के साथ उन्होने अपने गाउन को ठीक करने के बहाने उसे पहले और आगे को किया.., इस वजह से वो थोड़ा और ज़्यादा दिखाई दे गये फिर उसे गले की तरफ खींचकर पट बंद कर लिए…!
फिर जैसे ही उन्होने दोबारा मेरे उपर ध्यान दिया.., पाजामे में मेरा तंबू अभी भी ज्यों का त्यों बना हुआ था जो डॉक्टर. वीना के साथ टीज़िंग करने के दौरान बन चुका था..!
थोड़ी बहुत रास्ते में उसके सेंसेक्श में जो गिरावट आई भी थी वो फिरसे कमरे के सीन को देखकर उतने ही लेवेल की हो गयी…!
मेरे उठे हुए पाजामे को देखकर नीलू भाभी चुदासी हो उठी.., एक बार उन्होने निशा की तरफ देखा, जो बहुत ही गहरी नींद में सोई हुई थी…!
फिरसे नज़र घूमाकर उन्होने मेरे तंबू पर गढ़ा दी.., और भारी से स्वर में बोली – जीजा जी अब गेट लॉक करके अंदर नही आएँगे.., सोना नही है क्या..? बहुत रात हो गयी…!
कमरे में एक 4एक्स6’ का एक एक्सट्रा बेड भी था.., मे गेट लॉक करके सोफे की तरफ बढ़ता हुआ बोला – हां क्यों नही.., अब तो सोना ही है.., आप बेड पर सो जाओ मे इस सोफे पर लेट जाता हूँ…!
नीलू – आपकी लंबाई के हिसाब से सोफा कुछ छोटा नही है..? घंटा-दो घंटा की बात हो तो कैसे भी काट सकते हैं, लेकिन पूरी रात कैसे निकलेगी..?
मे – अरे कोई बात नही.., एक दो रात कैसे भी काट सकते हैं, फैल फूटकर घर में तो रोज़ ही सोते हैं.., आप मेरी चिंता मत करो.., मे कर लूँगा मॅनेज..!
नीलू – नही.., अगर सोना है तो मे सो जाती हूँ सोफे पर, आप पलंग पर ही लेट जाओ…., ये कहते हुए वो भी सोफे की तरफ आने लगी…!
मे – अरे आप खम्खा क्यों परेशान होती हैं.., मे कर लूँगा मॅनेज…!