hotaks444
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अब तक युसुफ भी अपनी जगह से खड़ा हो चुका था.., वो बात संभालने के लिए बीच में कुछ बोलना चाहता था…,
लेकिन संजू को इतना कहाँ सहन होना था.., बिना अंजाम की परवाह किए उसने उल्टे हाथ का मुक्का अहेमद की नाक पर दे मारा…!
मानो कोई हथौड़ा पड़ा हो उसकी नाक पर.., उसके सिर के चारों ओर चिड़ियाँ सी चहकने लगी..,
वो अपने होश ठिकाने नही रख पाया बेचारा, नाक से खून की धार निकल पड़ी, उसकी कलाई छोड़कर वो पीछे को उलट गया…!
अपने एक साथी को गिरते देख अब्बास अपनी जगह से उठना ही चाहता था कि उसे युसुफ ने दबोच लिया.., वो दोनो सोफे पर ही गुत्थम-गुत्था हो गये…!
दूसरा बंदा जो अभी तक चेयर पर ही बैठा था.., फ़ौरन उठ खड़ा ही नही हुआ.., वो संजू की तरफ लपका…!
झपट कर उसने पीछे से संजू के गले में अपनी बाजू लपेट दी.., अपनी गर्दन पर दबाब डालते हुए बोला – बहुत उच्छल-कूद कर रहा है साले.., अब देख कैसे बच के जाएगा यहाँ से…!
संजू को अपने गले की नसें दबने लगी.., उसने उस बंदे को पीछे धकेलना शुरू किया.., गर्दन पर उसका दबाब पल-प्रतिपल बढ़ रहा था…!
पूरा दम-खम लगाकर संजू ने उसे टीवी शो केस पर ले जाकर अपनी पीठ का भार देकर दबा दिया…!
शो केस का एक कोना उसकी पीठ में लगा.., दर्द से वो बिल-बिला उठा और उसके बाजू की पकड़ संजू के गले पर ढीली पड़ गयी…!
मौके का फ़ायदा उठाकर उसने अपने आप को आज़ाद किया.., पलट कर अपने घुटने का भरपूर बार उसके पेट पर किया.., दर्द से वो आगे को दोहरा हो गया.., उपर से संजू का दुहत्थड उसकी गर्दन पर पड़ा…!
दुहात्ताड़ पड़ते ही वो ज़मीन पर मूह के बल गिर पड़ा.., अब उसमें जल्दी से उठ पाने की शक्ति नही थी…!
उधर यसुसफ अब्बास के मुक़ावले कमजोर पड़ रहा था.., नीचे से अब्बास ने अपने घुटने मोड़ कर उसे उपर उठने पर मजबूर कर दिया.., अभी भी वो दोनो एक दूसरे का गला दबा रहे थे…!
युसुफ के थोड़ा उपर होते ही, अब्बास ने उसे पैरों पर उठाकर एक ओर को उछाल दिया.., फुर्ती से अपनी गन निकाली और उसे संजू पर तान दिया…!
अब्बास उसके बेहद नज़दीक पहुँचकर गुर्राया…बहुत बड़ा काम कर गया तू लौन्डे.., मेरे ही अड्डे पर मेरे ही आदमियों पर हाथ छोड़ दिया.., अब तू तो गया हरम्जादे…!
संजू ठहरा ठेठ गँवार.., मरने का उसे डर था ही नही.., उसने फ़ौरन उसकी गन की नाल थाम ली, उसे अपने माथे से सटाते हुए बोला – चल मार साले चला गोली…!
उसकी ये अप्रत्याशित डेरिंग देखकर एक बारगी अब्बास जैसे गुंडे की हवा सरक गयी.. लेकिन अगले ही पल अपने को संभालते हुए उसने अपनी गन का लॉक खोला…!
इससे पहले कि वो उसका घोड़ा दबा पाता.., संजू ने झटके से उसके हाथ से गन छीन ली और उसे उसीकि कनपटी पर टिकाते हुए बोला – अब तुझे मुझसे कॉन बचाएगा साले हरामी…!
पासा पलटे देख अब्बास की हवा सरक गयी.., उसके चेहरे पर मौत की परच्छाइयाँ साफ-साफ दिखाई देने लगी.., तभी युसुफ अपने शिकार से फारिग होकर बोला…
अब्बास.. जल्दी से माल निकाल वरना ये लौंडा वाकई में एडा है..,
गोली चल गयी तो फिर तेरे को सोचने का वक़्त भी नही मिलेगा.., जल्दी कर…!
मरता क्या ना करता.., उसने अहेमद की तरफ इशारा किया.., उसने ड्रॉयर से और 5 गड्डी निकाल कर टेबल पर रख दी, पूरे 10 लाख अपनी कंमीज़ में ठूँसकर युसुफ ने संजू को निकलने का इशारा किया…!
संजू – ये दोनो पॅकेट भी उठा लो युसुफ भाई.., अब इस भोसड़ी वाले को ढंग से सबक सीखाना है..,
युसुफ - ये तू कैसी बात कर रहा है..?
संजू – मेने कहा एक पॅकेट उठाओ जल्दी…, इतना कहकर गन अब्बास की कनपटी से सटाये हुए ही उसने एक पॅकेट अपने कब्ज़े में ले लिया.., ना चाहते हुए भी दूसरा पॅकेट युसुफ को उठाना पड़ा…!
चल अब हमें गेट तक छोड़कर आ मदर्चोद.., और याद रखना आज के बाद हरेक को एक ही लाठी से हांकने की भूल कभी मत करना.., चल…
नाल का दबाब बढ़ाते हुए वो उसे दरवाजे तक ले गया…!
युसुफ को पहले बाहर करके उसने अपना पॅकेट भी उसे थमाया.., एक जोरदार किक अब्बास की टाँगों के बीच जमकर वो फुर्ती से बाहर निकल गया…!
टाँगों के जोड़ पर संजू की भरपूर ठोकर खाकर अब्बास पीछे को उलट गया.., उनके पीछे आरहे अहेमद के उपर जाकर वो गिरा…!
दोनो आपस में ही उलझ कर रह गये इतने में संजू ने बाहर से दरवाजे को लॉक कर दिया..,
बिना एक पल गँवाए वो दोनो आँधी तूफान की तरह उसके क्लब से बाहर निकल गये……!!!!!
बाहर आते ही मैं सड़क से हटकर उन्होने गलियों का रास्ता लिया.., वहाँ से तकरीबन 2किमी भागने के बाद दोनो ने एक टॅक्सी को हाथ दिया..!
टॅक्सी में बैठते ही युसुफ ने एक बार पीछे मुड़कर देखा.., फिर राहत की साँस लेकर बोला.., बच गये यार वरना आज तो मर ही जाते…!
संजू ने बिना देखे ही कहा – क्यों .. तुम्हें ऐसा क्यों लगा…?
युसुफ – तू भी यार कमाल करता है.., बिना सोचे समझे हाथ पैर चलाने लगता है.., ये तो सोच वो उनका अड्डा था. यार...,
संजू के चेहरे पर इस समय भी कोई भाव नही थे.., बस थोड़ी साँसें उखड़ी हुई थी.., भागने के कारण, लंबी साँस लेकर बोला – और इसके अलावा कोई चारा था तुम्हारे पास…?
या तो 5 लाख में माल देकर चुप-चाप लौट आते और उन्हें लेकर चंपत होना पड़ता.., क्योंकि लीना मेडम कभी भी ये नही समझती कि हमारे सामने क्या परिस्थिति थी..,
और वैसे भी उसने हमें कहा ही था कि अब्बास थोड़ा टेडा आदमी है.., इसलिए तो उसने हमारा इम्तिहान लिया है.., आसान होता तो वो अपने किसी भी आदमी से डेलिवरी करा ही देती…!
युसुफ बात की गहराई को समझते हुए बोला – शायद तू ठीक कह रहा है दोस्त.., लेकिन मे चाहता था कि बातों से ही काम बन जाए.., पर चलो.. अंत भला तो सब भला…!
अब इस माल का क्या करें..? क्योंकि मेडम के माल के पैसे तो हम लोग ले ही आए..
संजू – पहले ये डिसाइड करो.., कि हमें उसके साथ लंबे समय तक काम करना है या बस अभी तक के लिए ही है…?
अगर अभी तक का ही विचार है तो उसके पास जाने की हमें कोई ज़रूरत नही है.., 10 लाख कॅश हैं, और 5-10 लाख में इस माल को भी कोई भी ले लेगा…!
युसुफ – मेरे ख्याल से सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को एक साथ हलाल नही करना चाहिए, चलो.., चलकर उसे सारी बातें साफ-साफ बता देते हैं.., आगे उसकी मर्ज़ी !
लेकिन संजू को इतना कहाँ सहन होना था.., बिना अंजाम की परवाह किए उसने उल्टे हाथ का मुक्का अहेमद की नाक पर दे मारा…!
मानो कोई हथौड़ा पड़ा हो उसकी नाक पर.., उसके सिर के चारों ओर चिड़ियाँ सी चहकने लगी..,
वो अपने होश ठिकाने नही रख पाया बेचारा, नाक से खून की धार निकल पड़ी, उसकी कलाई छोड़कर वो पीछे को उलट गया…!
अपने एक साथी को गिरते देख अब्बास अपनी जगह से उठना ही चाहता था कि उसे युसुफ ने दबोच लिया.., वो दोनो सोफे पर ही गुत्थम-गुत्था हो गये…!
दूसरा बंदा जो अभी तक चेयर पर ही बैठा था.., फ़ौरन उठ खड़ा ही नही हुआ.., वो संजू की तरफ लपका…!
झपट कर उसने पीछे से संजू के गले में अपनी बाजू लपेट दी.., अपनी गर्दन पर दबाब डालते हुए बोला – बहुत उच्छल-कूद कर रहा है साले.., अब देख कैसे बच के जाएगा यहाँ से…!
संजू को अपने गले की नसें दबने लगी.., उसने उस बंदे को पीछे धकेलना शुरू किया.., गर्दन पर उसका दबाब पल-प्रतिपल बढ़ रहा था…!
पूरा दम-खम लगाकर संजू ने उसे टीवी शो केस पर ले जाकर अपनी पीठ का भार देकर दबा दिया…!
शो केस का एक कोना उसकी पीठ में लगा.., दर्द से वो बिल-बिला उठा और उसके बाजू की पकड़ संजू के गले पर ढीली पड़ गयी…!
मौके का फ़ायदा उठाकर उसने अपने आप को आज़ाद किया.., पलट कर अपने घुटने का भरपूर बार उसके पेट पर किया.., दर्द से वो आगे को दोहरा हो गया.., उपर से संजू का दुहत्थड उसकी गर्दन पर पड़ा…!
दुहात्ताड़ पड़ते ही वो ज़मीन पर मूह के बल गिर पड़ा.., अब उसमें जल्दी से उठ पाने की शक्ति नही थी…!
उधर यसुसफ अब्बास के मुक़ावले कमजोर पड़ रहा था.., नीचे से अब्बास ने अपने घुटने मोड़ कर उसे उपर उठने पर मजबूर कर दिया.., अभी भी वो दोनो एक दूसरे का गला दबा रहे थे…!
युसुफ के थोड़ा उपर होते ही, अब्बास ने उसे पैरों पर उठाकर एक ओर को उछाल दिया.., फुर्ती से अपनी गन निकाली और उसे संजू पर तान दिया…!
अब्बास उसके बेहद नज़दीक पहुँचकर गुर्राया…बहुत बड़ा काम कर गया तू लौन्डे.., मेरे ही अड्डे पर मेरे ही आदमियों पर हाथ छोड़ दिया.., अब तू तो गया हरम्जादे…!
संजू ठहरा ठेठ गँवार.., मरने का उसे डर था ही नही.., उसने फ़ौरन उसकी गन की नाल थाम ली, उसे अपने माथे से सटाते हुए बोला – चल मार साले चला गोली…!
उसकी ये अप्रत्याशित डेरिंग देखकर एक बारगी अब्बास जैसे गुंडे की हवा सरक गयी.. लेकिन अगले ही पल अपने को संभालते हुए उसने अपनी गन का लॉक खोला…!
इससे पहले कि वो उसका घोड़ा दबा पाता.., संजू ने झटके से उसके हाथ से गन छीन ली और उसे उसीकि कनपटी पर टिकाते हुए बोला – अब तुझे मुझसे कॉन बचाएगा साले हरामी…!
पासा पलटे देख अब्बास की हवा सरक गयी.., उसके चेहरे पर मौत की परच्छाइयाँ साफ-साफ दिखाई देने लगी.., तभी युसुफ अपने शिकार से फारिग होकर बोला…
अब्बास.. जल्दी से माल निकाल वरना ये लौंडा वाकई में एडा है..,
गोली चल गयी तो फिर तेरे को सोचने का वक़्त भी नही मिलेगा.., जल्दी कर…!
मरता क्या ना करता.., उसने अहेमद की तरफ इशारा किया.., उसने ड्रॉयर से और 5 गड्डी निकाल कर टेबल पर रख दी, पूरे 10 लाख अपनी कंमीज़ में ठूँसकर युसुफ ने संजू को निकलने का इशारा किया…!
संजू – ये दोनो पॅकेट भी उठा लो युसुफ भाई.., अब इस भोसड़ी वाले को ढंग से सबक सीखाना है..,
युसुफ - ये तू कैसी बात कर रहा है..?
संजू – मेने कहा एक पॅकेट उठाओ जल्दी…, इतना कहकर गन अब्बास की कनपटी से सटाये हुए ही उसने एक पॅकेट अपने कब्ज़े में ले लिया.., ना चाहते हुए भी दूसरा पॅकेट युसुफ को उठाना पड़ा…!
चल अब हमें गेट तक छोड़कर आ मदर्चोद.., और याद रखना आज के बाद हरेक को एक ही लाठी से हांकने की भूल कभी मत करना.., चल…
नाल का दबाब बढ़ाते हुए वो उसे दरवाजे तक ले गया…!
युसुफ को पहले बाहर करके उसने अपना पॅकेट भी उसे थमाया.., एक जोरदार किक अब्बास की टाँगों के बीच जमकर वो फुर्ती से बाहर निकल गया…!
टाँगों के जोड़ पर संजू की भरपूर ठोकर खाकर अब्बास पीछे को उलट गया.., उनके पीछे आरहे अहेमद के उपर जाकर वो गिरा…!
दोनो आपस में ही उलझ कर रह गये इतने में संजू ने बाहर से दरवाजे को लॉक कर दिया..,
बिना एक पल गँवाए वो दोनो आँधी तूफान की तरह उसके क्लब से बाहर निकल गये……!!!!!
बाहर आते ही मैं सड़क से हटकर उन्होने गलियों का रास्ता लिया.., वहाँ से तकरीबन 2किमी भागने के बाद दोनो ने एक टॅक्सी को हाथ दिया..!
टॅक्सी में बैठते ही युसुफ ने एक बार पीछे मुड़कर देखा.., फिर राहत की साँस लेकर बोला.., बच गये यार वरना आज तो मर ही जाते…!
संजू ने बिना देखे ही कहा – क्यों .. तुम्हें ऐसा क्यों लगा…?
युसुफ – तू भी यार कमाल करता है.., बिना सोचे समझे हाथ पैर चलाने लगता है.., ये तो सोच वो उनका अड्डा था. यार...,
संजू के चेहरे पर इस समय भी कोई भाव नही थे.., बस थोड़ी साँसें उखड़ी हुई थी.., भागने के कारण, लंबी साँस लेकर बोला – और इसके अलावा कोई चारा था तुम्हारे पास…?
या तो 5 लाख में माल देकर चुप-चाप लौट आते और उन्हें लेकर चंपत होना पड़ता.., क्योंकि लीना मेडम कभी भी ये नही समझती कि हमारे सामने क्या परिस्थिति थी..,
और वैसे भी उसने हमें कहा ही था कि अब्बास थोड़ा टेडा आदमी है.., इसलिए तो उसने हमारा इम्तिहान लिया है.., आसान होता तो वो अपने किसी भी आदमी से डेलिवरी करा ही देती…!
युसुफ बात की गहराई को समझते हुए बोला – शायद तू ठीक कह रहा है दोस्त.., लेकिन मे चाहता था कि बातों से ही काम बन जाए.., पर चलो.. अंत भला तो सब भला…!
अब इस माल का क्या करें..? क्योंकि मेडम के माल के पैसे तो हम लोग ले ही आए..
संजू – पहले ये डिसाइड करो.., कि हमें उसके साथ लंबे समय तक काम करना है या बस अभी तक के लिए ही है…?
अगर अभी तक का ही विचार है तो उसके पास जाने की हमें कोई ज़रूरत नही है.., 10 लाख कॅश हैं, और 5-10 लाख में इस माल को भी कोई भी ले लेगा…!
युसुफ – मेरे ख्याल से सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को एक साथ हलाल नही करना चाहिए, चलो.., चलकर उसे सारी बातें साफ-साफ बता देते हैं.., आगे उसकी मर्ज़ी !