hotaks444
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अब पूरे बारह दिन हो चुके थे, जब से मैने मूठ नही मारी थी. डॉली दीदी को देख के मूठ मारने का आइडिया कुछ समझ में नही आ रहा था, खुद पर कंट्रोल करने की सारे कोशिशें नाकाम होती नज़र आ रही थी, रात होते होते अब मूठ मारने के सिवा और कुछ ऑप्षन नज़र नही आ रहा था,
मैं दीदी के रूम पर पहुँचा और डोर नॉक कर के अपने सिर अंदर घुसाते हुए कहा, है दीदी. दीदी ने सवालिया नज़रों से मुझे देखा और स्माइल करते हुए बोली, ओके राज, बस थोड़ी देर में,
मैं अपने कमरे में आकर अपने बेड पर बैठ गया, मेरे दिमाग़ में तरह तरह के विचार आ रहे थे, और लंड फूँकार मार रहा था. मैं अपने और डॉली दीदी के भाई बेहन के रिश्ते के बारे में सोचने लगा. बचपन से अब तक के हमारे भाई बेहन के रिश्ते की कई सारी तस्वीरें मेरे जेहन में घूम रही थी, मैं कैसे अपनी सग़ी बड़ी बेहन को एक लड़की की तरह देख कर, अपने लंड को उनके सामने हिलाकर कैसे मूठ मार सकता हूँ?
तभी मेरे डोर पर दीदी ने नॉक किया आंड अंदर घुस कर उसे बंद कर दिया, मेरी तरफ देखकर दीदी ने स्माइल किया. दीदी ने निकर और टी-शर्ट पहन रखी थी. टी-शर्ट का गला बड़ा होने के कारण उसमे से उनकी चूंचियों के बीच की दरार कुछ दिखाई पड़ रही थी.
दीदी ने पूछा, तो राज कैसे शुरू करें? कुछ देर के लिए हमारे बीच खामोशी छा गयी, और फिर एक दूसरे की ओर देखकर हम हँसने लगे.
राज: हे भगवान, मुझे नही लगता ये सब मैं दीदी के सामने कर पाउन्गा
दीदी ने स्माइल करते हुए कहा, राज क्यों ना तुम ये सब चादर ओढ़ कर करो, जिस से मैं नही देख पाउन्गी कि तुम क्या कर रहे हो.
मैने तुरंत अपने कपड़े उतारे और अपने को चादर से ओढ़ लिया. हम एक दूसरे को देखकर स्माइल करने लगे.
दीदी: राज, अब शुरू करने के लिए मैं क्या करूँ?
राज (अपना गला सॉफ करते हुए): अब मैं क्या बताऊं, दीदी जो तुम्हे ठीक लगे. आज ज़्यादा टाइम नही लगेगा (मैं सच कह रहा था क्यूँ कि मेरा लंड एक दम लक्कड़ की तरह खड़ा हो चुका था)
मेरे शरीर में खून तेज़ी से दौड़ने लगा, जब मैने देखा दीदी ने अपने चेहरे पर आए हुए बाल एक तरफ किए, कातिल नज़रों से मेरी तरफ देखा और अपनी टी शर्ट में से एक हाथ बाहर निकाला, फिर दूसरा, जैसे ही दीदी ने टी-शर्ट को अपने गले से बाहर निकाला उनकी दोनो चूंचियाँ, वाइट ब्रा में क़ैद नज़र आ गयी. दीदी के गोरे गोरे बदन और सफेद ब्रा में बंद चूंचियों को देख कर मैं ज़ोर ज़ोर से मूठ मारने लगा. तभी दीदी मेरे सामने झुक गयी, जिस से उनकी चूंचियाँ ब्रा में से निकलने को बेकरार हो उठी, दीदी के क्लीवेज का व्यू जबरदस्त था.
दीदी ने झुकते हुए पूछा कैसा लगा राज? तभी मैने अपना पानी छोड़ दिया और मूँह से आहह आहह की आवाज़ों के साथ मेरे लंड से पानी की जबरदस्त फवारे निकलने लगे, मैं परम सुख पर पहुँच चुका था.
मूठ मारने में ऐसा आनंद आज से पहले कभी नही आया था, मुझे खुशी थी कि मैने चादर ओढ़ रखी थी और दीदी कुछ नही देख पाई. कुछ देर बाद जब तक लंड से आख़िरी बूँद नही निकल गयी मेरा शरीर अब धीरे धीरे शांत होने लगा और मैं अब सब कुछ सॉफ सॉफ देख पा रहा था, मैने देखा दीदी मेरी तरफ देख कर स्माइल कर रही है.
दीदी काफ़ी खुश थी, उन्होने फ्लोर पर पड़ी अपनी टी शर्ट उठाई, और पहन ली, और डोर की तरफ चल दी. जाते जाते दीदी बोली अब सब कुछ सफाई कर लेना, और बता देना जब भी तुम्हे मेरी ज़रूरत हो. मैं दीदी को जाते देखता रहा, फिर जल्दी से सफाई कर के, अपने बेड पर थक कर सो गया.
अगले दिन सुबह जब उठा तो सोचने लगा कि अब क्या होगा? लेकिन मेरा सोचना ग़लत था. सब कुछ नॉर्मल था, मम्मी पापा अपने अपने ऑफीस जाने की तय्यारी कर रहे थे, मैने और डॉली दीदी ने एक साथ डाइनिंग टेबल पर बैठ के ब्रेकफास्ट किया, एक दूसरे की तरफ देखकर हम दोनो कई बार स्माइल कर रहे थे, फिर हम दोनो अपने अपने कॉलेज चले गये. शाम को सभी का मूड काफ़ी अच्छा था. मैने और दीदी ने डिसाइड किया कि हम एक डीवीडी पर मूवी देखेंगे.
3 दिन के बाद मेरा लंड फिर मूठ मारने के लिए मचलने लगा. हालाँकि मैने लंड के बार बार खड़े होने को इग्नोर करने की काफ़ी कोशिश की. लेकिन जिस तरफ से ध्यान हटाने की कोशिश करो बार बार ध्यान उसी तरफ जाता है.
रात में जब मम्मी पापा सोने चले गये, मैं और दीदी टीवी देख रहे थे. दीदी मेरे बगल वाले सोफे पर बैठी थी. मैने दीदी की तरफ देखा, उन्होने स्माइल कर दिया.
मेरी तरफ देखते हुए दीदी ने कहा, मैने सोचा था हर 4-5 दिन बाद होगा फिर? उन्होने मुझे छेड़ते हुए कहा फिर स्माइल कर के बोला ओके अभी थोड़ी देर में तुम्हारे रूम में आती हूँ.
करीब एक घंटे बाद दीदी मेरे रूम में आ गयी, डोर बंद कर के मेरे बेड के पास आते हुए उन्होने पूछा कुछ सजेस्ट करोगे राज?
मैने जल्दी जल्दी अपने कपड़े उतारने लगा और बोला, दीदी आप को जो अच्छा लगे
मैने अपने आप को चादर से पिछली बार की तरह ओढ़ रखा था, अपने लंड को मैं चादर के अंदर हिलाने लगा. दीदी थोड़ी शरमा गयी, और फ्लोर की तरफ देखते हुए वो अपने निकर/ शॉर्ट के बटन खोलने लगी. दीदी मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दी. धीरे धीरे दीदी ने अपना शॉर्ट नीचे कर दिया. अब डॉली दीदी मेरे सामने पिंक कलर की पैंटी में खड़ी थी.
मैने सोचा था कि शायद दीदी अपना शॉर्ट पूरा नही उतारेगी, लेकिन दीदी ने शॉर्ट पूरा उतार दिया था. दीदी मेरी तरफ पीठ कर के खड़ी थी, उन्होने अपने टाँगें थोड़ी फैला ली और घूम कर मेरी तरफ देखा.
दीदी ने वैसी ही पैंटी पहन रखी थी जैसी जनरली इंडिया में सब लड़कियाँ पहनती हैं, पैंटी ने दीदी के हिप्स को पूरा कवर कर रखा था, लेकिन थोड़ी सी हिप्स के क्रॅक के बीच फँसी हुई थी. दीदी की गान्ड का क्या मस्त नज़ारा था, दीदी की गान्ड पैंटी में देख कर मेरा लंड फूँकार मारने लगा.
मैं दीदी के रूम पर पहुँचा और डोर नॉक कर के अपने सिर अंदर घुसाते हुए कहा, है दीदी. दीदी ने सवालिया नज़रों से मुझे देखा और स्माइल करते हुए बोली, ओके राज, बस थोड़ी देर में,
मैं अपने कमरे में आकर अपने बेड पर बैठ गया, मेरे दिमाग़ में तरह तरह के विचार आ रहे थे, और लंड फूँकार मार रहा था. मैं अपने और डॉली दीदी के भाई बेहन के रिश्ते के बारे में सोचने लगा. बचपन से अब तक के हमारे भाई बेहन के रिश्ते की कई सारी तस्वीरें मेरे जेहन में घूम रही थी, मैं कैसे अपनी सग़ी बड़ी बेहन को एक लड़की की तरह देख कर, अपने लंड को उनके सामने हिलाकर कैसे मूठ मार सकता हूँ?
तभी मेरे डोर पर दीदी ने नॉक किया आंड अंदर घुस कर उसे बंद कर दिया, मेरी तरफ देखकर दीदी ने स्माइल किया. दीदी ने निकर और टी-शर्ट पहन रखी थी. टी-शर्ट का गला बड़ा होने के कारण उसमे से उनकी चूंचियों के बीच की दरार कुछ दिखाई पड़ रही थी.
दीदी ने पूछा, तो राज कैसे शुरू करें? कुछ देर के लिए हमारे बीच खामोशी छा गयी, और फिर एक दूसरे की ओर देखकर हम हँसने लगे.
राज: हे भगवान, मुझे नही लगता ये सब मैं दीदी के सामने कर पाउन्गा
दीदी ने स्माइल करते हुए कहा, राज क्यों ना तुम ये सब चादर ओढ़ कर करो, जिस से मैं नही देख पाउन्गी कि तुम क्या कर रहे हो.
मैने तुरंत अपने कपड़े उतारे और अपने को चादर से ओढ़ लिया. हम एक दूसरे को देखकर स्माइल करने लगे.
दीदी: राज, अब शुरू करने के लिए मैं क्या करूँ?
राज (अपना गला सॉफ करते हुए): अब मैं क्या बताऊं, दीदी जो तुम्हे ठीक लगे. आज ज़्यादा टाइम नही लगेगा (मैं सच कह रहा था क्यूँ कि मेरा लंड एक दम लक्कड़ की तरह खड़ा हो चुका था)
मेरे शरीर में खून तेज़ी से दौड़ने लगा, जब मैने देखा दीदी ने अपने चेहरे पर आए हुए बाल एक तरफ किए, कातिल नज़रों से मेरी तरफ देखा और अपनी टी शर्ट में से एक हाथ बाहर निकाला, फिर दूसरा, जैसे ही दीदी ने टी-शर्ट को अपने गले से बाहर निकाला उनकी दोनो चूंचियाँ, वाइट ब्रा में क़ैद नज़र आ गयी. दीदी के गोरे गोरे बदन और सफेद ब्रा में बंद चूंचियों को देख कर मैं ज़ोर ज़ोर से मूठ मारने लगा. तभी दीदी मेरे सामने झुक गयी, जिस से उनकी चूंचियाँ ब्रा में से निकलने को बेकरार हो उठी, दीदी के क्लीवेज का व्यू जबरदस्त था.
दीदी ने झुकते हुए पूछा कैसा लगा राज? तभी मैने अपना पानी छोड़ दिया और मूँह से आहह आहह की आवाज़ों के साथ मेरे लंड से पानी की जबरदस्त फवारे निकलने लगे, मैं परम सुख पर पहुँच चुका था.
मूठ मारने में ऐसा आनंद आज से पहले कभी नही आया था, मुझे खुशी थी कि मैने चादर ओढ़ रखी थी और दीदी कुछ नही देख पाई. कुछ देर बाद जब तक लंड से आख़िरी बूँद नही निकल गयी मेरा शरीर अब धीरे धीरे शांत होने लगा और मैं अब सब कुछ सॉफ सॉफ देख पा रहा था, मैने देखा दीदी मेरी तरफ देख कर स्माइल कर रही है.
दीदी काफ़ी खुश थी, उन्होने फ्लोर पर पड़ी अपनी टी शर्ट उठाई, और पहन ली, और डोर की तरफ चल दी. जाते जाते दीदी बोली अब सब कुछ सफाई कर लेना, और बता देना जब भी तुम्हे मेरी ज़रूरत हो. मैं दीदी को जाते देखता रहा, फिर जल्दी से सफाई कर के, अपने बेड पर थक कर सो गया.
अगले दिन सुबह जब उठा तो सोचने लगा कि अब क्या होगा? लेकिन मेरा सोचना ग़लत था. सब कुछ नॉर्मल था, मम्मी पापा अपने अपने ऑफीस जाने की तय्यारी कर रहे थे, मैने और डॉली दीदी ने एक साथ डाइनिंग टेबल पर बैठ के ब्रेकफास्ट किया, एक दूसरे की तरफ देखकर हम दोनो कई बार स्माइल कर रहे थे, फिर हम दोनो अपने अपने कॉलेज चले गये. शाम को सभी का मूड काफ़ी अच्छा था. मैने और दीदी ने डिसाइड किया कि हम एक डीवीडी पर मूवी देखेंगे.
3 दिन के बाद मेरा लंड फिर मूठ मारने के लिए मचलने लगा. हालाँकि मैने लंड के बार बार खड़े होने को इग्नोर करने की काफ़ी कोशिश की. लेकिन जिस तरफ से ध्यान हटाने की कोशिश करो बार बार ध्यान उसी तरफ जाता है.
रात में जब मम्मी पापा सोने चले गये, मैं और दीदी टीवी देख रहे थे. दीदी मेरे बगल वाले सोफे पर बैठी थी. मैने दीदी की तरफ देखा, उन्होने स्माइल कर दिया.
मेरी तरफ देखते हुए दीदी ने कहा, मैने सोचा था हर 4-5 दिन बाद होगा फिर? उन्होने मुझे छेड़ते हुए कहा फिर स्माइल कर के बोला ओके अभी थोड़ी देर में तुम्हारे रूम में आती हूँ.
करीब एक घंटे बाद दीदी मेरे रूम में आ गयी, डोर बंद कर के मेरे बेड के पास आते हुए उन्होने पूछा कुछ सजेस्ट करोगे राज?
मैने जल्दी जल्दी अपने कपड़े उतारने लगा और बोला, दीदी आप को जो अच्छा लगे
मैने अपने आप को चादर से पिछली बार की तरह ओढ़ रखा था, अपने लंड को मैं चादर के अंदर हिलाने लगा. दीदी थोड़ी शरमा गयी, और फ्लोर की तरफ देखते हुए वो अपने निकर/ शॉर्ट के बटन खोलने लगी. दीदी मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दी. धीरे धीरे दीदी ने अपना शॉर्ट नीचे कर दिया. अब डॉली दीदी मेरे सामने पिंक कलर की पैंटी में खड़ी थी.
मैने सोचा था कि शायद दीदी अपना शॉर्ट पूरा नही उतारेगी, लेकिन दीदी ने शॉर्ट पूरा उतार दिया था. दीदी मेरी तरफ पीठ कर के खड़ी थी, उन्होने अपने टाँगें थोड़ी फैला ली और घूम कर मेरी तरफ देखा.
दीदी ने वैसी ही पैंटी पहन रखी थी जैसी जनरली इंडिया में सब लड़कियाँ पहनती हैं, पैंटी ने दीदी के हिप्स को पूरा कवर कर रखा था, लेकिन थोड़ी सी हिप्स के क्रॅक के बीच फँसी हुई थी. दीदी की गान्ड का क्या मस्त नज़ारा था, दीदी की गान्ड पैंटी में देख कर मेरा लंड फूँकार मारने लगा.