hotaks444
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तुमको ये अच्छे लगते हैं, राज? दीदी ने पूछा. मैं बस मुस्कुरा कर रह गया. दीदी अपने दोनो हाथों को अपनी चूंचियों पर ले गयी और उन्हे मेरे सामने सहलाने लगी. काश इनको तुम दबा रहे होते राज? दीदी ने अपनी थोड़ी से नर्वुसनेस को छुपाते हुए कहा.
दीदी, आप सोच भी नही सकती, ये मुझे कितने अच्छे लगते हैं, मैने कहा. मैं देख रहा था कैसे दीदी की उंगलियाँ उन मुलायम मम्मों को हल्का हल्का दबा रही थी और जैसे ही दीदी की उंगली खड़े हुए निपल को छूती, दीदी अंदर अंदर ही अंदर सिसक उठती. यकायक मैने अपने आप को एक बाँह पर संभाला और दूसरे हाथ से अपने खड़े लंड को पकड़ के आगे पीछे करके हिलाने लगा.
दीदी ने नीचे देखा कैसे मैं अपनी हथेली में लंड को पकड़ के, लंड की लंबाई तक उपर नीचे कर रहा हूँ. मैं देख रहा था दीदी अपनी चूंचियों को मसल रही थी, और अब अपने निपल्स की थोड़ा ज़्यादा चुटकी भर रही थी.
दीदी ने पूछा, काश ये हाथ तुम्हारा होता? मैने हां में सिर हिलाया, और कब अपने आप मेरी जीभ मेरे होंठों पर घूम गयी मुझे पता भी नही चला.
मैं भी ऐसा ही चाहती हूँ राज, दीदी ने कहा.
मैने दीदी के चेहरे की तरफ देखा, दीदी अब भी नीचे मेरे को मूठ मारते हुए, मैं क्या कर रहा हूँ ये देख रही थी. दीदी ने अपना एक हाथ चून्चि पर से हटा के नीचे अपनी पसलियों पर फिराते हुए अपने पेट पर ले आई. मैने अपनी पीठ थोड़ा पीछे की जिस से मैं नज़ारा ले सकूँ, मैने देखा दीदी का हाथ अपनी झान्टो पर से रेंगता हुआ अपनी दोनो जाघो के बीच पहुँच गया था. धीरे लेकिन यक़ीनन दीदी की उंगलियाँ नीचे की तरफ जा रही थी, पेट और चूत के बीच, झान्टो से घिरे उस तोड़ा उठान लिए हुए भाग से होती हुई, अब चूत में सरक चुकी थी. हम दोनो किसी और ही दुनिया में खो गये थे, और एक दूसरे को देख रहे थे, मैं अपने लंड पर झटके मार रहा था, दीदी की चूत से बस 6 इंच उपर, जहाँ दीदी की उंगलियाँ दोनो जांघों के बीच कही गायब हो गयी थी. दीदी ने अपने घुटने थोड़े चौड़े किए और हल्का सा काँपी, मैने अपने मूठ मारने की स्पीड को थोड़ा धीमा किया और दीदी के हाथ की कलाई को हिलते हुए देखने लगा, जिस से ये पता चल रहा था कि उंगलियाँ क्या कर रही हैं. मैने उपर की तरफ देखा तो दीदी का एक हाथ अपनी चूंचियों को मसल रहा था, मैने फिर नीचे देखा.
दीदी अब हाँफने लगी थी. वो ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी, और मेरे लंड की तरफ देखते हुए काँप रही थी. दीदी ने अपना निचला होंठ दाँतों से काटा, फिर हल्के से कराही, और अपने हिप्स को थोड़ा घुमा के अपनी चूत और उपर कर दी. दीदी ने अपने टाँगें और चौड़ी कर दी, दीदी ने अपने पैर के पंजे मेरी पिंदलियों पर रख दिए, और अपनी जांघों के बीच मुझे ज़ोर से जकड लिया. दीदी के अपनी चिकनी चूत पर फिसलती उंगलियों की आवाज़ और मेरे लंड के प्रेकुं छोड़ने के कारण आई चिकनाई के मेरे लंड पर फैलने के बाद मूठ मारने के कारण आ रही आवाज़ें हमारे लिए नयी नही थी. कुछ देर बाद दीदी लंबी लंबी साँसें ले रही थी और काँप रही थी, उसी तरह से जैसे कि मैं, दीदी के चेहरे में अपना चेहरा घुसा के हाँफ रहा था. दीदी ने अपना हाथ चूंची से हटा के मेरी गर्दन में डाल दिया, और ज़ोर ज़ोर से सहलाने लगी और मेरे को ज़ोर से पकड़ के गुर्राते हुए हिलने लगी.
मैने पहले से चेतावनी देते हुए कहा, दीदी मैं बस छूटने ही वाला हूँ !!
दीदी गुर्राई... हे भगवान... निकाल दो राज....फिर दीदी ने अपने हाथ को अपनी चूत से हटा के मेरे कंधे को पकड़ लिया.
दीदी के काँपते हुए पैरों ने मुझे ज़ोर से जकड रखा था, और वो अपनी गान्ड आगे पीछे कर रही थी. कुछ झटकों के बाद मैं झड़ने लगा, लंड ने वीर्य की पिचकारियों से दीदी के पूरे पेट और छाती को गीला कर दिया. दीदी ने करहाते हुए अपनी गान्ड थोड़ी उपर उठाई, और दीदी की चूत का सामने वाले उठे हुए झान्टो से ढके भाग ने मेरी गोलियों को छू गया. मैने बिना हीले अपनी गोलियों को दीदी की चिकनी त्वचा पर थोड़ा और दबा दिया, इस हरकत के बाद मेरे मूँह से भी गुर्राने की आवाज़ निकली और मैं वीर्य की धार पर धार दीदी के उपर छोड़ने लगा.
अब बर्दाश्त करना मेरे बस की बात नही थी, मैने अपने लंड नीचे किया जिस से वो दीदी की झान्टोन के उपर छू सके. दीदी की मेरे वीर्य से सनी स्किन के उपर मैने अपने लंड को दबाया और आगे पीछे करने लगा, दीदी के मूँह से सिसकियाँ निकलने लगी और वो अपनी गान्ड उठाने लगी. मैं अपने लंड को दीदी की चिकनी स्किन के उपर हर जगह घिसने लगा, जिस के कारण मेरे वीर्य का पानी सारी जगह फैल गया, दीदी की झान्टे भी गीली हो गयी. दीदी ने मेरे सिर को पकड़ा और मेरे चेहरे को अपनी तरफ खींचा और एक भूखी शेरनी की तरह मुझे किस करने लगी. मैने भी अपने लंड को हाथ में से छोड़ दिया और दीदी के उपर पूरी तरह लेट गया, मेरा लंड अभी भी दीदी की झान्टोन के त्रिकोण और पेट पर फिसल रहा था. मैने दीदी को अपनी बाहों में भर लिया, जब हम एक दूसरे को गले लगा कर एक दूसरे के शरीर को घिस रहे थे, तब दीदी की चूंचियाँ मेरी छाती से दब्ति हुई महसूस हो रही थी. दीदी ने मुझे अपने पैरों से मुझे ज़ोर से अपनी तरफ जकड रखा था, और मैं अपने लंड को ऐसे उपर नीचे कर रहा था मानो हम सेक्स कर रहे हों, दीदी भी अपनी गान्ड उठा उठा के मेरा साथ दे रही थी. दीदी की जीभ को मैने अपने होंठों पर महसूस किया, और बस कुछ पलों में हम फ्रेंच किस कर रहे थे, अपनी जीभ को दूसरे की जीभ पर बिल्कुल मगन हो कर फिरा कर चूस रहे थे.
बिल्कुल जन्नत की तरह महसूस हो रहा था, जब तक दोनो का क्लाइमॅक्स ठंडा पड़ता हम वैसे ही एक दूसरे को बाहों में लिए लेटे रहे. ये एक अजीब सी फीलिंग थी, जो कुछ हम दोनो ने अभी अभी किया था. मेरे दिमाग़ में बहुत कुछ चल रहा था, मेरी सग़ी बड़ी बेहन मेरे नीचे, मेरे वीर्य के पानी सनी हुई, नंगी लेटी हुई थी. दीदी को अपनी बाहों में लिए मुझे अब एहसास हुआ कि दीदी की साँसें और हार्ट बीट अब नॉर्मल हो चुकी हैं, तो मुझे किसी चीज़ का पछतावा नही हुआ. और जब दीदी ने मेरी तरफ घूम के मेरी गर्दन पर एक नाज़ुक सा किस किया, तो मुझे यकीन हो गया कि दीदी को भी इस बात का कोई पछतावा नही है.
हम एक दूसरे को अपनी बाहों में लिए ऐसे पूरी तरह नंगे ही लेटे रहे, पसीने से भीगे हुए और वीर्य के पानी से सने हुए. सुबह करीब 5 बजे दीदी उठी, और अपने सुंदर नग्न शरीर पर मेरा एक ब्लंकेट ओढ़ा, अपने कपड़े उठाए और चली गयी, पर जाने से पहले आधी नींद में एक प्यारा सा खुशी से भरा स्माइल दे गयी.
काले घने बाल जो लहरों में नीचे की तरफ आ रहे थे, मानो उगते हुए सूरज की रोशनी में समुंदर में लहरें अंगड़ायाँ ले रही हो.... आँखों में शरारत भरी चमक... कोमल गुलाबी होंठ... जो कि प्यार का रहस्या छुपाए हुए थे...
राज?
उसके हल्के से टच से मानो मेरे शरीर में बिजली का करेंट दौड़ गया...
राज !
मैं अपने ख्यालो में डूबे हुआ था, अपना नाम सुन के होश में आया और तान्या को मेरी तरफ खीजकर देखते हुए पाया.
तान्या: अब तुम्हारा टर्न है राज, आज तुम किस दुनिया में खोए हुए हो?
शरम को छुपाते हुए मुझे अहसास हुआ कि मैं दिन में फिर से आज भी दीदी के सपने देख रहा था, ये आज पहली बार नही हो रहा था. मैं होश में आकर खड़ा हुआ और तान्या के पास से ग़ुजरकर बोलिंग बॉल को रिटर्न से उठाने चल पड़ा. मेरा पहला शॉट बेकार गया. बॉल के रिटर्न होने का वेट करते मैने तान्या की तरफ देखा, वो मुझे घूर रही थी और उसकी आँखों में खुशी नही थी.
मेरे अगले शॉट में और भी कम पिन्स गिरी.
जैसे ही मैं बैठने के लिए लौटा, तो तान्या ने मुझे रोक लिया. तान्या ने पूछा, तुम्हारे साथ प्राब्लम क्या है राज? ऐसा लग रहा है जैसे तुम यहाँ होकर भी यहाँ नही हो.
मैं तुरंत बचाव की मुद्रा में आ गया, और बोला, तान्या, प्लीज़ थोड़ा चुप रहोगी प्लीज़, मैं ठीक हूँ.
शायद मैने ग़लत कहा था. मैने तान्या की आँखों पर परदा डालने की कोशिश की, लेकिन वो परदा अब दीवार को रूप ले रहा था. तान्या बोली, ओके ठीक है, और उठकर बोल करने चली गयी.
अगले आधे घंटे हम दोनो के बीच शांति छाइ रही. बोलिंग का खेल, मानो मस्ती ना होकर एक ऐसा काम हो गया था जिसे हम ज़बरदस्ती कर रहे थे. मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था.
दीदी, आप सोच भी नही सकती, ये मुझे कितने अच्छे लगते हैं, मैने कहा. मैं देख रहा था कैसे दीदी की उंगलियाँ उन मुलायम मम्मों को हल्का हल्का दबा रही थी और जैसे ही दीदी की उंगली खड़े हुए निपल को छूती, दीदी अंदर अंदर ही अंदर सिसक उठती. यकायक मैने अपने आप को एक बाँह पर संभाला और दूसरे हाथ से अपने खड़े लंड को पकड़ के आगे पीछे करके हिलाने लगा.
दीदी ने नीचे देखा कैसे मैं अपनी हथेली में लंड को पकड़ के, लंड की लंबाई तक उपर नीचे कर रहा हूँ. मैं देख रहा था दीदी अपनी चूंचियों को मसल रही थी, और अब अपने निपल्स की थोड़ा ज़्यादा चुटकी भर रही थी.
दीदी ने पूछा, काश ये हाथ तुम्हारा होता? मैने हां में सिर हिलाया, और कब अपने आप मेरी जीभ मेरे होंठों पर घूम गयी मुझे पता भी नही चला.
मैं भी ऐसा ही चाहती हूँ राज, दीदी ने कहा.
मैने दीदी के चेहरे की तरफ देखा, दीदी अब भी नीचे मेरे को मूठ मारते हुए, मैं क्या कर रहा हूँ ये देख रही थी. दीदी ने अपना एक हाथ चून्चि पर से हटा के नीचे अपनी पसलियों पर फिराते हुए अपने पेट पर ले आई. मैने अपनी पीठ थोड़ा पीछे की जिस से मैं नज़ारा ले सकूँ, मैने देखा दीदी का हाथ अपनी झान्टो पर से रेंगता हुआ अपनी दोनो जाघो के बीच पहुँच गया था. धीरे लेकिन यक़ीनन दीदी की उंगलियाँ नीचे की तरफ जा रही थी, पेट और चूत के बीच, झान्टो से घिरे उस तोड़ा उठान लिए हुए भाग से होती हुई, अब चूत में सरक चुकी थी. हम दोनो किसी और ही दुनिया में खो गये थे, और एक दूसरे को देख रहे थे, मैं अपने लंड पर झटके मार रहा था, दीदी की चूत से बस 6 इंच उपर, जहाँ दीदी की उंगलियाँ दोनो जांघों के बीच कही गायब हो गयी थी. दीदी ने अपने घुटने थोड़े चौड़े किए और हल्का सा काँपी, मैने अपने मूठ मारने की स्पीड को थोड़ा धीमा किया और दीदी के हाथ की कलाई को हिलते हुए देखने लगा, जिस से ये पता चल रहा था कि उंगलियाँ क्या कर रही हैं. मैने उपर की तरफ देखा तो दीदी का एक हाथ अपनी चूंचियों को मसल रहा था, मैने फिर नीचे देखा.
दीदी अब हाँफने लगी थी. वो ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी, और मेरे लंड की तरफ देखते हुए काँप रही थी. दीदी ने अपना निचला होंठ दाँतों से काटा, फिर हल्के से कराही, और अपने हिप्स को थोड़ा घुमा के अपनी चूत और उपर कर दी. दीदी ने अपने टाँगें और चौड़ी कर दी, दीदी ने अपने पैर के पंजे मेरी पिंदलियों पर रख दिए, और अपनी जांघों के बीच मुझे ज़ोर से जकड लिया. दीदी के अपनी चिकनी चूत पर फिसलती उंगलियों की आवाज़ और मेरे लंड के प्रेकुं छोड़ने के कारण आई चिकनाई के मेरे लंड पर फैलने के बाद मूठ मारने के कारण आ रही आवाज़ें हमारे लिए नयी नही थी. कुछ देर बाद दीदी लंबी लंबी साँसें ले रही थी और काँप रही थी, उसी तरह से जैसे कि मैं, दीदी के चेहरे में अपना चेहरा घुसा के हाँफ रहा था. दीदी ने अपना हाथ चूंची से हटा के मेरी गर्दन में डाल दिया, और ज़ोर ज़ोर से सहलाने लगी और मेरे को ज़ोर से पकड़ के गुर्राते हुए हिलने लगी.
मैने पहले से चेतावनी देते हुए कहा, दीदी मैं बस छूटने ही वाला हूँ !!
दीदी गुर्राई... हे भगवान... निकाल दो राज....फिर दीदी ने अपने हाथ को अपनी चूत से हटा के मेरे कंधे को पकड़ लिया.
दीदी के काँपते हुए पैरों ने मुझे ज़ोर से जकड रखा था, और वो अपनी गान्ड आगे पीछे कर रही थी. कुछ झटकों के बाद मैं झड़ने लगा, लंड ने वीर्य की पिचकारियों से दीदी के पूरे पेट और छाती को गीला कर दिया. दीदी ने करहाते हुए अपनी गान्ड थोड़ी उपर उठाई, और दीदी की चूत का सामने वाले उठे हुए झान्टो से ढके भाग ने मेरी गोलियों को छू गया. मैने बिना हीले अपनी गोलियों को दीदी की चिकनी त्वचा पर थोड़ा और दबा दिया, इस हरकत के बाद मेरे मूँह से भी गुर्राने की आवाज़ निकली और मैं वीर्य की धार पर धार दीदी के उपर छोड़ने लगा.
अब बर्दाश्त करना मेरे बस की बात नही थी, मैने अपने लंड नीचे किया जिस से वो दीदी की झान्टोन के उपर छू सके. दीदी की मेरे वीर्य से सनी स्किन के उपर मैने अपने लंड को दबाया और आगे पीछे करने लगा, दीदी के मूँह से सिसकियाँ निकलने लगी और वो अपनी गान्ड उठाने लगी. मैं अपने लंड को दीदी की चिकनी स्किन के उपर हर जगह घिसने लगा, जिस के कारण मेरे वीर्य का पानी सारी जगह फैल गया, दीदी की झान्टे भी गीली हो गयी. दीदी ने मेरे सिर को पकड़ा और मेरे चेहरे को अपनी तरफ खींचा और एक भूखी शेरनी की तरह मुझे किस करने लगी. मैने भी अपने लंड को हाथ में से छोड़ दिया और दीदी के उपर पूरी तरह लेट गया, मेरा लंड अभी भी दीदी की झान्टोन के त्रिकोण और पेट पर फिसल रहा था. मैने दीदी को अपनी बाहों में भर लिया, जब हम एक दूसरे को गले लगा कर एक दूसरे के शरीर को घिस रहे थे, तब दीदी की चूंचियाँ मेरी छाती से दब्ति हुई महसूस हो रही थी. दीदी ने मुझे अपने पैरों से मुझे ज़ोर से अपनी तरफ जकड रखा था, और मैं अपने लंड को ऐसे उपर नीचे कर रहा था मानो हम सेक्स कर रहे हों, दीदी भी अपनी गान्ड उठा उठा के मेरा साथ दे रही थी. दीदी की जीभ को मैने अपने होंठों पर महसूस किया, और बस कुछ पलों में हम फ्रेंच किस कर रहे थे, अपनी जीभ को दूसरे की जीभ पर बिल्कुल मगन हो कर फिरा कर चूस रहे थे.
बिल्कुल जन्नत की तरह महसूस हो रहा था, जब तक दोनो का क्लाइमॅक्स ठंडा पड़ता हम वैसे ही एक दूसरे को बाहों में लिए लेटे रहे. ये एक अजीब सी फीलिंग थी, जो कुछ हम दोनो ने अभी अभी किया था. मेरे दिमाग़ में बहुत कुछ चल रहा था, मेरी सग़ी बड़ी बेहन मेरे नीचे, मेरे वीर्य के पानी सनी हुई, नंगी लेटी हुई थी. दीदी को अपनी बाहों में लिए मुझे अब एहसास हुआ कि दीदी की साँसें और हार्ट बीट अब नॉर्मल हो चुकी हैं, तो मुझे किसी चीज़ का पछतावा नही हुआ. और जब दीदी ने मेरी तरफ घूम के मेरी गर्दन पर एक नाज़ुक सा किस किया, तो मुझे यकीन हो गया कि दीदी को भी इस बात का कोई पछतावा नही है.
हम एक दूसरे को अपनी बाहों में लिए ऐसे पूरी तरह नंगे ही लेटे रहे, पसीने से भीगे हुए और वीर्य के पानी से सने हुए. सुबह करीब 5 बजे दीदी उठी, और अपने सुंदर नग्न शरीर पर मेरा एक ब्लंकेट ओढ़ा, अपने कपड़े उठाए और चली गयी, पर जाने से पहले आधी नींद में एक प्यारा सा खुशी से भरा स्माइल दे गयी.
काले घने बाल जो लहरों में नीचे की तरफ आ रहे थे, मानो उगते हुए सूरज की रोशनी में समुंदर में लहरें अंगड़ायाँ ले रही हो.... आँखों में शरारत भरी चमक... कोमल गुलाबी होंठ... जो कि प्यार का रहस्या छुपाए हुए थे...
राज?
उसके हल्के से टच से मानो मेरे शरीर में बिजली का करेंट दौड़ गया...
राज !
मैं अपने ख्यालो में डूबे हुआ था, अपना नाम सुन के होश में आया और तान्या को मेरी तरफ खीजकर देखते हुए पाया.
तान्या: अब तुम्हारा टर्न है राज, आज तुम किस दुनिया में खोए हुए हो?
शरम को छुपाते हुए मुझे अहसास हुआ कि मैं दिन में फिर से आज भी दीदी के सपने देख रहा था, ये आज पहली बार नही हो रहा था. मैं होश में आकर खड़ा हुआ और तान्या के पास से ग़ुजरकर बोलिंग बॉल को रिटर्न से उठाने चल पड़ा. मेरा पहला शॉट बेकार गया. बॉल के रिटर्न होने का वेट करते मैने तान्या की तरफ देखा, वो मुझे घूर रही थी और उसकी आँखों में खुशी नही थी.
मेरे अगले शॉट में और भी कम पिन्स गिरी.
जैसे ही मैं बैठने के लिए लौटा, तो तान्या ने मुझे रोक लिया. तान्या ने पूछा, तुम्हारे साथ प्राब्लम क्या है राज? ऐसा लग रहा है जैसे तुम यहाँ होकर भी यहाँ नही हो.
मैं तुरंत बचाव की मुद्रा में आ गया, और बोला, तान्या, प्लीज़ थोड़ा चुप रहोगी प्लीज़, मैं ठीक हूँ.
शायद मैने ग़लत कहा था. मैने तान्या की आँखों पर परदा डालने की कोशिश की, लेकिन वो परदा अब दीवार को रूप ले रहा था. तान्या बोली, ओके ठीक है, और उठकर बोल करने चली गयी.
अगले आधे घंटे हम दोनो के बीच शांति छाइ रही. बोलिंग का खेल, मानो मस्ती ना होकर एक ऐसा काम हो गया था जिसे हम ज़बरदस्ती कर रहे थे. मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था.