hotaks444
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अब जब तक राज मेरी भाभी को चोदने नहीं आया, मेरी रंडी भाभी मुझसे रोज अपनी चूत चटवाती और अपना रस मुझे पिलाती, यानी उसने मुझे अपना नोकर बनाकर रख दिया था और रोज ही अपनी चूत का रस मेरे मुँह में भर देती, या ऐसे कहूँ की अब ये मेरी भाभी का और मेरा रोज का काम था। कभी-कभी वो मुझे चाटकर ठंडा कर देती, और कभी-कभी हम दोनों उस प्लास्टिक के लण्ड से एक दूसरे को चोद देते थे। दो महीने तक ऐसे ही चलता रहा। भाभी राज से चुदवाती रही और इधर मुझसे चुदवाती रही और मुझे चोदती रही।
पर एक दिन मैं कालेज़ नहीं गई तो मैं घर ही थी, और मोम के जाने के बाद अपने रूम में बैठी थी और पीसी पर गाने सुन रही थी। तभी भाभी मेरे रूम में आई तो मैंने देखा कि वो पूरी नंगी थी बस हाई हील थे उनके पैरों में। वैसे अक्सर मोम के जाने के बाद भाभी घर में नंगी रहती और मुझे भी नंगी ही रखती थी।
भाभी मुझसे बोली-क्या कर रही है मेरी कुतिया रंडी?
मैं बोली-आपकी कुतिया गाने सुन रही है।
भाभी बोली-“पायल मेरी ननद, आज कुछ नया करते हैं…”
मैं बोली-क्या करोगी भाभी?
भाभी बोली-“साली मालकिन बोल मुझे, नहीं तो तेरी माँ चोद दूँगी मैं…”
मैं-“जी मालकिन, बोलो क्या करोगी नया?” क्योंकी मुझे खुद को इतना मजा आता था की मैं बता नहीं सकती।
भाभी ने मुझे जल्दी से नंगी होने का हुकुम दिया। मैंने जीन्स टाप पहना था, उतार दिया और ब्रा और पैंटी भी निकालकर रख दी।
भाभी मेरे पास आई और मुझे किस करने लगी। मुझे मेरे बेड पर लेकर लेट गई। भाभी ने मुझे चूम ना शुरू कर दिया, और मैंने भाभी को। कभी वो मुझे चूम ती तो कभी काटती और मैं कभी उसको चूम ती और काटती। फिर हम 69 में आकर दोनों एक दूसरे की चूत को चाटने लगे।
मुझे बहुत मजा आता था चूत चाटने और चटवाने में। हम एक दूसरे की चूत को हराने में लगे थे, कुछ देर बाद हम दोनों की चूत ने लावा छोड़ दिया। हम दोनों ने एक दूसरे की चूत को सॉफ किया और दोनों एक दूसरे को बांहों में भरकर लेट गये। कुछ देर ऐसे ही लेट रहे।
भाभी ने मुझे हुकुम दिया-“मेरी ननद कुतिया, एक ड्रिंक हो जाए?”
मैं बोली-“जी मालकिन” क्योंकी भाभी ने मुझे वाइन पीना सिखा दिया था, तो मैं और भाभी वाइन का शिप लेने लगे। एक-एक पेग लगाकर एक दूसरे के चिपके हुए बेड पर लेटे थे।
तभी भाभी बोली-“अरे पायल, मेरी कुतिया बनकर तूने मुझे खुश कर दिया। अब मुझे एक नई कुतिया की तलाश है। त मेरी मदद करे तो मुझे नई कुतिया मिल जाएगी…”
मैं बोली-क्या मदद करूं मालकिन?
भाभी बोली-“साली देख, तेरी माँ यानी मेरी सास माँ विजय अंकल से चुदवाती है, क्यों ना हम इसे रंगे हाथ पकड़ें और उसे भी अपने ग्रुप में शामिल करें?”
पर मैं बोली-“छीछी मालकिन, ये बहुत गंदा है। कोई माँ अपनी बेटी के साथ ऐसा कैसे करेगी?”
भाभी बोली-“रंडी है साली, वो सब करेगी। तू बस साथ दे मेरा और सुन, तुझे भी लण्ड की जरूरत है…”
भाभी ने मेरे मन की बात बोल दी थी क्योंकी लेस्बो में वो मजा कहां है जो कोई लण्ड दे सकता है। मैंने बोला-“पर कैसे?”
तो उन्होंने मुझे अपना एक प्लान बता दिया और मैं उनके साथ राजी हो गई। प्लान के मुताबिक पहले माँ को हम दोनों को अपने ग्रुप में चोदना है। फिर विजय अंकल से माँ की चुदाई अपने सामने करवानी है और बाद में हम दोनों भी विजय अंकल के लण्ड का मजा लेंगे।
मैं बोली-“फिर राज का क्या होगा?” क्योंकी राज का लण्ड विजय अंकल से एक इंच लंबा और मोटा था। मैं चाहती थी की मेरी चुदाई विजय अंकल से ना होकर, राज से हो या कोई और मस्त मोटे लण्ड से मैं अपनी चूत का उर्द्घाटन करवाऊूँ।
उसके बाद भाभी बोली-“राज से तो तू कभी भी चुद लेना दिन में…”
पर मैं अकेले नहीं चुदना चाहती थी, क्योंकी राज का हलब्बी लण्ड मैं देख चुकी थी और मुझे पता था की यदि राज ने अकेले में चोदा मुझे तो मेरी चूत की धज्जियाँ उड़ा देगा और मेरी चूत को फाड़ देगा, क्योंकी वो बहुत बड़ा चोद था। मुझ पर कोई रहम नहीं करेगा और चूत , मुँह और गाण्ड तीनों को फाड़ देगा।
इसलिए मैंने भाभी को बोला-“मालकिन, मैं पहले राज के लण्ड चुदुन्गी तो आप वहीं रहेगी, नहीं तो राज मेरी और गाण्ड को फाड़कर रख देगा…” क्योंकी मैं अब तक भाभी से बहुत कुछ सीख चुकी थी, या ये कहो मैं पूरी एक रंडी बन चुकी थी। जब तक रात को चूत का रस ना निकाल दूं , तो मुझे नींद नहीं आती थी।
तो भाभी ने मुझे बोला-“ठीक है, तुमको राज के लण्ड से चुदवा दूँगी । पर अपनी इस मालकिन की बात तुम्हें माननी होगी…”
मैं बोली-“मुझे मंजूर है मालकिन…”
फिर उन्होंने मुझे बोल दिया-“पहले मम्मी को अपने ग्रुप में शामिल करते हैं और उसकी चुदाई करते हैं। फिर तुम राज से चुदना और मैं विजय अंकल से। बाद में हम सभी एक साथ चुदेंगे…”
अब हमारा प्लान तय हो चुका था। प्लान के मुताबिक पहले माँ को फाँसना था। तो हमने ये तय किया की आज के बाद माँ और विजय अंकल पर पूरी नजर रखी जाए और मैं और भाभी दोनों ही तैयार हो गये।
उसके कुछ दिनों बाद मैं घर में अकेली थी और भाभी मार्केट गई हुई थी की तभी विजय अंकल आ गये और मुझसे बोले-“कैसी हो बेटा?”
मैं-ठीक हूँ अंकल।
विजय-बेटा, तुम्हारी मम्मी आए तो उनको बोलना की शाम को आज मुझसे मिले।
मैं समझ गई की इसके लण्ड में उफान आ रहा है। मैंने कहा-जी ठीक है।
और विजय चले गये। उसके बाद भाभी आ गई और मैंने भाभी को बता दिया की अंकल आए थे।
भाभी बोली-“बस हो गया काम, यानी आज अंकल मम्मी की चुदाई करेंगे।…” मेरी और भाभी की चूत गीली होने लगी और हम एक दूसरे को मजा देने लगे और कुछ ही देर में हम ठंडे हो गये और बात करने लगे।
भाभी बोली-आज मम्मी फिर से विजय की रंडी बनेगी और हमको आज उसे हर हाल में रंगे हाथों पकड़ना है…”
मैं-“ठीक है मालकिन, जैसा आप कहो…” और हमने उसकी चुदाई देखने के लिए उसके कमरे की खिड़की को थोड़ा सा खोल दिया। अब हम शाम होने का इंतेजार करने लगे।
शाम हुई मम्मी आई, तब मैं बोली-“वो अंकल आए थे…”
मम्मी-कौन से अंकल?
मैं बोली-विजय अंकल।
ये सुनकर तो मम्मी एकदम खुश हो गई और बोली-क्या कहा?
मैं-आपको बुला रहे थे, मिलने को बोला है आपको।
मम्मी बोली-“ठीक है मैं, मिल लूँगी …” और मम्मी चाय पीने लगी।
पर एक दिन मैं कालेज़ नहीं गई तो मैं घर ही थी, और मोम के जाने के बाद अपने रूम में बैठी थी और पीसी पर गाने सुन रही थी। तभी भाभी मेरे रूम में आई तो मैंने देखा कि वो पूरी नंगी थी बस हाई हील थे उनके पैरों में। वैसे अक्सर मोम के जाने के बाद भाभी घर में नंगी रहती और मुझे भी नंगी ही रखती थी।
भाभी मुझसे बोली-क्या कर रही है मेरी कुतिया रंडी?
मैं बोली-आपकी कुतिया गाने सुन रही है।
भाभी बोली-“पायल मेरी ननद, आज कुछ नया करते हैं…”
मैं बोली-क्या करोगी भाभी?
भाभी बोली-“साली मालकिन बोल मुझे, नहीं तो तेरी माँ चोद दूँगी मैं…”
मैं-“जी मालकिन, बोलो क्या करोगी नया?” क्योंकी मुझे खुद को इतना मजा आता था की मैं बता नहीं सकती।
भाभी ने मुझे जल्दी से नंगी होने का हुकुम दिया। मैंने जीन्स टाप पहना था, उतार दिया और ब्रा और पैंटी भी निकालकर रख दी।
भाभी मेरे पास आई और मुझे किस करने लगी। मुझे मेरे बेड पर लेकर लेट गई। भाभी ने मुझे चूम ना शुरू कर दिया, और मैंने भाभी को। कभी वो मुझे चूम ती तो कभी काटती और मैं कभी उसको चूम ती और काटती। फिर हम 69 में आकर दोनों एक दूसरे की चूत को चाटने लगे।
मुझे बहुत मजा आता था चूत चाटने और चटवाने में। हम एक दूसरे की चूत को हराने में लगे थे, कुछ देर बाद हम दोनों की चूत ने लावा छोड़ दिया। हम दोनों ने एक दूसरे की चूत को सॉफ किया और दोनों एक दूसरे को बांहों में भरकर लेट गये। कुछ देर ऐसे ही लेट रहे।
भाभी ने मुझे हुकुम दिया-“मेरी ननद कुतिया, एक ड्रिंक हो जाए?”
मैं बोली-“जी मालकिन” क्योंकी भाभी ने मुझे वाइन पीना सिखा दिया था, तो मैं और भाभी वाइन का शिप लेने लगे। एक-एक पेग लगाकर एक दूसरे के चिपके हुए बेड पर लेटे थे।
तभी भाभी बोली-“अरे पायल, मेरी कुतिया बनकर तूने मुझे खुश कर दिया। अब मुझे एक नई कुतिया की तलाश है। त मेरी मदद करे तो मुझे नई कुतिया मिल जाएगी…”
मैं बोली-क्या मदद करूं मालकिन?
भाभी बोली-“साली देख, तेरी माँ यानी मेरी सास माँ विजय अंकल से चुदवाती है, क्यों ना हम इसे रंगे हाथ पकड़ें और उसे भी अपने ग्रुप में शामिल करें?”
पर मैं बोली-“छीछी मालकिन, ये बहुत गंदा है। कोई माँ अपनी बेटी के साथ ऐसा कैसे करेगी?”
भाभी बोली-“रंडी है साली, वो सब करेगी। तू बस साथ दे मेरा और सुन, तुझे भी लण्ड की जरूरत है…”
भाभी ने मेरे मन की बात बोल दी थी क्योंकी लेस्बो में वो मजा कहां है जो कोई लण्ड दे सकता है। मैंने बोला-“पर कैसे?”
तो उन्होंने मुझे अपना एक प्लान बता दिया और मैं उनके साथ राजी हो गई। प्लान के मुताबिक पहले माँ को हम दोनों को अपने ग्रुप में चोदना है। फिर विजय अंकल से माँ की चुदाई अपने सामने करवानी है और बाद में हम दोनों भी विजय अंकल के लण्ड का मजा लेंगे।
मैं बोली-“फिर राज का क्या होगा?” क्योंकी राज का लण्ड विजय अंकल से एक इंच लंबा और मोटा था। मैं चाहती थी की मेरी चुदाई विजय अंकल से ना होकर, राज से हो या कोई और मस्त मोटे लण्ड से मैं अपनी चूत का उर्द्घाटन करवाऊूँ।
उसके बाद भाभी बोली-“राज से तो तू कभी भी चुद लेना दिन में…”
पर मैं अकेले नहीं चुदना चाहती थी, क्योंकी राज का हलब्बी लण्ड मैं देख चुकी थी और मुझे पता था की यदि राज ने अकेले में चोदा मुझे तो मेरी चूत की धज्जियाँ उड़ा देगा और मेरी चूत को फाड़ देगा, क्योंकी वो बहुत बड़ा चोद था। मुझ पर कोई रहम नहीं करेगा और चूत , मुँह और गाण्ड तीनों को फाड़ देगा।
इसलिए मैंने भाभी को बोला-“मालकिन, मैं पहले राज के लण्ड चुदुन्गी तो आप वहीं रहेगी, नहीं तो राज मेरी और गाण्ड को फाड़कर रख देगा…” क्योंकी मैं अब तक भाभी से बहुत कुछ सीख चुकी थी, या ये कहो मैं पूरी एक रंडी बन चुकी थी। जब तक रात को चूत का रस ना निकाल दूं , तो मुझे नींद नहीं आती थी।
तो भाभी ने मुझे बोला-“ठीक है, तुमको राज के लण्ड से चुदवा दूँगी । पर अपनी इस मालकिन की बात तुम्हें माननी होगी…”
मैं बोली-“मुझे मंजूर है मालकिन…”
फिर उन्होंने मुझे बोल दिया-“पहले मम्मी को अपने ग्रुप में शामिल करते हैं और उसकी चुदाई करते हैं। फिर तुम राज से चुदना और मैं विजय अंकल से। बाद में हम सभी एक साथ चुदेंगे…”
अब हमारा प्लान तय हो चुका था। प्लान के मुताबिक पहले माँ को फाँसना था। तो हमने ये तय किया की आज के बाद माँ और विजय अंकल पर पूरी नजर रखी जाए और मैं और भाभी दोनों ही तैयार हो गये।
उसके कुछ दिनों बाद मैं घर में अकेली थी और भाभी मार्केट गई हुई थी की तभी विजय अंकल आ गये और मुझसे बोले-“कैसी हो बेटा?”
मैं-ठीक हूँ अंकल।
विजय-बेटा, तुम्हारी मम्मी आए तो उनको बोलना की शाम को आज मुझसे मिले।
मैं समझ गई की इसके लण्ड में उफान आ रहा है। मैंने कहा-जी ठीक है।
और विजय चले गये। उसके बाद भाभी आ गई और मैंने भाभी को बता दिया की अंकल आए थे।
भाभी बोली-“बस हो गया काम, यानी आज अंकल मम्मी की चुदाई करेंगे।…” मेरी और भाभी की चूत गीली होने लगी और हम एक दूसरे को मजा देने लगे और कुछ ही देर में हम ठंडे हो गये और बात करने लगे।
भाभी बोली-आज मम्मी फिर से विजय की रंडी बनेगी और हमको आज उसे हर हाल में रंगे हाथों पकड़ना है…”
मैं-“ठीक है मालकिन, जैसा आप कहो…” और हमने उसकी चुदाई देखने के लिए उसके कमरे की खिड़की को थोड़ा सा खोल दिया। अब हम शाम होने का इंतेजार करने लगे।
शाम हुई मम्मी आई, तब मैं बोली-“वो अंकल आए थे…”
मम्मी-कौन से अंकल?
मैं बोली-विजय अंकल।
ये सुनकर तो मम्मी एकदम खुश हो गई और बोली-क्या कहा?
मैं-आपको बुला रहे थे, मिलने को बोला है आपको।
मम्मी बोली-“ठीक है मैं, मिल लूँगी …” और मम्मी चाय पीने लगी।