hotaks444
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मेने नेग के तौर पर उसके उपर आकर उसके होठों को चूमा.., और फिर उसकी कच्ची अनार जैसी चुचियों को सहलाते हुए मेने कड़क लंड
का एक तगड़ा सा धक्का उसकी कच्ची कली में दे मारा…………….!!!!!
इस धक्के ने प्रिया को बिलबिलाने पर मजबूर कर दिया.., अपने दर्द को पीने के लिए उसने सख्ती से अपने होठों को कस लिया, अपनी चीख
निकालने से तो रोक ली लेकिन अपने आँसुओं को वो नही रोक पाई…!
उसकी कच्ची सहेली की झिल्ली को तोड़ता हुआ मेरा साढ़े सात इंच लंबा लंड आधा तक उसकी संकरी गली में जा चुका था.., मेने रुक कर
उसके चेहरे की तरफ देखा जहाँ पीड़ा के असंख्य भाव मौजूद थे..,
झुक कर मेने उसकी आँखों से निकले खारे पानी को उसके सुर्ख गालों पर से जीभ लगाकर चाट लिया और उसकी बंद पलकों को चूमते हुए कहा – बहुत दर्द है जान…?
उसने अपनी पलकें खोलकर मुझे एक नज़र देखा और बस अपनी गर्दन ना में हिला दी.., उसकी इस समर्पण की भावना को देखकर मुझे
उस पर बेहद प्यार आया और में उसके होठों को चूमने चूसने लगा…!
प्रिया का अब ध्यान अपने दर्द से हट चुका था और वो भी मुझे चुंबन का जबाब चुंबनो से ही देने लगी.., मौका ताडकर मेने एक और झटका
अपनी कमर में लगा दिया.. और अपना 3/4 तक लंड उसकी कोरी गागर के अंदर सरका दिया…!
इस बार होठ खुले होने की वजह से प्रिया के मूह से एक दर्द भरी चीख निकल ही गयी.. आअहह…म्माआ… मारीी…, लेकिन जल्दी ही उसने अपनी कराह को अपने होठों में जप्त कर लिया…!
कुच्छ देर रुक कर मेने अपने लंड को थोड़ा बाहर किया.., अंदर से उसकी मुनिया कुच्छ खाली सी हुई तो उसने एक लंबी सी साँस बाहर
छोड़ी.., जिसे वो दर्द के कारण रोके हुए थी…!
लेकिन जल्दी ही मेने उतना ही लंड फिर उसकी ताज़ा सील टूटी मुनिया में पेल दिया.., वो आअहह.. करके रह गयी.., इस तरह से मे बड़े
प्यार से आहिस्ता आहिस्ता से अपने 3/4 लंड को ही उसकी कोरी गागर के अंदर बाहर करता रहा…!
कुच्छ ही धक्कों में उसकी गागर छलकने लगी और अब मेरा लंड थोड़ा आसानी से अंदर बाहर होने लगा.., साथ ही प्रिया भी अब दर्द को भूलकर मादक सिसकियाँ भरने लगी…!
ये देखकर मेने अपने धक्कों की स्पीड थोड़ी और बढ़ा दी.., अब प्रिया भी नीचे से अपनी कमर को हिलाने लगी थी.., उसकी मुनिया में गीलापन और ज़्यादा बढ़ने लगा था.., तभी मेने एक और ज़ोर का झटका धीरे से लगा दिया और मेरे दोनो आँड प्रिया की गोल-गोल गान्ड पर
जा टिके…!
लेकिन इस बार प्रिया सिर्फ़ एक लंबी सी आहह भरकर रह गयी.., और जल्दी ही मेरे साथ कदम ताल मिलाते हुए अपनी पहली चुदाई का मज़ा लूटने लगी…!
अंततः हम दोनो के अथक प्रयास से हम दोनो ही एक साथ अपने अपने चरम सुख तक पहुँच गये…!!!!
उस रात ना मे सोया और ना मेने प्रिया को ही सोने दिया.., चुदाई तो हमने बस एक बार और की.., लेकिन सारी रात बस एक दूसरे की बाहों में लिपटे एक दूसरे को निहारते रहे.., आपस में प्यार मुहब्बत की बातें करते रहे…!
अपने सुहागरात का किस्सा सुनाते सुनाते संजू के चेहरे पर एक सुकून सा दिखाई दे रहा था मानो उसने अभी अभी वो हसीन पल जीए हों.., मे भी उसके उन्न पलों में अपने निशा के साथ बिताई वो पहली रात में पहुँच चुका था…!
ये पल इंसान के जीवन में होते ही कुच्छ स्पेशल हैं जिन्हें वो यादगार के तौर पर हमेशा याद रखता है.., शायद आप लोगों ने भी उन सुनहरे पलों को सॅंजो कर रखा होगा ना….???????
जब वो कुच्छ देर और नही बोला और अपने उन्हीं हसीन पलों में खोया रहा तो मेने उसके कंधे पर हाथ रखा.., उसने चोंक कर मेरी तरफ
देखा तो मेने उसे अपने सीने से लगाकर उसकी पीठ थप-थपाकर उसे उसकी सुहागरात की मुबारकबाद देते हुए कहा…
मुबारक हो मेरे दोस्त.., बस अफ़सोस इस बात का रहा कि हम तुम्हारी शादी में शामिल ना हो सके..,
वो मेरे से अलग होते हुए बोला – कैसी शादी भैया.., मेने तो उस बेचारी लड़की का जीवन ही खराब कर दिया.., क्या दिया मेने उसे..?
मेने उसे हौसला देते हुए कहा – क्या नही दिया तुमने उसे..? उसके अंधेरो से घिरे जीवन को उजाले की एक किरण दी.., रही बात उसके आने वाले जीवन की, तो हम उसे वहाँ से सही सलामत निकाल कर ही दम लेंगे…!
का एक तगड़ा सा धक्का उसकी कच्ची कली में दे मारा…………….!!!!!
इस धक्के ने प्रिया को बिलबिलाने पर मजबूर कर दिया.., अपने दर्द को पीने के लिए उसने सख्ती से अपने होठों को कस लिया, अपनी चीख
निकालने से तो रोक ली लेकिन अपने आँसुओं को वो नही रोक पाई…!
उसकी कच्ची सहेली की झिल्ली को तोड़ता हुआ मेरा साढ़े सात इंच लंबा लंड आधा तक उसकी संकरी गली में जा चुका था.., मेने रुक कर
उसके चेहरे की तरफ देखा जहाँ पीड़ा के असंख्य भाव मौजूद थे..,
झुक कर मेने उसकी आँखों से निकले खारे पानी को उसके सुर्ख गालों पर से जीभ लगाकर चाट लिया और उसकी बंद पलकों को चूमते हुए कहा – बहुत दर्द है जान…?
उसने अपनी पलकें खोलकर मुझे एक नज़र देखा और बस अपनी गर्दन ना में हिला दी.., उसकी इस समर्पण की भावना को देखकर मुझे
उस पर बेहद प्यार आया और में उसके होठों को चूमने चूसने लगा…!
प्रिया का अब ध्यान अपने दर्द से हट चुका था और वो भी मुझे चुंबन का जबाब चुंबनो से ही देने लगी.., मौका ताडकर मेने एक और झटका
अपनी कमर में लगा दिया.. और अपना 3/4 तक लंड उसकी कोरी गागर के अंदर सरका दिया…!
इस बार होठ खुले होने की वजह से प्रिया के मूह से एक दर्द भरी चीख निकल ही गयी.. आअहह…म्माआ… मारीी…, लेकिन जल्दी ही उसने अपनी कराह को अपने होठों में जप्त कर लिया…!
कुच्छ देर रुक कर मेने अपने लंड को थोड़ा बाहर किया.., अंदर से उसकी मुनिया कुच्छ खाली सी हुई तो उसने एक लंबी सी साँस बाहर
छोड़ी.., जिसे वो दर्द के कारण रोके हुए थी…!
लेकिन जल्दी ही मेने उतना ही लंड फिर उसकी ताज़ा सील टूटी मुनिया में पेल दिया.., वो आअहह.. करके रह गयी.., इस तरह से मे बड़े
प्यार से आहिस्ता आहिस्ता से अपने 3/4 लंड को ही उसकी कोरी गागर के अंदर बाहर करता रहा…!
कुच्छ ही धक्कों में उसकी गागर छलकने लगी और अब मेरा लंड थोड़ा आसानी से अंदर बाहर होने लगा.., साथ ही प्रिया भी अब दर्द को भूलकर मादक सिसकियाँ भरने लगी…!
ये देखकर मेने अपने धक्कों की स्पीड थोड़ी और बढ़ा दी.., अब प्रिया भी नीचे से अपनी कमर को हिलाने लगी थी.., उसकी मुनिया में गीलापन और ज़्यादा बढ़ने लगा था.., तभी मेने एक और ज़ोर का झटका धीरे से लगा दिया और मेरे दोनो आँड प्रिया की गोल-गोल गान्ड पर
जा टिके…!
लेकिन इस बार प्रिया सिर्फ़ एक लंबी सी आहह भरकर रह गयी.., और जल्दी ही मेरे साथ कदम ताल मिलाते हुए अपनी पहली चुदाई का मज़ा लूटने लगी…!
अंततः हम दोनो के अथक प्रयास से हम दोनो ही एक साथ अपने अपने चरम सुख तक पहुँच गये…!!!!
उस रात ना मे सोया और ना मेने प्रिया को ही सोने दिया.., चुदाई तो हमने बस एक बार और की.., लेकिन सारी रात बस एक दूसरे की बाहों में लिपटे एक दूसरे को निहारते रहे.., आपस में प्यार मुहब्बत की बातें करते रहे…!
अपने सुहागरात का किस्सा सुनाते सुनाते संजू के चेहरे पर एक सुकून सा दिखाई दे रहा था मानो उसने अभी अभी वो हसीन पल जीए हों.., मे भी उसके उन्न पलों में अपने निशा के साथ बिताई वो पहली रात में पहुँच चुका था…!
ये पल इंसान के जीवन में होते ही कुच्छ स्पेशल हैं जिन्हें वो यादगार के तौर पर हमेशा याद रखता है.., शायद आप लोगों ने भी उन सुनहरे पलों को सॅंजो कर रखा होगा ना….???????
जब वो कुच्छ देर और नही बोला और अपने उन्हीं हसीन पलों में खोया रहा तो मेने उसके कंधे पर हाथ रखा.., उसने चोंक कर मेरी तरफ
देखा तो मेने उसे अपने सीने से लगाकर उसकी पीठ थप-थपाकर उसे उसकी सुहागरात की मुबारकबाद देते हुए कहा…
मुबारक हो मेरे दोस्त.., बस अफ़सोस इस बात का रहा कि हम तुम्हारी शादी में शामिल ना हो सके..,
वो मेरे से अलग होते हुए बोला – कैसी शादी भैया.., मेने तो उस बेचारी लड़की का जीवन ही खराब कर दिया.., क्या दिया मेने उसे..?
मेने उसे हौसला देते हुए कहा – क्या नही दिया तुमने उसे..? उसके अंधेरो से घिरे जीवन को उजाले की एक किरण दी.., रही बात उसके आने वाले जीवन की, तो हम उसे वहाँ से सही सलामत निकाल कर ही दम लेंगे…!