hotaks444
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राज: आपका दर्द अब कैसा है…..?
मैं: (घबराते हुए) अब पहले से बेहतर है…..
राज: आप दवाई तो टाइम से ले रही है ना ?
मैं: हां…
राज: अच्छा मैं अभी फ्रेश होकर बाहर से खाना ले आता हूँ…..आप क्या खाएँगी….
मैं: कुछ भी ले आएँ….
राज उठ कर बाहर जाने लगा…..तो नज़ाने मेरे दिमाग़ मे क्या आया……और मैं उससे पूछ बैठी…..”तुम ने ऐसी हरकत क्यों की….” मेरी बात सुन कर राज फिर से चेर पर बैठ गया. और सर को झुकाते हुए बोला…..” मुझे माफ़ कर दीजिए…..मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गयी….ये सब अंजाने मे हो गया……” उसने एक बार मेरी आँखों मे देखा और फिर से झुका लिया…..
“अंजाने मे ग़लती हो गयी….तुम तो पढ़े लिखे हो….समझदार हो……अच्छे घराने से हो…..तुम उस कंजरी फातिमा की बातों मे कैसे आ गये….” राज ने एक बार फिर से मेरी आँखों मे देखा. इस बार मेरी आँखों मे शिकायत नही बल्कि उसके लिए फिकर्मन्दि थी…..”
राज: भाभी सच कहूँ तो आप नही मानेगी…..पर सच यही है कि इसमे मेरी कोई ग़लती नही है…….दरअसल कल फातिमा बार-2 ऊपेर आकर मुझे उकसा रही थी….मेने इन सब बातों से अपना दिमाग़ हटाना चाहा और बाहर बाज़ार चला गया……बाज़ार मे मेने ड्रिंक भी कर ली. और जब शाम को मैं घर वापिस आया तो फातिमा ऊपेर मेरे रूम मे ज़बरदस्ती घुस्स आई… मेने उसे बहुत मना किया….पर उसने एक नही मानी और मुझे नामर्द कहा…मैं फिर भी चुप रहा तो उसने मुझे फिर से ये कह कर उकसाया कि, तू अपने बाप की औलाद हो ही नही सकता, ज़रूर तेरी माँ का ख़सम भी नामर्द रहा होगा….अपनी माँ से जाकर पूछना कि तेरा असली बाप कॉन है………..भाभी आप यकीन करे कि मैं इतना भड़क गया कि, मुझसे बर्दास्त नही हुआ…..पर फिर भी मैं चुप रहा तो उसने मेरे सामने कपड़े उतार दिए और बोली अगर तू अपने ही बाप की औलाद है तो दिखा अपना दम
ये कहते हुए राज चुप हो गया……मैं अब उसकी हालत समझ सकती थी….आख़िर एक जवान लड़के के सामने अगर एक औरत नंगी होकर उकसाए तो उसका नीतज़ा वही होना था….जो मेने अपनी आँखों से देखा था…….”भाभी मैं सच कह रहा हूँ…..ये सब उस की वजह से हुआ… आप मुझे माफ़ कर दें…..” ये कह कर राज ऊपेर चला गया…..फिर वो फ्रेश होकर नीचे आया, और बोला भाभी मैं ढाबे से खाना लेने जा रहा हूँ….” फिर राज चला गया. मैं उठी और टेबल पर थाली और पानी वेग़ैरह रखा….. थोड़ी देर बाद राज खाना लेकर आया…आज पहली बार राज नीचे खाना खा रहा था…..खाना खाते हुए हम दोनो चुप रहे कोई बात नही हुई………
खाना ख़तम करने के बाद जब मैं बर्तन उठाने के लिए उठी, तो राज ने मुझे रोक दिया और बोला …..”रहने दें भाभी मैं कर देता हूँ….”
मेने कहा नही मैं कर लूँगी…”पर उसने मेरे एक ना सुनी….और मुझे बेड पर रेस्ट करने को कह कर खुद बर्तन लेकर किचन मे चला गया….और बर्तन सॉफ करके सारा काम ख़तम कर दिया…..राज फिर से मेरे रूम मे आया. मैं बेड पर उल्टी लेटी हुई थी…..क्योंकि पीठ के बल लेटने मे अभी थोड़ी दिक्कत होती थी….
उसने एक ग्लास पानी मुझे दिया….और बोला “भाभी जी बताए कॉन से वाली दवाई लेनी है आप ने” मेने उसे दवाई के बारे मे बताया और उसने मुझे वो दवाई निकाल कर डी…..मेने दवाई ली और फिर से पेट के बल लेट गयी…..तभी राज की नज़र मेडिसिन के बीच मे रखे हुए बॉम पर गयी…..और वो बोला…….
राज: क्या आप ने इस बॉम से मालिश की थी…..इससे आपकी तकलीफ़ जल्दी ठीक हो जाएगी….
मैं: जी कल दीदी ने की थी….पर आज कोई नही है…..इसलिए खुद ही थोड़ी सी की है.
राज : चलिए आप लेट जाएँ मैं आपकी कमर पर बॉम लगा कर मालिश कर देता हूँ…..
मैं: नही रहने दीजिए……मैं खुद कर लूँगी….
राज: आप लगा तो खुद लेंगी……..पर मालिश नही कर पायंगी…..मैं आपकी मालिश कर देता हूँ….आप जल्द ही ठीक हो जाएँगी…….
ये कह कर राज चेर से उठ कर बेड पर आकर मेरी जाँघो के पास बैठ गया…….”चलाओ भाभी जी बताएँ कहाँ लगाना है…..” मेने शरमाते हुए अपनी कमीज़ को ऊपेर उठा लिया… और कहा “यहाँ कमर पर……” राज ने थोड़ा सा बॉम अपनी उंगलियों पर लगाया और फिर मेरी कमर पर मलने लगा……जैसे ही उसके हाथ का स्पर्श मेने अपनी नंगी कमर पर महसूस किया……मेरा पूरा बदन कांप गया…..मेरी सिसकारी निकलते-2 रह गयी……राज ने धीरे-2 दोनो हाथों से मेरी कमर की मालिश करनी शुरू कर दी….उसके हाथों का स्पर्श मुझे बहुत आनंद दे रहा था……कई बार उसके हाथों की उंगलियाँ मेरी सलवार के जबरबंद से टकरा जाती तो मेरा दिल जोरो से धड़कने लगता…..पर असल मे दर्द मुझे थोड़ा और नीचे था….पर मैं कुछ कह भी नही पा रही थी…..
राज: भाभी ज़्यादा दर्द कहाँ पर है……
मैं: थोड़ा सा नीचे है……
राज ने फिर थोड़ा और नीचे बॉम लगाना शुरू कर दिया….भले ही उस मालिश से कोई फ़ायदा नही होने वाला था…..क्योंकि चोट नीचे चुतड़ों के पास आई थी…पर फिर भी मुझे उसके हाथों के सपर्श से जो सकून मिल रहा था…..मैं उसको बयान नही कर सकती……”भाभी जी थोड़ी सलवार नीचे सरका दो….ताकि अच्छे से बॉम लगा सके….” राज की बात सुन कर मेरा जहन मेरा वजूद कांप उठा….पर मुझे उसका सपर्श अच्छा लग रहा था…और मुझे सकून भी मिल रहा था…..मेने तुनकते हुए अपनी सलवार को और नीचे की तरफ सरकाया. क्योंकि मेने नाडा बाँधा हुआ था…इसलिए सलवार पूरा नीचे नही हो सकती थी….पर फिर भी काफ़ी हद तक नीचे हो गयी…..”भाभी जी आप तो बहुत गोरी है…मेने इतना गोरा बदन आज तक नही देखा….” वो तो अच्छा था कि मैं उलटी लेटी हुई थी……
उसकी बात सुन कर मेरे गाल शरम के मारे लाल हो गये थे…..मुझे यकीन है कि अकेले कमरे मे वो मुझे अपने इस तरह पास पाकर पागल हो गया होगा….उसने थोड़ी देर और मालिश की और मेने उससे कहा कि अब बस करे…..वो चुप चाप उठ कर ऊपेर चला गया…..मुझे आज बहुत सकून मिल रहा था…..आज कई सालो बाद मेरे जिस्म को ऐसे हाथों ने छुआ था…जिसके स्पर्श मे प्यार मिला हुआ था…..राज के बारे मे सोचते हुए मुझे कब नींद आ गयी मुझे पता ही नही चला….. अगली सुबह जब मैं उठी तो मेरी कमर का दर्द अब बहुत कम हो गया था…..
मैं: (घबराते हुए) अब पहले से बेहतर है…..
राज: आप दवाई तो टाइम से ले रही है ना ?
मैं: हां…
राज: अच्छा मैं अभी फ्रेश होकर बाहर से खाना ले आता हूँ…..आप क्या खाएँगी….
मैं: कुछ भी ले आएँ….
राज उठ कर बाहर जाने लगा…..तो नज़ाने मेरे दिमाग़ मे क्या आया……और मैं उससे पूछ बैठी…..”तुम ने ऐसी हरकत क्यों की….” मेरी बात सुन कर राज फिर से चेर पर बैठ गया. और सर को झुकाते हुए बोला…..” मुझे माफ़ कर दीजिए…..मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गयी….ये सब अंजाने मे हो गया……” उसने एक बार मेरी आँखों मे देखा और फिर से झुका लिया…..
“अंजाने मे ग़लती हो गयी….तुम तो पढ़े लिखे हो….समझदार हो……अच्छे घराने से हो…..तुम उस कंजरी फातिमा की बातों मे कैसे आ गये….” राज ने एक बार फिर से मेरी आँखों मे देखा. इस बार मेरी आँखों मे शिकायत नही बल्कि उसके लिए फिकर्मन्दि थी…..”
राज: भाभी सच कहूँ तो आप नही मानेगी…..पर सच यही है कि इसमे मेरी कोई ग़लती नही है…….दरअसल कल फातिमा बार-2 ऊपेर आकर मुझे उकसा रही थी….मेने इन सब बातों से अपना दिमाग़ हटाना चाहा और बाहर बाज़ार चला गया……बाज़ार मे मेने ड्रिंक भी कर ली. और जब शाम को मैं घर वापिस आया तो फातिमा ऊपेर मेरे रूम मे ज़बरदस्ती घुस्स आई… मेने उसे बहुत मना किया….पर उसने एक नही मानी और मुझे नामर्द कहा…मैं फिर भी चुप रहा तो उसने मुझे फिर से ये कह कर उकसाया कि, तू अपने बाप की औलाद हो ही नही सकता, ज़रूर तेरी माँ का ख़सम भी नामर्द रहा होगा….अपनी माँ से जाकर पूछना कि तेरा असली बाप कॉन है………..भाभी आप यकीन करे कि मैं इतना भड़क गया कि, मुझसे बर्दास्त नही हुआ…..पर फिर भी मैं चुप रहा तो उसने मेरे सामने कपड़े उतार दिए और बोली अगर तू अपने ही बाप की औलाद है तो दिखा अपना दम
ये कहते हुए राज चुप हो गया……मैं अब उसकी हालत समझ सकती थी….आख़िर एक जवान लड़के के सामने अगर एक औरत नंगी होकर उकसाए तो उसका नीतज़ा वही होना था….जो मेने अपनी आँखों से देखा था…….”भाभी मैं सच कह रहा हूँ…..ये सब उस की वजह से हुआ… आप मुझे माफ़ कर दें…..” ये कह कर राज ऊपेर चला गया…..फिर वो फ्रेश होकर नीचे आया, और बोला भाभी मैं ढाबे से खाना लेने जा रहा हूँ….” फिर राज चला गया. मैं उठी और टेबल पर थाली और पानी वेग़ैरह रखा….. थोड़ी देर बाद राज खाना लेकर आया…आज पहली बार राज नीचे खाना खा रहा था…..खाना खाते हुए हम दोनो चुप रहे कोई बात नही हुई………
खाना ख़तम करने के बाद जब मैं बर्तन उठाने के लिए उठी, तो राज ने मुझे रोक दिया और बोला …..”रहने दें भाभी मैं कर देता हूँ….”
मेने कहा नही मैं कर लूँगी…”पर उसने मेरे एक ना सुनी….और मुझे बेड पर रेस्ट करने को कह कर खुद बर्तन लेकर किचन मे चला गया….और बर्तन सॉफ करके सारा काम ख़तम कर दिया…..राज फिर से मेरे रूम मे आया. मैं बेड पर उल्टी लेटी हुई थी…..क्योंकि पीठ के बल लेटने मे अभी थोड़ी दिक्कत होती थी….
उसने एक ग्लास पानी मुझे दिया….और बोला “भाभी जी बताए कॉन से वाली दवाई लेनी है आप ने” मेने उसे दवाई के बारे मे बताया और उसने मुझे वो दवाई निकाल कर डी…..मेने दवाई ली और फिर से पेट के बल लेट गयी…..तभी राज की नज़र मेडिसिन के बीच मे रखे हुए बॉम पर गयी…..और वो बोला…….
राज: क्या आप ने इस बॉम से मालिश की थी…..इससे आपकी तकलीफ़ जल्दी ठीक हो जाएगी….
मैं: जी कल दीदी ने की थी….पर आज कोई नही है…..इसलिए खुद ही थोड़ी सी की है.
राज : चलिए आप लेट जाएँ मैं आपकी कमर पर बॉम लगा कर मालिश कर देता हूँ…..
मैं: नही रहने दीजिए……मैं खुद कर लूँगी….
राज: आप लगा तो खुद लेंगी……..पर मालिश नही कर पायंगी…..मैं आपकी मालिश कर देता हूँ….आप जल्द ही ठीक हो जाएँगी…….
ये कह कर राज चेर से उठ कर बेड पर आकर मेरी जाँघो के पास बैठ गया…….”चलाओ भाभी जी बताएँ कहाँ लगाना है…..” मेने शरमाते हुए अपनी कमीज़ को ऊपेर उठा लिया… और कहा “यहाँ कमर पर……” राज ने थोड़ा सा बॉम अपनी उंगलियों पर लगाया और फिर मेरी कमर पर मलने लगा……जैसे ही उसके हाथ का स्पर्श मेने अपनी नंगी कमर पर महसूस किया……मेरा पूरा बदन कांप गया…..मेरी सिसकारी निकलते-2 रह गयी……राज ने धीरे-2 दोनो हाथों से मेरी कमर की मालिश करनी शुरू कर दी….उसके हाथों का स्पर्श मुझे बहुत आनंद दे रहा था……कई बार उसके हाथों की उंगलियाँ मेरी सलवार के जबरबंद से टकरा जाती तो मेरा दिल जोरो से धड़कने लगता…..पर असल मे दर्द मुझे थोड़ा और नीचे था….पर मैं कुछ कह भी नही पा रही थी…..
राज: भाभी ज़्यादा दर्द कहाँ पर है……
मैं: थोड़ा सा नीचे है……
राज ने फिर थोड़ा और नीचे बॉम लगाना शुरू कर दिया….भले ही उस मालिश से कोई फ़ायदा नही होने वाला था…..क्योंकि चोट नीचे चुतड़ों के पास आई थी…पर फिर भी मुझे उसके हाथों के सपर्श से जो सकून मिल रहा था…..मैं उसको बयान नही कर सकती……”भाभी जी थोड़ी सलवार नीचे सरका दो….ताकि अच्छे से बॉम लगा सके….” राज की बात सुन कर मेरा जहन मेरा वजूद कांप उठा….पर मुझे उसका सपर्श अच्छा लग रहा था…और मुझे सकून भी मिल रहा था…..मेने तुनकते हुए अपनी सलवार को और नीचे की तरफ सरकाया. क्योंकि मेने नाडा बाँधा हुआ था…इसलिए सलवार पूरा नीचे नही हो सकती थी….पर फिर भी काफ़ी हद तक नीचे हो गयी…..”भाभी जी आप तो बहुत गोरी है…मेने इतना गोरा बदन आज तक नही देखा….” वो तो अच्छा था कि मैं उलटी लेटी हुई थी……
उसकी बात सुन कर मेरे गाल शरम के मारे लाल हो गये थे…..मुझे यकीन है कि अकेले कमरे मे वो मुझे अपने इस तरह पास पाकर पागल हो गया होगा….उसने थोड़ी देर और मालिश की और मेने उससे कहा कि अब बस करे…..वो चुप चाप उठ कर ऊपेर चला गया…..मुझे आज बहुत सकून मिल रहा था…..आज कई सालो बाद मेरे जिस्म को ऐसे हाथों ने छुआ था…जिसके स्पर्श मे प्यार मिला हुआ था…..राज के बारे मे सोचते हुए मुझे कब नींद आ गयी मुझे पता ही नही चला….. अगली सुबह जब मैं उठी तो मेरी कमर का दर्द अब बहुत कम हो गया था…..