Chodan Kahani रिक्शेवाले सब कमीने - SexBaba
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Chodan Kahani रिक्शेवाले सब कमीने

hotaks444

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Nov 15, 2016
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एक गर्ल्स स्कूल के सामने दो रिक्शेवान खड़े होकर बतिया रहे थे।
"स्कूल में छुट्टी होने वाली है..."-एक रिक्शेवान बोला।
"सुबह से बोहनी नहीं हुई....शायद भाड़ा मिल जाय....."-दूसरा बोला।
"भाड़ा मिले न मिले लौंडिया तो देखने को मिलेगी।...."
"कल तू क्यों नहीं आया था?....एक कन्टास माल मिली थी।....दूध की तरह गोरी-गोरी टाँग.....उसके घर के सामने ही मूतने के बहाने मूठ मारा था।"
"कल मेरी साली जाने वाली थी तो सोचा क्यों न रगड़ दूँ...."
"तो....रगड़ दिया...."
"सोच तो यही रहा था....लेकिन साली के नखरे बहुत हैं....बोल रही थी मैं किसी रिक्शेवाले को नहीं दूँगी....मन तो कर रहा था वहीं लिटाकर उसकी गाड़ चोद दूँ लेकिन बीवी थी इसलिये बच गई बहन की लौड़ी...."
"तो....कुछ तो किया ही होगा..."
"ऐसे कैसे छोड़ देता.....चूची इतनी कस के मीजा है कि एक महीना मुझे याद करेगी...."
"जियो शेर.....और नीचे वाले में ऊँगलीबाजी नहीं की..."
"मन तो कर रहा था 5 कि पाँचों घुसा दूँ लेकिन फिर भी 3 तो घुसेड़ कर ही माना......"
"तेरी जगह मैं होता तो लिटाकर चाप दिया होता साली को......वो मर्द ही क्या जो हाथ में आई चूत को छोड़ दे...."
"घर में बीवी नहीं होती तो बचने वाली कहाँ थी......लेकिन शादी से पहले तो बोरी में छेद करके ही मानूँगा..."
"ये हुई न मर्दो वाली बात......."
तभी घंटी बजी।
यानि छुट्टी हो गई थी।
 
नीले चेकदार स्कर्ट और सफेद शर्ट में हाई स्कूल व इंटर की लड़कियाँ निकलने लगीं।
ऐसा लग रहा था जैसे पूरा भेड़ो का झुंड ही भागता चला आ रहा हो।
सारी लड़कियाँ अच्छे घरों की थी इसलिये गोरी, मोटी और चिकनी टांगें देख-देख कर सारे रिक्शावालों का लौड़ा फन्नाने लगा।
सब कि सब एक से एक कन्टास थी। अगर छाँटने को कहा जाय तो जो भी हाथ में आ जाय वही बेहतर।
"साली क्या खाती हैं ये सब........एक दम दूध मलाई की तरह चिकनी..."
"सब ताजा-ताजा जवान हुई मुर्गियाँ हैं......नरम गोस्त है अभी....पकड़ के दबोच लो तो खून फेंक दें......"
"गाँड़ देख सालियों की.....एकदम चर्बी से लद गई है.......जिसके हत्थे चढ़ेगीं छेदे बिना नहीं छोड़ेगा...."
तभी एक मस्त कुँवारी कच्ची लड़की एक के पास आकर बोली-
"भइया, मिश्रा कालोनी चलने का क्या लोगे?"
लड़की के आते ही दोनों की भावभंगिमायें ऐसी हो गई मानों दुनिया के सबसे शरीफ इंसान वही हो।
 
"जो समझ में आये दे देना अब आप लोगों से क्या माँगें"- शराफ़त से उसने बोला तो लेकिन लड़की की चूचियों का उभार और उसकी तन्नाई हुई नुकीली चोच देखकर उसका लौड़ा चड्ढी में लिसलिसाने लगा था।
"नहीं पहले भाड़ा बोलो तब बैठूंगी....बाद में आप 10 का 20 मागो तो...."
"अच्छा चलो 15 दे देना......"
लड़की ने दूसरे रिक्शेवाले से पूछा-
"भइया...आप कितना लोगे?"
अभी तक दोनों में बड़ा याराना लग रहा था लेकिन लड़की के सामने आते ही दोनों मानों कटखने कुत्ते की तरह एक दूसरे को देखने लगे थे।
"अब बेवी जी आप से क्या मोल-तोल करें...10 ही दे दीजियेगा......सुबह से बोहनी नहीं हुई आप के हाथों से ही बोहनी कर लूँगा......"
लड़की झट्ट् से उस रिक्शेवाले के रिक्शे पर बैठ गई।
पहला वाला उसे जलती निगाहों से घूरता रहा।
पर दूसरे वाले की तो बल्ले-बल्ले निकल पड़ी थी।
इधर रास्ते में-
"अच्छा हुआ बेवी जी आप उसके रिक्शे में नहीं बैठी..."
"क्यों?"-लड़की ने पूछा।
"अरे वो बहुत कमीना है......"
"मतलब....."-लड़की की दिलचस्पी कुछ बढ़ी।
"कैसे कहे आपसे?.......आपको बुरा लग सकता है।"
लड़की कुछ देर सोचती रही।
30 मिनट के इस सफर में बोर होने से अच्छा था कि रिक्शेवाले की चटपटी बातें ही सुनी जाए।
"बताओ तो क्या हुआ....."
"अरे वो लड़कियों से बदतमीज़ी करता है..."
"किस तरह की बदतमीज़ी....."
 
ये वो उमर होती है जब लड़कियों को बदतमीज़ी शब्द सुनकर ही गुदगुदी हो जाती है।"
"अरे वो लड़कियों को लेकर बहुत गंदा-गंदा बोलता है....."
"क्या बोलता है?"
"आप लोगों को देखकर बोलता है क्या माल है यार.......बस एक बार मिल जाय...."
लड़की हल्के से फुसफुसाकर हंस पड़ी।
"मैं सच कह रहा हूँ बेवी जी....भगवान कसम.....इससे भी गंदी-गंदी बातें बोलता है..."
रिक्शेवान को लग रहा था कि लड़की चालू टाइप की है। इसलिये वो जानबूझकर मजा ले रहा था।
"पूरी बात बताओ न क्या-क्या बोलता है?...."
"अब जब आप इतना कह ही रही है तो बोल ही देता हूँ...."-रिक्शेवाले का लौड़ा चड्ढी में फनफनाने लगा-"...बोल रहा था कि कितनी चिकनी-चिकनी हैं जैसे जवान मुर्गी......"
"अच्छा......सच में बहुत कमीना है..."-लड़की भी मस्त होकर सुन रही थी।
"अरे इतना ही नहीं......कह रहा था इनकी उसपर कितनी चर्बी चढ़ गई है...."
"किस पर?"-लड़की ने जानबूझकर रिक्शेवाले को बढ़ावा दिया।
"अब आपके सामने नाम कैसे ले?"
 
" तुम बताओ ताकि पता तो चले कि वो कितना कमीना है....."- लड़की की धड़कने बढ़ने लगीं थीं।
न जाने रिक्शावान क्या बोले।
"बात तो सही है आपकी...जब तक आपको बताउंगा नहीं तब तक आप जानेगीं कैसे कि कितना बड़ा कमीना है........बोल रहा था कि आप लोगों की गाँड़ पर कितनी चर्बी चढ़ गई है।"
लड़की का हँसने का मन कर रहा था लेकिन किसी तरह उसने कंट्रोल किया।
नासमझ बनने का नाटक करती हुई बोली-
"ये क्या होता है?"
रिक्शेवाले को लगा की अंग्रेजी पढ़ने वाली लड़कियों को क्या पता की गाँड़ क्या होता है। इसलिये वो मस्ती से बताने लगा-
"अब आप लोग अंग्रेजी में पता नहीं क्या बोलती है लेकिन हम लोग उसे गाँड़ ही बोलते हैं....."
"किसे?"-लड़की ने और बढ़ावा दिया। उसे ये सब सुनकर काफी मजा आ रहा था।
"अरे वहीं जहाँ से आप लोग पादती हैं....."

[size=large]"शिट....."-लड़की को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि रिक्शेवाला इतना खुला-खुला बोल देगा-"....आप लोग करते होंगे हम लोग नहीं करते इतना गंदा काम......"
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लड़की की बात सुनकर रिक्शेवाले का लौड़ा फनफना गया था। चड्ढी के अंदर एकाध बूँद माल भी चूँ गया था। उसे तो अजीब सी मस्ती चढ़ रही थी।

"अब झूठ न बोलिये बेवी जी.......पादती तो आप भी होगी......हमारे सामने कहने से शर्मा रही हैं.....भला गाँड़ है तो पाद निकलेगी ही....इसमें शर्माने की क्या बात है...."

"ये सब काम गंदे लोग करते हैं........हम लोग नहीं...."

लड़की की गाँड़ डर के मारे सच में चोक लेने लगी कि कहीं वो सच में ही न पाद निकाल बैठे और रिक्शेवान को आवाज सुनाई दे जाय।

"अब आपका तो पता नहीं बेवी जी लेकिन जब हम अपनी बीवी को रात में गाँड़ में चापते हैं तब वो ज़रूर पाद मारती है.....हो सकता है शादी के बाद आपके साथ भी हो......अरे मैं भी क्या बात कर रहा हूँ.......आप इतनी सुन्दर है.....आपकी गाँड़ भी मोटी है.....आपका पति तो पक्का आपकी गाँड़ चोदेगा........और जब चोदेगा तो पाद तो निकलेगी ही...."
[size=large]रिक्शेवाला अपनी औकात भूल बैठा था। मस्ती का खुमार ऐसा उस पर चढ़ गया था कि वो क्या-क्या बके जा रहा है उसे पता नहीं चल पा रहा था।[/size]
 
. तुम ज्यादा बोलने लगते हो इसलिये.......तुमको नहीं पता एक लड़की से कैसे बात करते हैं?"
"अब बेवी जी हम ठहरे अनपढ़ लोग....कभी स्कूल-कॉलेज का मुँह तो देखे नहीं.......अब हम लोगों को क्या पता कि क्या बोलना चाहिये क्या नहीं......."-रिक्शेवाले ने दाना डाला।
"अच्छा ठीक है......तुम्हें जैसे बताना है बताओ......"-लड़की का पूरा शरीर भी रिक्शेवाले की बातें सुनकर गुदगुदाने लगा था।
अब रिक्शे वाले को मानों हरी झंडी मिल गई। क्या झूठ, क्या सच। एक बार फिर वो मस्ती में गोते खाने लगा।
"अरे बेवी जी वो बहुत बड़ा कमीना है.......बोल रहा था कि आप लोगों के वहाँ पर अभी हल्की-हल्की भूरी-भूरी झाँट आई होगी...."-रिक्शेवाले का लौड़ा कच्छे में हिनहिना पड़ा।
रिक्शेवाले की बात सुनकर लड़की की भी योनि धुकुर-धुकुर करने लगी। दिमाग तो कह रहा था कि इस तरह की बातें न सुने लेकिन दिल कि मस्ती दिमाग पर हावी होने लगी।
"ये क्या होता है?"-लड़की नें अंजान बन कर पूछा।
"ओहो.....बेवी जी आपको झाँट का मतलब भी नहीं पता है.....बताना बड़ा मुश्किल है हाँ....अगर आप कहे तो मैं आपको दिखा सकता हूँ......"
लड़की का दिल जोरों से धड़क उठा।
न चाहते हुये भी हकला पड़ी-
"क....क...कैसे?"
इस वक्त रिक्शा एक ऐसी जगह से गुजर रहा था जहाँ चारों ओर खेत ही खेत था।
रिक्शे वाले को मानों मौका मिल गया।
"बस एक मिनट रुकिए......"

[size=large]. उसने ब्रेक मारकर रिक्शा एक आम के पेड़ के नीचे खड़ा कर दिया।
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ये मुख्य सड़क से कटी हुई एक सड़क थी जो मिश्रा कालोनी की तरफ जा रही थी।
सड़क के दोनों छोर पे घुमावदार मोड़ था।
अधिकतर ये सड़क सूनसान ही पड़ी रहती थी।
रिक्शेवाला नीचे उतरा और अपना पैजामा खोलकर थोड़ा दूर जाकर मूतने लगा।
लड़की चुपचाप चेहरा नीचे किये उसे मूतता हुआ देख रही थी।
उस वक्त उसका दिल बहुत जोर-जोर से धड़कने लगा था।
पता नहीं रिक्शावाला अब क्या करें?
ये सोचकर कक्षी के नीचे उसकी योनि भी धुकुर-धुकुर करने लगी थी।
मूत चुकने के बाद वह खड़ा हुआ और नाड़ा बांधने का बहाना करता हुआ लड़की के पास आया।
[size=large]उस वक्त उसकी निगाहें दोनों छोर का बार-बार मुआयना कर रहीं थीं। कहीं कोई आ तो नहीं रहा।
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. लड़की के पास पहुंच कर पैजामें को नीचे सरकाता हुआ वो बोला-
"बेवी जी......इधर देखिये.......ये है झाँट......"
उसने अपने लौड़े के चारों तरफ उगी हुई काली-काली झाँटों को हाथ में पकड़कर दिखाया।
लड़की ने धड़कते दिल के साथ जब उसके लौड़े की तरफ देखा तो रोमांच के मारे मानों उसका दिल उसके गले में आकर अटक गया हो।
रिक्शेवाले का काला-काला मोटा सा 7 इंच का लौड़ा तन्नाया हुआ उसी को देख रहा था। उस वक्त लौड़े से अजीब तरह की पेशाब की बू आ रही थी लेकिन जिन्दगी में पहली बार किसी जवान आदमी का लौड़ा देखकर मानों उसके होशो हवाश उड़ गये थे।
रिक्शेवान बड़ी पैनी निगाहों से लड़की के हाव-भाव को ताड़ रहा था।
उसे समझते देर नहीं लगी की लौंडिया अभी पूरी तरह से कोरी है।
उसने लौड़े को मुट्ठी में पकड़कर जोर से हिलाया-
"इसको कहते हैं लौड़ा........रोज रात को इसी से अपनी बीवी की गाँड़ चोदता हूँ.....जब कस के चापता हूँ तो पाद मारती है........"
 
रिक्शेवान को मस्ती ज़रूर चढ़ी थी लेकिन वो पूरी तरह से चौकन्ना था।
तभी दूर से किसी मोटर साइकिल की आवाज आती हुई महसूस हुई।
रिक्शेवाले की फट पड़ी। तुरन्*त सीट पर आ बैठा और पैडल मारने लगा।
कुछ ही देर में एक मोटर साइकिल उसको क्रास करते हुये आगे निकल गई।
तब जाकर उसकी जान में जान आई।
रास्ते का सन्नाटा एक बार फिर उसके दिमाग में चढ़ने लगा-
"बेवी जी एक बात पूछूं......."
"......"-लड़की की मानों बोलती ही बंद हो गई थी।
पर रिक्शेवाला तो अपनी ही मस्ती में मगन था।
"क्या आपके भी वहाँ पर झाँट हैं?......"
तब एकाएक मानों लड़की को होश आया हो। एक रिक्शेवाला अपनी औकात से कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ रहा
 
. "तुमसे मतलब.......चुपचाप अपना काम करो...."-लड़की ने रिक्शेवाले को घुड़का।
"ये तो कोई बात नहीं हुई बेवी जी........आपने तो हमारा देख लिया और जब अपनी बारी आई तो गुस्सा दिखा रही हैं। जैसे की हम रिक्शेवालों की इज्जत कोई इज्जत ही नहीं है।....."- रिक्शेवान अब कहाँ बाज आने वाला था।
"मैंने थोड़ी न कहा था तुमको दिखाने के लिये......."-लड़की ने भी जवाब दिया।
रिक्शेवान की नजर आस-पास उगे अरहर के खेतों पर बड़ी बारीकी से फिर रहीं थीं।
थोड़ी दूर आगे जाकर हल्का सा सन्नाटा दिखा तो ढीढता पर उतर आया-
"देखिये बेवी जी......जो हो लेकिन आपने मेरा देखा है.....अब आपको भी अपना दिखाना पड़ेगा वरना मैं सब को बता दूँगा की आपने मेरा लौड़ा देखा है......पूरे स्कूल में आपकी बदनामी हो जायेगी......"

[size=large]. रिक्शेवाले की ऐसी ढीढता देखकर लड़की का दिल जोरों से धड़क उठा।
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"त...तुम चाहते क्या हो?"
"कुछ नहीं......भला मैं गरीब आदमी आपसे क्या चाह सकता हूँ.....आज तक मैंने किसी गोरी लड़की की झाँट नहीं देखी बस एक बार आप दिखा दीजिये सारी बात यहीं कि यहीं खत्म हो जायेगी....."
"नहीं.......तुम किसी को बता दोगे तो..."- लड़की को भी लगा कि बात अगर इतने से खत्म हो रही है तो क्या फायदा आगे बढ़ाने से। दिखा-विखा कर फुरसत लो।
रिक्शेवान की आंखों में मानों कमीनेपन के हजारों जुगनू चमक उठे।
मुँह में पानी आ गया।
मंझा हुआ खिलाड़ी था शिकार को फाँसना अच्छी तरह से आता था।
"मैं भला किसी को क्यों बताउंगा.......आपने मेरा देखा मैने आपका देखा...हिसाब बराबर....कहानी खतम.....लेकिन यहाँ नहीं......"
"तो फिर कहाँ...?"-लड़की की योनि इस बात से चुनचुनाने लगी थी कि आज पहली बार कोई आदमी उसे देखने वाला था।
"अंदर...अरहर के खेत में.......यहाँ सड़क पर कोई आ गया तो आपकी भी बदनामी होगी और मेरी भी....."
[size=large]रिक्शेवाले ने रिक्शे को सड़क के एक किनारे खड़ाकर दिया।
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. लड़की का दिल डर के मारे जोर-जोर से धड़क रहा था।
"जल्दी से देखना.......फिर मैं चली आउंगी......"
रिक्शेवान भी कहाँ पीछे रहने वाला था-
"तो और क्या यहाँ पर आपका नाच देखूँगा.....पहले तुम जाओ फिर मैं आता हूँ.....खेत में जाते ही ऐसे बैठ जाना जैसे मूत रही हो ताकि किसी को शक न हो......"
लड़की अपना बैग रिक्शे पर ही छोड़कर अरहर के खेत में घुस गई।
इधर रिक्शेवाले की शैतान खोपड़ी सक्रिय हो गई।
उसने लड़की का बैग सीट के नीचे डाला और वही से तेल की एक शीशी निकालकर पहले गौर से इधर-उधर देखा और फिर लपक कर खेत में घुस गया।
कुँवारी बोरी जो फाड़नी थी।
अरहर के थोड़ा अंदर जाते ही उसे वो लड़की बैठी हुई नजर आई।
रिक्शेवाले ने पहले आस-पास अरहर के पौधों को तोड़कर एक खुली जगह बनाई फिर अपना पैजामा और कुर्ता उतारकर वहाँ पर फैला दिया।
"तुम कपड़ा क्यों उतार रहे हो?....."लड़की का दिल और योनि धुकधुकाने लगी।
 
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