hotaks444
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उस रात मैने चुदाई नहीं की क्योंकि दूसरे दिन मैं और मीनल हनींऊन पर जाने वाले थे. हनींऊन में मीनल की अच्छी चुदाई करने के लिये फ़िर लन्ड को आराम देना जरूरी था. हम सब काफ़ी थक गये थे इसलिये सभी ने सिर्फ़ आराम किया और खूब सोये.
आखिर हम दोनों हनींऊन पर निकले. भाभी और सीमा ने हमें बिदाई दी. साथ बस एक ही छोटा सूटकेस लिया था. जब सीमा तरह तरह के कपड़े पैक कर रही थी तो मैने ही मना कर दिया. बोला “तेरी दीदी को मैं अधिकतर नंगा ही रखूंगा, दिन रात चोदूंगा, सिर्फ़ दो जोड़ी काफ़ी हैं बाहर जाने के लिये, तो क्यों ज्यादा कपड़े रखती है मेरी प्यारी गुड़िया साली?” सुनकर सीमा हम्सने लगी और मीनल को खिजाने लगी. “दीदी तेरे तो अब मजे हैं हफ़्ते भर, पर जरा संहल के रहना, जीजाजी का यह हलब्बी लन्ड जो आज तक हम तीनों मिल कर संहालते थे, अब सिर्फ़ तेरे पीछे पड़ेगा.”
सीमा के कान में मैने कुछ कहा और उसकी आंखें शैतानी से चमकने लगीं. मेरी कही चीजेम उसने चुपचाप सूटकेस में रख दीं. बेचारी मीनल के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं. वह डरकर ऐसे रोने लगी जैसे दुल्हन बिदा के वक्त रोती हैं जबकि हम हफ़्ते भर बाद यहीं वापस आने वाले थे.
मीनल टैक्सी में बैठी तब तक भाभी ने मेरे कान में कहा. “मजा करो बेटा, और मीनल की बिलकुल परवाह करने की जरूरत नहीं है, जरा ज्यादा ही नाजुक है, सीमा जैसी चुदैल नहीं है. उसे मस्त चोदो और एक पत्नी के सब कर्तव्य सिखा दो. रोती है तो रोने दो, बल्कि और रुला रुला के भोगो. आगे तेरे काबू में रहेगी. अपने दिल की हर मुराद पूरी कर लो, कितनी ही कांउक क्यों न हो. यहां मैं आराम से अपनी छोटी बेटी के साथ मजे करूंगी. अकेले में उससे मनचाहा सम्भोग करने का यही अच्छा मौका है.”
जब हम ट्रेन में अपने कूपे में पहुम्चे तो मीनल सिमट कर एक कोने में बैठ गई. ट्रेन शुरू होने के बाद मैने दरवाजा लगा लिया और उसे भींच कर चूमने लगा. वह अभी भी घबरा रही थी कि मैं वही उसकी गांड न मारने लगूम. पर मैंने उसे प्यार से खूब चूमा और कहा कि ट्रेन में तो मैं उसे चोदूंगा भी नहीं, सिर्फ़ चूसूंगा और चुसवाऊंगा. अब मैं उसके बुर के रस का दीवाना हो चुका था इस्लैये सीधे उसकी साड़ी ऊपर की और उसमें घुस गया. उसकी पैंटी खींच कर निकाली और उसकी बुर पर टूट पड़ा. घबराहट के बावजूद मेरी रानी भी काफ़ी उत्तेजित थी और बुर में से रस टपक रहा था. वह शरमा कर नहीं नहीं करती रही और मैं उसपर ध्यान देकर उसकी हफ़्ते से अनछुई बुर पर मुंह लगाकर बैठ गया और उस खजाने पर ताव मारने लगा.
मैंने उसे घम्टे भर जरूर चूसा होगा. वह भी झड़ झड़ कर निहाल हो गई. उसकी सुख भरी सीत्करियां सुनकर मुझे बड़ा अच्छा लगा क्योंकि मैं जानता था कि होटल पहुम्चने पर हनींऊन में मैं उस का क्या हाल करने वाला हूं इसलिये अभी तो उसे भरसक सुख पहुम्चाना मेरा कर्तव्य था.
जब मुझसे और सहन नहीं हुआ तो मैंने उसे उठने को कहा और खुद आराम से सीट पर बैठ गया. अपना लौड़ा पैम्ट में से निकाला और मीनल को नीचे अपने सांअने बिठा कर उसे चूसने को कहा. वह बड़ी खुशी से मेरा लन्ड मुंह में लेकर चूसने लगी. पहले वह सिर्फ़ सुपाड़ा लेकर चूस रही थी. मैने उसका सिर पकड़ कर जबरदस्ती अपनी गोद में भींच लिया. पूरा लन्ड धीरे धीरे मेरी रानी के मुंह में उतर गया. उसे पूरा लन्ड मुंह में लेने में काफ़ी तकलीफ़ हुई, दम घुटने से वह गोंगियाने लगी और छूटने को हाथ पैर मारने लगी पर मैने उसके गले में लन्ड जड़ तक उतार ही दिया. फ़िर धक्के दे देकर उसका मुंह और गला चोदने लगा.
बहुत आनन्द आया उसके गीले तपते मुंह को चोद कर. आखिर वह थक कर निढाल हो गई और छूटने की कोशिश बन्द करके चुपचाप चूसने लगी. झड़ कर मैंने करीब पाव कटोरी वीर्य उसके गले में फ़ेम्का जो वह चुपचाप पी गई. जब उसे छोड़ा तो अपने गले को मलती हुई वह मुझे उलाहना देने लगी पर झूटे गुस्से से. मुझे मालूम था कि उसे मेरा वीर्य बहुत अच्छा लगता था और उसे पीने के लिये वह अपनी गले की चुदाई बरदाश्त कर सकती थी.
रास्ते भर हमारा यह मुंह से चूसना और चुसवाना चलता रहा. हम सुबह होटल पहुम्चे और खाना खा कर सीधे सो गये. शांअ को उठे, नहाया और जल्दी खाना खाकर फ़िर कमरे में आ गये. मीनल बेचारी घूमने जाना चाहती थी पर मैं तो अब उसके शरीर को पूरी तरह बिना किसी हिचक भोगने को आतुर था. इसलिये उसकी बात टाल कर कमरे में ले आया.
रास्ते में मैने उससे पूछा. “आज की रात तुंहारी मेरी जान, जो बोलोगी वह करूंगा. कल से मेरी बारी, मस्त मसल मसल कर चबा चबा कर भोगूंगा तेरी जवानी, इसलिये आज मजा कर ले.” कमरे में आकर दरवाजा लगाकर मैं तुरम्त नंगा हो गया. फ़िर मीनल के भी कपड़े उतार दिये. वह फ़िर दुल्हन जैसी शरमा रही थी पर उत्तेजित भी थी.” डार्लिंग, आज मैं चाहती हूं कि आप मेरी खूब चूसेम और जीभ से मुझे चोदेम, फ़िर अपने इस लन्ड से भी चोदिये. पर प्लीज़ मेरी गांड मत मारिये, बहुत दुखता है.”
मैंने उसे विश्वास दिलाया कि आज उसकी गांड सलांअत रहेगी. उसकी इच्छानुसार मैने उसकी चूत चूसना शुरू कर दिया. मैंने ठान ली थी कि आज मीनल की इतनी चूसूंगा कि गिड़गिड़ाने लगेगी. इसलिये पहले मैंने उसे पलन्ग पर लिटाकर उसकी बुर चूसी और जब वह गरम हो गई तो सीधा लेटकर उसे अपने मुंह पर बिठा लिया. मेरे मुंह पर चूत जमाकर उछल उछल कर उसने खूब हस्तमैथुन किया. फ़िर मैने एक छोटे लन्ड जैसे अपनी जीभ बाहर निकाली और उसे बुर में लेकर मेरी पत्नी ने उसे खूब चोदा. मैं भी जीभ दुखने के बावजूद उसे कड़ा किये उसकी बुर में घुसाया रहा जब तक वह सम्तुष्ट नहीं हो गई.
फ़िर उसे कुर्सी में टांगेम फ़ैलाकर बिठाया और उसके सांअने नीचे बैठकर उसकी चूत चूसी. अब वह लस्त हो गई थी और झड़ झड़ कर परेशान हो गई थी. इसलिये छोड़ने को कहने लगी. मैने एक न सुनी और फ़िर उस उठा कर पलन्ग पर ले गया और जबरदस्ती उसके चूत अपने मुंह में लेकर चूसता रहा. वह हाथ पैर पटकने लगी क्योंकि उसकी बुर अब इतनी सम्वेदन्शील हो चुकी थी कि मेरे होंठ या जीभ लगते ही वह सिसक उठती थी.
आखिर जब वह रोने को आ गई तब मैंने चूसना बन्द करके अपना लन्ड उसकी बुर में डाला और उसपर चढकर चोदने लगा. यह चुदाई भी उसकी झड़ी बुर को सहन नहीं हो रही थी इसलिये वह बार बार मुझसे याचना करती रही पर मैं बोला. “आज तो तेरे हनींऊन का पहला दिन है रानी, आज छोड़ दूंगा तो तेरी मां और बहन कहेगी कि उनकी बेटी को प्यासा ही वापस ले आये, इसलिये चोदूंगा जरूर.” और उसका मुंह अपने होंठों से बन्द करके मै उसे जोरोम से चोदने लगा.
आखिर हम दोनों हनींऊन पर निकले. भाभी और सीमा ने हमें बिदाई दी. साथ बस एक ही छोटा सूटकेस लिया था. जब सीमा तरह तरह के कपड़े पैक कर रही थी तो मैने ही मना कर दिया. बोला “तेरी दीदी को मैं अधिकतर नंगा ही रखूंगा, दिन रात चोदूंगा, सिर्फ़ दो जोड़ी काफ़ी हैं बाहर जाने के लिये, तो क्यों ज्यादा कपड़े रखती है मेरी प्यारी गुड़िया साली?” सुनकर सीमा हम्सने लगी और मीनल को खिजाने लगी. “दीदी तेरे तो अब मजे हैं हफ़्ते भर, पर जरा संहल के रहना, जीजाजी का यह हलब्बी लन्ड जो आज तक हम तीनों मिल कर संहालते थे, अब सिर्फ़ तेरे पीछे पड़ेगा.”
सीमा के कान में मैने कुछ कहा और उसकी आंखें शैतानी से चमकने लगीं. मेरी कही चीजेम उसने चुपचाप सूटकेस में रख दीं. बेचारी मीनल के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं. वह डरकर ऐसे रोने लगी जैसे दुल्हन बिदा के वक्त रोती हैं जबकि हम हफ़्ते भर बाद यहीं वापस आने वाले थे.
मीनल टैक्सी में बैठी तब तक भाभी ने मेरे कान में कहा. “मजा करो बेटा, और मीनल की बिलकुल परवाह करने की जरूरत नहीं है, जरा ज्यादा ही नाजुक है, सीमा जैसी चुदैल नहीं है. उसे मस्त चोदो और एक पत्नी के सब कर्तव्य सिखा दो. रोती है तो रोने दो, बल्कि और रुला रुला के भोगो. आगे तेरे काबू में रहेगी. अपने दिल की हर मुराद पूरी कर लो, कितनी ही कांउक क्यों न हो. यहां मैं आराम से अपनी छोटी बेटी के साथ मजे करूंगी. अकेले में उससे मनचाहा सम्भोग करने का यही अच्छा मौका है.”
जब हम ट्रेन में अपने कूपे में पहुम्चे तो मीनल सिमट कर एक कोने में बैठ गई. ट्रेन शुरू होने के बाद मैने दरवाजा लगा लिया और उसे भींच कर चूमने लगा. वह अभी भी घबरा रही थी कि मैं वही उसकी गांड न मारने लगूम. पर मैंने उसे प्यार से खूब चूमा और कहा कि ट्रेन में तो मैं उसे चोदूंगा भी नहीं, सिर्फ़ चूसूंगा और चुसवाऊंगा. अब मैं उसके बुर के रस का दीवाना हो चुका था इस्लैये सीधे उसकी साड़ी ऊपर की और उसमें घुस गया. उसकी पैंटी खींच कर निकाली और उसकी बुर पर टूट पड़ा. घबराहट के बावजूद मेरी रानी भी काफ़ी उत्तेजित थी और बुर में से रस टपक रहा था. वह शरमा कर नहीं नहीं करती रही और मैं उसपर ध्यान देकर उसकी हफ़्ते से अनछुई बुर पर मुंह लगाकर बैठ गया और उस खजाने पर ताव मारने लगा.
मैंने उसे घम्टे भर जरूर चूसा होगा. वह भी झड़ झड़ कर निहाल हो गई. उसकी सुख भरी सीत्करियां सुनकर मुझे बड़ा अच्छा लगा क्योंकि मैं जानता था कि होटल पहुम्चने पर हनींऊन में मैं उस का क्या हाल करने वाला हूं इसलिये अभी तो उसे भरसक सुख पहुम्चाना मेरा कर्तव्य था.
जब मुझसे और सहन नहीं हुआ तो मैंने उसे उठने को कहा और खुद आराम से सीट पर बैठ गया. अपना लौड़ा पैम्ट में से निकाला और मीनल को नीचे अपने सांअने बिठा कर उसे चूसने को कहा. वह बड़ी खुशी से मेरा लन्ड मुंह में लेकर चूसने लगी. पहले वह सिर्फ़ सुपाड़ा लेकर चूस रही थी. मैने उसका सिर पकड़ कर जबरदस्ती अपनी गोद में भींच लिया. पूरा लन्ड धीरे धीरे मेरी रानी के मुंह में उतर गया. उसे पूरा लन्ड मुंह में लेने में काफ़ी तकलीफ़ हुई, दम घुटने से वह गोंगियाने लगी और छूटने को हाथ पैर मारने लगी पर मैने उसके गले में लन्ड जड़ तक उतार ही दिया. फ़िर धक्के दे देकर उसका मुंह और गला चोदने लगा.
बहुत आनन्द आया उसके गीले तपते मुंह को चोद कर. आखिर वह थक कर निढाल हो गई और छूटने की कोशिश बन्द करके चुपचाप चूसने लगी. झड़ कर मैंने करीब पाव कटोरी वीर्य उसके गले में फ़ेम्का जो वह चुपचाप पी गई. जब उसे छोड़ा तो अपने गले को मलती हुई वह मुझे उलाहना देने लगी पर झूटे गुस्से से. मुझे मालूम था कि उसे मेरा वीर्य बहुत अच्छा लगता था और उसे पीने के लिये वह अपनी गले की चुदाई बरदाश्त कर सकती थी.
रास्ते भर हमारा यह मुंह से चूसना और चुसवाना चलता रहा. हम सुबह होटल पहुम्चे और खाना खा कर सीधे सो गये. शांअ को उठे, नहाया और जल्दी खाना खाकर फ़िर कमरे में आ गये. मीनल बेचारी घूमने जाना चाहती थी पर मैं तो अब उसके शरीर को पूरी तरह बिना किसी हिचक भोगने को आतुर था. इसलिये उसकी बात टाल कर कमरे में ले आया.
रास्ते में मैने उससे पूछा. “आज की रात तुंहारी मेरी जान, जो बोलोगी वह करूंगा. कल से मेरी बारी, मस्त मसल मसल कर चबा चबा कर भोगूंगा तेरी जवानी, इसलिये आज मजा कर ले.” कमरे में आकर दरवाजा लगाकर मैं तुरम्त नंगा हो गया. फ़िर मीनल के भी कपड़े उतार दिये. वह फ़िर दुल्हन जैसी शरमा रही थी पर उत्तेजित भी थी.” डार्लिंग, आज मैं चाहती हूं कि आप मेरी खूब चूसेम और जीभ से मुझे चोदेम, फ़िर अपने इस लन्ड से भी चोदिये. पर प्लीज़ मेरी गांड मत मारिये, बहुत दुखता है.”
मैंने उसे विश्वास दिलाया कि आज उसकी गांड सलांअत रहेगी. उसकी इच्छानुसार मैने उसकी चूत चूसना शुरू कर दिया. मैंने ठान ली थी कि आज मीनल की इतनी चूसूंगा कि गिड़गिड़ाने लगेगी. इसलिये पहले मैंने उसे पलन्ग पर लिटाकर उसकी बुर चूसी और जब वह गरम हो गई तो सीधा लेटकर उसे अपने मुंह पर बिठा लिया. मेरे मुंह पर चूत जमाकर उछल उछल कर उसने खूब हस्तमैथुन किया. फ़िर मैने एक छोटे लन्ड जैसे अपनी जीभ बाहर निकाली और उसे बुर में लेकर मेरी पत्नी ने उसे खूब चोदा. मैं भी जीभ दुखने के बावजूद उसे कड़ा किये उसकी बुर में घुसाया रहा जब तक वह सम्तुष्ट नहीं हो गई.
फ़िर उसे कुर्सी में टांगेम फ़ैलाकर बिठाया और उसके सांअने नीचे बैठकर उसकी चूत चूसी. अब वह लस्त हो गई थी और झड़ झड़ कर परेशान हो गई थी. इसलिये छोड़ने को कहने लगी. मैने एक न सुनी और फ़िर उस उठा कर पलन्ग पर ले गया और जबरदस्ती उसके चूत अपने मुंह में लेकर चूसता रहा. वह हाथ पैर पटकने लगी क्योंकि उसकी बुर अब इतनी सम्वेदन्शील हो चुकी थी कि मेरे होंठ या जीभ लगते ही वह सिसक उठती थी.
आखिर जब वह रोने को आ गई तब मैंने चूसना बन्द करके अपना लन्ड उसकी बुर में डाला और उसपर चढकर चोदने लगा. यह चुदाई भी उसकी झड़ी बुर को सहन नहीं हो रही थी इसलिये वह बार बार मुझसे याचना करती रही पर मैं बोला. “आज तो तेरे हनींऊन का पहला दिन है रानी, आज छोड़ दूंगा तो तेरी मां और बहन कहेगी कि उनकी बेटी को प्यासा ही वापस ले आये, इसलिये चोदूंगा जरूर.” और उसका मुंह अपने होंठों से बन्द करके मै उसे जोरोम से चोदने लगा.