hotaks444
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[font=Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]हरामी मौलवी
हिन्दी फ़ॉन्ट बाइ मी ( कामिनी )
लेख़क – lovexossippakistan
फ्रेंड्स एक कहानी पोस्ट कर रही हूँ जो आपको ज़रूर पसंद आएगी
एक ऐसी अनाचार कहानी जो कि पाकिस्तान के शहर सरगोधा की है। ये एक गरीब परिवार की कहानी है जो कि हालात और वक़्त का साथ कैसे अमीर बन गये, जो कि इनको भी इसका पता ना चल सका। इस कहानी में किरदार बहुत हैं। शुरू में किरदार इतने तो नहीं होंगे लेकिन वक़्त के साथ-साथ किरदार मजीद आते जायेंगे। तो हाजिर है ‘हरामी मौलवी’।
***** *****कहानी के किरदार-
01॰ मौलवी इकबाल अहमद-उम्र 52 साल, एक मस्जिद का खतीब और इमाम, इसकी शादी 18 साल की उमर में हो गई थी रुखसाना से, 6 बेटियों और एक बेटे का बाप।
02॰ रुखसाना-मौलवी इकबाल की बीवी, बहुत ही खूबसूरत, उम्र 47 साल।
03॰ निदा-बड़ी बेटी, उम्र 32 साल।
04॰ मिशा-दूसरी बेटी, उम्र 31 साल।
05॰ आयशा-तीसरी बेटी, उम्र 29 साल।
06॰ इशरत-चौथी बेटी, उम्र 28 साल।
07॰ रज़िया-पाँचवी बेटी, उम्र 25 साल।
08॰ फिरदौस-छटवीं बेटी, उम्र 23 साल।
09॰ फ़रदीन-बेटा, उम्र 21 साल। [/font]
[font=Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]
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KaminiPlatinum MemberPosts: 2114Joined: 12 Jan 2017 13:15
Re: हरामी मौलवी
[font=Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]Post by Kamini » 20 Nov 2017 18:50[/font]
***** ***** मौलवी इकबाल अपने ड्राइंग रूम में कुछ लोगों के पास बैठा हुआ था उसके साथ उसकी बीवी रुखसाना भी साथ थी। जो लोग आए हुये थे वो मौलवी साहब की बड़ी बेटी को देखने के लिए आए थे। मौलवी साहब अपनी बेटियों की शादी की वजह से बहुत परेशान थे।
जो लोग आए हुये थे उनमें से एक औरत ने कहा-“मौलवी साहब आपकी बहुत ज्यादा इज़्ज़त है और आपकी सब बेटियाँ भी खूबसूरत हैं, लेकिन गरीबी बहुत है जिसकी वजह से हम आपकी तरफ रिश्ता नहीं कर सकते…” और वो लोग उठकर चले गये। 2
अंदर दूसरे कमरे में निदा जो मौलवी इकबाल की बड़ी बेटी थी, सब सुन रही थी, जो लोग कह का गये और दिल ही दिल में अपनी किस्मत और हालात के बारे में सोचने लगी-अगर हम अमीर होते तो कब की मेरी शादी हो चुकी होती।
मौलवी साहब तो उठकर मस्जिद में चले गये और रुखसाना ने निदा और बाकी बेटियों को सब बातें बता दिया अभी माँ बेटियाँ बातें कर रही थी की मौलवी साहब की साली आ गई और अपनी बहन रुखसाना के पास आकर बैठ गई। उसके बाद रुखसाना ने सारी बातें बता दी।
तो रुखसाना की बहन जिसका नाम शुगुफ़्ता था उसने कहा-“बाजी आप किसी को दिखाएँ मुझे तो ऐसा लगता है कि कोई ‘काला-ईल्म’ का चक्कर है नहीं तो शादी कब की हो चुकी होती। लगता यही है कि किसी ने बंदिश करवाई हुई है…”
रुखसाना ने अपनी बहन से कहा-“मैं आज जरूर मौलवी साहब से बात करूँगी, फिर देखते हैं क्या होता है ?”
आज रुखसाना भी बहुत खुश थी क्योंकी उसका इकलौता बेटा फ़रदीन 5 दिन की छुट्टी पे आ रहा था घर। मौलवी साहब को अपने बेटे से बहुत प्यार था और फ़रदीन बहुत इंटेलिजेंट था वो एम॰बी॰बी॰एस॰ कर रहा था, मेरिट पे आया था, उसका तीसरा साल पूरा हो गया था। आजकल वो अपने अम्मी-अब्बू के पास रहने का लिए आ रहा था।
शाम को मौलवी साहब अपने बेटे को अड्डे से लेकर आ गये। जब घर में फ़रदीन आया तो सब बहुत खुश हुये। सारी बहनें अपने इकलौता भाई सा मिलकर बहुत खुश हुई। फिर फ़रदीन नहाने चला गया और रुखसाना ने अपनी बेटियों को कहा-“आज मेरा बेटा आया है इसलिए आज चिकन पकाओ…”
जब भी फ़रदीन घर आता है उसकी घर में खूब खिदमत होती है, क्योंकी होस्टल की लाइफ में कहाँ अच्छा खाना मिलता है। इसी तरह शाम से रात हो गई। सब खाना खा रहे होते हैं तो मौलवी साहब ने अपने बेटे से कहा-“सिर्फ़ पढ़ते ही हो या अल्लाह को भी याद करते हो?”
जवाब में फ़रदीन ने कहा-“मैं अल्लाह को भी याद करता हूँ। बस कुछ ही वक़्त रह गया उसका बाद मैं डॉक्टर बनकर गरीब लोगों की खिदमत करूँगा। लेकिन बस ये चाहता हूँ कि सब बहनों की शादी जल्दी हो जाए। उस वक़्त तक फ़रदीन के दिल और दिमाग़ में कोई ऐसी-वैसी उल्टी-सीधी बात नहीं थी।
मौलवी इकबाल के घर में एक ड्राइंग रूम था। जब भी फ़रदीन आता घर तो वो ड्राइंग रूम के साथ जो छोटा कमरा था वहीं सोता था। एक रूम मौलवी और उसकी बीवी का था। और बाकी दो कमरों में मौलवी की 6 बेटियाँ रहती थी। मौलवी साहब की 6 की 6 बेटियाँ पढ़ी लिखी थी। घर में वो परदा तो नहीं करती थी लेकिन किसी गैर के सामने वो नकाब ही करती थीं।
रात को चाय पीने के बाद मौलवी साहब ने फ़रदीन को कहा-“बेटा, कल बात करेंगे, आज तुम सफ़र करके आए हो इसलिए आज आराम करो…”
फिर खाने के बर्तनजो थे रुखसाना की बेटियों ने साफ किए और अपने रूम में चली गईं। इन दिनों सर्दी भी बहुत थी। फ़रदीन अपने रूम में चला गया और बेटियाँ अपने रूम में चली गईं। रुखसाना भी अपने रूम में मौलवी के पास बैठी बातें कर रही थी। उसने उसकी बहन ने जो कहा सब बताया। तो मौलवी साहब नहीं माने, लेकिन बाद में कहा-“अच्छा, मेरा एक जान पहचान वाला आदमी है उससे बात करता हूँ…”
तो रुखसाना ने कहा-“आपने जो कल बात करनी है अभी करें…”
उस के बाद मौलवी ने उस आदमी से फ़ोन पे पूछा-“जिससे तुमने अपना इलाज करवाया था मुझे उसका अड्रेस दे दो…” कुछ देर के बाद फ़ोन बंद हो गया और मौलवी साहब ने वो अड्रेस नोट कर लिया और फ़ैसला किया कि कल ही सुबह-सुबह फाजार के बाद वो उस आदमी के पास जाएगा जो इलाज करता है।
निदा और उसकी दो बहनें अपने रूम्स में सोचों में थीं तो मिशा ने कहा-“पता नहीं हमारी क्या किस्मत है और क्या हमारे साथ होना है? कुछ समझ में नहीं आता…”
ये दोनों बहनें बातें कर रही होती हैं कि निदा ने कहा-“मुझे प्यास लगी है, मैं पानी पीकर आती हूँ…”
जब निदा किचेन में गई और पानी पीकर वापिस अपने रूम में जा रही थी कि उसे अम्मी-अब्बू के रूम से बेड की ची चू ची चू की आवाजें आ रही थीं और दो बार तो निदा ने ऐसा पहले भी सुना था।
ची चू – ची चू की आवाज के साथ रुखसाना जो कि निदा की माँ थी उसकी भी आवाज आ रही थी-“मौलवी साहब, झटके धीरे मारो, आज पता नहीं बहुत दर्द हो रहा है। एक तो अपनी औलाद जवान है फिर भी आपने मेरी लेनी होती है और ऊपर से आपका हथियार है भी इतना लंबा और बड़ा की मेरी फुद्दी को हिलाकर रख देता है। इस उमर में लोगों के ठंडे पड़ जाते हैं पर आपके हथियार में अभी भी जान है…” [/font]
हिन्दी फ़ॉन्ट बाइ मी ( कामिनी )
लेख़क – lovexossippakistan
फ्रेंड्स एक कहानी पोस्ट कर रही हूँ जो आपको ज़रूर पसंद आएगी
एक ऐसी अनाचार कहानी जो कि पाकिस्तान के शहर सरगोधा की है। ये एक गरीब परिवार की कहानी है जो कि हालात और वक़्त का साथ कैसे अमीर बन गये, जो कि इनको भी इसका पता ना चल सका। इस कहानी में किरदार बहुत हैं। शुरू में किरदार इतने तो नहीं होंगे लेकिन वक़्त के साथ-साथ किरदार मजीद आते जायेंगे। तो हाजिर है ‘हरामी मौलवी’।
***** *****कहानी के किरदार-
01॰ मौलवी इकबाल अहमद-उम्र 52 साल, एक मस्जिद का खतीब और इमाम, इसकी शादी 18 साल की उमर में हो गई थी रुखसाना से, 6 बेटियों और एक बेटे का बाप।
02॰ रुखसाना-मौलवी इकबाल की बीवी, बहुत ही खूबसूरत, उम्र 47 साल।
03॰ निदा-बड़ी बेटी, उम्र 32 साल।
04॰ मिशा-दूसरी बेटी, उम्र 31 साल।
05॰ आयशा-तीसरी बेटी, उम्र 29 साल।
06॰ इशरत-चौथी बेटी, उम्र 28 साल।
07॰ रज़िया-पाँचवी बेटी, उम्र 25 साल।
08॰ फिरदौस-छटवीं बेटी, उम्र 23 साल।
09॰ फ़रदीन-बेटा, उम्र 21 साल। [/font]
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KaminiPlatinum MemberPosts: 2114Joined: 12 Jan 2017 13:15
Re: हरामी मौलवी
[font=Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]Post by Kamini » 20 Nov 2017 18:50[/font]
***** ***** मौलवी इकबाल अपने ड्राइंग रूम में कुछ लोगों के पास बैठा हुआ था उसके साथ उसकी बीवी रुखसाना भी साथ थी। जो लोग आए हुये थे वो मौलवी साहब की बड़ी बेटी को देखने के लिए आए थे। मौलवी साहब अपनी बेटियों की शादी की वजह से बहुत परेशान थे।
जो लोग आए हुये थे उनमें से एक औरत ने कहा-“मौलवी साहब आपकी बहुत ज्यादा इज़्ज़त है और आपकी सब बेटियाँ भी खूबसूरत हैं, लेकिन गरीबी बहुत है जिसकी वजह से हम आपकी तरफ रिश्ता नहीं कर सकते…” और वो लोग उठकर चले गये। 2
अंदर दूसरे कमरे में निदा जो मौलवी इकबाल की बड़ी बेटी थी, सब सुन रही थी, जो लोग कह का गये और दिल ही दिल में अपनी किस्मत और हालात के बारे में सोचने लगी-अगर हम अमीर होते तो कब की मेरी शादी हो चुकी होती।
मौलवी साहब तो उठकर मस्जिद में चले गये और रुखसाना ने निदा और बाकी बेटियों को सब बातें बता दिया अभी माँ बेटियाँ बातें कर रही थी की मौलवी साहब की साली आ गई और अपनी बहन रुखसाना के पास आकर बैठ गई। उसके बाद रुखसाना ने सारी बातें बता दी।
तो रुखसाना की बहन जिसका नाम शुगुफ़्ता था उसने कहा-“बाजी आप किसी को दिखाएँ मुझे तो ऐसा लगता है कि कोई ‘काला-ईल्म’ का चक्कर है नहीं तो शादी कब की हो चुकी होती। लगता यही है कि किसी ने बंदिश करवाई हुई है…”
रुखसाना ने अपनी बहन से कहा-“मैं आज जरूर मौलवी साहब से बात करूँगी, फिर देखते हैं क्या होता है ?”
आज रुखसाना भी बहुत खुश थी क्योंकी उसका इकलौता बेटा फ़रदीन 5 दिन की छुट्टी पे आ रहा था घर। मौलवी साहब को अपने बेटे से बहुत प्यार था और फ़रदीन बहुत इंटेलिजेंट था वो एम॰बी॰बी॰एस॰ कर रहा था, मेरिट पे आया था, उसका तीसरा साल पूरा हो गया था। आजकल वो अपने अम्मी-अब्बू के पास रहने का लिए आ रहा था।
शाम को मौलवी साहब अपने बेटे को अड्डे से लेकर आ गये। जब घर में फ़रदीन आया तो सब बहुत खुश हुये। सारी बहनें अपने इकलौता भाई सा मिलकर बहुत खुश हुई। फिर फ़रदीन नहाने चला गया और रुखसाना ने अपनी बेटियों को कहा-“आज मेरा बेटा आया है इसलिए आज चिकन पकाओ…”
जब भी फ़रदीन घर आता है उसकी घर में खूब खिदमत होती है, क्योंकी होस्टल की लाइफ में कहाँ अच्छा खाना मिलता है। इसी तरह शाम से रात हो गई। सब खाना खा रहे होते हैं तो मौलवी साहब ने अपने बेटे से कहा-“सिर्फ़ पढ़ते ही हो या अल्लाह को भी याद करते हो?”
जवाब में फ़रदीन ने कहा-“मैं अल्लाह को भी याद करता हूँ। बस कुछ ही वक़्त रह गया उसका बाद मैं डॉक्टर बनकर गरीब लोगों की खिदमत करूँगा। लेकिन बस ये चाहता हूँ कि सब बहनों की शादी जल्दी हो जाए। उस वक़्त तक फ़रदीन के दिल और दिमाग़ में कोई ऐसी-वैसी उल्टी-सीधी बात नहीं थी।
मौलवी इकबाल के घर में एक ड्राइंग रूम था। जब भी फ़रदीन आता घर तो वो ड्राइंग रूम के साथ जो छोटा कमरा था वहीं सोता था। एक रूम मौलवी और उसकी बीवी का था। और बाकी दो कमरों में मौलवी की 6 बेटियाँ रहती थी। मौलवी साहब की 6 की 6 बेटियाँ पढ़ी लिखी थी। घर में वो परदा तो नहीं करती थी लेकिन किसी गैर के सामने वो नकाब ही करती थीं।
रात को चाय पीने के बाद मौलवी साहब ने फ़रदीन को कहा-“बेटा, कल बात करेंगे, आज तुम सफ़र करके आए हो इसलिए आज आराम करो…”
फिर खाने के बर्तनजो थे रुखसाना की बेटियों ने साफ किए और अपने रूम में चली गईं। इन दिनों सर्दी भी बहुत थी। फ़रदीन अपने रूम में चला गया और बेटियाँ अपने रूम में चली गईं। रुखसाना भी अपने रूम में मौलवी के पास बैठी बातें कर रही थी। उसने उसकी बहन ने जो कहा सब बताया। तो मौलवी साहब नहीं माने, लेकिन बाद में कहा-“अच्छा, मेरा एक जान पहचान वाला आदमी है उससे बात करता हूँ…”
तो रुखसाना ने कहा-“आपने जो कल बात करनी है अभी करें…”
उस के बाद मौलवी ने उस आदमी से फ़ोन पे पूछा-“जिससे तुमने अपना इलाज करवाया था मुझे उसका अड्रेस दे दो…” कुछ देर के बाद फ़ोन बंद हो गया और मौलवी साहब ने वो अड्रेस नोट कर लिया और फ़ैसला किया कि कल ही सुबह-सुबह फाजार के बाद वो उस आदमी के पास जाएगा जो इलाज करता है।
निदा और उसकी दो बहनें अपने रूम्स में सोचों में थीं तो मिशा ने कहा-“पता नहीं हमारी क्या किस्मत है और क्या हमारे साथ होना है? कुछ समझ में नहीं आता…”
ये दोनों बहनें बातें कर रही होती हैं कि निदा ने कहा-“मुझे प्यास लगी है, मैं पानी पीकर आती हूँ…”
जब निदा किचेन में गई और पानी पीकर वापिस अपने रूम में जा रही थी कि उसे अम्मी-अब्बू के रूम से बेड की ची चू ची चू की आवाजें आ रही थीं और दो बार तो निदा ने ऐसा पहले भी सुना था।
ची चू – ची चू की आवाज के साथ रुखसाना जो कि निदा की माँ थी उसकी भी आवाज आ रही थी-“मौलवी साहब, झटके धीरे मारो, आज पता नहीं बहुत दर्द हो रहा है। एक तो अपनी औलाद जवान है फिर भी आपने मेरी लेनी होती है और ऊपर से आपका हथियार है भी इतना लंबा और बड़ा की मेरी फुद्दी को हिलाकर रख देता है। इस उमर में लोगों के ठंडे पड़ जाते हैं पर आपके हथियार में अभी भी जान है…” [/font]