hotaks444
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“शैतान…बड़ा मज़ा आ रहा है न… खूब ठूनक रहे हो… अभी बताती हूँ।” प्रिया ने मेरे लंड को देखकर कहा मानो वो उससे ही बातें कर रही हो।
प्रिया ने मेरे लंड को एक बार फिर से अच्छी तरह से अपने हाथों से सहलाया और फिर मेरे अन्डकोशों को मुट्ठी में भर कर एक दो बार दबाया और मेरी तरफ देखने लगी।
मैंने उसकी आँखों में देख कर उससे आगे बढ़ने के लिए इशारा किया। प्रिया को पता था कि मैं क्या चाहता हूँ…
प्रिया ने फिर से रस वाली कटोरी उठाई और सारा का सारा रस मेरे लंड पर ऐसे डालने लगी मानो उसे नहला ही रही हो। मेरा लंड गुलाबजामुन के रस से सराबोर हो गया और उसके गाढ़े रस की वजह से चमकने लगा। लंड की नसें रस से सराबोर होकर और भी उभर आईं थीं और मोटे से रस्से के सामान दिख रही थीं मानो रस्सियों से लंड को लपेट दिया हो।
प्रिया ने कटोरी को अलग रख दिया और अब मेरे दोनों जांघों के बीच अपने आप को स्थापित कर लिया। प्रिया के बाल अब तक खुले हुए थे, उसने अपने दोनों हाथों से अपने बालों को बाँध कर जूड़ा बना लिया ताकि लंड चूसते वक़्त वो उसे परेशान न करें।
प्रिया की समझदारी ने एक बार फिर से मेरा मन मोह लिया। जब वो अपने बाल ठीक कर रही थी मैंने अपने हाथों को बढ़ा कर उसकी चूचियों को जोर से दबा दिया।
“उह्ह्ह्ह…तुम भी ना ! इतने जोर से कोई दबाता है क्या…” प्रिया ने चीख कर कहा।
औरों का तो पता नहीं लेकिन मैं तो ऐसे ही दबाता हूँ !” मैंने उसकी कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींचते हुए कहा और हंसने लगा।
“अच्छा जी…बड़ा मज़ा आता है मुझे दर्द देकर…?” प्रिया ने अपने हाथों को मेरे हाथों पर रखते हुए कहा और फिर मुस्कुराते हुए मेरे हाथों को हटा कर वापस से अपनी पोजीशन ठीक की और फिर झुकती चली गई।
प्रिया ने अपनी जीभ पूरी बाहर निकाल ली और मेरे टनटनाये लंड को बिना अपने हाथों से पकड़े अपनी जीभ की नोक को लंड के ऊपर से नीचे तक एक लम्बी सी दिशा में चलाया।
“ओह्ह… मेरी रानी… तुम लाजवाब हो !” मेरे मुँह से आह निकली और मैं तड़प उठा।
प्रिया ने वैसे ही बाहर से लंड के चारों तरफ लगे रस को अपनी जीभ से चाट चाट कर साफ़ किया और फिर लंड के अगले भाग को अपने होठों में भर लिया।
अब प्रिया ने अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया और आइसक्रीम की तरह लंड को मज़े से चूसने लगी। हालांकि मेरे लंड को पूरा मुँह में लेना मुश्किल था लेकिन प्रिया पूरी कोशिश कर रही थी कि उससे जितना हो सके उतना उसे अपने मुँह में भर ले।
मैं मज़े से अपनी कमर को थोड़ा थोड़ा हिलाते हुए अपना लंड उसके मुँह में दे रहा था। मेरे मुँह से बस हल्की हल्की सिसकारियाँ ही निकल पा रही थीं… क्यूंकि जैसे ही मैं कुछ बोलने की सोचता, प्रिया पूरे लंड को मुँह में भर लेती और मेरी साँसें ही अटक जातीं।
“उम्म्म… हाँ… मेरी जान, तुम सच में कमाल हो… चूसो जान… और चूसो…” इस बार मैंने सांस रोक कर उससे कहा और अपने हाथ बढ़ा कर उसका सर पकड़ लिया।
प्रिया ने अपना मुँह थोड़ा अलग किया और अपनी जीभ फिर से निकाल कर मेरे अन्डकोशों को चाटने लगी। अभी तक उसने अपने हाथों को अलग ही कर रखा था, शायद इसलिए कि कहीं गुलाबजामुन के रस से उसके हाथ चिपचिप न हो जाएँ…
खैर अब तक उसने लंड और आस पास लगे सारे रस को चाट लिया था इसलिए अब उसने अपने दायें हाथ से मेरा लंड पकड़ा और खूब तेज़ी से लंड को हिलाने लगी जैसे कि मुठ मारते वक़्त किया जाता है। साथ ही साथ वो अपने होंठों के बीच मेरे अण्डों को पकड़ कर चुभला भी रही थी। कुल मिलकर ऐसी स्थिति थी कि मैं अपने पूरे होशो हवास खो रहा था। प्रिया की नाज़ुक हथेली और नाज़ुक होठों की मस्ती ने मुझे मस्त कर दिया था।
प्रिया ने अब मेरे लंड की तरफ अपनी नज़रें उठाई और धीरे से मेरे लंड के चमड़े को खोलकर मेरा सुपारा बाहर कर दिया। सुपारा अभी तक लाल हो चुका था और प्रिया के मुँह के रस से भीग कर चमक रहा था।
प्रिया ने अपने होंठों से खुले हुए सुपारे को चूमा और अपने हाथो को पीछे ले जा कर रस वाली कटोरी फिर से उठा ली। अब तक सारा रस लगभग ख़त्म हो चुका था लेकिन फिर भी प्रिया ने अपनी उँगलियों से कटोरी के अन्दर का रस इकट्ठा किया और फिर लगभग 8-10 बूँदें सुपारे पर गिरा दीं। रस मेरे सुपारे के ठीक ऊपर मेरे लंड के छेद से होता हुआ चारो तरफ फ़ैल गया। अब सुपारा बहुत ही प्यारा दिख रहा था क्यूंकि उसके ऊपर रस की गाढ़ी सी परत चढ़ गई थी।
प्रिया ने एक खा जाने वाली नज़रों से लंड को देखा और फिर से अपनी जीभ को मेरे लंड के छेद पे रखा और धीरे धीरे जीभ की नोक को रगड़ा।
“उफफ्फ… आह प्रिया… ले लो पूरा अन्दर… ऐसे मत करो, गुदगुदी होती है…” मैं थोड़ा सा तड़प कर बोलने लगा।
“आप बस ऐसे ही लेटे रहो मेरे सरकार… मुझे जो करना है वो तो मैं करके ही रहूँगी !” प्रिया ने मुझे देखकर हंसते हुए कहा और वापस अपने काम में लग गई। उसने अपनी जीभ को सुपारे के चारों तरफ घुमा घुमा कर सारा रस चाट लिया और फिर अपना मुँह खोल कर पूरे सुपारे को मुँह में भर लिया।
फिर शुरू हुआ प्रिया का रफ़्तार भरा लंड चूसने का कार्यक्रम और उसने तेज़ी से लंड को पूरा निचोड़ डाला। मेरी तो साँसें ही रुकने लगी थीं। मैं बड़ी मुश्किल से अपने आपको संभाल रहा था। आज प्रिया मेरे लंड को तोड़ डालने के मूड में थी। उसने अब अपना एक हाथ भी लगा दिया और हाथ से हिलाते हुए लंड को चूसने लगी…
मैं अब काबू रखने की हालत में नहीं था, मैंने उसका सर पकड़ कर हटा दिया और उठ कर बैठ गया। अगर ऐसा नहीं करता तो शायद उसके मुँह में ही झड़ जाता। मैं बैठ कर लम्बी लम्बी साँसें लेने लगा और प्रिया मुझे खा जाने वाली नज़रों से घूरने लगी।
मैंने अपनी साँसों को नियंत्रित किया और प्रिया को एक झटके से अपनी तरफ खींच लिया। प्रिया का फूल सा बदन मेरे ऊपर आ गया और मैंने उसे लिपटा कर नीचे लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ कर उसके होंठों को अपने होठों में लेकर चूसने लगा। मैंने उसकी चूचियों को बेदर्दी से पकड़ कर मसलना शुरू किया और अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर रगड़ने लगा। लंड और चूत दोनों इतने गीले थे कि अगर मैं कोशिश करता तो एक ही झटके में लंड अन्दर हो जाता लेकिन मुझे यह ख्याल था कि प्रिया अभी तक कुंवारी थी और मेरा लंड उसकी नाज़ुक चूत को फाड़ सकता था।
मुझे रिंकी वाली बात भी याद आ गई, मैंने रिस्क नहीं लिया और उसके ऊपर से उठ कर उसके पैरों की तरफ आ गया।
मैंने प्रिया की जांघों को अपने हाथों से सहलाया और फिर धीरे से उसके पैरों को ऊपर उठा कर अपने कंधे पर रख लिया। पैरों को उठाने की वजह से मेरा लंड अब उसकी चूत के ठीक मुहाने पर सैट हो गया और ठुनक ठुनक कर उसकी चूत को चूमने लगा।
मैंने भी अपने लंड को अपने हाथों से पकड़ कर उसकी चूत की दरारों में घिसना शुरू किया और प्रिया की तरफ हसरत भरी नज़रों से देखने लगा।
प्रिया के चेहरे पर उत्तेजना के भाव दिख रहे थे साथ ही उसकी आँखों में एक अजीब सा डर नज़र आ रहा था। वो जानती थी कि अब असली काम होने वाला है और मेरा लम्बा चौड़ा लंड उसकी चूत की धज्जियाँ उड़ाने वाला था। प्रिया मेरी तरफ ऐसे देख रही थी मानो वो यह कहना चाह रही हो कि जो भी करना धीरे करना। मैं उसकी हालत समझ रहा था, मैंने उसे प्यार से देखा।
“प्रिया मेरी रानी… घबराना नहीं… थोड़ा सा दर्द तो होगा लेकिन मैं ख्याल रखूँगा…” मैंने उसे समझाते हुए कहा।
“डर तो लग रहा है जान, लेकिन मैं अब बर्दाश्त नहीं कर सकती…तुम आगे बढ़ो, मैं संभाल लूंगी…!” प्रिया ने शरमाते हुए मुझे देख कर कहा।
मैंने उसकी जांघों को थाम लिया और अपने सुपारे को उसकी नाज़ुक सी चूत के अन्दर दबाव के साथ घुसाने लगा। चिकनाई इतनी ज्यादा थी कि लंड बार बार फिसल जा रहा था। मैंने फ़िर से अपने लंड को पकड़ा और इस बार थोड़ा दम लगा कर ठेल दिया।
“आअह… सोनू… धीरे…” प्रिया की टूटती आवाज़ आई।
मैंने देखा कि सुपारे का अगला हिस्सा थोड़ा सा उसकी चूत में फंस गया था। अब अगले धक्के की बारी थी और मैंने फ़िर से एक हल्का धक्का मारा… लंड का सुपारा थोड़ा और अन्दर गया और आधा सुपारा उसकी चूत के मुँह में अटक गया।
प्रिया ने अपने दांत भींच लिए थे और अपनी मुट्ठी से चादर को पकड़ लिया था। मैं जानता था कि ज्यादा जोर जबरदस्ती करने से उसकी हालत ख़राब हो सकती है। मैंने अपने सुपारे को वैसे ही फंसा कर रगड़ना चालू किया और उसकी जांघों को सहलाता रहा।
प्रिया इंतज़ार में थी कि कब धक्का पड़ेगा और उसकी चूत फटेगी। उसकी मनोदशा साफ़ साफ़ दिख रही थी।
मैंने ऐसे ही रगड़ते रगड़ते सांस रोक ली और एक जोरदार सा धक्का मारा।
“आई ईईईई ई ईईइ… मर गईईईईई…” प्रिया जोर से चीख पड़ी।
आधा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर जा चुका था। प्रिया की चीख ने मुझे भी डरा दिया । वो तो भला हो मेरा कि मैंने दरवाज़े के साथ साथ खिडकियों को भी बंद कर दिया था। वरना उसकी चीख पूरे घर में फ़ैल जाती और सब जाग जाते।
मैंने तुरंत उसके जांघों को छोड़ कर उसके ऊपर झुक कर अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए और उसका मुँह बंद कर दिया। लेकिन उसकी घुटी घुटी सी आवाज़ अब भी निकल रही थी। उसकी आँखें फैलकर चौड़ी हो गई थीं और उसने मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा दिए।
मैंने सुन रखा था कि किसी कुंवारी लड़की की सील तोड़ते वक़्त उसका ध्यान बंटा दिया जाना चाहिए ताकि वो सब सह सके।
मैंने भी उसी बात को ध्यान में रखकर उसके होंठों को चूमते हुए उसकी चूचियों को पकड़ कर सहलाने लगा। करीब 8-10 मिनट के बाद प्रिया की पकड़ मेरे पीठ से थोड़ी ढीली हुई और मैं समझ गया कि उसका दर्द कम हो रहा है।
मैं तब थोड़ा ऊपर उठा और एक बार फिर से उसकी जांघों को थाम कर अपने लंड को उतना ही घुसाकर धीरे धीरे अन्दर-बाहर करने लगा।
जैसे ही लंड ने हरकत करनी शुरू की, प्रिया को फिर से दर्द का एहसास होने लगा।
“प्लीज सोनू… धीरे करो न… बहुत दर्द हो रहा है… उफ्फ्फ्फ़… अगर पता होता कि इतना दर्द होता है तो मैं कभी नहीं लेती तुम्हारा यह ज़ालिम लंड अपनी चूत में !” प्रिया दर्द से कराहते हुए हिल भी रही थी और मुझसे शिकायत भी कर रही थी।
मैंने मन में सोचा,” अभी तो असली दर्द बाकी है मेरी जान…पता नहीं झेल पाओगी या नहीं।”
यह सोचते सोचते मैंने लंड को आगे पीछे करना और उसकी जाँघों को सहलाना जारी रखा। लंड की रगड़ ने चूत को पानी छोड़ने पर मजबूर कर दिया और उसकी चूत ने पानी छोड़ा। लंड चिकनाई को महसूस कर थोड़ा सा और आगे सरका।
“आआह्ह्ह… सोनू… सोनू… दुखता है…” प्रिया को फिर से दर्द का एहसास हुआ।
“बस मेरी जान…अब नहीं दुखेगा…” मैंने उसे सहलाते हुए कहा और अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर उसकी एक चूची को पकड़ कर मसलने लगा।
चूचियों पर हाथ पड़ते ही प्रिया ने अपनी कमर को थोड़ा सा ऊपर उठाया और मुझे यह इशारा मिला कि अब शायद उसे भी अच्छा लगने लगा था। मैं इसी मौके की तलाश में था, मैंने देरी करना उचित नहीं समझा और अपनी सांस को रोक कर उसकी चूचियों को दोनों हाथों से पकड़ लिया और झुक कर उसके होठों को अपने होठों से कैद कर लिया। मैं जानता था कि इस बार जो दर्द उसे होने वाला था वो उसकी हालत ख़राब कर देगा और वो जोर जोर से चिल्लाने लगेगी।
प्रिया ने मेरे लंड को एक बार फिर से अच्छी तरह से अपने हाथों से सहलाया और फिर मेरे अन्डकोशों को मुट्ठी में भर कर एक दो बार दबाया और मेरी तरफ देखने लगी।
मैंने उसकी आँखों में देख कर उससे आगे बढ़ने के लिए इशारा किया। प्रिया को पता था कि मैं क्या चाहता हूँ…
प्रिया ने फिर से रस वाली कटोरी उठाई और सारा का सारा रस मेरे लंड पर ऐसे डालने लगी मानो उसे नहला ही रही हो। मेरा लंड गुलाबजामुन के रस से सराबोर हो गया और उसके गाढ़े रस की वजह से चमकने लगा। लंड की नसें रस से सराबोर होकर और भी उभर आईं थीं और मोटे से रस्से के सामान दिख रही थीं मानो रस्सियों से लंड को लपेट दिया हो।
प्रिया ने कटोरी को अलग रख दिया और अब मेरे दोनों जांघों के बीच अपने आप को स्थापित कर लिया। प्रिया के बाल अब तक खुले हुए थे, उसने अपने दोनों हाथों से अपने बालों को बाँध कर जूड़ा बना लिया ताकि लंड चूसते वक़्त वो उसे परेशान न करें।
प्रिया की समझदारी ने एक बार फिर से मेरा मन मोह लिया। जब वो अपने बाल ठीक कर रही थी मैंने अपने हाथों को बढ़ा कर उसकी चूचियों को जोर से दबा दिया।
“उह्ह्ह्ह…तुम भी ना ! इतने जोर से कोई दबाता है क्या…” प्रिया ने चीख कर कहा।
औरों का तो पता नहीं लेकिन मैं तो ऐसे ही दबाता हूँ !” मैंने उसकी कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींचते हुए कहा और हंसने लगा।
“अच्छा जी…बड़ा मज़ा आता है मुझे दर्द देकर…?” प्रिया ने अपने हाथों को मेरे हाथों पर रखते हुए कहा और फिर मुस्कुराते हुए मेरे हाथों को हटा कर वापस से अपनी पोजीशन ठीक की और फिर झुकती चली गई।
प्रिया ने अपनी जीभ पूरी बाहर निकाल ली और मेरे टनटनाये लंड को बिना अपने हाथों से पकड़े अपनी जीभ की नोक को लंड के ऊपर से नीचे तक एक लम्बी सी दिशा में चलाया।
“ओह्ह… मेरी रानी… तुम लाजवाब हो !” मेरे मुँह से आह निकली और मैं तड़प उठा।
प्रिया ने वैसे ही बाहर से लंड के चारों तरफ लगे रस को अपनी जीभ से चाट चाट कर साफ़ किया और फिर लंड के अगले भाग को अपने होठों में भर लिया।
अब प्रिया ने अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया और आइसक्रीम की तरह लंड को मज़े से चूसने लगी। हालांकि मेरे लंड को पूरा मुँह में लेना मुश्किल था लेकिन प्रिया पूरी कोशिश कर रही थी कि उससे जितना हो सके उतना उसे अपने मुँह में भर ले।
मैं मज़े से अपनी कमर को थोड़ा थोड़ा हिलाते हुए अपना लंड उसके मुँह में दे रहा था। मेरे मुँह से बस हल्की हल्की सिसकारियाँ ही निकल पा रही थीं… क्यूंकि जैसे ही मैं कुछ बोलने की सोचता, प्रिया पूरे लंड को मुँह में भर लेती और मेरी साँसें ही अटक जातीं।
“उम्म्म… हाँ… मेरी जान, तुम सच में कमाल हो… चूसो जान… और चूसो…” इस बार मैंने सांस रोक कर उससे कहा और अपने हाथ बढ़ा कर उसका सर पकड़ लिया।
प्रिया ने अपना मुँह थोड़ा अलग किया और अपनी जीभ फिर से निकाल कर मेरे अन्डकोशों को चाटने लगी। अभी तक उसने अपने हाथों को अलग ही कर रखा था, शायद इसलिए कि कहीं गुलाबजामुन के रस से उसके हाथ चिपचिप न हो जाएँ…
खैर अब तक उसने लंड और आस पास लगे सारे रस को चाट लिया था इसलिए अब उसने अपने दायें हाथ से मेरा लंड पकड़ा और खूब तेज़ी से लंड को हिलाने लगी जैसे कि मुठ मारते वक़्त किया जाता है। साथ ही साथ वो अपने होंठों के बीच मेरे अण्डों को पकड़ कर चुभला भी रही थी। कुल मिलकर ऐसी स्थिति थी कि मैं अपने पूरे होशो हवास खो रहा था। प्रिया की नाज़ुक हथेली और नाज़ुक होठों की मस्ती ने मुझे मस्त कर दिया था।
प्रिया ने अब मेरे लंड की तरफ अपनी नज़रें उठाई और धीरे से मेरे लंड के चमड़े को खोलकर मेरा सुपारा बाहर कर दिया। सुपारा अभी तक लाल हो चुका था और प्रिया के मुँह के रस से भीग कर चमक रहा था।
प्रिया ने अपने होंठों से खुले हुए सुपारे को चूमा और अपने हाथो को पीछे ले जा कर रस वाली कटोरी फिर से उठा ली। अब तक सारा रस लगभग ख़त्म हो चुका था लेकिन फिर भी प्रिया ने अपनी उँगलियों से कटोरी के अन्दर का रस इकट्ठा किया और फिर लगभग 8-10 बूँदें सुपारे पर गिरा दीं। रस मेरे सुपारे के ठीक ऊपर मेरे लंड के छेद से होता हुआ चारो तरफ फ़ैल गया। अब सुपारा बहुत ही प्यारा दिख रहा था क्यूंकि उसके ऊपर रस की गाढ़ी सी परत चढ़ गई थी।
प्रिया ने एक खा जाने वाली नज़रों से लंड को देखा और फिर से अपनी जीभ को मेरे लंड के छेद पे रखा और धीरे धीरे जीभ की नोक को रगड़ा।
“उफफ्फ… आह प्रिया… ले लो पूरा अन्दर… ऐसे मत करो, गुदगुदी होती है…” मैं थोड़ा सा तड़प कर बोलने लगा।
“आप बस ऐसे ही लेटे रहो मेरे सरकार… मुझे जो करना है वो तो मैं करके ही रहूँगी !” प्रिया ने मुझे देखकर हंसते हुए कहा और वापस अपने काम में लग गई। उसने अपनी जीभ को सुपारे के चारों तरफ घुमा घुमा कर सारा रस चाट लिया और फिर अपना मुँह खोल कर पूरे सुपारे को मुँह में भर लिया।
फिर शुरू हुआ प्रिया का रफ़्तार भरा लंड चूसने का कार्यक्रम और उसने तेज़ी से लंड को पूरा निचोड़ डाला। मेरी तो साँसें ही रुकने लगी थीं। मैं बड़ी मुश्किल से अपने आपको संभाल रहा था। आज प्रिया मेरे लंड को तोड़ डालने के मूड में थी। उसने अब अपना एक हाथ भी लगा दिया और हाथ से हिलाते हुए लंड को चूसने लगी…
मैं अब काबू रखने की हालत में नहीं था, मैंने उसका सर पकड़ कर हटा दिया और उठ कर बैठ गया। अगर ऐसा नहीं करता तो शायद उसके मुँह में ही झड़ जाता। मैं बैठ कर लम्बी लम्बी साँसें लेने लगा और प्रिया मुझे खा जाने वाली नज़रों से घूरने लगी।
मैंने अपनी साँसों को नियंत्रित किया और प्रिया को एक झटके से अपनी तरफ खींच लिया। प्रिया का फूल सा बदन मेरे ऊपर आ गया और मैंने उसे लिपटा कर नीचे लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ कर उसके होंठों को अपने होठों में लेकर चूसने लगा। मैंने उसकी चूचियों को बेदर्दी से पकड़ कर मसलना शुरू किया और अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर रगड़ने लगा। लंड और चूत दोनों इतने गीले थे कि अगर मैं कोशिश करता तो एक ही झटके में लंड अन्दर हो जाता लेकिन मुझे यह ख्याल था कि प्रिया अभी तक कुंवारी थी और मेरा लंड उसकी नाज़ुक चूत को फाड़ सकता था।
मुझे रिंकी वाली बात भी याद आ गई, मैंने रिस्क नहीं लिया और उसके ऊपर से उठ कर उसके पैरों की तरफ आ गया।
मैंने प्रिया की जांघों को अपने हाथों से सहलाया और फिर धीरे से उसके पैरों को ऊपर उठा कर अपने कंधे पर रख लिया। पैरों को उठाने की वजह से मेरा लंड अब उसकी चूत के ठीक मुहाने पर सैट हो गया और ठुनक ठुनक कर उसकी चूत को चूमने लगा।
मैंने भी अपने लंड को अपने हाथों से पकड़ कर उसकी चूत की दरारों में घिसना शुरू किया और प्रिया की तरफ हसरत भरी नज़रों से देखने लगा।
प्रिया के चेहरे पर उत्तेजना के भाव दिख रहे थे साथ ही उसकी आँखों में एक अजीब सा डर नज़र आ रहा था। वो जानती थी कि अब असली काम होने वाला है और मेरा लम्बा चौड़ा लंड उसकी चूत की धज्जियाँ उड़ाने वाला था। प्रिया मेरी तरफ ऐसे देख रही थी मानो वो यह कहना चाह रही हो कि जो भी करना धीरे करना। मैं उसकी हालत समझ रहा था, मैंने उसे प्यार से देखा।
“प्रिया मेरी रानी… घबराना नहीं… थोड़ा सा दर्द तो होगा लेकिन मैं ख्याल रखूँगा…” मैंने उसे समझाते हुए कहा।
“डर तो लग रहा है जान, लेकिन मैं अब बर्दाश्त नहीं कर सकती…तुम आगे बढ़ो, मैं संभाल लूंगी…!” प्रिया ने शरमाते हुए मुझे देख कर कहा।
मैंने उसकी जांघों को थाम लिया और अपने सुपारे को उसकी नाज़ुक सी चूत के अन्दर दबाव के साथ घुसाने लगा। चिकनाई इतनी ज्यादा थी कि लंड बार बार फिसल जा रहा था। मैंने फ़िर से अपने लंड को पकड़ा और इस बार थोड़ा दम लगा कर ठेल दिया।
“आअह… सोनू… धीरे…” प्रिया की टूटती आवाज़ आई।
मैंने देखा कि सुपारे का अगला हिस्सा थोड़ा सा उसकी चूत में फंस गया था। अब अगले धक्के की बारी थी और मैंने फ़िर से एक हल्का धक्का मारा… लंड का सुपारा थोड़ा और अन्दर गया और आधा सुपारा उसकी चूत के मुँह में अटक गया।
प्रिया ने अपने दांत भींच लिए थे और अपनी मुट्ठी से चादर को पकड़ लिया था। मैं जानता था कि ज्यादा जोर जबरदस्ती करने से उसकी हालत ख़राब हो सकती है। मैंने अपने सुपारे को वैसे ही फंसा कर रगड़ना चालू किया और उसकी जांघों को सहलाता रहा।
प्रिया इंतज़ार में थी कि कब धक्का पड़ेगा और उसकी चूत फटेगी। उसकी मनोदशा साफ़ साफ़ दिख रही थी।
मैंने ऐसे ही रगड़ते रगड़ते सांस रोक ली और एक जोरदार सा धक्का मारा।
“आई ईईईई ई ईईइ… मर गईईईईई…” प्रिया जोर से चीख पड़ी।
आधा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर जा चुका था। प्रिया की चीख ने मुझे भी डरा दिया । वो तो भला हो मेरा कि मैंने दरवाज़े के साथ साथ खिडकियों को भी बंद कर दिया था। वरना उसकी चीख पूरे घर में फ़ैल जाती और सब जाग जाते।
मैंने तुरंत उसके जांघों को छोड़ कर उसके ऊपर झुक कर अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए और उसका मुँह बंद कर दिया। लेकिन उसकी घुटी घुटी सी आवाज़ अब भी निकल रही थी। उसकी आँखें फैलकर चौड़ी हो गई थीं और उसने मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा दिए।
मैंने सुन रखा था कि किसी कुंवारी लड़की की सील तोड़ते वक़्त उसका ध्यान बंटा दिया जाना चाहिए ताकि वो सब सह सके।
मैंने भी उसी बात को ध्यान में रखकर उसके होंठों को चूमते हुए उसकी चूचियों को पकड़ कर सहलाने लगा। करीब 8-10 मिनट के बाद प्रिया की पकड़ मेरे पीठ से थोड़ी ढीली हुई और मैं समझ गया कि उसका दर्द कम हो रहा है।
मैं तब थोड़ा ऊपर उठा और एक बार फिर से उसकी जांघों को थाम कर अपने लंड को उतना ही घुसाकर धीरे धीरे अन्दर-बाहर करने लगा।
जैसे ही लंड ने हरकत करनी शुरू की, प्रिया को फिर से दर्द का एहसास होने लगा।
“प्लीज सोनू… धीरे करो न… बहुत दर्द हो रहा है… उफ्फ्फ्फ़… अगर पता होता कि इतना दर्द होता है तो मैं कभी नहीं लेती तुम्हारा यह ज़ालिम लंड अपनी चूत में !” प्रिया दर्द से कराहते हुए हिल भी रही थी और मुझसे शिकायत भी कर रही थी।
मैंने मन में सोचा,” अभी तो असली दर्द बाकी है मेरी जान…पता नहीं झेल पाओगी या नहीं।”
यह सोचते सोचते मैंने लंड को आगे पीछे करना और उसकी जाँघों को सहलाना जारी रखा। लंड की रगड़ ने चूत को पानी छोड़ने पर मजबूर कर दिया और उसकी चूत ने पानी छोड़ा। लंड चिकनाई को महसूस कर थोड़ा सा और आगे सरका।
“आआह्ह्ह… सोनू… सोनू… दुखता है…” प्रिया को फिर से दर्द का एहसास हुआ।
“बस मेरी जान…अब नहीं दुखेगा…” मैंने उसे सहलाते हुए कहा और अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर उसकी एक चूची को पकड़ कर मसलने लगा।
चूचियों पर हाथ पड़ते ही प्रिया ने अपनी कमर को थोड़ा सा ऊपर उठाया और मुझे यह इशारा मिला कि अब शायद उसे भी अच्छा लगने लगा था। मैं इसी मौके की तलाश में था, मैंने देरी करना उचित नहीं समझा और अपनी सांस को रोक कर उसकी चूचियों को दोनों हाथों से पकड़ लिया और झुक कर उसके होठों को अपने होठों से कैद कर लिया। मैं जानता था कि इस बार जो दर्द उसे होने वाला था वो उसकी हालत ख़राब कर देगा और वो जोर जोर से चिल्लाने लगेगी।