Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की - Page 8 - SexBaba
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Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की

गतान्क से आगे..............


अंकित घुमा...उसकी नज़रें नीचे थी..वो नही मिला पा रहा था..रितिका से नज़रें..उसने बड़ी लो वॉल्यूम


में कहा....आइ आम..आइ आम..सॉरी...वेरी.य...सॉरी...(और फिर उसने गाल पे से कुछ हटाया शायद उसकी आँखों में


भरा आँसू छलक आया था)


रितिका उसकी तरफ मासूमियत भरा चेहरा लेके आगे बड़ी.....उसने अंकित के चेहरे को अपने हाथों से उपर


उठाया....जब उसने अंकित की आँखें भरी हुई देखी तो उसे दिल में बड़ी खुशी हुई..वो सब कुछ जो


थोड़ी देर पहले अंकित ने कहा था..वो अब इस चेहरे को देख के भूल गयी..


आव्व्व्व.....रितिका ने बस इतना कहा और उसके गले लग गयी..और उसके बालोन्न में हाथ फिराने लगी..


रितिका :- बाय्स नोट लुक गुड व्हेन दे क्राइ..


अंकित :- आइ आम सो सॉरी...आइ आम वेरी स्सॉरी....में वो सब नही बोलना..


रितिका :- ष्ह...बस बस...कुछ मत कहो..(उसने पीठ को थपथपाते हुए कहा)


फिर उससे अलग हुई और उसको सॉफ़फे पे लेके बैठ गयी....अंकित अभी भी नज़रे नीचे झुकाए बैठा था..और


रितिका उसे देख के मुस्कुरा रही थी....और मन में सोचने लगी..


कैसा लड़का है ये...आज तक समझ नही पाई......


दोनो सोफे पे बैठे थे...रितिका अंकित को देखे जा रही थी पर अंकित अपने गर्दन नीचे झुका के बैठा था वो रितिका से थोड़ी देर पहले की गयी बातों के बाद उसे नज़रे नही मिला पा रहा था....


रितिका :- (उसके हाथ को अपने हाथ में लेते हुए) अंकित जस्ट रिलॅक्स....इतना परेशान होने की कोई ज़रूरत नही है...हो जाता है कभी कभी...इसमे तुम्हे टेन्षन लेने की कोई ज़रूरत नही है..मुझे बुरा बिल्कुल भी नही लगा....


अंकित अपना सर उठा के रितिका की तरफ देखते हुए...


अंकित :- नही....मेने जो भी कहा वो सही नही था...बिल्कुल ग़लत था और ये बात सच है आप भी जानते हो कि जो भी मेने कहा वो एक दम ग़लत था...पता नही इस कामीने दिमाग़ से क्या क्या आ जाता है...आप मुझे पनिशमेंट दो..हाँ वही सही रहेगा....जब तक इस कामीने को पनिशमेंट नही मिलेगी इसको पता नही चलेगा कि इसने कितनी बड़ी ग़लती की है..दो आप पनिशमेंट.....


अंकित के चुप होते ही रितिका खिला खिला के हँसने लगी....अंकित उसकी तरफ अपनी नज़रों से देखने लगा..उसे देख के अंकित के दिल में एक अजीब सी आहट हुई..रितिका के उस खूबसूरत चेहरे पर वो हँसी इतनी प्यारी लग रही थी...कि बॅस....खो जाने वाली...


अंकित :- आप हंस क्यूँ रहे हो?


रितिका :- अरे हंसु नही तो क्या करूँ....कैसे बच्चों की तरह बोल रहे हो..


अंकित :- हाँ..जो भी है...आप मुझे पनिशमेंट दो...में तभी समझूंगा..बस मुझे पनिशमेंट दो..


रितिका :- अच्छा....सोच लो फिर....


अंकित एक पल के लिए सोचने लगा....क्या इस बिल्ली से पंगा लेना ठीक रहेगा...पिछली बार तो बस इसके बालों को छेड़ा था तो इसने मेरे शरीर पर निशान छोड़ दिए थे..और इस बार तो पूरा मुँह इसके पंजों के आगे रख रहा हूँ..कहीं इस बार चेहरे को ही ना लपेटे में लेले...अरे नही नही...इसमे डरने का क्या है...है तो एक लड़की ही ज़्यादा से ज़्यादा क्या कर लेगी...


रितिका :- क्या हुआ डर गये?


अंकित :- डर और में..हाहहाहा...ऐसा नही होता...आइ आम रेडी...(स्टाइल मारते हुए)


रितिका :- ओके देन....जब तक में जो कहूँगी वो करना होगा....जैसा जैसा कहूँगी वैसा वैसा करना होगा...


अंकित :- ओके बट.


रितिका :- व्हाट?... अब ये मत कहना कि वांत सम रिलॅक्सेशन इन दिस पनिशमेंट..


अंकित :- ना ना..वो नही..में तो ये कह रहा था कि मुझे बर्तन माँजने नही आते....

(वो इस तरह बोला..कि रितिका अपनी हँसी को नही रोक पाई और खिला खिला के दोनो हँसने लगे)


थोड़ी देर बाद....डिन्नर करने के बाद..सारे काम ख़तम करने के बाद दोनो रूम में खड़े थे...


अंकित :- हाँ तो मेडम जी..डिन्नर भी हो गया..अब फ्री हो गये...क्या करने का है...


रितिका :- ह्म्‍म्म...बड़ी जल्दी है..


अंकित :- हाँ वो पनिशमेंट मिल जाए तो एक टेन्षन ख़तम होगी...(दाँत दिखाते हुए)


रितिका :- अच्छा...ह्म्म..ठीक है फिर...जाओ पीछे कुर्सी पे जाके बैठ जाओ (वो अपनी उंगली से पीछे कुर्सी की तरफ


इशारा करती है)


अंकित वहाँ जाके कुर्सी पे बैठ जाता है....अब.....(बैठते ही बोलता है)

रितिका अपनी कमर को मतकाते हुए आगे बढ़ती है...और कुर्सी के पीछे आल्मिरा में से कुछ निकालती है..


और फिर अंकित के पीछे आते हुए...


रितिका :- आँखें बंद करो...


अंकित बिना सवाल करे आँखें बंद कर लेता है..उसके दिल में एक उत्साह होता है कि क्या होने वाला है अब उसके साथ....इतने में...रितिका एक काली पट्टी लेती है..और उसके आँखों पे बाँध देती है....


अंकित :- ये क्या....(थोड़ा घबराते हुए)


रितिका :- ष्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह...(रितिका पीछे से ही अंकित के लिप्स पे उंगली रखती है) कोई सवाल नही....


अंकित चुप हो जाता है..फिर रितिका एक एक कर के उसके दोनो हाथ कुर्सी से बाँध देती है...और उसके बाद उसके


पैर भी कुर्सी से बाँध देती है....


अंकित :- आज क्या मर्डर करने का प्लान है.....(थोड़ा मुस्कुराते हुए)


रितिका उसके चेहरे के बिल्कुल करीब जाते हुए..


रितिका :- क्यूँ ऐसा क्यूँ लगा तुम्हे..


अंकित :- वो सीरियल में दिखाते हैं ना..ऐसे पट्टी बाँधी और गला काट देने का..हाहहहाहा...


रितिका :- (मुस्कुराते हुए एक उंगली को अंकित के चेहरे पर फिराती है) फिर कुछ ऐसा ही समझ लो...


अंकित की तो इस अदा को महसूस करके ही बॅंड बज जाती है..उसके लंड ने हरकत देनी शुरू कर दी...


रितिका इतना बोलती है और फिर चली जाती है...अंकित को लगता है कि वो कुछ कर रही है...पर जब कुछ देर तक कोई आहट नही होती..तो उसकी सच में फट जाती है..

क्रमशः...........................
 
गतान्क से आगे..............


अंकित :- री..त्तिका..आ..आ....कहाँ हो....यार ऐसे बाँध के कहाँ गायब हो गयी..देखो प्लीज़ ऐसा मज़ाक पसन्द


नही है मुझे....(और फिर अपने आप से) ले अंकित और उछल दे दिया ना अपना चेहरा इस बिल्ली को..अब जब तक कुरेद नही देगी बुरी तरह से जब तक छोड़ेगी नही...अब क्या होगा मेरा....


इतना सोच ही रहा होता है कि उसे एक गेट खुलने की आवाज़ आती है..


अंकित :- रितिका....


रितिका :- ह्म्‍म्म्म.....


वो एक गेरी सांस छोड़ता है...यार ऐसे बाँध के कहाँ चली गयी थी.....अंकित बोलता है पर रितिका उसकी बातों का


कोई जवाब नही देती..और उसके बेहद करीब आ जाती है..

अंकित की तो साँसे चढ़ जाती है..जैसे ही वो पास आती है एक मस्त खुशुबू उसकी नाक में चढ़ जाती है


और वो मदहोश सा हो जाता है..रितिका अपनी हथेली को अंकित की थाइस पे रख के अपने एक घुटने को अंकित की दोनो टाँगों के बीच में रख लेती है और उसके उपर झुक जाती है.....


डर गये थी क्या...उसके कान के पास जाके बड़े ही सेडक्टिव वॉल्यूम में बोलती है..


अंकित का छुआ तो अब हिलने के साथ साथ चलने लगा था कहने का मतलब अब उसका लंड जो हिल रहा था अब वो अंदर ही अंदर उसमे हवा भर चुका था..और अपना साइज़ बढ़ा रहा था...


रितिका ने अपनी उंगलियों से अंकित की शर्ट के बटन खोलने शुरू किए और धीरे धीरे करके सारे बटन खोल डाले...और उसकी चेस्ट पर उंगली फिराने लगी....


अंकित तो मस्ती में अपनी गर्दन हिलाने लगा कि तभी उसके मुँह से एक दर्द भरी आह..निकल गयी क्यूँ कि रितिका ने उसकी चेस्ट पे आए छोटे छोटे कुछ बालों को हल्का सा खिच लिया.......


पर अगले ही पल अपने होंठ आगे बढ़ा के उसके चेस्ट पे रख दिए और वहाँ पे फिराने लगी...अंकित की तो बॅंड ही बज गयी.....वो अपनी गर्दन हिला रहा था पर कुछ नही कर सकता था..उसके हाथ पैरों की

हथेलियाँ हिल रही थी....


तभी रितिका आगे हुई तो उसका घुटना जो लंड के पास ही था..वो अंकित के लंड वाले हिस्से से जाके जुड़ गया...जिससे उसकी जीन्स पिचाक गयी....और उसका अंदर बैठा शैतान भी हल्का सा दब गया...

अब इस पल में अंकित को जितना मज़ा आया उतना ही दर्द भी हुआ...इसलिए मिली जुली सिसकी उसके मुँह से निकल


गयी..अहह ओह्ह्ह..रितिका..आ.आ.आ.आ..आ.........


रितिका :- क्या हुआ अंकित.....(उसने अपना हाथ अंकित के चेहरे पे फिराया)


पर अंकित कुछ ना बोला...बस उसके मुँह से लंबी लंबी साँसे निकल रही थी..


रितिका समझ गयी थी..पर उसे अंकित को ऐसे तड़पाने में मज़ा बेहद आ रहा था..इसलिए उसने अपने होंठों को आगे बढ़ाया और उसकी नाक उसके गालों पर चुंबनों के बौछार कर दी..और अपने हाथों को उसकी चेस्ट पे घुमाना जारी रखा...और नीचे अपने घुटने को बार बार आगे पीछे कर रही थी.....

ऐसे तीन तरफे हमले से अंकित की सॉलिड लगी हुई थी..जीन्स में फँसा हुआ उसका लंड अब अपने पूरे होशो आवाज़ में आ चुका था..और वो अंदर ही अंदर गहरे दर्द में डूबा हुआ था...


लेकिन शायद इस दर्द को और बढ़ाना चाहती थी...इसलिए उसने अपने सॉफ्ट लिप्स को अंकित के लिप्स से जोड़ दिए..और उन्हे बड़े ही सॉफ्ट्ली चूमने लगी..कभी उपर लिप्स को होंठों में भरती तो कभी लोवर लिप्स को...ऐसा ही चलत रहा कुछ सेकेंड्स तक...फिर अपनी जीब बाहर निकाल के रितिका ने होंठों को चाटना शुरू किया और उसके बाद अंकित के मुँह मे अंदर डाल के उसके जीब से अपनी जीब मिला दी..और फिर अपने होंठ चिपका डाले......


अंकित तो कोई रेस्पॉन्स नही कर रहा था...उस वक़्त पर उसे ऐसा नही आया था..और वो भी शुरू हो गया..एक सॉफ्ट किस वाइल्ड कब बन गयी....पता ही नही चला...दोनो वाइल्ड्ली किस कर रहे थी...लंड में दर्द है बेइंतिहा पर इस किस में अंकित ने कोई कमी नही छोड़ी...उसे ऐसे चाट रहा था...मानो कभी नही मिलेगा फिर....


रितिका भी अंकित के बालों पे हाथ फिराती हुई उसके होंठों और उसके जीब को चूस रही थी....


कुछ मिनट तक ये खेल चलता ही रहा.....फिर रितिका आगे बड़ी और अपने वो फ्लफी बिल्कुल खड़े हुए निपल्स के साथ अपने बूब्स अंकित की चेस्ट में धँसा दिए..और अपने होंठ अंकित की गर्दन और गले पे रख दिए और उन्हे वहाँ चूसने लगी....लंड पे घुटने अभी तक बार बार ठोकर मार रहा था...


आहह रितिका..प्लीज़...उफफफफफफफफफफफ्फ़..........आहह वो बेचारा ना हाथ हिला पा रहा था ना पैर और ना ही अपना लंड जो अंदर फँसा हुआ था....बुरी तरह से फँसा हुआ था..पर मज़ा भी दो गुना मिल रहा था उसे.......


वो अपने मन में सोचने लगा....आख़िर फँस ही गया...ये इतना ख़तरनाक तरीका अपनाएगी पता नही था..ओह्ह..बहुत दर्द हो रहा है...अब अगर बाहर नही निकाला तो अंदर ही फट जाएगा मेरा लंड...अब कैसे

समझाऊ इस लड़की को......कोई तो बचाओ..........



पर अंकित की आज पूरी तरह से लगाने का इंतेज़ाम कर रखा था रितिका ने.....कुछ देर उसकी गर्दन के साथ खेलने के बाद फिर धीरे धीरे नीचे आई..और उसकी चेस्ट के निपल्स के करीब जाके वहाँ पे गरम गरम साँसे छोड़ने लगती है....


अंकित को तो ऐसे लगा मानो उसके निपल्स को कोई झुलसा रहा हो....कुछ देर तक रितिका ऐसे ही रही ना तो

हिली ना डुलि बस अपनी गरम साँसों से उसके निपल्स पे वार करती रही.....

फिर अपनी रेड टॅंग को बाहर निकाला और अंकित के उस लाइट ब्राउन के निपल को उसने चाट डाला..


अह्हाआ...एक सांस अंकित के मुँह से निकल गयी...रितिका उसके चेहरे को देख के मुस्कुराने लगी

उसे अंकित की ऐसी हालत देख के बड़ा ही मज़ा आ रहा था.....


रितिका ने अपने होंठ आगे बढ़ाए और उसके नन्हे से निपल्स को चूसने लगी.....

अहहह....सिसकते हुए वो हल्का सा कुर्सी पे हिला जिससे कुर्सी भी हिली...अंकित अपने हाथ और पैर छुड़ाने की कॉसिश में था....पर ऐसा नही हो पाया..


रितिका ने अंकित के निपल्स को चूसना छोड़ दिया अंकित का निपल एरेक्ट होके अपना साइज़ बढ़ाने लगा...

रितिका ने दूसरे निपल् के साथ भी यही किया....और वैसी ही सिसकी अंकित के मुँह से निकल गयी....


उसके बाद रितिका ने अपनी जीब को उसके पूरे पेट पर रगड़ते हुए उसकी नाभी पे आके वहाँ अपनी जीब रख के घुमाने लगी..


रीतित्कतका नूओ.....प्लीस.ए.ए..ए.ए...आहह सिसकते हुए उसका पेट उपर नीचे हो रहा था...

कुछ सेकेंड तक उसकी नाभी को ऐसे अपनी जीब से सहलाने के बाद वो हटी..


रितिका :- क्यूँ बच्चू..जब तुम खुद ऐसा करते हो तब समझ नही आता कि कैसा लगता है..


अंकित :- हाँ पर..(गहरी साँसे लेते हुए) ऐसे हाथ पैर बाँध के तड़पाते हुए थोड़ी करते हैं....

यार अब खोल दो ना...


रितिका खिल खिला के हँसने लगी.....


रितिका :- लेकिन मेरी पनिशमेंट तो अभी बाकी है..... (बोलते हुए उसके हाथ उसके पेट को सहलाते हुए

नीचे उसकी जीन्स पे बने हुए उभार के उपर आ गया और उसे वहाँ बढ़ने लगी...उसके जीन्स के उपर

से उसके लंड को नीचे बढ़ाने लगी...


अहह हाँ..........ओह्ह्ह्ह रितिका...नो डोंट....डू दिस.स..स.आहह इट्स हार्टीन्ज्ग.ग..ग.आहह

वो कुर्सी पर हिलने लगा .... कुर्सी बुरी तरह से हिल रही थी.... लेकिन रितिका के चेहरे पर अभी भी मुस्कान बनी हुई थी..उसे बड़ा मज़ा आ रहा था.....वो उसके लंड को अपनी हथेली से जीन्स के उपर से और

ज़्यादा दबा रही थी.....


आआहह उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़....ससीसीई ृित्तत्तिकक.आ..आ.आ.आ.आ.आ.........

ओह्ह गॉड्ड्ड..द.द.द....इट्स रियली हारटिंग मी......वो अपना सर इधर उधर हिलाने लगा....


आख़िर जब रितिका को लगा कि सच में उसे ज़्यादा दर्द हो रहा है..तो उसने उसका लंड दबाना छोड़ दिया..

और उसके चेहरे को अपने हाथ से सहलाते हुए....


रितिका :- सॉरी अंकित ईज़ इट हारटिंग....टू मच आइ आम सॉरी..में अभी खोल देती हूँ...(वो थोड़ा घबरा गयी)


रितिका उसके चेहरे पे हाथ फेर रही थी..तो ग़लती से उसकी उंगलियाँ अंकित के होंठों के उपर चली गयी..

रितिका कुछ कर पाती...उससे पहले अंकित ने अपने होत खोल के उसकी उंगलियाँ मुँह में ले ली.....


और उसे चूसने लगा....अंकित रितिका की उंगलियों को अपने मुँह के अंदर चूसने लगा..एक पल तो रितिका

भी उस पल में खो गयी...पर फिर एक दम उसने हाथ बाहर खिच लिया...


रितिका :- अच्छा बच्चू मुझसे फिर पंगा....


अंकित रितिका की बात सुन के मुस्कुरा पड़ा...रितिका को गुस्सा आया तो उसने अपनी जंगली बिल्ली को जागाते हुए

एक बार फिर से अंकित के लंड को दबा डाला...


आहह रितिका...आ.आ.आ.आ..आ........


हहेहेहेहीः क्यूँ मज़ा आया ना.....मुझसे पंगा नही लेना अंकित....(बोलते हुए उसने अपने नाख़ून

अंकित के चेहरे में गढ़ा दिए और फिर दुबारा बोली) अब देखो तुम्हे कैसे मज़ा चखाती हूँ....

(और फिर अपने होंठों को गोल करके अंकित के चेहरे पर फूँक मारती है)


क्रमशः...........................
 
गतान्क से आगे..............


हाई....आज तो में कसम से गया..लेकिन ध्यान रखना रितिका अगर इसको कुछ हो गया जीन्स के अंदर तो

फिर कभी कुछ नही कर पाउन्गा..हाहहहः..(बोलते हुए हँसने लगा)


चिंता मत करो...बस देखते रहो...(गर्दन पे उंगली फेरते हुई उसके पीछे आ जाती है)


और उसकी गर्दन को पीछे की तरफ नीचे झुका देती है ....


रितिका :- नाउ आइ विल अनफोल्ड युवर आइज़..बट प्रॉमिस मी यू डोंट ओपन युवर आइज़ बिफोर आइ विल गेव यू अनदर इन्स्ट्रक्षन

ओके...


अंकित कुछ बोलने की बजाए सिर्फ़ गर्दन हाँ में हिलाता है...


रितिका उसकी आँखों की पट्टी को खोल देती है..और वेड के मुताबिक अंकित अपनी आँखें नही खोलता..रितिका उसकी

गर्दन को सीधा कर देती है....


रितिका :- डोंट ओपन युवर आइज़ अंटिल से यू टू ओपन.....


और चलती हुई अंकित से दूर चली जाती है......


अंकित :- रितिका कहाँ जा रही है...आँखें खोल दूं....अरे कुछ तो बोलो..में खोल रहा हूँ....जल्दी

करो यार...


रितिका :- जस्ट वेट आ व्हीली प्लीज़.....


अंकित अपने मन में....यार ये मेरा खड़ा कर कर के मेरी मारेगी आज लगता है..उई माँ बड़ा दर्द हो रहा

है....कहीं खड़े रहने के चक्कर में अगर इसको कुछ हो गया तो ये तो चली जाएगी फिर मेरा क्या

होगा...नही नही..ऐसा कुछ हुआ तो में तो ज़िंदा मर जाउन्गा....(इतना सोच ही रहा होता है कि रितिका

की आवाज़ उसके कानो में पड़ती है...)


रितिका :- नाउ उ कॅन ओपन युवर आइज़.....


अंकित की बॅंड तो रितिका की आवाज़ से ही खराब हो गयी थी..उस आवाज़ में इतना सेडक्ट्ष्वनेस था इतनी

ठहरी हुई और बैठी हुई आवाज़ थी कि बस कोई भी सुन के पागल हो जाए....

अंकित ने धीरे धीरे आँख खोलनी शुरू की....और आँखें खोली तो उसे सामने कुछ दिखा पर धुंधला सा

इसलिए उसने एक दो बार आँखें बंद करी और फिर खोली....और फिर जो सामने का नज़रा था उसे सच में आज

अंकित का लंड खाट खड़ी कर जाना था...


रितिका सामने खड़ी थी........आल्मिरा के डोर के साथ ये कोई खास बात नही थी.लेकिन उसके कपड़े जो उसने

पहने थी वो ऐसे थे कि बॅस किसी की भी लुल्ली को लंड बना दे...

बिल्कुल ट्रांसपेरेंट ब्लॅक कलर की एक नाइट ड्रेस या यूँ कहिए नाइटी...उसकी लेंथ मुश्किल से कमर तक

ही थी...

अंकित की आँखें पूरी खुली थी..उसको सांस लेने में भी तकलीफ़ होने लगी ... नज़ारा ही कुछ ऐसा था..

रितिका ने अपने पैर डोर पे रखे हुए थे दोनो हाथ उपर थे चेहरा आल्मिरा से चिपका हुआ था...
सामने का सबाल बिल्कुल खुला हुआ......मानो अंकित को बोल रही हो हिम्मत है तो आओ इस शरीर को बाहों
में भर लो......एक मॉडेल भी फैल हो जाएगी रितिका के आगे इस वक़्त इतनी कयामत ढा रही थी....

चेहरे पे कोई मेकप नही बस होंठो पे रेड लिपस्टिक..बाल खुले हुए...आँखों पे हल्का काजल.....
नीचे आएँ तो उस ट्रॅन्स्परेंट नाइटी में वो उसका खुला बराबर शरीर...ड्रेस के अंदर उसकी दिखती
वो खूबसूरत चुचियाँ सॉफ दिखते हुए वो कड़क हो रखी निपल्स...जो थोड़ी देर पहले अंकित की चेस्ट
में घुसे हुए थे....और नीचे आएँ तो सपाट पेट उसका वो छोटा सा होल और उसके नीचे वो होली
जिसे देख के तो कोई भी उड़ने लगे..जैसे अंकित का लंड उड़ रहा था पर तकलीफ़ के साथ ....
रितिका की वो बेहद खूबसूरत चिकनी चूत जिसका छेड़ सामने बैठा अंकित भी देख पा रहा था...
और उसके नीचे वो सुंदर कोमल मखमली थाइस्स....और साइड में हल्की झल्क देती हुई उसकी वो गान्ड..

कसम से अंकित की तो सॉलिड लगा दी थी रितिका ने......उसने अपनी नज़रें ना चाहते हुए भी रितिका के उपर
से हटा के इधर उधर देखा तो उसका दिल अंदर तक खुशी से झूम उठा ... इतनी मेहनत इतना सब कुछ किया
रितिका ने इस रात को यादगार बनाने के लिए....अंकित सोच में पड़ गया नज़ारा ही ऐसा था कमरे का..

हर तरफ जलती हुई कॅंडल्स जिसकी रोशनी से उस कमरे में खड़ी रितिका की सुंदरता और कमरे के उस पल को
और ज़्यादा खूबसूरत बना रहा था...कमरे का महॉल ही बदल दिया था.....

दर्द चाहे जितना भी हो रहा हो...पर शायद इस पल ने अंकित के सारे दर्द को भुला दिया होगा....

क्रमशः...........................
 
गतान्क से आगे..............

रितिका को ऐसा खड़ा देख अंकित की तो सॉलिड लग गयी वो बेचारा अपने लंड से परेशान अगर उसके हाथ में

होता तो वो कभी उसे खड़ा नही होने देता ऐसी सिचुयेशन में....कभी लंड अंदर फुदकी मार के इधर होता

तो कभी उधर ... बेचारा हाथ बँधे की वजह से अड्जस्ट भी नही कर पा रहा था....


तभी रितिका अपनी कमर को मतकाते हुए पलंग के पास जाने लगी...अंकित की तो आँखों में सेक्स का नशा

सर चढ़ के बोल रहा था रितिका की वो वो ठुमकती कमर में हिलती गान्ड उफ़फ्फ़ क्या सीन था...उसके बाद

का सीन तो और कातिलाना था...रितिका ने अपने आप को हल्का सा झुकाया जिससे उसकी गान्ड उभर के अंकित के

सामने आ गई..एक तो कमर तक ड्रेस उपर से नीचे कुछ पहना हुआ नही...वो गान्ड का छेद और पीछे से

चूत का छेद ऐसे दिख रहा था मानो अभी खा जाएगा उसे अंकित...उसकी तो लार टपकने लगी वहीं लंड

जीन्स की चैन में ज़ोरों से चुभने लगा....


तभी अंकित की कान में एक बेहद सेडक्टिव इंग्लीश सॉंग सुनाई पड़ा.....रितिका मूडी और फिर कमर

मटकाती हुई अंकित से थोड़ी दूर पे जाके खड़ी हो गयी...और उसे आँख मार दी...


अंकित ने जीब बाहर निकाली बस आगे के पल के इंतजार में बैठा था कि अब क्या होगा....और फिर हुआ अंकित

की बजाने का दूसरा सेशन...उसके बाद तो रितिका ने जो सेडक्टिव मूव्स देते हुए डॅन्स शुरू किया है

उसने तो अंकित की साँसे ही उखाड़ दी....


कभी अपनी गान्ड पे हाथ रख के उसने कमर को गोल गोल घुमाया हाई...कभी झुक झुक के अपने बूब्स

के दर्शन करवाते हुए उन्हे दबाती हुए अपनी बॉडी हिलाई है..तो कभी अपने बालों को उपर कर के

अपने दोनो हाथ उपर करके अपने शरीर को अंकित को खुला दिखाया है...

और फिर अंकित के पास जाके उसके चेहरे के पास अपने बूब्स हिलाए हैं..उसे ललचाने के लिए तो

कुर्सी पकड़ के अपनी गान्ड को अंकित के लंड के ठीक थोड़ा उपर रख के घुमाया है...

इस पल ने तो अंकित की बॅंड ही बजा दी.....


अंकित :- प्लीज़ रितिका यार हाथ खोल दे....बस कर..नही सह सकता और...(फाइनली अंकित ने हर मानते हुए

कहा)


रितिका हंस पड़ी.....


अंकित :- हंस मत...यहाँ आज तूने बॅंड बजा दी है...प्लीज़ खोल दे यार..आइ बेग यू..(बच्चे जैसा मुँह बनाते

हुए)


रितिका :- ह्म्‍म्म्मम..सोचने दो....(एटीटियूड में खड़े होते हुए) वैसे...तुम्हे ऐसे देख के बड़ा मज़ा

आ रहा है....तुझे यूँ ताड़पता हुआ देख के(उसके गालों पे अपने नाख़ून गढ़ाते हुए)


अंकित :- एक बार खोल के दे फिर देख आज ये हिन्दुस्तानी लड़का तुझ हिंदू कम न्यू यॉर्क बिल्ली को कैसे कुरेदता

है....


रितिका :- ओह्ह कॉन्फिडेन्स ह्म्म..आइ लीके इट...देन लेट्स सी....


और रितिका अपने नाख़ून को उसके शरीर पर रेंगते हुए नीचे लाती हुई ठीक उसकी जीन्स के उभार पे रख के वहाँ ज़ोर से दबा देती है...


उईईइ माआ...मार डाला रे.........अंकित अपना सर छत की तरफ कर के सिसक उठता है....


फिर रितिका धीरे से जीन्स के बटन और ज़िप को नीचे कर देती है...अंकित बिना रितिका के कहे अपनी गान्ड जितनी

उठा सकता था उतनी उठा लेता है..रितिका उसके इतने उतावले पन को देख के मुस्कुरा पड़ती है और फट से

उसकी जीन्स नीचे कर देती है..और उसके बाद उसका कच्छा भी.....और जैसे ही उसका कच्छा नीचे होता है.


हााअ..आहह व्हाट आ रिलीफ.......(अंकित तो ऐसे खुश होता है

मानो दुनिया की हर हॉट लड़की की मार चुका हो)


हववव.......कितना लाल हो गया अन्कित्स बिग कॉक..हहेहेहेहेहेहेः...(बोलते हुए रितिका हँसने लगती है)


अंकित :- हँसी आ रही है...अरे पता है कितना दर्द हो रहा था...ऐसा लग रहा था मानो कोई सूइयां चुबा

रहा हो अंदर एक एक कर के...क्या हालत हो गई है....बहुत दर्द हो रहा है.....


फिर रितिका उसे अपने हाथ से पकड़ के उठाती है....

अहह ओह्ह्ह उईईईईई माँ...दर्द हो रहा है.....अंकित दर्द में सिसक उठता है..उसकी आँखों

से पानी निकल आता है...


और पहली बार रितिका को अंदाज़ा होता है कि सच में अंकित को काफ़ी दर्द हो रहा है...वो कुछ नही बोलती..

पर उसके चेहरे पे एक दुख होता है..इसलिए वो अपनी जीब बाहर निकाल के उसे चाटने लगती है..

अंकित उसे इस हालत मे देख के घायल हो जाता है..रितिका बिल्कुल लंड को ऐसे चाट रही थी मानो कुत्ता कोई

हड्डी चाटता है....


रितिका की गर्म जीब का जादू अंकित पे सर चढ़ के बोल रहा था...लंड पर नरम और गीली चीज़ का एहसास

पाके अंकित को दर्द से धीरे धीरे छुटकारा मिलने लगा...उसकी आँखें मस्ती में घूम रही थी...जब रितिका

ने देखा अंकित कुछ नॉर्मल हो गया है..तो रितिका ने अपने हाथ आगे बढ़ा के लंड को सीधा किया..

और उसे अपने मुँह के अंदर बाहर लिया और अंकित को देखने लगी...अंकित की नज़र भी रितिका पे पड़ी जैसे

ही उसने लंड मुँह में लिया ....


क्या सीन था अंकित के लिए उसके सपने में भी नही सोचा था कि इतनी सेक्सी हॉट लड़की उसका लंड ऐसे मुँह में

लेके बैठी होगी..पर ये सच था कोई सपना नही...रितिका ने चेहरे पे मुस्कान फैलाई और फिर लंड को स्यौर्र्र

करके मुँह से बाहर निकाला और फिर अंदर डाल लिया.....


अहह ओह येस्स.स....................यौरर.... डॅम....गूड्ड़.अहह...


रितिका अंकित के लंड को सक करने लगी..बीच बीच में जीब से उसके सुपाडे को सहलाने लगी जिससे अंकित

के शरीर में एक झुरजूरी सी दौड़ जाती.....


अंकित :- आहह..उफफफफफफफफफफफ्फ़...रीतितका.आ..आ.आ...प्लीज़ ओपन माइ हण्दड़ड़.द.द...


रितिका लंड बाहर निकाल के...माइ पनिशमेंट ईज़ नोट ओवर एट.....(एक सेडक्टिव स्माइल देती है और फिर लंड मुँह

में ले लेती है)


स्यौरर तसुसपप्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प उःम्म्म्मममममम...जैसी आवाज़ें आ रही थी......रितिका अब तेज़ी से लंड सक करने

लगी..मानो किसी ने मशीन चला दी हो ... उपर से अपने नखुनो से लंड की बॉल्स को कुरेदने लगी....


आहहह ओह मययययययययययी ...रितिका...ससिईईईईई उफ्फ.....आहूऊऊऊओ ये.स.सस्स....

उ अरे ए ए दांं गुड इन सक.सी..सीसी.किंग.ग..ग.ग..ई लॉव..ए.ए..ए. इट.त......यस ओह्ह्ह्ह....


रितिका तेज़ी से लंड को सक कर रही थी.....नीचे से बॉल्स को बढ़ाने लगी..


ओह्ह आहहह एस.स...आइ आमम्म.क...कुमिणटज्ग्ग..ग.ग.ग.ग..ग.ग..ग.ग.ग.ग.गगगगगगगगगगगगगगगगग.....(वो अपने हाथ से मानो रितिका का सर पकड़ने की कोशिस कर रहा हो..पर हाथ बँधे होने की वजह से वो ऐसा नही कर पा रहा

था) रितिका....आइ अम्म कुमिणत्ग.ग..ग...(फाइनली वो तेज आवाज़ के साथ झटके मारने लगा....कमर

भी बुरी तरह से हिलने लगी)



रितिका ने बिना हाथों की मदद से लंड को अपने मुँह से जकड़ा हुआ था..और लंड पूरा मुँह में था

इसलिए लंड से निकली क्रीम सीधे उसके गले में जा रही थी.....(3-4 झटके मारने के बाद अंकित थोड़ा शांत

हुआ और हाँफने लगा)


और रितिका ने भी अपना मुँह बाहर खिचा...तसुपप्प्प्प्प्प पुक्क्कककककककक करके लंड मुँह से बाहर आ गया...


रितिका लंड को मस्ती भरी नज़रों से देखने लगी..झड़ने के बाद भी लंड बिल्कुल वैसा ही खड़ा था..


रितिका अंकित को देखने लगी...अंकित रितिका को देख मुस्कुराने लगा..


अंकित :- आज ये बिल्ली मार के छोड़ेगा...उससे पहले इसका कोई भी कुछ नही बिगाड़ सकता...


रितिका मुस्कुरा पड़ी..और फिर खड़ी हो गयी....और कमरे से जाने लगी...


अंकित :-आ रे कहाँ जा रही है..खोल तो दो...


रितिका :- खोल दूं..


अंकित :- हाँ प्लीज़ यार...खोल दे..


रितिका :- अच्छा थोड़ी देर पहले तक तो कोई बिल्ली मारने की बात कर रहा था...


अंकित :- हाँ वो तो मारूँगा ही...


रितिका :- तो नही खोलूँगी.....(आक्टिंग करते हुए)


अंकित :- अच्छा ठीक है मत खोल...जानता हूँ बिल्ली खुद चल के आ जाएगी.....


रितिका हंस पड़ी...अच्छा बाब खोल देती हूँ....और फिर रितिका अंकित के एक एक कर के हाथ पैर खोल

देती है...अंकित जल्दी से फ़ौरन उठता है और अंगड़ाई लेता है...मानो शरीर खोल रहा हो जो बैठे बैठे

अकड़ चुका था...


रितिका :- अच्छा में जाउ...(रितिका बोल के पीछे भागने लगती है)


पर अंकित अपने हाथ आगे बढ़ा के उसको कमर से पकड़ के अपनी तरफ खिच लेता है...


अभी कहाँ जानेमन..अभी तो बहुत कुछ बाकी है..(बोलता हुआ अंकित अपनी नाक से रितिका की नाक पे मारता है और अपने होंठ यहाँ वहाँ घुमाता है उसके चेहरे पर)


और थोड़ा सा आगे बढ़ाता है..कि उसका पैर अपनी जीन्स में फँस जाता है..और दोनो सीधा बेड पे जा गिरते हैं

अंकित का पूरा शरीर रितिका के शरीर में धँस जाता है..


अहह सीईईईईई उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़. अंकित.त....इस बार सिसकने की बारी रितिका की थी..क्यूँ कि उसके वो पहाड़ जैसे सख़्त बूब्स अंकित की चेस्ट में धँस गये थे..और अँकति का लंड चूत के उपर प्रेस हो गया था.


अंकित गालों पे और गर्दन पे किस करता हुआ..


अंकित :- असली खेल तो अब शुरू होगा ... (बोलते हुए उसके होंठों पे टूट पड़ता है और दोनो एक ज़बरदस्त

स्मूच में खो जाते हैं रितिका के हाथ अंकित के बालों में घुस जाते हैं और अंकित के हाथ लेफ्ट बूब्स के उपर चल देते हैं ... और दोनो एक दूसरे के होंठों को बुरी तरह से चूसने और चाटने लगते हैं......)

क्रमशः...........................
 
गतान्क से आगे..............


रितिका के उपर अंकित पड़ा उसे चूमे जा रहा था...होंठों को अपने होंठों की गिरफ़्त में लेके उसके

मीठे रस का पान करने में उसे बड़ा मज़ा आ रहा था..उसी अपनी चेस्ट में चूबते हुए कड़क

बूब्स सॉफ महसूस हो रहे थे..और अपने लंड को चूत पे भी वो सॉफ महसूस कर पा रहा था...


कुछ मिनट तक ये रंगीन खेल चलता रहा...फिर वो रितिका के उपर से हट के खड़ा हो गया.....

रितिका अंकित को देखने लगी....अंकित तो रितिका के शरीर को घूर रहा था...रितिका शरमा गयी और उसने अपनी

आँखें बंद कर के चेहरा बेड में घुसा लिया....


अंकित ने अपने खुले हुए कपड़ों को उतारना चालू रखा और उसे उतार के शरीर से अलग कर दिया और

बिल्कुल नंगा खड़ा हो गया..


अंकित :- वैसे तो इस ड्रेस में कयामत लग रही हो ... दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की आज मेरे पलंग

पे लेटी हुई है...लेकिन कम्बख़्त इस दिल को तो बिना कपड़ों के देखना है इस शरीर को..

वो आगे बढ़ा और अपने हाथों को रितिका की जाँघो पे रख दिया..


रितिका के मुँह से सीईइ हल्की सिसकी निकली...अंकित अपने कड़क हाथों से सहलाता हुआ उपर की तरफ बढ़ाता

रहा...साथ साथ मे उसकी छोटी सी टू पीस वाली ड्रेस को उपर उठाता रहा..रितिका ने भी पूरा साथ दिया अपनी

गान्ड और अपनी कमर उठा के...आख़िर चुचों पर कड़क हाथ पड़े तो वो पिचक गये...

रितिका की तो आहह निकल गयी...और रितिका ने अंकित की आँखों में देखा ... दोनो ने एक दूसरे की

आँखों में देखा और रितिका ने किसी रोबोट की तरह अंकित की आँखों का इशारा समझते हुए अपने कंधे

उपर उठा लिए..और बस अंकित के लिए यही समय था उस ड्रेस को शरीर से अलग करने का...और उसने

ये काम बखूबी करते हुए अलग कर दिया.....


एक बार फिर दो जान दो जिस्म नंगी अवस्था में एक दूसरे के सामने थे.....दोनो के शरीर में से आग

निकल रही थी..और एक आग बुझाने के लिए दो जान दो जिस्म को एक होना पड़ेगा और अपनी अपनी आग को एक दूसरे

के शरीर में छोड़ना पड़ेगा तभी भुजेगी..ये आग होती ही ऐसी है....


अंकित ने ड्रेस को फैंक दिया ... दोनो की आँखों में एक वासना एक जुनून दिखाई दे रहा था...अंकित ने दोनो

हाथों से रितिका के चेहरे को पकड़ा और अपनी अंगूठे से उसके गाल सहलाने लगा...रितिका अपना चेहरा

हिला डुळा के उस अंगूठे पे अपने होंठ रगड़ने की कॉसिश कर रही थी...


फिर अंकित ने वक़्त ना गँवाते हुए एक बार फिर अपने होंठों से रितिका के होंठों को पकड़ लिया और उन्हे

किस करने लगा...रितिका का भी पूरा रेस्पॉन्स था वो भी उस जबरदस्त किस में उसका साथ

दे रही थी...


रितिका पलंग पे बिछी हुई थी और अब उसके उपर अंकित बिछ चुका था..दोनो के शरीर एक दूसरे से लिपटे

हुए थी..दो नग्न शरीर....लंड चूत पे बार बार दस्तक दे रहा था..चूत की गर्मी पानी के रूप में

उसके उपर बनी हुई थी...


किस करते हुए अंकित का हाथ रितिका के शरीर को सहलाता हुआ नीचे आने लगा और उसकी चूत की फांकों

पे अपनी उंगली रख के उसकी क्लिट को घिसने लगा...


उंघह उःम्म्म्ममम फ़ौरन रितिका के मुँह से दबी हुई आवाज़ निकली जो अंकित के मुँह में ही खो

गयी और उसके शरीर में एक करंट सी दौड़ गयी...बिल्ली को जितना ळलचाओगे वो उतनी गुस्सैल हो जाती है यही

अंकित कर रहा था वो रितिका को पागल बना रहा था.....


रितिका और बुरी तरह से अपने होंठ और अपनी जीब चला चला के उसे किस करे जा रही थी जिसमे

अंकित को भी मज़ा आ रहा था....

अंकित ने अपनी उंगली को चूत की दरार में फँसा के वहाँ उसे उपर नीचे कर रहा था...एक औरत के लिए

शायद इससे बड़ा सुख कोई नही हो सकता जब उसका शरीर प्यासा हो...

रितिका की हालत बुरी होती जा रही थी...लेकिन वो हार मान के झड़ना नही चाहती थी अभी..इसलिए उसने अपने हाथ

नीचे ले जाते हुए अंकित के लंड पर रख दिए और उसे स्ट्रोक देने लगी..

इस बार सिसकी लेने की बारी अंकित की थी...लेकिन वो ज़्यादा उतेज़ित नही हुआ क्यूँ कि थोड़ी ही देर पहले उसने अपना

लोड .. रितिका के मुँह में अनलोड किया था...


दोनो के बीच ये घमासान कुछ 15 से 20 तक चलता रहा....उसके बाद तोड़ा भी अंकित ने ही ये सुख

का मिलन...रितिका तो और करना चाहती थी..उसको तो बहुत मज़ा आ रहा था..जब अंकित अलग हुआ तो रितिका

ने उसे घुरते हुए देखा...


अंकित :- अब बताऊगा मैं टॉर्चर क्या होता है.. (और मुस्कुरा दिया)


रितिका :- ह्म्‍म्म्मम..(कसमसाती हुई बस इतना ही बोली और अंकित का हाथ पकड़ के अपने चुचों पे रख

के उसे इशारा करने लगी दबाओ इन्हे यही मेरे लिए सबसे बड़ा टॉर्चर होगा)


पर अंकित ने तो कुछ और ही सोच लिया था शायद...खुरापाती दिमाग़ में एक शैतानी आइडिया आ गया था उसके

अंकित ने अपने हाथ हटा लिए..


अंकित :- में बस 10 मिनट में आया....(बोलते हुए वो बेड से खड़ा हो गया)


रितिका :- (उसको एक दम अजीब सा लगा कि अचानक क्या हुआ उसे) अंकित ..व्हेअर


अंकित :- (पूरा नही बोलने देता) बस आया..(बोलते हुए वो नंगा कमरे से बाहर निकल गया)


रितिका उसे रोकने के लिए आवाज़ लगाती रही..लेकिन वो नही सुना...वो बेड पर बैठ सी गयी...फिर उसे अपनी इस

नंगी अवस्था में खुद को पाके थोड़ी सी शरम आ गयी तो उसने अपने आप को चादर से ढक लिया..

(ये नेचुरल है...वासना का एक खेल ऐसा है जब दिमाग़ पे चढ़ता है तो सारे शरम सारा लिहाज़ उतर जाते

है और जब उतरता है तो शरम से पानी पानी भी कर देता है इंसान को )


रितिका :- पता नही ये लड़का कब सुधरेगा...और करने क्या गया है पता नही...


10 मिनट बीत गये......15 मिनट बीत गये...रितिका बैठे बाते परेशान हो गयी..


रितिका :- क्या कर रहा है...मुझे जाके देखना चाहिए...(वो चादर हटा के उठने ही वाली होती है)


कि तभी रूम का डोर खुलता है..और अंकित अंदर घुसता है.....रितिका उसको देख के फिर से चादर ढक लेती

है..


अंकित :- अरे ये क्या में थोड़ी देर के लिए बाहर गया तुम ने मेरी सुंदर सेक्सी रितिका को मुझसे छीन लिया


रितिका समझ गयी अंकित क्या कहना चाहा रहा था...उसके चेहरे पर एक बेहद प्यारी स्माइल आ गयी...


रितिका :- ये हाथ में क्या है...


अंकित अपने हाथ में पकड़ा एक छोटा सा बोवल को देखता है और फिर रितिका की तरफ देखता है और एक ख़तरनाक स्माइल दे देता है..


अंकित :- टोर्चर करने का इंतेज़ाम.....


रितिका अंकित की बात सुन के थोड़ी सी शॉक हो जाती है उसके दिल की धड़कन बढ़ जाती है...वो तो यही

सोच रही थी कि अंकित मज़ाक कर रहा है और कुछ नही..उसे बिल्कुल भी नही लगा था कि अंकित कुछ ऐसा

भी करेगा..

क्रमशः...........................
 
गतान्क से आगे..............


रितिका :- क्या है ये...(घबराते हुए)


अंकित :- बस कुछ नही...अब ज़रा तुम्हे भी तो पता चले कि मेने क्या सहेन किया है (नज़ाकत में

बोलते हुए)


रितिका :- नो नो..अंकित..तुम ऐसा कुछ नही कर सकते....(वो चादर हटा के बेड पे खड़ी हो जाती है)


अंकित :- बिल्कुल कर सकता हूँ..कर सकता नही बिल्कुल करूँगा..


अंकित की बात सुन के रितिका बेड से उतर जाती है...अंकित उस बोवल को वहीं एक शेल्फ पे रख देता है..और

रितिका के करीब जाने लगता है...अंकित को करीब आता देख रितिका भागने लगती है....बेड के उपर चढ़ के

तो अंकित भी उसके पीछे पीछे भागता है...रितिका बस उस शेल्फ तक पहुचने वाली होती है कि पीछे

से अंकित उसे पकड़ के अपने से सटा लेता है..उसका लंड गान्ड की दरार में धँस सा जाता है....


आहहह अंकित..छोड़ो.....(रितिका दर्द में कसमा सी जाती है अंकित ने उसको कस के पकड़ के

रखा हुआ था)


अंकित उसे पीछे खिचता हुआ लाता है...और एक दम घुमा के उसके कंधों को पकड़ के...उसकी गर्दन

पे अपने होंठ रख देता है..रितिका की आँखें मस्ती में बंद हो जाती है...फिर वो उसे अपने हाथ के

दबाव से बेड के पास ले जाते हुए बेड पे धक्का देता है और फिर उसके उपर आ जाता है.....उसके बालों

को चेहरे से हटाता है..रितिका की आँखें बंद होती है..


अंकित :- ओपन युवर आइज़ रितिका...


रितिका आँखें खोलती है....


अंकित :- यू ट्रस्ट मी ना..


रितिका अपनी आँखों से हाँ में इशारा करती है..


अंकित :- बस तो....जस्ट रिलॅक्स...आज की रात इतनी यादगार बना दूँगा कि जिंदगी भर नही भूल पाओगी...

(ये बोलते हुए वहाँ से उठ के उस शेल्फ के पास जा के वो बोवल उठा लेता है)


इस बार रितिका नही हिलती वो वैसी ही पीठ के बल बेड पे लेटी रहती है..उसके दिल की धड़कन तेज़ चल रही थी

अंकित वो बोवल लेके बिल्कुल करीब आके घुटनो के बल पलंग पर बैठ गया......और रितिका को देखने लगा

रितिका भी अंकित को देखने लगी...और अगले ही पल अंकित ने ऐसा किया..


जिससे...अहह बहुत ही मीठी सिसकी रितिका के मुँह से निकली और उसकी आँखें मदहोशी में

बंद होती चली गयी.......


अंकित ने जैसे ही बोवल को धीरे धीरे उल्टा किया रितिका के बूब्स की दरार के उपर तभी रितिका के मूँह

से एक अहह.......निकल गयी...उसने अपने हाथों से बेडशीट पाकड़ ली और अपने

पैर पलंग पर घिसने लगी......उसकी आखें बंद थी और उसके मुँह से हल्की हल्की आह सीयी....सिसकियाँ बराबर

निकले जा रही थी.....


अंकित हाथ आगे बढ़ाता हुआ धीरे धीरे नीचे पेट की तरफ बढ़ रहा था और उस बोवल में से निकलती वो

मेल्ट चॉकलेट रितिका के शरीर के उपर गिर के उसे तडपा रही थी.....जैसे ही नाभि के छेद में वो हल्का

गर्म चॉकलेट गिरा..रितिका के मुँह से एक तेज सिक्सकी मुँह से निकल पड़ी.......


लेकिन अंकित तो रुका ही नही.....उसने चूत के ठीक उपर उस चॉकलेट को गिरा के हाथ की दिशा को मोड़ा

और उसकी थाइस पर जाने लगा..और वहाँ उस मेलटेड चॉकलेट को बिखेरने लगा....ऐसे करते करते

उसने दोनो थाइस्स पे गिराई घुटनो के उपर तक.....


रितिका थोड़ी दर्द में छटपटा रही थी..क्यूँ कि चॉकलेट गर्म थी....


फिर अंकित ने दोनो घुटनो टिका के रितिका के दोनो साइड मे किए और उसके उपर आ गया....हाथ में बोल चेहरे पर एक

शैतानी स्माइल और रितका को घूर्ने लगा..रितिका की आँखें बंद थी.....


अंकित बोवल को रितिका के बूब्स के पास लाया..और थोड़ा उपर किया अपना हाथ और बोवल को टेढ़ा

किया....एक पतली सी चॉकलेट की धार..नीचे आती हुई सीधी रितिका के निप्प्प्ल्स के उपर आ गिरी.....


आआहह अंकित्त्त्टटटटटतत्त..नूऊऊऊऊऊ...इत्सस सोस्स होत्त्त्टटटटटटटतत्त....

रितिका बोलते हुए अपना हाथ वहाँ ले जाके उसे सॉफ करने ही वाली थी कि अंकित ने उसका हाथ पकड़ लिया..


अंकित :- नो नो नो नू......हाथ नही लगा सकती.....मेने ट्रस्ट करके तुम्हारे हाथ नही बाँधे...


रितिका ने आँखें खोली तो उसकी आँखों से पानी निकल के चेहरे पे से होता हुआ बेड पे गिर गया....

उसको पेन हो रहा था......जो अंकित उसकी आँखों में देख रहा था...


उधर चॉकलते निपल्स पे पड़ के उसके चारों तरफ फैल गया.....अंकित ने कुछ और बूँद उस बूब पर गिराई और फिर सामने उसने दूसरे वाले के साथ भी किया...दोनो सुंदर सुंदर गोलियाँ अब एक डार्क चॉकलेट

के नीचे छुप गयी थी.......


अंकित ने बोवल को साइड में रख दिया...गर्म गर्म चॉकलेट रितिका के शरीर को झुलसा सा रही थी..उसे

दर्द हो रहा था लेकिन वो कुछ नही कर पा रही थी....अंकित ने दोनो हाथ से रितिका के हाथ को पकड़ के

उपर की तरफ कर दिया...और आगे झुक के उसके बूब्स के बेहद करीब पहुच गया....


और अपनी जीब निकाल की रितिका के बूब्स से नीचे टपकने ही जा रही चॉकलेट को चाटता हुआ उसके

निपल्स तक चाट डाला....


आआहह सस्स्स्सिईईई उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ अंकित...त......(ये सिसकी थी रितिका के मुँह

से एक सुखद और बड़ी ही कामुकता वाली....एक ही पल में दर्द मस्ती में बदल गया)


अंकित पागलों की तरह बूब्स पर लगा हुआ चॉकलेट चाटे जा रहा था....उसे चॉकलेट चाटने में

मज़ा आ रहा था..इधर रितिका आहे भरती भरती पागल हो रही थी...उसे लाइफ में ऐसा मज़ा कभी भी

नही मिला था और ना ही उसने ऐसा सोचा था कि कभी उसे ऐसा कुछ मिलेगा.....


उधर अंकित ने दोनो बूबसस को अपनी जीब से चाट चाट कर उसका सारा चॉकलेट सॉफ कर दिया...

रितिका आहें भरती हुई अंकित के बालों में अपनी उंगलियाँ घुमा रही थी...उसे इसे ज़्यादा मज़ा शायद

ही कभी मिल पाए.......


फिर अंकित ने अपनी जीब बूब्स के ठीक बीचों बीच उस दरार में डाली और वहाँ से चाटता हुआ नीचे

आने लगा..उसके पेट पर चाटने लगा...उसकी नाभी पे चाटने लगा...रितिका का जिस्म अब चॉकलेट की गर्मी से

नही बल्कि उसकी खुद की गर्मी से सुलगने लगा......


अंकित उसको दिए हुए टॉर्चर का पूरा हिसाब निकाल रहा था.......पूरी पेट बूब्स यहाँ तक कि अंकित का

मुँह चॉकलेट से सन गया था.......आख़िर कार जब उसकी इस चटाइ का मंज़र ख़तम हुआ तब उसने अपनी

शैतानी मुस्कान के साथ रितिका को देखा...रितिका भी उसी को देख रही थी...


अंकित के होंठो के चारों तरफ चॉकलेट लगा हुआ था उसकी नाक पे..और थोड़ा थोड़ा गाल पे भी..


रितिका :- अंकित ...बस.स..स.स.... (बहुत हल्की आवाज़ में)


लेकिन अंकित कुछ नही बोला..और फिर बोवल उठा लिया......और रितिका को एक शैतानी स्माइल देते हुए...


रितिका समझ गयी कि अंकित क्या करना वाला है....नो अंकित..डोंट डू दिस...नूऊऊऊऊओ......


आआआअहह नो आहह ओह्ह गोड्ड़.द..ड्ड.द....

(रितिका ने चेहरा तकिये के अंदर धाँसने की कोशिस करी...उसके पैर कांप रहे थे...उसकी सिसकी में हल्का दर्द

झलक रहा था...)


अंकित ने बोवल को लुड़का के सीधी चूत के उपर चॉकलेट डालना शुरू कर दिया था....अब जब गर्म चीज़ को

और गरम कर दोगे तो धुआँ तो निकलेगा ही....इसलिए रितिका पागल सी हो गयी थी......


चूत पे चॉकलेट गिर रहा था..और फिसलता हुआ गान्ड के छेद पे भी जाके पड़ रहा था..और फिर नीचे बेड

शीट पे चला गया...अंकित तब तक चॉकलेट डालता रहा...जब तक उसकी चूत पूरी चॉकलेट से ढक नही गयी..


आख़िर उसने बोवल को साइड में रखा जिस पर बस थोड़ा सा ही चॉकलेट बचा हुआ था....

अंकित ने अपनी जीब अपने होंठो पे फिराई और सीधे ले जाके गान्ड के छेद पे रखी और एक ही झटके

में फिरते हुए चूत को चाटता हुआ उपर तक आ गया...


आहह उफफफफफफफफफफफफ्फ़...ओह आहह ये.एस.एस.सोह...एस.स.स.स.

(रितिका के मुँह से एक सुखद सिसकी निकली और उसकी कमर हवा में उठ गयी...उसकी पानी से भरी चूत पे चॉकलेट पड़ा था और अंकित उसे बेतहाशा चाट रहा था इससे उसकी हालत बुरी होती जा रही थी.....)


अंकित उसे पागलों की तरह चूत को चॉकलेट से अलग कर रहा था चाट चाट के....चूत के फांकों को खोल देने से चॉकलेट अंदर घुस रही थी..अंकित ने वहाँ भी जीब डाल के उसे बेतहाशा चाटा चूमा अंदर घुसा घुसा के उसे जीब फक दिया....


रितिका के तो मुँह से आवाज़ें निकलनी सी बंद हो गई थी.....उसकी आखें खुली थी...बस घुट्टी घुट्टी आवाज़ें निकल रही थी इस सुखद एहसास के बाद.....


करीब 15 से 20 मिनट तक ऐसे चूत चाटने के बाद ही अंकित हटा होगा और अंकित को पता भी नही चला कि रितिका का पानी वो चॉकलेट के साथ कितनी बार निकल गया है.....

अंकित ने रितिका की चूत से चेहरा हटाया.....उसके पूरे फेस पे चॉकलेट लगी थी और उसे चाटे जा रहा था....


रितिका की साँसे तेज़ी से उपर चल रही थी...वो हाँफ सी रही थी....उसने अपना हाथ उठाया मानो अंकित को बोल


रही हो इसे पकडो .. अंकित ने पकड़ के अपने होंठ फेरते हुए पूरी हाथ पे आ गया और उसकी नेक को


किस करने लगा....

तभी रितिका ने अपना दम लगाया और अंकित को बेड पे साइड में पीठ के बल लिटा दिया ... वो इसके लिए तैयार


नही था इसलिए वो आसानी से उधर चला गया..और रितिका फट से उपर आ गयी..


रितिका :- सच में..यू गेव दा मोस्ट प्लेजर डे ऑफ माइ लाइफ..... (अंकित कुछ ना बोला और उसे देखते हुए

मुस्कुराने लगा)


रितिका :- नाउ इट्स टाइम टू रिटर्न यू बॅक.....(बोलते हुए वो नीचे पहुच गयी और उसे खड़े लंड पे हाथ


रख के उसे स्ट्रोक देने लगी)


साइड में रखी बोवल को उठाया और उसने बोव्ल को उल्टा नही किया..बल्कि लंड को पकड़ के बोवल के अंदर


डाल के उसमे जितना बचा कुचा चकोलेट था उसे सना दिया...


आह्ह्ह्ह ... अंकित के मुँह से सिसकी निकल रही थी..और वो रितिका को घूरे जा रहा था ऐसा करते देख..


रितिका ने लंड को बोवल से हटाया तो लंड सन गया था चॉकलेट से..और टपकता हुआ उसके बाल्स को सान

रहा था...

रितिका ने वक़्त ना गँवाते हुए...लंड को मुँह में ले लिया..और चॉकलेटी लंड को एक चॉकलेटी लोलीपोप समझ


के उसे चूसने लगी...


आह रितिका..ओह्ह्ह यस...डू लाइक दिस....ओह्ह मयी....यू सुक्क्िंगग सो ग्गॉड....आंड इट फील्स सो गुडड....यू आर


डॅम गुड बेबी..आहह ओह्ह्ह....अंकित सिसकता हुआ रितिका के सर पर हाथ रखा हुआ था...

क्रमशः...........................
 
रितिका पागलों की तरह चॉकलेट लंड को मुँह में अंदर बाहर कर रही थी..और उसके बाल्स पे उंगलियाँ फिरा रही थी......रितिका को भी बड़ा मज़ा आ रहा था...ऐसे चॉकलेट लंड को सक करने में .. एक अलग ही टेस्ट मिल रहा था उसे...वो तेज़ी से सक करती हुई चॉकलेट को खा गयी सारा...बस अब लोलीपोप ही रह गया था चमक दार... ओह्ह रितिका...नाउ आइ कंत्त वेट मोर....उसने रितिका को अपने लंड से हटाया और खिचते हुए उसे अपने नीचे ले लिया...रितिका का चेहरा भी चॉकलेट से सन गया था...दोनो ने एक दूसरे की आँखों में देखा और फिर अपने होंठ आगे बढ़ा के उन्हे चूसने लगे.....और चाटने लगे..दोनो बहुत हॉट किस कर रहे थे...और फिर अंकित जीब बाहर निकाल के रितिका के होंठों पे लगे चॉकलेट को चाटने लगा....फिर रितिका ने भी सेम ऐसा ही किया.... अब दोनो से ही नही रहा जा रहा था...अंकित का लंड चूत पे मार रहा था....तो अंकित ने अपनी कमर पीछे की और चूत पे धक्का मारा..पर चूत के अंदर ना जाके फिसल गया...वो तो पागलो की तरफ किस में लगा हुआ था..इसलिए वो ऐसे धक्के मार रहा था.....लेकिन बार बार लंड फिसल रहा था...लेकिन रितिका होश में थी..उसने अपना हाथ नीचे किया..और अंकित के लंड को पकड़ा और चूत के छेद पे सेट किया...और उधर अंकित ने धक्का मार डाला एक तेज धक्का... स्यौर्र्र्र्र्ररर करते हुए लंड एक ही बार में चूत के अंदर समा गया कुछ जुनून और कुछ चूत और लंड की जबरदस्त चिकनाहट ने ये काम आसान कर दिया..रितिका की घुटि हुई आवाज़ उंघंन उःम्म अंकित के मुँह में ही गुम हो रही थी... जैसे ही चूत की गर्माहट लड पे पड़ी अंकित तो पागल हो गया और उसने अपनी कमर तेज तेज हिलाना शुरू कर दिया और गान्ड को बाहर खिचते हुए अंदर घुसाने लगा....बेड पूरी तरह से हिल रहा था..रितिका की आँखें भारी होने को हो गयी...दोनो अभी भी किस में डूबे हुए थे...लंड चूत से बाहर आता और फुर्र से अंदर घुस जाता..इतनी ज़बरदस्त स्पीड थी...बड़ी मुश्किल से रितिका ने अंकित के चेहरे को पकड़ के अपने होंठों से अलग किया..... रितिका गहरी गहरी साँसे लेने लगी.....अहह उसके मुँह से सिसकी निकल रही थी अंकित अभी भी तेज धक्के लगा रहा था... आहह अंकित्त स्टोप्प प्लीज़...लिसन ओह उअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह लिसन मी प्लेआससे.ए...... रितिका सिसकियाँ लेते हुए उसकी गान्ड पे हाथ रख के उसे रोकने को कह रही थी... अंकित्त लिस्तींंननननननननणणन् आहह ...... (उसने तेज़ी से कहा तो अंकित रुका...तूफान रुका कुछ पल के लिए जिसने थोड़ी देर पहले बुरा हाल कर दिया था) रितिका :- अंकित..प्लीज़....डोंट डू तट फास्ट...दो स्लोवॉली आइ वान्ट टू फील युवर एवेरी सिंगल स्ट्रोक ... आइ डोंट वान्ट तट लस्टी स्ट्रोक्स..प्लीज़...(उसने अंकित के चेहरे पे अहत रखते हुए आँखों में देखते हुए बोला) अंकित समझ गया......उसने एक मुस्कान दी..और अपना चेहरे उसकी गर्दन पे रख के अपनी गान्ड को पीछे किया और धीरे धीरे छूट मे घुसाया........और फिर दो चार बार ऐसे ही स्लोली किया..) अहह ओह्ह्ह बेबी यस.....ओह्ह्ह यस फक लाइक दिस अंकित.....ओह्ह मयी....आइ फील इट इनसाइडी ओह्ह गोड्ड़ इट फ़ील्सस अनबिलीवबली....आहह लोवेलयय....डू लाइक दिस..आहह ओह ह्म्‍म्म्मममम अहह...........रितिका के मुँह से एक अलग अंदाज़्ज़ मे सिसकियाँ निकल रही थी.... दोनो का करीब ऐसे ही चलता रहा...अंकित धीरे धीरे धक्के लगाता जाता..और रितिका मदहोशी में पागल उसकी पीठ में नाख़ून गढ़ाए बैठी रहती.... आहह रितिका....आइ कॅंट टेक इट अनीमोर..युवर पुसी ..आहह ओह्ह आइ वान्ट टू कम..आइ वान्ट टू कम नाउ... (करीब 20 मिनट के धक्के के बाद अंकित के लंड ने जवाब देना शुरू किया) ओह्ह्ह येस्स...कम इट इनसाइडी बाबयी....कम इट इनसाइडी........अहह ईम कुमिणटज्ग टूऊ येस्स... आइ आम कमिंग बाबयययययययययी.....अंकित चिल्लाता हुआ धीरे धीरे धक्कों के साथ अपनी कमर को झटकाता है और अपना सारा लावा गर्म गर्म रितिका की चूत के अंदर बहने लगता है... रितिका भी उस गर्म लावे को पाके अपना गर्म पानी छोड़ के एक संगम बना देती है...... और दोनो हान्फते हुए ऐसे ही पड़े रहते हैं..एक बेहद सुखद समय को पार कर के..... कुछ देर तक दोनो ऐसे ही रहे...और फिर पूरी रात में दोनो ने आज की रात को यादगार बनाने के लिए 3 बार और चुदाई करी अलग अलग आंगल अलग अलग पोज़िशन्स में........ और सुबह 3 बजे जाके बिस्तर पे सोए होंगे... करीब 7 बजे खटपट की आवाज़ से अंकित की आँख खुली...वो पेट के बल सोया पड़ा हुआ था और उसके उपर एक चादर धकि हुई थी..शोर से उसकी आँख खुली तो उसने अपनी आँखों को मलते हुए सामने देखा ... रितिका आल्मिरा के सामने खड़ी कुछ कर रही थी...... गुड मॉर्निंग.जी.......(अंगड़ाई लेते हुए) रितिका मूडी और मुस्कुराते हुए ... गुड मॉर्निंग अंकित... अंकित :- (बेड पे बैठते हुए) रितिका ये सब सुबह सुबह.....कहीं जा रही हो.. रितिका :- भूल गये अंकित...आज...मेरी फ्लाइट है.... (वो थोड़ा रुकती हुई बोली और फिर अपने समान को पॅक करने में लग गयी) अंकित को एक दम होश आया....और अपने मन में... ओह्ह शिट्स....ये तो में भूल ही गया था आज रितिका जा रही है....(और उसका दिल ज़ोर ज़ोर से इस बात को लेकर धड़कने लगा) में फ्रेश होके आता हूँ....अंकित ये बोला और उठ के बाथरूम में घुस गया..... क्रमशः...........................
 
[size=large]गतान्क से आगे..............


करीब आधे घंटे के बाद वो फ्रेश होके बाहर निकला....रितिका कमरे में नही थी..अंकित के चेहरे पर

इश्स वक़्त एक अजीब सी परेशानी झलक रही थी...लेकिन वो रेडी हुआ और कमरे से बाहर निकला तो उसे हॉल में भी रितिका नही दिखाई दी....वो कुछ बोलता उससे पहले ही


अंकित ब्रेकफास्ट रेडी है...जस्ट 2 मिनट......रितिका ने किचन में से आवाज़ लगाई.....


अंकित चुपचाप टेबल पे बैठ गया...वो इस वक़्त बहुत अजीब सा दिखाई दे रहा था हर पल चेहरे पे एक

खुशी और एक बच्पना जो दिखाई देता था..इस वक़्त बहुत ही व्याकुल और कन्फ्यूषन से भरा हुआ दिखाई दे रहा था....


रितिका ब्रेकफास्ट लेके आई..दोनो ने आराम से ब्रेकफास्ट किया....कोई कुछ नही बोला..दोनो में कोई बात नही हुई..

पर जब रितिका प्लेट्स उठा के किचन में गयी तो अंकित ने पूछा...


अंकित :- फ्लाइट कितनी बजे की है... (किचन के गेट पे खड़ा होके)


रितिका की पीठ उसकी तरफ थी...रितिका ने कहा... 12 बजे की है..बस अभी निकलना है....


फिर पता नही अंकित को क्या हुआ वो तेज कदमो से चलता हुआ आया और पीछे से रितिका को कस के पकड़ लिया .... रितिका के पल के लिए चौक गयी..


अंकित :- आइ अम गोनना मिस यू .... रियली... (और कुछ ना बोल पाया और ऐसे ही खड़ा रहा)


फिर कुछ देर बाद वो अलग हुआ..रितिका उसकी तरफ मूडी और उसने फिर हग कर लिया..


रितिका :- आइ आम गॉना मिस यू टू..अंकित.


दोनो अलग होते हैं...


अंकित :- जहाँ से शुरुआत की थी....आज वहीं ख़तम हुआ है हम दोनो का ....


अंकित बोलता है तो रितिका को उस दिन की याद आ जाती है...जब अंकित ने उसे वो सब कुछ कहा था...


काफ़ी अजीब समय था दोनो के लिए...दिल में एक अजीब सी हलचल ... अजीब हालत..अजीब महॉल कहने को बहुत कुछ ..पर रिश्ता ऐसा कि कहना भी नही बनता.. या फिर यूँ कहे..वो दोनो ही नही जानते कि कुछ दिन पहले क्या रिश्ता बना ... और कैसा बना...क्या ये रिश्ता प्यार का है..या फिर किसी और चीज़ का..


ये लो अंकित....रितिका और अंकित गेट पे खड़े थे...तभी रितिका ने अपनी मुट्ठी खोल के चाबियों का गुच्छा

दिखाया..


अंकित :- ये क्या है?


रितिका :- इस घर की चाबी?


अंकित :- लेकिन मुझे क्यूँ दे रही हो?


रितिका :- क्यूँ कि में चाहती हूँ कि तुम इस घर का ख़याल रखो मेरे जाने के बाद..


अंकित :- पर में नही...


रितिका :- प्लीज़...बहुत यादें जुड़ी है इस घर से..


इसके बाद अंकित कुछ नही कह पाया...और उसने वो चाबी रख ली....


रितिका :- आइ डोंट नो व्हाट टू से.....बट इतना कहना चाहूँगी यू मेड माइ लाइफ बेटर अगेन थॅंक यू सो मच...

(और आगे बढ़ के अंकित को गले लगा लेती है)


कुछ देर दोनो ऐसे ही रहते हैं उसके बाद अलग होते हैं...घर से बाहर निकलते हैं..अंकित गेट लॉक करता है......टॅक्सी बाहर ही खड़ी थी...रितिका ने पहले ही फोन कर दिया होगा..या फिर कंपनी ने भेजी होगी ऐसा अंकित सोचने लगा....


अंकित ने समान रखा रितिका के लिए गेट खोला .. रितिका अंदर बैठ गयी....दोनो एक दूसरे को देखने लगे..


शायद रितिका चाहती थी कि अंकित कुछ कहेगा या फिर कुछ बोलेगा..लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ..अंकित कहना तो बहुत कुछ कहना चाहता था...पर उसने सिर्फ़ इतना ही कहा..


बाए रितिका...आइ होप यू हॅव आ न्यू लाइफ आंड ग्रेट फ्यूचर अहेड...मिस यू सो मच....(मुस्कुराते हुए अंकित ने कहा)


तो रितिका भी मुस्कुरा के बस यही कह पाई...यू टू .अंकित...यू टू...बाए....(और फिक्स टॅक्सी वाले को चलने के लिए बोल दिया)


टॅक्सी जा रही थी..और अंकित उसे वहीं खड़ा होके देखता रहा...देखता रहा जब तक टॅक्सी उसकी आँखों के आगे से ओझल नही हो गयी....और अचानक ही उसे आभास हुआ...कि आज कुछ खो दिया है उसने...कुछ ऐसा जिसकी आदत पड़ गयी थी उसे....उसने चेहरे पर एक अजीब सी घबराहट झलक रही थी..


मेने खो दिया रितिका को आज...सच..हाँ..खो दिया..अब वो कभी वापिस नही आ पाएगी...सच में..तो अब में कैसे रह पाउन्गा उसकी आदत पड़ गयी थी...ये क्या हुआ कैसे हुआ सब नही पता ...पर क्यूँ हुआ..रितिका कैसे छोड़ के जा सकती है..मेने उसे रोकने की कॉसिश क्यूँ नही करी...एक बार बोल तो सकता था...शिट्स...ऐसा कैसे हो सकता है...कुछ अजीब सा क्यूँ लग रहा है...कहीं मुझे प्यार तो नही हो गया था...


तभी उसका फोन बजता है.....वो फोन देखता है और उठाता है..


हे ड्यूड..व्हतस अप.....क्या हाल है......


अंकित :- दिशा आज सुबह सुबह...


दिशा :- हाँ यार.....बस कल रात को काम था..तो सुबह आई..तो सोचा तेरे से बात कर लूँ..तू तो फ़ोन करता नही है..


अंकित :- ऐसी बात नही है यार..बस कुछ बिज़ी था..


दिशा :- ओह्ह्ह..अच्छा....वैसे आज क्या कर रहा है?


अंकित :- नतिंग मच..क्यूँ?


दिशा :- व्हाट अबाउट टुडे यू कम माइ प्लेस?


अंकित :- मीन्स? (उसके चेहरे के भाव बदलने लगे)


दिशा :- अरे बाबा..माइ आंट ईज़ नोट हियर ... शी ईज़ गोयिंग फॉर आ ट्रिप दिस आफ्टरनून... सो आइ थॉट वी डू सम पार्टी....व्हाट से...


तभी अंकित की घंटी बजने लगी...पार्टी होल नाइट..दिशा के फ्लॅट पर....और उसके चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान आ गयी....और एक शैतानी लकीर फैल गयी.....


अंकित :- या या श्योर...आइ विल बी देअर....


दिशा :- ओह्ह ग्रेट...वी हॅव फन रियली...आइ टेल यू दा टिमी लेटर ऑन..ओके..


अंकित :- या या..नो प्राब्लम..


दिशा :- ओ के चल में फिर सो लूँ थोड़ी देर...बहुत नींद आ रही है...बाबयए..


अंकित :- बाबयए.... (फोन कट)


वाऊ..दिशा के घर...मज़ा आएगा...यस...इट्स रियली गॉना फन... आज बहाना मारना पड़ेगा फिर से घर पर....मज़ा आएगा.....आज तो उस आइटम के साथ... (वो चाबी उछालते हुए अपने आप से बोल रहा था)


तभी उसकी नज़र चाबी पर पड़ी....और फिर घूम के उस घर पे पड़ी...रितिका के घर पर...


नही वो प्यार नही था...एक अट्रॅक्षन था .....

शायद एक ऐसा अट्रॅक्षन था जिसमें हम दोनो खो गये और समझ ही नही पाए कि क्या कर रहे हैं...एक ऐसा अट्रॅक्षन जो हम दोनो की ही नीड थी...


पर ...


मुझे ऐसा क्यूँ लग रहा है कि मेने सिर्फ़ रितिका से अपनी वही माँगी हुई चीज़ ही हासिल की....वही पुरानी


एक कीमत "ज़िंदगी" की.....क्या में यही चाहता था आज भी... क्या मुझे मिला भी यही....क्या सिर्फ़ वही कीमत चुकाने के लिए वो मेरी लाइफ मे थी....सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरा एहसान चुकाने के लिए...


अंकित अपने आप से ये सवाल करता हुआ रितिका के घर को घूरते हुए खड़ा रहा....


तो भाई लोगो आपको ये कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना दोस्तो फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब के लिए अलविदा आपका दोस्त राज शर्मा


दा एंड

समाप्त
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