hotaks444
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गतान्क से आगे..............
जैसे ही उसने अपना लंड हल्का सा मसला..उसे सबसे पहला चेहरा रितिका का याद आ गया..उसके
साथ बिताया हुआ आज का वो लम्हा याद आ गया...
बस यही सोचते हुए वो पलंग पे उठ बैठा.....
अंकित :- उफ़फ्फ़....चाहे जितनी भी हॉट लड़कियाँ आ जाए ज़िंदगी में..पर में शायद ही रितिका को भूल
पाउन्गा..मुझे फोन करना चाहिए उसे.....नही नही..इतनी रात नही..
पर...कर लेना चाहिए...क्या पता कुछ बात हो जाए..(वो अपने आप से बात करने लगा)
उधर
रितिका हॉल में बैठी थी..और अपने लॅपटॉप पे कुछ कर रही थी...रात के 12 बज रहे थे..लेकिन रितिका काम
मे लगी हुई थी...लेकिन हर 2 मिनट में वो रुक जाती कुछ सोचने लगती..और फिर से काम में लग जाती
शायद सुबह हुई घटना के बारे में ही सोच रही थी...अचानक उसके फोन पे रिंग बजी...
उसने नंबर देखा...
अंकित.....इतनी रात को......(रितिका बोलती है और फोन कट कर देती है)
1 मिनट बाद फिर से फोन आता है....वो फिर से कट कर देती है..
रितिका :- आइ कॅंट टेक युवर कॉल में जानती हूँ तुम क्या पुछोगे और मेरे पास उसका कोई जवाब नही है...
लेकिन फोन पे फोन बजने लगता है अंकित.....आख़िर कार रितिका फोन उठा ही लेती है..
रितिका :- अंकित इतनी रात में क्यूँ फोन कर रहे हो...
अंकित :- मेरा फोन क्यूँ कट कर रही थी आप..
रितिका :- इतनी रात को में कैसे बात करूँ..में सो रही थी..
अंकित :- झूठ आप सो नही रही थी.....
रितिका :- तुम्हे कैसे पता..
अंकित :- अब इतना तो जान ही जाता हूँ...मगर मुझे तो बस ये पूछना था कि ऐसा क्या हुआ सुबह
जो आप इतना गुस्सा हो गयी..हमने जो भी किया उसमे दोनो की सहमति थी..
रितिका :- (अपनी जगह से खड़ी होती हुई) हाँ थी...लेकिन उस समय में बहक गयी थी...मेरे दिमाग़ पर
मेरे शरीर ने क़ब्ज़ा कर लिया था..लेकिन में ऐसा नही कर सकती..मेरा एक बेटा है अंकित..में उससे
चीट नही कर सकती...बिल्कुल नही..
अंकित :- चीट...कैसा चीट..आपने कोई ग़लत थोड़ी किया है..क्या दिल की बात सुनना ग़लत बात है..
रितिका :- ये दिल नही शरीर की भूक थी..जो में पूरा करने चली गयी..
अंकित :- ये शरीर की भूक नही थी मेडम ये आपके दिल में खो गया प्यार उभर के आया था..
जो इतने सालों से अंदर दफ़न है..और अगर आप उस प्यार को शरीर के साथ बाँटना चाहती है तो वो
ग़लत नही है....
रितिका :- नही अंकित...ऐसा नही है..मेरे दिल में ऐ...सा....कुछ नही है.. (अटकते हुए बोली)
अंकित :- अच्छा...तो जब सुबह आपको मेरे दिए गये दर्द से तकलीफ़ हो रही थी..तब अपने मुझे क्यूँ
नही हटाया..जब आपको साँस लेने में तकलीफ़ हो रही थी तब क्यूँ नही मना किया..बोलो..
रितिका साइलेंट हो गयी इस बात को सुन के..
अंकित :- रितिका... में जानता हूँ हम दोनो एक दूसरे को प्यार नही कर सकते..ये सिर्फ़ एक अट्रॅक्षन है
और वो ऐसा अट्रॅक्षन जिससे हम पीछा नही छुड़वा सकते..इसका तो सिर्फ़ एक ही सल्यूशन है..कि सब कुछ
भूल जाओ और सिर्फ़ अपने दिल की सुनो.. नीड इट .. नही तो आप भी खुश नही रह पाएँगी और ना ही
हेलो हेलो....
अंकित पूरा बोलता उससे पहले रितिका ने फोन कट कर दिया.....
वो अपने चेहरे को अपने हाथों से ढक के..भावुक हो गयी..और कमरे के अंदर चल पड़ी...
इधर अंकित..
कल ज़ाउन्गा मिलने इनसे..हर कीमत पे...ये ऐसा नही कर सकती...बिल्कुल नही..मेरे भी कुछ जज़्बात हैं..
और में जानता हूँ वो भी चाहती है..पर किसी तरह अपने दिल को मार रही है...
और पलंग पे लेट जाता है....
टाइम निकलता गया रात गहराती गयी...2 बज गये..लेकिन अंकित करवट बदल रहा था...और कल के
बारे में सोच रहा था..उसकी आँखों से नींद गायब थी...
इधर रितिका का भी यही हाल था...उसकी आँखों में भी नींद गायब थी....उसकी आँखों के सामने
सुबह हुए अंकित और उसके बीच जो इतना प्यार का सागर फूटा था वो याद आ रहा था...
जिसकी वजह से वो बार बार करवट बदल रही थी..
ये क्या किया अंकित आज...तुमने मेरे साथ..दिमाग़ से ही नही निकल रहा..ये सब ग़लत है..में अपने
शरीर के लिए अपने बेटे को धोका नही दे सकती..पर क्या करूँ तुम्हारे दिए गये उस छोटे से पल
में इतना कुछ था..की मेरा दिमाग़ मेरे शरीर के आगे हर मान रहा है..
और फिर से वही सुबह की घटना सोचने लगती है....कि कैसे अंकित उसके शरीर पे अपने होंठो से प्यार भरी
मालिश कर रहा था....
बस यही सोचते सोचते उसका हाथ नीचे चला गया अपनी चूत पे..और उसे एक झटका लगा...
चूत के उपर से उसका पाजामा गीला था...
उसकी आँखें पूरी खुल गयी....और उसके मुँह से हल्का सा निकला..नही......
और फिर शरम में उसने अपनी आँखों पे अपने हाथों की पट्टी बाँध ली......
जैसे ही उसने अपना लंड हल्का सा मसला..उसे सबसे पहला चेहरा रितिका का याद आ गया..उसके
साथ बिताया हुआ आज का वो लम्हा याद आ गया...
बस यही सोचते हुए वो पलंग पे उठ बैठा.....
अंकित :- उफ़फ्फ़....चाहे जितनी भी हॉट लड़कियाँ आ जाए ज़िंदगी में..पर में शायद ही रितिका को भूल
पाउन्गा..मुझे फोन करना चाहिए उसे.....नही नही..इतनी रात नही..
पर...कर लेना चाहिए...क्या पता कुछ बात हो जाए..(वो अपने आप से बात करने लगा)
उधर
रितिका हॉल में बैठी थी..और अपने लॅपटॉप पे कुछ कर रही थी...रात के 12 बज रहे थे..लेकिन रितिका काम
मे लगी हुई थी...लेकिन हर 2 मिनट में वो रुक जाती कुछ सोचने लगती..और फिर से काम में लग जाती
शायद सुबह हुई घटना के बारे में ही सोच रही थी...अचानक उसके फोन पे रिंग बजी...
उसने नंबर देखा...
अंकित.....इतनी रात को......(रितिका बोलती है और फोन कट कर देती है)
1 मिनट बाद फिर से फोन आता है....वो फिर से कट कर देती है..
रितिका :- आइ कॅंट टेक युवर कॉल में जानती हूँ तुम क्या पुछोगे और मेरे पास उसका कोई जवाब नही है...
लेकिन फोन पे फोन बजने लगता है अंकित.....आख़िर कार रितिका फोन उठा ही लेती है..
रितिका :- अंकित इतनी रात में क्यूँ फोन कर रहे हो...
अंकित :- मेरा फोन क्यूँ कट कर रही थी आप..
रितिका :- इतनी रात को में कैसे बात करूँ..में सो रही थी..
अंकित :- झूठ आप सो नही रही थी.....
रितिका :- तुम्हे कैसे पता..
अंकित :- अब इतना तो जान ही जाता हूँ...मगर मुझे तो बस ये पूछना था कि ऐसा क्या हुआ सुबह
जो आप इतना गुस्सा हो गयी..हमने जो भी किया उसमे दोनो की सहमति थी..
रितिका :- (अपनी जगह से खड़ी होती हुई) हाँ थी...लेकिन उस समय में बहक गयी थी...मेरे दिमाग़ पर
मेरे शरीर ने क़ब्ज़ा कर लिया था..लेकिन में ऐसा नही कर सकती..मेरा एक बेटा है अंकित..में उससे
चीट नही कर सकती...बिल्कुल नही..
अंकित :- चीट...कैसा चीट..आपने कोई ग़लत थोड़ी किया है..क्या दिल की बात सुनना ग़लत बात है..
रितिका :- ये दिल नही शरीर की भूक थी..जो में पूरा करने चली गयी..
अंकित :- ये शरीर की भूक नही थी मेडम ये आपके दिल में खो गया प्यार उभर के आया था..
जो इतने सालों से अंदर दफ़न है..और अगर आप उस प्यार को शरीर के साथ बाँटना चाहती है तो वो
ग़लत नही है....
रितिका :- नही अंकित...ऐसा नही है..मेरे दिल में ऐ...सा....कुछ नही है.. (अटकते हुए बोली)
अंकित :- अच्छा...तो जब सुबह आपको मेरे दिए गये दर्द से तकलीफ़ हो रही थी..तब अपने मुझे क्यूँ
नही हटाया..जब आपको साँस लेने में तकलीफ़ हो रही थी तब क्यूँ नही मना किया..बोलो..
रितिका साइलेंट हो गयी इस बात को सुन के..
अंकित :- रितिका... में जानता हूँ हम दोनो एक दूसरे को प्यार नही कर सकते..ये सिर्फ़ एक अट्रॅक्षन है
और वो ऐसा अट्रॅक्षन जिससे हम पीछा नही छुड़वा सकते..इसका तो सिर्फ़ एक ही सल्यूशन है..कि सब कुछ
भूल जाओ और सिर्फ़ अपने दिल की सुनो.. नीड इट .. नही तो आप भी खुश नही रह पाएँगी और ना ही
हेलो हेलो....
अंकित पूरा बोलता उससे पहले रितिका ने फोन कट कर दिया.....
वो अपने चेहरे को अपने हाथों से ढक के..भावुक हो गयी..और कमरे के अंदर चल पड़ी...
इधर अंकित..
कल ज़ाउन्गा मिलने इनसे..हर कीमत पे...ये ऐसा नही कर सकती...बिल्कुल नही..मेरे भी कुछ जज़्बात हैं..
और में जानता हूँ वो भी चाहती है..पर किसी तरह अपने दिल को मार रही है...
और पलंग पे लेट जाता है....
टाइम निकलता गया रात गहराती गयी...2 बज गये..लेकिन अंकित करवट बदल रहा था...और कल के
बारे में सोच रहा था..उसकी आँखों से नींद गायब थी...
इधर रितिका का भी यही हाल था...उसकी आँखों में भी नींद गायब थी....उसकी आँखों के सामने
सुबह हुए अंकित और उसके बीच जो इतना प्यार का सागर फूटा था वो याद आ रहा था...
जिसकी वजह से वो बार बार करवट बदल रही थी..
ये क्या किया अंकित आज...तुमने मेरे साथ..दिमाग़ से ही नही निकल रहा..ये सब ग़लत है..में अपने
शरीर के लिए अपने बेटे को धोका नही दे सकती..पर क्या करूँ तुम्हारे दिए गये उस छोटे से पल
में इतना कुछ था..की मेरा दिमाग़ मेरे शरीर के आगे हर मान रहा है..
और फिर से वही सुबह की घटना सोचने लगती है....कि कैसे अंकित उसके शरीर पे अपने होंठो से प्यार भरी
मालिश कर रहा था....
बस यही सोचते सोचते उसका हाथ नीचे चला गया अपनी चूत पे..और उसे एक झटका लगा...
चूत के उपर से उसका पाजामा गीला था...
उसकी आँखें पूरी खुल गयी....और उसके मुँह से हल्का सा निकला..नही......
और फिर शरम में उसने अपनी आँखों पे अपने हाथों की पट्टी बाँध ली......