Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की - Page 5 - SexBaba
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Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की

गतान्क से आगे..............


रितिका अंकित की आँखों में देखने लगी..जिसमे उसे वही चीज़ दिखी जो उसे आखरी टाइम अंकित के साथ

बेड पे दिखी थी...

रितिका का हाथ अपने आप उपर उठता चला गया और अंकित के हाथों पे रख दिया....

अंकित चौंक गया उसने नज़रे नीचे करते हुए रितिका के हाथ को अपने हाथों पर देखा लेकिन रितिका

तो बस सामने अंकित को देख रही थी.....


फिर अंकित ने रितिका के चेहरे की तरफ देखा....


अंकित :- क्या ये सही है?


रितिका :- सही और ग़लत की क्या डेफ़िनेशन है...


अंकित :- नही पता...क्या सही है और क्या ग़लत....मुझे तो बस इतना पता है कि में इस वक़्त अपनी

ज़िंदगी के सबसे बेहतरीन लम्हे में हूँ....


रितिका :- तो फिर इस लम्हे को अच्छी तरह जियो....


अंकित :- नही....इसे आगे बढ़ाने का मतलब है कि ..


रितिका :- (अंकित के होंठो पे अपनी उंगली रखते हुए) सस्शह....इस लम्हे को ऐसी बातों में मत

गँवाओ....


अंकित अपने मन में सोचने लगा...ये क्या हो रहा है....वैसी तो आज रितिका जी इतनी प्यारी लग रही है कि

कोई भी आज इन्हे जितना प्यार दे वो कम है.....


रितिका :- अंकित जो सोच रहे हो उसे करने में इतनी देर क्यूँ..


अंकित रितिका को घूर्ने लगा मानो रितिका ने उसके मन की बात सुन ली हो....


रितिका आगे बढ़ के अंकित के गले लग जाती है....अंकित के शरीर में उपर से लेके नीचे तक एक

करंट सा फैल जाता है...और रितिका के हाथ अंकित की पीठ पे कस जाते हैं...इधर अंकित सोच रहा था

कि वो क्या करे...वो तो अपने हाथ की मुट्ठी बार बार बना रहा था और खोल रहा था....

(चाहे अंकित हर लड़की को अपनी नज़रों से ताड़ता हो जो कि आज के यंग्स्टर की आदत सी बन गयी है..

चाहे गुस्सा बहुत आता हो और गुस्से में कुछ भी बोल दे लेकिन दिल का घटिया इंसान था नही कि बस

वो सब कुछ कर दे)


रितिका :- अंकित आइ आम सॉरी...मुझे उस दिन ऐसा कुछ नही करना चाहिए था...शायद मेरा तरीका बिल्कुल

ग़लत था..मेने तुम्हे एक घटिया और गिरा हुआ इंसान समझ लिया था..लेकिन तुम बिल्कुल भी ऐसे नही

हो...ग़लती कर के उसे कबूलना और उसका पछतावा करना सबसे बड़ी बात होती है और ये काम कोई

गिरा हुआ इंसान नही कर सकता....तुम दिल के बहुत अच्छे हो....सच में....


रितिका की इन बातों से अंकित के हाथ भी उठने लगे...और धीरे धीरे रितिका की पीठ को सहलाते हुए

आख़िर उस पे रख दिए...

इस बार करंट लगने की बारी रितिका के शरीर की थी..उसने अपनी आँखें बंद कर ली..

(आख़िर इतने टाइम के बाद ये सुख मिला था)


अंकित कुछ नही बोला और उसने अपनी आँखें बंद कर ली और अपने हाथों से रितिका की पीठ को सहलाए

जा रहा था...उधर रितिका की आँखें बंद हो गयी थी.....


अब आपको लग रहा होगा कि लास्ट टाइम ही तो रितिका के उपर अंकित चढ़ गया था लेकिन ये भी तो सोचिए

कि उस वक़्त रितिका किस हालत में थी और अंकित किस जगह पर....

शरीर का असली मिलन तो आज ही शुरू हुआ है....



अंकित कुछ नही बोला और उसने अपनी आँखें बंद कर ली और अपने हाथो से रितिका की पीठ को सहलाए

जा रहा था...उधर रितिका की आँखें बंद हो गयी थी.....


दोनो ऐसे ही एक दूसरे के गले लग रहे थे...दिलो में एक अजीब सी धड़कन धड़क रही थी शायद

आने वाले पल में जो होने वाला है उसको सोच के.....


फिर अंकित के हाथ रितिका की पीठ को सहलते हुए थोड़ा उपर आने लगे...अब सूट पहनने की वजह से उपर

का हिस्सा खुला था पीछे से और उसकी उपरी पीठ पे कोई कपड़ा नही था...अंकित का हाथ नीचे से सहलाता

हुआ उसकी नंगी पीठ पर जा पहुचा और जैसे ही अंकित के हाथ उस कोमल पीठ पर पड़े....तो

बस अंकित का तो बुरा हाल हो गया उसका तंबू पेंट के अंदर बनने लगा....और रितिका के भी

मूह से हल्की सी ससिईइ ह..सिसकी निकल गयी..ठंडे हाथों का स्पर्श उसके जलते हुए जिस्म पे जब पड़ा तो

उससे भी कंट्रोल नही हुआ....


अब अंकित वहाँ बराबर अपने हाथों से सहलाए जा रहा था..दोनो की गर्दन हिल रही थी जिससे दोनो के

गॉल आपस में घिस रहे थे...या फिर यूँ कहिए कि जान बुझ के हिला रहे थे...जिसे दोनो के गाल

एक दूसरे से रगड़ खा रहे थे....

रितिका का चेहरा लाल हो गया था वहाँ अंकित भी अब अपने आप पर काबू नही कर पा रहा था...


फिर अंकित ने अपना शरीर रितिका से थोड़ा हटाया और अपने हाथ ले जाके रितिका के कंधे पे रख दिए

और रितिका के फेस को अपनी आँखों से देखने लगा..उसने तो अपनी आँखें ही बंद कर रखी थी...

अंकित ने उस प्यारे से खुबुसूरत चेहरा को देखा और फिर अपने होंठ आगे बढ़ाता हुआ...

रख दिए रितिका के कान पे..और रितिका के कान को अपने होंटो के बीच में दबा के उन्हे

प्यार चूमने लगा...

रितिका के शरीर में झुनझुनी फैल गयी और उसके हाथ की पकड़ अंकित के शरीर पे कस गयी....


अंकित ने अपने होंठो से उसके कान को अच्छी तरह से चूमा अपनी जीभ बाहर निकाल के थोड़ी सी गुलगुली

भी की....रितिका तो जैसे इतने में ही मदहोशी के सागर में डूब गयी उसकी साँसें उपर नीचे

ज़ोरों से होने लगी....
 
फिर अंकित कानो के नीचे अपने निचले होंठो को फिराने लगा...और फेरता हुआ रितिका के चेहरे की तरफ

बढ़ने लगा और अपनी निचले होंठो को उसके गालों पे फेरने लगा...रितिका के हाथ अंकित की पीठ को

सहला रहे थे...उसकी आँखें तो खुल ही नही रही थी.....


अंकित अपना एक हाथ रितिका के कंधे से हटा के....रितिका की चुन्नी पे ले गया और उसे उसके शरीर

से अलग कर उसे नीचे ज़मीन पे फैंक दिया.....अब रितिका की चुन्नी उसके शरीर पे नही थी...

तो अब उसके धके हुए बूब्स वाला हिस्सा चुन्नी से अब बेपर्दा हो गया...

उसके वो चुचे उस सूट में ऐसे लग रहे थे मानो टोकरी में रखे हुए दो बड़े बड़े फल

और उस टोकरी को उपर से पॅक किया हो....


अंकित तो उन रसीले चुचों को देखता ही रह गया...असल में उस सूट में हल्का सा क्लीवेज भी

दिख रहा था...रितिका के चुचों की दरार दिखाई दे रही थी...अंकित की नज़रे वहाँ गुम सी हो गयी...

रितिका को जब कोई हरकत महसूस नही हुई तो उसने अपनी आँखें हल्की सी खोली ये देखने के लिए कि

अंकित क्या कर रहा है ..... लेकिन वो ढंग से आँखें खोल पाती..इससे पहले..


अंकित ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और रितिका के गले पे अपना हाथ फेरने लगा और हाथ फेरता

हुआ थोड़ा नीचे आने लगा...और हाथ को थोड़ा टेडा कर के..ठीक चुचों के उपरी हिस्से

को अपने हाथ से सहलाने लगा...अपनी उंगलियों से उसके शरीर को स्पष्ट महसूस करने लगा..

लेकिन उसके बूब्स को नही छू रहा था....


रितिका अंकित की इस हरकत से अपने शरीर को स्म्भाल नही पाई..और पीछे लुड़कने को गयी..लेकिन अंकित ने

अपना हाथ पीछे ले जाके उसे वहाँ पकड़ लिया....और हाथ से रितिका के शरीर पे प्रेशर डाल के

उसे आगे करने लगा.....

और फिर अपना दूसरा हाथ गले पे फिराते हुए पीछे गर्दन पे ले गया और रितिका के फेस को अपने

फेस के ठीक सामने ले आया....अब दोनो एक दूसरे की साँसें को सॉफ महसूस कर पा रहे थे....

रितिका ने बड़ी मुश्किलो से आँखें खोल के अंकित की आँखों में देखा...


दोनो की आँखों में ना तो वासना थी और ना ही प्यार.....सिर्फ़ एक ही चीज़ थी वो थी मदहोशी....


रितिका के चेहरे पे बाल की एक लट आ रही थी...अंकित ने उसे अपनी उंगली से हटा के ले जाके कान के पीछे

रखी और फिर अपनी उसी उंगली को फिराता हुआ माथे पे ले गया और फिर सहलाते हुए धीरे धीरे...

उसकी नाक के रास्ते से नीचे आने लगा...और होंठो पे आके रुक गया...

होंठो पे अपनी उंगली को अच्छी तरह से सहलाया क्या मुलायम और मस्त होंठ है रितिका के

फिर नीचे चीन से होके....उसकी गर्दन पे आने लगा...रितिका ने मदहोशी मे अपनी गर्दन उपर कर

ली....उसकी साँसें ज़ोरों से चल रही थी..जिसकी वजह से उसके वो शानदार बड़े बड़े बूब्स उपर नीचे

उपर नीचे हो रहे थे......

अंकित ने अपनी उंगली सहलाते हुए नीचे लानी शुरू करी और धीरे धीरे..वो चुचों की तरफ बढ़ने

लगा और बस जहाँ तक वो दरार दिख रही थी वहाँ पे जाके अपनी उंगली रख दी......

रितिका का तो बुरा हाल हो चुका था.....उसके लिए एक एक एहसास ऐसा था कि बताना मुश्किल है कि उस वक़्त

वो कैसा फील कर रही थी...(शायद कोई लड़की ही अच्छी तरह से बता पाए)


फिर अंकित ने अपने काँपते होंठो को रितिका की चुचों की दरार के ठीक उपर रख दिया....

ना चाहते हुए भी रितिका के मूह से हल्की सी आह...निकल गयी...

अंकित अपने होंठो को रगड़ता हुआ धीरे धीरे उस कोमल सुंदर रितिका के जिस्म पे फिराते हुए उपर

लाने लगा...और गले पे से होता हुआ चिन पे रख दिया और वहाँ अपने होंठ खोल के

उसकी चिन को अपने होंठो में दबा के बड़े प्यार से जैसे आइस क्रीम चूस्ते हैं वैसे ही

चूसने लगा लेकिन केवल होंठो से बड़े प्यार से और आराम से...


रितिका धीरे धीरे गहरे नशे में उतरती जा रही थी...उसके हाथ खुद ब खुद अंकित के पीछे उसके

सर में बालों के अंदर घूम रहे थे....


अंकित उसकी चिन को ऐसे प्यार करने के बाद..वहाँ से हटा और अपने होंठ ले जाके गाल पे

रख दिए....और अपने उपर वाले होंठ से उसे कुरेदने लगा...

रितिका की गर्म सांस अंकित के चेहरे पे पड़ रही थी...जो अंकित और दीवाना बना रही थी.....


अंकित ने अपने होंठ रितिका के होंटो के ठीक नीचे रख दिए और वहाँ उन्हे फिराने लगा...

दोनो के होंठो के मिलन में ज़्यादा दूरी नही थी.....

एक हाथ बढ़ता हुआ अंकित का रितिका की कमर पे से होता हुआ ठीक उसके पेट के उपर आ गया..

उस पतले से सूट के उपर अंकित का हाथ दबाब बना रहा था..उसे सहला रहा था...


रितिका की तो साँसें उपर नीचे होने लगी....बड़ी तेज़ी सी उसकी धड़कने तेज चलने लगी...

रितिका के होंठ हल्के से खुल गये और उनमे से निकल रही गरम साँसें अंकित के होंठो पे पड़ रही

थी..


अंकित ने अपनी नज़रे उठा के रितिका की तरफ देखा तो रितिका का चेहरा पूरा लाल पड़ चुका था..

आँखें बंद और चेहरा सॉफ कह रहा था...रूको मत..जो करना है वो करो.....

इस वक़्त मदहोशी ने दीवाना बना रखा था.....


अंकित ने अपने होंठ आगे बढ़ाए धीरे धीरे...और अपने दोनो होंठो को खोल के सीधे

रितिका के उन तड़पते निचले होंठ के उपर रख दिया....और अपने दोनो होंठो के बीच दबा लिया..

और उन्हे प्यार करने लगा....रितिका की तरफ से कोई रेस्पॉन्स नही था..शायद उसको इतना मज़ा आ रहा था

कि वो सिर्फ़ अंकित को ही सब कुछ करने देना चाहती थी....


उधर अंकित निचले होन्ट को अपने होंठो के बीच में दबा के उस के रस को पीने की कॉसिश कर रहा

था और नीचे उसका हाथ रितिका के पेट से फिसलता हुआ नीचे रितिका के उस पतले से पाजामे के उपर

आते हुए...उसकी थाइस पे आ गया और अपने हल्के हाथ से रितिका की थाइस को सहलाने लगा...


रितिका के शरीर एक बार पूरी तरह से हिल गया....उसके हाथ अंकित के हाथो के उपर आ गये शायद

उसे रोकने के लिए लेकिन सिर्फ़ हाथ उपर रख दिया रोकने की कोशिस नही की....और वो भी अंकित के हाथ

के साथ अपनी ही छाती को सहला रही थी......


उधर फर्स्ट टाइम रितिका ने भी रेस्पॉन्स किया.....


रितिका ने अपने होंठ और थोड़े खोल दिए और अपने उपर वाले होंठ से अंकित के उपर वाले होंठो

को दबा दिया....ऐसा करने से एक लिपलोक्क बन गया था...

रितिका का हाथ अंकित की चेस्ट की तरफ बढ़ गया था और अंकित की चेस्ट को सहला रही थी.....


ना जाने क्या सूझा अंकित को उसने अपने होंठ रितिका से अलग कर लिए...एक दम ऐसे अलग होने से

रितिका को थोड़ा अजीब लगा उसने बड़ी मुस्किलों से आँखें खोली और सामने देखा...

रितिका की आँखें एक दम लाल हो चुकी थी और एक दम नशीली भी....उधर अंकित ने अपने हाथ जो

रितिका की थाइस पे रखे थे वो भी हटा लिए और रितिका के हाथ को अपनी चेस्ट पे से हटा दिया..


अंकित रितिका की आँखों में देखते हुए खड़ा हो गया...रितिका उसे देखे जा रही थी मानो पूछ

रही हो क्या हुआ...क्यूँ इतना प्यारा लम्हा तोड़ दिया तुमने...

लेकिन शायद अंकित के दिमाग़ में कुछ और ही चल रहा था.......



अंकित ने पहले तो अपनी पहली हुई सैंडल उतार के एक तरफ कर दी...फिर वो घुटनो के वल बैठ गया

और अपने हाथ आगे बढ़ा के रितिका का एक पैर उपर उठाया...और रितिका ने जो स्लीपर पहनी हुई थी उसे निकाल के साइड में फैंक दिया...


फिर अंकित ने अपने हाथों से रितिका के पैर पे हाथ फिराते.....वाहह कितने ज़्यादा सॉफ्ट है ये..अंकित ने अपने मन में सोचा...फिर सामने उसने दूसरे पैर के साथ भी किया....

दोनो पैरो को अपनी हथेली में लेते हुए देखने लगा...कितने सुंदर छोटे छोटे सॉफ्ट पैर है..

क्रमशः...........................
 
गतान्क से आगे..............


रितिका सोच रही थी और अंकित की तरफ देख रही थी की आख़िर ऐसा क्या देख रहा है अंकित....वो इतना सोच ही

रही थी..कि अंकित ने अपने होंठ आगे बढ़ाए और रितिका के पैरों की उंगलियों को अपने मूह में

लेके उन्हे सक करने लगा......


आहह...हल्की सी सिसकी निकल गयी रितिका के मूह से और उसकी आँखें बंद हो गयी...उसे बिल्कुल उम्मीद नही

थी कि अंकित ऐसा भी कुछ कर सकता है.....

फिर अंकित ने उंगली को मूह हे बाहर निकाला...और दूसरी उंगली मूह में लेके सक करने लगा...ऐसे करते

करते वो एक के बाद एक उंगली मूह में लेके सक करने लगा..


आह.....न...न.न..नू.....आन्कि..त..त.....(रितिका नो तो कर रही थी लेकिन उसकी नो में वो शक्ति नही थी जो होनी चाहिए

थी...उसकी तो साँसें तेज चलने लगी....जिसकी वजह से उसके वो बेहद अट्रॅक्टिव बूब्स उपर नीचे हो

रहे थे तेज़ी से)


अंकित ने उंगलियो को अच्छी तरह चूमने के बाद .... वो धीरे धीरे अपने होंठो की छाप छोड़ते

हुए उपर बढ़ने लगा...

रितिका ने जो पाजामा पहना था वो छुरिदार था इसलिए अंकित उससे ज़्यादा उपर नही कर पाया..थोड़ा सा

ही कर पाया पर जितने भी कर पाया उसमे रितिका के हॉट लेग्स की कुछ झलक तो मिल ही गयी और

इस बार उसने अपने होंठ के साथ साथ अपनी जीभ भी बाहर निकाल के वहाँ फिरा दी...एक दम चिकनी

लेग्स थी रितिका की..


जीभ टच होते ही रितिका को गुदगुदी होने लगी ... लेकिन उसे मज़ा भी बहुत आ रहा था...

उसके हाथ आगे बढ़ते हुए अंकित के सर पे चले गये......

अंकित को ये तो पता चल गया था कि रितिका एंजाय कर रही है....इसलिए अंकित को और मस्ती की सूझी उसने

रितिका के लेग्स पे अपने दाँत गढ़ा दिए और हल्का हल्का बाइट करने लगा....


आअहह....इस बार थोड़ी तेज दर्द भरी मस्त सिसकी निकल गयी रितिका के मूह से...उसने

अपनी आँखें खोली....और अपनी हाथ की ताक़त लगा कर अंकित के सर को पकड़ा और अपने उपर खिच

लिया..और दोनो पीछे की तरफ सिफ़े पे गिर गये....

अंकित को एक पल के लिए समझ नही आया कि इतनी ताक़त कहाँ से आ गयी रितिका के पास....फिर उसने सोचा जाने

दो क्या करना है...इस पल का मज़ा लो....और वाकई में ये सीन दोनो की जान निकाल देना वाला

था...


नीचे से शुरू करे तो..जीन्स में अपना पूरा अवतार ले चुका अंकित का लंड जीन्स के आगे से

उभार बना चुका था.....और ये उभार सॉफ सॉफ रितिका महसूस कर पा रही थी....क्यूँ कि अंकित का लंड

आधा तो रितिका की चूत के उपरी हिस्से पे था और आधा लंड रितिका के पेट पे था..इसलिए रितिका को सॉफ

महसूस हो रहा था उसका भारीपन.....इसलिए रितिका बिल्कुल मदमस्त हो गयी और उसकी आँखें बंद

थी....


उधर रितिका के वो हेवी सॉफ्ट शेप्ड बूब्स अंकित की चेस्ट में जा धन्से थे...अंकित रितिका के

उपर था जिसकी वजह से उसकी चेस्ट में रितिका के वो थोड़े मोटे और थोड़े लंबे बूब्स के निपल

चुभ रहे थे..जो एक अलग ही मज़ा दे रहे थे....

अंकित को ऐसा लग रहा था मानो किसी स्पंच पे उसको लिटा दिया हो इतने सॉफ्ट और मुलायम था रितिका

का जिस्म...इसलिए उसकी आँखें भी बंद हो चुकी थी....


दोनो के चेहरे बिल्कुल आमने सामने थी...रितिका से निकल रही उसकी गरम साँसें अंकित के चेहरे पे पड़

रही थी और अंकित से निकल रही गरम साँसें...रितिका के चेहरे पे पड़ रही थी उससे और ज़्यादा गरम कर रही

थी..


महॉल एक दम गरम हो गया......गर्मी का सीज़न वैसा ही था उपर से दोनो की तपिश...

रितिका के शरीर से सहन नही हुई...और उसके माथे से पसीना बहता हुआ गले से होते हुए

ठीक चुचों की दरार के उपर आके रुक गया.....

अंकित ने अपनी आँखें खोली तो उसको नज़र आया ... उसने अपनी गर्दन थोड़ी नीचे कर के...रितिका

के चुचों के ठीक थोड़ा उपर जहाँ वो बूँद आके रुकी थी..वहाँ अपनी जीभ निकाली..और वहाँ से

चाट्ता हुआ उपर की तरफ आने लगा..और रितिका के गले को गीला करते हुए उसके गालों तक पहुच

गया और माथे तक चाट डाला...


रितिका के शरीर में झुरजूरी सी फैल गई उसके हाथ अंकित की पीठ पे कस गये...होंठ तो खुल गये

लेकिन उसमे से कुछ नही निकल पाया.....

फिर रितिका ने आँखें खोली और एक जंगली बिल्ली की तारह अंकित के बाल पकड़ के खिचे जिससे अंकित थोड़ा पीछे

की तरफ और और फिर पीछे हाथ का ज़ोर डाल के अंकित के होंठ अपने होंठ पे रख दिए और फिर शुरू हुआ

एक घमासान युद्ध....


रितिका तो जैसे आज अंकित को खा जाना चाहती थी बिल्कुल वैसी ही टूटती पड़ी हुई थी....अपने होंठो

को अंकित के होंठो पे रख के पूरी ताक़त से उन्हे चूस रही थी..अंकित तो कुछ नही कर रहा था

बस रितिका के होंठो का मज़ा ले रहा था..बीच बीच में रितिका होंठो के साथ साथ अपनी जीभ बाहर

निकलती और अंकित के होंठ गीले कर देती...और फिर अपने होंठो से चूस्ते हुए उन्हे सुखा कर

देती..फिर जीभ निकालती और होंठो को गीला कर के इस बार अपनी जीभ को अंकित के मूह के अंदर घुसा

दिया और अंकित के मूह के अंदर घुमाने लगी...
 
अब अंकित से भी नही रहा गया...इसलिए उसने अपनी जीभ हिलानी शुरू कर दी और दोनो की जीभ आपस

में लड़ने लगी...कभी अंकित की जीभ उपर होती तो कभी रितिका अपनी जीभ का दबाब बना के

उसे नीचे कर देती.....कुछ सेकेंड तक दोनो जीब ऐसी ही लड़ती रही...लेकिन इन दोनो का प्यार ख़तम नही

हो रहा था बढ़ता ही जा रहा था......


फिर दोनो ने अपनी अपनी जीभ बाहर निकाली और इस बार मूह के बाहर से जीभ से लड़ाई करने लगे...

जीभ बार बार फिसल जाती और दोनो के मूह पे लग जाती..इसे दोनो के होंठ और उसके आस पास की जगह दोनो

के थूक से भीग गयी थी......फिर अंकित ने अपनी जीभ हटा ली....

और अपने होंठो से रितिका की जीभ को पकड़ लिया और उसे चूसने लगा...और जैसे आइस क्रीम का

कोन खाते हैं..उसी तरह अंकित रितिका की जीभ को अंदर निगलते हुए उसके होंठो पे आ गया

और और होंठो को चूसने लगा....उफफफफफफफ्फ़ क्या सीन था इन दोनो की किस्सिंग का....कोई भी देख ले

तो उसका तो वहीं बॅंड बाज जाए......


अंकित तो इतना पागल हो गया था किस करने में....कि उसने रितिका के कंधो को ज़ोर से पकड़ा हुआ

था.....और साथ साथ तो उसने अपनी कमर धीरे धीरे हिलानी भी शुरू कर दी थी....और उसकी गान्ड उपर

जाती फिर नीचे आती...अंकित जीन्स के उपर से ही अपने लंड को रितिका के उपर से उसकी चूत और पेट पे

रगड़ रहा था...


रितिका की तो आँखें पूरी खुल गयी...वो तो जैसी मानो अंदर से बुरी तरह से जल रही हो...उसकी तो

साँसें अटक रही थी....उसके मूह से......उंगग्घह उंह की आवाज़ें आ रही थी बॅस

बाकी तो अंकित अपने मूह के अंदर ही सोख रहा था....रितिका के हाथ अंकित की कमर पे बुरी

तारह से कसे हुए थे....

अंकित के ऐसे हिलने की वजह से रितिका की चुचियाँ अंकित की चेस्ट मे धँस चुकी थी और उसकी

वजह से वो अंकित की चेस्ट के साथ साथ उपर नीचे हो रही थी....

ओफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़........ऐसा नज़ारा देख के तो किसी का भी निकल जाए....इतना गरम दृश्य..हालत ही बुरी कर दी......


रितिका का तो बुरा हाल था....उससे अपनी पेंटी गीली होती हुई सॉफ महसूस हो रही थी..वो भी इतनी कि अगर

उससे निचोड़ दिया जाए तो आधा ग्लास पानी भर जाए....

अंकित ने ऐसे ही किस करते हुए अपनी कमर हिलानी नही बंद करी.....उसे तो पता भी नही था वो

क्या कर रहा है...वो तो अपने किस में ही मशगूल था...

वो तो रितिका थी जो इतनी तरफ से हमले झेल रही थी..एक किस..एक उसकी चुचे बुरी तरह धन्से होना

और हिलना..और दूसरी तरफ एक जवान तगड़ा लंड उसकी चूत के और पेट के उपर रगड़ खा रहा था...

(सच में एक औरत ही इतना झेल सकती है...मर्द तो कब का हार मान चुका होता)



किस तो जैसे मानो तोड़ने का मन ही ना हो अंकित का.....रितिका की हालत बुरी हो रही थी (किस करने

की वजह से नही) बल्कि अंकित के घिसाव से उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी...

लेकिन अंकित तो मानो अपने होंठो से और अपनी जीभ से रितिका की जीभ और होंठो पे ऐसे टूटा पड़ा

हुआ था मानो ये आखरी बार है और उसके बाद वो रितिका को ऐसी किस कर ही नही पाएगा...


रितिका से अब सांस लेना मुश्किल हो रहा था....वो खुल के सांस लेना चाहती थी लेकिन अंकित की वजह से वो

ऐसा नही कर पा रही थी....उधर अंकित तो अपनी कमर हिलाए जा रहा था दोनो ने कपड़े पहन

रखे थे लेकिन जो गर्मी पैदा हो रही थी दोनो के ऐसे मिलन से उससे दोनो के बदन के अंदर

अलग ही आग लगी हुई थी...जिसका असर रितिका की उस तपती चूत पे हो रहा था जहाँ गर्मी की वजह से

उसने अपना पसीना निकालना शुरू कर दिया था...उधर अंकित का लंड इस गर्मी की वजह से अपने लंड की

नसें फुला बैठा था मानो गरम तवे पे रोटी सिक रही हो.....


.


रितिका को कुछ सूझ नही रहा था एक तरफ तो उससे इतना मज़ा आ रहा था मानो ये वक़्त चलता रहे

और ख़तम ही ना हो...और दूसरी तरफ उसकी साँसें भारी हो रही थी....और वो ढंग से सांस भी नही ले

पा रही थी..क्यूँ कि अंकित की चेस्ट से रितिका के बूब्स बुरी तरह से दबे हुए थे....

आख़िर रितिका को कुछ ना सूझा तो उसने अपने बड़े बड़े नखुनो वाला आइडिया निकाला...और उन्हे

अंकित की पीठ में गढ़ा दिया.....लेकिन ऐसे गढ़ाया जैसी उसे मज़ा आ रहा हो....


पर.................................................




पर रितिका का ये वॉर बिल्कुल उल्टा पड़ गया....अंकित को जब रितिका के नखुनो का आभास हुआ तो वो

और जोश में आ गया....और पागल सा हो गया...बुरी तरह सी रितिका के फेस पे टूट पड़ा...

हाए ऐसी जबरदस्त किस्सिंग तो शायद ही कहीं पॉर्न में भी देखी होगी....चेहरे पे हर जगह

दोनो की थूक के निशान बन रहे थे.....और तो और...ऐसे नाख़ून गढ़ने की वजह सी अंकित के धक्के

और भी ज़्यादा तेज हो गये...और भी ज़्यादा तेज हो गये थे....


सॉफा भी हिलने लगा अब तो.....रितिका की एक टाँग ज़मीन पे पड़ी थी..और एक लेग सोफे के उपरी

हिस्से पर...मतलब ये पोज़िशन बनी हुई थी..और अंकित उपर से धक्के लगा रहा था....वो भी

अब तेज़ी सी.....जीन्स के अंदर से अंकित का अब विकराल रूप ले रखा लंड और रितिका की उस पाजामी के

अंदर छुपके से बैठी वो रॉंडो चूत....आपस में घिसे जा रहे थे...एक अजीब सा सेक्स था

.. कपड़ों के साथ..लेकिन दोगुना मज़े दे रहा था..........


रितिका सोचने लगी कि ये तो और ज़्यादा भड़क गया..इसलिए उसने नाख़ून गढ़ाने बंद कर दिए उसकी

हालत और खराब हो गयी....लेकिन शायद अंकित अब भड़क चुका था....इसलिए उसका एक हाथ रितिका के

चुचों की तरफ बढ़ता हुआ नीचे आने लगा....


अब रितिका के चुचे तो दबे हुए थे अंकित की चेस्ट में..लेकिन दबने की वजह से साइड से वो

बाहर निकल रहे थे...


अंकित का हाथ सीधे वहाँ पहुच गया साइड से निकल रहे ज़रा से फूले हुए चुचों पर और

वहाँ जाके जैसे किसी गुबारे को दबाते हैं बिल्कुल वैसे दबाने लगा...


उफफफफफफफफफ्फ़...रितिका की तो हालत इतनी खराब हो गयी...कि अब सारी सहेन शीलता टूट चुकी थी...जहाँ उसकी

चूत थोड़ी देर पहले पसीना बहा रही थी...अब वो धीरे धीरे पानी की धार छोड़ने लगी थी

जैसे नल खोलने पर पानी निकलता है सेम वैसे ही....लेकिन अभी तक वो झड़ी नही थी..ये तो सिर्फ़

उसकी गर्मी थी जो इतने सालो से शरीर में दबी हुई थी....


रितका का अब सांस लेना लगभग नामुमकिन सा लग रहा था....वो अंकित को ऐसे धक्का देके उसे

निराश भी नही करना चाहती थी....वो सोच ही रही थी कि क्या करे..तभी उसको एक और आइडिया आया..कि

वो अंकित के होंठो को काट ले...शायद इससे वो हट जाए...लेकिन फिर दूसरे ही पल उसने सोचा नही..वो

ऐसे अपने मतलब के लिए दर्द नही देना चाहती....

(वाहह री दुनिया...ये प्यार है कि क्या....खुद को सांस नही आ रही पर दर्द नही देंगी ये)


लेकिन अचनक अंकित ने अपनी जीभ और होंठ चलाने बंद कर दिए और एक दम से उसने अपने होंठ

रितिका के मूह से अलग कर लिए......और रितिका को देखने लगा...


हाए रितिका का चेहरा बिल्कुल ऐसा लग रहा था जैसे कोई नवजात शिशु...बुल्कुल लाल हो रखा चेहरा..

नाक उससे भी ज़्यादा लाल टोमॅटो जैसी...आँखें आधी खुली हुई.. और होंठ खुले हुए आधे जिसमे से

तेज गहरी साँसें निकल रही थी....

क्रमशः.......................
 
गतान्क से आगे..............


रितिका मन ही मन उसे थॅंक्स बोल रही थी.....लेकिन तभी अंकित ने ध्यान दिया कि वो अपनी कमर

हिला रहा है तो उसने अचनाक कमर हिलानी बंद कर दी....और फिर उसने सर झुका लिया वो रितिका से

आँखें नही मिला पा रहा था....


रितिका समझ गयी......लेकिन पहले उसने खूब गहरी गहरी साँसें ली...जिसके लिए वो कब से बेकरार थी...

फिर उसने अपने हाथों को अंकित के चेहरे पे ले झटके उसे अपनी तरफ किया....अंकित ने अपनी आँखें

उस वक़्त भी नीचे कर रखी थी....


फिर रितिका ने अंकित के चेहरे को अपने चेहरे के करीब किया...और अपनी साँसें चेहरे पे छोड़ने लगी

फिर और करीब कर लिया अंकित के चेहरे को...इससे दोनो की नाक आपस में टकरा गयी.....


टकराने की वजह सी अंकित की नज़रे रितिका पे पड़ी....

रितिका के चेहरे पे एक मुस्कान आ गयी..और वो मुस्कान इतनी ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी उस वक़्त उस

चेहरे पर कि अंकित भी बिना मुस्कुराए नही रह पाया....


रितिका ने अंकित के चेहरे को थोड़ा पीछे किया और फिर अपने होंटो से अंकित की नाक पे किस किया फिर

उसकी आँखों पे फिर उसके चीक्स पे...और फिर उसके होंठो पे एक प्यार भरी छोटी सी किस कर दी

और फिर दोनो एक दूसरे की आँखों में देखने लगे......



अंकित और रितिका दोनो की आँखों में एक नशा सेक्स का नशा था फिर अंकित ने अपने होंठ आगे बढ़ा

के रितिका के गले में चूमना शुरू कर दिया कभी होंठ तो कभी जीभ से रितिका के गाल

को चाटने लगा...रितिका अपने हल्के होंठ खोले अपनी गरम साँसें बाहर निकाल रही थी....और अंकित

के बालों में हाथ फिरा रही थी......


कुछ सेकेंड बाद अंकित गालो पे अपने होंठ फेरता हुआ नीचे आने लगा...और रितिका के चुचों के

बीच की दरार पे अपने होंठ फेरता हुआ नीचे आने लगा..और पेट की नाभि पे आके रुक

गया...और वहाँ सूट के उपर अपने होंटो से पकड़ कस लिया और नाभि को चूसने लगा...

रितिका का पूरा शरीर बुरी तरह से कांप गया इससे.....वो अपनी कमर उछालने लगी......


अहहह..नो...अंकित.....आ...ह....(हल्की हल्की सिसकी निकलने लगी रितिका के मूह से)

फिर अंकित खड़ा हुआ और उसने सूट को उपर करना चालू किया..रितिका ने अपना हाथ आगे बढ़ा के उसे

रोकने की कॉसिश करी....नो नो करके बोलने भी लगी..(लेकिन उसके बोलने में झलाक नही रहा था कि वो

सच में ना कर रही है) अंकित ने रितिका के उपर ध्यान ना देते हुए उसका सूट आधा उपर कर

दिया जिससे उसका वो सपाट सुंदर पेट अंकित के सामने आ गया...रितिका ने अपनी आँखें हल्की बंद

कर रखी थी.....


अंकित की आँखों में एक चमक आ गयी...ठीक नाभि के उपर एक छोटा सा तिल था..जिसे अंकित ने

पहली बार देखा था....फिर अंकित की नज़र थोड़ी नीचे गयी..तो ठीक पाजामे के उपर लाल निशान

और थोड़ा सा पेट पे गड्ढा सा पड़ा हुआ था....

अंकित सोचने लगा कि ये शायद उसके हिलने की वजह से हो गया होगा...अंकित को अपने उपर गुस्सा

आया....

फिर उसने अपनी उंगलियो आगे बढ़ा के वहाँ निशान पे फिराने लगा...और उपर ले जाके नाभि के

चारों तरफ फिराने लगा....रितिका का तो जलता बदन और सुलगता जा रहा था...उसकी कमर हवा

में उछलने लगी....जब अंकित की ठंडी उंगलिया उसके गरम बदन पर हिचकोले खा रही थी..


फिर अंकित ने अपने होंठ रख दिए..और बड़े प्यार से उस सुंदर पेट पे फिराने लगा...और हर

तरफ अपने चुंबन की छाप छोड़ने लगा....फिर नाभि की तरफ अपनी जीभ निकाल के उसमे घुसा

दी और वहाँ अपनी जीभ को गोल गोल घुमाने लगा.....


आ..ह.ह..ह.ह अंक....ई.ई....त.त..त......रितिका ने सिसकी लेते हुए उसके सर को पकड़ लिया......उसे बड़ी गुलगुली हो रही

थी पर साथ साथ में काफ़ी मज़ा भी आ रहा था......अंकित उसके तिल को अपने होंटो के बीच में

दबा के सक करने लगा....रितिका का तो रोम रोम हिल चुका था...उसकी कंट्रोल करने की शक्ति

ख़तम हो रही थी..


एक तरफ अंकित के होंठ उसके गरम पेट को ठंडा करने की कॉसिश कर रहे थे...दूसरी तरफ अंकित ये सब

करते हुए अपने हाथ रितिका के दोनो थाइस्स पे फिरा रहा था.....

और जब वो हाथ उसकी चूत के करीब जाते तो..रितिका की चूत की फांके खुल के अंदर से बारिश की बूंदे

बाहर टपका देती और उसकी पेंटी को गीला कर देती....अब तो हाल इतनी बुरा हो गया था कि पेंटी के

साथ चूत वाले एरिया के उपर पाजामा भी गीला होने लगा था....


अच्छी तरह से चाटने के बाद अंकित ने अपने होंठ हटा लिए.....लेकिन उसके हाथ नही रुके ...

और वो रितिका के चेहरे की तरफ देखने लगा...जो एक दम किसी देसी पहाडन की तारह लाल सुर्ख हो चुका था

और ऐसा लग रहा था मानो कोई ज़िंदा डॉल उसके सामने लेटी हो......


देखते देखते अंकित ने अपने हाथ अपनी जीन्स की तरफ किए और वहाँ से अपनी बेल्ट खोल के जीन्स

में से निकाल दी.....और जीन्स का बटन खोल के जीन्स को खिसका कर नीचे कर दिया...ज़्यादा नही पर उतनी

कि अब उसका अंडरवेर और उसके अंदर बैठा उसका शैतान लंड जो अंदर से इस खूबसूरत बाला को

सलामी ठोक रहा था जो उसे दिखाई दे रही थी...और एक दम से अंकित रितिका के उपर लेट गया....


रितिका की आँखे अचनाक पूरी खुल गयी और अंकित की नज़रे जो उसके बिल्कुल करीब थी उसको देखने लगी..

वो इसलिए हुआ..कि रितिका के पेट पे अंकित का लंड पड़ा था सिर्फ़ अंडरवेर था जो दोनो के मिलन में

अड़ा हुआ था...लेकिन रितिका उसे सॉफ बिल्कुल सॉफ महसूस कर रही थी....उसकी शक्ति को उसके वेट को अपने

उपर महसूस कर रही थी...


अंकित ने एक मुस्कान दी और रितिका के होंठो को गिरफ़्त में लेके उन्हे चूसने लगा...

रितका भी डबल मज़ा लेते हुए होंटो में गुम हो गयी..और बेइन्तिहा दोनो एक दूसरे के होंटो

को और जीभ को चाटने लगे.........


बीच बीच रितिका थोड़ी ज़्यादा वोलेंट हो जाती क्यूँ कि अंकित का लंड अंडरवेर में से हिचकोले ख़ाता

जिससे रितिका के पेट पे ऐसा लगता मानो कोई नरम चीज़ पर हठोड़ा पड़ रहा हो....


रितिका को वोलेंट देख अंकित भी पागल हो गया..और पहली बार अपने हाथ नीचे ले जाके रितिका के

सूट के उपर से उसके लेफ्ट चुचे पे हाथ रख दिया...
 
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]क्या एहसास था ये अंकित के लिए कपड़ों के उपर से ही वो ऐसे नरम सख़्त शेप चुची लग[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]रही थी कि बस अभी उन्हे बाहर निकाल के उनका सारा दूध अंदर का पिए जाए और उसे खाली कर[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]दे.....रितका के निपल भी और सख़्त हो गये अंकित का स्पर्श पा कर..[/font]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]अंकित को भी वो निपल्स अपनी हथेली पे सॉफ सॉफ महसूस होने लगी......फिर अंकित ने अपनी हथेली को[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]ज़रा सा बंद किया तो वो चुची भी हल्के से दब गयी.....वाहह कितना मज़ा आया[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]अंकित को ऐसे दबाने में...वो उसका लंड दिखा रहा था क्यूँ कि वो हिचकोले ख़ाता हुआ[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]फिर से रितिका के पेट पे लग जाता....[/font]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]दो तरफ इस गंभीर हमले से रितिका और भी ज़्यादा पागल हो गयी....उसने अपना एक हाथ तो अंकित की गर्दन[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]में जैसे साँप लिपटा होता है वैसे लिपटा रखा था..और दूसरा हाथ ले जाके सीध अंकित की गान्ड के[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]उपर रख दिया अंडरवेर के उपर से....और वहाँ उसे सहलाने लगी....[/font]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]दोनो एक दूसरे को आग दे रहे थे...लेकिन कोई किसी को ठंडा नही कर पा रहा था..महॉल और भी[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]ज़्यादा गरम होता जा रहा था किसी भट्टी से भी ज़्यादा...दोनो एक दूसरे की आग को और भड़काने[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]में मशगूल थे....ठंडा पानी कौन गिराएगा इस आग में अभी वो तय नही कर पाया दोनो में से[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]कोई......[/font]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]अंकित ने रितिका के चुचों को हथेली से कस के अंदर की तरफ दबा दिया...और उन्हे ज़ोर ज़ोर से दबाने[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]लगा मानो कोई हॉर्न बजा रहा हो........वो जितना दबाता उतना रितिका उसके होंठो को अपने जीभ से चाटती[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]अंकित ने चुचो के निपल्स को कपड़े के बाहर से ही पकड़ लिया और उन्हे अपनी उंगलियो से ट्विस्ट[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]करने लगा...कभी आधा लेफ्ट की तरफ घूमता कभी राइट की तरफ...मानो कोई निपल नही हो पानी का नल[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]हो.....[/font]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]रितिका के लिए ये सब एक नया और बेहद कामुक और शरीर को तरसा देना वाला पल था जो उसने आज तक[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]ना ही झेला था...वो तो इस वक़्त सागर की गहराइयों में डूब चुकी थी और वहाँ के वातावरण का[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]मज़ा ले रही थी.....इसलिए वो भी पीछे रहने वाली नही थी...[/font]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]अंकित की गान्ड पे जो उसका हाथ था वहाँ वो अंकित की गान्ड को दबाने लगी वो भी बिल्कुल वैसा[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]कर रही थी जैसा अंकित उसके चुचों को दबा रहा था....[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]दोनो ही कम नही थे......जैसा कि कहा मेने..दोनो एक दूसरे के अंदर आग लगा रहे थे लेकिन[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]ठंडा नही कर रहे थे........[/font]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]अंकित भी कहाँ पीछे रहने वाला था उसने इस लड़ाई को और बढ़ा दिया और शुरू हो गया.......[/font]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]रितिका के इस वार से अंकित और भी ज़्यादा उतेज़ित हो गया और उसने फिर से दुबारा अपनी कमर हिलानी शुरू[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]कर दी.........और अपने पूरे लंड को सिर्फ़ रितिका के पेट के उपर ही घिसने लगा...[/font]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]रितिका की आँखें पूरी खुल गयी....उंगघह उःम्म्म्ममम की आवाज़ें अंकित के मूह के अंदर[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]जाने लगी....[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]अब अंडरवेर के अंदर लंड रितिका के नंगे पेट के उपर घिसा जा रहा था और दूसरी तरफ से एक[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]हाथ उसके चुचों को मसले जा रहा था...(आँखें फटना लाज़मी है)[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]अंकित अपनी कमर तेज़ी से हिला रहा था..रितिका की तो बॅंड ही बज रही थी...[/font]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]अंकित के कमर हिलने की वजह से रितिका का जो हाथ अंकित के गान्ड पे चल रहा था वो उपर नीचे[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]हो रहा था..और तभी रितिका की नखुनो की वजह से अंकित की कच्छि थोड़ी उपर उठी और अंकित के[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]आगे की तरफ धक्का लगाने की वजह से रितिका का हाथ कच्चे के अंदर चला गया और अंकित की नंगी[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]और ठंडी गान्ड के उपर आ गया..[/font]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]उंगघह उःम्म्म्मममममममम इस बार सिसकी लेने की बारी अंकित की थी....क्यूँ कि रितिका का गरम[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]हाथ उस ठंडी गान्ड पे ऐसा पड़ा था मानो किसी गरम तवे पे पंनी छिड़क दिया जाए तो[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]कैसी भाँप निकलती है....सेम अंकित का भी यही हाल था...[/font]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]अंकित ने आख़िर किस तोड़ डाली (आज दोनो ने किस का तो रेकॉर्ड बना लिया था) दोनो के चेहरे पे[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]एक दूसरे का रस भरमार लगा हुआ था...दोनो एक दूसरी की आँखों में देखने लगी....[/font]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]अंकित की कच्छि थोड़ी सी खिसक गयी नीचे की तरफ रितिका के हाथ अंदर जाने से...जिसकी वजह से[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]अंकित के लंड का लाल रंग का सुपाडा उसकी कच्छि से बाहर आ गया और रितिका के पेट को छू गया...[/font]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]एयेए.....ह.ह..ह.ह.ह.....ह.ह.ह.ह..ह....म.....एम्म.म.....रितिका के मूह से ये सिसकी निकली तो ह...ओ..उ..उ.उ.....[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]अंकित के मूह से भी ये सिसकी निकल गयी...[/font]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]दोनो जानते थे कि क्या हुआ है....लेकिन अगले ही पल रितिका का हाथ बाहर निकल गया और कच्छि अपनी[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]जगह पर सेट हो गयी....और सुपाडा भी अंदर चला गया.....[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]रितिका का हाथ अंकित की कमर में था.....[/font]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]रितिका और अंकित दोनो को एक पल के लिए बुरा लगा लेकिन जो एहसास उन्हे कुछ सेकेंड पहले मिला था[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]उसकी खुशी ने सारा गम भुला दिया......[/font]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]अंकित ने अपनी कमर हिलानी तेज़ी कर दी...और दूसरा हाथ ले जाके रितिका के चुचे पे रख दिया[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]और उसे भी कस कस के दबाने लगा..[/font]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]आहहह ह्ह्म.म........सस्स्सिईईई...ओह्ह्ह.ह.ह.....रितिका के मूह से ये आवाज़ें निकल रही थी..उसके दोनो[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]हाथ अंकित की टीशर्ट के अंदर से उसकी कमर पे...वो बुरी तरह से हिल रही थी...[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]दूर से देखने पर यही लगेगा कि दोनो सेक्स कर रहे हैं..लेकींन ऐसा था ही नही....[/font]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]अंकित ज़ोर ज़ोर से कमर हिलाता हुआ.........[/font]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]अंकित :- आ...रीत...ई...का.......[/font]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]और अपना मूह आगे बढ़ाने लगा..रितिका भी गरम साँसें छोड़ रही थी...अंकित की इस स्पीड को देख[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]कर वो समझ चुकी थी की अंकित अब जाने वाला है..और वो खुद भी जानती थी..कि उसका भी जो रस इतने[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]सालों से इकट्ठा कर रखा था अब उसके निकलने का समय था..दोनो के होंठ आपस में जुड़ने[/font]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]ही वाले थे कि तभी....[/font]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]तभी डोर पे एक के बाद एक बेल बजने लगी...........[/font]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]क्रमशः......................[size=large]क्या एहसास था ये अंकित के लिए कपड़ों के उपर से ही वो ऐसे नरम सख़्त शेप चुची लग
[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]रही थी कि बस अभी उन्हे बाहर निकाल के उनका सारा दूध अंदर का पिए जाए और उसे खाली कर[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]दे.....रितका के निपल भी और सख़्त हो गये अंकित का स्पर्श पा कर..[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]अंकित को भी वो निपल्स अपनी हथेली पे सॉफ सॉफ महसूस होने लगी......फिर अंकित ने अपनी हथेली को[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]ज़रा सा बंद किया तो वो चुची भी हल्के से दब गयी.....वाहह कितना मज़ा आया[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]अंकित को ऐसे दबाने में...वो उसका लंड दिखा रहा था क्यूँ कि वो हिचकोले ख़ाता हुआ[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]फिर से रितिका के पेट पे लग जाता....[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]दो तरफ इस गंभीर हमले से रितिका और भी ज़्यादा पागल हो गयी....उसने अपना एक हाथ तो अंकित की गर्दन[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]में जैसे साँप लिपटा होता है वैसे लिपटा रखा था..और दूसरा हाथ ले जाके सीध अंकित की गान्ड के[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]उपर रख दिया अंडरवेर के उपर से....और वहाँ उसे सहलाने लगी....[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]दोनो एक दूसरे को आग दे रहे थे...लेकिन कोई किसी को ठंडा नही कर पा रहा था..महॉल और भी[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]ज़्यादा गरम होता जा रहा था किसी भट्टी से भी ज़्यादा...दोनो एक दूसरे की आग को और भड़काने[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]में मशगूल थे....ठंडा पानी कौन गिराएगा इस आग में अभी वो तय नही कर पाया दोनो में से[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]कोई......[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]अंकित ने रितिका के चुचों को हथेली से कस के अंदर की तरफ दबा दिया...और उन्हे ज़ोर ज़ोर से दबाने[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]लगा मानो कोई हॉर्न बजा रहा हो........वो जितना दबाता उतना रितिका उसके होंठो को अपने जीभ से चाटती[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]अंकित ने चुचो के निपल्स को कपड़े के बाहर से ही पकड़ लिया और उन्हे अपनी उंगलियो से ट्विस्ट[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]करने लगा...कभी आधा लेफ्ट की तरफ घूमता कभी राइट की तरफ...मानो कोई निपल नही हो पानी का नल[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]हो.....[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]रितिका के लिए ये सब एक नया और बेहद कामुक और शरीर को तरसा देना वाला पल था जो उसने आज तक[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]ना ही झेला था...वो तो इस वक़्त सागर की गहराइयों में डूब चुकी थी और वहाँ के वातावरण का[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]मज़ा ले रही थी.....इसलिए वो भी पीछे रहने वाली नही थी...[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]अंकित की गान्ड पे जो उसका हाथ था वहाँ वो अंकित की गान्ड को दबाने लगी वो भी बिल्कुल वैसा[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]कर रही थी जैसा अंकित उसके चुचों को दबा रहा था....[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]दोनो ही कम नही थे......जैसा कि कहा मेने..दोनो एक दूसरे के अंदर आग लगा रहे थे लेकिन[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]ठंडा नही कर रहे थे........[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]अंकित भी कहाँ पीछे रहने वाला था उसने इस लड़ाई को और बढ़ा दिया और शुरू हो गया.......[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]रितिका के इस वार से अंकित और भी ज़्यादा उतेज़ित हो गया और उसने फिर से दुबारा अपनी कमर हिलानी शुरू[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]कर दी.........और अपने पूरे लंड को सिर्फ़ रितिका के पेट के उपर ही घिसने लगा...[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]रितिका की आँखें पूरी खुल गयी....उंगघह उःम्म्म्ममम की आवाज़ें अंकित के मूह के अंदर[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]जाने लगी....[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]अब अंडरवेर के अंदर लंड रितिका के नंगे पेट के उपर घिसा जा रहा था और दूसरी तरफ से एक[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]हाथ उसके चुचों को मसले जा रहा था...(आँखें फटना लाज़मी है)[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]अंकित अपनी कमर तेज़ी से हिला रहा था..रितिका की तो बॅंड ही बज रही थी...[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]अंकित के कमर हिलने की वजह से रितिका का जो हाथ अंकित के गान्ड पे चल रहा था वो उपर नीचे[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]हो रहा था..और तभी रितिका की नखुनो की वजह से अंकित की कच्छि थोड़ी उपर उठी और अंकित के[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]आगे की तरफ धक्का लगाने की वजह से रितिका का हाथ कच्चे के अंदर चला गया और अंकित की नंगी[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]और ठंडी गान्ड के उपर आ गया..[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]उंगघह उःम्म्म्मममममममम इस बार सिसकी लेने की बारी अंकित की थी....क्यूँ कि रितिका का गरम[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]हाथ उस ठंडी गान्ड पे ऐसा पड़ा था मानो किसी गरम तवे पे पंनी छिड़क दिया जाए तो[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]कैसी भाँप निकलती है....सेम अंकित का भी यही हाल था...[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]अंकित ने आख़िर किस तोड़ डाली (आज दोनो ने किस का तो रेकॉर्ड बना लिया था) दोनो के चेहरे पे[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]एक दूसरे का रस भरमार लगा हुआ था...दोनो एक दूसरी की आँखों में देखने लगी....[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]अंकित की कच्छि थोड़ी सी खिसक गयी नीचे की तरफ रितिका के हाथ अंदर जाने से...जिसकी वजह से[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]अंकित के लंड का लाल रंग का सुपाडा उसकी कच्छि से बाहर आ गया और रितिका के पेट को छू गया...[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]एयेए.....ह.ह..ह.ह.ह.....ह.ह.ह.ह..ह....म.....एम्म.म.....रितिका के मूह से ये सिसकी निकली तो ह...ओ..उ..उ.उ.....[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]अंकित के मूह से भी ये सिसकी निकल गयी...[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]दोनो जानते थे कि क्या हुआ है....लेकिन अगले ही पल रितिका का हाथ बाहर निकल गया और कच्छि अपनी[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]जगह पर सेट हो गयी....और सुपाडा भी अंदर चला गया.....[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]रितिका का हाथ अंकित की कमर में था.....[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]रितिका और अंकित दोनो को एक पल के लिए बुरा लगा लेकिन जो एहसास उन्हे कुछ सेकेंड पहले मिला था[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]उसकी खुशी ने सारा गम भुला दिया......[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]अंकित ने अपनी कमर हिलानी तेज़ी कर दी...और दूसरा हाथ ले जाके रितिका के चुचे पे रख दिया[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]और उसे भी कस कस के दबाने लगा..[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]आहहह ह्ह्म.म........सस्स्सिईईई...ओह्ह्ह.ह.ह.....रितिका के मूह से ये आवाज़ें निकल रही थी..उसके दोनो[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]हाथ अंकित की टीशर्ट के अंदर से उसकी कमर पे...वो बुरी तरह से हिल रही थी...[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]दूर से देखने पर यही लगेगा कि दोनो सेक्स कर रहे हैं..लेकींन ऐसा था ही नही....[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]अंकित ज़ोर ज़ोर से कमर हिलाता हुआ.........[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]अंकित :- आ...रीत...ई...का.......[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]और अपना मूह आगे बढ़ाने लगा..रितिका भी गरम साँसें छोड़ रही थी...अंकित की इस स्पीड को देख[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]कर वो समझ चुकी थी की अंकित अब जाने वाला है..और वो खुद भी जानती थी..कि उसका भी जो रस इतने[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]सालों से इकट्ठा कर रखा था अब उसके निकलने का समय था..दोनो के होंठ आपस में जुड़ने[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]ही वाले थे कि तभी....[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]तभी डोर पे एक के बाद एक बेल बजने लगी...........[/font][/size]


[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]क्रमशः......................[/font][/size]
 
गतान्क से आगे..............


दोनो की नज़रे गेट पे चिपक गयी...बेल बजे जा रही थी.....अचानक रितिका को होश आया उसने अंकित

को अपने हाथ से पीछे की तरफ प्रेस किया...अंकित रितिका की तरफ देखता हुआ एक दम से हड़बड़ाता हुआ

खड़ा हो गया....और उसने अपनी जीन्स को फटाफट से उपर चढ़ा के ठीक करने लगा..


उधर रितिका भी एक दम से उठी अपना पल्लू जो ज़मीन पे गिरा हुआ था उसे जल्दी से उठा के डालने

लगी और बाल ठीक करने लगी...तब तक अंकित रेडी हो गया था और उसने सोचा कि वही खोल दे

गेट...वो आगे बढ़ा और उसने धीरे धीरे करके गेट खोलने लगा..(उसका दिल ज़ोरों से धड़कने

लगा) और जब उसने गेट खोल दिया और सामने देखा तो उसने शांति मिली..सामने आर्नव खड़ा था

और उसी को देख के मुस्कुरा रहा था..


अंकित भी मुस्कुरा पढ़ा..और पूरा गेट खोल दिया और साइड हट गया.....


रितिका की नज़र सामने आर्नव पर पड़ी..तो उसके चेहरे पे स्माइल की जगह गंभीर भाव बन गये

वो किसी सोच में डूब गयी...


अंकित :- आर्नव कैसे हो?


आर्नव :- ठीक हूँ आप कैसे हो...(मासूमियत से पूछता हुआ)


अंकित :- ओह्ह..ह्म्म कहाँ से आ रहे हो..


आर्नव कुछ बोलता उससे पहले रितिका बोल पड़ी..


रितिका :- आर्नव गो टू युवर रूम नाउ..


आर्नव :- पर मुझे अंकित भैया से बात करनी है...


रितिका :- आइ सेड गो टू युवर रूम नाउ..अंकित वहीं आएगा...(थोड़ा उँची आवाज़ में)


अंकित उसे देखता रह गया कि इतना गुस्सा अचानक से कैसे आ गया रितिका को..


आर्नव अपनी मम्मी की बात को सुनता हुआ कमरे में चला गया...तभी अंकित रितिका के पास आके

कुछ बोले उससे पहले..


रितिका :- अंकित प्लीज़ यू गो नाउ टू...


अंकित चौंक के उसे देखने लगा...मानो पूछ रहा हो कि क्या हुआ..


रितिका :- आइ साइड प्लीज़ गो...


अंकित उसके करीब आके उसके हाथ पकड़ते हुए बोला..


अंकित :- लेकिन हुआ क्या...अभी तो..


रितिका ने अंकित के हाथ को झटकते हुए..


रितिका :- में वो सब कुछ नही कर सकती...जो भी अभी हुआ..मेरा एक बच्चा है डोंट यू सी..में तुमसे

कितनी बड़ी हूँ..और तुम्हारे साथ ये सब करते हुए..नही..में नही कर सकती...मेने सिर्फ़ तुमसे सारे गिले

शिकवे दूर करने के लिए बुलाया था पर ये सब इतना कुछ हो जाएगा...मेने नही सोचा था..प्लीज़

यू गो (वो थोड़ा झल्लाती हुए बोल रही थी)


अंकित :- पर रितिका मेरी बात तो..


रितिका :- (बीच में रोकते हुए) मुझे कुछ नही सुनना..तुम क्यूँ नही समझते..मेरा ये सब करना ग़लत

है...में अपने बच्चे से बहुत प्यार करती हूँ..और उसे ये धोका नही दे सकती...यू प्लीज़ गो..

(बोलते हुए वो सर अपना सर पकड़ के वहीं उसी सोफे पे बैठ जाती है)


अंकित 2 मिनट तक खड़ा रहता है...और फिर कुछ सोच के वो मूड के चला जाता है....


इधर रितिका अपने आप को समेटते हुए उसी सोफे पे लेट जाती है...और अपनी आँखें बंद कर लेती है....


उधर अंकित बड़बड़ाता हुआ घर की बजाए बाज़ार की तरफ निकल गया...

पता नही अपने आप को क्या समझती है..पहले तो खुद ही बुलाती है फिर खुद ही शुरू करती है

और जब इतना सब कुछ हो गया तो ये सब नाटक ... कमाल है...मेने कहा था कि वो बुकेट और

कार्ड भेजने के लिए..तब समझ नही आई कि एक बेटा है...तब तो सब कुछ ठीक था..जब सब कुछ चल

रहा था..पता नही क्या चलता रहता है उसके दिमाग़ में..गुस्सा दिला रखा है....

(बड़बड़ाते हुए मार्केट की तरफ बढ़ रहा था जहाँ काफ़ी भीड़ थी..और उस भीड़ में काफ़ी सारी

सुंदर सुंदर लड़कियाँ और लॅडीस भी घूम रही थी)


अंकित :- छी..साला अच्छा भला मूड खराब कर दिया.....(बोलता हुआ अपनी गर्दन छटकता है तो

उसकी नज़र वहीं ज़म जाती है)


सामने एक टाइट जीन्स में लड़की थोड़ा उचक के कुछ समान लेने की कॉसिश कर रही थी...जिसकी वजह

से उसका पहना हुआ वाइट कलर का टॉप थोड़ा उपर हो गया जिसकी वजह से उसकी गोरी गोरी कमर का

साइड वाला हिस्सा उजागर हो गय्या..और जीन्स में फँसी टाइट गान्ड की शेप और अच्छे से उजागर हो

गयी....

एक पल के लिए अंकित की नज़रे वहीं चिपक गयी...लेकिन फिर उसके अपनी नज़रे हटा ली..


अंकित :- (अपने आप से) मत देख..साले मत देख..वैसे ही ज़िंदगी ने पोपट करने का फ़ैसला कर रखा

है...साला..जब कभी लगता है कि ये लड़की मिल जाएगी उसी वक़्त इस खड़े लंड को छुरी चला देता है..

हाए रे किस्मत...


रोते हुए वो एक शॉप में घुस जाता है...वो कुछ कपड़े खरीदने की सोचता है...और जाके जीन्स

देखने लगता है....

तभी उसे साइड में एक लड़की खड़ी दिखती है....वो उसे घूर्ने लगता है...अचानक वो लड़की अपनी गर्दन

इस तरफ घुमाती है और वो भी अंकित को घूर्ने लगती है दोनो एक दूसरे को घूर्ने लगते है...

और फिर कुछ ही मिनट में...अंकित के चेहरे पे स्माइल आ जाती है...और उस लड़की के भी...


दिशा.......तू यहाँ....(अंकित चलता हुआ वहाँ जाता है)


अंकित्त.....व्हाट आ प्लीज़ेंट सर्प्राइज़......(और वो आगे बढ़ के अंकित को एक हग देने लगती है)


उफ़फ्फ़ अंकित का तो बॅंड पहले से ही बजा हुआ था और इसे गले लगाते ही उसका तो ढोल बज गया..


वो अपने मन में..साला इसको भी आज ही गले लगना था....अगर इसे मेरे खड़े लंड का आभास हो

गया तो मेरी तो सॉलिड लग जाएगी...


लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ..दिशा उससे अलग हुई और मुस्कुरा के देखने लगी अंकित को...पर अंकित तो

उसे नीचे से उपर तक घूर्ने लगा...टाइट ब्लॅक जीन्स...जिसके अंदर मस्त थाइस्स घुसी हुई थी...

थोड़ा उपर आके...एक दम सपाट पेट.और थोड़ा उपर उसके 34 साइज़ के टाइट और बेहद सेक्सी शेप्ड

के चुचे जो कि उस पर्पल थिन टॉप में छुपे हुए थे....


दिशा :- तेरी चेकिंग आउट की बीमारी अभी तक नही गयी ना....


अंकित दिशा की इस बात को सुन के हड़बड़ा गया...और वो हड़बड़ाते हुए बोल पड़ा..


अंकित :- आ.आ...रे नही न..आह..इ यार..वो तो तू इतनी बदल गयी है..ना कि में तो बस देखता ही रह

गया....


दिशा :- ओह्ह फ्लर्ट करने की कॉसिश इतने सालों के बाद पहली मुलाक़ात में..


अंकित :- (अपने मन में) अबे कुतरी पहली मुलाक़ात में लोग गान्ड और चूत ले जाते हैं और तू फ्लर्ट की

बात कर रही है..


दिशा :- (चुटकी बजाते हुए) क्या सोच रहा है...तेरी ये सोचने की आदत नही गयी ना...


अंकित :- अरे नही यार दिशा..सॉरी सॉरी...दिशा.. ऐसा नही है..वो इतने सालों के बाद मिली..और वो भी इस

तरह...तू बिल्कुल चेंज हो गयी है सच में....


दिशा :- दिशा जी.. हहेहेहेः....रहने दे..दिशा ही बोल....वैसे भी सिर्फ़ 23 साल की हुई हूँ और तुझसे 2 साल

ही बड़ी हूँ...


अंकित :- (अपने मन में) हाँ साली वैसे तो 23 साल की है लेकिन काम तो तू 30 साल की औरतों वाले

कर चुकी है....


दिशा :- ओये फिर किस सोच में डूब गया...


अंकित :- नही यार कुछ नही..बस वही स्कूल की याद जब हम मिले थे उस ट्रिप पे..में 8थ में था तू 10थ

में...वही मिले थे..नही तो उससे पहले तो कभी स्कूल में एक दूसरे को जानते भी नही थे...


दिशा :- हाँ यार सही कहा तूने...वो ट्रिप सच में आज भी याद है मुझे...जब तू उस गोरी मेम पे

लाइन मार रहा था और उससे थप्पड़ खाते खाते बचा था हहेहेहेहेहहे...


अंकित :- ऊओ ऐसा कुछ नही था...वो मुझे थप्पड़ नही मारती.....


दिशा :- रहने दे....अगर में ना आती और ना बचाती तो सच में पड़ जाता तुझे थप्पड़...


अंकित :- ओह्ह अच्छा जी..आज तक ऐसा कोई पैदा नही हुआ है..जो हमे थप्पड़ मार दे..(और फिर अपने मन में

साला थप्पड़ तो खा चुका हूँ..पर इसको क्या पता और थोड़ा फैंकने में चलता है)


दिशा :- ह्म्म सब पता है मुझे..वैसी थप्पड़ पड़ना भी चाहिए था तुझे 8थ स्टॅंडर्ड में था

तू..और बाते बहुत बड़ी बड़ी थी तेरी...


अंकित :- (साली अब क्या कहती है वही बात तुझसे भी पूछूँ अपने मन में सोचता हुआ)

लेकिन फिर उसने बात को बदलते हुए..


अंकित :- छोड़ यार...तू ये बता..उसके बाद स्कूल क्यूँ छोड़ दिया..तू दिखी नही उस गोआ ट्रिप के बाद..


दिशा :- अरे यार क्या बताऊ...डॅड का ट्रान्स्फर हो गया अचनाक..इसलिए ड्रॉप करना पड़ा..और तुझसे उस

वक़्त सिर्फ़ एक छोटी सी फ्रेंड्शिप हुई थी..इसलिए कोई कॉंटॅक्ट नही था..तो नही बता पाई..


अंकित :- ह्म्म हाँ भाई..हम से क्यूँ फ्रेंड्शिप करोगी..हुम्म तुम्हारे लेवेल के थोड़े ही है...

(एमोशनल अत्याचार करना शुरू कर दिया)
 
दिशा :- ओये ऐसी बात नही है...एक ट्रिप में हम मिले थे उसके बाद अब मिल रहे हैं तो कैसे

करती तुझसे फ्रेंड्शिप...


अंकित :- हाँ ये बात भी सही है...वैसे तू यहाँ वापिस कब आई..


दिशा :- लास्ट मंथ ही आई हूँ यार...


अंकित :- तेरी शादी हो गयी..


दिशा :- (थप्पड़ का इशारा करते हुए) मार खाएगा क्या....में तुझे शादी शुदा लग रही हूँ..


अंकित :- अरे यार 23 की हो गयी है तू..तो मुझे लगा शादी हो गयी होगी तेरी..


दिशा :- रहने दे...में सब समझ रही हूँ..कि तेरे कहने का मतलब क्या है....


अंकित :- हाहहहः तो समझ गयी है तो फिर क्यूँ बोल रही है..हाँ (छेड़ते हुए)


दिशा :- तू बिल्कुल नही बदला वैसा का वैसा ही है....चीप हहेहेहेहेः


अंकित :- अच्छा में चीप हूँ तो बात क्यूँ कर रही है फिर....मत कर...


दिशा :- क्या करूँ..तुझसे इंप्रेस बहुत हो गयी थी ना..लास्ट टाइम..तू थोड़ा अलग किसम का बंदा है..


अंकित :- (मन में सोचता हुआ) अच्छा..अलग किसम का..तो फिर अपनी ये कमसिन जवानी दे एक बार

फिर तुझे अच्छी तरह पता चलेगा कितना अलग हूँ में ....


दिशा :- मत सोच ज़्यादा....(दिशा मुस्कुराते हुए बोली)


अंकित झेप गया..उसने अपनी जीभ दिखा दी...


अंकित :- बिल्कुल अनएक्सपेक्टेड था यार तुझसे मिलना....सच में बहुत खुशी हुई तुझसे मिल के..


दिशा :- ओहो..लड़के में समझदारी आ गई क्या बात है...हहेहेः जोक्स अपार्ट...मुझे भी बहुत खुशी

हुई यार तुझसे मिल के...वैसे जब गोआ में मिले थे ना..उसके बाद मुझे लगा कि तू एक अच्छा

लड़का है बात करने में..पर चान्स नही मिला कभी..


अंकित :- हाँ यार..मेरी किस्मत में कोई ढंग की लड़की है नही..साला किस्मत और लड़की का 36 का आकड़ा है..

अच्छा ये बता कोई बाय्फ्रेंड तो होगा..


दिशा :- ना यार ये बाय्फ्रेंड वग़ैरह सब इल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल बकवास लगता है.....में किसी एक के साथ सेनटी नही होना चाहती..

वो रोने धोने की बाते वो रोज का झगड़ा...


हाहहहहहह अंकित हँसने लगता है.....


दिशा :- हाँ सही बोल रही हूँ..यू गाइस अरे सच में बड़े ही डंबो होते हो...


अंकित :- रहने दे बहाने ना मार...तुझे कोई मिला ही नही होगा..


दिशा :- ओह्ह हेलो लड़कों की तो लाइन लगा सकती हूँ में..किसी भी लड़के को लट्टू बना सकती हूँ अपने

इशारों पे....लड़के तो हर वक़्त मुझपे मिटने के लिए तैयार रहते हैं..


अंकित :-( अपने मन में) हाँ साली तुझे तो मिटाने के लिए कोई भी खड़ा हो जाएगा...साली इतनी मस्त

माल है तो तू वैसे भी किसी की लुल्ली भी लंड बन जाए....


अच्छा तू अकेली आई है यहाँ..मतलब डॅड और मोम के साथ रहती है..


दिशा :- नही यार..मोम डॅड तो अभी भी वहीं हैं मुंबई में...में तो आंटी के साथ रहती हूँ

अपनी...


अंकित :- मतलब उनकी फॅमिली के साथ..


दिशा :- ना ना..वो आंटी अकेली रहती है...उन्होने शादी नही की


अंकित :- ओह्ह..मतलब की आंटी की जवानी चली गयी और शादी नही की..


दिशा :- तू नही सुधरेगा...उनकी एज सिर्फ़ 31 है...और वो ****** में काम करती है...


अंकित तो सुन के खुश हो जात्ता है....


अंकित :- अच्छा...कहाँ रहती है तू अब.?


दिशा :- (आँखें मतकाते हुए) क्यूँ..घर आएगा मेरे....हैं..


अंकित :- हाँ हाँ आ जाउन्गा जब तू अकेली होगी (कॉलेज जाके धीरे से बोलता है)


दिशा :- (उसके कंधे पे ज़ोर का थप्पड़ मारते हुए) कमिने...सुधर जा तू..हहेहेहहे..


अंकित अपने हाथ से कंधे को सहलाते हुए...


अंकित :- अगर हम सुधर गये तो तेरा क्या होगा ..... (आँखें मटकाते हुए)


दिशा :- और मार खाएगा क्या...


अंकित :- हाहहाहा..नही यार..वैसे ही एक पड़ गया है....


दिशा :- ह्म्म...(वो कुछ बोलती इससे पहले उसका फोन बज पड़ा वो फोन उठा के देखती है..)

अंकित एक्सक्यूस मी....(और फिर थोड़ा साइड में चली जाती है)


अंकित उसको देखने लगता है..और अपने मन में..


हाए क्या गान्ड हो गयी है इसकी...साली जीन्स में अंदर पसीने छोड़ रही होगी..बोल रही होगी कोई बाहर

निकालो मुझे.....


अरे हाँ ये तो में बताना भूल ही गया इसके बारे में...अरे अपने अपने पकड़ के रखो

कहीं हिलते हिलाते इधर उधर नही खिसक जाए क्यूँ कि ये दिखती ही ऐसी है..एक दम सेक्सबॉम्ब है ये..


इन मेडम का नाम है दिशा शेनाए पता नही इसका लास्ट नेम आज तक नही समझ आया मुझे...

ये एक टिपिकल पंजाबन है..और आप सब समझ सकते हो कि पंजाबी कुड़ी कैसी होती है...

चेहरा ऐसा कि साला इसके आगे दूध भी काला नज़र आए...इतना गोरा और इतना सुंदर....छोटी छोटी

आँखें बेहद खूबसूरत और थोड़े मोटे लिप्स ... बीच में छोटी सी नाक..जो उसकी सुंदरता को और

बढ़ाती है....चेहरे पे हमेशा ऐसा रहता है कि ये कितनी बड़ी सेडक्टिव गर्ल है..लेकिन सच में

किसी भी आक्ट्रेस को फैल कर्दे सिवाय कटरीना कॅफ के इतना सुंदर चेहरा है इसका..जब भी हँसती है नाक और

गाल दोनो लाल हो जाते हैं..उस वक़्त तो मानो कोई परी उतर के आ गयी हो ऐसी लगती है...

अब ज़रा इसके असेट्स के बारे में बता दूं..जिसकी वजह से जैसे कि मेने पहले भी कहा कि कोई भी लड़का

इस्पे मिट जाए....बिल्कुल ऐसा है इसका शरीर..



साली के 34 साइज़ की एक दम गोल गोल कड़क चुचियाँ जिन्हे हाथ से दबाते रह जाओ ज़िंदगी भर पर फिर

भी मन ना भरे...कमर तो साली है ही नही..बिल्कुल पतली सपाट पेट..और उसके नीचे उसकी 30

की गान्ड....साइज़ भले ही ना बड़ा हो पर शेप इतनी शानदार है कि बस एक बार हाथ रख दो तो

बस उसे सहलाने के अलावा और कुछ भी मन ना करे........


मेरी और इसकी मुलाक़ात स्कूल की गोआ ट्रिप में हुई थी जब में 8थ में था जैसा बताया हम ने...

और मेने उस गोरी से पूछा था कि तेरा साइज़ कितना है उसपे वो भड़क गयी थी..वहाँ आके इसने

बचाया था....और बात को घुमा दिया था..तब से हमारी बात हुई उस ट्रिप पे...लेकिन वो बात

और आगे जब बढ़ी..जब वो बीच पे एक सेक्सी हॉट टू पीस ब्लू क्लो की बिकनी में आई...


बस वहाँ खड़ा इसकी कसमिनट जवानी उस वक़्त 10थ में थी..को देख कर बेहोश सा हो गया...

साली उस वक़्त भी 4 लंड को अंदर ले ले..ऐसा शरीर था....किसी भी लड़के की हिम्मत नही थी उसके पास जाने

की....लेकिन में तो में हूँ...चल पड़ा..और उससे फ्लर्ट करना शुरू हो गया..

ये काम मेने स्कूल टाइम से ही शुरू कर दिया था.....मेरी बातों से ये बहुत अट्रॅक्ट हुई और सीनियर

होने के नाते हमारी अच्छी बात हुई..बाकी सभी लड़कों की तो झान्टे जल गयी थी मुझे उसके साथ

देख के....और.


अंकित अंकित........तभी अंकित अपनी ख्यालों की दुनिया से बाहर आया...


दिशा :- कहाँ खो जाता है तू?


अंकित :- बस किसी को कुछ बता रहा था..


दिशा :- हैं...की बोल रहा है तू...


अंकित :- नही नही कुछ नही..वो.


दिशा :- अच्छा..यार मुझे जाना है..बाकी की बातें बाद में करेंगे...और टेंशन मत ले..इस

बार कॉंटॅक्ट रखूँगी तुझसे....मेरा नंबर. नोट कर ले..


और फिर वो नंबर बोलती है अंकित फटाफट से नंबर फोन पे लेता है और उसे मिस कॉल मार देता

है..दोनो एक दूसरे का नंबर सेव कर लेते हैं....


दिशा :- अच्छा चल बाए... (और फिर आगे आके..एक हग करती है)


इस बार अंकित भी पूरे मज़े से हग लेता है और देता है..और अपने हाथों से दिशा की पीठ को सहलाने

लगता है...पतली सी टॉप की वजह से अंदर पहनी हुई ब्रा हाथ पे महसूस हो रही थी...

क्रमशः......................
 
गतान्क से आगे..............

दिशा उसे पीठ पे थप्पड़ मारती है..और अलग होती है....


दिशा :- बाइ गॉड तुझसे तो गले लगना भी बड़ा ही मुश्किल है...तू नही सुधरेगा...

(बोलते हुए एक कातिलाना स्माइल देती है..)


अंकित भी एक स्माइल दे देता है.....और फिर दिशा भी जाने लगती है..और पीछे मूड के एक बार फिर हाथ

हिला के बाइ करती है....अंकित भी बाए करता है..लेकिन उसे कुछ अजीब लगता है..


अंकित :- दिशा की नाक इतनी लाल क्यूँ हुई थी....(वो अपना मुँह बनाता है जैसे पता नही क्यूँ है)


और फिर सोचते हुए जीन्स लेने लगता है....और एक अच्छी जीन्स कबाड़ के वापिस आने लगता है..

रितिका के साथ हुई घटना को दिशा की मुलाक़ात ने भुला दिया था.....


लेकिन वो ये नही जानता कि अभी तो सिर्फ़ लहरे उठनी शुरू हुई है...किनारे तक आते आते बहाव बहुत तेज

होने वाला है....

रितिका के साथ हुई घटना को दिशा की मुलाक़ात ने भुला दिया था.....


अंकित को रात में नींद नही आ रही थी...वो पलंग पर आँखें खोल के कुछ सोचने लगा.....


काफ़ी टाइम पहले स्कूल टाइम में....गोआ ट्रिप....दिशा एक सेक्सी बिकनी में आके बीच पे खड़ी थी

और सभी लड़के उसे ताड़ रहे थे...पर किसी की हिम्मत नही थी की कोई उससे कुछ जाके बात करे..सिवाय

अंकित के और वो पहुच गया उससे बात करने...


अंकित :- हेलो..


दिशा उसकी तरफ घूरती है और फिर सामने समुंदर की तरफ देखने लगती है..


अंकित :- हेलो मेने कहा है..समुंदर ने नही...


दिशा इस बात को सुन के अंकित की तरफ फिर से देखने लगती है...


दिशा :- मे आइ नो यू


अंकित :- नो..यू डोंट...


दिशा :- देन व्हाट यू वान्ट?


अंकित :- बस कुछ नही..वैसे तो में भी आपको नही जानता...लेकिन वहाँ खड़े जितने लड़के हैं सब आप

को ही ताड़ रहे हैं (वो उंगली लड़कों की तरफ करता है )


जिसे दिशा वहाँ देखने लगती है..तो सभी लड़के इधर उधर देखने लगते हैं...

फिर दिशा अंकित की तरफ नज़र करके...मानो पूछ रही हो तो?


अंकित :- किसी की हिम्मत नही है आपसे बोलने की...सब शायद डरते हैं फट्टू साले...


दिशा :- (मन ही मन थोड़ा मुस्कुराती है पर शो नही करती ) अच्छा तुम नही डरते..


अंकित :- में..अरे क्यूँ डरूँ..कोई ग़लत कम थोड़े ही कर रहा हूँ..जो सच है वही बोलूँगा इसमे

डरना कैसा..


दिशा :- सच कैसा सच...


अंकित :- ओ तेरी (माथे पे हाथ मार के) साला इन अलुंडों के चक्कर में वो बात तो बोलना भूल गया

जिसके लिए आया था....आक्च्युयली आप इस बिकनी में...सूपर हॉट ह्म्म एक दम मस्त लग रही हैं..यहाँ जितनी

भी गोरी मेम है ना..वो तो कुछ भी नही है आपके सामने...यू आर लुकिंग डॅम हॉट...


दिशा अंकित की बात सुन के उसे अपनी आँखों से घूर्ने लगती है....अंकित के फेस पे कोई टेन्षन नही था..


अंकित :- अच्छा चलो बाए..यही बोलने आया था में तो...(और फिर मूड के जाने लगता है)
 
रूको....तभी उसके कानो में आवाज़ पड़ती है..वो मुड़ता है..


दिशा :- थॅंक यू सो मच....


अंकित के चेहरे पे कमीनी वाली स्माइल आ जाती है..


दिशा :- वैसे कौन सी क्लास में हो


अंकित :- 8थ में..


दिशा :- 8थ में...बाते तो बहुत बड़ी है तुम्हारी..


अंकित :- ह्म्म अच्छा..तो आप कौन सी क्लास में हो..


दिशा :- 10 थ में..


अंकित :- क्लास के हिसाब से तो आपका भी सब कुछ बड़ा है.....(और अपने दाँत दिखा देता है)


दिशा उसे अपनी आँखें बड़ी करके घूर्ने लगती...लेकिन फिर एक कातिलाना स्माइल देती है..


दिशा :- तुम तो बड़े ही कमीनी हो...


अंकित :- हाँ...शायद...लेकिन जो सच है वो बोल देता हूँ..आप 10थ की नही लगती इसलिए बोला..जैसे

आपको मेरी बाते बड़ों वाली लगती है..वैसे मुझे आपका सब कुछ बड़ों जैसा लगता है..


इस बार दिशा अपनी हँसी कंट्रोल नही कर पाई.....और हँसने लगी...

उधर खड़े लड़कों का तो सब कुछ जल गया साले घूर घूर के देखने लगी..


अंकित :- अच्छा..बाए..आप एंजाय करो...


दिशा :- रूको..कहाँ जा रहे हो...


अंकित :- ह्म्म बोलो


दिशा :- आक्च्युयली मुझे सी के अंदर जाना है..पर कोई है नही..क्या तुम मेरे साथ चलोगे थोड़ी

मस्ती हो जाएगी...


(अपनी बॉडी को हिलाती हुई बोलती है)


अंकित के तो पैर काँपने लगते हैं उस सीन को देखने में...वो नीचे से दिशा को घूर्ने लगता

है...हाई गोरे गोरे एक़ दम पर्फेक्ट थिग्स...उपर एक छोटी सी कच्छि जिसके पीछे छुपी उसकी

छोटी सी इंसानो वाली कच्छि....उपर सपाट पेट..और उस ब्रा में क़ैद वो चुचे जिनकी दरार दिख

रही थी..मानो बस फॉरमॅलिटी के लिए धक दिया हो उसे ब्रा से......


दिशा :- बोलो..चलोगे..


अंकित होश में आते हुए..


अंकित :- यॅ श्योर...


और फिर दिशा के साथ अंकित चल पड़ा..सी के अंदर...और फिर जो हुआ थोड़ा बहुत उससे तो वहाँ कहदा एक एक लड़का बेचारा यही सोच रहा होगा कि अपना अपना लंड काट के फेंक दूं साला..किसी काम

का नही है....


उधर पानी के अंदर दोनो हंसते हुए खेल कूद रहे थे दोनो एक दूसरे के उपर पानी डाल रहे थे

कभी कभी दिशा फिसल जाती तो अंकित उसे उठाने के चक्कर में उसकी सॉफ्ट बॉडी पे हाथ लगाता

कभी कभी उसकी गान्ड तो कभी उसके चुचों पे हाथ लग जाता...उसका तो 8थ स्टॅंडर्ड में कच्छे

के अंदर बंबू बन गया था...


यही सोचते हुए अंकित के चेहरे पे बत्तीसी फट जाती है..और उसके हाथ धीरे धीरे खिसकते हुए

अपने लंड पे चले गये...जो पहले से ही राक सॉलिड की तरह आसमान छू रहा था......


पर..

क्रमशः...........................
 
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