Desi Sex Kahani कमीना पार्ट - II - SexBaba
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Desi Sex Kahani कमीना पार्ट - II

hotaks444

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कमीना पार्ट - II Incest


writer-RKS



दोस्तो आपके लिए एक और कहानी पेश है
चेतावनी ........... ये कहानी समाज के नियमो के खिलाफ है क्योंकि हमारा समाज मा बेटे और भाई बहन और बाप बेटी के रिश्ते को सबसे पवित्र रिश्ता मानता है अतः जिन भाइयो को इन रिश्तो की कहानियाँ पढ़ने से अरुचि होती हो वह ये कहानी ना पढ़े क्योंकि ये कहानी एक पारवारिक सेक्स की कहानी है 




कविता- सुनो ना एक बार चूत चाटो ना,
सोनू- पहले तुम मेरा लंड छोड़ो कब से मसल रही हो, कही ऐसा ना हो कि चोदने से पहले ही पानी निकल जाए,


कविता- नही मैं नही छ्चोड़ूँगी पर तुम थोड़ी देर मेरी चूत चाट लो ना प्लीज़,
सोनू- अच्छा चाटता हू, और फिर सोनू कविता की फूली हुई चिकनी चूत जिसके बाल सोनू ने खुद ही अभी थोड़ी देर पहले साफ किए थे को फैला-फैला कर खूब कस कस कर चूसने लगा और कविता सोनू के मोटे 10 इंच के लंड को खूब दबोच दबोच कर चूसने लगी, करीब 10 मिनिट तक सोनू अपनी बीबी कविता की मस्त फूली हुई रसीली चूत चाटता रहा और कविता भी अपने पति के मोटे और लंबे लंड को खूब दबोच दबोच कर चुस्ती रही, कविता की चूत देख देख कर सोनू बिल्कुल पागल हो रहा था और कविता उसे देख कर उसके लंड को दबोचते हुए मुस्कुरा रही थी,
सोनू- वाह मेरी जान क्या मस्त भोसड़ा है तेरा, मुझे ऐसे ही फूला हुआ भोसड़ा चूसने मे बहुत मज़ा आता है,



कविता- तो चूसो ना किसने मना किया है खूब दबा दबा कर खूब कस कस कर चूसो, आह आह ओह ओह ओह सोनू आइ लव यू आह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह खा जाओ मेरी चूत पूरी पी जाओ ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरे राजा और चूसो आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह,
सोनू- देख तो कविता तेरी चूत कितनी फूल गई है बिल्कुल मेरी.........
कविता- मुस्कुराते हुए क्या कहा तुमने,
सोनू- मुस्कुराकर कुछ नही,



कविता- मंद मंद मुस्कुरा कर, हे कितना मोटा लंड है आपका आज लगता है मेरी चूत फाड़ देगा,
सोनू- कविता के मोटे मोटे बोबे दबाते हुए, मेरी रंडी रानी यह मोटा लंड तो बड़ी बड़ी चुतो को भी फाड़ सकता है,
कविता- जानती हू तुम्हे तो खूब बड़े बड़े भोस्डे ज़्यादा पसंद आते है,
सोनू- मेरी जान तेरा भोसड़ा भी तो बिल्कुल बड़ी बड़ी औरतो की तरह हो गया है, जब भी मैं तेरी चूत चाटता हू तो लगता है कि अपनी..........



कविता- मुस्कुराते हुए क्या अपनी आगे भी तो कहो,
सोनू- मुस्कुरा कर कविता के मोटे मोटे दूध दबाते हुए, अच्छा मेरी रानी मूवी देखेगी,
कविता- वो जंगल वाली मूवी दिखाइए ना,
सोनू- अपने मन मे क्या बात है आज तो मेरी सती सावित्री चाय्स बता रही है,
सोनू- वही मूवी जिसमे उस आदमी का खूब मोटा और लंबा लंड था,
कविता- मुस्कुराते हुए, हाँ
सोनू- अच्छा कविता जब तू मुझसे दूर रहती है तो तुझे ऐसे ही मोटे मोटे लंड याद आते है ना,
कविता- मुस्कुरा कर सोनू के लंड को दबोचते हुए, हाँ


सोनू- ऐसे मोटे मोटे लंड को सोच कर क्या महसूस होता है, तुम अपनी आँखे बंद करके ऐसे मोटे लंड को अपने हाथो मे कस कर महसूस करती हो या फिर अपनी फूली हुई चूत मे महसूस करती हो,



कविता- मंद मंद मुस्कुराते हुए, अपनी चूत मे ऐसे मोटे लंड को महसूस करती हू,
सोनू- कविता को चूमते हुए, तुम्हे उस समय बहुत अच्छा लगता होगा ना,
कविता- हाँ,


सोनू अपने मन मे सोचता है कि आज पहली बार उसकी बीबी जो कि उससे तीन महीने बाद मिली है काफ़ी खुल कर बाते कर रही है, नही तो आज के पहले याने शादी के 12 साल हो जाने के बाद भी कविता को कोई मूवी दिखाओ या फिर किसी और मर्द के लंड की बात करो तो वह अपना मूड खराब कर लेती थी और सोनू से नाराज़ होकर कहती थी कि आप अपने लंड के अलावा मुझसे और किसी के लंड की बात ना किया करो मुझे अच्छा नही लगता है,


यहाँ तक कि कोई पॉर्न मूवी जब भी सोनू उसे दिखाता वह लंड चूसने वाले सीन को आगे बढ़ाने के लिए कहने लगती और सोनू से कहती कि उसे सिर्फ़ उसका ही लंड अच्छा लगता है,



सोनू उसकी गुलाबी बिना बालो वाली चिकनी चूत को चाटते हुए बार बार उसकी फूली हुई चूत को देख देख कर चूस रहा था, और मन ही मन खुस हो रहा था कि आज कविता मूवी के आदमी के मोटे लंड की बात कर रही थी, सोनू ने झट से वही जंगल वाली मूवी लगा दी जिसमे एक जंगली आदमी जिसका लंड करीब 10 इंच लंबा और काफ़ी मोटा था और वह जंगल मे भटक गई एक लड़की की जम कर चूत मारता है और वह लड़की उससे चुद कर मस्त हो जाती है, सोनू काफ़ी खुस हो रहा था क्यो कि उसकी भी फॅंटेसी कोई और थी और वह जब भी अपनी बीबी कविता की फूली हुई चूत चाटता था तब उसे अपनी फॅंटेसी वाली मस्त औरत की फूली हुई चूत याद आ जाती थी,



हालाँकि सोनू अपनी फॅंटेसी के बारे मे कविता को बता चुका था और सोनू हमेशा चाहता था कि उसकी बीबी उसकी फॅंटेसी के बारे मे गंदी बाते करे और फिर सोनू उसी औरत को चोदने की कल्पना करके कविता की मस्त भोसड़ी को खूब हुमच हुमच कर चोदे,



लेकिन कविता को इस बात को पहली बार सुन कर बड़ा झटका लगा था, शायद कोई भी औरत होती तो उसे झटका लगता, लेकिन कुच्छ समय बाद कविता भी कभी कभी मस्ती मे आकर सोनू को मज़ा देने के लिए उस औरत की बात सोनू से चुद्ते टाइम करने लगती थी लेकिन फिर कुछ दिन बाद कविता सोनू को उस औरत की बाते करने से मना करने लगी और कहने लगी सोनू मुझे यह सब अच्छा नही लगता , सोनू भी मजबूर होकर कविता से अपनी फॅंटेसी की बात नही करता था और बेमन से कविता को चोद्ता था, लेकिन सच तो यह था कि सोनू जब भी चुदाई करता उसे अपनी फॅंटेसी ही याद आती थी और सोनू अपनी बीबी को चोद्ते हुए ऐसा महसूस करता जैसे वह अपनी फॅंटेसी वाली औरत को पूरी नंगी करके चोद रहा है,
 
खेर सोनू ने जब देखा कि आज कविता पहली बार किसी पराए मर्द के मोटे लंड को याद कर रही है और उस पिक्चर को देखने की बात कर रही है तो सोनू मन ही मन खुस हो जाता है और वही जंगल वाली मूवी लगा कर कविता के मोटे मोटे दूध को मसलता हुआ उसके गालो को चूम कर अपने होंठो से कविता के कानो के पास आकर कहता है,




सोनू- कविता तुम्हे अकेले मे ऐसा ही मोटा तगड़ा लंड अपनी चूत मे महसूस होता है ना,
कविता- आह सी आह हाँ सोनू मुझे ऐसा मोटा लंड अपनी चूत मे घुसता हुआ महसूस होता है,



कविता की बात सुन कर सोनू भी मस्त हो जाता है और कविता के भारी भरकम मोटे चुतडो को दबाते हुए उसके मस्त फूले हुए भोस्डे को खूब कस कस कर दबाते हुए, हे कविता मुझे भी अकेले मे खूब बड़ी बड़ी फूली हुई चूत चाटने और खूब कस कस कर मस्त बड़ी बड़ी औरतो की चूत मारने का मन होता है,
कविता- आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह तो मार लिया करो ना बड़े बड़े भोस्डे को,




सोनू- कविता की चूत को अपने हाथो मे भर कर दबोचते हुए, हे रानी बताओ ना मैं किसकी मस्त फूली हुई चूत को अपने मोटे लंड से फाड़ दू,
कविता- जिसकी भी चूत फाड़ने का मन हो उसकी फाड़ दो,
सोनू- कविता की चूत को अपने हाथो से भर कर मसल्ते हुए, बताओ ना इस मोटे लंड से किसका भोसड़ा फाड़ दू,




कविता- अपनी मम्मी का भोसड़ा फाड़ दो और किसका, अपनी मम्मी को खूब नंगी करके चोदो और खूब कस कस कर अपनी मम्मी की चूत चाटो,
कविता की बात सुन कर सोनू कविता की मस्त फूली चूत को खूब कस कर अपने हाथो से फैला कर खूब ज़ोर ज़ोर से कविता की चूत को चाटने लगता है,
कविता- ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सोनू चाट और चाट आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह चाट ले बेटा अपनी मम्मी की मस्त फूली चूत को खूब ज़ोर ज़ोर से चाट आज फाड़ दे सोनू अपनी मम्मी की फूली हुई चूत को आआह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह,





कविता की बात सुन कर सोनू पागलो की तरह उसकी फूली हुई चूत को खूब कस कस कर चाटते हुए उसकी गान्ड के छेद को मसल्ने लगता है और कविता आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बेटे ओह सोनू चाट और चाट खूब कस कस कर चोद बेटा अपनी मम्मी को अया अया ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सोनू मैं गई मैं झड़ने वाली हू बेटा पीले अपनी मम्मी की सारी चूत,



पी जा ओह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स और इसी के साथ कविता अपने पति सोनू के मूह मे अपनी चूत का सारा पानी छोड़ देती है और सोनू अपनी बीबी की चूत को अपनी मम्मी की फूली चूत समझ कर उसकी बुर का सारा रस पी जाता है, कविता पूरी निढाल होकर अपनी जाँघो को फैला कर लेट जाती है और सोनू उसके उपर चढ़ा कर उसकी मस्त चूत की ठुकाई शुरू कर देता है और लगभग 1 घंटे तक वह अपनी बीबी कविता की चूत खूब कस कस कर ठोकता है और कविता भी उसे यह कह कह कर जोश दिलाती रहती है कि चोद बेटा चोद अपनी मम्मी की चूत,
 
आज रात भर अपनी मम्मी को पूरी नंगी करके चोद्ता रह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बेटे और मार खूब कस कर अपनी मा के भोस्डे मे अपना मोटा लंड डाल कर चोद बेटा, तेरी मम्मी को ऐसे ही मोटे तगड़े लंड से चुदने का मन होता है, मार बेटा खूब कस कस कर अपनी मम्मी की चूत मार ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह सोनू फाड़ दे बेटा अपनी मम्मी की चूत, और फिर कविता एक दम से सोनू के बदन से चिपक जाती है और उसका पानी छूटने लगता है,

क्रमशः.......................................
 
कमीना पार्ट - II Incest--2



तभी सोनू भी अपनी आँखे बंद किए हुए अपनी मम्मी के मस्त फूले हुए भोस्डे को खूब कस कस कर चोदने की कल्पना करता हुआ अपनी बीबी कविता की चूत मे झाड़ जाता है.

कुच्छ देर बाद कविता नींद की आगोश मे चली जाती है और सोनू फ्लश बॅक मे अपनी लाइफ के बारे मे सोचने लगता है जब वह ****एडिटेड****साल की उमर मे था और जब पहली बार उसने किसी 33 साल की औरत को पूरी नंगी देखा था और नंगी भी कुच्छ इस तरह की उसने उस औरत की फूली हुई चूत और मोटी गंद के बड़े से छेद को भी इतनी करीब से और इतने साफ तरीके से देखा था जिस तरह से आज वह अपनी बीबी कविता को नंगी देख रहा था, बस तब से ही सोनू ऐसी बड़ी उमर की रंडियो के लिए पागल हो गया था, और यह उसके जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई थी कि उसने पहली बार जिस भरपूर जवान और गदराई औरत का नंगा जिस्म देखा था वह कोई और नही बल्कि उसकी अपनी मम्मी रति थी, और तब से सोनू ने कितनी बार और किस तरह अपनी मम्मी रति को नंगी देखा और क्या क्या मज़े मारे यह सभी बाते वह लेटे लेटे सोचने लगा,

वह अपनी पुरानी यादो मे खोने लगा और यही कारण था कि अभी अभी अपनी मस्त गदराई बीबी की चूत मारने के बाद भी उसका लंड फिर से खड़ा होने लगा था.

दोस्तो आगे की कहानी अब सोनू के मूह से ज़्यादा मज़ा देगी सो लेट्स स्टार्ट...............................................................

मैं अपने घर पर बैठा था, मैं काफ़ी खुस था क्यो कि मेरी 12त की एग्ज़ॅम जस्ट ख़तम हुई थी और इस साल से कॉलेज जाने का भी पूरा चान्स था क्यो कि मेरे पेपर पास होने लायक गये थे,

छोटा भाई और बहन इधर उधर सुबह से ही खेल रहे थे और तभी रति, मेरी मोम टॉवेल ले कर बाथरूम की ओर जाने लगी, मम्मी थोड़ी भरे बदन की है और उसकी मस्त मटकती मोटी गंद देख कर मेरा लंड पाजामे मे यह सोच कर तन गया कि अभी मोम को पूरी नंगी देखूँगा, यह कोई नया वाकीया नही था, ताक झाँक करने की तो मेरी पुरानी आदत थी लेकिन अपनी मोम रति को मैं कब से नंगी देख रहा हू यह मुझे भी ठीक से याद नही, पर हाँ इतना ज़रूर जानता हू कि जब से जानने लायक हुआ तब से उसे नंगी देखने और उसके गदराए जिस्म का एहसास पाने का एक भी मोका छोड़ता नही था,

लेकिन सबसे ज़्यादा मज़ा तो तब आता था जब पापा उसे अपनी बाँहो मे भर कर उसके एक एक अंगो को जब खूब दबा दबा कर मसल्ते थे और वह पूरी नंगी होकर पापा से खूब चिपकते हुए कराहती थी, और फिर जब पापा उसकी गान्ड दबा दबा कर जब जम कर उसकी चूत की ठुकाई करते थे तब मैं वह सब नज़ारा देख कर जन्नत मे पहुच जाता था, मोम थी तो बड़े हेवी बदन की, लेकिन जब पापा उसे पूरी नंगी करके चोद्ते थे तब पापा उसे किसी लोंड़िया की तरह अपनी गोद मे उठा कर उसे खूब चोद्ते थे, बस उनकी चुदाई मे एक ही कमी थी कि पापा कभी मम्मी की चूत और गान्ड चाटते नही थे और ना ही मम्मी को मैने कभी पापा के लंड को चूस्ते हुए देखा था,

हालाकी यह बात मुझे बाद मे पता चली कि औरतो की चूत को चूसा और चाटा भी जाता है और औरते भी मर्दो के लंड को खूब कस कस कर चुस्ती है,

रति- सोनू मैं नहाने जा रही हू, गॅस पर कुक्कर चढ़ा हुआ है एक सीटी के बाद गॅस बंद कर देना,

सोनू- ठीक है कर दूँगा,
 
मोम जैसे ही बाथरूम मे घुसी मैं दूसरे कमरे मे गया वहाँ बॅड पर उसकी पैंटी और ब्रा रखी हुई थी, जिसे जाकर मैने उठा लिया और उसकी पैंटी को कस कर सूंघते हुए चूमने लगा,

यह रोज का काम था और मोम की पैंटी हाथ मे लेते ही मेरा लंड पूरी औकात मे आ चुका था, मैने धीरे से बाहर का गेट बंद कर दिया और फिर बाथरूम के छेद से अंदर देखने लगा,

मम्मी ब्लाउज और साड़ी उतार चुकी थी और उसके कसे हुए मोटे मोटे दूध उसकी ब्रा फाड़ने की कोशिश कर रहे थे, मोम ने नल चालू किया और बाल्टी मे ब्लाउज डाल दिया और फिर अपना पेटिकोट उतार कर उसे भी बाल्टी के पानी मे डाल दिया, ब्लॅक कलर की पैंटी मे उसकी फूली हुई मोटी मोटी चूत का उभार देख कर मैने अपना लंड मसलना शुरू कर दिया, उसकी चूत दिन पर दिन कुच्छ ज़्यादा ही फुल्ती जा रही थी और उसका पेट भी लगातार बढ़ता जा रहा था, शायद पापा के लंड की ठुकाई से उसका जिस्म हर रोज थोड़ा थोड़ा गदराता जा रहा था,

मैं अपने लंड को मसल्ते हुए उसकी मोटी मोटी जाँघो को घूर रहा था, तभी मम्मी ने अपनी पैंटी भी उतार दी, हे उसकी चूत पर एक भी बाल नही था, और उसकी फूली नंगी चूत देख कर दिल कर रहा था कि अभी के अभी उसकी चूत को अपने हाथो मे भर कर दबोच लू,

लंड तो मेरा कई औरतो को देख कर खड़ा होता था लेकिन मोम को नंगी देखने पर ना जाने क्यो सबसे ज़्यादा मज़ा आता था और जब भी मूठ मारता था तब बस यही सोचने मे आता था कि मोम को पूरी नंगी करके खूब कस कस कर उसकी चूत मार रहा हू, या यह समझ लो कि जब भी मूठ मारता था तब मोम और पापा की चुदाई के सीन आँखो के सामने चलने लगते थे बस फ़र्क इतना होता था कि मेरी कल्पनाओ मे पापा की जगह मैं खुद मोम को हर तरह से पूरी नंगी करके खूब कस कस कर चोद्ता था,

तभी मोम पूरी तरह से नल की ओर घूम गई और जैसे ही मेरी आँखो के सामने उसके भारी भरकम बिल्कुल दूध से सफेद चूतड़ आए तो मैं उसके मस्त चुतडो को देख कर मस्त हो गया,

और फिर मोम अचानक झुक कर कपड़े बाल्टी मे सर्फ डाल कर गलाने लगी, बस फिर क्या था मोम की मोटी गान्ड की दरार और साथ मे उसका एक बित्ते का बड़ा सा चिकना भोसड़ा पूरी तरह मेरी आँखो के सामने आ गया, औरतो को इस रूप मे देखने का मज़ा ही अलग होता है, और फिर मोम की मोटी गुदाज गान्ड और उसकी गान्ड की गहरी दरार और उस पर इतना चिकना और फूला हुआ भोसड़ा जिसकी फांके एक दूसरे से सटी हुई, बया नही कर सकता कितना कामुक नज़ारा था वह,

उस नज़ारे की कल्पना मात्र से लंड खड़ा हो जाता था, और फिर मोम एक दम से नीचे बैठ गई और अब मेरे सामने बस उसका चेहरा और उसके मोटे मोटे दूध ही थे, अब मैं जानता था कि मोम कपड़े धोकर फिर नहाएगी और मैं उसे इतनी अच्छि तरह से नंगी देख चुका था कि दूध देखने के लिए दरवाजे के छेद पर झुका नही रह सकता था और फिर मैं थोड़ी देर इधर उधर घूमने लगा, और फिर कुच्छ देर बाद फिर से उसी छेद से नज़रे जमा देता,

करीब आधे घंटे बाद मोम पेटिकोट को मूह से दबाए अपने दूध छुपाए हुए मेरे सामने से दूसरे रूम मे चली गई और वहाँ जाकर अपनी ब्रा और पैंटी पहन कर बाकी के कपड़े भी पहन कर अपने काम मे जुट गई,

अभी मैं खाना ही खा रहा था कि मेरी मौसी सरला आ गई, मौसी के दो बच्चे थे एक 8 साल का और दूसरा 10 साल का, हालाकी वह मोम की तरह सुंदर नही थी लेकिन फिगर उसका भी मस्त था, उसकी गंद और जंघे काफ़ी मोटी नज़र आती थी लेकिन मैने उसे कभी नंगी नही देखा था इसलिए पूरा अंदाज़ा भी नही लगा सकता था कि वह नंगी कैसी दिखती होगी, हाँ एक बार जब वह मोम के द्वारा बनाए गये ब्लाउज को ट्राइ कर रही थी तब मैने उसके मोटे मोटे दूध ज़रूर देखे थे उसके दूध बड़े सख़्त थे लगता था जैसे मौसा को दूध दबाने मे ज़्यादा दिलचस्पी नही थी,

वरना कोई और उसके दूध देख लेता तो चार महीनो मे ही निचोड़ कर रख देता लेकिन मौसी की शादी को कई साल हो चुके थे लेकिन साली के दूध आज भी खूब कसे हुए थे,

दोनो बहने अंदर के कमरे मैं पसर कर बाते करने लगी मुझे उनकी बाते साफ सुनाई तो नही दे रही थी लेकिन जब दोनो खिलखिला कर हँसती तब आवाज़ एक दम से साफ आने लगती थी,

वैसे तो मैने उनकी बाते कई बार सुनी लेकिन कोई खास बात सुनने को नही मिली, फिर भी उनकी बातो को सुनने के लिए मैं उत्सुक रहता था, और फिर आज जो बाते उन दोनो ने की उससे यह लगा कि कुच्छ भी हो यह दोनो छीनाल तो नही है पर रंडीपने की बातो मे उन्हे भी खूब मज़ा आता है,
 
सरला- दीदी जानती है अभी मैं सोनू के स्कूल के सामने से पेदल चली आ रही थी तब एक आदमी स्कूल की दीवार से सटा हुआ मूत रहा था, और मूतने के बाद अपना लंड ऐसे दबा दबा कर सहला रहा था जैसे मूठ मार रहा हो,

रति- मुस्कुराकर, चुप कर बेशरम कही सोनू ना सुन ले,

सरला- सच दीदी यह आदमी लोग कैसे खड़े खड़े मूत देते है ना,

रति- मुस्कुराकर, क्यो तूने किसी औरत को खड़ी होकर मुतते नही देखा क्या,

सरला- मुस्कुराकर, देखा है ना दीदी,

रति- हैरत से सरला को देखती हुई, किसे देखा है तूने,

सरला- खिलखिला कर हँसते हुए, खुद को, सरला एक बार फिर हसी और कहने लगी सच दीदी कई बार तो मैं जब नंगी होकर बाथरूम मे नहाती हू तो खड़े खड़े ही मूत लेती हू,

रति- हँसते हुए तू अपनी हर्कतो से बाज नही आएगी,

सरला- अच्छा दीदी सच बताओ तुमने कभी खड़े खड़े मुता है कि नही,

रति- मुस्कुराते हुए, चुप कर सरला, दो दो बच्चो की मा हो गई है पर तेरा बच्पना अभी तक नही गया

सरला- बताओ ना दीदी, प्लीज़

रति- मुस्कुराकर शरमाते हुए, हाँ मुता है और एक बार नही कई बार

सरला- कब दीदी,

रति- अरे पगली औरते ऐसे तब मुतती है जब उनका खूब मन करता है,

सरला- सही कह रही हो दीदी, मेरा भी उस दिन खूब मन कर रहा था, तभी मेरी खड़े खड़े मूतने की इच्छा होने लगी,

रति- अब चुप कर और यह बता तू गाँव जाने वाली थी तो क्या हुआ,

सरला- दीदी जाना तो बहुत ज़रूरी है लेकिन क्या करू इनको छुट्टी ही नही मिल रही और मैं अकेली इतना लंबा ट्रेन का सफ़र कैसे करूँगी, उपर से दोनो चन्गु मंगु भी साथ रहेगे,

रति- तो फिर क्या सोचा है,

सरला- दीदी तुम कहो तो सोनू को साथ ले जाउ,

रति- ठीक है ले जा पर अभी से रिज़र्वेशन करवा ले नही तो बाद मे नही मिल पाएगा,

सरला- ठीक है दीदी मैं आज ही उनसे कह देती हू,

ठीक 8 वे दिन मैं मौसी और उसके दो बच्चो को लेकर चल दिया मौसा ने कहा बेटे दो ही बर्त मिली है अड्जस्ट कर लेना मैने कहा ठीक है कोई दिक्कत नही है,

रति- सोनू बेटे ध्यान रखना, तेरी मौसी तो ट्रेन पकड़ते ही घोड़े बेच कर सो जाती है इसे बस और ट्रेन मे बहुत नींद आती है, रात भर का सफ़र है ध्यान से जाना,

सोनू- फिकर ना कर माँ मैं ध्यान रखूँगा, उसके बाद हम लोग चल दिए,
......................................................................
अचानक कविता ने करवट लेते हुए मेरे लंड पर हाथ रख कर उसे पकड़ा और एक दम से मुझसे सॅट गई और कहने लगी,

कविता- गजब के आदमी हो तुम अभी थोड़ी देर पहले ही मुझे चोद कर सोए थे और अब देखो तुम्हारा लंड कितना तना हुआ है, सच सच बताओ किसके बारे मे सोच रहे थे,

सोनू- मैने कविता की नंगी चूत पर हाथ फेरते हुए कहा, मेरी रानी आज एक पुरानी घटना याद आ गई इसलिए मेरा लंड इस तरह तना हुआ है,

कविता- कौन सी घटना मुझे भी बताओ ना,

सोनू- अभी सो जाओ बाद मे बताउन्गा,

कविता- नही अभी बताओ,

सोनू- अरे बाबा अभी हम चोद कर फ्री हुए है अब कल अच्छे मूड मे बताउन्गा,

कविता- अच्छा यह तो बता दो किसके बारे मे थी वह घटना,

सोनू- मुस्कुराते हुए, तू साली मानेगी नही, वह घटना मेरी मौसी सरला के बारे मे थी,

कविता- उठ कर बैठते हुए, तो फिर कल नही मुझे अभी सुनना है,

सोनू- मैं जानता था यही कहेगी,

कविता- अब बताओ भी,

सोनू- अरे कुच्छ नही रे, बस एक बार मैं उसके साथ ट्रेन मे गाँव गया था तब मैने उसकी चूत पर हाथ फेर दिया था,

कविता- हे राम, और उन्हे पता नही चला,

सोनू- शायद नही चला,

कविता- ठीक से बताओ ना क्या हुआ था,

सोनू- ठीक है तू मेरा लंड सहला मैं तुझे ठीक से बताता हू,

कविता- तेल लगा कर सहलाऊ

सोनू- ठीक है,

कविता मेरे लंड पर तेल लगा कर उसकी मसाज करने लगी और मैं उसे उस दिन के बारे मे बताने लगा जब मैने अपनी मौसी की भरी हुई गुदाज जवानी को अपने हाथो से पूरी रात खूब सहलाया और दबाया था,
 
कमीना पार्ट - II Incest--3

ट्रेन मे एक सीट पर चंगू और मंगु (मौसी के बच्चे) को सुला दिया और दूसरी सीट पर मैं और मौसी बैठ गये रात के 9 बज गये थे और ट्रेन अपनी रफ़्तार से चल रही थी, हम लोग खाना खा चुके थे, मैं लोवर बर्थ विंडो सीट पर बैठा था और मेरे पास मे मौसी बैठी हुई थी, मैं विंडो के बाहर का नज़ारा कर रहा था और मौसी बैठे बैठे ही झपकीया लेने लगी थी, थोड़ी थोड़ी ठंड भी थी तभी मौसी ने बॅग मे से कंबल निकाल कर मुझसे कहा,

सरला- सोनू मुझे बड़ी नींद आ रही है मैं लेट जाउ, कुच्छ देर मे सो लेती हू फिर मैं उठ जाउन्गि तब तू सो जाना,

सोनू- अरे मौसी आप आराम से सो जाओ वैसे भी मुझे ट्रेन मे नींद नही आती है, बस इतना सुनना था कि मौसी ने अपने पेर मेरी तरफ करके लेट गई और अपने उपर कंबल डाल लिया और अपने पेरो के थोड़ा आगे कंबल करके उसे मेरी जाँघो पर भी डाल दिया और कहने लगी तू भी थोड़ा ओढ़ ले ठंड बहुत है और फिर मौसी सो गई, मैं बैठा बैठा इधर उधर देख रहा था जहाँ और भी लोग अपनी अपनी सीट पर सोने की तैयारी कर रहे थे,

अचानक मौसी ने एक पेर लंबा किया और मेरी जाँघ से उसका पेर टच होने लगा, उसकी गोरी पिंडलिया से साड़ी थोड़ा उपर उठ गई थी और उसका एक पेर कंबल के बाहर निकल आया था, मौसी की गोरी पिंडलिया देख कर मेरी पॅंट के अंदर सुरसूराहट होने लगी और मैने धीरे से आजू बाजू देखा और कंबल से उनके पेर ढक दिए, लेकिन अब मुझसे रहा नही जा रहा था, मेरे हाथ भी कंबल के अंदर घुसे हुए थे,

मैने धीरे से मौसी की गोरी गोरी पिंडलियो को हाथ लगाया तो सच उसकी गुदाज कसावट और चिकनाहट के एहसास से मेरा लंड एक दम से 90 डिग्री के कोण जैसा तन गया, मौसी का मूह कंबल के बाहर था लेकिन गर्दन एक ओर लुढ़की हुई थी, मैं मौसी के मूह की ओर देखता हुआ उसकी गोरी गोरी पिंडलियो को सहलाता रहा, धीरे धीरे मेरी इच्छा और उपर तक हाथ फेरने की होने लगी, हल्का हल्का डर भी लग रहा था और आस पास भी ध्यान देना पड़ रहा था,

वैसे तो मेरे और मौसी के उपर कंबल था और मेरी हरकत कंबल के अंदर हो रही थी इसलिए कोई हमारी ओर देखता भी तो मैं मौसी की टाँगो को अंदर ही अंदर सहलाते हुए विंडो के बाहर देखने लगता था, रात के 10 बज चुके थे मैं बराबर मौसी के कभी एक पेर को सहलाता कभी दूसरे का जयजा लेता, जितनी डिस्टेन्स पर मैं बैठा था वहाँ से मेरा हाथ सिर्फ़ मौसी के घुटनो तक ही पहुच पा रहा था, अब मेरा मन मौसी की गुदाज मोटी मोटी जाँघो को सहलाने और दबाने का कर रहा था, वैसे भी अपनी मौसी की मोटी मोटी सुडोल जाँघो को सहलाने की कल्पना से ही मेरा लंड पागल हुआ जा रहा था,

मैने धीरे से अपने आपको मौसी की ओर सरका लिया, और धीरे से मौसी के एक पेर को उपर उठा कर अपनी जाँघो पर रख लिया अब मैं मौसी के पेरो के पास कुछ इस कदर बैठा था कि अगर चाहता तो उसके मोटे मोटे दूध तक भी हाथ ले जा सकता था, आस पास के लोगो ने लाइट भी ऑफ कर दी और महॉल एक दम मेरे हिसाब का हो गया, अब सिर्फ़ डर था तो मौसी के जागने का इसके अलावा कोई प्राब्लम नही थी, अब मैने हिम्मत करके मौसी की मोटी मोटी जाँघो पर जैसे ही डरते हुए हाथ रखा उसकी मोटी जाँघो और उस पर भरे हुए मुलायम गोस्त के एहसास ने मेरे लंड को पॅंट फाड़ने के लिए मजबूर कर दिया,

कुच्छ देर मैं उसकी जाँघो को धीरे धीरे सहलाता रहा फिर उसके बाद मैने अपने हाथ को जाँघो के नीचे की तरफ ले जाकर जब उसकी गुदाज जाँघो को अपने हाथो मे भर कर दबोचा तो क्या बताऊ ऐसा आनंद लाइफ मे कभी महसूस नही किया, क्या जबरदस्त और मोटी जंघे थी उसकी, मौसी इतनी गहरी नींद मे लग रही थी कि मेरा रहा सहा डर भी ख़तम हो गया और मैं मौसी की मोटी जाँघो को मन मर्ज़ी से जितना ज़्यादा हो सकता था दबा रहा था,

कविता- आपके जंघे दबाने के बाद भी उनकी नींद नही खुली,

सोनू- नही वह तो सच मुच घोड़े बेच कर सो रही थी मैं उसकी जाँघो को खूब मसल रहा था, कुच्छ देर बाद मैने धीरे से हाथ आगे बढ़ाया और मेरा हाथ जैसे ही मौसी की पैंटी से टच हुआ मैं सिहर गया और बिना रुकते हुए मैने धीरे से जब मौसी की पैंटी के उपर से उसकी फूली हुई चूत को सहलाया तो एक दम से मस्त हो गया इतनी उठी हुई चूत और वो भी मुलायम पैंटी के उपर से हाई क्या बताऊ कविता मन तो किया कि उसकी मस्त फूली भोसड़ी को अपने हाथो मे भर कर कस कर भींच लू लेकिन मैं जानता था ऐसा करने पर कही वह उठ ना जाए,

मैं बड़े प्यार से उसकी फूली हुई चूत को पैंटी के उपर से कभी सहलाता और कभी हल्के हल्के उसकी चूत को दबा देता, अब मैं अपने हाथ से मौसी की जाँघो और चूत को मन माफिक तरीके से कभी सहला रहा था और कभी दबा रहा था और वह मस्ती मे सो रही थी,

कविता- अच्छा उनकी पैंटी गीली लग रही थी कि नही,

सोनू- अब इतना मेरा ध्यान नही गया वैसे भी उस समय मैं छोटा ही था मुझे इतना अनुभव नही था मैं तो बस उसकी मस्तानी चूत को सहलाने और दबा दबा कर महसूस करने मे ही मगन था, रात के 1 बज रहे थे अब मेरा डर ना के बराबर था इसीलिए मैने मौसी की टाँगो को थोड़ा फैला दिया और उसकी चूत के हर हिस्से को छु छु कर महसूस करने लगा,
 
कभी उसकी जंघे कभी उसकी चूत और फिर धीरे से और उपर हाथ ले गया उसका पेटिकोट नाभि के काफ़ी उपर बँधा था और उसके उठे हुए गुदाज पेट और पेडू पर हाथ फेरने मे जो मज़ा आ रहा था वह बता नही सकता बहुत ही गुदाज और उठा हुआ पेट था उसका,

कविता- फिर क्या हुआ,

सोनू- फिर क्या था बीच मे एक बार 2 बजे मूतने गया और सारी रात मौसी की नंगी जवानी को सहलाता और दबाता रहा,

कविता- उनकी पैंटी मे हाथ डाल कर चूत नही सहलाई,

सोनू- अरे पागल वह सो रही थी बेहोश नही थी अगर पैंटी के अंदर हाथ डालता तो कितनी पक्की नींद होती वह जाग जाती,

कविता- बड़े कमिने है आप अपनी मौसी को भी नही छोड़ा,

सोनू- क्या करू रानी जब वह अपनी भारी जंघे खोल कर मेरे इतने करीब पड़ी थी तो मैं कैसे कंट्रोल कर सकता था,

कविता- खेर वो तो है और वैसे भी जब आप ने अपनी मम्मी को ही नही छोड़ा तो फिर क्या मौसी और क्या कोई और, देखो मम्मी का नाम लेते ही आपके लंड मे कैसे झटने आने लगते है,

सोनू- कविता की चूत को दबोचता हुआ हाँ मेरी रानी, सच तो यह है कि मम्मी के नाम से ही मेरा लंड तुरंत खड़ा हो जाता है, सच मे आपकी मम्मी भी बड़ी चुड़क्कड़ है, खूब तबीयत से पापा से अपनी चूत मरवाती है ना,

सोनू- हाँ यह तो है,

कविता- एक बात कहु, आपकी मौसी भी मुझे कम छिनाल नही लगती है, मुझे तो लगता है उस रात ट्रेन मे वह जाग रही होगी और जानबूझ कर आप से अपनी चूत दबबा रही होगी,

सोनू- पता नही लेकिन मुझे तो यही लग रहा था कि वह सो रही है,

कविता- नही मैं सच कह रही हू, वरना भला ऐसा भी कभी होता है क्या कि कोई किसी औरत की चूत मे हाथ फेरे और उसकी फूली हुई चूत को दबाए और औरत को पता ना चले,

सोनू- हो सकता है,

कविता- मैं पक्का कह सकती हू वह जनभुज कर आप से अपनी चूत दबवा रही थी, अगर आप उसकी पैंटी मे हाथ डाल कर भी उसकी चूत की फांको को दबाते या उसकी चूत के छेद मे उंगली डाल देते तब भी वह उठती नही,

सोनू- अगर ऐसा होता तो उसका मस्त भोसड़ा वही मार देता,

कविता- मूह बनाते हुए, तुम्हारे मन मे बस अपनी मा और मौसी ही बसी रहती है मेरा तो जिस्म जैसे आपको अच्छा ही नही लगता है,

सोनू- कविता का मूह पकड़ कर उसके रसीले होंठो को चूमता हुआ, मेरी रानी तेरी चूत और गान्ड तो दुनिया की सबसे खूबसूरत चूत और गाण्ड है उपर से यह मोटे मोटे दूध, तू नही जानती तू कितना मस्त माल है, तुझे देखते ही लोगो का लंड खड़ा हो जाए, तू तो मेरी गुड़िया रानी है, मेरा बच्चा है,

कविता- मुस्कुराकर लंड को दबाते हुए, बच्चा नही हू मैं आपका,

सोनू- तो फिर क्या है,

कविता- मम्मी हू आपकी, बोलो अपनी मम्मी की चूत पियोगे, देखो कितना पानी छोड़ रही है आपकी मम्मी की चूत,

कविता अपने मस्त भोस्डे को अपनी दोनो टाँगे उठा कर मुझे दिखाने लगी, वाकई मेरी बीबी का मस्त भोसड़ा बिल्कुल मेरी मम्मी के फूले हुए भोस्डे जैसा ही लग रहा था,

कविता- मुस्कुराकर अपनी चूत पर हाथ फेरते हुए, ले बेटा चाट ले अपनी मा की मस्त बुर को, पी जा इसका सारा रस,

कविता की हर्कतो ने मुझे पागल कर दिया था और मैने उसकी मोटी गान्ड के नीचे एक तकिया लगा कर उसकी चूत को और उभार कर फैला लिया और फिर यह सोच सोच कर उसकी चूत चाटने और चूसने लगा जैसे मैं अपनी मम्मी रति की चूत फैला फैला कर चाट रहा हू,

कविता- अया आ आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह सोनू बेटा चाट और ज़ोर से चाट, लाल कर दे अपनी मम्मी की चूत चाट चाट कर आहह आ ऑश्फ्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सोनू खा जा अपनी मम्मी की प्यासी बुर को,

मैं कविता की बाते सुन सुन कर और भी जोश के साथ उसकी फूली हुई बुर को अपनी मोम की चूत समझ कर खूब ज़ोर ज़ोर से चूस रहा था और कविता मुझे मम्मी का नाम ले ले कर और भी उत्तेजित करती हुई मेरे मूह पर अपनी चूत मार रही थी, तभी कविता ने उठ कर मेरे लंड को पकड़ लिया और मेरा मूह चूमते हुए कहने लगी बेटे अब अपनी मम्मी की चूत अपने इस मोटे मूसल से चोद चोद कर फाड़ दे,

सोनू- कविता का मूह पकड़ कर, पहले अपनी जीभ दिखा, मेरे कहते ही कविता ने अपनी जीभ बाहर निकाली और मैने उसकी रसीली जीभ को अपने मूह मे भर कर चूसना शुरू कर दिया, कविता के होंठो और जीभ को पीते हुए मैं खूब कस कस कर उसके दूध दबा रहा था और कविता मेरे मूह मे अपनी जीभ डाल डाल कर मेरे लौडे को दबोच रही थी, कुच्छ देर तक उसकी जीभ का रस पीने के बाद मैने उसे उसी तकिये पर गान्ड रख कर लेटा दिया और फिर उसके फूले भोस्डे मे अपना लंड रख कर एक ज़ोर के धक्के के साथ पूरा लंड जड़ तक घुसा दिया,

कविता की चूत पानी पानी हो रही थी और मेरा लंड आसानी के साथ उसमे फिसल रहा था, कविता ज़ोर ज़ोर से आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह करती हुई मुझे मम्मी का नाम ले कर उकसा रही थी और मैं खूब कस कस कर उसकी चूत मार रहा था,

कविता- ओह ओह आह आहह सी सी सीई ओह सोनू फाड़ दे अपनी मा का भोसड़ा खूब कस कस कर चॉड बेटे अपनी मम्मी को खूब कस कस कर मार अपनी मम्मी का मस्त भोसड़ा, मैं भी दनादन कविता की ठुकाई कर रहा था और कविता अपनी गान्ड उठा उठा कर मेरे लंड पर मारते हुए बार बार बस यही कह रही थी कि सोनू बेटे ठोक खूब ठोक आज फाड़ दे अपनी मम्मी की चूत और फिर वह छन भी आ गया जब दोनो एक दूसरे को मस्त तरीके से कस कस कर ठोकते हुए एक दूसरे की चूत और लंड को जड़ तक घुसा कर कस कर चिपक गये और दोनो की नसो ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया, कविता दूसरी चुदाई के बाद जल्दी ही गहरी नींद मे चली गई और मैं फिर से फ्लश बॅक मे चला गया,
 
जब हम वापस गाँव से लोटे तब मौसी का देवेर भी साथ मे नौकरी के चक्कर मे आया जिसकी वजह से जाने वाले मज़े को आते समय मैं नही पा सका, कुछ समय बाद मेरे फादर ने एक दूसरे शहर मे घर ले लिया और हम वह सहर छोड़ कर चले गये हालाकी मौसी के शहर से उसकी दूरी 100 किमी थी इसलिए अब मौसी हमारे यहाँ या फिर मोम उनके यहाँ 1 महीने मे एक बार चली जाती थी,

आज नये घर मे आने को 1 महीने से ज़्यादा हो चुके थे और मेरे बाप ने घर ऐसा लिया था कि मोम डॅड के रूम मे लोहे के दरवाजे थे और लोहे की खिड़किया और कही से भी मोम को चुद्ते हुए देखने की व्यवश्था नही थी मैं बड़ा बेचैन था उपर से बाथरूम भी ऐसा था जहा बहुत कम रोशनी थी अंदर झाँकने पर ख़तरा रहता था,

अब तो बस मैं सिर्फ़ इतना ही कर सकता था कि मोम की पनटी सूंघ कर उन्हे देख देख कर ही मूठ मार लेता था, समय गुज़रता गया और मैं पढ़ने के लिए बड़े शहर चला गया और पढ़ाई के बाद वही नौकरी करने लगा इसी बीच मेरी शादी भी कर दी गई और जब बीबी से मिला तो उसे ठीक से चोद भी नही पाया क्यो कि कुछ समय के लिए आई और मुझे कोई प्रॅक्टिकल अनुभव था नही,

फिर मैं वापस अपनी नौकरी मे चला गया और बीबी को जब घरवाले वापस लाए तो ना मैं उनसे कह सका कि मैं उसे अपने साथ ले जाता हू और ना ही उनकी कोई इच्छा थी कि बहू उन्हे छोड़ कर मेरे पास रहने आए, बस हर 1 महीने मे 2 दिन के लिए मैं आता और बीबी को चोद कर चला जाता, समय गुज़रता गया और मैं और ज़्यादा सेक्सी हो गया क्योकि बराबर चूत तो चोदने को मिलती नही थी और उपर से दिन भर नेट पर सेक्स मे लगा रहता था, एक नया चस्का और लग गया था और वह था कविता से फोन पर चोदने की बाते करना,

क्रमशः...................................
 
कमीना पार्ट - II Incest--4

शुरू शुरू मे तो कविता बहुत झिझकति थी लेकिन मेरे बार बार कहने पर वह भी सेक्स की बाते ज़्यादा नही तो कम से कम फोन पर मेरे साथ 1 घंटे खड़ी रहती और मैं उससे चुदाई की बाते करके समय पास करता, आज बहुत खुस था दीवाली की 4 दिन की छुट्टी मिली थी और चार दिन मे कविता को कम से कम 8 बार दिन और रात दोनो टाइम के हिसाब से चोदने का प्लान करके जा रहा था,

मैं तो सारी रात चोद्ता लेकिन कविता का हाल ऐसा था कि एक बार चोद दो तो झट से सो जाती थी, मैं अब चोदने मे एक दम एक्सपर्ट हो गया था और फ़िल्मे देख देख कर ओरल सेक्स करने लगा था, बड़ा मज़ा आता और फिर जब मैं घर पहुचा तब घर मे कोई नही था और कविता अकेली मेरे आने का वेट कर रही थी, साड़ी ब्लाउज मे किसी भरी पूरी औरत की तरह गदराए बदन को देख कर मुझे एहसास हुआ कि वह पूरी तरह मम्मी की तरह मस्त माल नज़र आ रही थी,

वैसे भी बच्चा होने के बाद औरत कुच्छ ज़यादा ही गदरा जाती है, मुझसे रहा नही गया और मैने उसे अपनी बाँहो मे भर लिया और कविता भी मुझसे ज़ोर से चिपक गई, मैं पागलो की तरह कभी उसके दूध दबाता कभी उसकी मोटी मोटी गंद को साड़ी के उपर से दबाता और कभी उसकी चूत को साड़ी के उपर से ही मुट्ठी मे भर कर भींच लेता, उसके होंठो और गालो को मैं कब तक उसके दूध और मोटी मोटी गान्ड दबाते हुए चूमता रहा यह मुझे भी याद नही रहा,

मम्मी को नंगी देखे एक लंबा टाइम बीत चुका था और कविता जब ब्याह कर आई थी उसमे और अब की कविता मे ज़मीन आसमान का फ़र्क हो चुका था अब वह पूरी औरत बन चुकी थी, और मैण तो बचपन से ही बड़ी बड़ी अपनी मम्मी जैसी औरतो को चोदने का दीवाना था, आज कविता ने मुझे मम्मी की गदराई नंगी जवानी की फिर से याद दिला दी थी और मेरा लंड बैठने का नाम ही नही ले रहा था,

कविता- अब छोड़िए भी क्या दिन भर ऐसे ही खड़े खड़े मुझे प्यार करते रहेंगे, चलिए हटिए मैं आपके लिए चाइ बना कर लाती हू, मैने कविता को छोड़ दिया और वह मुस्कुराते हुए अपनी मोटी गान्ड मटका कर अंदर जाने लगी और उसकी मस्त उठी और चौड़ी गान्ड देख कर मैं मस्त हो गया और किचन मे जाकर उसकी गान्ड से अपने लंड को सटा कर फिर से उसके मोटे मोटे दूध दबोच कर उसे चूमने लगा,

कविता को भी इतने दिन बाद अपनी जवानी मसलवाने का मोका मिला था इसलिए मेरे पकड़ते ही उसकी आँखे बंद हो गई और उसने अपने आप को मेरी गिरफ़्त मे ढीला छोड़ दिया, तभी मेरा छोटा सा बच्चा रोने लगा और कविता को जैसे होश आया,

सोनू- कविता माँ कहा है,

कविता- आस पास बैठी होगी अभी आ जाएगी,

चाइ पीने के बाद मोम आ गई और उन्हे और कविता को एक साथ देखने पर महसूस हुआ कि दोनो के गदराए बदन बिल्कुल भारी है, हालाकी मोम बड़ी उमर की होने की वजह से थोड़ी ज़्यादा भारी और हैल्थि लग रही थी उनका पेट कविता के पेट से ज़्यादा उठा हुआ और बड़ा था और उनकी गान्ड भी इस समय कुच्छ ज़्यादा ही मोटी और चौड़ी नज़र आ रही थी, मोम मेरे पास आकर बैठ गई और उनकी भारी भरकम जाँघो के सपर्श ने मेरे लंड को फिर ताव मे ला दिया था,

कुच्छ देर मोम बैठी रही और फिर पास के मार्केट से सब्जिया लेने का कह कर चली गई मैं हाथ मूह धोकर लूँगी मैं आ चुका था और कविता किचन मे कुछ काम कर रही थी, मैं कविता के पास गया और उससे सेक्सी बाते करने लगा वह लूँगी मे मेरा लंड तना हुआ था और फिर ना जाने कैसे मैं कविता को वह सब भी बताता चला गया जो फ्फीलिंग मुझे मोम की गदराई जवानी देख कर आती है और कविता वह सब सुन कर सॉक्ड हो गई..........

आज काफ़ी दिनो बाद मोम को देखा था और कविता मेरी बाँहो मे थी मैं कविता को शुरू से लेकर आख़िरी तक वह सब बताने लगा जो जो मैने मोम और डॅड को करते देखा, कविता का हाथ पकड़ कर मैने लूँगी के अंदर खड़े लंड पर रख दिया और उसकी फूली हुई चूत को उसकी साड़ी के उपर से दबाते हुए, उसे सब बताने लगा, कविता बड़े ध्यान से मेरी एक एक बात सुन रही थी उसके चेहरे पर आश्चर्य और सेक्स दोनो के भाव नज़र आ रहे थे, तभी बाहर किसी ने दरवाजा बजाया और कविता मेरे लंड को ज़ोर से मसल्ते हुए कहने लगी

कविता- सोनू अभी नही रात को अच्छे से बताना कि कैसे तुमने मोम को पापा से चुद्ते हुए देखा था अभी कोई दरवाजे पर

आया है, मैने कविता की चूत को कस कर मसल्ते हुए उसे छोड़ दिया और वह अपनी मस्त गुदाज गान्ड को मटकाते हुए

दरवाजा खोलने चली गई,

रति- मुस्कुराते हुए अंदर आ गई, सोनू के लिए चाइ बनाई कि नही,

कविता- बना दी है, आपको भी दू,

रति- ला दे दे थोड़ी सी,

मैं चेर पर बैठ गया और मोम को देखने लगा उनकी साड़ी उनके उठे हुए पेट से काफ़ी नीचे बँधी थी उनकी गहरी नाभि और

गुदाज पेट बहुत ही कामुक नज़र आ रहा था तभी मैने कविता की ओर देखा तो पाया कि उसने मेरी नज़रे पकड़ ली है और मेरी ओर हल्के से मुस्कुराकर आँख दिखाती हुई किचन मे चली गई, मोम इधर उधर की बाते करने लगी लेकिन मैं अपनी नज़रो को बार बार उसके गुदाज पेट और नाभि से नही बचा पा रहा था, एक बार तो मोम ने भी मुझे अपना पेट घूरते हुए देख लिया और फिर नज़रे दूसरी ओर कर के चाइ की चुस्किया लेने लगी,
 
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