desiaks
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“अब क्या, तू आ गया है ना, अब जल्दी कर, और न तड़पा मुझे।” अपनी टांगें फैला कर अपनी चूत दिखाते हुए बोली। बेकरार हो रही थी चुदने के लिए।
“क्या करूं?” शैतान मजा ले रहा था।
“चोद मुझे हरामी, तब से छेड़ रहा था नादान।” खीझ उठी वह।
“कैसे?”
“ऐसे मां के लौड़े ऐसे।” खीझ कर उठी और झपट पड़ी क्षितिज पर। उसके टी शर्ट को नोच लिया रेखा ने। उसके बरमूडा को, जो इलास्टिक से कमर पर टिका हुआ था खींच कर उतार दिया झटके से रेखा ने। उत्तेजना का पारावार न था रेखा का।
हड़बड़ा ही तो गयी रेखा, जब उसका 8″ लंबा और वैसा ही मोटा लिंग फनफना कर उसके सामने उठक बैठक करने लगा। “बा्आ्आ्आ्आ्आ्आप्प्प्प्प्प् रे्ए्ए्ए्ए्ए बा्आ्आ्आ्आ्आ्आप्प्प्प्प्प्, इत्त्त्त्त््त्त्आ्आ्आ्आ्आ लंबा ््आआ््आआ््आआ और इत्त्त्त्त््त्त्आ्आ्आ्आ्आ मोटा्आ्आ््आआ।”
“क्य इत्त्त्त्ता लंबा और मोटा?”
“लंड रे लंड। तेरा लंड, गधे जैसा लंड।”
“ओह, मेरा लौड़ा? मैं तो समझता था यह नॉर्मल साईज है लंड का।”
“न न न न, तू रहने दे। मरना नहीं है मुझे। मेरी चूत फट जाएगी। तू जा बाबा जा।” सचमुच घबरा गयी थी वह।
“कभी हां कभी ना, क्या आंटी आप भी ना। साफ साफ बोलिए ना।”
“क्या बोलूं मैं। तेरे लंड ने तो डरा ही दिया।”
“आखिर करना क्या है इस लंड से जो आप इतना डर रही हैं?” हाय कितना भोला बन रहा था।
“तुझे पता नहीं है क्या किया जाता है लंड से?” ताज्जुब से बोली रेखा।
“नहीं” अनजान बनता हुआ बोला।
“हाय मेरे भोले बच्चे। चूत में लंड डालकर चोदते हैं रे, चुदाई करते हैं।”
“तो चोदने दीजिए ना।”
“फट जाएगी रे मेरी चूत शैतान।”
“आप मुझे बना रही हैं। इतने साल से चुदाई नहीं हो रही है क्या आपकी? फटी क्या?” ताज्जुब से बोला वह।
“हां फटी, पहली बार फटी।”
“फिर और नहीं चुदी क्या आप?”
“चुदी, कई बार चुदी।”
“क्यों चुदी कई बार?”
“क्योंकि एक बार चुदने के बाद मेरी चूत फट कर बड़ी हो गयी, फिर मजा आने लगा।”
“आप ही बोल रही हैं कि पहली बार फट कर बड़ी हो गयी आपकी चूत फिर मजा आने लगा, तो अभी फिर फटकर थोड़ी और बड़ी हो जाएगी न आपकी चूत, फिर मजा आने लगेगा ना।” बड़ी मासूमियत से बोला वह।
“हां शायद तुम ठीक कह रहे हो। लेकिन तेरा लंड असाधारण रूप से बड़ा है, इसलिए डर रही हूं।”
“तो ठीक है मैं जाता हूं।” मायूसी से बोला।
“हाय मेरे बच्चे, मायूस मत हो। आजा बेटा आजा, चोद ले, फटेगी चूत तो फटने दे, झेल लूंगी मैं। ऐसी आग लगा दी है तेरी मां ने कि मैं जल रही हूं। खुद तो भाग गयी बदमाश और छोड़ गयी मुझे इस जलती आग में झुलसने के लिए।” जल्दी से बोल उठी वह। डर गयी थी कि कहीं आया हुआ इतना मस्त मर्द हाथ से निकल न जाए। दिल ही दिल में खुश हो गया वह। फंस गयी चिड़िया।
“यह हुई न बात। अब आगे क्या करूं?” शरारत पर उतर आया था वह।
“टूट पड़ मां के लौड़े। मुझ पर टूट पड़ मादरचोद। अब यह भी मैं बोलूं कि अपनी बांहों में ले ले हरामी। चोद मुझे, बुझा दे मेरे तन में लगी आग।” बेहद बेकरार हो रही थी साली कुतिया।
“वाह आंटी, बहुत खूब। सोच लीजिए, फट जाएगी आपकी चूत।”
“फटने दे साले कुत्ते।” वासना की आग क्या से क्या बना देती है इन्सान को।
“क्या करूं?” शैतान मजा ले रहा था।
“चोद मुझे हरामी, तब से छेड़ रहा था नादान।” खीझ उठी वह।
“कैसे?”
“ऐसे मां के लौड़े ऐसे।” खीझ कर उठी और झपट पड़ी क्षितिज पर। उसके टी शर्ट को नोच लिया रेखा ने। उसके बरमूडा को, जो इलास्टिक से कमर पर टिका हुआ था खींच कर उतार दिया झटके से रेखा ने। उत्तेजना का पारावार न था रेखा का।
हड़बड़ा ही तो गयी रेखा, जब उसका 8″ लंबा और वैसा ही मोटा लिंग फनफना कर उसके सामने उठक बैठक करने लगा। “बा्आ्आ्आ्आ्आ्आप्प्प्प्प्प् रे्ए्ए्ए्ए्ए बा्आ्आ्आ्आ्आ्आप्प्प्प्प्प्, इत्त्त्त्त््त्त्आ्आ्आ्आ्आ लंबा ््आआ््आआ््आआ और इत्त्त्त्त््त्त्आ्आ्आ्आ्आ मोटा्आ्आ््आआ।”
“क्य इत्त्त्त्ता लंबा और मोटा?”
“लंड रे लंड। तेरा लंड, गधे जैसा लंड।”
“ओह, मेरा लौड़ा? मैं तो समझता था यह नॉर्मल साईज है लंड का।”
“न न न न, तू रहने दे। मरना नहीं है मुझे। मेरी चूत फट जाएगी। तू जा बाबा जा।” सचमुच घबरा गयी थी वह।
“कभी हां कभी ना, क्या आंटी आप भी ना। साफ साफ बोलिए ना।”
“क्या बोलूं मैं। तेरे लंड ने तो डरा ही दिया।”
“आखिर करना क्या है इस लंड से जो आप इतना डर रही हैं?” हाय कितना भोला बन रहा था।
“तुझे पता नहीं है क्या किया जाता है लंड से?” ताज्जुब से बोली रेखा।
“नहीं” अनजान बनता हुआ बोला।
“हाय मेरे भोले बच्चे। चूत में लंड डालकर चोदते हैं रे, चुदाई करते हैं।”
“तो चोदने दीजिए ना।”
“फट जाएगी रे मेरी चूत शैतान।”
“आप मुझे बना रही हैं। इतने साल से चुदाई नहीं हो रही है क्या आपकी? फटी क्या?” ताज्जुब से बोला वह।
“हां फटी, पहली बार फटी।”
“फिर और नहीं चुदी क्या आप?”
“चुदी, कई बार चुदी।”
“क्यों चुदी कई बार?”

“क्योंकि एक बार चुदने के बाद मेरी चूत फट कर बड़ी हो गयी, फिर मजा आने लगा।”
“आप ही बोल रही हैं कि पहली बार फट कर बड़ी हो गयी आपकी चूत फिर मजा आने लगा, तो अभी फिर फटकर थोड़ी और बड़ी हो जाएगी न आपकी चूत, फिर मजा आने लगेगा ना।” बड़ी मासूमियत से बोला वह।
“हां शायद तुम ठीक कह रहे हो। लेकिन तेरा लंड असाधारण रूप से बड़ा है, इसलिए डर रही हूं।”
“तो ठीक है मैं जाता हूं।” मायूसी से बोला।
“हाय मेरे बच्चे, मायूस मत हो। आजा बेटा आजा, चोद ले, फटेगी चूत तो फटने दे, झेल लूंगी मैं। ऐसी आग लगा दी है तेरी मां ने कि मैं जल रही हूं। खुद तो भाग गयी बदमाश और छोड़ गयी मुझे इस जलती आग में झुलसने के लिए।” जल्दी से बोल उठी वह। डर गयी थी कि कहीं आया हुआ इतना मस्त मर्द हाथ से निकल न जाए। दिल ही दिल में खुश हो गया वह। फंस गयी चिड़िया।
“यह हुई न बात। अब आगे क्या करूं?” शरारत पर उतर आया था वह।
“टूट पड़ मां के लौड़े। मुझ पर टूट पड़ मादरचोद। अब यह भी मैं बोलूं कि अपनी बांहों में ले ले हरामी। चोद मुझे, बुझा दे मेरे तन में लगी आग।” बेहद बेकरार हो रही थी साली कुतिया।
“वाह आंटी, बहुत खूब। सोच लीजिए, फट जाएगी आपकी चूत।”
“फटने दे साले कुत्ते।” वासना की आग क्या से क्या बना देती है इन्सान को।