desiaks
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पिछली कड़ियों में आपलोगों ने पढ़ा कि मेरे बेटे क्षितिज और मेरे बीच, मां बेटे के रिश्ते से दोस्ती, फिर प्रगाढ़ता, फिर अंतरंग अनैतिक शारीरिक संबंध स्थापित हो चुका था जो मुख मैथुन से शुरू कर योनि मैथुन से होते हुए गुदा मैथुन तक पहुंच चुका था। गुदा मैथुन से वह सर्वाधिक प्रभावित हुआ। मेरे गुदा मार्ग की उस संकरी गुफा में उसके लिंग का प्रवेश न सिर्फ उसके लिए बल्कि खुद मेरे लिए भी बेहद आनंददायक था। बेहद खुश हुआ वह और मुझ छिनाल मां को भी विस्मयकारी चोदन क्षमता से कायल कर दिया। अद्भुत खुशी प्रदान किया मुझे।
उसे वासना के दलदल में धकेलने की चिंता बिल्कुल नहीं थी मुझे। मुझे तो सिर्फ इस बात की चिंता खाए जा रही थी कि कब तक यह मेरे पल्लू से बंध कर रहेगा। उसकी मुझ पर आसक्ति की चिंता थी। कहीं वह सिर्फ मेरा होकर न रह जाए। इस तरह तो मैं भी बंध कर रह जाऊंगी, जबकि मुझ जैसी चुदक्कड़ औरत के लिए एक मर्द से बंध कर रहना निहायत ही कष्टकर था। मुक्त होना चाहती थी उसके बंधन से। इसके लिए मैं बेहद शातिराना तरीके से उसका ब्रेनवॉश कर रही थी। उसके मन में अन्य स्त्रियों के प्रति आकर्षण पैदा करना चाहती थी। एक बार उसे अन्य स्त्रियों में रुचि जाग जाए, अन्य स्त्रियों की देह का स्वाद चख ले, भिन्न भिन्न स्त्रियों की नग्न देह से संभोग के मजे से परिचित हो जाए तो निश्चित तौर पर ऐसी स्त्रियों से पटी पड़ी दुनिया में अपना शिकार तलाश कर शिकार करने लगेगा और मुझे भी अपने बेटे के बंधन से मुक्ति मिल जाएगी। स्वतंत्र हो जाऊंगी पुरुषों की भीड़ में घुस कर विभिन्न मर्दों से अपनी हवस की आग बुझाने के लिए।
इस वक्त तक एक दूसरे की नग्न देह से चिपके, मैं उसे काफी हद तक अपनी बातों से प्रभावित कर चुकी थी लेकिन मेरे हाथ की हरकतों से पुनः वह उत्तेजित हो चुका था। बेकरार हो चुका था पुनः मुझे चोदने के लिए और बेकरारी के आलम में बोला “ओह मॉम बहुत लेक्चर हो गया, मेरा पपलू रो रहा है। पहले इस हरामी लौड़े की चिंता कर, फिर से सर उठा कर छेद खोज रहा है मादरचोद घुसने के लिए।”
“हां रे हां मेरे बच्चे, चोद ले अपनी रंडी मां की चूत मां के लौड़े।” अब हम बिंदास हो गये थे। इतना सुनना था कि तत्काल पोजीशन लेने लगा, लेकिन इस वक्त मैं कुतिया बनना चाहती थी, अपने बेटे की कुतिया, कुतिया की पोजिशन में अपनी चूत प्रस्तुत करना चाहती थी। अपने बेटे को कुत्ता बनाना चाहती थी। “नहीं ऐसे नहीं, फिर से मुझे कुतिया बना और खुद कुत्ता बन जा। कुत्ते की तरह मुझे चोद मेरे बेटे। कुत्ते की तरह मुझ कुतिया मां की चूत चोद मेरे कुत्ते बेटे, शाबाश, हां ऐसे ही, मेरे पीछे से मुझ पर सवारी गांठ मादरचोद बेटे।” मैं पूरी बेशरम रांड बन गयी थी इस वक्त। खुश हो रही थी कि अंततः मना ही लिया अपने बेटे को अन्य स्त्रियों की ओर भी ध्यान देने के लिए। एक बार उसे अन्य स्त्रियों का स्वाद चखने की देर थी कि वह स्वछंद तौर पर अपना शिकार ढूंढ़ ढूंढ़ कर चोदता फिरेगा, ऐसा मेरा मानना था और मैं भी स्वतंत्रता पूर्वक पूर्ववत अपने मनपसंद, भिन्न भिन्न मर्दों से चुदवाती फिरूंगी।
आनन फानन कुतिया बन गयी और वह कुत्ते की तरह मुझ पर पीछे से सवारी गांठने आ पहुंचा। “उफ्फ्फ मॉम, इस पोजीशन में तो मुझे सिर्फ आपकी खूबसूरत गांड़ ही आकर्षित कर ही है। क्या खूबसूरत गांड़ है आपकी।”
उसे वासना के दलदल में धकेलने की चिंता बिल्कुल नहीं थी मुझे। मुझे तो सिर्फ इस बात की चिंता खाए जा रही थी कि कब तक यह मेरे पल्लू से बंध कर रहेगा। उसकी मुझ पर आसक्ति की चिंता थी। कहीं वह सिर्फ मेरा होकर न रह जाए। इस तरह तो मैं भी बंध कर रह जाऊंगी, जबकि मुझ जैसी चुदक्कड़ औरत के लिए एक मर्द से बंध कर रहना निहायत ही कष्टकर था। मुक्त होना चाहती थी उसके बंधन से। इसके लिए मैं बेहद शातिराना तरीके से उसका ब्रेनवॉश कर रही थी। उसके मन में अन्य स्त्रियों के प्रति आकर्षण पैदा करना चाहती थी। एक बार उसे अन्य स्त्रियों में रुचि जाग जाए, अन्य स्त्रियों की देह का स्वाद चख ले, भिन्न भिन्न स्त्रियों की नग्न देह से संभोग के मजे से परिचित हो जाए तो निश्चित तौर पर ऐसी स्त्रियों से पटी पड़ी दुनिया में अपना शिकार तलाश कर शिकार करने लगेगा और मुझे भी अपने बेटे के बंधन से मुक्ति मिल जाएगी। स्वतंत्र हो जाऊंगी पुरुषों की भीड़ में घुस कर विभिन्न मर्दों से अपनी हवस की आग बुझाने के लिए।
इस वक्त तक एक दूसरे की नग्न देह से चिपके, मैं उसे काफी हद तक अपनी बातों से प्रभावित कर चुकी थी लेकिन मेरे हाथ की हरकतों से पुनः वह उत्तेजित हो चुका था। बेकरार हो चुका था पुनः मुझे चोदने के लिए और बेकरारी के आलम में बोला “ओह मॉम बहुत लेक्चर हो गया, मेरा पपलू रो रहा है। पहले इस हरामी लौड़े की चिंता कर, फिर से सर उठा कर छेद खोज रहा है मादरचोद घुसने के लिए।”
“हां रे हां मेरे बच्चे, चोद ले अपनी रंडी मां की चूत मां के लौड़े।” अब हम बिंदास हो गये थे। इतना सुनना था कि तत्काल पोजीशन लेने लगा, लेकिन इस वक्त मैं कुतिया बनना चाहती थी, अपने बेटे की कुतिया, कुतिया की पोजिशन में अपनी चूत प्रस्तुत करना चाहती थी। अपने बेटे को कुत्ता बनाना चाहती थी। “नहीं ऐसे नहीं, फिर से मुझे कुतिया बना और खुद कुत्ता बन जा। कुत्ते की तरह मुझे चोद मेरे बेटे। कुत्ते की तरह मुझ कुतिया मां की चूत चोद मेरे कुत्ते बेटे, शाबाश, हां ऐसे ही, मेरे पीछे से मुझ पर सवारी गांठ मादरचोद बेटे।” मैं पूरी बेशरम रांड बन गयी थी इस वक्त। खुश हो रही थी कि अंततः मना ही लिया अपने बेटे को अन्य स्त्रियों की ओर भी ध्यान देने के लिए। एक बार उसे अन्य स्त्रियों का स्वाद चखने की देर थी कि वह स्वछंद तौर पर अपना शिकार ढूंढ़ ढूंढ़ कर चोदता फिरेगा, ऐसा मेरा मानना था और मैं भी स्वतंत्रता पूर्वक पूर्ववत अपने मनपसंद, भिन्न भिन्न मर्दों से चुदवाती फिरूंगी।
आनन फानन कुतिया बन गयी और वह कुत्ते की तरह मुझ पर पीछे से सवारी गांठने आ पहुंचा। “उफ्फ्फ मॉम, इस पोजीशन में तो मुझे सिर्फ आपकी खूबसूरत गांड़ ही आकर्षित कर ही है। क्या खूबसूरत गांड़ है आपकी।”