desiaks
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“आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, ओ्ओफ्फ्फ्फ्फ्फ, पागल जेठ जी, हां हां हां हां ऐसा ही ओह्ह्ह्ह्ह, मजा आ रहा है।” वह पगला रही थी। अब मैं मुह लगा कर उसकी चूचियों को चूसने लगा, वाह बड़ा आनंद आ रहा था। कुछ देर चूसने के बाद ही सरोज खुद ब खुद बोल उठी, “चोदिए, आह्ह अब चोद डालिए, अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा है आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।” मेरे लंड की लंबाई और मोटाई से बेपरवाह बोल रही थी वह। मैं भी चोदने को बेकरार था। वह अपने पैर फैला कर चित्त लेटी मेरे लंड को अपनी चूत के छेद के पास खुद ब खुद ले आई और पागलों की तरह कमर उछाल बैठी। मैं समझ गया कि अब मुझे उसकी चूत में लंड घुसाना है। मेरे लंड का सामन वाला हिस्सा उसकी चूत के मुंह पर रख कर धीरे धीरे घुसाने का प्रयास करने रगा, लेकिन बार बार मेरा लंड फिसल कर इधर उधर चला जा रहा था। तंग आ कर सरोज खुद मेरा लंड अपनी चूत के छेद पर टिका कर अपनी कमर दुबारा उछाल बैठी। निशाना सही था, फच्च से मेरे लंड का अगला हिस्सा उसकी चुत के अंदर घुस गया।
“आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह,” दर्द से चीख पड़ी वह। ताव ताव में वह जो कुछ कर बैठी थी वह कितना दर्दनाक होगा, शायद उसे अब पता चला था। लेकिन अब मुझे मंजिल मिल गयी थी। मेरे लंड को रास्ता मिल गया था। मैं मौका गंवाना नहीं चाहता था। उसकी कमर को पकड़ कर एक धक्का लगा दिया।
“ऊं्ऊं्ऊं्ऊं्ऊं्ह्ह्ह्ह्ह्ह हुम्म्म्म्म्म्म।”
“आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, मर गयी रे्ए्ए्ए्ए्ए्ए।” वह तड़प उठी दर्द के मारे। एक धक्के में ही मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ एक तिहाई अंदर चला गया। “छोड़िए, छोड़िए आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, फट्ट्ट्ट्ट्ट गयी मेरी चू्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्ऊत।” दर्द के मारे चीख उठी वह। पसीना पसीना हो गयी। लेकिन अब मुझे आनंद आ रहा था। मुझे स्वर्ग जैसा आनंद आ रहा था। मेरा लंड गरम गरम गुफा में समाता जा रहा था। मैं एक और जोर का धक्का लगा दिया। करीब करीब पूरा लंड चला गया अंदर। एक इंच शायद बचा था। “आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मा्आ्आ्आ्आ्र्र्र्र्र्र डा्आ्आ्आलिएग्ग्ग्गा क्या्आ्आ्आ्आ? ओ्ओफ्फ्फ्फ्फ्फ मां्आं्आं्आं कहां आ फंसी रे्ए्ए्ए्ए्ए्ए।” वह दर्द से तड़प रही थी लेकिन मैं अब जानवर बन चुका था।
“चो्ओ्ओ्ओ्ओ्प्प्प्प्प्प् हर्र्र्र्र्र्र्र्आ्आ्आ्आ्आमजादी। एकदम चो्ओ्ओ्ओ्ओ्प्प्प्प्प्प्।” मैं गुस्से में आ गया। सहम गयी वह मेरा जानवर वाला रुप देखकर। मुझे अब उसके चीखने चिल्लाने से गुस्सा आ रहा था। मेरे आनंद में खलल पड़ते देख मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। एक और धक्का मारा और पूरा का पूरा लंड उसकी चूत के अंदर चला गया। वह रो रही थी, सिसक रही थी, उसकी आंखों से आंसू निकल रहा था लेकिन मुझे कोई फर्क नहीं पड़ा। “हो तो गया, घुस तो गया, पूरा लंड तो घुस गया, अब रो काहे रही है हरामजादी।” खूंखार लहजे में मैं बोला।
“आह्ह, निकालिए ना्आ्आ्आ्आ्आ्आ। मेरी चूत को तो फाड़ दिया, अब मेरे बच्चादानी को भी फाड़ दीजिएगा क्या्आ्आ्आ्आ?” वह रोते रोते बोली। थोड़ा डर गया मैं। हड़बड़ा कर पूरा लंड बाहर निकाल लिया, लेकिन मुझे कुछ अच्छा नहीं लगा। फिर घुसाने की बड़ी इच्छा हो रही थी। उधर सरोज को भी पता नहीं क्या हुआ, शायद पूरा लंड बाहर निकालने से उसे भी कुछ अच्छा नहीं लगा, अपने आप कमर उचका कर थोड़ा लंड अंदर ले बैठी। “पूरा निकाल दिया, ओह्ह्ह्ह्ह, अंदर पूरा खाली खाली लग रहा है, ओह यह हमें क्या हो रहा है, लंड अंदर तो तकलीफ, लंड बाहर तो तकलीफ। क्या कर दिया जेठजी आपने?”
“अब मैं क्या करूं? ऐसी चुदाई होती है क्या?” खीझ उठा मैं।
“आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह,” दर्द से चीख पड़ी वह। ताव ताव में वह जो कुछ कर बैठी थी वह कितना दर्दनाक होगा, शायद उसे अब पता चला था। लेकिन अब मुझे मंजिल मिल गयी थी। मेरे लंड को रास्ता मिल गया था। मैं मौका गंवाना नहीं चाहता था। उसकी कमर को पकड़ कर एक धक्का लगा दिया।
“ऊं्ऊं्ऊं्ऊं्ऊं्ह्ह्ह्ह्ह्ह हुम्म्म्म्म्म्म।”
“आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, मर गयी रे्ए्ए्ए्ए्ए्ए।” वह तड़प उठी दर्द के मारे। एक धक्के में ही मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ एक तिहाई अंदर चला गया। “छोड़िए, छोड़िए आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, फट्ट्ट्ट्ट्ट गयी मेरी चू्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्ऊत।” दर्द के मारे चीख उठी वह। पसीना पसीना हो गयी। लेकिन अब मुझे आनंद आ रहा था। मुझे स्वर्ग जैसा आनंद आ रहा था। मेरा लंड गरम गरम गुफा में समाता जा रहा था। मैं एक और जोर का धक्का लगा दिया। करीब करीब पूरा लंड चला गया अंदर। एक इंच शायद बचा था। “आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मा्आ्आ्आ्आ्र्र्र्र्र्र डा्आ्आ्आलिएग्ग्ग्गा क्या्आ्आ्आ्आ? ओ्ओफ्फ्फ्फ्फ्फ मां्आं्आं्आं कहां आ फंसी रे्ए्ए्ए्ए्ए्ए।” वह दर्द से तड़प रही थी लेकिन मैं अब जानवर बन चुका था।
“चो्ओ्ओ्ओ्ओ्प्प्प्प्प्प् हर्र्र्र्र्र्र्र्आ्आ्आ्आ्आमजादी। एकदम चो्ओ्ओ्ओ्ओ्प्प्प्प्प्प्।” मैं गुस्से में आ गया। सहम गयी वह मेरा जानवर वाला रुप देखकर। मुझे अब उसके चीखने चिल्लाने से गुस्सा आ रहा था। मेरे आनंद में खलल पड़ते देख मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। एक और धक्का मारा और पूरा का पूरा लंड उसकी चूत के अंदर चला गया। वह रो रही थी, सिसक रही थी, उसकी आंखों से आंसू निकल रहा था लेकिन मुझे कोई फर्क नहीं पड़ा। “हो तो गया, घुस तो गया, पूरा लंड तो घुस गया, अब रो काहे रही है हरामजादी।” खूंखार लहजे में मैं बोला।
“आह्ह, निकालिए ना्आ्आ्आ्आ्आ्आ। मेरी चूत को तो फाड़ दिया, अब मेरे बच्चादानी को भी फाड़ दीजिएगा क्या्आ्आ्आ्आ?” वह रोते रोते बोली। थोड़ा डर गया मैं। हड़बड़ा कर पूरा लंड बाहर निकाल लिया, लेकिन मुझे कुछ अच्छा नहीं लगा। फिर घुसाने की बड़ी इच्छा हो रही थी। उधर सरोज को भी पता नहीं क्या हुआ, शायद पूरा लंड बाहर निकालने से उसे भी कुछ अच्छा नहीं लगा, अपने आप कमर उचका कर थोड़ा लंड अंदर ले बैठी। “पूरा निकाल दिया, ओह्ह्ह्ह्ह, अंदर पूरा खाली खाली लग रहा है, ओह यह हमें क्या हो रहा है, लंड अंदर तो तकलीफ, लंड बाहर तो तकलीफ। क्या कर दिया जेठजी आपने?”
“अब मैं क्या करूं? ऐसी चुदाई होती है क्या?” खीझ उठा मैं।