desiaks
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“आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह नहीं।” मैं फिर चीखी।
“अबे रफीक, ठोंक इस छिनाल के मुंह में लंड। बहुत हल्ला मचा रही है रंडी कहीं की।” सलीम बोला और वही हुआ। रफीक अपना दुर्गंध युक्त लिंग मेरे मुंह के पास लाया। घृणा से मैं मुंह बंद कर दी।
. “खोल मुंह कुतिया।” रफीक का एक जोरदार थप्पड़ मेरे गाल पर पड़ा। तभी मंगरू की दानवी शक्ति से उसका विशाल लिंग, मेरी सूखी गुदा को छीलता रगड़ता फाड़ता प्रविष्ट होता चला गया। पीड़ा से चीखने हेतु मेरा मुंह खुला, किंतु मेरी चीख हलक में ही रह गयी। रफीक का दुर्गंध युक्त लिंग मेरे खुले मुंह से प्रविष्ट हो कर हलक में जा फंसा। मेरी सांसें घुटने लगीं। मैं छटपटाने लगी। यह मुसीबत मानो कम था, सलीम पिल पड़ा था अपने लिंग का प्रहार मेरी योनि में करने। बड़ी मुश्किल से सांस ले पाने में सक्षम हो पायी मैं। फिर तो सब कुछ आसान होता चला गया। वास्तव में एक साथ तीनतरफे हमले से आरंभ में मैं संभल नहीं पायी थी, यही कारण था कि कुछ परेशानी हुई। लेकिन एक बार सबकुछ सज चुकने, व्यवस्थित और संयंत होने के पश्चात मेरे साथ जो भी नोच खसोट, गुत्थमगुत्थी, या जोर अजमाईश ये दरिंदे कर रहे थे वह सबकुछ मुझे आनंद प्रदान कर रहा था। मेरी योनि में सलीम लिंग की हलचल, गुदा में बाहुबली लिंग की खलबली और मुख में रफीक लिंग का जलवा, मैं मगन मन कामुकता के सैलाब में बहती रही, डूबती रही। मुझपर टूटा करीब आधे घंटे का कहर जब शांत हुआ तो मैं मेरे तन का सारा कस बल निकल चुका था। अपने मदन रस से सींच कर मेरी कामुक देह को सिंचित करके मुझे तृप्ति प्रदान करने के दौरान तीनों दरिंदे अपनी दरिंदगी के निशान मेरे तन के कई हिस्सों पर अंकित कर चुके थे। लेकिन प्राप्त सुख के आगे उन दरिंदगी के निशानों का मुझे रंच मात्र भी गिला नहीं था। वे तीनों भी मेरी रसीली देह का रसास्वादन करते हुए मुझ पर अपनी मरदानगी झाड़ कर तृप्त, लंबी लंबी सांसें ले रहे थे।
जब हम तनिक संभले तो निचुड़े, लस्त पस्त बेडरूम से बाहर आए। अबतक बाकी सब लोग भी आपस में निबट चुके थे। मर्द लोग तो चोद चाद कर संभल चुके थे लेकिन, सोमरी और कांता की चुदी चुदाई नग्न देह अस्त व्यस्त, अर्धमूर्छित अवस्था में अब तक पड़ी हुई थीं।
“क्या हाल कर दिया है साले कुत्तों, इन लोगों का?” मैं बोल पड़ी।
“क्या किया? वही किया जो तुमलोग कर रहे थे।” बोदरा बोला।
“हमलोग जो कर रहे थे, उसके बाद भी देख लो, मैं ठीक हूं। तुमलोगों नें तो इन्हें बेहाल कर दिया है।” मैं बोली।
“तू तो साली रंडी एक नंबर की है, तेरा क्या होने वाला है।” बोदरा बोला। मेरी नजर तभी घड़ी पर पड़ी। बाप रे बाप, छ: बज रहा था। कुछ ही देर में हरिया, रामलाल वगैरह के साथ पहुंचने वाला होगा।
“ठीक है, ठीक है। बस बस, ज्यादा बोलो मत। फटाफट कपड़े पहन कर तैया हो जाओ सब। हमारे घर के बाकी नमूने आने वाले होंगे। अगर इस हालत में उन लोगों नें हमें देख लिया तो गजब हो जाएगा। आज का प्रोग्राम खतम। अब बाकी फिर कभी। और हां बाकी कहानी, उनके आने तक बताएगा हीरा। ठीक है?” मैं बोली।
“ठीक है।” सब अपने कपड़े पहनने लगे। कांता और सोमरी बड़ी मुश्किल से खड़ी हो पायीं। उनके तन को भी इन लोगों नें बड़ी बेरहमी से कुत्तों की तरह नोचा था। बुर को को कर दिया था बदहाल, चूचियों को कर दिया था लाल। सभी व्यवस्थित हो कर पुनः अपने अपने स्थान पर आसीन हो गये।
आगे की कहानी अगली कड़ी में। तबतक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए।