एमटीएल भाई के कॉलेज जाने का बाद एफेक्ट हम हॉस्टिल वालो पर पड़ा, क्यूंकी सीडार हमारी ताक़त था और उसके कॉलेज मे ना होने का मतलब था कि एक बहुत बड़ा परिवर्तन...जिस सीनियर ने फर्स्ट सेमेस्टर मे मेरी रॅगिंग ली थी वो सीडार के जाने के बाद फिर से उठ खड़ा हुआ था, जिसकी जानकारी मुझे अमर सर ने दी ,जो कि अब फाइनल एअर मे थे....उन्होने बताया कि वरुण अपना बदला लेने के लिए कुच्छ तैयारी कर रहा है और उसके निशाने पर मैं हूँ इसलिए मैं थोड़ा संभाल कर रहूं....वरुण के साथ गौतम भी था, पिछले एक साल मे मैं गौतम के बारे मे बहुत कुच्छ जान चुका था जैसे कि उसका बाप डॉन टाइप का था और उसकी इस डॉनगिरी मे गौतम का अंकल उसका बखूबी साथ देता था...हमारे रिपोर्टर भू के ज़रिए मुझे ये भी मालूम चला कि गौतम के अंकल ने केयी लड़कियो का रेप भी किया है...लेकिन उस इलाक़े मे उसकी पकड़ होने के कारण वो आज तक बचता रहा....गौतम का बॅकग्राउंड पूरा जानने के बाद मैने डिसाइड किया कि अब मुझे ज़्यादा नही उड़ना है वरना बेकार मे मार दिया जाउन्गा....तू सोच भी नही सकता कि इस सेमेस्टर मे क्या-क्या हुआ....कुच्छ अच्छे पल भी थे जिनकी यादें आज भी सीने मे मौज़ूद है और उन अच्छी यादों के साथ कुच्छ बुरी यादें ,भयानक पल भी थे जिन्हे मैं कभी भुला नही पाया और शायद कभी ना भुला पाऊ....
.
बॅस्केटबॉल कोर्ट मे मेरे बुरे बर्ताव का नतीजा ये निकला कि कोच ने मुझे दोबारा बॅस्केटबॉल के कोर्ट मे बुलाने की जहमत नही उठाई...सच कहूँ तो जब से सीडार गया था मैं कुच्छ डरा-डरा सा रहने लगा था और अपने काम से काम रखता था...कुच्छ दिनो तक मेरी लाइफ मे लड़कियो के नाम पर मेरी क्लास की वो मोटी भैसी शेरीन और उसकी बदसूरत चमगादड़ जैसे मुँह वाली फ्रेंड्स ही थी...फर्स्ट एअर के लौन्डे और माल आ चुके थे और उनके आने के साथ ही वरुण अपनी आदत अनुसार उनकी रॅगिंग लेने मे लग गया था...इस सेमेस्टर मे बहुत कुच्छ चेंज हो गया था लेकिन एक चीज़ जो अभी तक नही बदली थी वो ये कि एसा अब भी मेरे लेफ्ट साइड मे बस्ती थी...अकेलेपन मे कभी-कभी वो मुझे याद आ जाती...
"रात के 11 बजे फ़ेसबुक पर क्या कर रही है बिल्ली..."फ़ेसबुक पर एश को ऑनलाइन देखकर मैने एक मेस्सेज टपकाया...
मैने एश को मेस्सेज तो कर दिया था लेकिन मैं जानता था की वो रिप्लाइ नही करने वाली...और साथ मे मैं ये भी जानता था कि वो रिप्लाइ कैसे करेगी....
"प्यार मे मेरी दीवानगी देखना तुम...
यदि खुद को ना मिटा दिया तो कहना..."
"इसका मतलब क्या हुआ अरमान "उसने तुरंत रिप्लाइ किया...
"कुच्छ नही..वो तो मैं किसी दूसरी लड़की को भेज रहा था ,ग़लती से तुम्हे पहुच गया...."
"इट'स ओके..."
मैने सोचा था कि एश अब मुझसे उस लड़की का नाम पुछेगि ,लेकिन उसने ऐसा नही किया...सच मे लड़कियो के बारे मे सारी थियरी ग़लत हो जाती है
"क्या कर रेली है इस वक़्त..."
"वो मैं तुम्हे क्यूँ बताऊ..."
"क्यूंकी....ईईईईई"
"ह्म्म्म."
"कुच्छ नही..."
"लॉल ! "
"डबल लॉल "
"ट्रिपल लॉल..."
"ये लॉल-लॉल खेलने के मूड मे है..."मैने सोचा और फिर "लॉल का स्क्वेर "लिखकर सेंड किया और जवाब मे उसने"स्क्वेर ऑफ लॉल का स्केर"भेजा...
"लॉल इन्फिनिट...अब आगे बढ़ा "
"लॉल इन्फिनिट+ 1 लॉल...."
"अब बंद कर ये सब "
"पहले बोलो कि तुम हार गये..."
"ओके मेरी माँ..इस लॉल-खोल के गेम मे तू जीती मैं हारा...अब खुश"
"याअ...ई वॉन..."
"वॉरल्डकूप भी दूं क्या..."
"लॉल..."
"वैसे तुमने बताया नही की तू इस वक़्त किससे भिड़ी थी फ़ेसबुक पर..."
"स्कूल की एक फ्रेंड थी मेरी..."
"लड़की है "
"हां...लेकिन ये तुम क्यूँ पुच्छ रहे हो..."
"सेट्टिंग करवा ना..."
"शट अप...."
"मैं तो ऐसे ही बोल रहा था...दिल पर मत ले...मुँह मे ले..."
"अरमान, आइ डॉन'ट लाइक दिस किंडा मज़ाक...क्क्क"
"नोट क्क्क..."
"सीसी ,गुडनाइट..."
"कितना जल्दी इसपर भूत सवार हो जाता है..."एश के ऑफलाइन होने के बाद मैं बड़बड़ाया और उसी वक़्त अरुण ,सौरभ के साथ रूम मे दाखिल हुआ...
"कहाँ घूम रहा है बे..."मैने अरुण से पुछा...
"पानी पीने गया था...रास्ते मे सौरभ मिल गया...तो सोचा आज रात टाइम पास हो जाएगा..."
"लवडा मेरा टाइम पास..."सौरभ ताव मे आकर बोला"मैं वर्कशॉप की कॉपी लेने आया हूँ..."
अरुण से वर्कशॉप की कॉपी लेने के बाद सौरभ वहाँ से जाने लगा लेकिन फिर पीछे पलट कर बोला कि बॉलीवुड के जिस-जिस गाने मे जुदाई वर्ड है ,उसके जगह पर चुदाई वर्ड लगाकर हम दोनो टाइम पास कर सकते है....
"एग्ज़ॅंपल दे दो एक..."
"एग्ज़ॅंपल...ह्म्म्मम,...जैसे कि...चार दिनो का प्यार-ओ-रब्बा...लंबी चुदाई..लंबी चुदाई..."
सौरभ के जाने के बाद अरुण कुच्छ देर तक बॉलीवुड के गानो की गान्ड मारता रहा और मैं सो गया....
.
दूसरे दिन सुबह मुझे कुच्छ ज़्यादा ही नीद आ रही थी इसलिए मैने अरुण को कह दिया कि वो अकेले कॉलेज चला जाए,मैं डाइरेक्ट दूसरे पीरियड मे आउन्गा....और जब मैं दूसरा पीरियड अटेंड करने कॉलेज गया तो गेट के पास ही मुझे विभा दिख गयी....
"कुच्छ काम-वाम से आई होगी,साली...या फिर वरुण से चूत मरवाने आई होगी..."मैने ऐसा सोचा और विभा को फुल्ली इग्नोर मारते हुए आगे बढ़ा....
"अरमान...तुम आज फर्स्ट पीरियड मे नही थे...राइट ! "
"हां...तो उसमे कौन सी बड़ी बात है...वो तो अक्सर होता रहता है..."पीछे पलटकर मैने विभा को जवाब दिया...
"अब तुम अपने बात करने का लहज़ा सुधार लो और आज से हर दिन फर्स्ट पीरियड मे दिखना...क्यूंकी फर्स्ट पीरियड फ्लूईड मेकॅनिक्स की है..."
"हेलो...हर लड़की प्रतिभा पाटिल नही होती,जो मैं उसकी बात मनाता फिरू..."
"आइ आम युवर न्यू टीचर ऑफ फ्लूईड मेकॅनिक्स..."
"ओ तेरी ये कब हुआ...कैसे हुआ...क्यूँ हुआ..."
"ये कल हुआ और मेरी ब्रिलियेन्स के कारण हुआ....क्यूंकी तुम्हारे सीसी के पुराने टीचर का ट्रान्स्फर दूसरे कॉलेज मे हो गया है..."
विभा पहले जो भी रही हो लेकिन अब वो मेरी टीचर थी...यानी कि बहुत सारा नंबर उसके हाथ मे था...इसलिए मैने विभा को उसी वक़्त गुड मॉर्निंग कहा और क्लास के अंदर घुसा....
.
"ये बीसी ,कैसो-कैसो को टीचर रख लेते है,हमारे कॉलेज मे...सालो ने हमारे कॉलेज को आगनबाड़ी का स्कूल बना दिया है...अब विभा हमे सीसी पढ़ाएगी..."अपनी मंडली मे शामिल होते ही मैं चीखा...चिल्लाया...
"उसकी *** चोद दूँगा...बीसी ज़्यादा उचक रही थी क्लास मे, खुद तो हर 5 मिनिट मे बुक देखती थी और मैने जब उसके एक क्वेस्चन पर किताब पलट ली तो साली की झान्टे सुलग गयी..."मेरे वहाँ बैठते ही अरुण भी चीखा...चिल्लाया और उसकी आवाज़ से जनवरो की तरह चिल्ला रही सारी क्लास एक दम से शांत होकर अरुण के तरफ देखने लगी....
"मुँह मे घुसा दूँगा,यदि किसी ने मेरी तरफ देखा तो..."अरुण एक बार फिर ज़ोर से चीखा...
.
जब क्लास का महॉल नॉर्मल हुआ और सारे स्टूडेंट्स फिर से जनवरो की तरह हल्ला मचाने लगे तो मैने अरुण से कहा कि थोड़ा ध्यान से बे,लड़किया भी है यहाँ...
"सब...सब साली रंडी है...लड़की के नाम पर कलंक है,इनको देखकर सारी औरत जात से नफ़रत होने लगती है और विभा तो महा म्सी है...साली कुतिया,छिनार,लवडा का बाल, कुकुर की झाट, गेंदे का सपूर्म,घोड़े की गान्ड...है वो..."
"अग्री...जा हिला के आ,रिलॅक्स हो जाएगा..."
"ये आइडिया मुझे क्यूँ नही आया...मैं अभी आता हूँ हिला के...चल तू भी चल.."
"मैं एक घंटे पहले ही ये कर चुका हूँ,तू जा..."
"बोसे ड्के,मूठ मारने के लिए क्लास बंक करता है..."मुझे गरियाते हुए अरुण क्लास से निकल गया....
"किसी ने मेरी प्रॉक्सी मारी क्या बे या फिर आपसेंट चढ़ गया..."
"मैने कोशिश की थी,लेकिन पकड़ा गया..."सुलभ ने अपना हाथ खड़ा करके कहा..."तेरे साथ-साथ मेरा भी अटेंडेन्स कट..."
"कोई बात नही, नयी-नयी टीचर बनी है तो कुच्छ जोश ज़्यादा है..."
"सीडार के बारे मे मालूम चला..."सुलभ जो कि मेरे बगल मे बैठा था उसने मुझसे पुछा...
"नही.."
"सीडार इसी शहर मे रहेगा.. एनटीएफसी मे उसकी जॉब लग गयी है..."
"क्या बात कर रहा है... तब तो एमटीएल भाई से पार्टी लेनी पड़ेगी..."
"या..ट्रू.."सुलभ ने कहा...
सुलभ हाइट और हेल्त-वेल्त मे मुझसे काम था लेकिन दिमाग़ के मामले मे वो मुझसे कहीं आगे था...यदि कोई टीचर अपना लेक्चर ख़त्म करने के बाद अपना घिसा-पिटा डाइलॉग मारते हुए बोले कि"इसे कोई समझा पाएगा पूरी क्लास को..."तो सबसे पहला हाथ सुलभ का उठता था...और वो टीचर्स के लेक्चर्स को मॉडिफाइ करके बहुत ही शालीनता से समझता....या फिर ये कहे कि सुलभ की कॅचिंग पॉवेर बहुत जबरदस्त थी...
.
मुझे ये जानकार थोड़ी खुशी हुई की सीडार इसी शहर मे है और उससे भी बड़ी खुशी तब हुई,जब उन्होने पार्टी के लिए हां कर दिया...
"यार भूख लगी है...आना कुच्छ खा-पी कर आते है..."अपने पेट पर हाथ फिराते हुए अरुण बोला...
"चलो..."मैं,सुलभ और सौरभ...वहाँ से उठे और कॅंटीन की तरफ चल दिए....
फर्स्ट एअर मे हॉस्टिल के जिस सीनियर ने मेरी रॅगिंग ली थी वो अब एक साल के बाद मुझे दिखने लगा था...वो मुझसे एक शब्द भी नही बोलता लेकिन उसकी आँखे बहुत कुच्छ कह जाती थी...वो कुच्छ सोच रहा था,शायद मेरे बारे मे या फिर अपने बदले के बारे मे....और इस वक़्त वो कॅंटीन मे मेरे सामने वाली चेयर पर वरुण के साथ बैठा हुआ था....
"अरमान ये साला तुझे घूर रहा है...तू बोल तो अभी साले को चाउमीन फेक के मारता हूँ..."
अरुण ने हॉस्टिल के उस सीनियर को घूरते हुए कहा...
"काहे को फालतू मे लड़ाई कर रहा है...तू अपना टंकी जैसा पेट भर..."
"जैसी तेरी मर्ज़ी..."
दिल तो मेरा भी कर रहा था कि हॉस्टिल के उस आस्तीन के साँप का मैं मुँह कुचल दूं...लेकिन मैने ऐसा कुच्छ नही किया,क्यूंकी मेरे सिक्स्त सेन्स ने मुझे बहुत बड़े लफडे की चेतावनी दे डाली थी...जिसमे मेरी हार हुई थी..जो फिलहाल मैं नही चाहता था....
.
"एक-एक प्लेट समोसा मस्त बना के देना बे...."अरुण ने कॅंटीन मे सॉफ-सफाई करने वाले एक छोटे लड़के से कहा....
"वो देख सामने...तेरे फेव. कपल.."सौरभ कॅंटीन के गेट की तरफ इशारा करते हुए बोला...
"ये तो एश और गौतम है..."
"देख...कैसे चिपकी रहती है एश ,गौतम से...मेरी बात मान अभी वक़्त है, उसको छोड़ और दूसरी ढूँढ...फर्स्ट एअर मे इस बार धांसु माल आई है..."
"चुप कर बे...यही तो प्यार है पगले.."
"क्या घंटा का प्यार है...एश ने तुझे एक नज़र उठा कर नही देखा..."
"हां यार, उसने तो टोटली इग्नोर मार दिया..."कहते हुए मैने अपने चेहरे पर हाथ से टेक लगाई और एश को देखने लगा....जो की गौतम को पसंद नही आया, वो अपनी जगह से उठा और सीधे मेरी तरफ बढ़ने लगा....
"हां यार, उसने तो टोटली इग्नोर मार दिया..."कहते हुए मैने अपने चेहरे पर हाथ से टेक लगाई और एश को देखने लगा....जो कि गौतम को पसंद नही आया, वो अपनी जगह से उठा और सीधे मेरी तरफ बढ़ने लगा....
गौतम को अपनी तरफ आता देख मेरे अंदर एक हाल चल सी मच गयी और अपने दोस्तो के सामने इस हलचल को छुपाने के लिए मैने सिगरेट का ऑर्डर दे दिया.....
"ये कॉलेज कॅंटीन है ,तेरा घर नही...जो तू यहाँ बीड़ी-सिगरेट की फरमाइश करेगा तो तुझे मिल जाएगी..."
"कुच्छ देर बाद मैं तो दारू का ऑर्डर देने वाला था..."
"बकवास बंद कर और ये बोल कि बॅस्केटबॉल प्रॅक्टीस करने का क्या लेगा...."हमारे सामने एक खाली चेयर पर बैठकर गौतम बोला"ये मत समझ लेना कि ये सब मैं कह रहा हूँ या फिर मैं चाहता हूँ कि तू हमारी टीम मे आए...ऐसा तो कोच ने कहा है....पता नही उन्हे क्या दिख गया तुझमे...जबकि हमारे पाँचो मेन प्लेयर्स अच्छा खेलते है..."
"अच्छा खेलना अलग बात है और मॅच जीतना अलग बात है...तुम सब बेशक कोर्ट मे दमदार खेल खेलकर अपनी टीम को आगे रख सकते हो ,लेकिन तुम इससे मॅच जीत नही पाओगे..."
"तो तेरे कहने का मतलब तू वो प्लेयर है..."
"99 % ,शुवर हूँ.."
"तो फिर आज सबके सामने एक-एक मॅच हो जाए...जिसमे सिर्फ़ मैं और तू रहेंगे...."
"सॉरी...नोट इंट्रेस्टेड..."बोलते हुए मैने कॅंटीन मे ऑर्डर सर्व करने वाले उस छोटे से लड़के को इशारे से अपने पास बुलाया...
"बोल ना डर गया..."
"अरमान क्यूँ इसको झेल रहा है...तू बोल तो अभी इसको पेल दूं..."अपने दाँत चबाते हुए अरुण ने कहा....
"चल शुरू हो जा..."वरुण, जो कि सामने वाली एक टेबल पर बैठा था ,वहाँ से उठकर सीधे हमारी तरफ आया और साथ मे हॉस्टिल का वो सीनियर भी....
"हां बोल ,क्या बोल रहा था..."अरुण की तरफ नज़र गढ़ाकर वरुण ने पुछा और सुलभ को वहाँ से जाने के लिए कहा...क्यूंकी सुलभ सिटी मे रहता था और वरुण के कुच्छ दोस्तो से उसकी दोस्ती भी थी....
"अब बोल,चॅलेंज आक्सेप्ट करेगा या नही.."गौतम अब भी अपनी बात पर अटका हुआ था....
"मैं तुझे अपना फाइनल रिज़ल्ट बताऊ ,उससे पहले एक कहानी सुन....जब मैं 7थ क्लास मे था तब मेरे स्कूल का प्रिन्सिपल मुझे बहुत परेशान किया करता था...साला क्लास मे हर उच-नीच का ज़िम्मेदार मुझे ठहराता था और फिर मारता भी बहुत था...उस वक़्त ना तो मुझे वो प्रिन्सिपल पसंद था और ना ही वो स्कूल...मैं चाहता था कि वो मुझे खुद स्कूल से निकाल दे...इसलिए मैने एक दो बार बहुत बड़े-बड़े कांड भी किए...लेकिन मुझे स्कूल से निकालने की बजाय उसने मुझे सिर्फ़ मारा-पीटा और फिर घर पर शिकायत भेजी...उससे परेशान होकर मैने एक दिन अपने स्कूल के प्रिन्सिपल की बेटी को जाकर सीधे यही कहा कि ""क्या वो मुझे अपनी चूत देगी..."" और उसके बाद प्रिन्सिपल ने तुरंत मुझे स्कूल से निकाल दिया...."
"इस कहानी की बत्ती बनाकर पिछवाड़े मे भर ले.."
"ये कहानी सुनकर मैं तुम सबको ये समझाना चाहता था कि यदि मुझे जो चीज़ पसंद हो तो उसे हासिल करने से तुम सबका बाप भी नही रोक सकता...और जो चीज़ मैं पसंद नही करता ,उसके लिए मेरा बाप भी कुच्छ नही कर सकता...."
"क्या तूने आज कॉलेज आने से पहले ये सोचा था कि आज तेरी ठीक वैसी ही पेलाइ होगी...जैसे कि फर्स्ट एअर मे हुई थी..."
"अरुण , डांगी अंकल को फोन लगा कर बोल कि कुच्छ लड़के मुझे धमका रहे है..."
"डांगी कौन...एस.पी. "
"हां..."
"तू उसे जानता है..."
"अक्सर शाम की चाय उन्ही के बंग्लॉ पर पीता हूँ...यकीन ना हो तो जाकर किसी से भी पुछ लेना...या फिर लास्ट एअर सीडार के हाथ से ठुकाई होने वाले इस गान्डुल से पुच्छ ले..."
.
उस दिन कॅंटीन मे पक्का कोई लफडा हो जाता यदि मैने आईं वक़्त पर एस.पी. का नाम ना लिया होता तो...एस.पी. का नाम सुनकर वो तीनो पीछे लौट गये और हम तीनो बड़े आराम से निकले....अरुण मुझसे हमेशा पुछ्ता रहता था कि मैं ये सब कैसे सोच लेता हूँ...एक दम अचानक से ऐसे धाँसू आइडियास मेरे भेजे मे कैसे आ जाते है....जिसका जवाब मैने उसे बस एक स्माइल देकर दिया लेकिन सच ये था कि ये सब सिचुयेशन्स मेरे दिमाग़ मे बहुत पहले से छप चुकी थी...मैं अपने मन से ही खुद को किसी परेशानी मे डाल कर उससे बाहर आने का तरीका ढूँढा करता था....और आज जो कुच्छ हुआ ये तो बहुत नॉर्मल सी बात थी...यदि आज कॅंटीन मे 20 लोग भी मुझे मारने के लिए आए होते तो मैं उन सबसे निपट लेता....आप चाहे तो मुझे एरोप्लेन से नीचे फेक दे या फिर बीच समुंदर मे शिप से नीचे उतार दे...मैं वहाँ भी आपको ज़िंदा रहने के काई तरीके बता सकता हूँ...क्यूंकी मैने ऐसी प्रॉब्लम्स मे खुद को कयि बार ख्वाब मे फसाया और निकाला है...जिसमे गूगल महाराज की भी बहुत बड़ी कृपा रही है....लेकिन मेरे द्वारा यूज़ किए गये टेक्नीक्स की कोई गॅरेंटी नही होती कि वो हमेशा फिट ही बैठेगी...क्या पता मेरी ही टेक्नीक कभी मेरी जान बचाने की बजाय मुझे और कमजोर बना दे.....
.
"अरमान आज दारू पीते है..."
"वो वर्कशॉप का फ़ौजी,हमारे उपर मशीन चढ़ा देगा...यदि आज कॉपी चेक नही करवाई तो..."
"*** की चूत उसकी....साले का लंड तोड़कर लेथ मशीन से काट दूँगा"
"चुप कर बे...एक तो ये दमयंती बोर कर रही है,उपर से तू और... तू जाकर कही और बैठ ना..."
"भाड़ मे जाए तू और तेरा वो फ़ौजी और तेरी माल दमयंती....अपुन तो दारू और दिव्या से ही खुश हूँ..."
"दमयंती मेरी माल
.
"और ज़ोर लगा...अबे बक्चोद उल्टा क्यूँ धकेल रहा है...पीछे से धक्का दे...."अरुण रूम के बाहर किसी को गरियाते हुए कुच्छ समझा रहा था....
"थका दिया बे तूने..."सौरभ अंदर आते हुए बोला....
और मेरी नज़र रूम के अंदर अभी-अभी घसीट कर लाए हुए आल्मिराह पर पड़ी...
"अबे ये किसकी आल्मिराह चुरा के लाए हो..."
"सौरभ की है..."कमर पर हाथ रखकर हान्फते हुए अरुण ने जवाब दिया....
"तो इसे यहाँ क्यूँ लाया है..."
"अब मैं भी इसी रूम मे रहूँगा..."बोलकर सौरभ ने अरुण को उठाया और अपना बिस्तर उठा कर लाने के लिए अरुण को पकड़ के ले गया.....
"साले दोनो गे है...मुझे तो दोनो को पहली बार देखते ही शक़ हो गया था.. "
.
"तूने अपना रूम चेंज क्यूँ किया...मतलब कि यहाँ ऑलरेडी दो थे और अब तीसरा....तू.."सौरभ का बेड जब मेरे बेड के बगल मे शिफ्ट हो गया तो मैने पुछा...
"वो मेरा रूम पार्ट्नर लफडा करता है साला...रात को 10 बजे लाइट बंद करने को कहता है और बोलता है कि वो सुबह उठेगा....इसलिए मेरी पढ़ाई जो थोड़ी-बहुत रात को होती है...वो नही हो पाती....दूसरा साला रोज सुबह-सुबह उठकर लाइट जला देता है और ज़ोर-ज़ोर से रट्ता मारता है,इस वजह से मेरी नींद पूरी नही हो पाती..."
"अरमान...तेरे मोबाइल मे नेट चल रहा है ना..."अरुण अपने मोबाइल मे कुच्छ देखते हुए बोला..
"हां..."
"ला दे...दिव्या ऑनलाइन है, अभी उसका मेस्सेज आया है..."
"लेकिन मैं बीएफ डाउनलोड कर रहा हूँ..."
"अबे पॉज़ मार उसको..."
डाउनलोडिंग रोक कर मैने मोबाइल अरुण को दिया और फिर आज कॉलेज मे जो पढ़ाया था उसपर एक नज़र मारी...इस बीच सौरभ अपना समान शिफ्ट करने मे और अरुण दिव्या से चॅट करने मे भिड़ा रहा...
"अबे यार, आधा घंटा तो हो गया है, अब तो मोबाइल दे... "
"रुक जा दो मिनिट...गुडबाइ बोल देता हूँ....."
दिव्या को गुड बाइ बोलने के बाद अरुण ने मोबाइल मुझे दिया और सौरभ के साथ नेट पॅक डालने चला गया....
"मैं भी थोड़ी देर फ़ेसबुक चलाता हूँ क्या पता एश ऑनलाइन मिल जाए..."
मैने फ़ेसबुक खोला तो उसमे अरुण की आइडी लोग इन थी, वो लोग आउट करना भूल गया था...दिव्या और अरुण क्या बात करते है ये जानने के लिए मैने उनके मेसेजिज पढ़ना शुरू कर दिया..
दिव्या-हाई..
अरुण-हेलो डियर...
दिव्या-हाउ आर यू ?
अरुण-मज़े मे...
दिव्या-तुमने मेरा न्यू स्टेटस लाइक नही किया ?
अरुण-अभी देखा नही...
दिव्या-कॉमेंट भी कर देना...
अरुण-ठीक है
दिव्या-आज जो ड्रेस पहन कर मैं आई थी वो कैसी थी...
अरुण-एक दम झक्कास....और सूनाओ क्या चल रहा है...
दिव्या-कुच्छ नही..
.
"साले दोनो कितना बोरिंग बाते करते है "मैने अरुण की आइडी लोगआउट की लेकिन जैसे मुझे कुच्छ याद आया और मैने तुरंत लॉगिन करके दिव्या की आइडी ओपन की.....
"दिव्या श्रिवस्तव....इसका सरनेम श्रिवस्तव है...ये तो फिर भी ठीक है...लेकिन जो मैं सोच रहा हूँ,वो ना हो " लेकिन मेरी सारी तब बेकार हो गयी जब दिव्या की आइडी मे मैने फॅमिली ऑप्षन मे गौतम(ब्रदर) की आइडी देखी....
"गये बेटा काम से...दिव्या तो गौतम की बहन है ,ये अरुण भी एक नंबर का चूतिया है,जो गौतम की बहन को सेट कर रहा है....पिटेगा साला..."
उसके बाद मैने दिव्या की सारी फोटोस देख मारी, कयि फोटो मे वो गौतम के साथ थी...
.
"अबे चोदु, जानता है दिव्या कौन है..."अरुण और सौरभ के आते ही मैं अरुण पर चिल्लाया...
"कौन है..."
"गौतम की बहन है दिव्या..."
"तो क्या हुआ..."
"जब उसका बाप तेरी गान्ड मे डंडा डालेगा ,तब बोलना क्या हुआ..मैं बोलता हूँ अभी साली को अनफ्रेंड कर दे..."
"शेर लोग कभी नही डरते और वैसे भी जब तू गौतम की माल पर नज़र डाल सकता है तो मैं दिव्या को लाइन क्यूँ ना मारू...."
अरुण की इस बात का मेरे पास कोई जवाब नही था और मैने सौरभ की तरफ देखकर अरुण को समझाने के लिए कहा....
"अभी अपुन बहुत मेहनत करके आ रेला है...अपुन को सोने का है...भाड़ मे जाओ तुम दोनो और तुम दोनो की आइटम और गौतम...."
.
"सही है..."
"क्या सही है बे...जब लात खाएगा तब मत बोलना कि मैने तुझे नही समझाया था..."मैने आख़िरी कोशिश की...
"देख बे अरमान, मैने भी कोई कच्ची गोलियाँ नही खेली है...जब तू एश के पीछे पागल हो सकता है तो मैं दिव्या के पीछे क्यूँ नही..."
"पहली बात ये कि एश मेरे लेफ्ट साइड मे है और दूसरी बात ये कि मैं...मैं हूँ....मतलब की मैं सिचुयेशन्स को संभालना जानता हूँ..."
"तो तेरे कहने का मतलब ये है कि तू मुझसे ज़्यादा होशियार है..."
"अफीशियली यस..."
"तो तेरे कहने का मतलब ये है कि मैं सिचुयेशन नही संभाल सकता..."
"बिल्कुल..."
"तो तेरे कहने का मतलब ये है कि तू मुझसे ज़्यादा स्मार्ट है..."
"हां "
"तो तू ये कहना चाहता है की तू मुझसे ज़्यादा हॅंडसम है..."
"तेरी तो..चुप कर साले..जैसे तेरी वो माल दिव्या बोर करती है वैसे ही तू भी भेजा ख़ाता है....अब गान्ड मरा, मुझे कोई मतलब नही तुझसे और तेरी उस महा पकाऊ, बेवकूफ़ दिव्या से...."
"एश से तो होशियार ही है..."
"अग्री अंकल, अब चुप हो जाओ..."
मेरे और गौतम या फिर कहे की मेरे और वरुण के बीच सिचुयेशन और भी ज़्यादा हाइपर होने वाली थी...क्यूंकी एक तरफ जहाँ अरुण,गौतम की बहन को पटाने मे तुला हुआ था ,वही मैं गौतम से उसकी माल छीन रहा था...बोले तो डबल अटॅक....इसका नतीज़ा काफ़ी भयानक होने वाला था ,जिसकी खबर मेरे सिक्स्त सेन्स ने मुझे उसी दिन दे दिया था,जब मुझे मालूम चला था कि दिव्या, गौतम की बहन है....लेकिन मज़े की बात ये थी कि मुझे एक साल बाद मालूम चला कि गौतम की बहन भी इस कॉलेज मे पढ़ती है और वो एश की खास दोस्तो मे से है...यूँ तो एश को घूरते वक़्त,कॉलेज मे उसका पीछा करते वक़्त दिव्या को मैने कयि बार देखा था लेकिन कभी उसपर ध्यान नही दिया और ना ही क्लास के लौन्डो ने मुझे कभी बताया,जबकि क्लास के हर लड़के को पता था,अब मुझे फर्स्ट एअर के कुच्छ फ्लश बॅक भी याद आने लगे ,जब रिसेस के वक़्त गौतम ,जहाँ फर्स्ट एअर की क्लास लगती है, वहाँ आया करता था....अब मुझे रिसेस मे गौतम के आने का कारण समझ मे आ रहा था...एक तो वो एश से मिलने आता था और दूसरा वो दिव्या की निगरानी करता था कि उसके पीछे कोई लड़का तो नही पड़ा है...मैं ये सच्चाई जानकार बेहद ही शॉक्ड हुआ था, क्यूंकी भू ने भी मेरे सामने कभी दिव्या के बारे मे ज़िकरा नही किया....
.
"मे आइ कम इन मॅम..."मैने क्लास मे एंटर होने के लिए विभा से पर्मिशन माँगी....
"क्लास स्टार्ट हुए ऑलरेडी ट्वेंटी मिनिट्स हो चुके है...कहाँ थे तुम तीनो..."
"वो मॅम हॉस्टिल का पानी ख़त्म हो गया था..."मैं कुच्छ बोलता उसके पहले ही सौरभ बोल पड़ा"तो पानी ख़त्म होने के कारण लेट हो गये..."
"यहाँ हॉस्टिल का और कौन-कौन है..."विभा ने क्लास मे बैठे स्टूडेंट्स से पुछा तो आधा दर्जन लड़को और लड़कियो ने अपने हाथ गर्व से खड़े कर दिए....
"मॅम ,ये लोग नहा कर नही आए होंगे , "और फिर सौरभ ने एक लड़के को जिसने अभी तक हाथ खड़ा किया हुआ था उसकी तरफ उंगली दिखाकर बोला"मॅम,ये तो कभी नहाता ही नही और ना ही कभी कपड़े सॉफ करता है..."
"ओके...ओके, अंदर आ जाओ...सबकी पॉल खोलने की कोई ज़रूरत नही है..."
"थॅंक यू मॅम..."हम तीनो ने कहा और अंदर आकर सबसे पीछे वाली बेंच मे लड़कियो के पीछे जाकर बैठ गये....