desiaks
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कड़ी_42
मीता चरणजीत को उठाकर अंदर ले जाता है। चरणजीत अंदर जा देखती है, की सुखजीत पूरी बिटू के नीचे लेटी हुई थी। ये देखकर चरणजीत हैरान हो जाती है। बिटू सुखजीत की चूचियों को मसलता हुआ, जोर-जोर से धक्के मार रहा था। सुखजीत भी नीचे से अपनी गाण्ड को उठा-उठाकर बिटू के हर धक्के का जवाब दे रही थी।
इतने में मीता चरणजीत को नीचे उतरता है, और उसे दीवार के साथ लगा देता है।
सुखजीत चरणजीत को देखकर बिटू के नीचे हिलते हुए बोली- “आह्ह... हाए हाए बहनजी भी आ गई हैं...”
बिटू- मीते भाई, आज तू अपने सारे शौक पूरे कर ले, आज साली ये तेरे हाथ में आ ही गई है।
मीता चरणजीत के दोनों हाथ दीवार से लगाकर पकड़ लेता है, और फिर वो उसके होंठों को अपने होंठों में भरकर चूसने लगता है। पर चरणजीत को बहुत शर्म आ रही थी। क्योंकी उसको ये लग रहा था, की वो कैसे अपनी चूत आज बिटू और सुखजीत के सामने मीते को देगी? चरणजीत दीवार से लगी मछली की तरह थप्पड़ रही थी, पर मीते के हाथों से छुट जाना उसके बस का नहीं था।
फिर मीता अपने दोनों हाथ चरणजीत की चूचियों पर रखाता और जोर-जोर से उसके दोनों चूचियों को मसलने लगता है, और बोला- “बस कर भाभी... मुझे अच्छे से पता है, तेरे अंदर भी पूरी आग मचल रही है। नहीं तो तू ऐसे ही ना अपनी गाण्ड जोर-जोर से मटकाकर चलती मेरे सामने...”
चरणजीत भी मीते से अपनी दोनों चूचियां अच्छे से मसलवाने के बाद गरम हो जाती है और वो सिसकारियां भरते हए बोली- "हाए मीते अगर किसी को इस बारे पता चला गया, तो कसम से मेरी
मीता चरणजीत को किस करके बोला- “भाभी तू सुखजीत को देख, कैसे वो पूरी नंगी होकर बिटू को दे रही है। जब उसे किसी बात का डर नहीं है, तो तू क्यों इतना डर रही है?"
चरणजीत- “उसने तो अपने घर शहर चले जाना है, पर मैंने तो यहीं पर रहना है ना इसलिए कह रही हूँ मैं..."
मीता- कुछ नहीं होता भाभी, तू फिकर ना कर। किसी को पता नहीं चलेगा की आज रात तूने यहाँ पर लगाई है।
चरणजीत ये सुनकर अब हिलना बंद कर देती है। मीता को भी अब पता चल जाता है, की अब चरणजीत गरम हो गई है। फिर मीता अपने दोनों हाथ उसकी चूचियों से हटाकर अपने दोनों हाथ उसके चूतरों पर रखकर जोर से उसके चूतर मसल देता है।
चरणजीत- “आहह... हाए ओये परा मर..."
मीता- “हाए भाभी तेरी मोटी गाण्ड देखकर लण्ड खड़ा हो जाता है। सच में आज तो तेरी मैं जमकर मारूँगा..."
चरणजीत अपने मन में सोच रही थी, की उसका सरदार तो उसको महीने-महीने हाथ तक नहीं लगाता। और ये मीता उसकी चूत मारने के लिए, इतना पागल हुआ जा रहा है। ये देखकर चरणजीत अंदर ही अंदर खुश हो जाती है। चरणजीत जानबूझ कर नाटक करते हुए बोली- “हाए मीते, मेरे सरदार को पता चल जाएगा...”
मीता अपना एक हाथ चरणजीत की चूतरों के बीच की लकीर में डालकर बोला- "भाभी उस बहनचोद सरदार को कुछ भी पता नहीं चलेगा। वो रंडियों को चोद चोदकर राज चुका है अब।
चरणजीत- “हाय सीयी... मीते प्लीज़्ज़... रहने दे आह्ह... प्लीज़्ज़.."
मीता- “चुप कर भाभी, आज तो मेरा लण्ड तेरी चूत में जाकर ही मानेगा.” फिर मीता चरणजीत के कुर्ते का पल्ला पकड़कर ऊपर करके उसका कुर्ता उतार देता है।
तभी चरणजीत अपनी दोनों चूचियां अपने हाथों से छुपा लेती है। मीता चरणजीत के दोनों हाथ अपने कंधे पर रखा लेता है। फिर वो थोड़ा नीचे होकर चरणजीत की चूचियों को अपने मुँह में डालकर चूसने लगता है। चरणजीत को इसमें बहुत मजा आने लगता है, और इस वजह से उसके मुँह से आह्ह... आss की आवाजें और जोर से निकालने लगती है।
मीता भी चरणजीत को और गरम करने के लिए उसके निपलों पर एक दाँत से जोर से काट लेता है। इससे चरणजीत के मुँह से जोर से छींक निकलती है।
चरणजीत- “आहह... आह्ह... हाए मर गई... मीते आराम से चूस ले ना...”
पर मीता कहां मानने वाला था, वो और जोर-जोर चरणजीत की चूचियों को दाँत से काटने लगा। जिससे चरणजीत पागल होने लगती है। चरणजीत की चूत बुरी तरह से पानी चोदने लगती है। फिर मीता चरणजीत की चूचियां चूसते-चूसते, उसको मंजे के पास लेकर जाता है। जहाँ सुखजीत बिटू से चुद रही थी। मीता चरणजीत की सलवार का नाड़ा खोल देता है।
चरणजीत- “हाए मीते प्लीज़्ज़... सलवार नहीं नहीं.."
पर मीता चरणजीत की तो एक भी नहीं सुनता। अपने दोनों हाथ डाकरल उसकी पैंटी के साथ उसकी सलवार को भी उतारकर उसकी टांगों के बीच से निकालकर साइड में फेंक देता है। चरणजीत के मुंह से आह निकली और वो मीते से एकदम लिपट जाती है। मीता का लण्ड भी अब पूरा खड़ा हो चुका था। फिर मीता चरणजीत की दोनों टाँगें ऊपर कंधों पर रखा लेता है। फिर मीता एक हाथ चरणजीत के मोटे गोरे चिकने चूतड़ों पर फेरता है। और दूसरे हाथ से अपना पाजामा उतार देता है। फिर उसका मोटा लंबा काला लण्ड बाहर आ जाता है, जिसे देख चरणजीत हैरान हो जाती है। मीता अपना लण्ड चरणजीत की चूत पर रखकर धीरे-धीरे उसकी चूत को रगड़ा कर धक्के मारने लगा। लण्ड को चूत से लगते ही एकदम काँप जाती है और उसके मुँह से सिसकारियां निकालने लगती है।
चरणजीत- आह्ह... “आहह... हाए मीते ऐसे ना कर प्लीज़्ज़... दर्द हो रहा है..."
मीता चरणजीत को उठाकर अंदर ले जाता है। चरणजीत अंदर जा देखती है, की सुखजीत पूरी बिटू के नीचे लेटी हुई थी। ये देखकर चरणजीत हैरान हो जाती है। बिटू सुखजीत की चूचियों को मसलता हुआ, जोर-जोर से धक्के मार रहा था। सुखजीत भी नीचे से अपनी गाण्ड को उठा-उठाकर बिटू के हर धक्के का जवाब दे रही थी।
इतने में मीता चरणजीत को नीचे उतरता है, और उसे दीवार के साथ लगा देता है।
सुखजीत चरणजीत को देखकर बिटू के नीचे हिलते हुए बोली- “आह्ह... हाए हाए बहनजी भी आ गई हैं...”
बिटू- मीते भाई, आज तू अपने सारे शौक पूरे कर ले, आज साली ये तेरे हाथ में आ ही गई है।
मीता चरणजीत के दोनों हाथ दीवार से लगाकर पकड़ लेता है, और फिर वो उसके होंठों को अपने होंठों में भरकर चूसने लगता है। पर चरणजीत को बहुत शर्म आ रही थी। क्योंकी उसको ये लग रहा था, की वो कैसे अपनी चूत आज बिटू और सुखजीत के सामने मीते को देगी? चरणजीत दीवार से लगी मछली की तरह थप्पड़ रही थी, पर मीते के हाथों से छुट जाना उसके बस का नहीं था।
फिर मीता अपने दोनों हाथ चरणजीत की चूचियों पर रखाता और जोर-जोर से उसके दोनों चूचियों को मसलने लगता है, और बोला- “बस कर भाभी... मुझे अच्छे से पता है, तेरे अंदर भी पूरी आग मचल रही है। नहीं तो तू ऐसे ही ना अपनी गाण्ड जोर-जोर से मटकाकर चलती मेरे सामने...”
चरणजीत भी मीते से अपनी दोनों चूचियां अच्छे से मसलवाने के बाद गरम हो जाती है और वो सिसकारियां भरते हए बोली- "हाए मीते अगर किसी को इस बारे पता चला गया, तो कसम से मेरी
मीता चरणजीत को किस करके बोला- “भाभी तू सुखजीत को देख, कैसे वो पूरी नंगी होकर बिटू को दे रही है। जब उसे किसी बात का डर नहीं है, तो तू क्यों इतना डर रही है?"
चरणजीत- “उसने तो अपने घर शहर चले जाना है, पर मैंने तो यहीं पर रहना है ना इसलिए कह रही हूँ मैं..."
मीता- कुछ नहीं होता भाभी, तू फिकर ना कर। किसी को पता नहीं चलेगा की आज रात तूने यहाँ पर लगाई है।
चरणजीत ये सुनकर अब हिलना बंद कर देती है। मीता को भी अब पता चल जाता है, की अब चरणजीत गरम हो गई है। फिर मीता अपने दोनों हाथ उसकी चूचियों से हटाकर अपने दोनों हाथ उसके चूतरों पर रखकर जोर से उसके चूतर मसल देता है।
चरणजीत- “आहह... हाए ओये परा मर..."
मीता- “हाए भाभी तेरी मोटी गाण्ड देखकर लण्ड खड़ा हो जाता है। सच में आज तो तेरी मैं जमकर मारूँगा..."
चरणजीत अपने मन में सोच रही थी, की उसका सरदार तो उसको महीने-महीने हाथ तक नहीं लगाता। और ये मीता उसकी चूत मारने के लिए, इतना पागल हुआ जा रहा है। ये देखकर चरणजीत अंदर ही अंदर खुश हो जाती है। चरणजीत जानबूझ कर नाटक करते हुए बोली- “हाए मीते, मेरे सरदार को पता चल जाएगा...”
मीता अपना एक हाथ चरणजीत की चूतरों के बीच की लकीर में डालकर बोला- "भाभी उस बहनचोद सरदार को कुछ भी पता नहीं चलेगा। वो रंडियों को चोद चोदकर राज चुका है अब।
चरणजीत- “हाय सीयी... मीते प्लीज़्ज़... रहने दे आह्ह... प्लीज़्ज़.."
मीता- “चुप कर भाभी, आज तो मेरा लण्ड तेरी चूत में जाकर ही मानेगा.” फिर मीता चरणजीत के कुर्ते का पल्ला पकड़कर ऊपर करके उसका कुर्ता उतार देता है।
तभी चरणजीत अपनी दोनों चूचियां अपने हाथों से छुपा लेती है। मीता चरणजीत के दोनों हाथ अपने कंधे पर रखा लेता है। फिर वो थोड़ा नीचे होकर चरणजीत की चूचियों को अपने मुँह में डालकर चूसने लगता है। चरणजीत को इसमें बहुत मजा आने लगता है, और इस वजह से उसके मुँह से आह्ह... आss की आवाजें और जोर से निकालने लगती है।
मीता भी चरणजीत को और गरम करने के लिए उसके निपलों पर एक दाँत से जोर से काट लेता है। इससे चरणजीत के मुँह से जोर से छींक निकलती है।
चरणजीत- “आहह... आह्ह... हाए मर गई... मीते आराम से चूस ले ना...”
पर मीता कहां मानने वाला था, वो और जोर-जोर चरणजीत की चूचियों को दाँत से काटने लगा। जिससे चरणजीत पागल होने लगती है। चरणजीत की चूत बुरी तरह से पानी चोदने लगती है। फिर मीता चरणजीत की चूचियां चूसते-चूसते, उसको मंजे के पास लेकर जाता है। जहाँ सुखजीत बिटू से चुद रही थी। मीता चरणजीत की सलवार का नाड़ा खोल देता है।
चरणजीत- “हाए मीते प्लीज़्ज़... सलवार नहीं नहीं.."
पर मीता चरणजीत की तो एक भी नहीं सुनता। अपने दोनों हाथ डाकरल उसकी पैंटी के साथ उसकी सलवार को भी उतारकर उसकी टांगों के बीच से निकालकर साइड में फेंक देता है। चरणजीत के मुंह से आह निकली और वो मीते से एकदम लिपट जाती है। मीता का लण्ड भी अब पूरा खड़ा हो चुका था। फिर मीता चरणजीत की दोनों टाँगें ऊपर कंधों पर रखा लेता है। फिर मीता एक हाथ चरणजीत के मोटे गोरे चिकने चूतड़ों पर फेरता है। और दूसरे हाथ से अपना पाजामा उतार देता है। फिर उसका मोटा लंबा काला लण्ड बाहर आ जाता है, जिसे देख चरणजीत हैरान हो जाती है। मीता अपना लण्ड चरणजीत की चूत पर रखकर धीरे-धीरे उसकी चूत को रगड़ा कर धक्के मारने लगा। लण्ड को चूत से लगते ही एकदम काँप जाती है और उसके मुँह से सिसकारियां निकालने लगती है।
चरणजीत- आह्ह... “आहह... हाए मीते ऐसे ना कर प्लीज़्ज़... दर्द हो रहा है..."