Desi Sex Kahani निदा के कारनामे - Page 4 - SexBaba
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Desi Sex Kahani निदा के कारनामे

मैं हँसी और कहने लगी- “हाँ अब आपसे क्या परदा.." और ये कहकर मैंने अपनी शर्ट उतार दी। मैं ट्राउजर और शर्ट पहनी हुई थी और अब शर्ट उतारने के बाद मैं सिर्फ़ ट्राउजर और ब्रा में रह गई थी। मेरे चिकने जिश्म पर पशीना चमक रहा था। वो गौर से मेरे जिस्म को देख रहा था।

वो बोला- “वैसे मौसम इतना गर्म नहीं है, बाहर तो अच्छी खासी सर्दी है और आपके जिश्म पर पशीना है."

मैं मुश्कुराई और बोली- “वो मुझे ज्यादा कपड़े पहनने की आदत नहीं है, अफ मेरी तो ब्रा भी भीग गई है जरा आप मेरी ब्रा का हुक खोल देंगे ताकी मैं इसे सुखा सकू...” ये कहकर मैं उनके सामने पीठ मोड़कर खड़ी हो गई।

कादिर साहिब ने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया। मैं ब्रा उतारकर मुड़ी तो उसने मुझे खींचकर अपने आपसे लिपटा लिया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। मैं तो चाहती ही यही थी इसलिए मैंने उनको भींच लिया। वो पागलों की तरह मेरे बोसे ले रहे थे। उन्होंने बोसे लेने के दोरान ही मेरे ट्राउजर का बटन खोला और उसे खींचकर नीचे कर दिया। नीचे मैंने अपनी पैंटी नहीं पहनी थी, मैंने खुद ही अपना ट्राउजर अपनी टाँगों से निकाल दिया, अब मैं कादिर साहिब के हाथों में बिलकुल नंगी थी। अब वो मेरी चूत में उंगलियां कर रहे थे। फिर उन्होंने मुझे सीट पर पटका और अपने कपड़े उतारने लगे। जब उन्होंने अपनी अंडरवेर उतारी तो उनका 8 इंच का लण्ड झटका खाकर खड़ा हो गया।


फिर कादिर साहिब मुझ पर टूट पड़े। पहले उन्होंने मेरे मम्मों को दबा-दबाकर चाटा फिर मेरी चूत चाटी उसके बाद उन्होंने उठकर अपना लण्ड मेरे मुँह में डाल दिया और मैं मजे से उनका लण्ड चूसने लगी। थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे सीट पर हाथ रखकर खड़ा हो जाने को बोला तो मैं सीट पर अपने दोनों हाथ रखकर झुक गई।

कादिर साहिब ने मेरे पीछे आकर अपना लण्ड मेरी चूत में डाला और जोरदार झटका मारा। पहले ही झटके में उनका लण्ड जड़ तक मेरी चूत में घुस गया। और पूरा कम्पार्टमेंट मेरी लज़्ज़त भरी सिसकारी से गूंज गया। मैं सिसक कर बोली- “उफफ्फ़... कादिर साहिब बहुत अच्छा शाट मारा है अब ऐसे ही शाट्स मारिए...”

और कादिर साहिब जोरदार झटकों के साथ मुझे चोदने लगे और मेरी लज़्ज़त भरी सिसकारियां कम्पार्टमेंट में गूंजने लगी। अभी कादिर साहिब को मुझे चोदते हुये 10 मिनट ही हुये थे की कम्पार्टमेंट का दरवाजा खुला और दो आदमी अंदर आ गये। दोनों आदमी अंदर का मंजर देखकर चौंक गये। पहले तो कादिर साहिब उन दोनों को देखकर घबराये फिर उन्होंने संभलकर उन दोनों को भी मुझे चोदने की दावत दी। मुफ़्त में लड़की चोदने को मिले तो कौन इनकार करता है...

कादिर साहिब की दावत पर वो दोनों आदमी भी अपने अपने कपड़े उतारकर कादिर साहिब के साथ शामिल हो। गये। अब कादिर साहिब को झटके मारने में लगे हुये थे, बाकी दोनों आदमियों में से एक ने तो अपना लण्ड मेरे मुँह में घुसा दिया जबकी दूसरा मेरे चूचियां को चूसने लगा।

फिर जिस आदमी का लण्ड मेरे मुँह में था उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाला तो कादिर साहिब ने उस आदमी को जगह दी और उस आदमी ने अपना लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा दिया जबकी तीसरे आदमी ने अपना लण्ड मेरे मुँह में घुसा दिया। फिर वो तीनों अपने-अपने लण्ड को झटके देने लगे और मुझे एक साथ तीनों सुराखों से मजा आने लगा। अभी ट्रेन चलनी शुरू नहीं हुई थी मगर मेरी चुदाई पूरा स्पीड में चल रही थी। थोड़ी देर बाद कम्पार्टमेंट में जिस आखिरी आदमी की बुकिंग थी वो भी कम्पार्टमेंट में आ गया। एक लड़की पर तीन आदमियों के चढ़ने का मंजर ही किसी को गरम कर देने के लिए काफी था तो वो आने वाला शाख्स कैसे इससे बच पाता।
 
ना मैं कुछ बोली, ना मुझे चोदने वाले तीनों आदमी कुछ बोले और ना ही आने वाले आदमी ने कुछ पूछा, ये । मंजर ही इतना सेक्सी था की वो बिना किसी से कुछ पूछे अपने कपड़े उतारकर बाकी तीनों के साथ शामिल हो गया। बाकी तीनों ने भी कोई ऐतराज नहीं किया। क्योंकी वो लोग भी क्यों मना करते वो भी तो मुझे मुफ़्त का माल समझकर लूट रहे थे।

मुझे जो 4 आदमी चोद रहे थे मैं उनको जानती तक नहीं थी। कादिर साहिब का भी सिर्फ नाम ही पता था मुझे और बाकी तीनों के तो मैं नाम भी नहीं जानती थी की ये लोग कौन हैं... क्या करते हैं... कहां से आये हैं... और कहां जायेंगे... मुझे कोई परेशानी नहीं थी के ये सब कौन हैं... और ना ही मैं जानना चाहती थी। मेरा काम था। चुदवाना तो मैं खुशी-खुशी चुदवा रही थी। वो चारों भी क्या करते जब लड़की खुद ही नंगी खड़ी हो तो कोई और क्या करेगा सिवाय चोदने के। तो वो भी अपना फर्ज पूरे दिल-ओ-जान से पूरा कर रहे थे। हम सब चुदाई में पूरी तरह से मगन थे।

होश तब आया जब टिकेट चेकर टिकेट चेक करने हमारे कम्पार्टमेंट में आया, अंदर का सेक्स से भरपूर मंजर देखकर वो भी गरम हो गया और टिकेट चेकर भी मुझे चोदकर गया। टिकेट चेकर के जाने के बाद हम सब फिर सेक्स में डूब गये।

फिर मेरा पूरा सफर उन चारों से चुदवाते हुये गुजर गया। मुल्तान कब आया मुझे पता ही नहीं चला। जब ट्रेन रुकी तो हमें होश आया। कादिर साहिब के अलावा बाकी तीनों जिस तरह आये थे, मुझसे कुछ पूछे बगैर, या कुछ कहे बगैर अपने कपड़े पहनकर और अपना सामान उठाकर चले गये।

मैं जान ही नहीं सकी की वो लोग कौन थे... और उनके नाम क्या क्या थे। अलबत्ता कादिर साहिब ने अपना कान्टेक्ट नंबर मुझे दिया और अपना अड्रेस भी दिया की जब भी मुझे उनकी जरूरत महसूस हो तो मैं उनसे कान्टेक्ट कर लूं।

स्टेशन पर मुझे अब्बू लेने आये थे इसलिए मैं किसी शरीफ लड़की की तरह अब्बू के साथ घर आ गई।

******* समाप्त *****
 
06 बाबाजी मेरी बेटी को अपनी पनाह में ले लें

मेरी कुछ हफ्ते से तबीयत ठीक नहीं थी, मेरी अम्मी कुछ ज्यादा ही मजहबी हैं इसलिए वो मुझसे बोली की निदा मुझे लगता है की तुझे नजर वगैरा लग गई है, तुम किसी आमिल से अपनी नजर उतरवा लो। यहां करीब ही एक बाबाजी का श्थान है, वो बड़े पहुँचे हुये बाबा हैं, तू उनसे अपनी नजर उतरवा ले...”

अम्मी की बात सुनकर मुझे कोफ़्त हुई और मैंने अम्मी को मना कर दिया। अम्मी भी अपनी जिद की पक्की थी इसलिए मैं राजी हो गई।

अम्मी ने बुरका पहना, मुझे पर्दे वगैरा से वैसे ही चिढ़ थी इसलिए मैंने सिर्फ दुपट्टा ओढ़ लिया। मैं फिटिंग के कपड़े पहनती थी इसलिए की जब-जब मैं बाहर जाती थी तो लोग मुझे खूब ताड़ते थे और मुझे उनका ताड़ना अच्छा लगता था इसलिए मैं टाइट से टाइट फिटिंग के कपड़े पहनती थी। इस वक़्त भी मैंने टाइट फिटिंग का कमीज शलवार पहना हुवा था और मेरा दुपट्टा मेरे फिगर को छुपाने के लिए नाकाफी था। थोड़ी दूर ही बाबाजी का स्थान था और अम्मी मुझे लेकर वहां चली गई। ये दोपहर का वक़्त था इसलिए स्थान में सिर्फ तीन औरतें थीं।

बाबाजी का हुजरा अलग था और बाहर दो आदमी बैठे थे जो शायद बाबाजी के खिदमतगार थे। अम्मी ने एक आदमी को अपने आने की वजह बताई तो उन्होंने हमें बैठने को बोला। मैं और अम्मी एक तरफ बैठ गये। थोड़ी देर बाद बाबाजी के हुजरे का दरवाजा खुला और वहां से एक औरत निकलकर स्थान से बाहर निकल गई। दूसरे आदमी ने एक औरत को अंदर जाने को बोला तो एक औरत उठकर हुजरे में चली गई। मैं नोट कर रही थी की वो दोनों आदमी मुझे ही देख रहे थे।

बैठने से मेरी कमीज पेट से बिल्कुल चिपकी हुई थी जिससे मेरा उभरा हुवा सीना और उभर आया था। मैंने नोट किया की दोनों मेरे सीने को ही देख रहे हैं। मैंने अपने सीने पर नजर डाली तो मेरे आधे सीने पर से दुपट्टा ढलका हुवा था जिसकी वजह से मेरा एक मम्मा बिल्कुल साफ नुमाया हो रहा था। वो दोनों आदमी बार बार। मुझे प्यासी नजरों से घूर रहे थे, और उनके ऐसे देखने से मेरे अंदर की आग जाग उठी।
और चूत ने कहा- “होश मैं आ...”

मुझे शरारत सूझी और मैंने कुछ सोचा और फिर अम्मी को देखा तो अम्मी आँखें बंद किए कुछ पढ़ रही थी। अम्मी के बाद मैंने उन दोनों आदमियों को देखा और अपने सीने से दुपट्टा हटा दिया और अपना सीना कुछ और निकालकर बैठ गई। मेरी हरकत पर दोनों आदमी चौंक गये। फिर वो मुझे देखकर मुश्कुराने लगे तो मैं भी मुश्कुरा दी। मैं और अम्मी पीछे बैठे थे इसलिए वहां बैठी दोनों औरतें मुझे सही से देख नहीं सकती थी। मैं मुतमइन थी और उन दोनों को अपने बड़े-बड़े मम्मों का दीदार करा रही थी। मैंने काफी दिनों से चूत नहीं मरवाई थी। आज लगा की यहाँ अपना काम बन गया।
 
मैं देख रही थी की दोनों आदमी बेचैन हैं, अगर शायद वहां और औरतें नहीं होती तो शायद वो दोनों मुझे दबोच लेते। फिर थोड़ी देर बाद वहां मोजूद तीनों औरतें फारिग होकर चली गई और वहां सिर्फ़ मैं और अम्मी ही रह । गये थे।

फिर एक आदमी हमें अंदर जाने का बोलने के बजाय खुद हुजरे में चला गया। थोड़ी देर बाद वो आदमी बाहर आया और हम दोनों को अंदर जाने को बोला। अम्मी मुझे लेकर हुजरे में चली गई, हुजरे में एक काफी बड़ी उमर का आदमी पीले कलर के कपड़े पहने बैठा था, उसकी दाढ़ी काफी लंबी थी जिसकी वजह से मैं उसकी उमर का सही से अंदाजा नहीं लगा पाई। वो एक चौकी पर बैठा हुवा था बीके थोड़ा नींद में था, मुझे देखकर वो सीधा हो गया। मैं और अम्मी जाकर उसके सामने बैठ गये। अम्मी ने बड़े अदब से सलाम किया तो उस आदमी ने जवाब में सिर्फ अपना सिर हिलाया। अम्मी उस आदमी यानी बाबाजी को बताने लगी की ये मेरी बेटी है ये काफी हफ्तों से बीमार है और इसकी तबीयत ठीक नहीं हो रही है।

मुझे लगा की इसको किसी की नजर लग गई है इसलिए मैं इसको आपके पास ले आई, आपको बहुत पहुँचे हुये आलिम हैं बरा-ए-मेहरबानी आप मेरी बेटी पर दम कर दें। वो बाबाजी मुसलसल मुझे घूर रहे थे।

उन्होंने अम्मी को कहा- “तू फिकर ना कर, अच्छा हुवा जो तू इसे यहां ले आई है...”

उन बाबाजी की आवाज काफी भारी और रोबदार थी, उन्होंने मुझे अपने पास बैठने को बोला तो मैं उठकर उनके पास बैठ गई। उन्होंने मुझे अपना हाथ बढ़ने को बोला तो मैंने अपना हाथ बढ़ा दिया। बाबाजी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और अपनी आँखें बंद कर ली और कुछ पढ़ने लगे। पढ़ते-पढ़ते बाबाजी मेरे हाथ को सहलाने लगे, जबकी मैं मुश्कुराने लगी। फिर जब बाबाजी ने आँखें खोलकर मुझे देखा तो मुझे मुश्कुराता देखकर वो भी एक लम्हे के लिए मुश्कुराये। मुझे लगा की अब ये कोई प्लान करेगा मुझे चोदने के लिये और फिर से उन्होंने अपना चेहरा बारोब बना लिया।

फिर उन्होंने अम्मी से कहा- “तेरी बेटी पर किसी ने जादू करवा दिया है...”
 
अम्मी जादू का सुनकर बहुत परेशान हो गई और बाबाजी की मिन्नतें करने लगी की वो कुछ करें। बाबाजी ने हाथ उठाकर अम्मी को रोका और बोले- “तुम ज्यादा परेशान ना हो, अब तुम्हारी बेटी हमारी पनाह में आ चुकी है इसलिए अब इसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा पर इसके लिए मुझे एक अमल करना होगा। जादू खतरनाक है इसलिए अमल भी फौरन ही करना होगा वरना तेरी बेटी उस जादू से बच नहीं पाएगी।

अम्मी परेशान होकर फौरन बोली- “तो कीजिए ना बाबाजी वो अमल..”

बाबाजी बोले- “वो काफी लंबा अमल है और मुझे वो अमल तेरी बेटी को अपने सामने बिठाकरके करना होगा इसलिए तुझे अपनी बेटी को कुछ घंटों के लिए यही छोड़ना होगा...”

बाबाजी की बात सुनकर मैं मुश्कुरा दी क्योंकी मैं जान चुकी थी की ये बाबा मेरे साथ कौन सा अमल करना चाहता है, वैसे मैं भी काफी दिनों की प्यासी थी इसलिए कोई नहीं तो ये बाबाजी ही सही के फार्मूले पर मुझे कोई ऐतराज नहीं था।

अम्मी कहने लगी- “हाँ हा बाबाजी क्यों नहीं आप अपना अमल करें बस मेरी बेटी को जादू से बचा लें..."

बाबाजी बोले- “जैसे ये तेरी बेटी है इस तरह ये मेरी भी बेटी है इसलिए तु बेफिकर होकर अपने घर जा और 4 घंटे बाद आकर अपनी बेटी को ले जाना ऊपर वाले का करम हुवा तो तेरी बेटी जादू से बच जायेगी...”

अम्मी बाबाजी की बात सुनकर उठ खड़ी हुई और फिर वो मुझसे बोली- “बेटी बाबाजी के हर हुकुम को मानना क्योंकी ये तेरे भले के लिए ही होगा..."

अम्मी की बात सुनकर मैंने अपनी हँसी मुश्किल से रोकी और बोली- “अम्मी आप बेफिकर रहें, मैं बाबाजी का हर हुकुम मानूंगी...”

अम्मी ने मेरी बलायें ली और बाबाजी का शुक्रिया अदा करती हुई कमरे से निकल गई।

अम्मी के जाने के बाद बाबाजी ने एक बटन दबाया तो बाहर हल्की से बेल बाजी और उनका एक खिदमतगार वहां आ गया। बाबाजी ने उससे कहा- “रफीक मैं इसके साथ एक अमल कर रहा हूँ तुम मेरे हुजरे का दरवाजा बंद कर दो और स्थान का दरवाजा भी बंद कर दो और इस दौरान कोई आये तो बोल देना की मैं कहीं गया हुवा हूँ तीन से 4 घंटे बाद आऊँगा...”

बाबाजी की बात सुनकर वो खिदमतगार मुश्कुराया और बोला- “जो हुकुम बाबाजी...” ये कहकर वो पलटा और उसने बाहर से बाबाजी के हुजरे का दरवाजा बंद कर दिया। दरवाजा बंद होते ही बाबाजी मुझे देखकर मुश्कुराने लगे। मेरा हाथ अभी तक बाबाजी के हाथ में था।


मैं मुश्कुराकर बोली- “बाबाजी आप मेरा जादू उतारने के लिए कौन सा अमल करने वाले हैं...”

बाबाजी मुश्कुराये और बोले- “ये बहुत ही खास अमल है जो तेरे सारे कपड़े उतारकर होगा। अगर तू खुशी से ये अमल करवायेगी तो इस अमल में तुझे भी मजा आयगा और अगर शोर मचायेगी तो इसमें तेरा ही नुकसान होगा। क्योंकी वो अमल किए बगैर मैं तुझे यहां से जाने नहीं दूंगा...”
 
मैं मुश्कुराई और बोली- “मुझे शोर मचाने की क्या जरूरत है, अभी अम्मी जो हुकुम दे गई हैं की मैं आपके हर हुकुम को पूरा कारूं तो मैं अपनी अम्मी की नाफरमानी कैसे कर सकती हँ?”

बाबाजी मुश्कुराये और बोले- “मुझे ऐसी ही लड़कियां पसंद है जो अपने माँ बाप का कहना हर हाल में मानें। आ अब मेरे पास आ ताकी मैं वो अमल शुरू कर सकें...

मैं उठी और बोली- “अगर मेरे साथ ये अमल पहले से ही कोई कर चुका हो तो...”

बाबाजी मुश्कुराकर बोले- “मैं तेरे जिश्म को देखकर ही समझ गया था की ये मेहनत किसी और की है और ये बहुत अच्छा है की अब तुझे ज्यादा दर्द नहीं सहना पड़ेगा..."

मैं मुश्कुराई और बोली- “बाबाजी आपकी उमर तो काफी ज्यादा है तो भला आप मुझे क्या दर्द दे सकेंगे...”

बाबाजी हँसे और बोले- “मर्द और घोड़ा कभी बूढे नहीं होते और आज तुझे ये भी पता चलेगा की बूढ़ा आदमी तेरे साथ क्या क्या कर सकता है?”

मैं मुश्कुराकर बोली- “अगर ऐसी बात है तो फिर आप जो चाहें मेरे साथ करें...”

मेरी बात सुनकर बाबाजी मुश्कुराये और उन्होंने मुझे अपनी तरफ घसीटा और मुझे लिपटा लिया फिर उन्होंने अपने होंठों को मेरे होंठों से मिला दिया। मेरे होंठ उनके होंठों से मिले तो मुझे बदबू सी आई जैसे शराब पीने के बाद मुँह से आती है। मैं एक लम्हे को रुकी फिर मैंने अपने होंठ उनके होंठों से मिला दिए। बाबाजी ने मुझे काफी देर से लिपटाया हुवा था और वो मुझे मुसलसल किस कर रहे थे, साथ-साथ उन्होंने मेरे बड़े-बड़े मम्मों को भी दबाना शुरू कर दिया था। जिसकी वजह से मेरे बदन में बेचैनी बढ़ती जा रही थी। थोड़ी देर बाद बाबाजी ने मुझे लिटा दिया और मेरे कपड़े उतारने लगे। थोड़ी देर बाद ही मैं बाबाजी के सामने एकदम नंगी लेटी हुई थी। बाबाजी ने ने मेरा चमकता हुवा बेदाग जिश्म देखा तो देखते ही रह गये।

मैं मुश्कुराई और बोली- “बाबाजी आपको तो साँप सँघ गया है अब आप मेरे साथ अमल कैसे करेंगे?”

मेरी बात पर बाबाजी चौंके और बोले- “लड़की तू तो बहुत खूबसूरत और सेक्सी है। आज तो तेरे साथ खूब मजा आयगा...”

मैं मुश्कुराई और बोली- “सिर्फ़ खुद ही मजा नहीं लेते रहिएगा, मजा मुझे भी चाहिए...”

मेरी बात पर बाबाजी बोले- “लड़की तू ये बात बार-बार बोलकर हमारी बेइज्ज़ती कर रही है। तू बेफिकर रह, आज मैं तुझे वो मजा दूंगा जो आज तक किसी ने भी नहीं दिया होगा...”
 
मैंने सोचा की राणा साहेब वाला मजा तो नहीं आएगा और फिर मैं बोली- “अगर आप मुझ पर अमल करने वाला मंतर दिखा दें तो मुझे तसल्ली हो जायेगी...”

मेरी बात पर बाबाजी मुश्कुराये और बोले- “अगर ऐसी बात है तो ये ले...” ये कहकर बाबाजी ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए। और फिर मुझे नंगा देखकर जो हाल बाबा जी का हुवा था वो ही हाल मेरा हुवा था । बाबाजी का बदन देखकर। बाबाजी का बदन किसी पहलवान की तरह कसरती था और सबसे बढ़कर उनका लण्ड जो की दिखने में पत्थर की तरह ठोस लग रहा था और साइज में ऐसे लग रहा था जैसे वो किसी घोड़े का लण्ड हो। मुझे वो लंबाई में 10 इंच के आस पास लगा।

फिर उन्होंने अपना लण्ड को झटका दिया तो उनका लण्ड उनके पेट से जा लगा और मुझे उनके लण्ड की ताकत का सही से अंदाजा हो गया। बाबाजी ने जो मेरी हालत देखी तो मुश्कुराकर बोले- “क्यों लड़की क्या हुवा क्या सारी हवा निकल गई...”

मेरी हवा वाकई निकल गई थी और मैं हकलाती हुई बोली- “वावोव... बाबाजी आपकी उमर क्या है...” बाबाजी हँसे और बोले- “मेरी उमर 72 साल है.”

बाबाजी की बात सुनकर मुझे हैरत का झटका सा लगा और मैं बोली- “आपका बदन देखकर तो नहीं लगता...”

बाबाजी मुश्कुराकर बोले- “मुझे नोजवानी से पहलवानी का शौक है इसलिए मैं अपने बदन का बहुत खयाल रखता

मैं हैरत से बोली- “और आपका लण्ड.."

वो हँसे और बोले- “मेरा लण्ड पूरे 10 इंच लंबा है... क्यों क्या आज तक इतना बड़ा किसी का नहीं देखा?”

मैंने इनकार में सिर हिलाया।

वो हँस पड़े और बोले- “फिर तो तेरी खैर नहीं है, आज मेरी तेरी चूत और गाण्ड दोनों को फाड़कर रख दूंगा...”

बाबाजी की बात सुनकर मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा और मैं ये सोचकर ही घबराने लगी की आज ये बाबा पता नहीं मेरा क्या हाल करेगा। बाबाजी मेरे पास बैठ गये और मेरे जिश्म को सहलाने लगे। उनके हाथ थोड़े ठंडे थे जिसकी वजह से मेरे जिश्म में करेंट सा दौड़ने लगा और मेरी सिसकारियां निकलने लगीं। बाबाजी ने मेरी दोनों चूचियां को पकड़ लिया और उसे मसलते हुये झुक कर मेरे होंठों को चूमने लगे। मुझ पर एक नशा सा चढ़ रहा था और मेरी आँखें बंद हुई जा रही थी।

थोड़ी देर बाद वो मेरी चूत में उंगली करने लगे। अब वो मुझे किस करते हुये एक हाथ से मेरी चूचियों को दबा रहे थे और दूसरे हाथ से मेरी चूत में उंगली कर रहे थे। अब मेरे जिम में बाकायदा करेंट दौड़ रहा था और मैं बुरी तरह से जज़्बात की शिद्दत से कांप रही थी। फिर बाबाजी मुझे चूमते हुये नीचे आने लगे। काफी देर तक वो मेरी चूचियां चूसते रहे और इसी दौरान उन्होंने अपनी उंगली से ही मुझे झड़ा दिया। मेरा जिश्म बुरी तरह से टूटने लगा, पर वो मेरे चूचियां को चूसते ही रहे। फिर वो दोबारा से मुझे चूमते हुये नीचे जाने लगे और फिर वो मेरी चूत पर आकर रुक गये। अब वो मेरी चूत को अपनी जुबान से चाट रहे थे और मेरे हलाक से तेज सिसकारियां निकल रही थी।
 
बाबाजी ने अपने दोनों हाथों की उंगलियों से मेरी चूत के लबों को चीरा और अपनी जुबान मेरी चूत के अंदर तक डाल दी। उनकी जुबान थोड़ी सख्त हो गई थी। बाबाजी की जुबान भी उनके लण्ड की तरह काफी लंबी थी और अब वो अपनी जुबान को मेरी चूत के अंदर बाहर कर रहे थे। ये मेरी जिंदगी का अलग तजुर्बा था और आज तक किसी ने मेरे साथ ऐसा नहीं किया था। खैर अब तक मुझे सिर्फ 5 लोगों ने चोदा था पर किसी ने आज तक मुझे ये मजा नहीं दिया था। बाबाजी की जुबान काफी सख़्त थी और वो मुझे किसी लण्ड की तरह अपनी चूत में महसूस हो रही थी।

बाबाजी काफी तेजी से अपनी जुबान को मेरी चूत के अंदर बाहर कर रहे थे जिसकी वजह से मैं फिर से अपनी मंजिल तक पहुँच गई और एक तेज सिसकारी के साथ मैं दोबारा से झड़ गई और मेरी चूत से पानी निकलना शुरू हो गया जो की बाबाजी ने चाटना शुरू कर दिया। बाबाजी मुझे चोदे बगैर ही मुझे दो बार फारिग कर चुके थे। फिर उन्होंने मुझे उल्टा करके लिटा दिया और दो तकिये मेरी चूत के नीचे रख दिए जिसकी वजह से मेरे । कूल्हे ऊपर को उठ गये। फिर बाबाजी ने मेरी टाँगों को चीर दिया। मैं समझी की वो मेरी चुदाई की शुरुवात मेरी गाण्ड से करेंगे पर उन्होंने झुक कर मेरी गाण्ड से मुँह लगा दिया।


जब उनकी गीली-गीली जुबान मेरी गाण्ड के सुराख से टकराई तो एकदम से मेरे पूरे जिम में सनसनी सी दौड़ गई और मजे की शिद्दत से मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं। अब तक जिसने भी मुझे चोदा था उन्होंने मेरी चूत तो चाटी थी पर मेरी गाण्ड किसी ने आज तक नहीं चाटी थी। ये मेरे लिए एक नया तजुर्बा था जिसका मैं बहुत मज़ा ले रही थी। वाकई एक बूढ़े आदमी ने मुझे चोदे बगैर ही मुझे वो मजा दिया था जो आज तक कोई नहीं दे पाया था।

मुझे अपनी चूत से ज्यादा अपनी गाण्ड चटवा कर मजा आ रहा था। फिर जब बाबाजी ने मेरी चूत की तरह मेरी गाण्ड में भी अपनी जुबान डालनी चाही तो मैं मजे की शिद्दत से पागल होने लगी और अपना सिर जमीन पर मारने लगी।

थोड़ी सी कोशिश के बाद बाबाजी ने अपनी जुबान मेरी गाण्ड के सुराख में हाल ही दी। अब वो कभी अपनी जुबान मेरी गाण्ड में अंदर बाहर करते, कभी वो अपनी जुबान से किसी नदीदे कुत्ते की तरह मेरी गाण्ड को चाटते। उन्होंने ये अमल मेरे साथ 10 मिनट तक किया और फिर वो लेट गये और मुझे अपना लण्ड चूसने को बोला।

मैं उठकर बैठ गई, मैंने देखा की बाबाजी का लण्ड एकदम सीधा खड़ा था और अपनी फतह का जशन मना रहा था, मुझे बाबाजी के लण्ड पर बड़ा प्यार आया और मैंने बड़ी मुहब्बत से बाबाजी का लण्ड पकड़ लिया। मैंने झुक कर अपने होंठ बाबाजी के टोपे से मिला दिए और उनके टोपे का किस लेने लगी, फिर मैंने अपनी जुबान बाहर निकाली और बाबाजी का लण्ड चारों तरफ से खूब चाटने लगी। मैं एक साइड से उनके लण्ड को चाटती हुई। उनके टोपे तक आती और फिर चाटते हुये दूसरी तरफ से वापिस नीचे चली जाती। मैंने ये अमल काफी देर तक उनके लण्ड के साथ किया।

फिर मैंने अपना पूरा मुँह खोला और बाबाजी का लण्ड अपने मुँह में ले लिया, बाबाजी का लण्ड चंद इंच तक ही मेरे मुँह में गया। मैं अब उनके लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मेरी कोशिश थी की उनका लण्ड । ज्यादा से ज्यादा अपने मुँह में ले लँ पर उनका लण्ड बहुत बड़ा था और वो 4 या 5 इंच ही मेरे मुँह में जा रहा था। बाबाजी मेरी ये कोशिश देख रहे थे। उन्होंने एकदम से मेरा सिर पकड़ा और अपने लण्ड पर दबा दिया। बाबाजी का लण्ड एक झटके से पूरा का पूरा मेरे हलाक के अंदर तक घुस गया। मेरी आँखें एकदम से बाहर को निकल आई और मुझे एकदम से फंदा सा लग गया। मैंने फौरन ही उनका लण्ड अपने मुँह से निकाला और खांसने लगी। बाबाजी हँसने लगे, जबकी मैं उनको नाराजगी की नजरों से देखने लगी।
 
बाबाजी हँसते हुये बोले- “चल माफ कर दे और दोबारा से चूस मेरा लण्ड, तू बहुत अच्छी तरह चूस रही थी...”

मैं बाबाजी को कुछ देर देखती रही तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर अपने करीब किया और मुझे चूमते हुये बोलेतू नाराज बड़ी अच्छी लग रही है दिल तो कर रहा है की तुझे ना मनाऊँ पर तू गुस्सा खतम कर और उसी तरह चूस मेरा लण्ड। तेरा जैसा चुप्पा आज तक किसी ने नहीं लगाया है...”

बाबाजी की बात पर मेरे होंठों पर मुश्कुराहट आ गई और मैंने भी जवाब में उनको चूमा और दोबारा से उनका लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगी। मैंने 5 मिनट और बाबाजी का लण्ड चूसा फिर उन्होंने मुझे लिटा दिया और फिर उन्होंने मेरी टांगें उठाकर अपने कंधों पर रखी तो उनका लण्ड मेरे कूल्हों के सुराख से होता हुवा मेरी कमर तक पहुँच गया।

बाबाजी ने थोड़ा पीछे होकर अपने लण्ड की टोपी को मेरी चूत के सुराख पर रखा और बोले- “अब तेरी बर्दाश्त का इम्तिहान है...” ये कहकर उन्होंने एक जोरदार झटका मारा। मैं समझी थी की पहले वो मुझे आराम आराम से चोदेंगे बाद में अपनी स्पीड बढ़ायेंगे पर उन्होंने तो पहला झटका ही इतना जोरदार मारा था की उनका आधे से ज्यादा लण्ड मेरी चूत में घुस गया था। मेरी आँखों के सामने आँधेरा सा छा गया था। वोही राणा साहेब याद आ गये और आवाज़ मेरे हलक में जैसे फस सी गई थी।

बाबाजी ने फौरन ही दूसरा झटका मारा और अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में जड़ तक घुसा दिया। जो आवाज मेरे हलाक में फँस गई थी वो एक तेज चीख के साथ बाहर निकली और आह्ह्ह मेरी चीख से पूरा स्थान गूंज उठा, बाबाजी ने इसी पर ही बस नहीं किया, उन्होंने फिर अपना लण्ड वापिस बाहर खींचा और पहले से ज्यादा जोरदार तरीके से मेरी चूत में घुसा दिया। मैं तकलीफ की शिद्दत से फिर चीखी पर बाबाजी धपा-धप झटकों पर झटके मार रहे थे। उनका लण्ड किसी सख़्त मोटे और गरम लोहे की तरह मेरी चूत पर जुलूम ढा रहा था और मेरी चूत उनके लण्ड को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और मैं बुरी तरह से चीख रही थी। मेरी आँखों से आँसू भी साथ साथ बह रहे थे।


मुझ पर क्या गुजर रही थी इसकी बाबाजी को कोई परवाह नहीं थी वो तो झटके मारने की मशीन बने हुये थे। जब बाबाजी को झटके मरते हुये 15 मिनट हुये तो मैं भी तीन बार और झड़ हो चुकी थी। फिर आहिस्ताआहिस्ता मेरी चूत उनके लण्ड को बर्दाश्त करने के काबिल हुई और मुझे भी मजा आने लगा और अब मैं लज़्ज़त की वजह से सिसकारियां लेने लगी। बाबाजी ने जो मुझे मजे में देखा तो उन्होंने और तेज झटके मारने शुरू कर दिए।

और बोले- “कंवल आज तुझे चोदकर मुझे चुदाई का असल मजा मिल रहा है, आज तक कोई ऐसी लड़की ही नहीं मिली जो इतनी देर तक मेरे लण्ड को बर्दाश्त कर सके, आज तो मैं तुझे चोद-चोदकर तेरी चूत और गाण्ड का कीमा बना दूंगा.”

मैं कुछ कहना चाहती थी पर बाबाजी के झटके इतने जोरदार थे की मेरे मुँह से सिर्फ गग्ग्घूऊग्ग आअहहा ही निकल रही थी। 20 मिनट और बाबाजी ने मुझे ऐसे चोदा और मैं दो बार और झड़ गई। फिर उन्होंने मुझे उल्टा लिटा दिया और मेरी चूत के नीचे दो तकिये रखे और मेरी टाँगों को चीर दिया। अब मेरी चूत ऊपर उठकर खुल । गई थी। बाबाजी मेरे ऊपर लेट गये। बाबाजी का वजन काफी ज्यादा था और मुझे अपनी कमर टूटती हुई महसूस हुई। पर बाबाजी ने अपना लण्ड पीछे से मेरी चूत में डाला और झटका मार दिया। इस पोजिशन में मेरी चूत और ज्यादा टाइट हो चुकी थी और बाबाजी का लण्ड बुरी तरह से मेरी चूत को चीरता हुवा मेरी चूत में गया। मुझे दर्द तो बहुत हुवा पर मजा भी बहुत आया।
 
मजा बाबाजी को भी आया था इसलिए पहले बाबाजी ने धीरे-धीरे झटके मारे और मुझे बहुत मजा आया। जब बाबाजी का लण्ड मेरी चूत में जाता तो ऐसा लगता था की जैसे उनका लण्ड मेरी चूत की खाल को अपने साथ खींचता हुवा अंदर ले जा रहा है और जब उनका लण्ड वापिस बाहर आता तो मुझे अपनी चूत की खाल उनके लण्ड के साथ बाहर आती हुई महसूस होती। ये बाबाजी के लण्ड की मोटाई और मेरी चूत की टाइटनेस थी जिससे मुझे ऐसा महसूस हो रहा था।
फिर बाबाजी ने अपने झटकों की रफ़्तार बढ़ा दी और मेरे मुँह से तेज सिसकारियां निकलने लगी और इन सिसकारियों में मेरी चीखें भी शामिल हो रही थी। पर अब मैं दर्द से नहीं मजे के आलम में चीख रही थी। बाबाजी का पूरा स्थान मेरी उफफ्फ़... आह्ह्ह... ऊऊह्ह... ऊऊहह... ऊईई... हमम्माआ... हमम्मा... से गूंज रहा था, यकीनन मेरी तेज सिसकारियों की आवाजें बाहर बैठे हुये बाबाजी के दोनों खिदमतगारों के पास भी जा रही होंगी

और मेरी सेक्सी सिसकारियों को सुनकर वो दोनों भी बेताब हो रहे होंगे, मुझे चोदने के लिए। यहां अपने खिदमतगरों की तरफ से बेनियाज बाबाजी मुझे चोदने का पूरा-पूरा मजा ले रहे थे। मजा तो मैं भी ले रही थी पर मुझे इस मजे के लिए बहुत तकलीफ भी बर्दाश्त करनी पड़ रही थी। पर मेरी नजर में इस मजे के लिए अगर मुझे इससे ज्यादा भी तकलीफ बर्दाश्त करनी होती तो मैं खुशी से बर्दाश्त करती।

बाबाजी ने मजीद 10 मिनट मुझे इस तरह चोदा और मुझे एक बार फिर झड़ा दिया। फिर बाबाजी ने रुक कर अपना लण्ड मेरी चूत से निकाला और फिर उन्होंने अपना लण्ड मेरी गाण्ड के सुराख पर रखा और बोले- “कंवल अब मैं तुम्हारी गाण्ड मारने लगा हूँ..."

बाबाजी की बात सुनकर मैंने अपने होंठ सख्ती के साथ बंद कर लिए और होने वाले दर्द को बर्दाश्त करने के लिए तैयार हो गई। फिर बाबाजी ने एक जोरदार झटका मारा, बाबाजी का ये झटका बहुत ही ज्यादा ताकतवर था और उनका लण्ड एकदम से उग्गूड्उब्बब की तेज आवाज निकालता हुवा जड़ तक मेरी गाण्ड में घुस गया। मैंने अपने होंठ सख्ती के साथ बंद किए हुये थे पर ये झटका मेरी उमीद से बहुत ज्यादा जोरदार था और दर्द भी बर्दाश्त के बाहर था, इसलिए मेरे हलाक से एक बहुत ही तेज चीख बुलंद हुई और मेरे सारे बदन में सनसनी से दौड़ गई।

मैं बुरी तरह से कंपकंपाई पर बाबाजी के पूरे जिश्म का वजन मेरे ऊपर था इसलिए मैं जरा सा भी हिल ना सकी पर मेरे मुँह से निकलने वाली चीख ने स्थान की दीवारों को हिलाकर रख दिया था। मेरी चीख पर बाबाजी हँसे
और फिर वो तेज तेज झटके मारने लगे। कमरा मेरी तेज चीखों और घूदुब-घूब की तेज आवाज़ों से गूंज रहा। था। बाबाजी का लंबा और मोटा लण्ड मेरी छोटी से गाण्ड को फाड़ रहा था और दर्द बर्दाश्त ना कर पाकर मैं बुरी तरह से चीख रहीं थी और रो रही थी। 25 मिनट की जबरदस्त गाण्ड मरवाई के बाद मेरी गाण्ड बाबाजी के लण्ड के काबिल हो सकी और मेरा दर्द कुछ कम हवा पर पूरा गया नहीं। अब मैं दर्द और मजे के बीच की कैफियत में थी।
 
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