hotaks444
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रशीदा ने मेरी सेक्सी कैफियत को देखते हुये मेरा हाथ खींचकर मेरी फुद्दी से बाहर निकाला और मेरी पैंटी को उतार दिया। अब मैं आधी नंगी लेटी हुई थी। मुझे अपनी कमीज से उलझन होने लगी, मैंने उसे भी रशीदा की मदद से उतार दिया। मेरे जिश्म पर अब सिर्फ ब्रा थी। जिसमें मेरी 36” के मम्मे बाहर आने क लिये बेचैन होकर फड़फड़ा रहे थे। रशीदा ने उन पर भी अहसान किया और उन्हें ब्रा जैसे पिंजरे से आजाद किया। मेरे मम्मे आजाद हो गये। फिर रशीदा ने मजीद तेल अपने हाथों पर लगाया और मेरी टांगों से शुरू हो गई। पहले एक टांग पर हाथ चलाती और फिर दूसरि टांग पर यही अमल दोहराती।।
मेरी फुद्दी में आग लग चुकी थी जिससे मैं जलने लगी। मेरे जज़्बात बेलगाम होने लगे थे। मैं किसी चिड़िया की तरह फड़फड़ा रही थी। रशीदा बहुत धीरे-धीरे मालिश कर रही थी। वो अपनी उंगलियों की पोरों को इस तरीके से दबाती की बे-इख्तियार मेरी आह निकल जाती। वो अब मेरी फुददी को भी अपनी उंगलियों की पोरों से छू रही थी जिससे मैं लज़्ज़त की अंतहीन गहराईयों मैं डूब चुकी थी। उसने फिर अपनी एक उंगली मेरी फुद्दी में डाल दी और आगे पीछे करने लगी।
मैं हवा में थी और कमरा मेरी सेक्सी आवाजों से गूंज रहा था। रशीदा मेरी राइट साइड से थोड़ी टेढ़ी हुई इस तरह की उसका मुँह मेरे मम्मों पर और उसका हाथ मेरी फुद्दी पर था। उसने मेरा राइट चूची का निपल अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी, मजे की शिद्दत मैं खतरनाक हद तक इजाफा हो गया। मैं बुरी तरह मचल रा थी। रशीदा जनवरों की तरह मेरी चूची को कुचल रही थी।
मेरा चूची के ज्यादा से ज्यादा भाग को अपने मुँह में समा रही थी, और मेरी फुददी पर उसका हाथ बड़ी शिद्दत से चल रहा था। मेरे हाथ चूंकी खाली थे इसलिये मैंने घुमाकर रशीदा की चूचियों पर रख दाए और जोर-जोर से दबाने लगी। रशीदा की आँखों में सुर्वी आ गई उसने एकदम अपना हाथ मेरी फुद्दी से निकाला और अपना मुँह मेरी चूची से हटा लिया। फिर उसने अपनी कमीज उतारी और ब्रा की हुक खोलके अपने मम्मे भी आजाद किये। जवानी से भरपूर ब्राउन निपल वाले रशीदा की भारी मम्मे बाहर निकल आए। फिर उसने शलवार उतारी और बिल्कुल नंगी हो गई। इधर मैं बुरी तरह तड़प रही
थी।
उसने मुझे मंजिल के बिल्कुल करीब पहुँचाकर छोड़ दिया था। खुद को कपड़ों की कैद से आजाद करवाने के बाद मेरे ऊपर आई। मेरे पेट के ऊपर आकर उसने अपनी टाँगें खोलकर इर्द गिर्द रखी। उसकी बालों से पाक चूत मुझे कतरे बिखेरती नजर आ रही थी। लेज़्बीयन सेक्स में वो इतनी ठीक होगी मुझे पता न था। (उसने बाद में । बताया था की वो ब्लू फिल्म्स देखती रहती है और लेज़्बीयन सेक्स पसन्द करती है)।
मेरे ऊपर आकर उसने अपने होंट मेरे होंटों से मिलाए और चूसने लगी। मैं भी उसका भरपूर साथ दे रही थी। वो अपनी जुबान को मेरी जुबान पर छूआती तो मजा एक करेंट बनकर मेरे पूरे जिम में फैल जाता। होंठों की चूसा चूसी काफी देर तक जारी रही। फिर उसने अपना एक मम्मा मेरे मुँह में डाल दिया। मैं उसके मम्मों को जी जान से चूसने लगी और कभी हल्का सा दांतों का दबाओ भी डालती। उसने अपना हाथ अपनी चूत पर अड्जस्ट किया और रगड़ने लगे। उसके मुँह से सिसकारियां निकली उसका जिश्म अकड़ा और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। चूंकी वो घोड़ी बनी मुझसे मम्मे चुसवा रही थी और उसकी फुद्दी मेरे पेट से ऊपर थी। तो उसका पानी रिस-रिसके मेरी नाभि पर गिरने लगा और उसे भरने लगा। वो लम्बे-लम्बे सांस लेने लगी। फिर वो साइड पर हो
गई और मेरे साथ गिर गई।
मेरा बुरा हाल था। मेरी आग तो वैसे ही जल रही थी। मैंने बेचानी के आलम में अपना हाथ अपनी चूत पर सेट किया और रगड़ने लगी। फिर अचानक रशीदा उठी, मेरे चलते हुये हाथ को रोका और अपना मुँह मेरी फुद्दी पर सेट कर दिया और... और अपनी जुबान मेरी चूत में दाखिल कर दी और अंदर बाहर करने लगी। मैं बिन पानी के मछली की तरह तड़पने लगी।
रशीदा अपना मुँह मेरी फुद्दी में घुसेड़े हुये थी और अपनी जुबान चला रही थी। मैं अपने हाथों से उसका सर पकड़के अपनी फुद्दी पर दबा रही थी मानो मेरा बस चले तो पूरा का पूरा सर अपनी फुद्दी में डालके उसे फाड़ हूं। मेरी मजे से भरपूर सिसकारियां निकल रही थी। जब रशीदा कभी अपनी जुबान को दाने पर छूती तो एक लहर सी जिम में उठती और पूरे जिम में फैल जाती। मेरा अंग अंग मस्ती में डूबा हुवा था। फिर मैंने अपने हाथ रशीदा के सर से हटा लिए और अपने मम्मों पर रखके उन्हें जोर-जोर से दबाने लगी जिससे मजे की। कैफियत दोगुना हो गई। रशीदा अपना काम पूरे जोश से कर रही थी। मुझे लगा की मैं मंजिल पर पहुँचने लगी हूँ तो मैंने अपने मम्मों को और जोर-जोर से रगड़ना शुरू कर दिया।
मेरी फुद्दी में आग लग चुकी थी जिससे मैं जलने लगी। मेरे जज़्बात बेलगाम होने लगे थे। मैं किसी चिड़िया की तरह फड़फड़ा रही थी। रशीदा बहुत धीरे-धीरे मालिश कर रही थी। वो अपनी उंगलियों की पोरों को इस तरीके से दबाती की बे-इख्तियार मेरी आह निकल जाती। वो अब मेरी फुददी को भी अपनी उंगलियों की पोरों से छू रही थी जिससे मैं लज़्ज़त की अंतहीन गहराईयों मैं डूब चुकी थी। उसने फिर अपनी एक उंगली मेरी फुद्दी में डाल दी और आगे पीछे करने लगी।
मैं हवा में थी और कमरा मेरी सेक्सी आवाजों से गूंज रहा था। रशीदा मेरी राइट साइड से थोड़ी टेढ़ी हुई इस तरह की उसका मुँह मेरे मम्मों पर और उसका हाथ मेरी फुद्दी पर था। उसने मेरा राइट चूची का निपल अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी, मजे की शिद्दत मैं खतरनाक हद तक इजाफा हो गया। मैं बुरी तरह मचल रा थी। रशीदा जनवरों की तरह मेरी चूची को कुचल रही थी।
मेरा चूची के ज्यादा से ज्यादा भाग को अपने मुँह में समा रही थी, और मेरी फुददी पर उसका हाथ बड़ी शिद्दत से चल रहा था। मेरे हाथ चूंकी खाली थे इसलिये मैंने घुमाकर रशीदा की चूचियों पर रख दाए और जोर-जोर से दबाने लगी। रशीदा की आँखों में सुर्वी आ गई उसने एकदम अपना हाथ मेरी फुद्दी से निकाला और अपना मुँह मेरी चूची से हटा लिया। फिर उसने अपनी कमीज उतारी और ब्रा की हुक खोलके अपने मम्मे भी आजाद किये। जवानी से भरपूर ब्राउन निपल वाले रशीदा की भारी मम्मे बाहर निकल आए। फिर उसने शलवार उतारी और बिल्कुल नंगी हो गई। इधर मैं बुरी तरह तड़प रही
थी।
उसने मुझे मंजिल के बिल्कुल करीब पहुँचाकर छोड़ दिया था। खुद को कपड़ों की कैद से आजाद करवाने के बाद मेरे ऊपर आई। मेरे पेट के ऊपर आकर उसने अपनी टाँगें खोलकर इर्द गिर्द रखी। उसकी बालों से पाक चूत मुझे कतरे बिखेरती नजर आ रही थी। लेज़्बीयन सेक्स में वो इतनी ठीक होगी मुझे पता न था। (उसने बाद में । बताया था की वो ब्लू फिल्म्स देखती रहती है और लेज़्बीयन सेक्स पसन्द करती है)।
मेरे ऊपर आकर उसने अपने होंट मेरे होंटों से मिलाए और चूसने लगी। मैं भी उसका भरपूर साथ दे रही थी। वो अपनी जुबान को मेरी जुबान पर छूआती तो मजा एक करेंट बनकर मेरे पूरे जिम में फैल जाता। होंठों की चूसा चूसी काफी देर तक जारी रही। फिर उसने अपना एक मम्मा मेरे मुँह में डाल दिया। मैं उसके मम्मों को जी जान से चूसने लगी और कभी हल्का सा दांतों का दबाओ भी डालती। उसने अपना हाथ अपनी चूत पर अड्जस्ट किया और रगड़ने लगे। उसके मुँह से सिसकारियां निकली उसका जिश्म अकड़ा और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। चूंकी वो घोड़ी बनी मुझसे मम्मे चुसवा रही थी और उसकी फुद्दी मेरे पेट से ऊपर थी। तो उसका पानी रिस-रिसके मेरी नाभि पर गिरने लगा और उसे भरने लगा। वो लम्बे-लम्बे सांस लेने लगी। फिर वो साइड पर हो
गई और मेरे साथ गिर गई।
मेरा बुरा हाल था। मेरी आग तो वैसे ही जल रही थी। मैंने बेचानी के आलम में अपना हाथ अपनी चूत पर सेट किया और रगड़ने लगी। फिर अचानक रशीदा उठी, मेरे चलते हुये हाथ को रोका और अपना मुँह मेरी फुद्दी पर सेट कर दिया और... और अपनी जुबान मेरी चूत में दाखिल कर दी और अंदर बाहर करने लगी। मैं बिन पानी के मछली की तरह तड़पने लगी।
रशीदा अपना मुँह मेरी फुद्दी में घुसेड़े हुये थी और अपनी जुबान चला रही थी। मैं अपने हाथों से उसका सर पकड़के अपनी फुद्दी पर दबा रही थी मानो मेरा बस चले तो पूरा का पूरा सर अपनी फुद्दी में डालके उसे फाड़ हूं। मेरी मजे से भरपूर सिसकारियां निकल रही थी। जब रशीदा कभी अपनी जुबान को दाने पर छूती तो एक लहर सी जिम में उठती और पूरे जिम में फैल जाती। मेरा अंग अंग मस्ती में डूबा हुवा था। फिर मैंने अपने हाथ रशीदा के सर से हटा लिए और अपने मम्मों पर रखके उन्हें जोर-जोर से दबाने लगी जिससे मजे की। कैफियत दोगुना हो गई। रशीदा अपना काम पूरे जोश से कर रही थी। मुझे लगा की मैं मंजिल पर पहुँचने लगी हूँ तो मैंने अपने मम्मों को और जोर-जोर से रगड़ना शुरू कर दिया।