Desi Sex Kahani मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है - Page 3 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Desi Sex Kahani मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है

दूसरे ही लम्हे सुल्तान भाई ने मेरे जिस्म को अपने बाज़ूँ की गिरफ़्त में दबोच लिया.

“हां रुखसाना तुम ने ये ऐसी आग मेरे अंदर लगा दी है कि में चाहू भी तो तुम से अब दूर नही रह सकता मेरी बहन”सुल्तान भाई बुरी तरह से मेरे साथ लिपट गया .और अपने प्यासे होंठों को मेरे गुलाबी और रेशम की तरह सॉफ्ट होंठों पे जमा कर पागलों की तरह मेरे होंठों, मुँह और गालों पर चूमने लगा.

अजीब दास्तान है ये
कहाँ शुरू कहाँ ख़तम
ये मंज़िलें है कौन सी
ना वो समझ सके ना हम

अपने साथ अपने भाई के वलिहाना प्यार का ये अंदाज़ देख कर में भी खुशी से झूम उठी.

और मेरे बाज़ू खुद ब खुद सुल्तान भाई की कमर के इर्द गिर्द जकड गये.

फिर मैने भी अपने भाई को उसी गरमजोशी के साथ अपनी बाँहों में भर लिया.

अब मेरे और मेरे भाई सुल्तान के दरमियाँ किस्सिंग का एक ना रुकने वाला सिलसिला शुरू हो गया.

सुल्तान भाई की ज़ुबान मेरे मुँह में और मेरी ज़ुबान सुल्तान भाई के मुँह में फिसल रही थी.

मेरे मुँह में मुँह डालते ही सुल्तान भाई ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर मेरे गुदाज ,बड़े और मोटे मम्मे को अपने हाथ में थाम लिया और किस्सिंग के दौरान आहिस्ता आहिस्ता मेरे मम्मे से खैलने लगा.

अपने भाई का हाथ अपने मम्मे पर पा कर मेरे मुँह से एक सरूर भरी सिसकी निकली” अहहाआआआअ”

सुल्तान भाई बड़े चाव से मेरे बड़े और गोल मटोल मम्मे को अपने हाथ में ले कर सहलाने लगा.

कमीज़ के उपर से मुझे अपने मम्मे अपने भाई से मसलवाने में बहोत मज़ा आ रहा था.

इस मज़े को महसूस करते हुए मैने अपने आप को अपने भाई के मुकम्मल हवाले कर दिया.

हम दोनो बहन भाई के मुँह एक दूसरे के मुँह से पूरी तरह जुड़े हुए थे.

और हम एक दूसरे पर किस्सिंग की बरसात करने में मसरूफ़ थे.

इसी दौरान भाई ने मेरे मम्मे को आज़ाद करते हुए अपने हाथ को आगे बढ़ाया.

और मेरे पेट के उपर से अपने हाथ को फेरता हुआ मेरी रेशमी सलवार के उपर लिया और फिर मेरी चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया.

अपने भाई के हाथ अपनी गीली चूत पर पाते ही मेरे मुँह से फिर एक सिसकारी निकली” ओहााआआआआआआआ.

मेरी सरूर भरी सिसकी मेरे भाई के जज़्बात को भी शायद आग लगा गई.

“उफफफफफफफफ्फ़ रुखसाना कितनी गरम चूत है तुम्हारी”सुल्तान भाई ने जोश में आते हुए मेरी शलवार के उपर से मेरी चूत पर अपने हाथ का दबाव बढ़ा दिया.

सुल्तान भाई के हाथ की गर्मी ऑर सख्ती मेरी चूत ऑर मेरे सारे बदन में अग लगाने लगी..और में मज़ीद गरम हो कर लज़्ज़त भरी सिसकारियाँ लेने लगी.

साथ ही में भी अपने भाई की हरकत की तल्क़ीद (कॉपी) करते हुए अपना हाथ फॉरन नीचे लाई. और सुल्तान भाई की शलवार में उठे हुए भाई के जवान तगडे लंड को अपने काबू में कर लिया..

ज्यूँ ही मैने अपने भाई का तना हुआ लंड अपने हाथ में लिया. तो भाई को भी अपनी बहन के हाथों की गरमी का लामास अपने लंड पर महसूस कर के मज़े के मारे एक झटका सा लगा.

और उस ने मज़े के मारे “सिसस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स” करते हुए अपने गरम होंठो का दबाव मेरे नादान होंठों पर बढ़ा दिया.

अब हम दोनो बहन भाई के हाथ एक दूसरे के लंड और फुद्दी से खेलने लगे.

और हमारे मुँह और ज़ुबान एक दूसरे से चिपक कर एक दूसरे के प्यासे लबों का रस निचोड़ रहे थे.

हवस की आग ने हम दोनो को इतना पागल कर दिया था.कि अब हम दोनो भूल चुके थे कि हम दोनो बहन भाई हैं.

जिस्मो की जलती आग में हम दोनो को अब एक ही रिश्ता याद था. और वो रिश्ता एक मर्द और औरत और चूत और लंड का ही था.
 
कुछ देर के बाद सुल्तान भाई ने मुझ अपने बाज़ू की क़ैद से आज़ाद किया और बोले “ जान ज़ेरा अपने कपड़े उतार कर अपने आशिक़ को अपने हसीन बदन का दीदार भी तो कर्वाओ ना”

लगता था कि लंड की गर्मी सुल्तान भाई के दिमाग़ को चढ़ गई थी.

इस लिए वो अब सारी “शर्म ओ हया” की “माँ बहन” करते हुए अपनी ही बहन को एक माशूक़ के तौर पर देखने लगा था.

मुझे भी अपने भाई के अपने आप को मेरा आशिक़ कहना अच्छा लगा.

और मेरा दिल भी अपने आप को नंगी कर के अपने भाई के सामने एक फॅशन मॉडेल की तरह कॅट वॉक करने को मचलने लगा.

वैसे तो सुल्तान भाई रात के अंधेरे में दो दफ़ा मेरे मम्मे और मेरी चूत को चूस और चोद तो चुके थे.

मगर इतना सब कुछ करने के बावजूद सुल्तान भाई अभी तक मेरे जिस्म के नंगे नज़ारे से महरूम थे.

इस लिए शायद सुल्तान भाई से अब मजीद सबर नही हो रहा था. और उस का दिल जल्द से जल्द अपनी सग़ी बहन को बे लिबास कर के दिन की रोशनी में उस के नंगे बदन को देखने के लिए मचल रहा था.

में: “भाई मुझे डर है कि कहीं नुसरत और गुल नवाज़ घर वापिस ना आ जाएँ और हम दोनो को इस हालत में रंगे हाथों पकड़ लें” 

सुल्तान भाई: “तुम उन की फिकर मत करो,मेरे ख़याल में उन दोनो ने तो शूकर किया हो गा कि में उधर से चला आया.और मुझे पक्का यकीन है हमारी तरह वो दोनो बहन भाई भी इस वक़्त दिल खोल कर आपस में रंग रलियाँ मना रहे होंगे” सुल्तान भाई ने मेरी तरफ एक शरारती मुस्कराहट से देखते हुए जवाब दिया.

“भाई मुझ अपने कपड़े उतारने में शरम आ रही है”मैने जहनी तौर पर शरमाने का नाटक करते हुए भाई से कहा.

“ हाए ज़रा नखरे तो देखो मेरी गरम मस्तानी बहन के” भाई मेरी बात पर हंसते हुआ बोला और आ गये बढ़ कर पहले मेरी छाती से मेरे दुपट्टे को अलहदा किया.
 
“भाई मुझ अपने कपड़े उतारने में शरम आ रही है”मैने जहनी तौर पर शरमाने का नाटक करते हुए भाई से कहा.

“ हाए ज़रा नखरे तो देखो मेरी गरम मस्तानी बहन के” भाई मेरी बात पर हंसते हुआ बोला और आ गये बढ़ कर पहले मेरी छाती से मेरे दुपट्टे को अलहदा किया.

और फिर पीछे से मेरी कमीज़ की ज़िप को खोल कर मेरे गीली बदन से चिमटी हुई मेरी कमीज़ को उतार कर बिस्तर पर फैंक दिया. इस दौरान मैने भी अपने हाथ उपर उठा कर अपनी कमीज़ उतारने में अपने भाई की मदद की.

मेरी कमीज़ को मेरे जिस्म से उतार कर सुल्तान भाई मेरे जिस्म का पहली बार नज़ारा करने के लिए थोड़ा पीछा हटा.

आज मैने सफेद रंग का ब्रेजियर पहना हुआ था. जो मेरे बड़े मम्मो को काबू करने से कसीर था.

जिस की वजह से मेरे आधे से ज़ेयादा मम्मे ब्रेजियर से बाहर झलक रहे थे.

सुल्तान भाई ने जब मेरे ब्रेजियर से बाहर छलकते हुए मम्मो को पहली दफ़ा दिन की रोशनी में देखा.

तो अपनी बहन के मम्मो के हुश्न को देख कर वो तो जैसे जोश और मस्ती में पागल हो गया.

और भाई के मुँह से बेसखता ये अल्फ़ाज़ निकले” माश*****” “चस्मे बद्दूर”. 

“उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ रुखसाना,तुम्हारा जिस्म और तुम्हारे मम्मे कितने प्यारे और कितने खूबसूरत हैं मेरी बहन”

अपने भाई से दो दफ़ा पहले चुदाई करवाने के बावजूद मुझे उस वक़्त यूँ पहली बार अपने भाई के सामने आधा नंगा हो कर बैठने में थोड़ी शरम आ रही थी.

क्यों कि जो भी हो सुल्तान था तो मेरा सगा भाई. और एक बहन होने के नाते मैने तो उस के सामने अपना दुपट्टा भी अपने सर से कभी नही उतारा था. 

और आज में ना सिर्फ़ खुद अपने भाई को अपने कपड़े उतारने का कह चुकी थी.बल्कि मैने खुद भी अपनी कमीज़ उतारने में अपने भाई की मदद की थी.

थोड़ी देर मेरे आधे नंगे मम्मो को देखने के बाद सुल्तान भाई आहिस्ता आहिस्ता चलता हुआ मेरे करीब आया और झुक कर मेरी ब्रेजियर से बाहर छलकते हुए मम्मो के उपर अपनी ज़ुबान फेरने लगा.

“उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़”भाई की गरम ज़ुबान मेरी छातियों के गोश्त पर लगने की देर थी. कि मेरी चूत से पानी एक सेलाब उमड़ा जो मेरी शलवार को भिगोता हुआ मेरी रानो को भी तर कर गया...

सुल्तान भाई ने बड़े प्यार से मेरी छातियों पर अपने प्यार की बरसात भिगो दिया और में मज़े से सिसकने लगी.

थोड़ी देर मेरे मम्मो की दरमियाँ वाली जगह (क्लीवेज़) को चाटने के बाद. सुल्तान भाई अपने हाथ को मेरे नंगे पेट पर फेरते फेरते मेरी शलवार के नाडे की तरफ बढ़ने लगा.

जैसे जैसे भाई का हाथ मेरे पेट पर फिरता गया मुझ पर एक नशा सा चढ़ता गया.और मेरे बदन में एक सनसनी सी चढ़ती गई.

सुल्तान भाई का हाथ बढ़ता हुआ मेरे नाडे तक पहुँचा और फिर भाई ने अपनी बहन के नाडे को हाथ में ले कर हकला सा झटका दिया.

तो मेरी शलवार “खुल जा सिम सिम” की तरह अपने भाई की नज़रों के “मनो रंजन” के लिए खुलती ही चली गई.

में शादी के बाद आज तक कितनी ही दफ़ा अपने शोहर गुल नवाज़ के हाथों पूरी नगी हुई थी.

और इस से पहले भी रात की तन्हाई में एक दफ़ा अपने भाई के हाथों अपने कपड़े उतरवा चुकी थी.

मगर आज दिन की रोशनी में अपने सुहाग वाले बिस्तर पर अपने ही भाई के हाथ अपने आप को अपने कपड़ों की क़ैद से आज़ाद होता देख कर मेरी फुद्दी पानी पानी होने लगी.

सुल्तान भाई ने मेरी शलवार को उतार कर उसे भी मेरी कमीज़ के पास ही फैंक दिया.

अब में कपड़ों के बगैर सिर्फ़ अपने ब्रेजियर में आधी नगी बिस्तर पर बैठी थी.
 
और मेरे भाई की जिन्सी ,भूकि नज़रें मेरे मोटे मम्मो और थोड़े थोड़े बालों वाली पानी छोड़ती मेरी चूत के एक एक हिस्से पर फिसल रही थीं.

सुल्तान भाई ने मेरे जिस्म का एक भरपूर जायज़ा लिया और बोला “हाईईईईईईईई क्या खूबसूरत “नशे बू फ़राज़ “ हैं मेरी बहन के जवानी से भरे बदन के.

में तो पागल हूँ जो कि हुश्न की तलाश में आज तक घर से बाहर ही झक मारता रहा.

जब कि मुझे ये अंदाज़ा ही नही हुआ कि मेरे तो अपने घर में ही हुश्न का ख़ज़ाना दफ़न है.

सुल्तान भाई मेरे जिस्म को नंगा कर के पुर जोश और मस्ती में आ चुका था.

और इसी मस्ती और जोश में बह कर एक शायर की तरह वो मेरी तारीफों के पुल बाँधने लगा.

में एक बहन होने के साथ साथ एक औरत भी थी. और किसी भी औरत की तरह मुझे भी अपनी तारीफ अच्छी लगती थी.

और आज जब कि कोई गैर मर्द नही बल्कि मेरा सगा भाई मेरे नंगे जिस्म की तारीफ में “ज़मीन-ओ-आसमान” मिला रहा था. तो ये सब मुझे अच्छा लगना एक फितरती अमल था.

इस लिए अपने भाई के मुँह से अपने जिस्म की तरफ सुन कर में मज़ीद गरम हो गई.

इतनी देर में सुल्तान भाई ने भी अपनी कमीज़ को उतार दिया.

अब सुल्तान भाई अपनी शलवार में मेरे बिल्कुल सामने खड़ा था. और वो बड़ी ललचाई हुई नज़रों से मेरे आधे नंगे जिस्म को देख कर अपनी ज़ुबान को अपने होंठो पर फैरने लगा.

सुल्तान भाई थोड़ी देर इसी तरह खड़ा मेरे जिस्म का नज़ारा लेता रहा.और साथ ही साथ अपनी शलवार में खड़े हुए अपने लंड को भी हाथ में ले कर हल्के हल्के अपने लंड की मूठ मार रहा था.

उस वक़्त मेरे कमरे का नज़ारा भी खूब था. में बिस्तर पर बैठी हुई एक बहन अपने ही सगे भाई को अपने आधे नंगे जवान जिस्म का दावते नज़ारा दे रही थी.

जब कि एक भाई अपने लंड की मूठ लगा लगा कर अपने लंड को अपनी सग़ी बहन की “शजरे ममनोवा” चूत में तीसरी दफ़ा डालने के लिए तैयार कर रहा था.

वाह ये जिस्म की आग भी किया चीज़ होती है यारो. वो सुल्तान भाई जो कुछ टाइम पहले तक गैरत के नाम पर अपनी बहन को क़तल करने पर तुला हुआ था.

अब वो ही भाई अपने लंड की गर्मी के हाथों मजबूर हो कर अपनी बहन की इज़्ज़त तार तार करने पर आमादा हो गया था.

थोड़ी देर मेरे जिस्म से अपनी आँखों को सेकने के बाद सुल्तान भाई दुबारा मेरे करीब बिस्तर पर आन बैठा.

भाई ने मुझे अपनी बाहों में ले कर मेरे ब्रेजियर को उतारने की बजाय ब्रेजियर को खैंच कर मेरे मम्मो से नीचे कर दिया.

जिस की वजह से मेरे मोटे जवान मम्मे ब्रेजियर से बाहर निकल कर सुल्तान भाई की भूकि आँखों के सामने पूरी तरह नुमाया हो गये.

सुल्तान भाई ने बहुत प्यार भरी नज़रों से मेरे तने हुए लंबे निपल्स को देखा और मेरे नंगे ब्राउन मम्मे और उन पर डार्क ब्राउन निपल्स को देख कर भाई और जोश में आ गया.

“रुखसाना क्या मजेदार मम्मे हैं तुम्हारे मेरी जान” भाई ने मेरे भारी मम्मो को अपने हाथ में थामते हुआ कहा.

इस के साथ ही सुल्तान भाई ने मेरे मम्मो पर अपना मुँह रख कर मेरे मम्मो पर अपनी गरम ज़ुबान फेरना शुरू कर दिया और जोश में आते हुए मेरे मम्मो पर किस्सस की बारिश कर दी.
 
में अपने मम्मो पर अपने भाई की ज़ुबान के लामास को महसूस कर के मदहोश होने लगी. और मदहोशी के आलम में ही अपने भाई को अपने मम्मो को प्यार करती देखती रही.

सुल्तान भाई मेरे मम्मो की गली को और मम्मो के दरमियाँ वाले हिस्से को अपनी ज़ुबान से चूमता रहा.

मेरा दिल चाह रहा था कि भाई मेरे निपल्स को भी अपने मुँह में ले कर उन को चूसे.

भाई मेरे मम्मो के गोश्त पर अपनी ज़ुबान फेरते फेरते काफ़ी दफ़ा मेरे निपल्स के नज़दीक तो पहुँचा. लेकिन उस ने मेरे निपल्स को अपने मुँह में नही लिया.



मुझे ऐसे लग रहा था. जैसे सुल्तान भाई जान भूज कर मेरे लंबे और तने हुए निपल्स को नज़र अंदाज़ कर रहा है.

जब कुछ देर के तक भाई ने मेरे निपल्स को नज़र अंदाज़ किया तो मेरे सबर का पेमाना लबरेज हो गया.

और मैने अपने दोनो हाथों से भाई के चेहरे को पकड़ा और उस के मुँह को अपने लंबे और तने हुए निपल पर रखते हुए सुल्तान भाई से कहा” मेरे निपल्स को भी मुँह में भर कर चूसो भाईईईईईईईईईईई”

भाई ने अपनी आँखें उपर उठा कर मेरी आँखों में देखा और फिर बिना कोई बात किए मेरे बाए निपल को मुँह में ले कर उसे अपने दांतो में दबा और शुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्रर्प शुर्र्ररर्प" कर के मेरे निपल पर अपनी जीभ फेरने लगा. और साथ ही साथ मेरे दूसरे मम्मे को अपने हाथ में ले कर बेदर्दी से दबाने लगा.

ज्यूँ ही मेरे निपल को भाई ने अपने दाँत से काटा तो में चिल्ला पड़ी, "आआआआआ..... काटो नही…आराम से चूसो, नाअ भाई"..

सुल्तान भाई बिल्कुल एक बच्चे की तरह मेरे निपल को चूसने लगा.वो बारी बारी मेरे दोनो निपल्स को चूस रहा था.

इस दौरान जब कभी वो अपनी जीभ से मेरे निपल्स को हिलाता तो उस का असर सीधा मुझ मेरी चूत में महसूस होता और बस मुझ ऐसा लगता जैसे अभी मेरी चूत अपना पानी छोड़ दे गी और में फारिग हो जाउन्गी.

फिर तो जैसे सुल्तान भाई पर पागल पन का एक दौड़ा ही पड़ गया. और उस ने मेरे मम्मे चूसने, दबाने ऑर मेरे मना करने के बावजूद उन पे दाँत से काटने शुरू कर दिए.

सुल्तान भाई मेरे मम्मो को मुँह में ले कर चूस रहा था और साथ ही साथ अपने दोनो हाथों से मेरे जिस्म के हर हिस्से को छू बी रहा था.

सुल्तान भाई की हरकतें मुझे भी पागल बना रही थीं.और मेरे जिस्म की हवस भी बढ़ती जा रही थी.

मैने भी अपने हाथ को बढ़ा के अपने भाई की शलवार के नाडे को खोला और भाई की शलवार को उस की गान्ड से नीचे करते हुए भाई का लंड अपने हाथ में पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया.

और फिर आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथ को भाई के लंड पर उपर नीचे फेरते हुए अपने भाई की मूठ मारने लगी.

सुल्तान भाई अपनी बहन को अपनी मूठ मारता देख कर और भी गरम हो गया और कहने लगा “तुम तो मुझे मेरी बीवी नुसरत से भी ज़्यादा मज़ा दे रही हो मेरी बहन”.

मैने रात के अंधेरे में अपने भाई का लंड को दो दफ़ा अपनी फुद्दी में डलवाया तो ज़रूर था. मगर में भी अभी तक भाई के लंड के दीदार से महरूम ही थी.

इस लिए अब मेरी दिली ख्वाहिश थी. कि जिस तरह सुल्तान भाई ने थोड़ी देर पहले मेरे जिस्म का दीदार किया है. उसी तरह में भी अपने भाई के लंड का दिन की रोशनी में दीदार करूँ.

इस ख्वाहिश की तकमील के लिए मैने अपने जिस्म से चिमटे हुए अपने भाई को अपने बदन से अलग किया.

और फिर सुल्तान भाई के पास से उठ कर में अपने भाई के सामने जा खड़ी हुई.

मेरे बिस्तर से उठ ते ही सुल्तान भाई ने अपनी शलवार को अपने जिस्म से अलग कर दिया. इस तरह अब सुल्तान भाई बिस्तर पर पूरा नंगा बैठा हुआ था.

मैने सुल्तान भाई के सामने खड़े हो कर अपने भाई के जिस्म पर अपनी निगाह दौड़ाई. तो देखा कि सुल्तान भाई का लंबा,मोटा और सख़्त लंड किसी शेष नाग की तरह अपना फन फैलाए भाई की टाँगों के दरमियाँ अकड़ा खड़ा है.

अपने भाई के लंड को इस तरह खड़ा देख कर मेरी फुद्दी तो जैसे किसी अब्शर की तरह बरसने लगी.

मेरे भाई का लंड लंबाई में तो मेरे शोहर गुल नवाज़ जितना ही था. मगर सुल्तान भाई के लंड की मोटाई मेरे शोहर गुल नवाज़ के लंड से ज़्यादा थी. खास तौर पार सुल्तान भाई के लंड की टोपी बहुत मोटी और फूली हुई थी.

“तिर्छी टोपी वाले
लंबे मोटे काले”

और ये ही वजह थी कि जब सुल्तान भाई का लंड पहली दफ़ा मेरी तंग फुद्दी की दीवारों को चीरता हुआ मेरे अंदर दाखिल हुआ था.

तो शादी शुदा होने के बावजूद मुझे पता चल गया था कि असली लंड किसे कहते हैं.

नुसरत फ़तेह अली के एक गाने .

“की वेन लौडे तूँ नज़राण हटवाँ
नही तेरे जिया हूर दिस्दा
दिल कारदा तेरे तू चूड़ी जा वाँ
नही तेरे जिया हूर मिल्दा”

मेरा दिल भी अपने भाई के सख़्त लंड से अपनी नज़रें हटाने को नही चाह रहा था.

में आँखे फाड़ फाड़ कर अपने भाई के मोटे सख़्त लंड को देखने लगी.क्यो कि ये कोई मामूली लंड नही था. बल्कि ये तो मेरे लिए बहुत ही अज़ीम और आला लंड था.

क्यों कि ये ही वो लंड था . जिस ने अपना पानी मेरी बच्चे दानी में छोड़ कर मुझे एक माँ बन ने का मोका फ़ेरहम किया है था.

इस लिए अब मुझ पर लाज़ाम था कि एक सच्ची दासी की तरह में इस लंड की पूजा करती.

चूंकि एक दफ़ा पहले अंजाने में मेरे साथ जबर्जस्ती करते हुए सुल्तान भाई मुझ से अपने लंड का चूसा लगवा कर मुझे लंड चुसाइ का स्वाद दे चुका था.

और उस पहली लंड चुसाइ का ज़ायक़ा अभी तक मेरे मुँह में माजूद था. इस लिए अब भाई के लंड को पूरी तरह नगा अपने सामने देख कर मेरी मुँह में पानी भर आया.

मेरी चूत अपने भाई के लंड के लिए तडप रही थी. और मेरा दिल चाह रहा था कि में बेशर्मी की हर हद पार कर दूं.

मैने अपने होठों को दाँत से काटते हुए सुल्तान भाई से कहा, " भाई अगर आप बुरा ना मानो तो में आप के लंड को चूसना चाहती हूँ."

सुल्तान भाई मेरी इस फरमाइश पर खुश होते हुए बोला, "इस में इजाज़त की क्या बात है, ये लंड तो अब सिर्फ़ तुम्हारा ही है मेरी जान."

में सुल्तान भाई का जवाब सुन कर ख़ुसी से झूमती आई. और आ कर घुटनों के बल भाई की टाँगों के दरमियाँ बैठ गई.

इस पोज़िशन में सुल्तान भाई का लंड अब मेरे मूँह के बिल्कुल सामने था.

मैने दोनो हाथों से भाई के लंड को पकड़ा और लंड की टोपी पर आहिस्ता से किस किया.

मेरी इस हरकत से भाई तो तड़प कर रह गया.और “ओह” करते हुए सुल्तान भाई को ऐसा जोश आया कि उस के लंड से एक दम सफेद रंग की मलाई उमड़ पड़ी.

जिस को देखते ही देखते मैने अपनी ज़ुबान से चाटते हुए अपने मुँह में निगल लिया.

अपने भाई के लंड के पानी का नमकीन नमकीन ज़ायक़ा मुझ बहुत मजेदार लगा.

मैने अपने भाई के पानी छोड़ते लंड को मुँह में ले कर उपर भाई की तरफ देखा.तो सिसकियाँ भरते सुल्तान भाई मुझे बड़े प्यार से अपना लंड चूसते हुए देख रहा था.

“उूुुुुुुउउ हाएएययी कितना मोटा है तुम्हारा लंड. देखो अब कभी भी मुझे इस लंड से दूर मत रखना. भाईईईईईई”

मैने भाई की आँखों में आँखे डाल कर देखते हुए भाई से कहा.और पागलों की तरह अपने भाई का लंड का चोसा लगाने लगी.

में भाई के लंड की टोपी को अपनी ज़ुबान से गीला कर देती ऑर फिर उसे मुँह में ले कर चुस्ती.

साथ ही साथ में अपने हाथों से सुल्तान भाई के टट्टो को मसल्ति रही और ज़ुबान से उस के टट्टो को चाटा ऑर चूसा.

और फिर भाई के टट्टो को मूँह में ले कर सक करने लगी ऑर अपने हाथ से उस के लंड की मूठ लगाने लगी.

मेरे इस तरह लंड चूसने से भाई मज़े से बेहाल हो रहा था. उस के मुँह से निकलने वाली सिसकारियाँ रुकने का नाम नही ले रही थीं.

सुल्तान भाई की साँसे तेज हो गईं. और मेरे कानो में गूँजती हुई भाई की सिसकारियाँ मुझे और जोश दिला कर पागल बना रही थी.

इसी जोश में आ कर में अपने हाथ को नीचे अपनी चूत पर ले गई.

और भाई का लौडा चूसने के साथ साथ अपनी चूत के दाने को अपनी उंगली से मसलने लगी.

साथ ही साथ सुल्तान भाई के लंड को अपने मुँह में ले कर में अपने मुँह को उपर नीचे करने लगी. जिस से भाई का लंड बिल्कुल किसी लोहे की रोड की तरह सख़्त हो गया था.

मैने अब भाई के लंड को कुलफी की तरह चाटना शुरू कर दिया. सच में मुझे लंड चूस ने में बहुत मज़ा आ रहा था..

इस मस्ती में आते हुए मैने सुल्तान भाई के लंड को अपने मुँह से बाहर निकाला. भाई का लंड मेरे थूक से बहुत ज़्यादा गीला हो चुका था.

उधर मेरी टाँगो के दरमियाँ मेरी चूत भी बिल्कुल इस तरह मेरी चूत के पानी से गीली हो कर पिच पिच कर रही थी.

“भाई उस रात मैने जिंदगी में पहली दफ़ा चूत चटवाने का स्वाद आप से पाया था. और उसी स्वाद का ये असर है कि अब आप की बहन आप की दीवानी हो गई है. इस लिए आज में भी बदले में आप को एक एक नया स्वाद देना चाहती हूँ” मैने भाई की तरफ देखते हुए कहा.

फिर देखते ही देखते मैने अपने दोनो बड़े बड़े मम्मो को सुल्तान भाई के लंड के इर्द गिर्द ले जा कर अपने हाथों से अपने दोनो मम्मो को एक साथ मिलाया.

जिस की वजह से मेरे भाई का लंड अब मेरे मोटे और बड़े मम्मो की क़ैद में जकड गया था.

थूक से भरपूर सुल्तान भाई का लंड मेरी गुदाज छातियों के दरमियाँ फँसा हुआ था. अब मैने अपने मम्मो को अपने हाथ से पकड़ कर अपने मम्मो को अपने भाई के के उपर नीचे रगड़ने लगी.

“उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ रुखसाना क्या मज़े दार चीज़ हो तुम,तुम्हारे इन्ही मजेदार अंदाज़ ए चुदाई ने मुझे तुम्हारा आशिक़ बना दिया है मेरी बहननंनननननननननणणन्”. मेरे इस अंदाज़ से सुल्तान भाई को बहुत मज़ा आने लगा और उस के मुँह से तेज सिसकारियाँ निकलने लगी.

सुल्तान भाई ने आज से पहले मेरी चूत को तो चोदा ही था. मगर आज वो पहली बार अपने लंड के साथ मेरे मोटे मम्मो की चुदाई भी कर रहा था.
कुछ देर तक अपने मम्मो में इस तरह अपने भाई के लंड फिरवाने के बाद मैने सुल्तान भाई के लंड को फिर अपने मुँह में ले कर उस को सक करना शुरू कर दिया.

अब में भाई की टाँगों के बीच बैठी मज़े से अपने भाई का लंड अपने मुँह में ले कर चूस रही थी.

और वो मेरे सर को पकड़ कर अपने लंड को एक जोश के साथ मेरे मुँह में डाल कर मेरे मुँह को ज़ोर ज़ोर से चोद रहा था.
 
सुल्तान भाई के ज़ोर दार झटकों की बदौलत भाई का लंड पूरे का पूरा मेरे हलक तक पहुँच रहा था.

जब कि भाई के लंड के पानी से मेरे होंठ पूरी तरह गीले हो चुके थे.

इस से पहले के भाई मेरी चुसाइ की वजह से फारिग हो जाता. भाई ने मुझे कंधों से पकड़ कर उपर उठाया और मुझे बिस्तर मार अपने साथ लिटा लिया.

और सुल्तान भाई मेरे उपर आ गया. में भाई के नीचे लेटी हुई अपने भाई के जिस्म के बोझ से दबने लगी.

मेरे उपर आते ही भाई ने अपने होंठ दुबारा मेरे होंठो पर रख दिए.और मेरे गुलाबी होंठों पर लगा अपने लंड के रस को एक भंवरे की तरह चूसने लगा.

इस तरह मेरे उपर लेटे होने की वजह से अब मेरी टाँगो के उपर सुल्तान भाई की टाँगें थीं. जब कि सुल्तान भाई का तना हुआ लंड मेरी फुद्दी के उपर आ कर जम गया था.

इस स्टाइल में मेरे जिस्म के उपर लेटने की वजह से अब सुल्तान भाई मुझे किस करने के साथ साथ मुझे उपर उपर से ही धक्के भी मारने लगा.

अपने भाई के बदन की रगड़ से में गरम हो गई.मेरी साँस फूल कर गहरी हो गई और मेरा चेहरा एक दम लाल सुर्ख हो गया था.

फिर साथ ही साथ भाई ने अपने हाथ को नीचे ला कर उसे मेरी चूत पर फेरने लगा.

मेरी चूत बहुत गीली हो चुकी थी. ज्यूँ ही भाई ने अपनी उंगलियों को मेरी चूत पर फेरना शुरू किया तो मेरी साँसे ही मेरे काबू में ना रही.

चूत के लबों से खेलते खेलते भाई ने अचानक एक उंगली मेरी चूत के अंदर घुसा दी..."उईईई माँ......औच्च, भाईईईईईईईईई"में चिल्ला उठी.

सुल्तान भाई मेरी ये बेचैनी देख कर मुस्कुराया और मेरी आँखों में देख कर बोला "रुखसाना, उफ्फ, तेरी फुद्दी बहुत बहुत तंग और गरम है मेरी बहन्न्न्न्न"और साथ ही अब भाई की उंगली मेरी चूत के अंदर बहार होने लगी..

में अपने भाई के हाथों का ये स्वाद पा कर सातवें आसमान पर उड़ने लगी थी.

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.और मैने भी जोश में आते हुए अपनी चूत उपर की तरफ कर दी. ताकि सुल्तान भाई की उंगली मेरी चूत के अंदर और गहराई तक जा सके.

कुछ देर मेरी चूत को अपनी उंगली से चोदने के बाद सुल्तान भाई ने मुझ बिस्तर पर घोड़ी बन जाने को कहा.और में अपने पेट के बल लेट कर घोड़ी की तरह बिस्तर पर झुक गई.

सुल्तान भाई मेरे पीछे आया और आ कर अपने हाथों से मेरी दोनो टाँगें को खोल दिया.

जिस वजह से मेरी चूत पीछे से उभर कर बाहर को निकल आई. और मेरी फुद्दी का मुँह थोड़ा खुल गया.

सुल्तान भाई मेरे पीछे बिस्तर पर बैठ गया और उस ने मेरी मोटी गुदाज रानो पर अपने गरम होंठ रख कर उन को चूसना शुरू कर दिया.

मेरी जाँघो को चाटते चाटते और उपर बढ़ते सुल्तान भाई मेरी फुद्दी तक आया और आहिस्ता से मेरी चूत को चूमा.

साथ ही हाथ बढ़ा कर भाई ने मेरी चूत को खोला ऑर अपनी ज़ुबान के साथ मेरी फुद्दी से खेलना शुरू कर दिया. उफफफ्फ़ उस पल तो में बिल्कुल पागल हो गई थी.

“उूुुउउफफफफफफफफफफफफ्फ़ भाई जान क्या आज अपनी बहन की चूत सिर्फ़ अपनी ज़ुबान से ही मारोगे क्या”.मैने अपनी चूत को अपने भाई के मुँह पर ज़ोर से रगड़ते हुए भाई से कहा.

सुल्तान भाई ने मेरी चूत को थोड़ा और चाटा और फिर भाई मेरी गान्ड के पीछे से उठ कर दुबारा मेरे पीछे बिस्तर पर अपने घुटनों के बल खड़ा हो गया .

इस पोज़िशन में मेरे पीछे खड़ा हो कर भाई ने अपने लंड को हाथ से पकड़ कर मेरी टाँगें को चीरा और अपना लंड मेरी पानी पानी होती हुई चूत पर रख कर रगड़ने लगा. 

में अपने भाई के लंड की टोपी को अपनी चूत से टच होते हुए महसूस कर के बेताब हो गई.

में:“हाईईईईईई भाई क्यों अपनी बहन की चूत को इस तरह तडपा रहे हो.जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डालो मेरी चूत आप के लौडे से चुदवाने के लिए मरी जा रही है”.

लेकिन सुल्तान भाई आज शायद मुझे तड़पाने के मूड मे था. और इसी लिए वो मेरी फरियाद को अन सुनी करते हुए अपना लंड मेरी चूत पर मसल्ते रहा.

में अपने भाई की ये बेरूख़ी देख कर मजीद बेचैन हो गई.

“भाई डाल भी दो ना अपना लंड अपनी बहन की प्यासी चूत में हाईईईईईईईईईईईईईईई देखो तुम्हारी लंड के लिए तुम्हारी बहन की चूत कितनी प्यासी हो रही है”मैने फिर सिसकी भरते हुए अपने भाई से इल्तिजा की.

सच्ची बात ये थी कि मेरी चूत उस वक़्त बे इंतिहा गरम हो चुकी थी. और मेरी चूत की गर्मी का इलाज उस वक़्त सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे भाई का मोटा बड़ा लंड ही था.

सुल्तान भाई मेरी बेचैनी को देख कर जैसे लुफ्त अंदोज हो रहा था.

भाई मेरी गान्ड को अपने दोनो हाथों में थामता हुआ बोला ”अच्छा मेरी जान अभी डालता हूँ अपना लंड तेरी इस गरम फुद्दी में”

ये कह कर सुल्तान भाई ने अपना मस्त मोटा लौडा एक दम से मेरी चूत मे घुसा दिया.

घुऊदाप की तेज आवाज़ मेरी चूत से निकली और लज़्ज़त की शिद्दत से मैने सिसकारी लेकर अपनी आँखें बंद कर ली.

आआआआआआआआआआआअहह. कितना गरम है तुम्हारा लंड. उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ पूरा डाल दो ना. मारो मेरी चूत अपनी मोटे लंड से बहुत प्यासी है तुम्हारी बहन की चूत मेरे प्यारी भाई जान. डाल दो अंदर मेरी में पूराआआआआआआआआ और मुझे अपने बच्चे की माँ बना दो. मज़े की शिदत से मेरे मुँह से ना जाने क्या क्या अल्फ़ाज़ निकल रहे थे. इस का मुझे खुद भी पता नही चल रहा था.

“मेरी जान पूरा लंड तो डाल दया है तुम्हारी प्यासी चूत में, तुम्हारी चूत इतनी गरम है कि लगता है कि ये मेरे लंड को पिघला कर रख दे गी”. सुल्तान भाई ने पीछे से मेरी चूत में अपने पूरा डालते हुए कहा.
 
अपने भाई के लंड को एक बार फिर अपने अंदर पा कर मेरी चूत के इंतज़ार की घड़ियाँ ख़तम हो गईं.

और मुझे यूँ महसूस हुआ जैसे मेरी चूत खुशी से झूम झूम कर ये गाना गुन गुना रही हो,


“आइए आप का इंतिज़ार था
आइए आप का इंतिज़ार था
देर लगी आने में तुम को
शूकर है फिर भी आए तो
आस ने दिल का साथ ना छोड़ा
वैसे हम घबराए तो”


सुल्तान भाई अब बहुत तेज़ी से मुझे चोद रहा था और में मज़े में सिसक रही थी.

मेरी गान्ड उपर उठी हुई थी. और मेरा भाई पीछे से मेरे कंधे पकड़ कर मेरे उपर झुका हुआ मेरी चूत में धक्के पर धक्के मार रहा था.

कुछ देर इसी तरह भाई ने मेरी चूत की चुदाई की. और फिर उस ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल कर मुझे पेट के बल बिस्तर पर लिटा दिया.

मेरी दिल अभी तक भाई की चुदाई से नही भरा था. और मुझे समझ नही आ रही थी कि क्यों भाई ने अपने लंड को मेरी फुद्दी से निकाल लिया है.

अभी में सुल्तान भाई से चुदाई रोकने की वजह मालूम करने ही वाली थी. कि भाई ने मेरे पीछे से मेरी ब्रेजियर की हुक को खोल कर मेरा ब्रेजियर मेरे जिस्म से अलग कर दिया.

और साथ ही उस ने मेरी कमर पर अपने होंठ रख कर मेरे शोल्डर और कमर को आहिस्ता आहिस्ता किस करना शुरू कर दिया.

सुल्तान भाई की ज़ुबान आहिस्ता आहिस्ता मेरी कमर पर चलती हुई मेरी थल थल करती गान्ड तक आन पहुँची.

ज्यूँ ही मेरे भाई के गीले होंठ मेरी गान्ड की गोलाईयों तक आए. तो भाई जैसे मेरी गुदाज गान्ड को देख कर पागल और मेरी गान्ड की भीनी भीनी खुसबू को सूंघ कर जैसे मदहोश हो गया.

और इस मदहोशी में भाई ने मेरी गान्ड को बे सखता और बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया.

सुल्तान भाई ने अपने हाथों से मेरी बड़ी गान्ड को को खोला और मेरी गान्ड की ब्राउन मोरी को अपनी ज़ुबान से चाटने लगा.

मेरी तीन साला शादी शुदा जिंदगी में मेरे शोहर गुल नवाज़ ने कभी ये काम करना तो दूर उस ने ऐसी बात शायद कभी सोची भी नही हो गी.

अपनी गान्ड से इस तरह किसी का पूर जोश प्यार का ये तजुर्बा मेरे लिए बिल्कुल नया था.

सुल्तान भाई की ज़ुबान में एक जादू था. इस लिए मुझे भाई सुल्तान की इस हरकत से बहुत मज़ा आ रहा था. और में लज़्ज़त के मारे सिसकारियाँ लेने लगी. उूुुुुउउफफफफफफफफफफफफफ्फ़ आआआआआआआआअहह.

कुछ देर मेरी गान्ड को चाट चाट कर सुल्तान भाई ने मेरी गान्ड के सुराख को पूरा गीला कर दिया.

मेरे भाई ने पहली रात की तरह आज फिर मुझ चुदाई के मज़े की एक नई दुनाया से रोशनास करवाया था.

और उसी मज़े को पा कर में बिस्तर के तकिये में अपने मुँह दबा कर सिसकियाँ लिए जा रही थी.

पीछे से सुल्तान भाई ने मेरी गान्ड से अपना मुँह अलग किया और खुद थोड़ा उपर उठ कर साथ ही मेरी कमर में भी हाथ डाला और मेरी गान्ड को भी पीछे से थोड़ा उपर उठा लिया.

और इस से पहले कि में कुछ देख या समझ पाती कि मेरे भाई सुल्तान का अगला इरादा क्या है.

सुल्तान भाई ने एक दम से अपना मस्त लंड मेरी गान्ड के गीले सुराख पर रख कर एक ज़ोरदार धक्का मारा.

तो भाई का लंड जो कि मेरी चूत के पानी की वजह से पहले ही बहुत चिकना हो चुका था. वो मेरी गेली गान्ड की दीवारों को चीरता हुआ मेरी गान्ड के अंदर घुस गया.

सुल्तान भाई के ये धक्का इतना अचानक और इतना ज़ोरदार था. कि मेरे मुँह से बे इकतियार एक चीख निकली और में धक्के के ज़ोर से बिस्तर पर गिर गई.

मेरी गान्ड से घुऊदूप की एक तेज आवाज़ निकली और सुल्तान भाई ने मेरी गान्ड की सील तोड़ दी.

“ओह भाई रुक जाओ मेरी गान्ड में बहुत शदीद दर्द हो रहा है” मैने दर्द से कराहती हुए सुल्तान भाई को रोकने की कोशिश की.

मगर सुल्तान भाई कब रुकने वाला था.भाई तो लगता था कि शायद गान्ड चोदने वाला एक पुराना खिलाड़ी है.

“ओूऊऊ रुखसाना तुम्हारी गान्ड बहुत ही टाइट है, मज़ा आ गया तुम्हारी गान्ड में लंड डालने का” ये कहते हुएसुलतान भाई ने मेरे चुतड़ों को अपने हाथ में ले कर मेरी गान्ड को दुबारा उपर किया.

और मेरी गान्ड में बुरी तरहा से फँसाए हुए अपने लंड को गान्ड से थोड़ा से बाहर निकाला और फिर उसी तेज़ी से दोबारा झटका मार कर अपने लंड को दुबारा मेरी गान्ड में पेल दिया.

में दुबारा चीखी मगर सुल्तान भाई ने मेरी चीखों की परवाह किए बगैर मुझे तेज तेज चोदना जारी रखा.

मेरी गान्ड में बहुत दर्द हो रहा था.मगर फिर कुछ देर और चुदवाने के बाद मुझे ऐसा लगा कि मेरी गान्ड का दर्द आहिस्ता आहिस्ता कम हो रहा है.

और दर्द की कमी के साथ ही मुझे पहली दफ़ा अपनी गान्ड को मरवाने में भी मज़ा आने लगा.

पूरे कमरे में मेरी लज़्ज़त भरी तेज चीखे गूँज रहीं थी. “आआहह उूुुउउफफफफफ्फ़ ऊउीईईईई माआईयईईईईईईन्न्नणणन् म्माआररर्र्र्ररर गगगैइिईईईईईईई उूुुउउफफफफ्फ़ सुल्तान भाई आप बहुत अच्छी चुदाई करते हैं आअहह मुझे बहुत मज़ा आ रहा है”
 
सुल्तान भाई ने जब देखा कि में अब अपनी गान्ड की चुदाई को एंजाय करने लगी हूँ. तो उन्होने भी और भी तेज झटके मेरी गान्ड में मारना शुरू कर दिया.

भाई के ज़ोरदार धक्कों की बदौलत मेरी छाती से लटकते मेरे बड़े बड़े मम्मे बुरी तरहा हिल हिल कर और उछल उछल कर मेरे बिस्तर के गद्दे के साथ रगड़ खा रहे थे.

जिस की वजह से मेरे मम्मो के निपल्स मज़ीद अकड़ कर खड़े हो गये थे.

और फिर वो वक़्त आ ही गया जब सुल्तान भाई ने अपने लंड का सफेद पानी मेरी गान्ड की वादियों में उडेल दिया.

मेरी गान्ड मेरे भाई के पानी से पूरी की पूरी भर गई.और भाई के लंड का पानी क़तरा क़तरा कर के मेरी गान्ड से बाहर निकल कर मेरी रानो पर बहने लगा.

हम दोनो बहन भाई पसीना पसीना जिस्मो के साथ बिस्तर पर एक दूसरे के उपर अलग बुरी तरह हांप रहे थे.

थोड़ी देर के बाद भाई ने अपना ढीला पड़ता लंड मेरी गान्ड से बाहर निकाला और मेरे बिस्तर पर मेरे बराबर लेट गया.

अब में कमरे में बिस्तर पर अपने नये आशिक़ भाई के साथ लेटी हुई उस की छाती के बालों में अपनी उंगलियाँ फेर रही थी.

जब कि सुल्तान भाई अपनी माशूक बहन के बड़े बड़े मम्मो और तने हुए निपल्स के साथ खेलने में मशगूल था.

मैने अपने भाई के ढीले पड़ते लंड पर अपना हाथ फेरते हुए भाई से कहा “ भाई आप को अब मेरा सारा राज़ पता चल चुका है.और मुझ यकीन है कि गुल नवाज़ को भी ये बात पता चली ही चुकी होगी.कि जिस को वो रात की तनहाई में चोदता है वो उस की बीवी नही बल्कि बहन है.मगर इस के बावजूद मेरी आप से एक गुज़ारिश है कि आप मेरे शोहर गुल नवाज़ से खुद इस बारे में कोई बात ना करना”

“ मुझे तुम्हारी बात की समझ नही आई. जब गुल नवाज़ अपनी बहन को चोद कर इस बात पर शर्मिंदा नही तो फिर उस मेरे और तुम्हारे ताल्लुक़ात पर क्या ऐतराज हो सकता है” सुल्तान भाई ने सवाल पूछा.

“क्यों कि अगर हम ने अपने बीच शरम ओ हया का लगा परदा उतार दिया. तो मुझे डर है कि फिर हम लोग शायद चुदाई के दौरान अहतियात का दामन छोड़ दें. और इस वजह से हमारे अम्मी अब्बू या दूसरे बहन भाई पर भी हमारा राज़ खुल सकता है” मैने भाई को जवाब देते हुए कहा.

” अच्छा मेरी जान में गुल नवाज़ को ये बात नही बताउन्गा कि में उसकी बीवी को चोद चुका हूँ”सुल्तान भाई मुस्कुराते हुए बोला और मेरे लबों पे अपने लब रख कर उन को चूसने लगा.

कुछ देर के बाद हम दोनो बिस्तर से उठे और अपने अपने कपड़े पहन कर अपने अपने काम काज में ऐसे मसरूफ़ हो गये. जैसे हमारे दरमियाँ कुछ भी नही हुआ हो.

शाम का अंधेरा फैलने पर नुसरत और मेरा शोहर घर वापिस आए. तो नुसरत की चाल और हुलिया देख कर मेरे और सुल्तान भाई के लिए ये अंदाज़ा लगाना मुश्किल नही था. कि मेरे भाई सुल्तान की तरह मेरे शोहर गुल नवाज़ ने भी अपनी बहन नुसरत की भी दिन भर दिल खोल कर चुदाई की है. और अपनी बहन की फुद्दी का का पूरा पूरा स्वाद लिया है.

चूँकि दिन भर की चुदाई से हम सब बहुत थके हुए थे. इस लिए उस रात में और नुसरत अपने अपने कमरे में अपने शोहरों के साथ ही सो गईं.

दूसरे दिन मेरे अम्मी अब्बू और सास सुसर भी मज़ार पर हज़ारी दे कर घर वापिस लौट आए.

मेरी सास ने घर वापिस आते ही मुझे मज़ार से लाया हुआ पढ़ा हुआ पानी एक हफ़्ता हार रोज पीने के लिए दिया. और साथ ही मुझे एक तावीज़ भी अपने गले में बाँधने के लिए दिया.

ताकि में इन चीज़ों की बदोलत उन को पोती या पोते की खूसखबरी दे सकूँ.
 
इस तरह कुछ वक़्त और गुजर गया और फिर मेरी माहवारी की तारीख आ कर गुजर गई और मुझे महावारी (पीरियड्स) नही आया.

मैने एक आध दिन और इंतजार किया और फिर गाँव की दाई से अपना मुआयना करवाया तो उस ने मुझे ये खूसखबरी दी कि में माँ बनने वाली हूँ.

ये मेरे घर वालों और खास तौर पर मेरी सास के लिए एक बहुत ही खुशी की खबर थी. कि उन के बेटे के घर तीन साल बाद औलाद की नैमत नज़ल हो रही थी.

मेरी सास हाथ उठा उठा कर मज़ार वाले पीर साब को दुआ दे रही थी.

क्यों कि मेरी सास का ये ख़याल था. कि मेरी गोद भराई शायद मेरी सास के मज़ार पर सजदा करने का नतीजा है.

उस झल्ली को ये ईलम नही था. कि मैने अपना नाडा खोल पीर अपने घर में ही ढूँढ लिया है.

और मेरा बच्चा किसी पीर की वजह से नही हुआ. बल्कि ये तो मेरे अपने भाई के लंड का कमाल और नतीजा था.

फिर ठीक 9 महीने बाद मैने एक प्यारे से बेटे को जनम दिया.

मेरे बेटे को जिस ने भी देखा उस ने ये ही कहा कि इस की शकल बिल्कुल अपने मामू पर गई है.

और मेरे बेटे की शकल उस के मामू पर जाती भी क्यों ना. आख़िर उस का मामू ही तो उस का असल बाप था.

इस के बाद तो हर साल मेरी सास अपना पोता या पोती लाने के लिए उसी पीर साब के मज़ार पर मन्नत माँगने जाने लगी है.

और पीछे से नुसरत और में भी एक दूसरे के कमरे में घुस कर अपने अपने भाई के सामने अपनी टाँगों को हवा में उठा उठा कर अपनी सास की मन्नत की क़बूलियत की दुआ मांगती थीं.

मेरी सास की मन्नत हर साल पूरी हो रही है और अब मेरे अपने भाई से तीन बच्चे हैं.

मेरा और नुसरत का आपस में कज़िन्स,भाभी और ननद का रिश्ता तो पहले ही था.

अब रात को अपने ही भाइयों और एक दूसरे के हज़्बेंड्स से चुदवा कर हम दोनो में एक नये रिश्ते ने जनम लिया है.

और वो ये कि अब हम एक दूसरे की सौतन भी बन गई हैं.

में ये जानती हूँ कि जो कुछ भी मैने किया वो दुनिया की नज़र में बहुत ही ग़लत और एक बहुत बड़ा गुनाह है.

मगर मुझे इस काम पर मजबूर करने वाली मेरी सास थी. क्यों कि मेरी सास ने अपना पोता या पोती हासिल करने के लिए मेरे साथ एक जंग छेड़ दी थी.

और फिर अपना घर बचाने के लिए मुझे मजबूरन हर हद पार करनी पड़ी.

क्यों कि वो कहते हैं ना कि “मोहब्बत और जंग में सब जायज़ है”

इस लिए इस जंग को जीतने के लिए मैने जो मुनासिब समझा वो ही किया.

दोस्तो ये कहानी यहीं पर समाप्त होती है आपको कैसी लगी ज़रूर बताना दोस्तो फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राजशर्मा

दा एंड…………समाप्त
 
Back
Top