hotaks444
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दूसरे ही लम्हे सुल्तान भाई ने मेरे जिस्म को अपने बाज़ूँ की गिरफ़्त में दबोच लिया.
“हां रुखसाना तुम ने ये ऐसी आग मेरे अंदर लगा दी है कि में चाहू भी तो तुम से अब दूर नही रह सकता मेरी बहन”सुल्तान भाई बुरी तरह से मेरे साथ लिपट गया .और अपने प्यासे होंठों को मेरे गुलाबी और रेशम की तरह सॉफ्ट होंठों पे जमा कर पागलों की तरह मेरे होंठों, मुँह और गालों पर चूमने लगा.
अजीब दास्तान है ये
कहाँ शुरू कहाँ ख़तम
ये मंज़िलें है कौन सी
ना वो समझ सके ना हम
अपने साथ अपने भाई के वलिहाना प्यार का ये अंदाज़ देख कर में भी खुशी से झूम उठी.
और मेरे बाज़ू खुद ब खुद सुल्तान भाई की कमर के इर्द गिर्द जकड गये.
फिर मैने भी अपने भाई को उसी गरमजोशी के साथ अपनी बाँहों में भर लिया.
अब मेरे और मेरे भाई सुल्तान के दरमियाँ किस्सिंग का एक ना रुकने वाला सिलसिला शुरू हो गया.
सुल्तान भाई की ज़ुबान मेरे मुँह में और मेरी ज़ुबान सुल्तान भाई के मुँह में फिसल रही थी.
मेरे मुँह में मुँह डालते ही सुल्तान भाई ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर मेरे गुदाज ,बड़े और मोटे मम्मे को अपने हाथ में थाम लिया और किस्सिंग के दौरान आहिस्ता आहिस्ता मेरे मम्मे से खैलने लगा.
अपने भाई का हाथ अपने मम्मे पर पा कर मेरे मुँह से एक सरूर भरी सिसकी निकली” अहहाआआआअ”
सुल्तान भाई बड़े चाव से मेरे बड़े और गोल मटोल मम्मे को अपने हाथ में ले कर सहलाने लगा.
कमीज़ के उपर से मुझे अपने मम्मे अपने भाई से मसलवाने में बहोत मज़ा आ रहा था.
इस मज़े को महसूस करते हुए मैने अपने आप को अपने भाई के मुकम्मल हवाले कर दिया.
हम दोनो बहन भाई के मुँह एक दूसरे के मुँह से पूरी तरह जुड़े हुए थे.
और हम एक दूसरे पर किस्सिंग की बरसात करने में मसरूफ़ थे.
इसी दौरान भाई ने मेरे मम्मे को आज़ाद करते हुए अपने हाथ को आगे बढ़ाया.
और मेरे पेट के उपर से अपने हाथ को फेरता हुआ मेरी रेशमी सलवार के उपर लिया और फिर मेरी चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया.
अपने भाई के हाथ अपनी गीली चूत पर पाते ही मेरे मुँह से फिर एक सिसकारी निकली” ओहााआआआआआआआ.
मेरी सरूर भरी सिसकी मेरे भाई के जज़्बात को भी शायद आग लगा गई.
“उफफफफफफफफ्फ़ रुखसाना कितनी गरम चूत है तुम्हारी”सुल्तान भाई ने जोश में आते हुए मेरी शलवार के उपर से मेरी चूत पर अपने हाथ का दबाव बढ़ा दिया.
सुल्तान भाई के हाथ की गर्मी ऑर सख्ती मेरी चूत ऑर मेरे सारे बदन में अग लगाने लगी..और में मज़ीद गरम हो कर लज़्ज़त भरी सिसकारियाँ लेने लगी.
साथ ही में भी अपने भाई की हरकत की तल्क़ीद (कॉपी) करते हुए अपना हाथ फॉरन नीचे लाई. और सुल्तान भाई की शलवार में उठे हुए भाई के जवान तगडे लंड को अपने काबू में कर लिया..
ज्यूँ ही मैने अपने भाई का तना हुआ लंड अपने हाथ में लिया. तो भाई को भी अपनी बहन के हाथों की गरमी का लामास अपने लंड पर महसूस कर के मज़े के मारे एक झटका सा लगा.
और उस ने मज़े के मारे “सिसस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स” करते हुए अपने गरम होंठो का दबाव मेरे नादान होंठों पर बढ़ा दिया.
अब हम दोनो बहन भाई के हाथ एक दूसरे के लंड और फुद्दी से खेलने लगे.
और हमारे मुँह और ज़ुबान एक दूसरे से चिपक कर एक दूसरे के प्यासे लबों का रस निचोड़ रहे थे.
हवस की आग ने हम दोनो को इतना पागल कर दिया था.कि अब हम दोनो भूल चुके थे कि हम दोनो बहन भाई हैं.
जिस्मो की जलती आग में हम दोनो को अब एक ही रिश्ता याद था. और वो रिश्ता एक मर्द और औरत और चूत और लंड का ही था.
“हां रुखसाना तुम ने ये ऐसी आग मेरे अंदर लगा दी है कि में चाहू भी तो तुम से अब दूर नही रह सकता मेरी बहन”सुल्तान भाई बुरी तरह से मेरे साथ लिपट गया .और अपने प्यासे होंठों को मेरे गुलाबी और रेशम की तरह सॉफ्ट होंठों पे जमा कर पागलों की तरह मेरे होंठों, मुँह और गालों पर चूमने लगा.
अजीब दास्तान है ये
कहाँ शुरू कहाँ ख़तम
ये मंज़िलें है कौन सी
ना वो समझ सके ना हम
अपने साथ अपने भाई के वलिहाना प्यार का ये अंदाज़ देख कर में भी खुशी से झूम उठी.
और मेरे बाज़ू खुद ब खुद सुल्तान भाई की कमर के इर्द गिर्द जकड गये.
फिर मैने भी अपने भाई को उसी गरमजोशी के साथ अपनी बाँहों में भर लिया.
अब मेरे और मेरे भाई सुल्तान के दरमियाँ किस्सिंग का एक ना रुकने वाला सिलसिला शुरू हो गया.
सुल्तान भाई की ज़ुबान मेरे मुँह में और मेरी ज़ुबान सुल्तान भाई के मुँह में फिसल रही थी.
मेरे मुँह में मुँह डालते ही सुल्तान भाई ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर मेरे गुदाज ,बड़े और मोटे मम्मे को अपने हाथ में थाम लिया और किस्सिंग के दौरान आहिस्ता आहिस्ता मेरे मम्मे से खैलने लगा.
अपने भाई का हाथ अपने मम्मे पर पा कर मेरे मुँह से एक सरूर भरी सिसकी निकली” अहहाआआआअ”
सुल्तान भाई बड़े चाव से मेरे बड़े और गोल मटोल मम्मे को अपने हाथ में ले कर सहलाने लगा.
कमीज़ के उपर से मुझे अपने मम्मे अपने भाई से मसलवाने में बहोत मज़ा आ रहा था.
इस मज़े को महसूस करते हुए मैने अपने आप को अपने भाई के मुकम्मल हवाले कर दिया.
हम दोनो बहन भाई के मुँह एक दूसरे के मुँह से पूरी तरह जुड़े हुए थे.
और हम एक दूसरे पर किस्सिंग की बरसात करने में मसरूफ़ थे.
इसी दौरान भाई ने मेरे मम्मे को आज़ाद करते हुए अपने हाथ को आगे बढ़ाया.
और मेरे पेट के उपर से अपने हाथ को फेरता हुआ मेरी रेशमी सलवार के उपर लिया और फिर मेरी चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया.
अपने भाई के हाथ अपनी गीली चूत पर पाते ही मेरे मुँह से फिर एक सिसकारी निकली” ओहााआआआआआआआ.
मेरी सरूर भरी सिसकी मेरे भाई के जज़्बात को भी शायद आग लगा गई.
“उफफफफफफफफ्फ़ रुखसाना कितनी गरम चूत है तुम्हारी”सुल्तान भाई ने जोश में आते हुए मेरी शलवार के उपर से मेरी चूत पर अपने हाथ का दबाव बढ़ा दिया.
सुल्तान भाई के हाथ की गर्मी ऑर सख्ती मेरी चूत ऑर मेरे सारे बदन में अग लगाने लगी..और में मज़ीद गरम हो कर लज़्ज़त भरी सिसकारियाँ लेने लगी.
साथ ही में भी अपने भाई की हरकत की तल्क़ीद (कॉपी) करते हुए अपना हाथ फॉरन नीचे लाई. और सुल्तान भाई की शलवार में उठे हुए भाई के जवान तगडे लंड को अपने काबू में कर लिया..
ज्यूँ ही मैने अपने भाई का तना हुआ लंड अपने हाथ में लिया. तो भाई को भी अपनी बहन के हाथों की गरमी का लामास अपने लंड पर महसूस कर के मज़े के मारे एक झटका सा लगा.
और उस ने मज़े के मारे “सिसस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स” करते हुए अपने गरम होंठो का दबाव मेरे नादान होंठों पर बढ़ा दिया.
अब हम दोनो बहन भाई के हाथ एक दूसरे के लंड और फुद्दी से खेलने लगे.
और हमारे मुँह और ज़ुबान एक दूसरे से चिपक कर एक दूसरे के प्यासे लबों का रस निचोड़ रहे थे.
हवस की आग ने हम दोनो को इतना पागल कर दिया था.कि अब हम दोनो भूल चुके थे कि हम दोनो बहन भाई हैं.
जिस्मो की जलती आग में हम दोनो को अब एक ही रिश्ता याद था. और वो रिश्ता एक मर्द और औरत और चूत और लंड का ही था.