Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका - Page 4 - SexBaba
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Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका

"अपनी गान्ड के छेद को फैला रांड़?" मैने उसके चूतड़ पर ज़ोर का
थप्पड़ मारते हुए कहा.

सोनाली ने वैसा ही किया और अपने हाथों से अपने चूतड़ फैला दिया,
जहाँ तक मुझे याद आता है सोनाली ने कभी गान्ड नही मरवाई थी.
मैने अपने लंड को छेद पर लगाया और सुपाडे को अंदर घुसा दिया.

"ओह माआर गयेयी." वो दर्द से चीख पड़ी.

मैने अपने लंड को थोडा बाहर खींचा और फिर अंदर घुसा दिया इस
वक्त थोड़ा और, ओह्ह्ह्ह उसकी गान्ड तो उसकी चूत से भी कसी हुई थी.
मैने धीरे धीरे पूरा लंड अंदर घुसा दिया और थोड़ी देर ऐसे ही
रहने दिया, जिससे उसकी गान्ड मेरे लंड की आदि हो सके.

"ओ राआज तुम्हारा लंड किट्ट्ना बड़ा ल्ाअग राआहा हाीइ मेरी
गंदड़ फॅट रहिी है प्लस्सस्स निक्ाअल लो." वो दर्द से चीख रही थी.

मैने अपना लंड उसकी गान्ड से बाहर निकाल लिया. सोनाली ने मूड कर
मेरी तरफ देखा, दर्द के मारे उसका चेहरा लाल हो गया था. मेरा
लंड अभी खड़ा था, "चलो बेडरूम मे चलते है." सोनाली मेरे
पीछे पीछे बेडरूम मे आ गयी.

कमरे मे आते ही सोनाली घोड़ी बन गयी, मैने उसके चूतड़ चूम कर
उसकी गान्ड मे अपना लंड डाल दिया, इस बार आसानी से लंड उसकी गान्ड मे
चला गया. मेरा छूटने का समय आ गया था, में जोरों के धक्के
मार रहा था. उसकी गान्ड तो उसकी चूत से भी गरम थी.

सोनाली का चेहरा बिस्तर की चादर पर टिका हुआ था और उसने चादर को
कस कर अपनी मुट्ठी मे भींच रखी थी, "ओह बहूऊत दर्द हो
राहा है"

"तुम कहो तो में रुक जाता हूँ?"

"नाही तुम धक्के लगाते रहो."

"अच्छा है, तुम कहती तो भी में रुकने वाला नही था." मैने
मुस्कुरा के कहा. मैने फिर जोरों से चोदते हुए उसकी गान्ड मे अपना
वीर्य उंड़ेल दिया.

"ओह राज तुम्हारा वीर्य मेरी गान्ड मे कितना अच्छा लग रहा है. में तो
सोच रही हूँ कि हमने ये महीनो पहले क्यों नही किया.

मैने अपना लंड बाहर निकाला तो लंड के साथ वीर्य भी निकल आया
और चादर पर गिर पड़ा.
 
"लगता है बिस्तर फिर से सॉफ करना पड़ेगा," सोनाली ने अपनी गान्ड से
बहे वीर्य को देख कहा.

"रूको एक मिनिट." मैने कहा और लिविंग रूम से अपना डिजिटल कॅमरा
ले आया. "क्यों ना तुम्हारी गान्ड की तस्वीर ले लें विजय के लिए."

"हां क्यो नही." सोनाली बोली.

मैने उसकी गान्ड और गान्ड के बहते वीर्य की कई तस्वीरें ली.

हम दोनो एक दूसरे को बाहों मे ले लेट गये. मुझे अपनी इस चुड़क्कड़
प्रेमिका पर बहुत प्यार आ रहा था. में सोच रहा था कि अब आगे
क्या होगा. यही सोचते सोचते हम सो गये.
 
ये साप्ताह मेरा सोनाली के साथ आखरी साप्ताह था. में अपनी शूटिंग
के काम से देल्ही जा रहा था. वहाँ छह साप्ताह की शूटिंग थी एक
कॉमेडी सीरियल की फिर हमारे कुछ सीन कुलु मनाली और आस पास
जगह पर भी थे. में करीब एक महीना सोनाली से दूर रहने वाला
था.

शनिवार की रात को सोनाली, विजय और में एक पब मे पार्टी मनाने
चले गये. पूरी रात हम वहीं रहे, पब मे विजय किसी लड़की के
साथ डॅन्स कर रहा था जिसकी चुचियाँ काफ़ी बड़ी और कसी हुई थी.
दोनो मस्ती मे डॅन्स फ्लोर पर डॅन्स किए जा रहे थे.

मैने और सोनाली ने मौका देख पब के नीचे बेसमेंट मे पार्किंग मे
आगये. मैने सोनाली को अपनी बाहों मे लिया और चूमने लगा. "ओह राज
देखो ना में कितनी गरम हो रही हूँ." सोनाली ने मुझे चूमते हुए
कहा.

एक गाड़ी की आड़ मे मैने तुरंत सोनाली के जीन्स नीचे उतार दी. आज
उसने कुछ ज़्यादा ही टाइट जीन्स पहन रखी थी. बड़ी मुस्किल से मे
उसकी जीन्स को नीचे खींच पाया. मैने उसकी पैंटी को नीचे खिसकाया
और उसकी चूत मे अपनी उंगली डाल दी. उसकी चूत पूरी तरह से गीली
हो चुकी थी.

मैने अपनी उंगली उसकी चूत से बाहर निकाल ली और अपने मुँह मे ले
चाटने लगा. मैं फिर अपनी उंगली उसकी चूत मे डाल अंदर बाहर
करने लगा.

"राज तुम्हे पता है मेरी गान्ड अभी भी सूजी हुई है और बहुत दर्द
हो रहा है." सोनाली ने कहा.

"पर सच सच बताना तुम्हे भी गान्ड मरवाने मे मज़ा आया ना."
मैने उसकी गान्ड मे अपनी उंगली डालते हुए कहा.

"हां मज़ा तो आया पर दर्द बहुत हुआ था," कहकर सोनाली ने मेरे
मुँह अपनी जीब डाल दी.

तभी किसी के चिल्लाने की आवाज़ सुनाई दी, "सब कोई प्लीज़ ध्यान दे,
पब बंद होने का समय हो गया है." सुबह के चार बजने आ रहे
थे.

सोनाली ने मेरे हाथ पकड़ा और मेरी उंगलियों को उसकी चूत से बाहर
निकाल लिया और अपने मुँह मे ले चाटने लगी, "बाकी हम बाद मे
करेंगे." कहकर सोनाली अपने कपड़े ठीक करने लगी.

हम वापस उपर आकर विजय से मिले, "कहाँ थे तुम लोग?" उसने पूछा.

"तुम्हारी वो सुन्दर दोस्त कहाँ है?" सोनाली ने पूछा.

"उसे सुबह काम से कहीं जाना था इसलिए अपने घर चली गयी."
विजय थोड़ा उदास होते हुए बोला.

"चिंता मत करो हम लोग तुम्हारा ख्याल रखेंगे." कहकर सोनाली ने
एक टॅक्सी रुकवाई.

मेरा फ्लॅट जो पब के पास ही था हम सब वहाँ आ गये. दिन भर की
भाग दौड़ से सब थक गये थे, "क्यों ना नहा लेते है." सोनाली ने
अपने कपड़े उतारते हुए कहा.

बारी बारी नहा कर हम लिविंग रूम मे आकर बैठ गये. सुबह हो
चुकी थी और सूरज की पहली किर्ने आसमान मे दिखाई देने लगी थी.
सोनाली उठ कर खिड़की पास खड़ी हो गयी, उसने अपना रोब पहना हुआ
था.

में उठा और सोनाली के पीछे जाकर खड़ा हो गया. उसकी कमर मे
बाहें डालते हुए में उसकी गर्दन को चूमने लगा. कुछ घंटो बाद
मे बाहर जाने वाला था और अपनी प्रेमिका सोनाली से एक महीने दूर
रहने वाला था. में अपना हाथ उसके रोब मे डाल दिया और उसकी
चुचियों को मसल्ने लगा.

"म्म्म्मीम और करो ना अच्छा लग रहा है." वो धीरे से बोली.

मैने भी अपना रोब पहन रखा था जो सामने से खुला था. सोनाली
घूम कर मेरे सामने आ गयी. मैने उसका रोब उतार दिया और उसने
मेरा. सोनाली खिड़की के साथ इस तरह झुक गयी कि मेरा लंड आसानी
से उसकी चूत मे समा गया.

अपनी पीठ को खिड़की से टिका उसने अपनी दोनो टाँगे मेरी कमर के इर्द
गिर्द लपेट ली. में उसे कमर से पकड़ अपने लंड को अंदर बाहर कर
रहा था. वो मेरे लंड पर और बैठे हुए मेरे हर धक्के का साथ दे
रही थी.
 
वहीं विजय सोफे बे बैठा अपने लंड को रगड़ रहा था. मुझे उसकी
मादक सिसकियाँ सॉफ सुनाई दे रही थी. सोनाली ने उसकी तरफ देखा
और मुस्कुरा दी. सोनाली ने विजय के लंड की ओर देखा तो विजय के
साथ की चुदाई की यादें एक बार फिर उसके दिमाग़ मे ताज़ा हो गयी.

"हम अपने मेहमान को भूल रहे है." में सोनाली को उठाए सोफे के
पास आ गया. मेरा लंड अभी भी उसकी चूत मे घुसा हुआ था. मैने
उसे घुमाया और नीचे उतार दिया. सोनाली ने विजय की टाँगो के बीच
सोफे का सहारा ले घोड़ी बन गयी.

"भाई तुम्हे पता है, मैने तुम्हारा लंड कभी नही चूसा." कहकर
सोनाली ने विजय के लंड को अपने मुँह मे ले लिया. वो अपना मुँह उपर
नीचे करते हुए उसका लंड चूस रही थी और पीछे से में उसकी
चूत मे अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था.

"हाआअँ बहहाना चूऊस मेरे लुंदड़ड़ को. चूऊस अपने भाई का
लंड चूऊस हाआँ जूओरून से चूवस मेंन्न तुम्हारे मुँह मे
झाड़ना चाहता हूओन ओह और जूओर से चूस"

सोनाली ने विजय के लंड को नीचे से पकड़ा हुआ था अपना मुँह मे पूरा
लंड लेते हुए उसे चूसे जा रही थी. विजय को भी शायद काफ़ी
मज़ा रहा था. उसकी सिसकारियाँ सुनाई दे रही थी.

एक तो उसकी चूत के अंदर बाहर होता मेरा लंड और उपर से सोनाली का
विजय के लंड को चूसना, ये नज़ारा ही मुझे उत्तेजना की चरम सीमा
पर पहुँचने के लिए काफ़ी था.

जिस तरह से सोनाली विजय के लंड को चूस रही थी लगता था कि वो
समय एक बार फिर आ गया था की सोनाली और विजय आपस मे चुदाई का
मज़ा ले. उसी तरह जिस दिन विजय ने अपनी बेहन को पीछे से पकड़
चोद दिया था और सोनाली के पास कोई चारा ही नही था.

सोनाली ने मेरी तरफ देखा जैसे मुझसे इजाज़त माँग रही हो, में
धीरे से मुस्कुरा दिया.

"विजय अपना पानी मेरी चूत मे छोड़ो, में तुम्हारे लंड को अपनी
चूत मे महसूस करना चाहती हूँ." सोनाली ने अपना मुँह उसके लंड से
हटाते हुए कहा.

मैने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया और सोनाली उसकी गोद
मे बैठ उसका लंड अपनी चूत मे ले लिया.

ये वो नज़ारा था जिसे में अपनी जिंदगी मे कभी नही भूल सकता
था. विजय ने अपना लंड उसकी चूत तक समा दिया था और सोनाली
उछल उछल कर खुद को उसके लंड पर चोद रही थी, "ओह आआआ
हाां." वो सिसक रही थी. विजय उसके कुल्हों को पकड़ उसे उपर
नीचे होने मे मदद कर रहा था.

में कुर्सी पर बैठ उन्हे देखने लगा, साथ ही अपने लंड को रगड़
रहा था मसल रहा था. मुझे उनकी चुदाई देखने मे बहुत ही मुझे
मज़ा आ रहा था, खास तौर पर जब सोनाली उपर की ओर उठती तो
उसकी चूत का मुँह खूल जाता और जब नीचे बैठती तो ऐसा लगता कि
उसकी चूत विजय के लंड को अपने अंदर जकड़े हुए है.

सोनाली का चेहरा चुदाई के मज़े से चमक रहा था, और वो हर
धक्के का आनंद ले रही थी.

"ओह बहना, कितना तडपा हूँ में तुम्हारी चूत के लिए, सही
मे, वादा करो हम ये भविस्या मे भी करते रहेन्नगे." विजय
सिसक रहा था.

"हाआअँ विजाय में भी तारसी हूँ तूमम्महरे लुंदड़ के लिइए," वो
सिसकी. सोनाली ने मेरी तरफ देखा और में उसके नज़दीक आ गया.
मैने उसके चेहरे को अपने हाथों मे ले लिया और अपनी ज़ुबान उसके मुँह
मे डाल दी. वो मेरी जीब को जोरों से चूसने लगी.

"राज बहुत शुक्रिया," वो मेरे कान मे धीरे से फुसफुसा.

विजय ने अब अपने कूल्हे उठा अपनी रफ़्तार बढ़ा दी. सोनाली भी जोरों से
उछल रही थी. उसके उछलते मम्मो को मैने जोरो से मसल्ने लगा.


"सोनाली मुझे नही पता था कि तुम्हे चोदने मे इतना मज़ा आएगा,
तुम्हारी चूत इतनी प्यारी है. मुझे मालूम होता तो बाकी सब
चूतो के पीछे पड़ता ही नही." विजय ने कहा. विजय का शरीर
पसीने से भर गया था और चमक रहा था.

"हाआँ विजय कितना प्यारा लंड है तुम्हारा, कितना अच्छा लग रहा है
मुझे. तुम दोनो के लंड इस दुनिया मे सबसे प्यारे लंड है. में
चाहती हूँ कि हम रोज़ आपस मे चुदाई करें." सोनाली ने कहा.

"अब अपनी चूत से मेरा पानी छोड़ो और मेरे लंड को तुम्हारा पानी से
नहला दो." विजय सिसका.

नीचे से कूल्हे उपर उठाते हुए विजय के लंड ने अपना वीर्य छोड़ उसकी
चूत को भर दिया उसकी समय सोनाली की चूत ने भी पानी छोड़
दिया.

विजय ने जब अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया तो मैने सोनाली को
घुमा घोड़ी बना दिया और पीछे से अपना लंड उसकी चूत मे घुसा
दिया.

"हाआअँ राअज चोदो मुज्ज़झे हाां मेरिइइ भर्र्री हु चूऊत
को जोर्र्रों से चोदो ऑश हाआँ." वो चिल्ला पड़ी.

उसकी चूत विजय के वीर्य से भरी हुई थी. जब भी मेरा लंड उसकी
चूत के अंदर बाहर होता तो अजीब संगीत जैसी आवाज़ हो रही थी.
में अपने लंड को बाहर खींचता तो मेरा लंड उन दोनो के वीर्य से
लिसा हुआ होता जो मुझे और उत्तेजित करता. मेने जोरों से धक्के मारते
हुए अपना पानी उसकी चूत मे छोड़ दिया.
 
"ठहरो राज अपना लंड बाहर मत निकालना," कहकर विजय एक बार फिर
उसके नीचे आ गया. अब विजय मेरे लंड के साथ साथ अपना लंड भी
उसकी चूत मे घुसाने की कोशिश करने लगा. थोड़ी मेहनत के बाद
दोनो लंड उसकी चूत मे समा गये थे.

मेरा लंड मेरी प्रेमिका की चूत मे था, और विजय का लंड उसकी बेहन
की चूत मे. दोनो लंड का आपस मे रगड़ खाना काफ़ी मज़ा दे रहा था.
हम दोनो धीरे धीरे उसे चोदने लगे.

"हीईय भाआगवान तुम दूओनो ने अपना लंड मेरी चूओत मे डाअल
दिया, मुझे लग रहा है मेरेरी चूऊओट . गयी है, ऑश्ह्ब
मे नही लीईए सकती." सोनाली ज़ोर से चिल्ला पड़ी.

हम दोनो सम्हाल कर उसे चोदने लगे ताकि किसी का भी लंड फिसल कर
बाहर ना निकल पड़े.

"ओह्ह्ह अब बर्दाश्त के बाहर है," कहकर सोनाली एक बार फिर झाड़
गयी. उसकी चूत का पानी नीचे चुउउ कर ज़मीन पर बह रहा था. वो
हाँफती हुई सोफे पर मेरे और विजय के बगल मे लुढ़क गयी.

विजय ने तुरंत मेरे लंड को पकड़ लिया और जोरों मुठियाने लगा.
मेरी नसों मे तनाव बढ़ता जा रहा था, "ओह विजय हाआँ जोर्र्रों
से ऑश मेरा चूऊताअ." मेरे लंड ने तभी अपने वीर्य की पिचकारी
विजय के मुँह और छाती पर छोड़ दी.

सोनाली अब भी अपनी उखड़ी साँसों को सम्हालते हमारी ओर देख रही
थी, "मज़ा आ गया ऐसा नज़ारा मैने पहले कभी नही देखा."
कहकर उसने विजय के चेहरे को चूम लिया और उसके चेहरे पर गिरे
मेरे वीर्य को चाटने लगी.
 
"क्या तुम मेरे भाई के साथ ऐसा कर सकते हो?" उसने हंसते हुए
मुझसे कहा.

मैने पहले सोनाली की तरफ और फिर विजय के लंड की ओर देखा.
सही बोलूं तो मुझे अच्छा तो नही लगता पर में सोनाली की खुशी के
लिए कुछ भी कर सकता हूँ. में कुछ कहता इससे पहले फोन की
घंटी बजने लगी.

सोनाली फोन की तरफ बढ़ी और उसने फोन उठा लिया, उसकी चूत से
अभी भी वीर्य की बूंदे . रही थी.

"हेलो, हां पिताजी में सोनाली बोल रही हूँ," सोनाली ने फोन पर
कहा.

"क्या?" सोनाली बोली, "ठीक है मे और विजय एक घंटे मे घर पहुँच
जाएँगे," कहकर उसने फोन रख दिया. उसके चेहरे पर हवैइयाँ उड़
रही थी.

"पिताजी, थे फोन पर वो परिवारिक मीटिंग करना चाहते है 11.00
बजे घर पर." सोनाली ने विजय से कहा.

विजय के चेहरे पर अस्चर्य था, "क्यों ऐसा क्या हुआ?"

सोनाली आकर मेरी गोद मे बैठ गयी और मुझे बाहों मे भर लिया और
बोली "पिताजी और मम्मी का किसी बात पर झगड़ा हो गया और वो दोनो
अलग होना चाहते है."

करीब डेढ़ घंटे बाद हम लोग उसके घर पर थे. शायद झगड़ा
कुछ ज़्यादा ही बढ़ गया था. सोनाली की मम्मी कुछ दिन अपनी बेहन के
पास जाकर रहना चाहती थी, और पिताजी बच्चो के पास यहीं घर
पर रहेंगे जब तक हालत नही सुधर जाते.

ये उनके परिवार का मामला था इसलिए में शांत बैठा था.
प्रियंका रोए जा रहे थी और सोनाली उसे दिलासा दे रही थी.

उसी दिन दोपहर को में सोनाली के कमरे मे उसके बिस्तर पर बैठा
था और उससे बात कर रहा था.

"सोनाली तुम्हे पता है कि मुझे आज रात को जाना होगा." मैने कहा.

सोनाली मेरे पास बैठी थी, उसने अपना सिर मेरे कंधे पर टिका
रखा था, "हां मुझे पता है."

"तुम अगर कहो तो में अपना ये प्रोग्राम कॅन्सल कर तुम्हारे साथ रह
सकता हूँ." मैने उससे पूछा.

सोनाली ने मुझे चूम लिया, "नही मे ठीक हूँ, तुम जाओ. ये बड़ा काम
है, बड़ी पिक्चर है." मैने अपनी गर्दन हिलाई, "तो फिर इसे छोड़ो
मत." सोनाली ने कहा.

"में ठीक रहूंगी तुम चिंता मत करो, फिर विजय और प्रियंका भी
तो मेरे साथ है." सोनाली ने कहा, "हम लोग पिताजी को समझाएँगे,
सब ठीक हो जाएगा."

तीन घंटे बाद हम एरपोर्ट पर थे. मैने सोनाली को बाहों मे भरा
और जोरों से चूम लिया. फिर उसे विदा कर में प्लेन की ओर बढ़
गया. पीछे उसे छोड़ गया अपने परिवार के हालात से निपटने के लिए.

किसे क्या पता था कि आने वाले छह हफ्तों मे क्या होगा. मुझे रत्ती
भर भी अंदेशा नही था कि जो चुदाई की दास्तान मेरे सोनाली, विजय
और प्रियंका के बीच शुरू हुई थी ये रूप ले लेंगी. मुझे बाद मे
पता चला कि ये तो शुरुआत थी.

* * * * * * * *

सोनाली अपने बिस्तर पर नंगी लेटी थी. मुझे उसकी चूत सॉफ दिखाई
दे रही थी. उसने अपने हाथ मे डिल्डो पकड़ रखा था, मैने पहचाना
कि वो डिल्डो उसकी बेहन प्रियंका का था. वो वेब कॅम से देखते हुए मेरी
तरफ मुस्कुरा रही थी.

सोनाली ने उस नकली लंड को चूमा फिर अपने मुँह मे ले उसे गीला
करने लगी. जब वो पूरी तरह से गीला हो गया तो उसने उस लंड को
अपनी चूत मे घुसा लिया. वो जोरों से उस नकली लंड को अपनी चूत के
अंदर बाहर करने लगी. जब वो झाड़ गयी तो उसने उस लंड को अपनी
चूत से बाहर निकाला और उस पर लगे अपने पानी को चाटने लगी.

उसने मुस्कुरा के मेरी ओर देख आँख मार दी. उसे भी मज़ा आ रहा
था और मुझे भी ये सब देखकर.

मेरी प्रेमिका वहाँ अपनी बेहन के नकली लंड से अपने आपको चोद रही
थी वही मे उसे हज़ारों मील दूर बैठा उसे होटेल के कमरे मे वेब
कॅम पर देख रहा था.

सोनाली के इस दृश्य ने मेरे शरीर मे आग भर दी थी. मेरा लंड
पूरी तरह तन कर खड़ा हो गया था. मैने अपने लंड को अपनी पॅंट
से बाहर निकाला और मुठियाने लगा.

वो मुझे कंप्यूटर के उपर लगे वेब कॅम से देख रही थी. में अपने
वेब कॅम के सामने बैठा अपने लंड को मुठिया रहा था. कनेक्षन
इतना अच्छा था कि हम दोनो एक दूसरे को अच्छी तरह देख सकते थे.

सोनाली उस नकली लंड को अपनी चूत मे एक बार फिर डाल अंदर बाहर
कर रही थी, साथ ही वो बड़बड़ा रही थी जैसे मुझे चिढ़ाना
चाहती हो, "ओह हाआअँ ये लंड किठनाआ आआछ है. इसने तो
मेरिइइ चूऊत ही फ़ाआआद दी है…………"

मैने देखा कि जब भी वो उस लंड को अपनी चूत से अंदर बाहर करती
उसकी चूत से पानी चुउउने लगता. सोनाली ने दीवार का सहारा ले
अपनी टाँगे हवा मे उठा रखी थी, जिससे उसकी चूत का नज़ारा सॉफ
दिखाई दे रहा था. मुझे वेब कॅम से उसकी गान्ड का छेद भी सॉफ
नज़र आ रहा था जिसे मैने कुछ दिन पहले ही चोदा था.
 
"हां राज देखो मुझे खुद को चोद्ते हुए, और मुझे ऐसा लग रहा
है कि मेरी चूत मे ये नकली लंड नही बल्कि तुम्हारा मूसल लंड
अंदर बाहर हो रहा है………………और में देख रही हूँ कि तुम भी अपने
लंड को रगड़ रहे हो, ओह…..जब तुम अपने लंड को इस तरह मसल
रहे होते हो तो देखने मे कितना मज़ा आता है." सोनाली उस तरफ से
कह रही थी.

मैने देखा उसके पाँव काँप रहे है, वो अपने समय के नज़दीक आ
गयी थी. सोनाली ने उस नकली लंड को जड़ तक अपनी चूत मे घुसा
अंदर बाहर करने लगी. उसने उस लंड को जोरों से अपनी चूत पर दबा
सिसक पड़ी.

में समझ गया कि उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया है. उसी समय
मेरे लंड ने भी वीर्य की पिचकारी छोड़ दी. उस नकली लंड को अपने
मुँह मे ले वो चूसने लगी और मेरी ओर देख मुस्कुरा रही थी.

"डार्लिंग, तुम्हे ये सब देख कर मज़ा आया ना?' सोनाली ने
पूछा, "मैने भी देखा तुम्हारे लंड ने खूब पानी छोड़ा था." तभी
उसके कमरे के दरवाज़े पर दस्तक हुई.

"कौन है?" सोनाली ने उँची आवाज़ मे पूछा.

"में हूँ!" ऐसा लगा कि उसके पिताजी उसे बुला रहे है.

"क्या है पिताजी?" वो अपना गाउन पहनते हुए बोली.

"क्या तुम खाना बनाने मे मेरी मदद करोगी?" उसके पिताजी ने पूछा.

"हां करूँगी, बस थोड़ा सा काम बाकी है वो पूरा करके मे पाँच
मिनिट मे आती हूँ." सोनाली ने जवाब दिया.

"ठीक है," कहकर उसके पिताजी चले गये.

उसके पिताजी को काश ये पता है कि किस तरह उसकी बेटी ने वेब कॅम के
ज़रिए अपने प्रेमी का दिल बहलाया है. मैने सोचा.

"डार्लिंग मुझे जाना होगा." ये कहकर सोनाली ने मेरी तरफ एक चुंबन
उछाल दिया. हम दोनो ने एक दूसरे से विदा ली और वादा किया कि जल्दी
ही फोन पर बात करेंगे.

सोनाली और मैं करीब छह साप्ताह तक अलग रहने वाले थे, एक दो दिन
इधर उधर अगर सब चीज़ें सही गयी तो. वैसे छह साप्ताह कोई
बड़ी बात नही है, पर जब मुझे मालूम है कि उसके घर मे तनाव
चल रहा है तो मुझे उसके पास होना चाहिए. पर हालत को कौन
रोक सकता था, जिस दिन उसकी माँ अपनी बेहन के यहाँ रहने चली गयी
उसी दिन में देल्ही के लिए रवाना हो गया.

शूटिंग के एक दिन पहले में होटेल मे पूल के पास लेटा सुर्य की
गर्मी के मज़े ले रहा था. में आँख बंद कर आराम कुर्सी पर लेटा
था कि किसी ने मुझे पर पानी फैंका. मैने आँखें खोली तो गायत्री
का सुन्दर चेहरा मुझे दिखाई दिया. गायत्री एक बन्गालन लड़की थी
जिससे मेरी मुलाकात एक दूसरी पिक्चर पर हुई थी.

गायत्री एक मेक अप आर्टिस्ट थी. लंबा बदन, गोल चेहरा, काली
आँखें और लंबे बाल जो उसकी कमर तक आते थे. उसकी चुचियाँ
थोड़ी छोटी पर भारी भारी थी. उसके चेहरे के नाक नक्श अच्छे थे
जिससे कोई भी उसकी तरफ आकर्षित हो सकता था. पिछले बार हम जब
मिले थे, तब हमारे बीच चुदाई का भी दौर चला था. पर ये सब
सोनाली से मिलने से पहले की बात है.

"हाई राज कैसे हो?" वो मुझे देखकर मुस्कुराइ.

"हाई, गायत्री मुझे नही मालूम था कि तुम भी इस पिक्चर पर काम
कर रही हो." मैने कहा.

वो मेरे पास आकर कुर्सी के हत्थे पर बैठ गयी, "हां मुझे
रेहाना की जगह लिया गया है. उसकी कोई घरेलू तकलीफ़ थी." उसने
कहा. गायत्री ने अपने चेहरे को मेरे चेहरे के पास कर एक प्रगाढ़
चुंबन लिया. मैने उसकी आँखों मे झाँका, वो मेरे होठों मे अपनी
जीब डालना चाहती थी पर मैने उसे रोक दिया.

"क्या बात है, मुझे देखकर तुम्हे खुशी नही हुई." वो थोड़ा नाराज़
होते हुए बोली.

"नहीं में बहुत खुश हूँ पर………." उसने अपना हाथ मेरे मुँह पर
रख मुझे बीच मे ही रोक दिया.

"कुछ कहने की ज़रूरत नही है, तुम मुझे देख कर चौंक गये में
जानती हूँ."

मैने उसकी उंगलियों को चूमा और उसका हाथ पकड़े रखा, "नही ऐसी
बात नही है पर मेरी जिंदगी मे कोई आ चुका है जिससे में बहुत
प्यार करता हूँ."
 
सोनाली हँसने लगी, "तुम प्यार मे सीरीयस, फिर तो सीरीयस बात है.
पर अब यहाँ से उठो और मुझे एक बियर पिलाओ." वो मेरा हाथ पकड़
मुझे बार की तरफ ले गयी.

मैने उसके पीछे चल रहा था, मेरी नज़रें उसकी भारी चुतड से
हटाए नही हट रही थी. सोनाली के चुतड भी अच्छे थे, पर
गायत्री की बात ही कुछ और थी. "रुक जाओ राज क्या सोच रहे हो, अब
इधर उधर मुँह मारना बंद करो." मैने अपने आपसे कहा.

पूरे दिन हमने मौज मस्ती करते हुए बिताई. रात के खाने के लिए
हम एक रेस्टोरेंट मे पहुँचे जो हमारे होटेल से ज़्यादा दूर नही था.





खाना खाने के बाद गायत्री ने पूछा, "तो तुम्हारी सोनाली दिखने में
कैसी है और बिस्तर मे उसके क्या हाल है."

"सोनाली दिखने मे भी सुंदर है और बिस्तर मे भी लाजवाब है.
मुझे कोई शिकायत नही है," मैने कहा, "तुम अपनी सूनाओ, तुम्हारी
जिंदगी मे कोई स्पेशल आया की नही?"

"तुम्हारे अलावा कोई स्पेशल नही है," उसने कहा, "हां एक दो लड़के
है जिन्हे में मिलती रहती हूँ."

"एक दो लड़के, तुम पक्की छिनार हो?" मैने मज़ाक किया.

"राज ये कोई तरीका नही है किसी शरीफ औरत से बात करने का." वो
थोड़ा नाराज़ होते हुए बोली.

"जब कोई शरीफ औरत मिलेगी तो तरीका भी सुधार लूँगा." मैने
कहा.

गायत्री ने हंसते हुए मेरे हाथ पर थप्पड़ रसीद कर दिया. में
सोच रहा था कि गायत्री को सोनाली के परिवार के बारे बताऊ कि
नही. फिर मैने सोचा कि अभी नही. हम वापस होटेल आ गये, एक दो
बियर बार मे पी फिर अपने अपने कमरे की ओर चल दिए. संजोग से हम
दोनो के कमरे अगल बगल के थे.

गायत्री ने अपने कमरे का दरवाज़ा खोला, वो मेरी ओर बहकी नज़रों से
देख रही थी, "पक्का तुम मेरे कमरे मे चाइ कॉफी या फिर कोई
स्पेशल आइस क्रीम खाने नही आ रहे."

हे भगवान, ये मुझे खुला निमंत्रण दे रही थी, अगर कोई और दिन
होता तो मे इस गरम लड़की की सुबह तक चुदाई करता.

"थॅंक्स, फिर किसी दिन देखेंगे." मैने कहा.

"जाओ यहाँ से, ये तो शुक्र है कि में अपने साथ अपना डिल्डो लेकर
आई हूँ. अगर रात को तुम्हे किसी के सिसकने की आवाज़ सुनाई दे तो
चिंता मत करना वो में ही होंगी." कहकर वो अपने कमरे मे चली
गयी.

में भी अपने कमरे मे आ गया. पहले मैने स्नान किया और फिर
बिस्तर पर बैठ कर टीवी देखने लगा. थोड़ी देर के बाद सही मे
गायत्री के सिसकने की आवाज़ आ रही थी.
 
गायत्री और सोनाली मे एक आम बात थी, कि जब दोनो गरम होती थी
खूब जोरों से सिसकती थी. होटेल वालों का एक पॉर्न चॅनेल था, में
उसे लगा कर देखने लगा. थोड़ी देर बाद मैने अपना लंड बाहर निकाला
और खुद को मुठियाने लगा. झड़ने के बाद मे सोने की कोशिश करने लगा.
में सोच रहा था कि इस वक़्त सोनाली क्या कर रही होगी.

में आपको बताता हूँ कि वो क्या कर रही थी. में आप सभी को ये
बता दूं कि मुझे ये सब बातें सोनाली, विजय और प्रियंका ने मेरे
लौटने के बाद बताई थी. थोड़ा बहुत सोनाली ने मुझे फोन पर
बताया था पर सब कुछ नही.

जिस रात देल्ही के होटेल मे अपने लंड को रगड़ रहा था वहीं सोनाली
अपने कमरे मे रखी मछली की टंकी को सॉफ कर रही थी. उसके कमरे
मे ये इक छोटा सा अक्वेरियम था, में हर बार भूल जाता था कि उसमे
किस प्रकार की मछलियाँ थी, खैर वो अपनी उस टंकी को सॉफ कर रही
थी.

सोनाली ने सिर्फ़ ब्लॅक बार और पैंटी पहनी हुई थी, तभी प्रियंका ने
उसका दरवाज़ा खट खाटाया, "क्या में अंदर आ सकती हूँ?"

"हां क्यों नही," सोनाली ने कहा. जबसे से सोनाली, प्रियंका और
मैने साथ मे चुदाई की थी तभी से उन दोनो के संबंध सुधर गये
थे. वो पहले से ज़यादा करीब आ गये थे. जो प्यार बचपन से
कहीं दबा हुआ था वो अब उभर कर आ गया था.

"प्रियंका ने कमरे मे कदम रखा और सोनाली के बिस्तर पर बैठ
गयी. वो अभी अभी नहा कर आई थी इसलिए सिर्फ़ बाथरोब पहन
रखा था.

"क्या बात है प्रियंका." सोनाली ने पूछा.

"कुछ ख़ास नही, बस अपनी छोटी बेहन से कुछ बात करना चाहती
थी. में सोच रही थी कि तुम मम्मी पापा के बारे में क्या सोचती
हो?' प्रियंका अपनी बेहन के मम्मो को घूरते हुए बोली. उसने देखा कि
सोनाली के निपल तने हुए थे.

"मुझे नही लगता कि वो दोनो सही मे अलग हो रहे हैं, मेरा कहने
का मतलब है कि मम्मी को सिर्फ़ थोड़ा वक़्त चाहिए अपने आप के साथ.
मेरा सोचना ये है कि वो थोड़े दिनो मे वापस आ जाएँगी फिर सब
ठीक हो जाएगा." सोनाली ने कहा.

प्रियंका ने सोनाली के ड्रेसिंग टेबल से थोड़ी रूई ली और अपने पाँव
के अंगूठे के बीच फँसा दी. फिर टेबल पर से लाल रंग की नेल
पोलिश उठा नाइल पोलिश लगाने लगी, "हो सकता हो कि तुम सही कह
रही हो? पर मुझे लगता है कि पिताजी दूसरी औरतों के साथ सोते
है."

"तुम्हे लगता है, मतलब." सोनाली उसकी बात चौंक पड़ी.

"दो दिन पहले की बात है, तुम अपनी नौकरानी मीना को तो जानती ही
हो. में अपने कमरे की बाल्कनी मे सुबह बैठी सुबह की गर्मी का
मज़ा ले रही थी कि मुझे पिताजी के कमरे से कुछ आवाज़ें सुनाई
दी, मेरी जिग्यासा बढ़ गयी. वैसे तो कमरे के पर्दे डाले हुए थे,
फिर भी एक झिर्री से थी जिसमे से में झाँकने लगी."

सोनाली की भी जिग्यासा बढ़ गयी, वो प्रियंका के पास बिस्तर पर
बैठ गयी और पूछा, "फिर तुमने क्या देखा."

प्रियंका ऐसे बता रही थी जैसे उसे राज की बातें बताने मे मज़ा
आता हो, "मैने देखा कि मीना पिताजी का लंड चूस रही थी."

"में नही मानती, ये हो ही नही सकता." सोनाली ने कहा.

"अगर तुम्हे विश्वास नही है, तो एक दिन खुद अपनी आँखों से देख
लेना. मेरे ख़याल से वो जब भी पिताजी का कमरा सॉफ करने जाती है
तभी उनका लंड चूस्ति है." प्रियंका ने कहा.

"धात….में तो ऐसा सपने मे भी नही सोच सकती, पापा कितने अच्छे
इंसान है. वो ऐसा कैसे कर सकते है?' सोनाली थोड़ा विचलित होते
हुए बोली.

"क्या पता मम्मी भी ऐसा ही करती हों और इसलिए ही………" प्रियंका एक
शैतानी मुस्कुराहट के साथ बोली.

"मुझे विश्वास नही होता. में अपनी आँखों से खुद देखना चाहती
हूँ. में पापा को अपना लंड मीना से चूस्वाते हुए देखना चाहती
हूँ." सोनाली ने कहा.
 
तभी प्रियंका को कुछ याद आया, "सोनाली क्या तुम मेरा एक काम कर
सकती हो?" उसने पूछा, "बुधवार को क्या तुम मेरे साथ डॉक्टर के पास
चल सकती हो, मुझे सिर्फ़ अपनी गर्भनिरोधक गोलियाँ लेनी है और
कुछ नही."

"हां चली चलूंगी, मुझे कोई तकलीफ़ नही." सोनाली ने कहा.

प्रियंका बिस्तर से उठी और उसेन अपनी छोटी बेहन को अपने गले लगा
लिया, "थॅंक यू सोनाली." सोनाली ने भी उसे बाहों मे भर लिया और
अपना चेहरा उसके कंधों पर टिका दिया.

"में तुमसे बहुत प्यार करती हूँ सोनाली." प्रियंका ने कहा, "अब और
ज़्यादा समय साथ मे रहना चाहिए, है ना."

"मुझे मंजूर है," कहकर सोनाली ने प्रियंका के होंठो को चूम
लिया.

"सोनाली?" प्रियंका ने पूछा, "क्या आज की रात हम साथ सो सकते है,
आज पता नही क्यों अकेले सोने का दिल नही कर रहा."

सोनाली कुछ देर के लिए सोचने लगी. वो रोज़ सुबह जल्दी उठ जाती
थी पर जब उसके छोटे पलंग पर कोई उसके साथ सोया होता तो उसे
जल्दी उठने मे तकलीफ़ होती थी. पर शयाद उसे भी मेरी कमी खल
रही थी, वो भी किसी की बाहों मे सोना चाहती थी, "हां क्यों नही,
पहले की तरह हम साथ सोएंगे."

एक घंटे के बाद सोनाली प्रियंका के कमरे मे पहुँची, प्रियंका
पहले से बिस्तर पर सिर्फ़ अपनी पैंटी पहने लेटी हुए थी. सोनाली ने
अपनी टी-शर्ट उतार कर ज़मीन पर फैंक दी और प्रियंका के पास
बिस्तर पर लेट गयी.

प्रियंका का बेड एक सिंगल बेड था, पर उसे अपनी बेहन से चिपकने मे
अच्छा लग रहा था, "ओह्ह्ह सोनाली तुम्हारा बदन तो एक दम बर्फ की
तरह ठंडा पड़ा है."

"तो मुझे अपनी बाहों मे भर मेरे इस बदन को गरमा दो ना." सोनाली
मुस्कुराते हुए बोली.

प्रियंका अपनी बेहन की ओर देखते हुए सोच रही थी कि वो उससे कितना
प्यार करती है. प्रियंका ने अपने होठ सोनाली के होठों पर रख दिए.
सोनाली ने अपना मुँह खोला और अपनी बेहन की जीब अपने मुँह मे ले ली.
अब दोनो एक दूसरे की जीब को चूस रहे थे.

दोनो का शरीर एक दूसरे के शरीर से चिपका हुआ था. छातियाँ
छाती से और चूत चूत से, "कितना अच्छा लग रहा है," सोनाली ने
कहा.

सोनाली ने अपना हाथ अपनी बेहन की पैंटी मे डाल दिया और उसके
चूतडो को सहलाने लगी. सोनाली को अपनी बेहन के चूतड़ पहले से
ही बहुत पसंद थे, क्यों कि वो उसके चूतड़ से काफ़ी बड़े और मासल
थे.

सोनाली अपने बेहन की पैंटी नीचे खिसकाने लगी. प्रियंका ने अपने
चूतड़ थोड़े उपर को उठा दिए जिससे सोनाली उसकी पैंटी को उतार
सके. प्रियंका निब ही वैसे ही कर सोनाली की पनटी उतार्र दी.

दोनो के नंगे बदन आपस मे चिपके हुए थे. सोनाली को अपनी बेहन की
प्यारी चूत का स्पर्श अच्छा लग रहा था. सोनाली ने अपने हाथ
प्रियंका के चूतड़ सहलाते हुए उसकी चूत पर फिराने लगी. फिर
उसने अपनी उंगली उसकी चूत मे घुसा दी.
 
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