hotaks444
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"सुनो राज तुम्हारा लंड हमेशा मेरा लिए पहले रहेगा, पर जब से
विजय ने मुझे चोदा है ऐसा लगता है कि उसने मेरे अंदर की आग को
और भड़का दिया है, मेरी चुदाई इच्छा और तीव्र हो गयी है. हो
सकता है कि में भविश्य में विजय या अपने पिताजी से बराबर
चुदवाती रहूं. जब विजय मुझे चोदता है तो मुझे एक ऐसा नशा सा
छा जाता है, में तो चाहूँगी कि पिताजी भी मुझे उसी तरह
चोदे, मेरी चूत को अपने गरम वीर्य से पूरी तरह भर दें. हो
सकता है में ग़लत हूँ पर में अपनी काम इच्छा के आगे विवश हो
जाती हूँ." सोनाली ने कहा.
"तो क्या तुमने अपने पिताजी से अभी तक नही चुदवाया है?" में
जानना चाहता था.
"नही पिताजी ने कहा कि जब तक तुम वापस घर नही आ जाते मुझे
रुकना होगा. वो चाहते हैं कि जब वो मुझे चोदे तब तुम वहाँ
मौजूद रहो. वैसे में कई बार उनके लंड को चूसा है. एक बार
प्रियंका ने मुझे पिताजी का लंड चूस्ते हुए पकड़ लिया, और हंगामा
खड़ा करने के बजाए वो हमारे साथ आ गयी और उसने भी पिताजी का
लंड चूसा." सोनाली ने बताया.
"ओह्ह्ह में ये सब देखना चाहता हूँ, लगता है काफ़ी मज़ा आएगा."
मैने कहा.
"हां डार्लिंग बहोत मज़ा आएगा." सोनाली ने मेरे हाथों को दबाते
हुए कहा.
सोनाली ने आगे बढ़ कर मेरे चेहरे को अपने हाथों मे लिया और मेरे
होठों को चूसने लगी. फिर उसने अपनी जीब मेरे मुँह मे डाल दी और
गोल गोल घूमाने लगी. फिर उसने मेरे चेहरे को अलग किया और
बाथरूम मे चली गयी. मैने उसके पीछे पीछे बाथरूम मे आगया
और जब वो टाय्लेट सीट पर बैठी पिशाब कर रही थी मैने उसे
अपने और गायत्री के बारे मे बताया. उसे बताया कि किस तरह में
गायत्री जिससे मेरी पहचान पहले से थी मुझे शूटिंग के दौरान
मिली और हमने काफ़ी चुदाई भी की.
सोनाली ने मेरी बातें ध्यान से सुनी और कहा कि उसे कोई ऐतराज़
नही है. अगर वो अपने परिवार वालों के साथ चुदाई कर सकती है
तो वो मेरी किसी बात का कैसे विरोध कर सकती है.
सोनाली ने जब ये बात मुझसे कही तो मुझे थोड़ा गर्व सो हो गया उस
पर. किस तरह उसने सभी बातों को संभाल लिया था. मैने नीचे
झुक कर उसे चूम लिया. फिर उसके सामने नीचे बैठ मैने अपना
हाथ उसकी चूत पर रख दिया और अपनी एक उंगली अंदर घुसा दी.
"ओह राज तुम कितने अचचर हो, में तुमसे बहोत प्यार करती हूँ, फिर
तुम रविवार को घर आ रहे हो ना." सोनाली ने मुझे चूमते हुए
कहा.
मैने अपनी गर्दन हां मे हिला दी. में रविवार को उसके घर जा
रहा था. और में जानता था कि वो दिन बहोत ही अच्छा गुज़रेगा, और
कैसा गुज़रा ये में आप लोगों को भी बताउन्गा.
विजय ने मुझे चोदा है ऐसा लगता है कि उसने मेरे अंदर की आग को
और भड़का दिया है, मेरी चुदाई इच्छा और तीव्र हो गयी है. हो
सकता है कि में भविश्य में विजय या अपने पिताजी से बराबर
चुदवाती रहूं. जब विजय मुझे चोदता है तो मुझे एक ऐसा नशा सा
छा जाता है, में तो चाहूँगी कि पिताजी भी मुझे उसी तरह
चोदे, मेरी चूत को अपने गरम वीर्य से पूरी तरह भर दें. हो
सकता है में ग़लत हूँ पर में अपनी काम इच्छा के आगे विवश हो
जाती हूँ." सोनाली ने कहा.
"तो क्या तुमने अपने पिताजी से अभी तक नही चुदवाया है?" में
जानना चाहता था.
"नही पिताजी ने कहा कि जब तक तुम वापस घर नही आ जाते मुझे
रुकना होगा. वो चाहते हैं कि जब वो मुझे चोदे तब तुम वहाँ
मौजूद रहो. वैसे में कई बार उनके लंड को चूसा है. एक बार
प्रियंका ने मुझे पिताजी का लंड चूस्ते हुए पकड़ लिया, और हंगामा
खड़ा करने के बजाए वो हमारे साथ आ गयी और उसने भी पिताजी का
लंड चूसा." सोनाली ने बताया.
"ओह्ह्ह में ये सब देखना चाहता हूँ, लगता है काफ़ी मज़ा आएगा."
मैने कहा.
"हां डार्लिंग बहोत मज़ा आएगा." सोनाली ने मेरे हाथों को दबाते
हुए कहा.
सोनाली ने आगे बढ़ कर मेरे चेहरे को अपने हाथों मे लिया और मेरे
होठों को चूसने लगी. फिर उसने अपनी जीब मेरे मुँह मे डाल दी और
गोल गोल घूमाने लगी. फिर उसने मेरे चेहरे को अलग किया और
बाथरूम मे चली गयी. मैने उसके पीछे पीछे बाथरूम मे आगया
और जब वो टाय्लेट सीट पर बैठी पिशाब कर रही थी मैने उसे
अपने और गायत्री के बारे मे बताया. उसे बताया कि किस तरह में
गायत्री जिससे मेरी पहचान पहले से थी मुझे शूटिंग के दौरान
मिली और हमने काफ़ी चुदाई भी की.
सोनाली ने मेरी बातें ध्यान से सुनी और कहा कि उसे कोई ऐतराज़
नही है. अगर वो अपने परिवार वालों के साथ चुदाई कर सकती है
तो वो मेरी किसी बात का कैसे विरोध कर सकती है.
सोनाली ने जब ये बात मुझसे कही तो मुझे थोड़ा गर्व सो हो गया उस
पर. किस तरह उसने सभी बातों को संभाल लिया था. मैने नीचे
झुक कर उसे चूम लिया. फिर उसके सामने नीचे बैठ मैने अपना
हाथ उसकी चूत पर रख दिया और अपनी एक उंगली अंदर घुसा दी.
"ओह राज तुम कितने अचचर हो, में तुमसे बहोत प्यार करती हूँ, फिर
तुम रविवार को घर आ रहे हो ना." सोनाली ने मुझे चूमते हुए
कहा.
मैने अपनी गर्दन हां मे हिला दी. में रविवार को उसके घर जा
रहा था. और में जानता था कि वो दिन बहोत ही अच्छा गुज़रेगा, और
कैसा गुज़रा ये में आप लोगों को भी बताउन्गा.