hotaks444
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तभी सोनाली विजय के कमरे मे आती है, "तुम दोनो काफ़ी एंजाय कर
रहे हो लगता है, किसी लड़की की ज़रूरत महसूस हो रही है." उसने
कहा.
विजय ने कुछ कहा नही बल्कि उसे उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और
उसकी चूत मे अपना लंड डाल दिया. थोड़ी देर उसकी चूत चोदने के बाद
जैसे ही उसने अपना लंड उसकी गान्ड मे घुसाना चाहा सोनाली बोल उठी,
"ओह विजय गान्ड मे नही, अभी तक दर्द हो रहा है, राज ने थोड़ी देर
पहले खूब चुदाई की है."
पर सोनाली को कहने मे देर हो चुकी थी, विजय का लंड तब तक उसकी
गान्ड मे घुस चुका था. विजय जोरों से उसकी गान्ड मारने लगा. अब
सोनाली उसे रोकने के बजाई सिसक रही थी, "ऑश वियाअ हां मारो
मेरी गांद ऑश हाआँ और जूओर से."
थोड़ी देर के बाद वो दोनो तक कर अलग हो गये थे. में सोनाली का
हाथ अपने हाथों मे लिए बिस्तर पर बैठा था.
"सोनाली तुम्हे याद है उस दिन हमने क्या किया था?" विजय ने सोनाली
से पूछा.
"हां मुझे अच्छी तरह याद है." सोनाली ने कहा. में भी जानना
चाहता था कि उस दिन क्या हुआ. सोनाली ने मुझे बताया.
उस दिन सोनाली नाहकार बाथरूम से बाहर आ रही थी और विजय और
अमित अपने कमरे से बाहर निकल रहे थे. थोड़े देर पहले वो तीनो
साथ मे विजय के कमरे मे ही थे. वो सब साथ मे कोई ब्लू फिल्म देख
रहे थे.
दोनो जब कमरे से बाहर आए तो बिल्कुल नंगे थे. जब उन्होने ने
सोनाली को नंगी बाथरूम से बाहर निकलते देखा तो उन दोनो का लंड
खड़ा हो गया.
विजय ने उसका रास्ता रोक लिया और चिढ़ाते हुए कहा, "सोनाली अगर
तुम्हे यहाँ से जाना है तो टोल टॅक्स देना होगा."
"अभी नही विजय मुझे बहोत काम करना है." सोनाली ने उसे
समझाया.
विजय था क़ी वो मान ही नही रहा था. विजय ने उसके कंधों को
पकड़ा और उसके होठों पर अपने होठ रख दिए. सोनाली ने भी अपना
मुँह खोला और उसकी जीब को अपने मुँह मे ले चूसने लगी. तभी अमित
ने पीछे से उसकी चूत मे अपना लंड घुसा दिया.
अमित का लंड बड़ा तो नही था पूर उसे अपनी चूत मे उसका लंड अच्छा
लगता था. पर पता नही क्यों आज उसे चुदवाने का मन नही था.
"प्लीज़ अमित रुक जाओ, मुझे जाने दो?" सोनाली ने कहा.
"ऐसे कैसे जाने दें. हम तुम्हे तब तक जाने नही देंगे जब तक
हम तुम्हे अपने वीर्य से नहला ना दे, फिर तुम्हे ये सब अच्छा भी तो
लगता है." विजय ने उसे बाहों मे भर उसकी चुचियों को मसल्ते हुए
कहा.
अमित के लंड का हर धक्का उसे गरम और उत्तेजित करता जा रहा था.
अब वो अपने दो आशिक़ के बीच फँस गयी थी. उसके दिमाग़ मे ये बात
कहीं थी कि वो अमित से चुदवा कर उस हद को पर कर रही थी जो
मैने और उसने तय की थी.
पर उत्तेजना और चूत की खुजली उस हद को पर करने पर उसे मजबूर
कर रही थी. अगर वो दोनो उसे जाने भी देते तो वो नही जाती, वो
अपनी चूत की खुजली के सामने लाचार थी.
"अमित का लंड तुम्हे अच्छा लगता है ना, थोड़ी देर पहले उसका लंड
मेरे मुँह मे था अब वो तुम्हारी चूत मे है मेरी छिनाल बेहन."
विजय ने कहा.
"ह्म्म्म्म हाआँ………अमित चूओड़ो मुझे और ज़ोर से चूड़ो." सोनाली ने
स्वीकार किया.
रहे हो लगता है, किसी लड़की की ज़रूरत महसूस हो रही है." उसने
कहा.
विजय ने कुछ कहा नही बल्कि उसे उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और
उसकी चूत मे अपना लंड डाल दिया. थोड़ी देर उसकी चूत चोदने के बाद
जैसे ही उसने अपना लंड उसकी गान्ड मे घुसाना चाहा सोनाली बोल उठी,
"ओह विजय गान्ड मे नही, अभी तक दर्द हो रहा है, राज ने थोड़ी देर
पहले खूब चुदाई की है."
पर सोनाली को कहने मे देर हो चुकी थी, विजय का लंड तब तक उसकी
गान्ड मे घुस चुका था. विजय जोरों से उसकी गान्ड मारने लगा. अब
सोनाली उसे रोकने के बजाई सिसक रही थी, "ऑश वियाअ हां मारो
मेरी गांद ऑश हाआँ और जूओर से."
थोड़ी देर के बाद वो दोनो तक कर अलग हो गये थे. में सोनाली का
हाथ अपने हाथों मे लिए बिस्तर पर बैठा था.
"सोनाली तुम्हे याद है उस दिन हमने क्या किया था?" विजय ने सोनाली
से पूछा.
"हां मुझे अच्छी तरह याद है." सोनाली ने कहा. में भी जानना
चाहता था कि उस दिन क्या हुआ. सोनाली ने मुझे बताया.
उस दिन सोनाली नाहकार बाथरूम से बाहर आ रही थी और विजय और
अमित अपने कमरे से बाहर निकल रहे थे. थोड़े देर पहले वो तीनो
साथ मे विजय के कमरे मे ही थे. वो सब साथ मे कोई ब्लू फिल्म देख
रहे थे.
दोनो जब कमरे से बाहर आए तो बिल्कुल नंगे थे. जब उन्होने ने
सोनाली को नंगी बाथरूम से बाहर निकलते देखा तो उन दोनो का लंड
खड़ा हो गया.
विजय ने उसका रास्ता रोक लिया और चिढ़ाते हुए कहा, "सोनाली अगर
तुम्हे यहाँ से जाना है तो टोल टॅक्स देना होगा."
"अभी नही विजय मुझे बहोत काम करना है." सोनाली ने उसे
समझाया.
विजय था क़ी वो मान ही नही रहा था. विजय ने उसके कंधों को
पकड़ा और उसके होठों पर अपने होठ रख दिए. सोनाली ने भी अपना
मुँह खोला और उसकी जीब को अपने मुँह मे ले चूसने लगी. तभी अमित
ने पीछे से उसकी चूत मे अपना लंड घुसा दिया.
अमित का लंड बड़ा तो नही था पूर उसे अपनी चूत मे उसका लंड अच्छा
लगता था. पर पता नही क्यों आज उसे चुदवाने का मन नही था.
"प्लीज़ अमित रुक जाओ, मुझे जाने दो?" सोनाली ने कहा.
"ऐसे कैसे जाने दें. हम तुम्हे तब तक जाने नही देंगे जब तक
हम तुम्हे अपने वीर्य से नहला ना दे, फिर तुम्हे ये सब अच्छा भी तो
लगता है." विजय ने उसे बाहों मे भर उसकी चुचियों को मसल्ते हुए
कहा.
अमित के लंड का हर धक्का उसे गरम और उत्तेजित करता जा रहा था.
अब वो अपने दो आशिक़ के बीच फँस गयी थी. उसके दिमाग़ मे ये बात
कहीं थी कि वो अमित से चुदवा कर उस हद को पर कर रही थी जो
मैने और उसने तय की थी.
पर उत्तेजना और चूत की खुजली उस हद को पर करने पर उसे मजबूर
कर रही थी. अगर वो दोनो उसे जाने भी देते तो वो नही जाती, वो
अपनी चूत की खुजली के सामने लाचार थी.
"अमित का लंड तुम्हे अच्छा लगता है ना, थोड़ी देर पहले उसका लंड
मेरे मुँह मे था अब वो तुम्हारी चूत मे है मेरी छिनाल बेहन."
विजय ने कहा.
"ह्म्म्म्म हाआँ………अमित चूओड़ो मुझे और ज़ोर से चूड़ो." सोनाली ने
स्वीकार किया.