hotaks444
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वो दोनों उठ के अन्दर आ गए.....उधर दूसरी तरफ इंदु के घर में इंदु और नीलू के बीच.........
इंदु - हाँ तो अब बता क्या चल रहा है...
नीलू - क्या चल रहा है? कुछ भी तो नहीं चल रहा...
इंदु - चल साली...मुझे न पढ़ा. सब सच सच बता...कैसे चोदा भाईसाब ने कल तुझे...
नीलू - नहीं रे. अब सच में हम वो सब नहीं करते. अब तो बस दो तिन दिन में एक बार रात में हो जाता है बस. बाकि वो पहले जैसा घर में नंगे घूमना तो अब बंद कर दिया हमने....
इंदु - और वो भाईसाब की रखैल सुधा..उसका क्या हाल है?
नीलू - वो भी अब ऐसे ही रहती है.और तू कभी भूल के भी उसे इनके सामने रखैल न कह देना नहीं तो तेरी गांड में डंडा घुसेड देंगे वो.
इंदु - यार मेरी समझ में नहीं अत....भाईसाब के पास चोदने के लिए तू है मैं हूँ और न जाने कितनी जवान चूतें हैं तो फिर वो उस बुधिया की चूत में क्यों घुसना चाहते हैं....और यह काकी का रिश्ता क्या है?? काकी मतलब तो चाची होता है न..तो क्या वो भाईसाब की चाची है???
नीलू - नहीं नहीं. काकी तो उसे बस ऐसे ही कहते हैं. वैसे तो मैं भी नहीं जानती की काकी कहाँ की है कब से है इनके साथ..मैंने तो जब से जाना तब से काकी को इनका लंड चुसते ही देखा है.....
इंदु - तूने इन लोगों को कैसे स्वीकार कर लिया...कोई औरत अपने पति को किसी और के साथ कैसे शेयर कर सकती है?
नीलू - अरे जाने दे न यह सब बातें...तू सुना क्या चल रहा है तेरा...
इंदु - तू कभी काकी के बारे में मुझसे खुल कर बात नहीं करती. मुझे कितना कुछ पूछना है उसके बारे में. वो मुझे कुछ अलग सी लगती है...
नीलू - हां जानती हूँ तुझे बहुत कुछ पूछना है. लेकिन अभी नहीं. फिर कभी...चल अब बता भी दे की क्या चल रहा है तेरा...
इंदु - मेरा क्या चलेगा? दो दिन से तो पीरियड चल रहे हैं तो कोई चुदाई नहीं हुई....
नीलू - क्यों पीरियड गांड में भी चल रहे हैं क्या?? तू तो गांड में ले लेती है न उन दिनों में..
इंदु - हाँ लेकिन इस समय जो मेरा यार है वो गांड पसंद नहीं करता.मुझे लगा की दो तीन दिन की बात है तो नया माल खोजने से अच्चा है की वेट ही कर लो...बस कल का दिन और..परसों से फिर से मेरी भोस चुदाई का मैदान बन जाएगी...
नीलू - अच्चा यह बता की पहले तो तू सोम को नाम से ही बुलाती थी...लेकिन कुछ दिनों से देख रही हूँ की भाईसाब कह रही है..क्या बात है.? यह इतना भाईचारा क्यों बढ़ रहा है???
इंदु- नहीं तो. ऐसा तो कुछ नहीं है..
नीलू - है. बिलकुल है. तू बार बार भाईसाब कहती है और फिर चुदाई की खुल्ली बात करती है......भाई बना के चुदना चाहती है????
इंदु - हा हा हा हा हा....क्या करूँ यार कुछ नयापन तो होना चाहिए न...सोचा की इतने सरे लंड खा चुकी हूँ तो अब किसी को मुंहबोला भाई बना के उसके मुंह में अपनी भोस दे दूं....इसका भी तो स्वाद है....
नीलू - तू तो उम्र के साथ और भी ज्यादा पागल होती जा रही है. भाई बहन चुदाई के लिए नहीं होते......तू सोम को सोम ही बोला कर...
इंदु - नहीं. सोम मेरे भाई और तू मेरी भाभी...और मैं तेरी ननद....
नीलू - हे भगवन क्या दिमाग है तेरा..कहाँ कहाँ तक सोच लेती है...अब भाई बहन बन के चुदने में क्या मजा मिलेगा तुझे???
इंदु - ये तू क्या जाने...कभी तूने ट्राई नहीं किया न...सुन आज रत में जब वो तुझे पेलेंगे तो उन्हें भैया बोल के देखना...बहुत मजा आएगा......
नीलु- चुप कर कमीनी...तेरी तो कोई सीमा ही नहीं है...अच्चा तू कुछ लायी था मेरे लिए...दे न...
इंदु - हाँ. वही देने के लिए तो रोका हुआ था तुझे...आ जरा बेडरूम में चल....
और दोनों बेडरूम में चली गयीं......
इंदु ने बेडरूम में आके दरवाजा बंद किया और फिर अपनी अलमारी से दो पैकेट निकाले....वो दोनों ही पैकेट्स गिफ्ट के थे. उसने कहा की इन्हें यहाँ मत खोलना. घर जा के देखना. मुझे पक्का पता है तुझे बहुत पसंद आएगा.एक तेरे लिए है और एक तेरी काकी के लिए....इंदु का मन तो था की इसके बाद वो और नीलू कुछ करेंगे लेकिन नीलू ने कहा की उसे बहुत देर हो गयी है...वो बाद में आएगी......इंदु ने ज्यादा जिद नहीं की और अपने ड्राईवर को कह दिया को नीलू को घर ड्राप कर देगा...नीलू घर वापस आ गयी....घर आ के नीलू जैसे ही अपने कमरे में जाने वाली थी की पीछे से रानी ने आवाज लगा दी...
रानी - मम्मी आप कहाँ थी सुबह से...
नीलू - बस अपनी एक दोस्त के यहाँ गयी थी.
रानी - इंदु आंटी के यहाँ?
नीलू - हां बेटा. तुझे कैसे पता.
रानी - काकी ने बताया था. मम्मी आप लोगों के पास हमारे लिए टाइम है की नहीं?
नीलू - ऐसा क्यों कह रही हो?
रानी - कब से हम लोग आये हैं लेकिन आप लोग हमें कहीं घुमाने नहीं ले गए. हमने अभी तक अपना फार्म हाउस भी नहीं देखा. आप लोग तो बहुत बिजी हैं.
नीलू - नहीं ऐसा तो नहीं है. बस पहले के कुछ कमिटमेंट थे वो ही पुरे कर रहे हैं और उसके बाद तो पूरा दिन तुम लोगों के साथ ही रहेंगे.
रानी - यह आपके हाथ में क्या है?
एकदम से सकपका गयी नीलू. अब क्या कहेगी? उसे तो ख्याल ही नहीं रहा था की छुपा के अन्दर लाती. वो तो अच्चा हुआ की दोनों डब्बे गिफ्ट पेपर में बंद थे तो बाहर से देख के अंदाज नहीं लगता.
नीलू - यह तो इंदु के गिफ्ट हैं.
रानी - अरे वाह अप को गिफ्ट दिया उन्होंने...खोलो न मुझे भी दिखाओ क्या है इसमें...
अब तो नीलू और भी घबरा गयी की अगर खोल दिया तो पता नहीं अन्दर से क्या निकलेगा. इतना तो पक्का था की कुछ चुदाई का सामान ही होगा. अब क्या करे नीलू..उसने कुछ देर डब्बे को उल्टा पलता के कहा की.
नीलू - नहीं नहीं दिया नहीं है. बल्कि मैं लायी हूँ इंदु को देने के लिए....
रानी - ओके. क्या लायी हो? और दो दो पैकेट क्यों हैं? और किसी को भी देना है क्या?
अब तो नीलू को डर भी लग रहा था और उसे खीझ भी हो रही थी की यह रानी इतने सवाल क्यों पुच रही है. और वहीँ रानी को भी कुछ अजीब लग रहा था की गिफ्ट की बात पर उसकी माँ इतनी हैरत में क्यों है...
नीलू - नहीं दोनों ही उसी के लिए हैं. मैं एक लेने गयी थी लेकिन दो अच्छे लग गए तो दो ले लिए. इंदु हमारी बहुत ख़ास दोस्त है न. तो उसके लिए ऐसे ही गिफ्ट लेते रहते हैं.
रानी - वाह. क्या लिया है बताओ न? यहाँ कोई अच्छी गिफ्ट शॉप है क्या? कैसे आइटम मिलते हैं यहाँ?
अब तो नीलू को गुस्सा आने लगा था...उसने तुरंत बात को ख़त्म करना ही ठीक समझा...
नीलू - बेटा हम बाद में बात करते हैं. मैं सुबह से नहाई नहीं हूँ. देखो न इतनी देर हो गयी. अभी तुम अपना काम करो मैं नाहा के आती हूँ फिर बैठते हैं हम लोग....
इंदु - हाँ तो अब बता क्या चल रहा है...
नीलू - क्या चल रहा है? कुछ भी तो नहीं चल रहा...
इंदु - चल साली...मुझे न पढ़ा. सब सच सच बता...कैसे चोदा भाईसाब ने कल तुझे...
नीलू - नहीं रे. अब सच में हम वो सब नहीं करते. अब तो बस दो तिन दिन में एक बार रात में हो जाता है बस. बाकि वो पहले जैसा घर में नंगे घूमना तो अब बंद कर दिया हमने....
इंदु - और वो भाईसाब की रखैल सुधा..उसका क्या हाल है?
नीलू - वो भी अब ऐसे ही रहती है.और तू कभी भूल के भी उसे इनके सामने रखैल न कह देना नहीं तो तेरी गांड में डंडा घुसेड देंगे वो.
इंदु - यार मेरी समझ में नहीं अत....भाईसाब के पास चोदने के लिए तू है मैं हूँ और न जाने कितनी जवान चूतें हैं तो फिर वो उस बुधिया की चूत में क्यों घुसना चाहते हैं....और यह काकी का रिश्ता क्या है?? काकी मतलब तो चाची होता है न..तो क्या वो भाईसाब की चाची है???
नीलू - नहीं नहीं. काकी तो उसे बस ऐसे ही कहते हैं. वैसे तो मैं भी नहीं जानती की काकी कहाँ की है कब से है इनके साथ..मैंने तो जब से जाना तब से काकी को इनका लंड चुसते ही देखा है.....
इंदु - तूने इन लोगों को कैसे स्वीकार कर लिया...कोई औरत अपने पति को किसी और के साथ कैसे शेयर कर सकती है?
नीलू - अरे जाने दे न यह सब बातें...तू सुना क्या चल रहा है तेरा...
इंदु - तू कभी काकी के बारे में मुझसे खुल कर बात नहीं करती. मुझे कितना कुछ पूछना है उसके बारे में. वो मुझे कुछ अलग सी लगती है...
नीलू - हां जानती हूँ तुझे बहुत कुछ पूछना है. लेकिन अभी नहीं. फिर कभी...चल अब बता भी दे की क्या चल रहा है तेरा...
इंदु - मेरा क्या चलेगा? दो दिन से तो पीरियड चल रहे हैं तो कोई चुदाई नहीं हुई....
नीलू - क्यों पीरियड गांड में भी चल रहे हैं क्या?? तू तो गांड में ले लेती है न उन दिनों में..
इंदु - हाँ लेकिन इस समय जो मेरा यार है वो गांड पसंद नहीं करता.मुझे लगा की दो तीन दिन की बात है तो नया माल खोजने से अच्चा है की वेट ही कर लो...बस कल का दिन और..परसों से फिर से मेरी भोस चुदाई का मैदान बन जाएगी...
नीलू - अच्चा यह बता की पहले तो तू सोम को नाम से ही बुलाती थी...लेकिन कुछ दिनों से देख रही हूँ की भाईसाब कह रही है..क्या बात है.? यह इतना भाईचारा क्यों बढ़ रहा है???
इंदु- नहीं तो. ऐसा तो कुछ नहीं है..
नीलू - है. बिलकुल है. तू बार बार भाईसाब कहती है और फिर चुदाई की खुल्ली बात करती है......भाई बना के चुदना चाहती है????
इंदु - हा हा हा हा हा....क्या करूँ यार कुछ नयापन तो होना चाहिए न...सोचा की इतने सरे लंड खा चुकी हूँ तो अब किसी को मुंहबोला भाई बना के उसके मुंह में अपनी भोस दे दूं....इसका भी तो स्वाद है....
नीलू - तू तो उम्र के साथ और भी ज्यादा पागल होती जा रही है. भाई बहन चुदाई के लिए नहीं होते......तू सोम को सोम ही बोला कर...
इंदु - नहीं. सोम मेरे भाई और तू मेरी भाभी...और मैं तेरी ननद....
नीलू - हे भगवन क्या दिमाग है तेरा..कहाँ कहाँ तक सोच लेती है...अब भाई बहन बन के चुदने में क्या मजा मिलेगा तुझे???
इंदु - ये तू क्या जाने...कभी तूने ट्राई नहीं किया न...सुन आज रत में जब वो तुझे पेलेंगे तो उन्हें भैया बोल के देखना...बहुत मजा आएगा......
नीलु- चुप कर कमीनी...तेरी तो कोई सीमा ही नहीं है...अच्चा तू कुछ लायी था मेरे लिए...दे न...
इंदु - हाँ. वही देने के लिए तो रोका हुआ था तुझे...आ जरा बेडरूम में चल....
और दोनों बेडरूम में चली गयीं......
इंदु ने बेडरूम में आके दरवाजा बंद किया और फिर अपनी अलमारी से दो पैकेट निकाले....वो दोनों ही पैकेट्स गिफ्ट के थे. उसने कहा की इन्हें यहाँ मत खोलना. घर जा के देखना. मुझे पक्का पता है तुझे बहुत पसंद आएगा.एक तेरे लिए है और एक तेरी काकी के लिए....इंदु का मन तो था की इसके बाद वो और नीलू कुछ करेंगे लेकिन नीलू ने कहा की उसे बहुत देर हो गयी है...वो बाद में आएगी......इंदु ने ज्यादा जिद नहीं की और अपने ड्राईवर को कह दिया को नीलू को घर ड्राप कर देगा...नीलू घर वापस आ गयी....घर आ के नीलू जैसे ही अपने कमरे में जाने वाली थी की पीछे से रानी ने आवाज लगा दी...
रानी - मम्मी आप कहाँ थी सुबह से...
नीलू - बस अपनी एक दोस्त के यहाँ गयी थी.
रानी - इंदु आंटी के यहाँ?
नीलू - हां बेटा. तुझे कैसे पता.
रानी - काकी ने बताया था. मम्मी आप लोगों के पास हमारे लिए टाइम है की नहीं?
नीलू - ऐसा क्यों कह रही हो?
रानी - कब से हम लोग आये हैं लेकिन आप लोग हमें कहीं घुमाने नहीं ले गए. हमने अभी तक अपना फार्म हाउस भी नहीं देखा. आप लोग तो बहुत बिजी हैं.
नीलू - नहीं ऐसा तो नहीं है. बस पहले के कुछ कमिटमेंट थे वो ही पुरे कर रहे हैं और उसके बाद तो पूरा दिन तुम लोगों के साथ ही रहेंगे.
रानी - यह आपके हाथ में क्या है?
एकदम से सकपका गयी नीलू. अब क्या कहेगी? उसे तो ख्याल ही नहीं रहा था की छुपा के अन्दर लाती. वो तो अच्चा हुआ की दोनों डब्बे गिफ्ट पेपर में बंद थे तो बाहर से देख के अंदाज नहीं लगता.
नीलू - यह तो इंदु के गिफ्ट हैं.
रानी - अरे वाह अप को गिफ्ट दिया उन्होंने...खोलो न मुझे भी दिखाओ क्या है इसमें...
अब तो नीलू और भी घबरा गयी की अगर खोल दिया तो पता नहीं अन्दर से क्या निकलेगा. इतना तो पक्का था की कुछ चुदाई का सामान ही होगा. अब क्या करे नीलू..उसने कुछ देर डब्बे को उल्टा पलता के कहा की.
नीलू - नहीं नहीं दिया नहीं है. बल्कि मैं लायी हूँ इंदु को देने के लिए....
रानी - ओके. क्या लायी हो? और दो दो पैकेट क्यों हैं? और किसी को भी देना है क्या?
अब तो नीलू को डर भी लग रहा था और उसे खीझ भी हो रही थी की यह रानी इतने सवाल क्यों पुच रही है. और वहीँ रानी को भी कुछ अजीब लग रहा था की गिफ्ट की बात पर उसकी माँ इतनी हैरत में क्यों है...
नीलू - नहीं दोनों ही उसी के लिए हैं. मैं एक लेने गयी थी लेकिन दो अच्छे लग गए तो दो ले लिए. इंदु हमारी बहुत ख़ास दोस्त है न. तो उसके लिए ऐसे ही गिफ्ट लेते रहते हैं.
रानी - वाह. क्या लिया है बताओ न? यहाँ कोई अच्छी गिफ्ट शॉप है क्या? कैसे आइटम मिलते हैं यहाँ?
अब तो नीलू को गुस्सा आने लगा था...उसने तुरंत बात को ख़त्म करना ही ठीक समझा...
नीलू - बेटा हम बाद में बात करते हैं. मैं सुबह से नहाई नहीं हूँ. देखो न इतनी देर हो गयी. अभी तुम अपना काम करो मैं नाहा के आती हूँ फिर बैठते हैं हम लोग....