hotaks444
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शंकर – अरे समझा करो यार, वहीं उसकी मूतने वाली जगह पर, तो वो मुझे इतनी मोटी मोटी फूली हुई और एकदम काली सी लगी, जबकि तुम्हारी तो एकदम मस्त चिकनी गोरी और उसके मुक़ाबले बहुत छोटी सी है…, दोनो में इतना फरक क्यों..?
सुषमा ने पैंट के उपर से ही उसके पप्पू को छेड़ते हुए कहा.., अच्छा एक बात बताओ, सभी आदमियों का ये पप्पू एक जैसा होता है क्या…?
शंकर – नही पर… फिर भी ये तो अलग ही होता है ना…!
सुषमा – तुम्हें पता है उस दादी के कितने बच्चे हैं..?
शंकर – 9-10 तो हैं शायद…!
सुषमा – अब ज़रा सोचो.., मुझे तुमने अबतक कितनी बार चोदा होगा.., ज़्यादा से ज़्यादा 20-25 बार, और मेरे दो ही बच्चे हैं.., वहीं उस दादी को 10 बच्चे पैदा करने के लिए सैकड़ों बार चुदना पड़ा होगा..,
अरे यार अब तुम खुद सोचो 10-10 बच्चे निकाले हैं उसने अपनी चूत से तो भोसड़ा तो बनेगा ही उसका…!
शंकर – ओ तेरी का, तो भोसड़ा इसको कहते हैं, वही तो सोचु, मेरे क्लासमेट बार बार भोस्डे की गाली क्यों देते हैं…!
सुषमा ने उसके गाल को सहलाते हुए कहा – हाए मेरे भोले बालम, क्या वाकई में भोस्डे का मतलब नही पता था तुम्हें अब तक…?
शंकर – नही सच में, उसके मूह से इतना सुनते ही सुषमा ने आगे बढ़कर उसके गुलाबी होठों पर अपने लिपीसटिक वाले होठ रख दिए, फिर अलग होते हुए बोली – तुम वाकई बहुत प्यारे और सॉफ दिल हो शंकर…,
इसी तरह की चुहलबाज़ी और छेड़-छाड़ करते हुए वक़्त ना जाने कब गुजर गया और वो दोनो शहर पहुँच गये…..!
सुषमा के मामा जी पुरुषोत्तम दास, शहर के जाने माने बिज़्नेसमॅन और समाजसेवी उम्र लगभग 50-52 वर्ष. पत्नी वर्षा देवी कोई 41-42 साल की गोरी चिट्टी निहायत ही खूबसूरत औरत कद 5’6” की औसत हाइट, 36-32-38 का शानदार जान मारु फिगर.
कसे हुए ब्लाउस में तनी हुई चुचियाँ किसी का भी ईमान खराब कर दें.., कबूतरों की चोंच जैसे वक्षों के उपर जब वो अपना पल्लू डाल लेती तो और भी ज़्यादा सेक्शी लगती,
सपाट पेट के बाद ख़ासे चुड़े कूल्हे, सलीके से पहनी हुई साड़ी में कसे हुए कूल्हे…आअहह…जब मटक मटक कर चलती तो राह चलते लोग ठंडी आहें भर कर रह जाते होंगे…!
वर्षा देवी असल में पुरुषोत्तम दास की दूसरी पत्नी थी, पहली पत्नी के साथ इनका साथ मात्र साडे तीन साल ही रहा उसके बाद वो समय से पहले ही भगवान को प्यारी हो गयी थी.
पुरुषोत्तम दास की एक 20 साल की बेटी चारू लता, अपने ही कॉलेज से ग्रॅजुयेशन कर रही थी, उम्र के इस पड़ाव में उसके दर्जनो फ्रेंड्स थे, जिनमें लड़के भी थे, बला की खूबसूरत अपनी माँ की छवि.
हाइट में अपनी माँ के बराबर, लेकिन साँचे में ढला 32-28-34 का फिगर, कॉलेज का बेस्ट ब्यूटिफुल गर्ल का खिताब इसके नाम था, मॉडलिंग का शौक था उसको.
दोपहर ढले सुषमा और शंकर उनके यहाँ पहुँच गये, उस समय घर पर उसकी मामी वर्षा देवी और नौकर ही थे, मामा जी देर रात को ही लौटते थे…
चारू लता कॉलेज के बाद अपने मॉडलिंग वग़ैरह के चक्कर में बिज़ी रहती थी..
सुषमा को देख कर मामी ने उनकी आवभगत की, चाय पानी के दौरान सुषमा ने शंकर का परिचय उनसे कराया…,
शंकर उसकी एक कामवाली का लड़का है ये बात सुनकर उनको बड़ा ताज्जुब लगा, कैसे कोई मालकिन अपने ही किसी नौकर के साथ अकेली घूमने फिरने निकल सकती है…
हालाँकि शंकर की पर्सनालटी देखकर मामी भी प्रभावित हुए बिना नही रह पाई थी, उन्हें सुषमा के पति कल्लू की हालत का भी पता था फिर भी मन में ये विचार आने स्वाभाविक ही थे, और सबसे बड़ी बात तो ये थी कि लाला जी जैसे सुलझे हुए इज़्ज़तदार आदमी को भी इस बात से कोई एतराज नही है….!
कहते हैं ना कि औरत के मन की बात ज़्यादा देर तक अंदर नही रह पाती, सो बातों बातों में उनके मूह से ये निकल ही गया….
जब सुषमा ने बताया कि उनका यहाँ आने का पर्पस क्या है तो वर्षा देवी कहे बिना नही रह पाई…!
बुरा मत मानना सुषमा बेटी, लेकिन नौकरों को इतनी ढील नही देनी चाहिए कि वो सिर पर ही चढ़ जायें.., और तुम इसे पढ़ाने के लिए यहाँ शहर लेकर आई हो.., नौकरों से इतना लगाव अच्छा नही है…!
सुषमा को अपनी मामी से ऐसे शब्दों की अपेक्षा थी, उसने एक नज़र शंकर के चेहरे पर डाली, ये जान’ने की कोशिश की, कि मामी के इन शब्दों की उसके उपर क्या प्रतिक्रिया होती है…,
लेकिन उसके सपाट चेहरे से वो कोई अनुमान नही लगा सकी कि वो इस विषय में क्या सोच रहा होगा..,
फिर मामी की ओर मुखातिब होकर बोली…, आपका सोचना ग़लत नही है मामी जी, हर कोई यही सोचेगा, लेकिन यहाँ आप थोड़ी सी ग़लत हैं.., हमारे घर का कोई भी सदस्य शंकर या उसकी माँ को नौकर नही समझता….!
शायद आपको पता नही है, इसने छोटी सी उमर से ही हमारे लिए ऐसे ऐसे काम किए हैं जिन्हें कोई अपना भी नही कर सकता, फिर उसने सारी घटनाए सिलसिलेवार उनको बताई और आगे कहा…!
आपके दामाद के साथ हुई उस दुखद घटना के बाद शंकर ने सारे घर और कारोबार की ज़िम्मेदारी बखूबी संभाली है, पिताजी इस पर अपने बेटे से ज़्यादा भरोसा करते हैं, यही कारण है कि मे चाहती हूँ ये बिज़्नेस मॅनेज्मेंट का कोर्स करके हमारे बिज़्नेस को और अच्छे से संभाल सके…!
सुषमा ने पैंट के उपर से ही उसके पप्पू को छेड़ते हुए कहा.., अच्छा एक बात बताओ, सभी आदमियों का ये पप्पू एक जैसा होता है क्या…?
शंकर – नही पर… फिर भी ये तो अलग ही होता है ना…!
सुषमा – तुम्हें पता है उस दादी के कितने बच्चे हैं..?
शंकर – 9-10 तो हैं शायद…!
सुषमा – अब ज़रा सोचो.., मुझे तुमने अबतक कितनी बार चोदा होगा.., ज़्यादा से ज़्यादा 20-25 बार, और मेरे दो ही बच्चे हैं.., वहीं उस दादी को 10 बच्चे पैदा करने के लिए सैकड़ों बार चुदना पड़ा होगा..,
अरे यार अब तुम खुद सोचो 10-10 बच्चे निकाले हैं उसने अपनी चूत से तो भोसड़ा तो बनेगा ही उसका…!
शंकर – ओ तेरी का, तो भोसड़ा इसको कहते हैं, वही तो सोचु, मेरे क्लासमेट बार बार भोस्डे की गाली क्यों देते हैं…!
सुषमा ने उसके गाल को सहलाते हुए कहा – हाए मेरे भोले बालम, क्या वाकई में भोस्डे का मतलब नही पता था तुम्हें अब तक…?
शंकर – नही सच में, उसके मूह से इतना सुनते ही सुषमा ने आगे बढ़कर उसके गुलाबी होठों पर अपने लिपीसटिक वाले होठ रख दिए, फिर अलग होते हुए बोली – तुम वाकई बहुत प्यारे और सॉफ दिल हो शंकर…,
इसी तरह की चुहलबाज़ी और छेड़-छाड़ करते हुए वक़्त ना जाने कब गुजर गया और वो दोनो शहर पहुँच गये…..!
सुषमा के मामा जी पुरुषोत्तम दास, शहर के जाने माने बिज़्नेसमॅन और समाजसेवी उम्र लगभग 50-52 वर्ष. पत्नी वर्षा देवी कोई 41-42 साल की गोरी चिट्टी निहायत ही खूबसूरत औरत कद 5’6” की औसत हाइट, 36-32-38 का शानदार जान मारु फिगर.
कसे हुए ब्लाउस में तनी हुई चुचियाँ किसी का भी ईमान खराब कर दें.., कबूतरों की चोंच जैसे वक्षों के उपर जब वो अपना पल्लू डाल लेती तो और भी ज़्यादा सेक्शी लगती,
सपाट पेट के बाद ख़ासे चुड़े कूल्हे, सलीके से पहनी हुई साड़ी में कसे हुए कूल्हे…आअहह…जब मटक मटक कर चलती तो राह चलते लोग ठंडी आहें भर कर रह जाते होंगे…!
वर्षा देवी असल में पुरुषोत्तम दास की दूसरी पत्नी थी, पहली पत्नी के साथ इनका साथ मात्र साडे तीन साल ही रहा उसके बाद वो समय से पहले ही भगवान को प्यारी हो गयी थी.
पुरुषोत्तम दास की एक 20 साल की बेटी चारू लता, अपने ही कॉलेज से ग्रॅजुयेशन कर रही थी, उम्र के इस पड़ाव में उसके दर्जनो फ्रेंड्स थे, जिनमें लड़के भी थे, बला की खूबसूरत अपनी माँ की छवि.
हाइट में अपनी माँ के बराबर, लेकिन साँचे में ढला 32-28-34 का फिगर, कॉलेज का बेस्ट ब्यूटिफुल गर्ल का खिताब इसके नाम था, मॉडलिंग का शौक था उसको.
दोपहर ढले सुषमा और शंकर उनके यहाँ पहुँच गये, उस समय घर पर उसकी मामी वर्षा देवी और नौकर ही थे, मामा जी देर रात को ही लौटते थे…
चारू लता कॉलेज के बाद अपने मॉडलिंग वग़ैरह के चक्कर में बिज़ी रहती थी..
सुषमा को देख कर मामी ने उनकी आवभगत की, चाय पानी के दौरान सुषमा ने शंकर का परिचय उनसे कराया…,
शंकर उसकी एक कामवाली का लड़का है ये बात सुनकर उनको बड़ा ताज्जुब लगा, कैसे कोई मालकिन अपने ही किसी नौकर के साथ अकेली घूमने फिरने निकल सकती है…
हालाँकि शंकर की पर्सनालटी देखकर मामी भी प्रभावित हुए बिना नही रह पाई थी, उन्हें सुषमा के पति कल्लू की हालत का भी पता था फिर भी मन में ये विचार आने स्वाभाविक ही थे, और सबसे बड़ी बात तो ये थी कि लाला जी जैसे सुलझे हुए इज़्ज़तदार आदमी को भी इस बात से कोई एतराज नही है….!
कहते हैं ना कि औरत के मन की बात ज़्यादा देर तक अंदर नही रह पाती, सो बातों बातों में उनके मूह से ये निकल ही गया….
जब सुषमा ने बताया कि उनका यहाँ आने का पर्पस क्या है तो वर्षा देवी कहे बिना नही रह पाई…!
बुरा मत मानना सुषमा बेटी, लेकिन नौकरों को इतनी ढील नही देनी चाहिए कि वो सिर पर ही चढ़ जायें.., और तुम इसे पढ़ाने के लिए यहाँ शहर लेकर आई हो.., नौकरों से इतना लगाव अच्छा नही है…!
सुषमा को अपनी मामी से ऐसे शब्दों की अपेक्षा थी, उसने एक नज़र शंकर के चेहरे पर डाली, ये जान’ने की कोशिश की, कि मामी के इन शब्दों की उसके उपर क्या प्रतिक्रिया होती है…,
लेकिन उसके सपाट चेहरे से वो कोई अनुमान नही लगा सकी कि वो इस विषय में क्या सोच रहा होगा..,
फिर मामी की ओर मुखातिब होकर बोली…, आपका सोचना ग़लत नही है मामी जी, हर कोई यही सोचेगा, लेकिन यहाँ आप थोड़ी सी ग़लत हैं.., हमारे घर का कोई भी सदस्य शंकर या उसकी माँ को नौकर नही समझता….!
शायद आपको पता नही है, इसने छोटी सी उमर से ही हमारे लिए ऐसे ऐसे काम किए हैं जिन्हें कोई अपना भी नही कर सकता, फिर उसने सारी घटनाए सिलसिलेवार उनको बताई और आगे कहा…!
आपके दामाद के साथ हुई उस दुखद घटना के बाद शंकर ने सारे घर और कारोबार की ज़िम्मेदारी बखूबी संभाली है, पिताजी इस पर अपने बेटे से ज़्यादा भरोसा करते हैं, यही कारण है कि मे चाहती हूँ ये बिज़्नेस मॅनेज्मेंट का कोर्स करके हमारे बिज़्नेस को और अच्छे से संभाल सके…!