hotaks444
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सलौनी का हाथ लगते ही वो और ज़्यादा बुरी तरह से फन-फ़ना उठा.., दोनो के जवान बदन बिजली के करेंट की तरह झन-झना उठे…!
सलौनी ने शंकर के लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर दबा दिया.., अपनी बेहन का हाथ लगने से शंकर के बदन में एक नयी उत्तेजना भर उठी.., वो सिसकते हुए बोला –
आअहह…गुड़िया…, और ज़ोर्से दबा इसे…,
धीरे – धीरे सलौनी की झिझक कम होती जा रही थी.., उसने उसका अंडरवेर भी निकाल दिया और नंगी आँखों से पहली बार इतने नज़दीक से अपने भाई के लंड को निहारने लगी…!
उसको बड़ी प्यारी नज़रों से निहारते हुए अपने कोमल हाथों से उसे सहलाने लगी…, उसका मन हुआ कि उसे चूम ले.., सो धीरे-धीरे वो उसके उपर झुकने लगी…!
शंकर ये जानकर कि उसकी प्यारी बेहन उसके लंड को चूमने वाली है.., इस एहसास ने उसके लंड को और बुरी तरह से सख़्त कर दिया.., वासना की आग में वो दहकने लगा…!
अब सलौनी की गरम सासें उसके लंड पर पड़ने लगी थी.., शंकर को ये लम्हा असहनीय होने लगा.., वो चाहता था कि जल्दी से सलौनी इसे अपने होठों के बीच लेकर चूसे…!
अंततः सलौनी के तपते होठ उसके गरम दहक्ते लोहे जैसे सख़्त लौडे पर रख गये…, शंकर ने उत्तेजना बस अपने होठ कस लिए..,
उधर लंड की गर्मी उसके मुलायम होठ सहन नही कर सके और उसने फ़ौरन अपना मूह अलग कर लिया…!
रंगीली ने अपनी बेटी के सिर को स्नेह से सहलाते हुए कहा – क्या हुआ लाडो.., अपना मूह क्यों उठा लिया तूने.., चूस ले अपने भाई का लंड.., अच्छा लगेगा तुम दोनो को, देख तो कैसा बुला रहा है तुझे…, शंकर के लौडे की ठुनकी देख कर रंगीली बोली…!
सलौनी ने सिर उठाकर अपनी माँ को देखते हुए कहा – ये तो बहुत गरम है माँ..,
रंगीली ने मुस्कुराते हुए कहा – असली मर्द का लंड है गुड़िया.., चल पहले तू इसे चख ले.., फिर भाई तेरी मुनिया को चखेगा…!
इतना कहकर उसने सलौनी के सिर को उसके लंड पर दबा दिया.., सलौनी ने उसे अपने होठों के बीच ले लिया और कुछ लंबाई तक वो अपने मूह में लेकर उसे चूसने लगी…!
कुछ देर लंड चूसने के बाद रंगीली ने अपनी बेटी को अपने उपर खींच लिया.., इस झटके से शंकर का लंड उसके मूह से निकल गया..,
रंगीली ने उत्तेजना के बशिभूत सलौनी की छोटी सी कच्ची मुनिया को अपनी पकौड़े जैसी फूली हुई चूत पर दबा लिया और उसकी कमर को पकड़ कर उपर नीचे करते हुए एक दूसरे की चूत को आपस में रगड़ने लगी…!
ये गरमा-गरम दृश्य देख कर शंकर का लॉडा खुशी से झूमते हुए उसके पेट तक ठोकरें मारने लगा…!
दोनो माँ -बेटी की वासना भी पल प्रतिपल बढ़ती जा रही थी, दोनो के मूह से कामोत्तेजना में लिपटी हुई गरम गरम साँसें एक दूसरे के चेहरे से टकरा रही थी…!
बेत-हाशा सिसकते हुए उन दोनो के होठ आपस में जुड़ गये…, और बुरी तरह से एक दूसरे की चुतो को आपस में रगड़ती हुई वो एक दूसरे के होठों को चूसने लगी…!
सलौनी किसी बच्ची की तरह अपनी माँ के गुदाज बदन पर पड़ी मचल रही थी.., रंगीली की तनी हुई सुडौल चुचियाँ.., सलौनी के कच्चे अनारों से रगड़ खा रही थी..,
माँ की पाव रोटी जैसी चिकनी चूत से सलौनी की हल्के रोँये वाली कच्ची कली जैसी चूत के होठ आपस में रगड़ा खाते तो वो अपने मूह से निकलती सिसकी को रोक नही पाती….!
बड़ा ही कामुक नज़ारा था, जिसे शंकर उनके पैरों में बैठा देख रहा था और बुरी तरह से अकडे हुए अपने लंड को मसल मसल कर शांत करने की कोशिश कर रहा था…!
लेकिन ऐसे हालत में वो भला कैसे शांत हो पाता, जितना वो उसे नीचे को दबाता, छोड़ते ही उससे कई गुना वेग से वो जाकर उसके पेट से टकराता, जिससे चटक जैसी आवाज़ आती, मानो किसी ने थप्पड़ मारा हो..,
सलौनी ने शंकर के लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर दबा दिया.., अपनी बेहन का हाथ लगने से शंकर के बदन में एक नयी उत्तेजना भर उठी.., वो सिसकते हुए बोला –
आअहह…गुड़िया…, और ज़ोर्से दबा इसे…,
धीरे – धीरे सलौनी की झिझक कम होती जा रही थी.., उसने उसका अंडरवेर भी निकाल दिया और नंगी आँखों से पहली बार इतने नज़दीक से अपने भाई के लंड को निहारने लगी…!
उसको बड़ी प्यारी नज़रों से निहारते हुए अपने कोमल हाथों से उसे सहलाने लगी…, उसका मन हुआ कि उसे चूम ले.., सो धीरे-धीरे वो उसके उपर झुकने लगी…!
शंकर ये जानकर कि उसकी प्यारी बेहन उसके लंड को चूमने वाली है.., इस एहसास ने उसके लंड को और बुरी तरह से सख़्त कर दिया.., वासना की आग में वो दहकने लगा…!
अब सलौनी की गरम सासें उसके लंड पर पड़ने लगी थी.., शंकर को ये लम्हा असहनीय होने लगा.., वो चाहता था कि जल्दी से सलौनी इसे अपने होठों के बीच लेकर चूसे…!
अंततः सलौनी के तपते होठ उसके गरम दहक्ते लोहे जैसे सख़्त लौडे पर रख गये…, शंकर ने उत्तेजना बस अपने होठ कस लिए..,
उधर लंड की गर्मी उसके मुलायम होठ सहन नही कर सके और उसने फ़ौरन अपना मूह अलग कर लिया…!
रंगीली ने अपनी बेटी के सिर को स्नेह से सहलाते हुए कहा – क्या हुआ लाडो.., अपना मूह क्यों उठा लिया तूने.., चूस ले अपने भाई का लंड.., अच्छा लगेगा तुम दोनो को, देख तो कैसा बुला रहा है तुझे…, शंकर के लौडे की ठुनकी देख कर रंगीली बोली…!
सलौनी ने सिर उठाकर अपनी माँ को देखते हुए कहा – ये तो बहुत गरम है माँ..,
रंगीली ने मुस्कुराते हुए कहा – असली मर्द का लंड है गुड़िया.., चल पहले तू इसे चख ले.., फिर भाई तेरी मुनिया को चखेगा…!
इतना कहकर उसने सलौनी के सिर को उसके लंड पर दबा दिया.., सलौनी ने उसे अपने होठों के बीच ले लिया और कुछ लंबाई तक वो अपने मूह में लेकर उसे चूसने लगी…!
कुछ देर लंड चूसने के बाद रंगीली ने अपनी बेटी को अपने उपर खींच लिया.., इस झटके से शंकर का लंड उसके मूह से निकल गया..,
रंगीली ने उत्तेजना के बशिभूत सलौनी की छोटी सी कच्ची मुनिया को अपनी पकौड़े जैसी फूली हुई चूत पर दबा लिया और उसकी कमर को पकड़ कर उपर नीचे करते हुए एक दूसरे की चूत को आपस में रगड़ने लगी…!
ये गरमा-गरम दृश्य देख कर शंकर का लॉडा खुशी से झूमते हुए उसके पेट तक ठोकरें मारने लगा…!
दोनो माँ -बेटी की वासना भी पल प्रतिपल बढ़ती जा रही थी, दोनो के मूह से कामोत्तेजना में लिपटी हुई गरम गरम साँसें एक दूसरे के चेहरे से टकरा रही थी…!
बेत-हाशा सिसकते हुए उन दोनो के होठ आपस में जुड़ गये…, और बुरी तरह से एक दूसरे की चुतो को आपस में रगड़ती हुई वो एक दूसरे के होठों को चूसने लगी…!
सलौनी किसी बच्ची की तरह अपनी माँ के गुदाज बदन पर पड़ी मचल रही थी.., रंगीली की तनी हुई सुडौल चुचियाँ.., सलौनी के कच्चे अनारों से रगड़ खा रही थी..,
माँ की पाव रोटी जैसी चिकनी चूत से सलौनी की हल्के रोँये वाली कच्ची कली जैसी चूत के होठ आपस में रगड़ा खाते तो वो अपने मूह से निकलती सिसकी को रोक नही पाती….!
बड़ा ही कामुक नज़ारा था, जिसे शंकर उनके पैरों में बैठा देख रहा था और बुरी तरह से अकडे हुए अपने लंड को मसल मसल कर शांत करने की कोशिश कर रहा था…!
लेकिन ऐसे हालत में वो भला कैसे शांत हो पाता, जितना वो उसे नीचे को दबाता, छोड़ते ही उससे कई गुना वेग से वो जाकर उसके पेट से टकराता, जिससे चटक जैसी आवाज़ आती, मानो किसी ने थप्पड़ मारा हो..,