hotaks444
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थोड़ी देर लंड चुस्वा कर वो फिर से मेरी टाँगों के बीच आए, और अपना मूसल जैसा लंड मेरी गीली चूत के बंद होंठों के उपर रगड़ दिया…
उत्तेजना में मेरी तो कमर ही हिलने लगी, फिर उन्होने जैसे तैसे करके मेरी चूत के छोटे से छेद को खोला, और उसके मूह पर अपने लंड का मोटा टमाटर जैसा सुपाडा रखकर दबा दिया…
मेने कस कर अपनी आँखें बंद करली, और आने वाली मुसीबत का सामना करने के लिए अपने आप को तैयार करने लगी…….!
मेने कस कर अपनी आँखें बंद करली, और आनेवाली मुसीबत का सामना करने के लिए अपने आप को तैयार कर लिया…….!
रंगीली चमेली की सुहागरात के सीने में इस कदर खोई हुई थी, मानो चमेली की नही उसकी सील टूटने वाली हो, सो उसने एक झुर झुरी सी अपने अंदर महसूस की,
उसने अपनी जांघों के बीच गीलापन बढ़ता महसूस किया.., चमेली अपनी कथा सुनने में मगन थी, और रंगीली किसी गूंगे के गुड के स्वाद की तरह बस उसके चेहरे पर नज़रें गढ़ाए हुए थी…
चमेली ने आगे एक नज़र अपनी प्यारी सखी पर डाली, जो इस समय अपनी टाँगों को कस कर भींचे हुए बस उसे ही देखे जा रही थी…!
एक सेक्सी स्माइल करते हुए चमेली बोली – तुझे में क्या बताऊ रंगीली, उनके लंड का एकदम गरम दहक्ता सा सुपाडा इतना ज़्यादा मोटा था की मेरी मुनिया के छेद को चौड़ा करके उसके उपर रखने के बाद भी वो मेरी चूत की पतली पतली फांकों के बाहर तक निकला हुआ महसूस कर रही थी मे…
मेरी साँसें इतनी तेज़ी से चल रही थी मानो मीलों दौड़ लगाके आई हूँ…
उन्होने मेरी पतली मुलायम जांघों को अपने मजबूत कसरती पाटों के उपर रखा हुआ था, मेरे नीबुओं को सहला कर वो मेरे उपर झुके, और मेरे रसीले, डर से थर-थर काँप रहे होंठों पर अपने होंठ रख दिए…
मेने अपनी आँखें खोलकर उनकी तरफ देखा, उनका लंड मेरी मुनिया के मूह पर अटका हुआ ऐसा महसूस हो रहा था, जैसे किसी ने ज़बरदस्ती किसी का मूह बंद कर रखा हो…
उनके मेरे उपर झुकने से उनके लंड का दबाब मेरी चूत पर बढ़ गया, जिससे मेरी कराह निकल गयी….आअहह…माआ…
उन्होने मेरे होंठों को कस कर अपने होंठों में जप्त करते हुए हल्का सा झटका अपनी कमर में लगा दिया…!
मूह के अंदर ही अंदर मेरी चीख निकल गयी, और उनका लंड मेरी चूत की झिल्ली पर जा अटका…, मेरी तो जैसे जान ही अटक गयी,
उनके बालों को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर मेने उनके चेहरे को अपने से अलग करना चाहा लेकिन कामयाब नही हो पाई…,
मेने फिर से कस कर अपनी आँखें मींच ली, उन्होने अपने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाला, मुझे कुच्छ राहत सी हुई, कि चलो जान बची, शायद इन्हें मेरे उपर दया आ गई होगी…
लेकिन मेरा सोचना एकदम ग़लत साबित हुआ, क्योंकि तभी उन्होने एक तेज धक्का मेरी चूत में मार दिया….च्चाअरररर…की आवाज़ के साथ उनका लंड मेरी चूत की झिल्ली को फाड़ता हुआ, तीन-चौथाई अंदर समा चुका था…
ना जाने कहाँ से मुझमें इतनी शक्ति आ गई, उनका मूह ज़ोर देकर पीछे को हटा दिया, और अपने होंठों को आज़ाद करते ही मे बुरी तरह से चीख पड़ी…
अररीई….मैय्ाआ…र्रिि….मररर…गाइिईई…रीईई….बचाऊओ…मुझीए…
उन्होने झट से एकबार फिर मेरे होंठों को जप्त कर दिया… लेकिन आगे धक्का नही लगाया, और मेरे नीबुओं को सहलाने लगे…
मेरे छोटे-छोटे चुचकों (निपल्स) को अपनी उंगली के पोर से सहलाया…, ऐसा करने से मेरे चूत के दर्द में कुच्छ राहत सी लगी, और वो गीली होने लगी…
उन्होने मेरे होंठों को चूसना अब बंद कर दिया…, मेने लगभग हान्फ्ते हुए कहा – बहुत जालिम हैं आप, मेरी जान निकाल दी…
उन्होने मेरे गालों को सहलाते हुए कहा – अरे मेरी रानी, तुम्हारी जान निकालकर मुझे क्या मिलेगा…, ये तो पहली बार सबको झेलना ही होता है…,
थोड़ी देर ठहर कर उन्होने अपने लंड को बाहर निकाला, मेरी चूत अंदर से कुच्छ खाली सी हो गयी, लेकिन अगले ही पल और एक तगड़ा सा धक्का मार दिया…
मे एक बार फिर दर्द से तड़प उठी, लेकिन इस बार मेने चीखना बेहतर नही समझा, क्योंकि जो होना है वो तो होकर ही रहेगा, तो हाइ-तौबा करने से ही क्या लाभ..
लेकिन दर्द से मेरी आँखों में आँसू आ गये…अब मुझे उनका लंड एकदम अपने पेडू यहाँ, चमेली ने अपने पेट की निचली सतह पर हाथ लगा कर बताया, महसूस हो रहा था…
उनका वो मोटा ताज़ा लंड मेरी छोटी सी चूत में ना जाने कैसे समा गया, और ऐसा फिट हो गया, मानो बिना खड्डा किए कोई खूँटा ज़मीन में गाड़ दिया हो…
मेरी चूत के पतले-पतले होंठ, उनके लंड के चारों तरफ इस तरह कस गये थे मानो किसी रब्बर की रिंग में एक मोटी सी रोड जबदस्ती फिट कर दी हो…!
दर्द से मे अंदर ही अंदर छ्ट-पटा रही थी, मेरी आँखों से पानी निकल रहा था…, लेकिन उन्होने मुझ पर कोई रहम नही किया, और धीरे-धीरे अपने खूँटे को अंदर-बाहर करने लगे…
हाए रंगीली, तुझे मे कैसे बताऊ, दो-चार बार के अंदर बाहर करने से तो मुझे ऐसा लगा, कि मेरी चूत की अंदर की चमड़ी भी उनके खूँटे के साथ ही बाहर ना चली जाए…
लेकिन फिर कुच्छ ही देर में मेरी चूत के श्रोत से पानी फूटना शुरू हो गया, जिससे उनका लंड आराम से अंदर बाहर होने लगा, और साथ ही मेरा दर्द ना जाने कहाँ छूमन्तर हो गया, और मुझे मज़ा आने लगा…
उत्तेजना में मेरी तो कमर ही हिलने लगी, फिर उन्होने जैसे तैसे करके मेरी चूत के छोटे से छेद को खोला, और उसके मूह पर अपने लंड का मोटा टमाटर जैसा सुपाडा रखकर दबा दिया…
मेने कस कर अपनी आँखें बंद करली, और आने वाली मुसीबत का सामना करने के लिए अपने आप को तैयार करने लगी…….!
मेने कस कर अपनी आँखें बंद करली, और आनेवाली मुसीबत का सामना करने के लिए अपने आप को तैयार कर लिया…….!
रंगीली चमेली की सुहागरात के सीने में इस कदर खोई हुई थी, मानो चमेली की नही उसकी सील टूटने वाली हो, सो उसने एक झुर झुरी सी अपने अंदर महसूस की,
उसने अपनी जांघों के बीच गीलापन बढ़ता महसूस किया.., चमेली अपनी कथा सुनने में मगन थी, और रंगीली किसी गूंगे के गुड के स्वाद की तरह बस उसके चेहरे पर नज़रें गढ़ाए हुए थी…
चमेली ने आगे एक नज़र अपनी प्यारी सखी पर डाली, जो इस समय अपनी टाँगों को कस कर भींचे हुए बस उसे ही देखे जा रही थी…!
एक सेक्सी स्माइल करते हुए चमेली बोली – तुझे में क्या बताऊ रंगीली, उनके लंड का एकदम गरम दहक्ता सा सुपाडा इतना ज़्यादा मोटा था की मेरी मुनिया के छेद को चौड़ा करके उसके उपर रखने के बाद भी वो मेरी चूत की पतली पतली फांकों के बाहर तक निकला हुआ महसूस कर रही थी मे…
मेरी साँसें इतनी तेज़ी से चल रही थी मानो मीलों दौड़ लगाके आई हूँ…
उन्होने मेरी पतली मुलायम जांघों को अपने मजबूत कसरती पाटों के उपर रखा हुआ था, मेरे नीबुओं को सहला कर वो मेरे उपर झुके, और मेरे रसीले, डर से थर-थर काँप रहे होंठों पर अपने होंठ रख दिए…
मेने अपनी आँखें खोलकर उनकी तरफ देखा, उनका लंड मेरी मुनिया के मूह पर अटका हुआ ऐसा महसूस हो रहा था, जैसे किसी ने ज़बरदस्ती किसी का मूह बंद कर रखा हो…
उनके मेरे उपर झुकने से उनके लंड का दबाब मेरी चूत पर बढ़ गया, जिससे मेरी कराह निकल गयी….आअहह…माआ…
उन्होने मेरे होंठों को कस कर अपने होंठों में जप्त करते हुए हल्का सा झटका अपनी कमर में लगा दिया…!
मूह के अंदर ही अंदर मेरी चीख निकल गयी, और उनका लंड मेरी चूत की झिल्ली पर जा अटका…, मेरी तो जैसे जान ही अटक गयी,
उनके बालों को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर मेने उनके चेहरे को अपने से अलग करना चाहा लेकिन कामयाब नही हो पाई…,
मेने फिर से कस कर अपनी आँखें मींच ली, उन्होने अपने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाला, मुझे कुच्छ राहत सी हुई, कि चलो जान बची, शायद इन्हें मेरे उपर दया आ गई होगी…
लेकिन मेरा सोचना एकदम ग़लत साबित हुआ, क्योंकि तभी उन्होने एक तेज धक्का मेरी चूत में मार दिया….च्चाअरररर…की आवाज़ के साथ उनका लंड मेरी चूत की झिल्ली को फाड़ता हुआ, तीन-चौथाई अंदर समा चुका था…
ना जाने कहाँ से मुझमें इतनी शक्ति आ गई, उनका मूह ज़ोर देकर पीछे को हटा दिया, और अपने होंठों को आज़ाद करते ही मे बुरी तरह से चीख पड़ी…
अररीई….मैय्ाआ…र्रिि….मररर…गाइिईई…रीईई….बचाऊओ…मुझीए…
उन्होने झट से एकबार फिर मेरे होंठों को जप्त कर दिया… लेकिन आगे धक्का नही लगाया, और मेरे नीबुओं को सहलाने लगे…
मेरे छोटे-छोटे चुचकों (निपल्स) को अपनी उंगली के पोर से सहलाया…, ऐसा करने से मेरे चूत के दर्द में कुच्छ राहत सी लगी, और वो गीली होने लगी…
उन्होने मेरे होंठों को चूसना अब बंद कर दिया…, मेने लगभग हान्फ्ते हुए कहा – बहुत जालिम हैं आप, मेरी जान निकाल दी…
उन्होने मेरे गालों को सहलाते हुए कहा – अरे मेरी रानी, तुम्हारी जान निकालकर मुझे क्या मिलेगा…, ये तो पहली बार सबको झेलना ही होता है…,
थोड़ी देर ठहर कर उन्होने अपने लंड को बाहर निकाला, मेरी चूत अंदर से कुच्छ खाली सी हो गयी, लेकिन अगले ही पल और एक तगड़ा सा धक्का मार दिया…
मे एक बार फिर दर्द से तड़प उठी, लेकिन इस बार मेने चीखना बेहतर नही समझा, क्योंकि जो होना है वो तो होकर ही रहेगा, तो हाइ-तौबा करने से ही क्या लाभ..
लेकिन दर्द से मेरी आँखों में आँसू आ गये…अब मुझे उनका लंड एकदम अपने पेडू यहाँ, चमेली ने अपने पेट की निचली सतह पर हाथ लगा कर बताया, महसूस हो रहा था…
उनका वो मोटा ताज़ा लंड मेरी छोटी सी चूत में ना जाने कैसे समा गया, और ऐसा फिट हो गया, मानो बिना खड्डा किए कोई खूँटा ज़मीन में गाड़ दिया हो…
मेरी चूत के पतले-पतले होंठ, उनके लंड के चारों तरफ इस तरह कस गये थे मानो किसी रब्बर की रिंग में एक मोटी सी रोड जबदस्ती फिट कर दी हो…!
दर्द से मे अंदर ही अंदर छ्ट-पटा रही थी, मेरी आँखों से पानी निकल रहा था…, लेकिन उन्होने मुझ पर कोई रहम नही किया, और धीरे-धीरे अपने खूँटे को अंदर-बाहर करने लगे…
हाए रंगीली, तुझे मे कैसे बताऊ, दो-चार बार के अंदर बाहर करने से तो मुझे ऐसा लगा, कि मेरी चूत की अंदर की चमड़ी भी उनके खूँटे के साथ ही बाहर ना चली जाए…
लेकिन फिर कुच्छ ही देर में मेरी चूत के श्रोत से पानी फूटना शुरू हो गया, जिससे उनका लंड आराम से अंदर बाहर होने लगा, और साथ ही मेरा दर्द ना जाने कहाँ छूमन्तर हो गया, और मुझे मज़ा आने लगा…