hotaks444
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शाम को वो दोनो पास के ही थियेटर में मूवी देखने निकल गये, वापस आकर खाना रूम में ही मॅंगा लिया.., सुषमा का बेटा खाने के दौरान ही सो गया…!
खा पीकर वो दोनो कुछ देर लॉबी में टहलते रहे, फिर कमरे में आकर सुषमा कपड़े चेंज करने बाथरूम में चली गयी, शंकर ने भी उतनी देर में अपने कपड़े उतारकर मात्र एक शॉर्ट पहन लिया और सोफे पर बैठकर उसका इंतेज़ार करने लगा…!
जैसे ही बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज़ उसके कानों में पड़ी…, वैसे ही उसकी नज़र आवाज़ की दिशा में घूम गयी.., अपने सामने खड़ी सुषमा को देखकर शंकर का मूह खुला का खुला रह गया…, और वो उसे देख कर मंद मंद मुस्करा रही थी….!
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सुषमा इस समय मात्र एक झीने से गाउन में थी जो उसकी मोटी-मोटी जांघों तक ही पहुँच पा रहा था, उसके नीचे उसने ब्रा और शायद पैंटी भी नही पहन रखी थी.., हॉल के दूधिया लाइट में उस पारदर्शी गाउन के आर-पार सब कुछ दिखाई दे रहा था…!
लाइट कलर की गाउन में सुषमा का गुलाबी रंगत लिए दूधिया बदन साफ गोचर हो रहा था…, उपर से नीचे को फिसलती शंकर की नज़र से उसके सुर्ख कड़क किस्मिस के दाने भी नही छिप सके जो उसके गोल-सुडौल 34” के वक्षों की चोटियों पर चिपके हुए थे…,
शंकर की कामुक नज़रों के एहसास ने उन्हें और कड़क कर दिया और वो टाइट गाउन को चीरकर उसमें छेद करते दिखाई दे रहे थे…,
फिर जैसे ही शंकर की नज़र उसकी नाभि के नीचे दोनो मांसल जांघों के बीच की घाटी पर पड़ी जहाँ उसका गाउन कुछ परतों में थे जिससे उसका यौनी प्रदेश साफ साफ तो नही दिख रहा था लेकिन अनुमान लगाना कठिन नही था कि वहाँ कितनी गहराई मौजूद होनी चाहिए…!
सुषमा के इस मादक रूप को देख कर शंकर किसी स्वचालित यन्त्र की तरह सोफे से उठ खड़ा हुआ, उसके कामुक बदन के दर्शन मात्र से ही उसका 8” लंबा और ढाई इंच मोटा नाग उसके शॉर्ट के सॉफ्ट कपड़े में फुफ्कार उठा…
तबतक सुषमा भी अपने रूप की छटा बिखेरती हुई सधे हुए कदमों से चलकर उसके काफ़ी नज़दीक तक पहुँच चुकी थी…!
शंकर से रहा नही गया और उसने लपक कर सुषमा को अपनी बाहों में भर लिया…, उसके सुर्ख रसीले होठों को अपने होठों की गिरफ़्त में लेकर एक हाथ से उसके कलमी आमों को सहलाते हुए दूसरे हाथ से उसके मटके जैसी गान्ड की चोटियों को दबाते
हुए उसने सुषमा को अपने बदन से सटा लिया….!
शंकर का कड़क लंड मात्र दो पतले बारीक कपड़ों की परतों को दबाते हुए उसकी मल्लपुए जैसी गुदगुदी छूट की फांकों से जेया टकराया…!
लंड के कठोर टोपे की ठोकर अपनी चूत पर होते ही सुषमा के मूह से एक बहुत ही मादक सिसकी फुट पड़ी….!
आअहह….सस्स्सिईईई…शंकररर्र्र्ररर…मेरे राजा…कस्लो मुझे अपनी मजबूत बाहों के घेरे में…, इन बाहों का सहारा पाकर मे अपने आप को सेफ फील करती हूँ…, क्या तुम हमेशा मुझे ऐसी ही प्यार करते रहोगे….?
शंकर ने अपना दूसरा हाथ भी उसकी मुलायम गान्ड पर रख दिया.., दोनो मटकों को सहलाते हुए उसने सुषमा की चूत को कसकर अपने कड़क लंड पर दबा दिया…, सुषमा भी आवेश में आकर उसके गले से झूल गयी.., उसके दोनो पैर इस समय हवा में झूल गये….!
लंड का दबाब इतना ज्यदा बढ़ गया कि कपड़ों की दोनो परतों के साथ उसका लंड एक इंच तक उसकी चूत की मोटी-मोटी फांकों के बीच फँस गया…!
कपड़े को लंड के उपर अपनी चूत में इतने अंदर तक फील करके सुषमा की चूत में बुरी तरह से चींतियाँ सी काटने लगी…,
खा पीकर वो दोनो कुछ देर लॉबी में टहलते रहे, फिर कमरे में आकर सुषमा कपड़े चेंज करने बाथरूम में चली गयी, शंकर ने भी उतनी देर में अपने कपड़े उतारकर मात्र एक शॉर्ट पहन लिया और सोफे पर बैठकर उसका इंतेज़ार करने लगा…!
जैसे ही बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज़ उसके कानों में पड़ी…, वैसे ही उसकी नज़र आवाज़ की दिशा में घूम गयी.., अपने सामने खड़ी सुषमा को देखकर शंकर का मूह खुला का खुला रह गया…, और वो उसे देख कर मंद मंद मुस्करा रही थी….!
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सुषमा इस समय मात्र एक झीने से गाउन में थी जो उसकी मोटी-मोटी जांघों तक ही पहुँच पा रहा था, उसके नीचे उसने ब्रा और शायद पैंटी भी नही पहन रखी थी.., हॉल के दूधिया लाइट में उस पारदर्शी गाउन के आर-पार सब कुछ दिखाई दे रहा था…!
लाइट कलर की गाउन में सुषमा का गुलाबी रंगत लिए दूधिया बदन साफ गोचर हो रहा था…, उपर से नीचे को फिसलती शंकर की नज़र से उसके सुर्ख कड़क किस्मिस के दाने भी नही छिप सके जो उसके गोल-सुडौल 34” के वक्षों की चोटियों पर चिपके हुए थे…,
शंकर की कामुक नज़रों के एहसास ने उन्हें और कड़क कर दिया और वो टाइट गाउन को चीरकर उसमें छेद करते दिखाई दे रहे थे…,
फिर जैसे ही शंकर की नज़र उसकी नाभि के नीचे दोनो मांसल जांघों के बीच की घाटी पर पड़ी जहाँ उसका गाउन कुछ परतों में थे जिससे उसका यौनी प्रदेश साफ साफ तो नही दिख रहा था लेकिन अनुमान लगाना कठिन नही था कि वहाँ कितनी गहराई मौजूद होनी चाहिए…!
सुषमा के इस मादक रूप को देख कर शंकर किसी स्वचालित यन्त्र की तरह सोफे से उठ खड़ा हुआ, उसके कामुक बदन के दर्शन मात्र से ही उसका 8” लंबा और ढाई इंच मोटा नाग उसके शॉर्ट के सॉफ्ट कपड़े में फुफ्कार उठा…
तबतक सुषमा भी अपने रूप की छटा बिखेरती हुई सधे हुए कदमों से चलकर उसके काफ़ी नज़दीक तक पहुँच चुकी थी…!
शंकर से रहा नही गया और उसने लपक कर सुषमा को अपनी बाहों में भर लिया…, उसके सुर्ख रसीले होठों को अपने होठों की गिरफ़्त में लेकर एक हाथ से उसके कलमी आमों को सहलाते हुए दूसरे हाथ से उसके मटके जैसी गान्ड की चोटियों को दबाते
हुए उसने सुषमा को अपने बदन से सटा लिया….!
शंकर का कड़क लंड मात्र दो पतले बारीक कपड़ों की परतों को दबाते हुए उसकी मल्लपुए जैसी गुदगुदी छूट की फांकों से जेया टकराया…!
लंड के कठोर टोपे की ठोकर अपनी चूत पर होते ही सुषमा के मूह से एक बहुत ही मादक सिसकी फुट पड़ी….!
आअहह….सस्स्सिईईई…शंकररर्र्र्ररर…मेरे राजा…कस्लो मुझे अपनी मजबूत बाहों के घेरे में…, इन बाहों का सहारा पाकर मे अपने आप को सेफ फील करती हूँ…, क्या तुम हमेशा मुझे ऐसी ही प्यार करते रहोगे….?
शंकर ने अपना दूसरा हाथ भी उसकी मुलायम गान्ड पर रख दिया.., दोनो मटकों को सहलाते हुए उसने सुषमा की चूत को कसकर अपने कड़क लंड पर दबा दिया…, सुषमा भी आवेश में आकर उसके गले से झूल गयी.., उसके दोनो पैर इस समय हवा में झूल गये….!
लंड का दबाब इतना ज्यदा बढ़ गया कि कपड़ों की दोनो परतों के साथ उसका लंड एक इंच तक उसकी चूत की मोटी-मोटी फांकों के बीच फँस गया…!
कपड़े को लंड के उपर अपनी चूत में इतने अंदर तक फील करके सुषमा की चूत में बुरी तरह से चींतियाँ सी काटने लगी…,